इकाई – V : सामुदायिक विकास और प्रसार

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1.गृह विज्ञान का प्रमुख उद्देश्य है –

(A) पारिवारिक जीवन को उत्तम एवं सुविधापूर्ण बनाना
(B) भोजन बनाना
(C) अधिक धन कमाना
(D) वस्त्रों की सफाई

Answer ⇒ (A)

2. गृह विज्ञान महत्त्वपूर्ण है

(A) गृह प्रबंधन करने के लिए
(B) बच्चों की देख-भाल करने के लिए
(C) जीवन में अच्छे मूल्यों के लिए
(D) स्वस्थ परिवार के नेतृत्व के लिए

Answer ⇒ (A)

3. गृह विज्ञान प्रशिक्षण के लिए कब और कहाँ लेडी इरविन कॉलेज की स्थापना हुई ?

(A) 1932, दिल्ली में
(B) 1955, पटना में
(C) 1922, लखनऊ में
(D) 1961 ई०

Answer ⇒ (A)

4 . आगरा में गृह विज्ञान के द्वारा स्वरोजगार का अवसर कौन-सा है ?

(A) निर्माण इकाई कर्मचारी
(B) रेस्तरा में मैनेजर
(C) आंतरिक सज्जाकार
(D) पुराने दुकानदार

Answer ⇒ (C)

5. गृह विज्ञान का अर्थ है –

(A) गृह का प्रबंधन करने वाला विज्ञान
(B) अपने संसाधनों का प्रबंध करने की कला
(C) घर को सजाने की कला
(D) घर में कार्य करने का

Answer ⇒ (B)

6. विज्ञान गृह विज्ञान का क्षेत्र है –

(A) आहार एवं पोषण
(B) बाल विकास
(C) गृह प्रबंध
(D) इनमें से सभी

Answer ⇒ (D)

7. अनौपचारिक शिक्षा का माध्यम है –

(A) नालंदा खुला विश्वविद्यालय
(B) पटना विश्वविद्यालय
(C) कृषि विश्वविद्यालय
(D) आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय

Answer ⇒ (A)

8. किन व्यवसायों में गृह विज्ञान विकास में योगदान करता है ?

(A) बेकरी और हस्तशिल्पी
(B) गृह रक्षिका और अनुसंधान निदेशिका
(C) प्रबंध संचालिका और डायटिशियन
(D) इनमें से सभी

Answer ⇒ (D)

9. किन क्षेत्रों में गृह विज्ञान विकास में । योगदान नहीं करता है ?

(A) पारिवारिक स्तर के उत्थान में
(B) पोषण के क्षेत्र में
(C) रोजगार के क्षेत्र में
(D) कंप्यूटर क्षेत्र में

Answer ⇒ (D)

10. बाल विकास का अध्ययन, महिलाओं को स्वरोजगार चलाने में कैसे सहायक हो सकता है ?

(A) बच्चों को उतने समय तक सही देखभाल करके जब माताएँ काम पर जाती हैं
(B) कैच चलाकर, बेबी सीटर बनकर
(C) आँगनबाड़ी में काम करके
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (D)

11. पारिवारिक आय में वृद्धि के चरण हो सकते हैं

(A) ट्युशन
(B) घरेलू उद्योग
(C) कैच खोलकर
(D) इनमें से सभी

Answer ⇒ (D)

12. आहार प्रशिक्षण संबंधी लाभ है—

(A) जैली-पापड़ बनाना
(B) कागज निर्मित वस्तु बनाना
(C) क्रेन की वस्तु बनाना
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (A)

13. बी० एस० सी० गृहविज्ञान में प्रवेश लेने की योग्यता क्या है ?

(A) बारहवीं पास
(B) दसवीं पास
(C) डिप्लोमा पास
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (A)

14. अध्ययन कार्य करने की न्यूनतम योग्यता क्या होनी चाहिए ?

(A) गृह विज्ञान में विशिष्ट बी० एड
(B) किसी भी विषय में बी० एड०
(C) स्नातकोत्तर सामान्य विषय
(D) बी० ए० सामान्य

Answer ⇒ (A)

15. महिला प्रजनन तंत्र –

(A) सेक्स हार्मोन उत्पन्न करता है
(B) बच्चे को जन्म देता है
(C) अंडा उत्पन्न करता है
(D) इनमें से सभी

Answer ⇒ (D)

16. इनमें से कौन गलत है ? मासिक चक्र

(A) खून का सामयिक बहाव है
(B) हमेशा बहुत कष्टदायक होता है
(C) गर्भावस्था को छोड़कर एक महिला
की पूरी प्रजनन अवधि में होता है।
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (C)

17. कौन सा हार्मोन केवल महिला में स्त्रावित होता है ?

(A) प्रोलैक्टिन
(B) थाइरॉक्सिन
(C) प्रेलिन
(D) इन्सुलिन

Answer ⇒ (A)

18. दहेज निरोध अधिनियम कब पारित हुआ है ?

(A) 1905 में
(B) 1953 में
(C) 1955 में
(D) 1960 में

Answer ⇒ (C)

19. निम्न में से कौन गृह विज्ञान की शाखा नहीं है ?

(A) प्रसार शिक्षा
(B) डायटेटिक्स
(C) वस्त्र विज्ञान
(D) मानव विकास

Answer ⇒ (B)

20. किस पुरुष ने सर्वप्रथम गृह विज्ञान में पी-एच० डी० की उपाधि प्राप्त किया ?

(A) डॉ० के० एन० चन्द्रशेखर
(B) डॉ० मधुसूदन प्रसाद सिन्हा
(C) डॉ० मनोहर गोस्वामी
(D) डॉ० नागेश्वर प्रसाद

Answer ⇒ (A)

21. लड़कियों की शादी की उम्र कम-से-कम कितना होना चाहिए जो सरकारी कानून के अनुकूल हो ?

(A) 15 वर्ष
(B) 18 वर्ष
(C) 21 वर्ष
(D) 24 वर्ष

Answer ⇒ (B)

22. कौन रोजगार, अन्यत्र रोजगार एवं स्व रोजगार दोनों क्षेत्रों में संभव हैं ?

(A) ड्रेस डिजाइनर
(B) डायटीशियन
(C) आन्तरिक डिजाइनर
(D) इनमें से सभी

Answer ⇒ (D)

23. निम्न में से कौन-सा कार्य स्वरोजगार एवं संस्था में रोजगार दोनों क्षेत्रों में संभव हैं ?

(A) डायटिशियन
(B) इन्टीरियर डिजाईनर
(C) ब्यूटीशियन
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (D)

24. बिहार में तकनीकी (व्यावसायिक) आधारित गृह विज्ञान की शिक्षा कहाँ प्रदान की जाती है ?

(A) राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय, पूसा (समस्तीपुर)
(B) पटना भेटनरी कॉलेज, पटना
(C) राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय, राँची
(D) तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय

Answer ⇒ (A)

25. प्रथम अखिल भारतीय महिला अधिवेशन कब तथा कहाँ हुआ था ?

(A) सन् 1937 ई०, पूना में
(B) सन् 1927 ई०, पूना में
(C) सन् 1955 ई०, पटना में
(D) सन् 1962 ई०, भोपाल में

Answer ⇒ (B)

26. केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड की स्थापना  हुई ?

(A) 1950 में
(B) 1953 में
(C) 1955 में
(D) 1960 में

Answer ⇒ (B)

27. महिला शिक्षा निधि की स्थापना कब और कहाँ हुई ?

(A) 1928 ई० दिल्ली में
(B) 1920 ई० बंबई में
(C) 1938 ई० कोलकता में
(D) 1955 ई० लखनऊ में

Answer ⇒ (A)

28. विकास के क्षेत्रों में गृह विज्ञान का योगदान है –

(A) पारिवारिक स्तर उत्थान, स्वास्थ्य
तथा पोषण क्षेत्र में
(B) रोजगार, परिवार कल्याण क्षेत्र में
(C) बाल-शिक्षा तथा स्त्री-शिक्षा के क्षेत्र
(D) उपर्युक्त सभी में

Answer ⇒ (D)

29. स्नातकोत्तर गृह विज्ञान की न्यूनतम योग्यता क्या है ?

(A) बी० एस० सी० सामान्य
(B) बी० एड० सामान्य
(C) बी० एस० सी० गृहविज्ञान
(D) डिप्लोमा इन होम साइंस

Answer ⇒ (C)

30. गृह विज्ञान शिक्षा विद्यार्थियों को एक जागरूक बनाता है।

(A) उपभोक्ता
(B) खरीददार
(C) शिक्षक
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (A)

31. हस्तशिल्प प्रशिक्षण से लाभ प्राप्त किये जा सकते हैं –

(A) बंधेज रंगाई
(B) जैम निर्माण
(C) रबड़-प्लास्टिक की वस्तुएँ
(D) मुरब्बा अचार निर्माण

Answer ⇒ (C)

32. चाइल्ड केयर प्रशिक्षण से लाभ प्राप्त हो सकते हैं –

(A) हस्तशिल्प बनाने में
(B) डे केयर सेन्टर खोलकर
(C) अल्पाहार बनाने में
(D) हॉवी क्लास चलाने में

Answer ⇒ (B)

33. गृह विज्ञान से आशय है गृह संबंधी या विज्ञान।

(A) ज्ञान
(B) बुद्धि
(C) विकास
(D) अनजान

Answer ⇒ (A)

34. गृह विज्ञान किस तरह का विज्ञान है ?

(A) प्रायोगिक
(B) व्यवहारिक
(C) आंतरिक
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (B)

35. किसके अध्ययन से डायटीशियन एवं केटरिंग के कार्य छात्राएँ कर सकती हैं ?

(A) इंटीरियर डेकोरेटर एवं पुष्प सज्जा
(B) सिलाई अध्यापिका
(C) डायटीशियन
(D) कॉलेजों के प्राध्यापक

Answer ⇒ (C)

36. गृह विज्ञान विषय में किन-किन विषयों का गहन अध्ययन कराया जाता है ?

(A) आहार एवं पोषण एवं गृह प्रबंध
(B) बाल विकास एवं वस्त्र विज्ञान
(C) प्रसार शिक्षा
(D) इनमें से सभी

Answer ⇒ (D)

37. आहार एवं पोषण विज्ञान के अध्ययन कुछ रोजगारों को चलाने में कैसे सहायक होते हैं ?

(A) केटरिंग और खाना पहुँचाने का काम
(B) खाद्य संरक्षण से तैयार समान सप्लाई करके
(C) डायटीशियन का काम करके
(D) इनमें से सभी

Answer ⇒ (D)

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. वस्त्र की किस्म से आप क्या समझते हैं ? (What do you understand by the different type of cloths.)

उत्तर⇒ वस्त्रों की किस्म के अंतर्गत निम्न बातों पर ध्यान देना चाहिए

(i) रेशे के प्रकार, (ii) बनावट का प्रकार, (iii) अलंकरण के साजों सामान की क्वालिटी, (iv) मिश्रित किया है या नहीं, (v) सेनफोरोइज्ड (sanforized) है या नहीं, (vi) वस्त्रों की देख रेख की विधि सरल है या कठिन है।

2. डिजाइन बनाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ? (What facts should be kept in mind at the time of making design ?)

उत्तर⇒ डिजाइन बनाते समय निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिए-

(i) डिजाइन पहनने वाले व्यक्ति की आयु, लिंग, त्वचा के रंग तथा व्यक्तित्व के अनुरूप हो।
(ii) डिजाइन फैशन के अनुकूल हो।
(iii) परिधान में दो या दो से अधिक डिजाइन हो तो उनमें पर्याप्त सामंजस्य स्थापित होना चाहिए।
(iv) डिजाइन देने के लिए उपयुक्त सामग्री निम्न कोटी की हो अन्यथा पहली धुलाई के बाद यह बेकार हो जायेगी।

3. नायलोन वस्त्रों की धुलाई कैसे की जाती है ? (How are the Nylon Clothes washed?)

उत्तर⇒ मायलोन वस्त्रों की ध्रुलाई नायलोन वस्त्रों को किसी भी प्रकार के साबुन से धोया जा सकता है । वैसे इन्हें धोने में सिल्क के बने वस्त्रों की धुलाई की तरह नियमों का पालन करना चाहिए। साबुन के फेन में वस्त्रों को साफ करके, कई बार साफ पानी में खंगालने के बाद पानी से निकालकर अच्छी तरह जोर से झटका देकर झाड़ने के बाद अलगनी पर रख देना चाहिए, इससे अधिकांश पानी निकल जाता है। कपड़ों को छायादार स्थान पर हैंगर में लटकाकर सुखाना चाहिए। उन्हें निचोड़ना नहीं चाहिए।

4. मौसम तथा समय के अनुसार कैसे रंग के कपड़े पहनने चाहिए ? (Which colour of clothes should be wear according to the season and time ?)

उत्तर⇒ मौसम सर्दियों में गरम रंग (लाल, पीला, नारंगी आदि) तथा गर्मियों में शीतल रंगों (नीला, हरा, बैंगनी) का प्रयोग करना चाहिए।
समय-किस समय कौन से रंग के वस्त्र पहनना चाहिए इसका भी ज्ञान होना चाहिए। खशी के समय सुंदर, भड़कीले, चमकीले तीव्र रंगों वाले वस्त्र पहनने चाहिए। शोक के समय सफेद रंग के वस्त्र पहनने चाहिए।

5. बेरोजगारी (Unemployment)

उत्तर⇒ जब देश में कार्य करने वाली जनशक्ति अधिक होती हैं, किन्तु काम करने के लिए राजी होते हुए भी बहुतों को प्रचलित मजदूरी पर कार्य नहीं मिलता, तो उस विशेष अवस्था को बेरोजगारी की संज्ञा दी जाती है।

6. अस्थायी दाँत (Temporary teeth)

उत्तर⇒ दाँतों का निर्माण मसूड़ों में गर्भावस्था में ही शुरू हो जाता है। जन्म के पश्चात 6 महीने से दाँत निकलने शुरू हो जाते हैं और 2 वर्ष तक सभी अस्थायी दाँत निकल आते हैं। यह दाँत अस्थायी होते हैं और इनकी संख्या 20 होती है।

7. मस्तिष्क (Brain)

उत्तर⇒ मस्तिष्क एवं सुषुम्ना केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र का सबसे बड़ा एवं महत्वपूर्ण अंग है। यह खोपड़ी के ऊपरी भाग में स्थित हैं। मस्तिष्क ही बुद्धि, इच्छा, संवेगों तथा संवेदनाओं का केन्द्र है। शरीररूपी जीवित यंत्र का संचालन इसी के द्वारा होता है। किसी कार्य को सीखने, समझने तथा उस पर विचार करने का कार्य मस्तिष्क ही करता है।

8. श्वसन तंत्र (Respiratory System)

उत्तर⇒ श्वसन तंत्र का प्रमुख कार्य वायु से ऑक्सीजन ग्रहण करना तथा शरीर में उत्पन्न कार्बनडाइऑक्साइड को बाहर निकालना है। श्वास लेने और छोडने की क्रिया को श्वसन क्रिया कहते हैं। इसका प्रमुख अंग हैं—मुख, नासिका द्वार, गला, कण्ठ, श्वासनली तथा फेफड़ा। ,व, नासिका द्वारलने और छोड़ने की क्रिया कारीर में उत्पन्न

9. तंत्रिका तंत्र (Nervous System)

उत्तर⇒ मस्तिष्क, सुषुम्ना तथा तंत्रिकाएँ सम्मिलित रूप से तंत्रिका तंत्र बनाती है। शरीर को विभिन्न क्रियाओं तथा अंगों की गति का नियंत्रण इसी तंत्र द्वारा होता है। इस तंत्र द्वारा बाह्य जगत का या शरीर में उत्पन्न संवेदनाओं का बोध होता है।

10. प्रजनन तंत्र (Reproductive System)

उत्तर⇒ प्रजननतंत्र का कार्य संतानोत्पति है। जीव के निर्माण में नर एवं मादा दोनों का बराबर योगदान रहता है किन्त गर्भधारण करने तथा शिश को जन्म देने का कार्य मादा ही करती है। स्त्री तथा पुरुष के प्रजनन अंगों में कुछ ऐसे उत्पादक कोष बनते हैं जिनके संयोग से नये जीव की उत्पत्ति होती हैं। संभोग क्रिया से स्त्री और पुरुष के उत्पादक कोष एक दूसरे के समीप पहुँचकर मिल जाते हैं जिससे गर्भ की स्थापना होती है।

11. भोजन संक्रमण (Food Infection)

उत्तर⇒ शरीर को स्वस्थ एवं हृस्ट-पुस्ट रखने के लिए स्वच्छ, समुचित मात्रा में पौष्टिक एवं संतुलित भोजन की आवश्यकता पड़ती है। लेकिन पौष्टिक एवं संतुलित आहार सेवन करने पर भी शरीर स्वस्थ नहीं रहता और रोगग्रस्त हो जाता है क्योंकि पौष्टिक आहार जीवाणुओं, रोगाणुओं, खमीर, फफूंदी या रासायनिक पदार्थों द्वारा संदूषित हो जाता है। जिससे भोजन का रंग-रूप एवं स्वाद बिगड़ जाता है जिसको खाने से बुखार, सिरदर्द, दस्त, उल्टी आदि होने लगती है। भोजन के हानिकारक तत्त्वों से सम्पर्क होने की क्रिया को संदूषण कहते हैं।

12. MMR क्या है ? (What is MMR?)

उत्तर⇒ बालकों को प्रतिरक्षित करने के लिए विभिन्न प्रकार के टीके लगवाये जाते हैं। शिशु को MMR का टीका तीन बीमारियों खसरा (Measles), मम्मस (Mumps) व रूबैला (Rubells) से बचाव के लिए दिया जाता है। यह टीका 15 से 18 माह की आयु में दिया जाता है।

13. वस्त्रों का चयन (Choosing of clothes)

उत्तर⇒ वस्त्रों का चयन करते समय कुछ वस्त्रों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। जैसे-कपड़े की किस्म, कपड़े का रेशा, बुनावट, मजबूती, कपड़े का रंग, छपाई एवं नमूने, उसकी कटाई एवं सिलाई, तुरपन, देखरेख, जिप, स्ट्रेप, बटन, फैशन एवं शैली, मूल्य आदि पर ध्यान देना चाहिए।

14. मिलावट के दुष्परिणामों से बचने के उपाय बताइए। (State about ways or preventive measure to keep away the bad effects of adulteration.)

उत्तर⇒ मिलावट से बचने के लिए उपभोक्ता को चाहिए कि उन खाद्य पदार्थों को ही खरीदे जिन पर आई० एस० आई० (ISI), एफ० पी० ओ० (F.P.O.) या एगमार्क (Agmark) की मोहर लगी हो। खाद्य पदार्थों को हमेशा मान्यता प्राप्त दुकान से ही खरीदने चाहिए। कई बार गलत स्थानों से सस्ती चीजें खरीदने से पैसा तो बच जाता है पर लेने के देने पड़ जाते हैं। जहाँ तक हो सके गृहिणी को प्राकृतिक रूप से प्राप्त होने वाले रंगों का प्रयोग करना चाहिए, जैसे-फल, सब्जियों तथा मसालों से प्राप्त होने वाले रंग। यदि किसी कारणवश कृत्रिम रंगों का प्रयोग करना पड़ जाय तो इनको थोड़ी मात्रा में ही प्रयोग में लाने चाहिए।

15. अमीनो अम्ल (Amino Acid)

उत्तर⇒ प्रोटीन जल अपघटन के बाद वह अपनी सबसे सरलतम इकाई अमीनो अम्ल में टट जाता है। अतः अमीनो अम्ल प्रोटीन की लघुत्तम इकाई है। दूसरे शब्दों में कई अमीनो अम्ल आपस में मिलकर प्रोटीन का निर्माण करते हैं। इसलिए अमीनो अम्ल को प्रोटीन का आधारीय स्तंभ कहते हैं।

16. प्रोटीन के प्रकार (Types of Protein)

उत्तर⇒ (A) गुणवत्ता के आधार पर प्रोटीन के प्रकार

(i) पूर्ण प्रोटीन
(ii) आंशिक पूर्ण प्रोटीन
(iii) अपूर्ण प्रोटीन

(B) भौतिक गुण एवं घुलनशीलता के आधार पर

(i) साधारण प्रोटीन
(ii) संयुग्मी प्रोटीन
(iii) व्युत्पन्न प्रोटीन

(C) प्राप्ति के साधन के आधार पर

(i) वानस्पतिक प्रोटीन
(ii) प्राणिज प्रोटीन

17. स्वच्छता (Sanitation)

उत्तर⇒ स्वच्छता से तात्पर्य है अपने आस-पास के जगह को साफ एवं स्वास्थ्यकर रखने की प्रक्रिया विशेषकर मलजल पद्धति एवं स्वच्छ जल की आपूर्ति उपलब्ध कराकर किया जा सकता है।

18. मिलावट की परिभाषा (Definition of Adulteration)

उत्तर⇒ खाद्य पदार्थ में कोई मिलता-जुलता पदार्थ मिलाने अथवा उसमें से कोई तत्त्व निकालने या उसमें कोई हानिकारक तत्त्व मिलाने से खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता में परिवर्तन लाने को मिलावट कहा जा सकता है।

19. कार्य सरलीकरण से क्या समझते हैं ? (What do you understand by work simplification ?)

उत्तर⇒ एक निर्धारित समय और शक्ति के परिणाम के अंतर्गत अधिक कार्य सम्पादित करना या कार्य की निश्चित मात्रा को सम्पन्न करने के लिए समय या शक्ति या दोनों की मात्रा को कम करने की प्रक्रिया को सरलीकरण कहते हैं।

20. मौद्रिक तथा वास्तविक आय में अंतर स्पष्ट करें। (Differentiate between Cash income and Actual income.)

उत्तर⇒ मौद्रिक आय-वह आय जो व्यक्ति एक निश्चित अवधि में कार्य करके मुद्रा के रूप में प्राप्त करता है, मौद्रिक आय कहलाता है। जैसे-मासिक वेतन, मजदूरी, पेंशन आदि।

वास्तविक आय-किसी निश्चित समय के लिए जो सेवाएँ और सुविधाएँ परिवार के सदस्य प्राप्त करते हैं उसे वास्तविक आय कहते हैं। यह आय परिवार के सदस्यों के प्रयास द्वारा या मुद्रा हस्तांतरण द्वारा प्राप्त किया जाता है।

21. पारिवारिक आय (Family Income)

उत्तर⇒ परिवार के सभी सदस्यों की सम्मिलित आय को पारिवारिक आय कहते हैं। पारिवारिक आय के अंतर्गत मासिक वेतन, मजदूरी, पेंशन, ब्याज एवं लाभांश, किराया, भविष्य निधि, ग्रेच्युटी आदि को शामिल किया जाता है।

22. बॉण्ड्स (Bonds)

उत्तर⇒ यह सरकारी, गैर सरकारी कम्पनियों द्वारा निश्चित अवधि के लिए निर्गमित किये जाते हैं। इस पर अधिक ब्याज मिलता है, परंतु जमाराशि की सुरक्षा की सरकार की गारंटी नहीं होती है। इसके बावजूद कम्पनी की साख के अनुसार इनके बॉण्ड्स काफी प्रचलित हैं। ये बॉण्ड्स शेयर बाजार के दलालों द्वारा खरीदे तथा बेचे जाते हैं। कुछ सरकारी बॉण्ड्स जैसे—रेलवे, रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया के बॉण्ड्स पूर्णरूप से आयकर से मुक्त होते हैं।

23. रंग चक्र (Colour Wheel)

उत्तर⇒  (i) प्राथमिक रंग ये प्रथम श्रेणी के मुख्य रंग होते हैं। जैसे लाल, पीला व नीला रंग।
(ii) द्वितीयक तथा माध्यमिक रंग- ये दूसरी श्रेणी के रंग होते हैं। ये रंग दो प्राथमिक रंगों को मिलाकर बनाये जाते हैं। जैसे—हरा, बैंगनी, केसरी। पीला और नीला रंग समान मात्रा में मिलाने से हरा रंग बनता है लाल एवं नीला से बैंगनी रंग बनता है तथा लाल और पीला मिलाने से, केसरी रंग बनता है।
(ii) मध्यवर्ती रंग मध्यवर्ती रंग प्राथमिक रंगों तथा माध्यमिक रंगों को मिलाकर बनते हैं। जैसे—लाल-केसरी, लाल-बैंगनी, पीला-केसरी, नीला-हरा, पीला-हरा।

24. वैसे उत्पाद के नाम लिखें जिनमें आई० एस० आई० चिन्ह हो। (Write the name of products which have I.S.I. mark.)

उत्तर⇒आई० एस० आई० चिन्ह वाले कुछ प्रमुख उत्पाद निम्नलिखित हैं। जैसे-साबुन, गैस का चूल्हा, सिलेन्डर, विद्युत उत्पाद, सीमेंट, साधारण नमक, बिस्कुट, मिल्क पाउडर, मिनरल वाटर इत्यादि।

25. भविष्य निधि योजना। (Provident Fund Scheme)

उत्तर⇒ यह नौकरी करने वाले व्यक्तियों के लिए अनिवार्य योजना है। इसके अंतर्गत प्रति मास वेतन में से एक निश्चित राशि भविष्य निधि में जमा करवा दी जाती है। आवश्यकता पड़ने पर विभिन्न उचित कार्य जैसे विवाह, शिक्षा, घुमने आदि के लिए तीन मास के वेतन जितनी . राशि ऋण के रूप में मिल सकती है जिसका भुगतान कर्मचारी आसान किस्तों में करता है।

26. विज्ञापन क्या है ? (What is Advertisement ?)

उत्तर⇒ विज्ञापन द्वारा विक्रेता का उत्पाद कम्पनी उपभोक्ता को अपने माल की सूचना देने और बिक्री बढ़ाने के उद्देश्य से इसका सहारा लेते हैं। विज्ञापन का अच्छा असर उपभोक्ताओं पर पड़ता है। खासतौर से जबकि विज्ञापन देखने में अच्छे, सचित्र और अच्छे शब्दों या नारों के रूप में हो। निर्माताओं का यह फर्ज बनता है कि वे अपने माल की बिक्री बढ़ाने के उद्देश्य से झूठा
और भ्रामक प्रचार न करे।

27. ECO मार्क क्या है ? (What is ECO mark ?)

उत्तर⇒ Egg Control Organisation

28. समय व्यवस्थापन (Time Management)

उत्तर⇒ न्यूनतम समय में अधिकतम कार्यों को गुणवतापूर्वक सम्पन्न करना ताकि व्यक्ति एवं पारिवारिक लक्ष्यों की प्राप्ति हो सके, समय व्यवस्थापन कहलाता है।

29. मौद्रिक आय (Money Income)

उत्तर⇒ परिवार के सभी सदस्यों को एक निश्चित समय में कार्य करने के बाद मुद्रा के रूप में जो. आय प्राप्त होती है, उसे मौद्रिक आय कहते हैं।

30. वास्तविक आय (Real Income)

उत्तर⇒ किसी विशेष अवधि में प्राप्त होने वाले सामान या सेवा को वास्तविक आय कहते हैं। ऐसी वस्तुओं, सेवाओं तथा साधनों के लिए परिवार को मुद्रा व्यय नहीं करनी पड़ती हैं परंतु इनके प्राप्त न होने पर अपनी मौद्रिक आय से व्यय करना पड़ता है।

31. खनिज धब्बे क्या हैं ? (What is mineral stains ?)

उत्तर⇒ खनिज पदार्थों से लगे धब्बों को खनिज धब्बे कहते हैं। जैसे—जंग, स्याही तथा औषधियों द्वारा लगे धब्बे खनिज धब्बे हैं। इन धब्बों को दूर करने के लिए हल्के अम्ल का प्रयोग करते हैं तथा इसके बाद हल्का क्षार लगाकर वस्त्र पर लगे अम्ल के प्रभाव को दूर कर दिया जाता है।

32. प्राणिज्य धब्बे क्या हैं ? (What is animal stains ?)

उत्तर⇒ प्राणिज्य पदार्थों के द्वारा लगने वाले धब्बों को प्राणिज्य धब्बे कहते हैं। जैसे-अण्डा, दूध, मांस, मछली आदि। इन खाद्यों के धब्बों में प्रोटीन होता है। अतः इन धब्बों को छुड़ाने के समय गर्म पानी का प्रयोग नहीं करना चाहिए। गर्म पानी से ये धब्बे पके हो जाते हैं। इन्हें ठण्डे पानी से रगड़कर साफ किया जा सकता है।

33. चिकनाई के धब्बे बताएँ। (Mention about grease stains.)

उत्तर⇒ घी, तेल, मक्खन, क्रीम, रसेदार सब्जी, पेंट, वार्निश, तारकोल आदि पदार्थों से लगने वाले धब्बे चिकनाई के धब्बे होते हैं। इन धब्बों को दूर करने के लिए ऐसे घोलकों का प्रयोग किया जाता है, जिसमें वे घुल जाए।

34. अपमार्जक क्या है ? (What is Detergent ?)

उत्तर⇒ अपमार्जक के रूप में साबुन, रीठा, शिकाकाई आदि का प्रयोग किया जाता है। आजकल रासायनिक विधि से बनाए अपमार्जक उपलब्ध हैं। इनका प्रयोग रेशमी एवं कीमती वस्त्रों पर हो रहा है। रीठा एवं शिकाकाई का प्रयोग प्राचीनकालीन है।

35. वानस्पतिक धब्बा क्या है ? इसे कैसे हटाया जाता है? (What is botanical spot ? How does it removed ?)

उत्तर⇒ पेड-पौधों से प्राप्त पदार्थों द्वारा लगनेवाले धब्बे वानस्पतिक धब्बे कहे जाते हैं, जैसे—चाय, कॉफी, फल, फूल तथा सब्जियों के धब्बे। इसे क्षारीय माध्यमों द्वारा हटाया जाता है। क्षारीय अभिकर्मक बोरेक्स, सुहागा, अमोनिया एवं वाशिंग सोडा हैं। सब्जी एवं हल्दी के धब्बे साबुन, जैबेल घोल द्वारा छुड़ाए जाते हैं। फल एवं सब्जी के धब्बे सहागा और नमक के घोल से भी छुट जाते हैं।

36. प्राथमिक रंग (Primary Colour)

उत्तर⇒ ये प्रथम श्रेणी के मुख्य रंग हैं। यह किसी रंग को मिलाने से नहीं बनता है। जैसे लाल, पीला और नीला रंग।

37. प्राकृतिक तंतु (Natural Fibres)

उत्तर⇒  जो तंतु. हम प्रकृति से प्राप्त करते हैं, उसे प्राकृतिक तंतु कहते हैं। जैसे-कुछ पर-पौधों से, कुछ जानवरों और कीड़ों से प्राप्त होते हैं। ये तीन प्रकार के होते हैं

(i) वनस्पति-कपास, लिनन, कापोक, जूट, हेम्प, नारियल, सन।
(ii) प्राणिज-रेशम, ऊन
(ii) खनिज-सोना, चाँदी, स्टील, ससबेस्टस।

38. तंतु या रेशे (Fibre)

उत्तर⇒ तंतु वस्त्र निर्माण की मूलभूत इकाई है। तंतु आकार में बहुत छोटी-छोटी इकाई के रूप में रहते हैं। कई तंतुओं को मिलाकर सूत बनता है, जिससे वस्त्र तैयार होता है।

39. कपड़ों की वार्षिक देखभाल (Annual care of clothes)

उत्तर⇒ वस्त्रों का उपयोग प्रतिदिन होता है। लेकिन कुछ वस्त्र ऐसे होते हैं जिनका उपयोग कम अथवा कभी कभी अथवा मौसम के अनुसार होता है। अतः इनकी देखभाल भी दैनिक ना होकर वार्षिक होती है, जैसे-ऊनी तथा रेशमी वस्त्र।

40. स्टार्च लगाना (कड़ा करना) (Starching)

उत्तर⇒ वस्त्रों पर कड़ापन लाने एवं नवीन रूप प्रदान करने के लिए कलफ लगाने की विधि को स्टार्च लगाना कहते हैं।

41. विटामिन (Vitamin)

उत्तर⇒  विटामिन शरीर को विभिन्न रोगों से सुरक्षा प्रदान करती है तथा शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करती है। शरीर के उत्तम स्वास्थ्य के लिए यह आवश्यक होते हैं। विटामिन एक प्रकार का रासायनिक तत्त्व होता हैं जो शरीर में बहत ही अल्पमात्रा में पाए जाते हैं। यह छः प्रकार के होते हैं जैसे-A, B, C, D, E एवं KI ये शरीर में भिन्न-भिन्न कार्य करते हैं।

42. खमीरीकरण (Fermentation)

उत्तर⇒ यह वह प्रक्रिया है जिसमें कुछ सूक्ष्मजीवों को भोजन में मिलाया जाता हैं। इस तरह खमीरीकरण की प्रक्रिया से पौष्टिक तत्त्वों में परिवर्तन आ जाता है तथा नवीन पौष्टिक तत्त्व बढ़ जाते हैं। इससे दही, खमन, ढोकला, इडली, डोसा आदि बनते हैं।

43. अंकुरीकरण (Germination)

उत्तर⇒ अंकुरीकरण वह प्रक्रिया हैं जिसमें दाल तथा अनाजों में छोटे-छोटे अंकुर निकल आते हैं जब इनको थोड़े पानी में भिंगोकर रखा जाता है।

44. जीवन बीमा (Life Insurance)

उत्तर⇒ जीवन बीमा बचत का उत्तम साधन है। यह जीवन-बीमा निगम द्वारा किया गया एक बंधपत्र (Agreement) है, जिसमें भविष्य में अनिश्चित विपत्तियों या घटना घटने पर बीमाधारक को या उसके उत्तराधिकारी को एक पूर्व निश्चित धनराशि निगम द्वारा प्रदान की जाती है।

45. प्रोटीन के कार्य लिखें। (Write functions of protein.)

उत्तर⇒ प्रोटीन के कार्य प्रोटीन के कार्य नवीन तंतु का निर्माण, तंतु का मरम्मत, मानसिक शक्ति बढ़ाना, ऊर्जा और उष्मा का उत्पादन, हार्मोन का निर्माण, पाचक रसों का निर्माण तथा त्वचा को स्वस्थ रखना है।

46. जल की उपयोगिता बताइये। (Explain about utility of water.)

उत्तर⇒ जल का प्रयोग पीने, भोजन पकाने, सफाई करने, नहाने व गंदगी को बहा ले जाने के उद्देश्य से करते हैं। प्राणी के शरीर को ऑक्सीजन के बाद जल की ही सबसे अधिक आवश्यकता होती है।

47. रसोईघर को स्वच्छ रखने के चार उपाय लिखिए। (Write down four methods to keep the kitchen clean.)

उत्तर⇒ रसोईघर साफ रखने के चार उपाय निम्नलिखित हैं

(i) रसोईघर सदा प्रकाशमय व हवादार होना चाहिए जिससे दुर्गन्ध नहीं आती तथा अंधेरे कोने में रहने वाले कीड़े-मकोड़े भी पैदा नहीं होते।
(ii) रसोईघर के दरवाजे व खिड़कियों में जाली लगी होनी चाहिए ताकि मक्खियाँ अंदर न आ सके।
(iii) रसोईघर के स्लेब व जमीन सरलता से साफ होने वाला होने चाहिए। भोजन के टुकड़ों को साथ-साथ फेंक देना चाहिए। इससे तिलचट्टे तथा चूहे दूर रहते हैं।
(iv) भोजन पकाने की बर्तन साफ करने के लिए भरपूर ठंडा तथा गर्म पानी उपलब्ध होना चाहिए।

48. शुद्ध तथा अशुद्ध जल में क्या अंतर है ? (What is difference between pure and impure water?)

उत्तर⇒ शुद्ध तथा अशुद्ध जल में निम्नलिखित अंतर हैं-

शुद्ध जल अशुद्ध जल
(i) यह जल स्वच्छ, रंगहीन तथा चमकीला होता है। (i) यह गंदा, रंगीन तथा मटमैला होता है।
(ii) इसमें किसी प्रकार का मिठास, नमक एवं खारापन नहीं होता। (ii) इसमें किसी-न-किसी प्रकार के कैल्सियम अथवा मैग्नीशियम आदि तत्त्व होने के कारण खारापन होता है।
(iii) यह कीटाणुरहित होता है। (ii) यह कीटाणुयुक्त होता है।
(iv) इस जल में घुले पदार्थ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं होते। (iv) इसका प्रत्येक पदार्थ हानिकारक होता है
(v) चूनारहित होने के कारण यह हलका या मृदु जल कहलाता है। (v) चूना होने के कारण यह भारी या कठोर जल कहलाता है।
(vi) यह अवलंबित अशुद्धियाँ छोटे-छोटे लकड़ी के टुकड़े, रेत, मिट्टी के कण तथा सूक्ष्म कीड़े आदि से रहित होती हैं | (vi) सामान्यतः इसमें अवलंबित अशुद्धियाँ होती हैं।
(vii) यह शुद्ध जल पीने योग्य होता है। (vii) अशुद्ध जल पीने योग्य नहीं होता है।

49. हिमीकरण क्या होता है ? (What is freezing ?)

उत्तर⇒ हिमीकरण हिमीकरण में खाद्य पदार्थों को इतना ठंढा किया जाता है कि वे बर्फ की तरह जम जाते हैं जिससे खाद्य पदार्थों के जीवाणुओं एवं एन्जाइम निष्क्रिय हो जाते हैं और वे अधिक समय तक खराब नहीं होते हैं। इस विधि में वैसे फल एवं सब्जियाँ संरक्षित किये जाते हैं, जो पकाने पर पिलपिले नहीं होते हैं। पैकिंग करने में बॉक्स पेपर, पोलीथीन, सेलोफेन एवं टीन-फॉयल आदि प्रयुक्त किये जाते हैं। इससे बँधे खाद्य पदार्थों को हिमीकरण यंत्र में रख दिया जाता है। इसका तापक्रम 30° F से 35° F तक रहता है।

50. वसा के कार्यों को लिखिए। (Write the fiunctions of fats.)

अथवा, वसा क्या है ? इसके कार्य एवं प्राप्ति के साधन लिखिए।
Or, (What is fats ? Write its functions & sources.)

उत्तर⇒ वसा- वसा में कार्बन, ऑक्सीजन और हाइड्रोजन होते हैं। वसा के ग्रहण से शरीर . में शक्ति और गर्मी उत्पन्न होती है। इसमें कार्बोहाइड्रेट से ढाई गुनी अधिक शक्ति और गर्मी प्रदान करने की क्षमता है। यह चरबीदार अम्ल और ग्लिसरिन का मिश्रण है।

वसा के कार्य- वसा के निम्नलिखित कार्य हैं-

(i) शरीर को ऊष्मा और ऊर्जा प्रदान करना।
(ii) शरीर की बाहरी रचना को सुडौल और सुगठित रूप देना।
(iii) शरीर को चिकना रखना।
(iv) विटामिनों की प्राप्ति।
(v) शीत से रक्षा करना और अधिक श्रम करने की क्षमता देना।

वसा प्राप्ति के साधन- सरसों, नारियल, मूंगफली, तिल, बादाम, सूखे मेवे, मछली, चरबी, अण्डे, घी, मक्खन आदि से वसा प्राप्त होते हैं।

51. शरीर में जल का क्या कार्य है ? (What is the function of trater in the body ?)

उत्तर⇒ शरीर में जल का निम्नलिखित कार्य है-

(i) शरीर का निर्माण कार्य- शरीर के पूरे भार का 56% भाग जल का होता है। गुर्दे में 83%, रक्त में 85%, मस्तिष्क में 79%, मांसपेशियाँ में 72%, जियर में 70% तथा अस्थियाँ में 25% जल होता है।

(ii) तापक्रम नियंत्रक के रूप में- जल शरीर के तापक्रम को नियंत्रित रखता है।
(iii) घोलक के रूप में- यही माध्यम है जिससे पोषक तत्त्वों को कोषों तक ले जाया जाता है तथा चयापचय के निरर्थक पदार्थों को निष्काषित किया जाता है। पाचन क्रिया में जल का प्रयोग होता है। मूत्र में 96% जल होता है। मल-विसर्जन में इसकी आवश्यकता होती है। इसकी कमी से कब्जियत होती है।

(iv) स्नेहक कार्य- यह शरीर के अस्थियों के जोड़ों में होने वाले रगड़ से बचाता है। संधियों के चारों तरफ थैलीनुमा ऊतक में यह उपस्थित होता है, जिसके नष्ट होने से संधियाँ जकड़ जाती हैं।

(v) शरीर के निरूपयोगी पदार्थों को बाहर निकालना- शरीर के विषैले पदार्थों को मूत्र तथा पसीने द्वारा यह बाहर निकालने में सहायक होता है।

52. प्रत्यक्ष आय एवं अप्रत्यक्ष आय। (Direct income and indirect income.)

उत्तर⇒ प्रत्यक्ष आय-प्रत्यक्ष आय उन सभी वस्तुओं और सेवाओं से प्राप्त आय को कहते हैं जो एक परिवार को बिना मुद्रा व्यय के प्रत्यक्ष रूप से प्राप्त होती हैं जैसे-मुफ्त घर, निःशल्क शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएँ आदि।

अप्रत्यक्ष आय-अप्रत्यक्ष आय उन सभी वस्तुओं और सेवाओं से प्राप्त आय को कहते हैं जो मौद्रिक आय के माध्यम से प्राप्त होता है जैसे-कपड़ा टिकाऊ एवं सस्ता खरीदना आदि।

53. बचत खाता (Saving Account)

उत्तर⇒ बचत खाते में बैंक जमा धारक को चेक बुक तथा पासबुक प्रदान करती है। इसे अकेले या दो व्यक्ति संयुक्त रूप से खोल सकते हैं। बैंक निश्चित दर पर जमा राशि पर ब्याज देती है। सैलरी अकाऊंट इसी प्रकार के खाते के अंतर्गत आता है। यह खाता साधारण स्थिति वाले व्यक्ति के लिए सुलभ और लाभप्रद है।

54. अमानवीय संसाधन (Non-Human Resources)

उत्तर⇒ इसके अंतर्गत वैसी सुविधाएँ आती हैं जिन्हें हम पैसा देकर या धन देकर प्राप्त करते है। इसके अंतर्गत भौतिक साधन (मकान, वस्त्र, उपकरण, चल तथा अचल सम्पत्ति) तथा सामुदायिक सुविधाएँ (पार्क, अस्पताल, डाक सेवा, रेल तथा बस सेवाएँ, बिजली, पानी) आती हैं।

55. बचत (Saving)

उत्तर⇒ आय का वह अंश जो व्यक्ति बचाता है, बचत कहलाता है। बचत व्यक्ति की आय का वह भाग है जो भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बचाकर रखा जाता है। कुल आय में से व्यय को घटा देने से जो कुछ शेष बचता है वह बचत कहलाता है।

56. निवेश (Investment)

उत्तर⇒ जिस बचत राशि पर ब्याज अथवा प्रीमियम प्राप्त होता है, उसे निवेश या विनियोग कहते हैं। आय का वह भाग जो प्रतिमाहं या प्रतिवर्ष किसी सुव्यवस्थित योजना में लगाते हैं और जिसमें हमें आय होती है, निवेश कहलाता है।

57. चेक बुक (Cheque Book)

उत्तर⇒  बैंक में खाता खोलने के बाद खाताधारी को बैंक चेक बुक देती है। चेक बुक के द्वारा पैसा निकासी की जा सकती है। चेक के द्वारा एक-दूसरे से पैसे का लेन-देन किया जा सकता है।

58. बैंक खाता से क्या लाभ है ? (What are the advantages of bank account ?)

उत्तर⇒ बैंक खाता से निम्न लाभ होते हैं

(i) बैंक में जमा रुपयों पर ब्याज मिलता है।
(ii) बैंक कम खर्च करना सिखाता है। अपने पास रुपये रखने से कुछ न कुछ खर्च हो । जाने की संभावना बनी रहती है।
(iii) बैंकों द्वारा रुपयों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा तथा मँगाया जा सकता है।
(iv) बैंकों में रुपया रखने पर चोरी की संभावना नहीं रहती है।
(v) बैंक में रुपये रखने पर ही लॉकर सुविधा प्राप्त होती है।

59. घरेलू हिसाब-किताब से लाभ (Advantages of keeping Domestic Calculation)

उत्तर⇒ लाभ निम्न हैं-

(i) इससे अधिक व्यय करने से बचा जा सकता है।
(ii) लाभ का रिकार्ड रखने से परिवार की कुल आय व व्यय को जाना जा सकता है।
(iii) उधार लेने की आदत से बचा जा सकता है।
(iv) आय और व्यय में संतुलन बनाये रखना सरल हो जाता है।
(v) अपव्यय को कम किया जा सकता है।

60. घरेलू लेखा-जोखा कितने प्रकार का होता है ? (How many types of Household accounts ?)

उत्तर⇒ घरेलू लेखा-जोखा तीन प्रकार से किया जाता है-

(i) दैनिक हिसाब लिखना- इसमें विभिन्न मद में किये गए खर्च का लेखा-जोखा रहता है।
(ii) साप्ताहिक एवं मासिक हिसाब– इसमें सप्ताह में या माह में किये गए व्यय का लेखा-जोखा रहता है।
(iii) वार्षिक आय-व्यय और बचत का रिकार्ड- इसमें सभी स्रोतों से प्राप्त आय का हिसाब एक तरफ रहता है और दूसरी तरफ व्यय का हिसाब रहता है जिसमें आकस्मिक खर्च, टैक्स, बचत आदि सभी का ब्योरा रहता है।

61. वस्त्रों को प्रभावित करने वाले तत्त्व (Factor’s affecting the selection of clothes)

उत्तर⇒ वस्त्रों के चयन को प्रभावित करने वाले निम्न तत्त्व हैं-

(i) फैशन, (ii) आर्थिक स्थिति, (iii) अवसर, (iv) व्यक्तित्व, (v) जलवायु, (vi) आयु, (vii) व्यवसाय, (viii) शारीरिक बनावट।

62. रेडीमेड वस्त्र (Readymade Gaments)

उत्तर⇒  आज बढ़ती हुई महँगाई के कारण कपड़ों की कीमत तथा सिलाई दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। आज बाजार में विभिन्न प्रकार के बने बनाए वस्त्र कम कीमत में बहुतायत मात्रा में उपलब्ध हैं। आज उपभोक्ता को रेडीमेड उपलब्ध वस्त्रों में से चयन का मौका मिलता है। रेडीमेड वस्त्र बड़े-बड़े शोरूम से लेकर फुटपाथ तक सभी जगह मिलते हैं। यही नहीं रेडीमेड वस्त्रों की भिन्न-भिन्न किस्मों के कारण इनका व्यापार अधिक बढ़ गया है।

63. धुलाई मशीन (Washing Machine)

उत्तर⇒ धुलाई मशीन के वास्तविक मूल्य की गणना समय तथा ऊर्जा बचाने की शर्तों के साथ-साथ धन विनियोग के रूप में की जाने लगी है। धुलाई मशीन समय एवं शक्ति बचाने का महत्त्वपूर्ण साधन मानी जाती है। यह विद्युत चालित होती हैं तथा कई वस्त्र इसमें एक साथ धोए जा सकते हैं।

64. सूती वस्त्रों का संग्रह कैसे करें ? (How can we store the cotton clothes ?)

उत्तर⇒ सूती वस्त्रों का संग्रह निम्न प्रकार से कर सकते हैं।

(i) अलमारी में ठीक प्रकार से तह लगाकर रखें।
(ii) वस्त्रों को पूरी तरह से सुखाकर रखें।
(iii) विभिन्न प्रकार के कपड़े अलग-अलग ढेर में रखें।
(iv) वस्त्रों का संरक्षण करते समय उसमें स्टार्च न लगाएँ।
(v) दुर्गन्ध नाशक का प्रयोग करें।

65. कपड़े की शीट्र मरम्मत क्यों आवश्यक हैं? (Why immediate repair of dress is necessary ?)

उत्तर⇒ कपडे की शीघ्र मरम्मत करवाने के निम्नलिखित कारण हैं-

(i) शीघ्र मरम्मत नहीं करवाने से कपड़े फट सकते हैं।
(ii) फटा कपड़ा बेतरतीब दीखता है।
(iii) फटे कपड़े से अंग दिखाई पड़ते हैं।

66. सिले-सिलाए वस्त्र कितने प्रकार के होते हैं ? (What are the types of Readymade Garment ?)

उत्तर⇒ सिले-सिलाए वस्त्र निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं-

(i) बाह्य वस्त्र- यह निम्नलिखित होते हैं—कार्य करने के वस्त्र, यूनीफार्म, आराम के वस्त्र, खेल के वस्त्र, सूट, पैंट, ड्रेस, स्त्रियों के सूट, ब्लाऊज, ब्लेजर, जैकेट, कार्डीगन, पुलोवर, कोट, स्कर्ट, शर्ट, जीन्स, टाई, नहाने के वस्त्र, ट्रेक सूट आदि।
(ii) अन्तः वस्त्र- यह निम्नलिखित होते हैं जर्सी, नीचे पहने जाने वाले पैंट, मौजे, स्टाकिंग, ब्रा, पेन्टी, आदि।

67. भविष्य निधि में धन रखने के क्या लाभ हैं ? (What are the advantages of keeping wealth or money in Provident Fund ?

उत्तर⇒  यह सरकारी या गैर-सरकारी सेवा में कार्यरत कर्मियों के लिए अनिवार्य योजना है। इसके अंतर्गत प्रति माह वेतन में से एक निश्चित राशि इस योजना में जमा कराई जाती है। आवश्यकता पड़ने पर विभिन्न कार्यों जैसे बच्ची का विवाह, शिक्षा, घूमने आदि के लिए उससे राशि ऋण के रूप में संस्थान प्रधान द्वारा प्राप्त होती है। भविष्य निधि में धन रखने के निम्नलिखित लाभ हैं-

(i) धन सुरक्षित रहता है।
(ii) धन ब्याजसहित वापस प्राप्त होता है।
(iii) आवश्यकता पड़ने पर सरलता से ऋण प्राप्त होता है।

68.F.P.O से आप क्या समझते हैं ? (What do you mean by F.P.O.?)

उत्तर⇒ F.P.O. द्वारा फलों और सब्जियों की गुणवत्ता का न्यूनतम स्तर आवश्यक रूप से रखने का प्रावधान है। कारखानों में तैयार पदार्थों की उचित पैकिंग, मार्का और लेवल होना चाहिए। F.P.o. मार्का वाले पदार्थ निम्नलिखित हैं- जैम, जेली, मामलेड, कैचअप, स्कैवाश, अचार, चटनी, चाशनी, सीरप आदि।

69. आई० एस० आई० क्या है ? चार खाद्य पदार्थों के नाम लिखें जिन पर आई० एस० आई० चिह्न हों।

(What is I.S.I. ? Give the names of four food products having I.S.I. mark.)

उत्तर⇒ आई० एस० आई० (I. S. I.)- यह चिह्न पदार्थों की शुद्धता की गारन्टी देता है। भारतीय मानक संस्थान द्वारा निम्नलिखित विश्वास दिलाए जाते हैं –

उपभोक्ता को पदार्थ की गुणवत्ता, सुरक्षा तथा स्थिरता के आश्वासन के लिए विभिन्न प्रकार के उपभोक्ता पदार्थों पर आई० एस० आई (I.S.I.) चिह्न लगाया जाता है। कुछ भी खरीदने के पूर्व सामान की गुणवत्ता हेतु यह चिह्न अवश्य देख लेना चाहिए।

पदार्थों के नाम जिन पर I. S. I. चिह्न अंकित होते हैं-

(i) L.P.G.
(ii) बाल आहार,
(iii) बिस्कुट और
(iv) छत के पंखें।

70. घरेलू बजट का क्या महत्त्व है ? (What are the importance of House Budget ?)

उत्तर⇒ घरेलू बजट किसी भी घर के परिवार का आर्थिक दपर्ण होता है। इसका महत्त्व निम्न हैं आय व्यय में संतुलन, बजट के अनुसार व्यय, बजट बनाने से बचत, बजट के अनुसार खच, सीमित आय में अधिकतम आवश्यकताओं की पूर्ति तथा परिवार को कर्ज नहीं लेना पड़ता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1.सिले-सिलाये (रेडीमेड) वस्त्र खरीदते समय किन-किन बातों पर ध्यान रखना चाहिए ?

(What should be taken care at the time of purchasing readymade clothes?)

उत्तर⇒ सिले-सिलाये वस्त्र खरीदने से कई लाभ होते हैं। सिले-सिलाये वस्त्र खरीदने से वस्त्र कम समय में उपलब्ध हो जाते हैं। आजकल अधिकांश लोग रेडीमेड वस्त्र ही खरीदना पसंद करते हैं। रेडीमेड वस्त्र खरीदते समय निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिए-

(i) सीवन- रेडीमेड वस्त्र खरीदते समय उलट-पुलट कर देख लें कि कपड़े का जोड़ सफाई से लगा हो, सिलाई मजबूत हो, कपड़े का दबाव ऐसा हो जिसे जरूरत पड़ने पर बढ़ाया जा सके, किनारों पर पिको हो।

(ii) तूरपन- रेडीमेड वस्त्र पर तुरपन इकहरे धागे से एवं पास-पास हो, तुरपन उसी रंग के धागे से हो जिस रंग का वस्त्र है।

(iii) प्लैकेट या बटन की पट्टी- वस्त्रों पर बटन पट्टी के अनुरूप लगायी गयी हो। पट्टी लगाते समय वस्त्रों पर झोल न पड़े। बटन या हुक पास-पास लगे हो।

(iv) बटन, हुक, काज- बटन पट्टी पर लगे बटन, कपड़े के रंग से मेल खाते हुए हो। काज पूर्ण रूप से सही तरह से भरा होना चाहिए।

(v) आकर्षक- रेडीमेड वस्त्रों को आकर्षक बनाने के लिए उन पर मोती, सितारे, कढ़ाई, टाइपिन, फ्रिल, लेस आदि लगाये जाते हैं। यह देखने में आकर्षक हो। यह पहनने वाले व्यक्ति पर अच्छा लगेगा या नहीं।

2. शिशुओं के वस्त्रों के चुनाव आप किस प्रकार करेंगी ? (How can you select children cloths ?)

उत्तर⇒ शिशुओं के लिए वस्त्रों का चुनाव निम्न प्रकार से करेंगे

(i) शिशु के लिए सूती कपड़ा सबसे अच्छा होता है। सूती वस्त्र में भी कोमल तथा हल्का वस्त्र शिशु की कोमल त्वचा को क्षति नहीं पहुँचाता। सूती वस्त्र में सरंध्रता (porous) होने के कारण शिशु की त्वचा की पसीना सोख लेता है, उसे चिपचिपा नहीं होने देता। शिशुओं के लिए रेशमी या नायलान वस्त्र कष्टदायक होता है।

(ii) शिशु के वस्त्रों को बार-बार गंदे होने के कारण कई बार धोना पड़ता है। इसलिए शिशुओं के वस्त्र ऐसी होनी चाहिए जिन्हें बार-बार धोया तथा सुखाया जा सके। वस्त्र ऐसा नहीं होना चाहिए जिसे घर में धोया जा सके या जिसे सूखने में बहुत अधिक – समय लगता हो।

(iii) शिशुओं के वस्त्र हमेशा साफ तथा कीटाणुरहित होना चाहिए। वस्त्रों को कीटाणुरहित करने के लिए उन्हें गर्म पानी में धोना चाहिए तथा डेटॉल के पानी में भिगोना चाहिए। इसलिए वस्त्र ऐसा होना चाहिए जो गर्म पानी तथा डेटॉल या कीटाणुनाशक पदार्थ को सहन कर सके।

(iv) उसके गर्म कपड़े भी ऐसे होने चाहिए. जो गर्म पानी में सिकुड़े नहीं।

(v) शिशुओं के कपड़ों की संख्या अधिक होनी चाहिए क्योंकि उसके कपड़े गंदे हो जाने पर कई दिन में कई बार बदलने पड़ते हैं।

(vi) शिशुओं के कपड़े मांड रहित होने चाहिए तथा इलास्टिक वाले नहीं होने चाहिए।

(vii) शिशुओं के कपड़े सामने, पीछे या ऊपर की ओर खुलने चाहिए, जिससे शिशु को सिर से कपड़ा न डालना पड़े।

(viii) शिशुओं के वस्त्रों में पीछे की ओर बटनों के स्थान पर कपड़े से बाँधने वाली पेटियाँ (ties) या बंधक होने चाहिए क्योंकि बटन पीछे होने से शिशु के लेटने पर उसे चुभ सकते हैं।

(ix) शिशुओं के कपड़ों के रंग व डिजाइन अपनी रुचि के अनुसार होने चाहिए, परंतु रंग ऐसा होना चाहिए जो धोने पर निकले नहीं क्योंकि शिशु के वस्त्रों को अधिक धोना पड़ता है।

(x) शिशुओं के वस्त्रों में मजबूती का इतना महत्त्व नहीं होता है क्योंकि शिशुओं की वृद्धि बहुत तीव्र गति से होती है। जब तक शिशु के कपड़ों के फटने की स्थिति आती है वे छोटे हो चुके होते हैं।

3. वस्त्रों की देखरेख और उसका संचयन आप किस प्रकार करेंगी? (How will you care and storage of clothes ?)

उत्तर⇒ वस्त्रों की देखरेख और उसका संचयन निम्नलिखित विधि से करना चाहिए

(i) ब्रश करना और धूप-हवा दिखाना- मोटे सूती या ऊनी वस्त्रों को उतारकर टाँगने के पूर्व मुलायम ब्रश से झाड़कर, पसीना लगे वस्त्र को धूप हवा लगाने के बाद संचयन करना चाहिए।

(ii) स्वच्छ संरक्षण- सभी वस्त्रों को अल्प या अधिक समय के लिए सहेज कर रखना पड़ता है। अलमारी के भीतर फिनाइल की गोली, नीम की सुखी पत्तियाँ, कीटनाशक. पदार्थ अवश्य डाल देना चाहिए। इसके अतिरिक्त अलमारी की सफाई एवं पॉलिश समय-समय पर करना चाहिए।

(iii) तत्क्षण मरम्मत- प्रयोग के दरम्यान प्रायः वस्त्रों की सिलाई उघड़ जाती है या खोंच लगकर फट जाती है। इसे तुरत मरम्मत कर लेना चाहिए।

(iv) दाग छुड़ाना एवं धुलाई की उचित विधि- वस्त्रों पर खाने-पीने या अन्य वस्तुओं – के दाग लग जाते हैं। इन्हें छुड़ाने के लिए कई प्रकार की विधियाँ अपनाई जाती है। जो विधि एवं अपमार्जक जिस वस्त्र के लिए उपयुक्त हो उसका प्रयोग करें।

(v) विधिपूर्वक सुखाना- आजकल बाजार में ऑटोमेटिक ड्रायर उपलब्ध है। किन्तु, सभी वस्त्रों को ड्रायर में सुखाना उचित नहीं है। अतः कपड़े को धूप-छाँव आदि में विधिपूर्वक ही सुखाना चाहिए।

(vi) विधिपूर्वक इस्तिरी करना- वस्त्रों पर उचित विधि से इस्तिरी करना आवश्यक है। रासायनिक रेशों पर अधिक गर्म इस्तिरी के प्रयोग से वे जल जाते हैं। अत: उन पर हल्की गर्म इस्तिरी का प्रयोग करना चाहिए।

4. वस्त्रों के धुलाई के सामान्य नियम क्या है ? (What are the general methods/principles of cleaning of clothes ?)

उत्तर⇒ वस्त्रों की धुलाई के सामान्य नियम निम्नलिखित हैं-

(i) मैले वस्त्रों को शीघ्र धोना चाहिए। मैले वस्त्रों को दोबारा पहनने से उनमें मैल जम जाती है जिससे उसे साफ करना कठिन हो जाता है।

(ii) मैले वस्त्र को उतार कर किसी टोकरी, टब या थैले में रखना चाहिए। मैले कपड़े इधर-उधर फेंकना नहीं चाहिए अन्यथा धोते समय एकत्र करने में कठिनाई होती है।

(iii) कपड़ों को धोने से पूर्व उनकी प्रकृति के अनुसार अलग-अलग कर लेना चाहिए। . ऊनी, रेशमी, सूती तथा कृत्रिम तंतुओं से बने वस्त्रों को अलग-अलग विधियों द्वारा धोना चाहिए। सूती तथा रंगीन कपड़ों को भी अलग-अलग करके धोना चाहिए।

(iv) वस्त्रों को धोने से पहले उनकी मरम्मत अवश्य कर लेनी चाहिए तथा उन पर लगे दाग धब्बे को भी सुखाना चाहिए।

(v) धुलाई के लिए कपड़े की प्रकृति के अनुसार ही साबुन तथा डिटर्जेन्ट का चुनाव करना चाहिए।

(vi) वस्त्रों की धुलाई से पूर्व धोने के लिए प्रयोग में आने वाले सभी सामानों को एक स्थान पर एकत्र कर लेना चाहिए।

(vii) वस्त्रों को स्वच्छ पानी में ठीक तरह से धोकर उनमें से साबुन या डिटर्जेंट निकाल देना चाहिए अन्यथा वस्त्र के तंतु कमजोर हो जाते हैं।

(viii) सुखाने के लिए सफेद वस्त्रों को उल्टा करके धूप में सुखाना चाहिए तथा रंगीन वस्त्रों .’ को छाया में सुखाना चाहिए अन्यथा. उनके रंग खराब होने की संभावना रहती है। सफेद वस्त्रों को अधिक समय तक धूप में पड़ा रहने दिया जाय तो उन पर पीलापन आ जाता है।

(ix) सुखाते समय वस्त्रों को हैंगर पर लटका कर सुखाना चाहिए, जिससे उन पर अनावश्यक दबाव न पड़े।

(x) सुखाने के बाद वस्त्रों को इस्तरी करके ही रखना चाहिए।

5. एक किशोरी के लिए परिधानों के चुनाव में किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए ? (What are the points you will keep in your mind while selecting garments for an adolescent girl?)

उत्तर⇒ एक किशोरी के लिए वस्त्र खरीदते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखूगी-

(i) प्रयोजन- वस्त्र प्रयोजन के अनुकूल लूंगी। इसके लिए रेशों की विशेषताओं, उसके गुण, सूत बनाने की विधि, सूत से की गयी बुनाई, उसके गुण-अवगुण तथा विशेषताओं को ध्यान में रखूगी।

(ii) टिकाऊपन- वस्त्र की मजबूती/टिकाऊपन, धागों की बँटाई, वस्त्र की बुनाई एवं उसकी देखरेख पर ध्यान दूंगी।

(ii) ऋतु एवं मौसम से अनुकूलता- मौसम के अनुकूल वस्त्रों को पहनने वाली खरीदूंगी, क्योंकि वस्त्र का कार्य शरीर की गर्मी और सर्दी से रक्षा करना होता है और शरीर के सामान्य तापक्रम को प्रतिकूल परिस्थितियों में बनाये रखता है।

(iv) उचित रंग- रंग हमारी मनोभावनाओं को किसी न किसी रूप में प्रभावित करते हैं। व्यक्ति, त्वचा और समय के अनुरूप रंगों का चुनाव कर वस्त्र खरीदूगी।

(v) वस्त्रों की धुलाई- कुछ वस्त्रों को प्रतिदिन तथा कुछ को यदा-कदा समय-समय पर धोना पड़ता है। कौन-से साबुन किस वस्त्र के सौन्दर्य एवं रंग को नष्ट नहीं करेंगे? कौन से रेशे क्षारीय माध्यम में नष्ट नहीं होते हैं और किन पर अम्लों का बरा प्रभाव पड़ता है? उसी के अनुरूप शोधक सामग्रियों का चुनाव करना अति आवश्यक है।

(vi) वस्त्रों की देखरेख, सुरक्षा एवं संचयन- पहनने के बाद वस्त्रों को किस प्रकार टाँगना है? किस प्रकार के रेशों में कीडे लगते हैं? किसे कितने समय तक बक्से में बंद रखा जा सकता है आदि बातों पर ध्यान देना. अति अनिवार्य है।

(vii) फैशन और शैली- इसका महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। वैसे तो फैशन और शैली में परिवर्तन होते रहते हैं किन्तु वर्तमान में यह किस स्थान के लिए तथा किसके अनुकूल है, इसकी जानकारी आवश्यक होती है।

(vii) किस्म और श्रेणी- वस्त्रों के मूल उद्गम और रचना संबंधी विभिन्न प्रक्रियाओं की जानकारी से उसके किस्म एवं श्रेणी को समझने का अवसर प्राप्त होता है, इससे वस्त्र का प्रयोजनार्थ, उचित चयन की क्षमता बढ़ती है। की मल्य यह अति आवश्यक है। आर्थिक स्थिति के अनुसार महँगे तथा सस्ते वस्त्रों का चयन करूँगी।

6. धब्बे छुड़ाने की प्रमुख विधियाँ क्या हैं ? (What are the important methods for removing stain or spot ?)

अथवा, वस्त्रों पर विभिन्न प्रकार के धब्बों को छुड़ाने की तालिका प्रस्तुत करें। Or, Represent the table for removing different types of stain or spot on clothes.)

उत्तर⇒ धब्बे छुड़ाने की प्रमुख विधियों या वस्त्रों पर विभिन्न प्रकार के धब्बों को छुड़ाने की तालिका

धब्बे सूती तथा लिनन वस्त्रो रेशमी ,उनि तथा कृत्रिम वस्त्रो 
(i) रसदार सब्जी
(घी एवं हल्दी)
स्याही सोख्ता (चूस) ऊपर तथानीचे रखकर इस्तिरी करने से चिकनाई स्याही चूस पर आ जाती है। उसके बाद साबुन तथा गर्म जल से धोकर धूप में सुखानी चाहिए। स्प्रिट, पेट्रोल या मिट्टी तेल का प्रयोग करके इस धब्बे को हटाया जाता है। जैविक घोल में भींगाकर साबुन से धोने से भी धब्बे को हटाया जाता है। हलकी गर्म इस्तिरी से चिकनाई हटाई जाती है। पोटेशियम परमैंगनेट तथा अमोनिया घोलमें बारी-बारी से डुबोकर धब्बे को हटाया जाता है। पेट्रोल, स्प्रिट या मिट्टी के तेल का प्रयोग कर धब्बे को हटाया जाता है।
(ii) चाय या कॉफी उबलता हुआ जल डालने से धब्बे हट जाते हैं। ग्लिसरोल में भींगाने पर भी. धब्बे हट जाते हैं। सोडा या सुहागा फैलाकर उबलता जल उस पर डालने से धब्बे हट जाते हैं। गुनगुने जल में भींगाने तथा
सुहागा के घोल में डालने से
धब्बे हट जाते हैं। हलके
हाइड्रोजन पेरोक्साइड के घोल
में डालने से भी धब्बे हट जाते
हैं।
(iii) रक्त. ठंढे जल से धोने से धब्बे हट जाते हैं। नमक के घोल में डालने से भी धब्बे हट जाते हैं। ठंढे जल से धोने से तथा स्टार्च या मैदा फैलाकर सुखाने के बाद ब्रश से रगड़ने पर धब्बे हट जाते हैं।
(iv) स्याही साबुन तथा जल से धोकर, नींबू तथा नमक रखकर धूप में सुखाने पर, दूध या खट्टे दही में भींगाकर रखने से, पोटेशियम परमैंगनेट के घोल में रखकर, ऑक्जैलिक अम्ल में रखकर तथा जैविक घोल के प्रयोग कर धब्बे
हटाये जाते हैं।
साबुन तथा जल से धोकर नींबू
तथा नमक रखकर धूप में
सुखाने पर तथा हाइड्रोजन
पेरोक्साइड के घोल के प्रयोग
से भी धब्बे हटाये जाते हैं।

7. धुलाई की विभिन्न विधियों के बारे में लिखें। (Write about different methods of washing.)

उत्तर⇒ घरेलू प्रयोग में तथा सभी पारिवारिक सदस्यों के परिधानों में तरह-तरह के वस्त्र प्रयोग में आते हैं। सूती, ऊनी, रेशमी, लिनन, रेयन और रासायनिक भी रहते हैं। धुलाई की उचित विधि के प्रयोग से वस्त्रों का सौन्दर्य स्थायी और टिकाऊ होता है, साथ ही कार्यक्षमता भी बढ़ती है।

कपड़े धोने की विधियाँ

(i) रगड़कर- रगड़कर केवल उन्हीं वस्त्रों को स्वच्छ किया जा सकता है जो मजबूत और मोटे होते हैं। रगड़ क्रिया को विधिपूर्वक करने के कई तरीके हैं। वस्त्र के अनुरूप तरीके का प्रयोग करना चाहिए।

(a) रगड़ने की क्रिया हाथों से घिसकर- रगड़ने का काम हाथों से भी किया जा सकता है। हाथों से उन्हीं कपड़ों को रगड़ा जा सकता है जो हाथों में आ सके अर्थात् छोटे कपड़े।

(b) रगड़ने की क्रिया मार्जक ब्रश द्वारा- कुछ बड़े वस्त्रों को जो कुछ मोटे और मजबूत भी होते हैं, ब्रश से मार्जन के द्वारा गंदगी से मुक्त किया जाता है।।

(c) रंगड़ने की क्रिया घिसने और मार्जन द्वारा- मजबूत रचना के कपड़ों पर ही इस विधि का प्रयोग किया जा सकता है।

(i) हलका दबाव डालकर- हलका दबाव डालकर धोने की क्रिया उन वस्त्रों के लिए अच्छी रहती हैं। जिनके घिसाई और रगड़ाई से क्षतिग्रस्त हो जाने का शंका रहती है। हल्के, कोमल तथा सूक्ष्म रचना के वस्त्रों को इस विधि से धोया जाता है।

(iii) सक्शन विधि का प्रयोग- सक्शन विधि का प्रयोग भारी कपड़ों को धोने के लिए किया जाता है। बड़े कपड़ों को हाथों से गूंथकर तथा निपीडन करके धोना कठिन होता है। जो वस्त्र रगड़कर धोने से खराब हो सकते हैं जिन्हें गूंथने में हाथ थक जा सकते हैं और वस्त्र भी साफ नहीं होता है उन्हें सक्शन विधि की सहायता से स्वच्छ किया जाता है।

(iv) मशीन से धलाई करना- वस्त्रों को मशीन से भी धोया जाता है। धुलाई मशीन कई प्रकार की मिलती है, कार्य प्रणाली के आधार पर ये तीन टाइप की होती हैं सिलेंडर टाइप, वैक्यूम कप टाइप और टेजीटेटर टाइप। मशीन की धुलाई तभी सार्थक होती है जब अधिक वस्त्रों को धोना पड़ता है और समय कम रहता है।

8. वस्त्रों का सामाजिक और मनोवैज्ञानिक महत्त्व क्या है ? (What are the social and psychological importance of garments?)

उत्तर⇒ वस्त्रों का सामाजिक और मनोवैज्ञानिक महत्त्व- किसी व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से जानने से पहले सबसे पहला प्रभाव जो पड़ता है वह उसके परिधानों का होता है। वह व्यक्ति किस तरह से अपने आपको सजाता है, उसके चलने का तरीका, उसके बात करने का तरीका, वह किस तरह से अपने आप को ध्यान रखता है। इन सब बातों पर उसका पूरा व्यक्तित्व निर्भर करता है और यही तथ्य व्यक्तित्व को उभार कर सामने लाते हैं। उस व्यक्ति के परिधान किस हद तक उस व्यक्ति को सामने लाते हैं यह बात पहने गए वस्त्रों के डिजाइन, रंग आदि पर निर्भर करती है।

किंतु, एक प्रश्न हर व्यक्ति के दिमाग में आता है कि आखिर मनुष्य ने कपड़ा पहनना शुरू क्यों किया ? विभिन्न प्रकार की ड्रेस कैसे बनी ?

बहुत से एंथ्रोपालोजिस्ट्स ने इन प्रश्नों के जवाब ढूँढने की कोशिश की है और इसके चलते काफी जानकारियाँ सामने आई हैं। समाज में बहुत से मनोवैज्ञानिकों ने भी अपने-अपने विचार इसमें जोडे हैं। प्रत्येक देश में अपनी-अपनी कथाएँ और मनोविज्ञान. परिधानों के बारे में अलग-अलग
हैं। हम एकदम निश्चित रूप से यह नहीं कह सकते कि आखिर मनुष्य ने कपड़ा पहनना क्यों शुरू किया था ? किंतु कुछ सिद्धांत ऐसे सामने आए हैं जिनके ऊपर बहुत से लोग विश्वास कायम करते हैं और बहुत से नहीं भी करते हैं।

9. रोग प्रतिरक्षण सारणी बताइए। (Explain table of immunization schedule.)

उत्तर⇒रोग प्रतिरक्षण सारणी (Immunization schedule) के अनुसार कौन कौन से टीके कब लगवाये जाते हैं, उनका विवरण निम्न प्रकार हैं-

कब क्या क्यों
16 से 36 सप्ताह टी ० टी ० के दो टीके गर्भवती महिला को लगाए जाते
हैं। इससे माँ और नवजात शिशु
को टेटनस से बचाव होता है।
3 से 9 महीने के
बीच
एक महीने के अंतर पर डी ०
पी ० टी ० के तीन टीके और
पोलियो की तीन खुराके देनी
चाहिए
गलघोंटू (डिप्थीरिया), काली खाँसी
(कुकुर खाँसी, टेटनस और
पोलियो से बच्चे का बचाव।
0 से एक महीने
के बीच
बी ० सी ० जी ० टीका तपेदिक (T.B.) से बचाव के लिए
9 से 12 महीने
के बीच
खसरे का एक टीका खसरे से बच्चे का बचावा
18 से 24 महीने
के बीच
डी ० पी ० टी ० और पोलियो की
एक-एक बूस्टर खुराक
गलघोंटू (डिप्थीरिया), काली खाँसी (कुकुर खाँसी) और टेटनस से बच्चे का बचावा
15 माह एम ० एम ० आर खसरा, कनफेड, रूबैला सेबचावा
5 से 6 वर्ष के
बीच
टाइफाइड और डी ० पी ० टी ० के दो बूस्टर टीके गलघोंटू (डिप्थीरिया), टिटनेस और ययफाइड बुखार से बच्चे काबचावा
10 वर्ष टी० टी० और टायफाइड के दो टीके टिटनेस और टायफाइड से बचाव।
16 वर्ष टी ० टी ० और टायफाइड के दो टीके टिटनेस और टायफाइड से बचाव।

10. खाद्य-पद्धार्थों के मानक प्रमाण चिह्न के नाम उदाहरण सहित लिखें।
(Write the name with example of Standard Proof Symbol of food materials.)

उत्तर⇒ खाद्य पदार्थों के मानक प्रमाण चिह्नों के नाम उदाहरणसहित निम्नलिखित हैं-

मानक प्रमाण चिह्नों के नाम उदाहरण
1. एफ ० पी ० ओ ० (Fruit Product Order) संरक्षित फल, सब्जियाँ, फलों के रस, फलों के पेय, स्कवैश, जैम, जैली, सूखे फल,शरबत, कृत्रिम सिरका, अचार, सीरप आदि।
2. आई ० एस ० आई ० (I.S.I.). (शिशु दुग्ध आहार, पाउडर दूध, कोको
पाउडर, आइसक्रीम, सेक्रीन, बिस्कुट, बेकिंग
पाउडर, नमक, बेसन, पनीर, बीयर, रम, कस्टर्ड
पाउडर, विद्युत-पंखे, इस्तिरी, चूल्हा, केतली,
स्विच मिक्सी, प्रेशर कुकर एवं गैस चूल्हा
आदि)
कृषि एवं खाद्य, रसायन, सिविल इंजीनियरींग,
चिकित्सा उपकरण, इलेक्ट्रोनिकी एवं दूर
संचार, विद्युत तकनीकी, जहाजरानी भारवहन,
पेट्रोलियम, कोयला, यांत्रिक इंजी ० संरचना
और धातु एवं वस्त्रादि।
3. एगमार्क (AGMARK) घी, मक्खन, खाद्य तेल, शहद, दालें, मसालें,
आटा, बेसन आदि

11. शरीर में जल का क्या कार्य है ? (What is the function of water in the botty ?)

उत्तर⇒ शरीर में जल का निम्नलिखित कार्य हैं

(i) शरीर का निर्माण कार्य- शरीर के पूरे भार का 56% भाग जल का होता है। गुर्दे में 83%, रक्त में 85%, मस्तिष्क में 79%, मांसपेशियाँ में 72%, जिगर में 70% तथा अस्थियाँ में 25% जल होता है।

(ii) तापक्रम नियंत्रक के रूप में- जल शरीर के तापक्रम को नियंत्रित रखता है।

(iii) घोलक के रूप में- यही माध्यम है जिससे पोषक तत्वों को कोषों तक ले जाया जाता है तथा चयापचय के निरर्थक पदार्थों को निष्काषित किया जाता है। पाचन क्रिया में जल का प्रयोग होता है। मूत्र में 96% जल होता है। मल-विसर्जन में इसकी आवश्यकता होती है। इसकी कमी से कब्जियत होती है।

(iv) स्नेहक कार्य- यह शरीर के अस्थियों के जोड़ों में होने वाले रगड़ से बचाता है। संधियों के चारों तरफ थैलीनुमा ऊतक में यह उपस्थित होता है, जिसके नष्ट होने से संधियाँ जकड़ जाती हैं।

(v) शरीर के निरूपयोगी पदार्थों को बाहर निकालना- शरीर के विषैले पदार्थों को मूत्र तथा पसीने द्वारा यह बाहर निकालने में सहायक होता है।

(vi) नाजुक अंगों की सुरक्षा तथा पोषक तत्वों का हस्तांतरण करना- यह पोषक तत्त्वों को एक स्थान से दूसरे स्थान पहुंचाता है। साथ ही नाजुक अंगों का सुरक्षा भी करता है।

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