तुलसीदास

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. तुलसीदास का जन्म कब हुआ ?

[ A ] 1540 ई० में
[ B ] 1543 ई० में
[ C ] 1545 ई० में
[ D ] 1550 ई० में

Answer ⇒ (B)

2. तुलसीदास का जन्म किस प्रदेश में हुआ था ?

[ A ] हिमाचल प्रदेश
[ B ] आन्ध्रप्रदेश
[ C ] उत्तर प्रदेश
[ D ] मध्यप्रदेश

Answer ⇒ (C)

3. काशी में कितने वर्षों तक रहकर तुलसीदास ने शिक्षा प्राप्त की ?

[ A ] दस वर्षों तक
[ B ] पंद्रह वर्षों तक
[ C ] बीस वर्षों तक
[ D ] पच्चीस वर्षों तक

Answer ⇒ (A)

4. “रामचरितमानस’ किसकी रचना है ?

[ A ] सूरदास
[ B ] तुलसीदास
[ C ] कबीरदास
[ D ] नाभादास

Answer ⇒ (B)

5. तुलसीदास किस शाखा के कवि है ?

[ A ] राममार्गी
[ B ] कृष्णमार्गी
[ C ] प्रेममार्गी
[ D ] ज्ञानमार्गी

Answer ⇒ (A)

6. दूसरे पद में तुलसी ने अपना परिचय किस रूप में दिया है ?

[ A ] निर्बल के रूप में
[ B ] दाता के रूप में
[ C ] भिखारी के रूप में
[ D ] इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (C)

7. तुलसीदास को किस चीज की भूख है ?

[ A ] यश की
[ B ] भक्ति की
[ C ] धन की
[ D ] इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (B)

8. तुलसीदास के पठित पद किस भाषा में है ?

[ A ] मैथिली
[ B ] बज्रभाषा
[ C ] खड़ी-बोली
[ D ] अवधि

Answer ⇒ (D)

9. तुलसीदास ने प्रथम पद में किसकी स्तुति की है ?

[ A ] गणेश जी की
[ B ] भगवान शिव की
[ C ] सीता जी की
[ D ] इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (C)

10. तुलसीदास के दोनों पदों में किस रस की व्यंजना हुई है ?

[ A ] वात्सल्य रस
[ B ] भक्ति रस
[ C ] रौद्र रस
[ D ] शृंगार रस

Answer ⇒ (B)

11. तुलसीदास ने प्रथम पद में अपना परिचय किस रूप में दिया है ?

[ A ] रामभक्त के रूप में
[ B ] महाकवि के रूप में
[ C ] दीन के दुखिया के रूप में
[ D ] सीता के दास के रूप में

Answer ⇒ (D)

12. ‘कबटुंक अंब अवसर पाई’ में ‘अंब’ सम्बोधन किसके लिए है ?

[ A ] सीता के लिए
[ B ] राधा के लिए
[ C ] अंजनी के लिए
[ D ] इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (A)

13. कौन तुलसीदास के मित्र नहीं थे ?

[ A ] महाराजा मान सिंह
[ B ] टोडरमल
[ C ] सूरदास
[ D ] नाभादास

Answer ⇒ (C)

14. कौन-सी रचना तुलसी दास की है ?

[ A ] सूरसागर
[ B ] विनय पत्रिका
[ C ] प्रायश्चित
[ D ] पद्मावत

Answer ⇒ (B)

15. कौन-सी रचना तुलसीदास की नहीं है ?

[ A ] पार्वती मंगल
[ B ] बैराग्य संदीपनी
[ C ] आखिरी कलल
[ D ] कवितावली

Answer ⇒ (C)

16. ‘कवितावली’ के रचनाकार हैं –

[ A ] जायसी
[ B ] तुलसीदास
[ C ] कबीरदास
[ D ] सूरदास

Answer ⇒ (B)

17. ‘हनुमानबाहुक’ को तुलसीदास की किस कृति का एक अंग माना जाता है ?

[ A ] जानकीमंगल
[ B ] कवितावली
[ C ] गीतावली
[ D ] श्रीकृष्ण गीतावली

Answer ⇒ (B)

18. रामचरितमानस का प्रधान रस है –

[ A ] वीररस
[ B ] श्रृंगाररस
[ C ] करुणरस
[ D ] भक्तिरस

Answer ⇒ (D)

19. निम्नलिखित में ‘रामचरितमानस’ क्या है ?

[ A ] गीतिकाव्य
[ B ] गाथा
[ C ] महाकाव्य
[ D ] खंडकाव्य

Answer ⇒ (C)

20. इनमें से कौन-सी रचना तुलसी की नहीं है ?

[ A ] कवितावली
[ B ] बरवैरामायण
[ C ] गीतावली
[ D ] राधा-स्तुति

Answer ⇒ (D)

21.  ‘मानस’ ( ‘रामचरितमानस’ ) का रचना समय क्या है ?

[ A ] संवत 1631
[ B ] संवत 1622
[ C ] संवत 1480
[ D ] संवत 1632

Answer ⇒ (A)

22.  ‘रामचरितमानस’ की भाषा है-

[ A ] मैथिली
[ B ] संस्कृत
[ C ] अवधी
[ D ] ब्रजभाषा

Answer ⇒ (C)

23. “विनयपत्रिका’ की भाषा है –

[ A ] अवधी
[ B ] अंतर्वेदी [ ब्रजभाषा ]
[ C ] मैथिली
[ D ] अंगिका

Answer ⇒ (B)

24. तुलसीदास का जन्म कहाँ हुआ था ?

[ A ] राजापुर [ बाँदा, उत्तर प्रदेश ]
[ B ] अयोध्या में
[ C ] हाजीपुर में
[ D ] प्रयाग में

Answer ⇒ (A)

25. तुलसीदास का मूल नाम क्या था ?

[ A ] बमभोला
[ B ] रामबोला
[ C ] हरिबोला
[ D ] इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (B)

26. तुलसीदास के शिक्षा गुरु थे –

[ A ] नरहरिदास
[ B ] रविदास
[ C ] शेष सनातन
[ D ] मधुसूदन सरस्वती

Answer ⇒ (C)

27. इनमें से कौन-सी रचना तुलसी की है ?

[ A ] लग्नपत्रिका
[ B ] प्रणयपत्रिका
[ C ] सीता स्वयंवर
[ D ] विनयपत्रिका

Answer ⇒ (D)

28. कौन-सी कृति तुलसी रचित है ?

[ A ] ‘उत्तररामचरितम’
[ B ] ‘रामायण’
[ C ] ‘रामचरितमानस’
[ D ] खंजननयन’

Answer ⇒ (C)

29. कौन-सी कृति तुलसीदास द्वारा रचित नहीं है ?

[ A ] ‘वैराग्य संदीपिनी’
[ B ] ‘पंचवटी’
[ C ] ‘बरवैरामायण’
[ D ] ‘जानकी मंगल’

Answer ⇒ (B)

30. पाठयपुस्तक में संकलित तुलसी के पद तुलसीदास की किस कृति से लिए गए है ?

[ A ] ‘दोहावली’ से
[ B ] ‘रामलला नहछ’ से
[ C ] ‘कवितावली’ से
[ D ] ‘विनय के पद’ से

Answer ⇒ (D)

31. तुलसीदास किस काल के कवि थे ?

[ A ] आदिकाल के
[ B ] रीतिकाल के
[ C ] आधुनिक काल के
[ D ] भक्तिकाल

Answer ⇒ (D)

32. कवितावली के रचनाकार है –

[ A ] जायसी
[ B ] तुलसीदास
[ C ] कबीर
[ D ] सूरदास

Answer ⇒ (B)

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. प्रथम पद में तुलसीदास ने अपना परिचय किस प्रकार दिया है ? लिखिए।

उत्तर ⇒  प्रथम पद में तलसीदास ने अपने विषय में हीनभाव प्रकट किया है। अपनी भावना को व्यक्त करते हए कहते हैं कि वह दीन, पापी. दर्बल, मलिन तथा असहाय व्यक्ति है। व अनेकों अवगुणों से युक्त हैं। ‘अंगहीन’ से उनका आशय संभवत: ‘असहाय’ होने से है।

2. तुलसीदास सीता से कैसी सहायता माँगते हैं ?

उत्तर ⇒ तुलसीदास माँ सीता से भवसागर पार कराने वाले श्रीराम को गुणगान करत हुए भक्ति-प्राप्ति की सहायता की याचना करते हैं। हे जगत की जननी ! अपने वचन द्वारा मेरी सहायता कीजिए।

3. तुलसीदास सीधे राम से न कहकर सीता से क्यों कहलवाना चाहते थे ?

उत्तर ⇒ ऐसा संभवतः तुलसीदास इसलिए चाहते थे क्योंकि (i) उनको अपनी बातें स्वयं राम के समक्ष रखने का साहस नहीं हो रहा होगा, वे संकोच का अनुभव कर रहे होंगे। (ii) सीता जी सशक्त ढंग से (जोर देकर) उनकी बातों को भगवान श्रीराम के समक्ष रख सकेंगी। ऐसा प्रायः देखा जाता है कि किसी व्यक्ति से उनकी पत्नी के माध्यम से कार्य करवाना अधिक आसान होता है। (iii) तुलसी ने सीताजी को माँ माना है तथा पूरे रामचरितमानस में अनेकों बार माँ कहकर ही संबोधित किया है। अत: माता सीता द्वारा अपनी बातें राम के समक्ष रखना ही उन्होंने श्रेयस्कर समझा।

4. दूसरे पद में तुलसी ने अपना परिचय किस तरह दिया है, लिखिए।

उत्तर ⇒ दूसरे पद में तुलसीदास ने अपना परिचय देते हुए बड़ी-बड़ी (ऊँची) बातें करने वाला अधम (क्षुद्र जीव) कहा है। छोटा मुँह बड़ी बात (बड़बोला) करने वाला व्यक्ति के रूप में स्वयं को प्रस्तुत किया है, जो कोढ़ में खोज (खुजली) की तरह है।

5. दोनों पदों में किस रस की व्यंजना हुई है ?

उत्तर ⇒ दोनों पदों में भक्ति-रस की व्यंजना हुई है। तुलसीदासजी ने मर्यादा पुरुषोत्तम राम तथा जगत जननी सीता की स्तुति द्वारा भक्तिभाव की अभिव्यक्ति इन पदों में की है।

6. तुलसी के हृदय में किसका डर है ?

उत्तर ⇒ तुलसी की दयनीय अवस्था में उनके सगे-संबंधियों आदि किसी ने भी उनकी सहायता नहीं की। उनके हृदय में इसका संताप था। इससे मुक्ति पाने के लिए उन्हें संतों की शरण में जाना पड़ा और उन्हें वहाँ इसका आश्वासन भी मिला कि श्रीराम की शरण में जाने से बस संकट दूर हो जाते हैं। भौतिक अर्थ है-संसार के सुख-दुःख से भयभीत हुए और आध्यात्मिक अर्थ है-विषय वासना से मुक्ति का भय। कवि की उक्त पक्तियाँ द्विअर्थी हैं। क्योंकि कवि ने भौतिक जगत की अनेक व्याधियों से मुक्ति और भगवद्-भक्ति के लिए समर्पण भाव की ओर ध्यान आकृष्ट किया है।

7. राम स्वभाव से कैसे हैं ? पठित पदों के आधार पर बताइए।

उत्तर ⇒ प्रस्तुत पदों में राम के लिए संत तुलसीदासजी ने कई शब्दों का प्रयोग किया है जिससे राम के चारित्रिक गुणों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।

श्रीराम को कवि ने कृपालु कहा है। श्रीराम का व्यक्तित्व जन-जीवन के लिए अनुकरणीय और वंदनीय है। प्रस्तुत पदों में तुलसी ने राम की कल्पना मानव और मानवेतर दो रूपों में की है। राम के कुछ चरित्र प्रगट रूप में और कुछ चरित्र गुप्त रूप में दृष्टिगत होते हैं। उपर्युक्त पदों में परब्रह्म राम और दाशरथि राम के व्यक्तित्व की व्याख्या की गयी है। राम में सर्वश्रेष्ठ मानव गुण है। राम स्वभाव से ही उदार और भक्तवत्सल हैं। दाशरथि राम का दानी के रूप में तुलसीदासजी ने चित्रण किया है। पहली कविता में प्रभु, बिगड़ा काम बनाने वाले, भवनाथ आदि शब्द श्रीराम के लिए आए हैं। इन शब्दों द्वारा परब्रह्म अलौकिक प्रतिभासंपन्न श्रीराम की चर्चा है।

दूसरी कविता में कोसलराजु, दाशरथि, राम, गरीब निवाजू आदि शब्द श्रीराम के लिए प्रयुक्त हुए हैं। अतः, उपर्युक्त पद्यांशों के आधार पर हम श्रीराम के दोनों रूपों का दर्शन पाते हैं। वे दीनबंधु, कृपालु, गरीबों के त्राता के रूप में हमारे समक्ष उपस्थित होते हैं। दूसरी ओर कोसलराजा, दसरथ राज आदि शब्द मानव राम के लिए प्रयुक्त हुआ है।

इस प्रकार राम के व्यक्तित्व में भक्तवत्सलता, शरणागत वत्सलता, दयालुता अमित ऐश्वर्य वाला, अलौकिकशील और अलौकिक सौन्दर्यवाला के रूप में हुआ है।

8. ‘कबहुँक अंब अवसर पाई’ में ‘अंब’ का संबोधन किनके लिए हुआ?

उत्तर ⇒ यहाँ ‘अंब’ सीता माता के लिए आया है। इस सम्बोधन के द्वारा तुलसी राम का ध्यान अपनी ओर दिलाने की चेष्टा सीता माता से कहते हैं। हे माता! कभी अवसर हो तो कुछ करुणा की बात छोड़कर श्रीरामचन्द्र को मेरी भी याद दिला देना। इसी से मेरा काम बन जायेगा। एक पुत्र द्वारा जगत जननी माता से जगत कृपालु रामचन्द्रजी का ध्यान आकृष्ट करने की बात कही गयी है।

9. कवि कृष्ण को जगाने के लिए क्या-क्या उपमा दे रहा है ?

उत्तर ⇒ ब्रजराज कुँवर जागिए। कमल के फूल खिल चुके, कुमुदनियों का समूह संकुचित हो गया है। कमल स्दुश हाथो वाले कृष्ण जागिये।

10. तुलसी सीधे राम से न कहकर सीता से क्यों कहलवाना चाहते हैं ?

उत्तर ⇒ तुलसी सीधे राम से न कहकर बात सीधे सीता से इसलिए कहलवाना चाहते हैं कि सीता राम की प्रिया, धर्मपत्नी है। कोई भी पुरुष अपनी पत्नी को अधिकतम प्रेम करता है उसकी हर बात मानता है और हर नारी अपने पति के लिए मानिनी होती है। पति पत्नी को कहे बात टाल नहीं पाते हैं। उसे ज्यादा ध्यान से सुनते हैं और उसपर अमल करते हैं उसी तरह राम की सीता भी हैं। अतः अपनी बात को प्रभावी ढंग से पहुँचाने के लिए कवि सीता से कहते हैं।

11. राम के सुनते ही तुलसी की बिगड़ी बात बन जाएगी, तुलसी के इस भरोसे का क्या कारण है ?

उत्तर ⇒ तुलसी कहते हैं कि हे प्रभु मैं अत्यन्त दीन सर्वसाधनों से हीन मनमलीन दुर्बल और पापी मनष्य हूँ फिर भी आपका नाम लेकर अपना पेट भरता हूँ। तुलसी को यह विश्वास है कि उनके राम कृपालु हैं, दयानिधान हैं वे हर बात को अच्छी तरह समझकर उसका समाधान
करते हैं यही उनके भरोसे का कारण है।

12. तुलसी को किस वस्तु की भूख है ?

उत्तर ⇒ तुलसी को भक्तिरूपी अमृत के समान सुन्दर भोजन की भूख है। अर्थात् हे प्रभु अपने चरणों में ऐसी भक्ति दे दीजिए कि फिर कोई दूसरी कामना न रह जाए।

13. तुलसीदास का कवि परिचय लिखें।

उत्तर ⇒ गोस्वामी तुलसीदास किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उनके ‘मानस’ की प्रतिष्ठा धर्मग्रन्थ के रूप में है। अतः तुलसीदास प्रत्येक परिवार के घर-घर में हैं। तुलसी का ‘मानस’ साहित्य उच्च कोटि का ग्रन्थ है जिसके कारण वह धर्मग्रन्थ के रूप में प्रतिष्ठित हुआ। जनता के हर राग-रंग की कथा है। तुलसी जनता के सुख-दुख में शामिल होते हैं इसलिए वे घर-घर के कवि हैं। रचना की उत्कृष्टता के कारण महाकवि हैं।

तुलसीदास जी का जन्म 1543 ई. के लगभग राजापुर जिला-बाँदा उत्तरप्रदेश में हुआ। इनके बचपन का नाम रामबोला था। इनकी माता हुलसी तथा पिता आत्माराम दुबे थे। इनकी पत्नी रत्नावली थी। परन्तु विवाह के कुछ ही समय बाद विछोह हो गया। तुलसी का जीवन संघर्ष की महागाथा है। उनका बालपन बड़ा कठिनाइयों में बीता। जीवन के प्रारम्भिक वर्षों में ही उनके माता-पिता का साथ छूट गया और तदन्तर वेभिक्षा माँग-माँगकर उदरपूर्ति करते रहे। कदाचित इसके कुछ ही समय पश्चात् तुलसीदास ने रामभक्ति की दीक्षा ली। उनके गुरु कौन थे, यह भी निश्चित रूप से ज्ञात नहीं है। ‘मानस’ में उनके गुरु का नाम बाबा नरहरिदास के रूप में आता है। तुलसी ने उन्हीं से शिक्षा ली और बाल्मीकि रामायण का अध्ययन कर । राम कथा कों अवधी भाषा में लिखा। तुलसी की (12) बारह रचनायें मिलती हैं जो निम्न हैं-

1. रामचरित मानस 2. रामलला नहछू 3. रामाज्ञा प्रश्न 4. जानकीमंगल 5. पार्वतीमंगल 6. गीतावली 7. कृष्णगीतावली 8. विनय पत्रिका 9. बरबै रामायण 10. दोहावली 11. कवितावली 12. हनुमान बाहुक इत्यादि।

तुलसीदास की ये कृतियाँ तत्कालीन अनेक काव्य-रूपों की प्रतिनिधि रचनाएँ हैं। उनका ‘रामचरित मानस’ चौपाईबन्ध परम्परा का काव्य है। जिसमें मुख्य छन्द चौपाई है और बीच-बीच में दोहे-सोरठे, हरिगीतिका तथा अन्य छन्द भी आते हैं। कवितावली कवित्त-सवैया-पद्धति की मुक्तक रचना है। गीतावली-कृष्णगीतावली, विनय पत्रिका गीत बन्ध परिपाटी के अन्तर्गत आते हैं।

तुलसीदास ने रामभक्ति से प्रेरित होकर अपने राम-कथा ग्रंथों में राम तथा अनेक भक्तों का जो चरित्र प्रस्तुत किया है, वह मानवता के सर्वोच्च आदर्श की स्थापना करता है। इस सम्बन्ध में ‘मानस’ एक अद्वितीय रचना है। उनके गीतिकाव्यों गीतावली और कृष्णगीतावली में भावनाओं की जो सरिता उमड़ी है उसकी तुलना हिन्दी साहित्य में केवल सूरदास की भावधारा से की जा सकती है। पुन: विनय पत्रिका के पदों में जो द्रवित कर देनेवाला आत्मनिवेदन उन्होंने प्रस्तुत किया है वह बेजोड़ है।

गोस्वामी जी की संवेदना गहन और अपरिमित थी, अंतर्दृष्टि सूक्ष्म और व्यापक थी, विवेक प्रखर और क्रांतिकारी था। कवि में इतिहास एवं संस्कृति का व्यापक परिप्रेक्ष्य बोध था और लोकप्रज्ञा थी। इन युगांतर कवि ने बौद्धिक नैतिक रचनाओं द्वारा ऐसा आदर्श उपस्थित किया है जो अतुलनीय है।

गोस्वामीजी की भाषा में लचीलापन अधिक है। उन्होंने जहाँ संस्कृत के तत्समनिष्ठ शब्दों को लिया वहीं भाव के अनुसार देशज और विदेशज शब्दों को भी इसी अंतर्दृष्टि के कारण उनका काव्य भाव को अभिव्यक्त करने में अत्यधिक सक्षम है।

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