kaaran bataen in hindi

1.वर्षा से बचने के लिए साइकिलसवार छाता को तिरछा लगाता है अर्थात् आगे की ओर झुका देता है।

उत्तर : जब कोई साइकिलसवार पानी बरसते हुए में चलता है, तो वह अपने-आपको वर्षा से बचाने के लए छाता को तिरछा कर लेता है। इसका कारण यह है कि पानी नीचे की ओर गिरता रहता है और साइकिलसवार उसके लम्बवत् अपने वेग से चलता रहता है। यदि साइकिलसवार को स्थिर मानकर पानी की बूँदों की दिशा ज्ञात की जाय, तो वह  पानी का साइकिलसवार के प्रति आपेक्षिक वेग की दिशा होगी। इसी दिशा में छाता रखने पर मनुष्य पानी से बच सकता है।

2. किसी गाड़ी के अचानक चलने पर उस पर सवार व्यक्ति पीछे की ओर गिर जाते हैं। क्यों ?

उत्तर : गाड़ी के चलने से पहले गाड़ी और उसपर सवार लोग विराम में होते हैं। जब गाड़ी अचानक चलना शुरू कर देती है, तो गाड़ी के साथ-साथ उसपर बैठे व्यक्तियों के शरीर के निचले भाग गति में आ जाते हैं, लेकिन विराम के जड़त्व के कारण व्यक्तियों के शरीर के ऊपरी भाग विराम में ही रहते हैं, इसीलिए व्यक्ति पीछे की ओर गिरने लगते हैं।

3. किसी चलती गाड़ी के अचानक रुकने पर उसपर सवार व्यक्ति आगे की ओर झुक जाते हैं। क्यों ?

उत्तर : चलती गाड़ी में बैठे व्यक्ति गाड़ी के साथ-साथ गति में होते हैं। जब गाड़ी अचानक रुक जाती है, तो गाड़ी के साथ-साथ उसमें बैठे व्यक्तियों के शरीर के निचले भाग, जो गाड़ी के सम्पर्क में रहते हैं, विराम में आ जाते हैं, लेकिन शरीर के ऊपरी भाग गति के जड़त्व के कारण गति में ही रहना चाहते हैं, इसीलिए व्यक्ति आगे की ओर झुक जाते हैं।

4. पेड़ को हिलाने पर कुछ पत्तियाँ नीचे गिर जाती हैं।

उत्तर : पेड़ को हिलाने से पहले पेड़ और पत्तियाँ विराम में होते हैं। जब उनकी शाखाओं को हिलाया जाता है, तो शाखाएँ गति में आ जाती हैं, परन्तु उनपर लगी पत्तियाँ विराम के जड़त्व के कारण विराम में ही रहती हैं और नीचे गिर जाती हैं।

5. किसी दरी को लटकाकर डंडे से पीटने पर धूल झड़ जाते हैं।

उत्तर :- दरी को डंडे से पीटने पर दरी गति में आ जाती है, परन्तु धूल-कण विराम के जड़त्व के कारण विराम में ही रहते हैं और नीचे गिर जाते है।

6. ‘चलती गाड़ी से कूदना खतरनाक होता है। कैसे ?

उत्तर : जब कोई व्यक्ति चलती गाड़ी से कूदता है, तो उसके पैर जमीन के सम्पर्क में आते ही विराम में आ जाते हैं, परन्तु शरीर का ऊपरी भाग गति के जड़त्व के कारण गति में ही रहता है, जिससे व्यक्ति सिर के बल गिर सकता है। इससे बचने के लिए व्यक्ति को गाड़ी की गति की दिशा में कुछ दूर तक दौड़ना चाहिए।

7. ऊँची कूद लगाते समय एथलीट कूदने से पहले कुछ दूर दौड़ता है।

उत्तर : ऊँची कूद लगाने से पहले एथलीट कुछ दूर तक दौड़ता है, ताकि गति के जड़त्व के कारण उसकी मांसपेशियों को कूद लगाने में सहायता मिल सके।

8. भाला फेंक प्रतियोगिता में एथलीट भाला फेंकने के लिए खींची गई रेखा को अक्सर पार कर जाता है।

उत्तर : एथलीट भाला फेंकने के लिए कुछ दूरी से दौड़ता है और गति के जड़त्व के कारण वह अक्सर खींची गई रेखा को पार कर जाता है।

9. बिजली का पंखा स्विच बंद करने के बाद भी कुछ देर तक घूर्णन करता है।

उत्तर : गति के जड़त्व के कारण पंखे से विद्युत्-धारा बंद करने के बाद भी वह कुछ देर तक घूर्णन करता है।

10. चलती ट्रेन पर ऊपर की ओर गेंद फेंकने पर फेंकनेवाले के हाथ में गेंद गिरता है।

उत्तर: चलती ट्रेन में गेंद को ऊपर उछालने पर गेंद फेंकनेवाले के हाथ में वापस गिरता है, क्योंकि गेंद पर क्षैतिज दिशा में कोई बल नहीं लगने के कारण गेंद का क्षैतिज वेग ट्रेन के क्षैतिज वेग के बराबर होता है।

11. किसी मोड़ पर गाड़ी के अचानक मुड़ने पर उसपर बैठा व्यक्ति बाहर की ओर गिरता है ?

उत्तर : चलती गाड़ी पर सवार व्यक्ति का शरीर गाड़ी के साथ-साथ गाड़ी की गति की दिशा में गतिशील रहता है। जब गाड़ी अचानक मोड़ लेती है, तो व्यक्ति का गाड़ी के सम्पर्क वाला हिस्सा गाड़ी के मुड़ने की दिशा में मुड़ जाता है, परन्तु ऊपरी हिस्सा दिशा के जड़त्व के कारण उसी दिशा में गतिशील रहता है, जिससे व्यक्ति मुड़ने की विपरीत दिशा झुक जाता है।

12. स्वचालित वाहनों और हवाईजहाजों में सीट बेल्ट लगे होते हैं।

उत्तर: वाहनों या हवाईजहाज के अचानक चलने या रुकने पर उसपर सवार व्यक्ति जड़त्व के कारण आगे या पीछे की ओर गिर सकता है, इसीलिए उन्हें चोट लगने से बचाने के लिए सीट बेल्ट दिए जाते हैं, ताकि शरीर का ऊपरी हिस्सा झुके नहीं।

13. बंदूक से निकली गोली खिड़की की काँच को छेद करते हुए निकल जाती है, जबकि फेंका गया पत्थर का टुकड़ा काँच को चकनाचूर कर देता है।

उत्तर : बंदूक से निकली गोली का वेग बहुत अधिक होता है, जिसके कारण सिर्फ गोली के सम्पर्क में आनेवाली काँच का हिस्सा गतिमान हो जाता है और बाकी हिस्से विराम में ही बने रहते हैं, जिससे एक छेद हो जाता है। इसके विपरीत पत्थर के टुकड़े का वेग अपेक्षाकृत काफी कम होता है, इसलिए पत्थर के सम्पर्क के अलावे आस-पास के भाग वाली काँच भी गति में आ जाती है, जिससे काँच कई टुकड़ों में टूट जाती है।

14. गाड़ी के पहियों के पास मडगार्ड क्यों लगाया जाता है ?

उत्तर : गाड़ी के पहियों के तेजी से घूमने पर पहियों से चिपके कीचड़ स्पर्शरेखीय दिशा में गिरते हैं। इसीलिए पहियों के पास मडगार्ड लगाये जाते हैं, ताकि पास से गुजरनेवाले लोगों पर कीचड़ न पड़े।

15. क्रिकेट खिलाड़ी कैच लेते समय हाथों को पीछे की ओर खींच लेता है ?

उत्तर : खिलाड़ी कैच लेते समय हाथों को पीछे की ओर खींचकर गेंद को पकड़ने में लगा समय बढ़ा देता है, जिससे संवेग में परिवर्तन की दर कम हो जाती है और उसके हाथों पर कम बल लगता है, जिससे उसे चोट नहीं लगती है। यदि वह अचानक गेंद को रोके, तो समय का मान बहुत कम होने के कारण उसके हाथों पर एक बड़ा बल लगेगा और उसे चोट का अनुभव होगा ।

16. चीनी मिट्टी या काँच के बरतनों को पुआल आदि या थर्मोकॉल में पैक किया जाता है।

उत्तर : पुआल या थर्मोकॉल मुलायम होता है। बरतनों को इसमें लपटने से एक जगह से दूसरे जगह ले जाते समय लगनेवाले झटकों का समय बढ़ जाता है, जिससे इनपर कम बल लगता है और ये सुरक्षित रहते हैं।

17. ऊँचाई से कूदने में घुटनों को मोड़ना क्यों जरूरी होता है ?

उत्तर : ऊँचाई से कूदने में पैर जमीन के सम्पर्क में आते ही विराम में आ जाएँगे और विराम में आने का समयांतराल बहुत कम होने के कारण पैरों पर चोट लगेगी, इसीलिए कूदते समय घुटनों को धीरे-धीरे मोड़ना जरूरी हो जाता है, ताकि जमीन के सम्पर्क में आने का समय बढ़ जाय और चोट न लगे।

18. पुआल पर कूदने से कम चोट लगती है।

उत्तर : पुआल या किसी मुलायम सतह पर कूदने पर पुआल या सतह हमारी गति की दिशा में कुछ दब जाते हैं, जिससे शरीर पर बल लगने का समयांतराल बढ़ जाता है और कम चोट लगती है।

19. कराटे खिलाड़ी एक ही झटके में बर्फ की सिल्ली को तोड़ देता है।

उत्तर: कराटे खिलाड़ी काफी तेज गति से बर्फ की सिल्ली पर मारता है, जिससे उसके हाथों का संवेग बहुत कम समयांतराल में शून्य हो जाता है और बर्फ की सिल्ली पर एक बड़ा बल कार्य करता है, जिससे सिल्ली टूट जाती है।

20. प्रत्येक क्रिया की बराबर और विपरीत क्रिया होती है, फिर भी घोड़ा गाड़ी को कैसे खींचता है।

उत्तर : घोड़ा गाड़ी को आगे की ओर जिस बल से खींचता है, गाड़ी भी उतने ही बल से घोड़े को पीछे की ओर खींचती है अर्थात् ये दोनों बल संतुलित हो जाते हैं और घोड़ा पैरों से जमीन को भी पीछे की ओर धक्का देता है। इसी प्रतिक्रियात्मक बल के कारण वह गाड़ी को आगे की ओर खींचता है।

21. तेल टैंकरों को भरते समय उन्हें कुछ खाली छोड़ दिया जाता है।

उत्तर : तेल के टैंकरों को ले जाते समय झटका लगने पर तेल ऊपर की ओर उठने में कुछ समय लेता है और टैंकर की दीवारों पर कम बल लगता है एवं नुकसान नहीं होता है।

22. नाव के किनारे से कूदने पर नाव पीछे की ओर खिसक जाती है, क्यों ?

उत्तर: जब कोई व्यक्ति नाव के किनारे की तरफ से कूदता है, तो वह अपने पैरों से नाव पर पीछे की ओर बल लगाता है और नाव द्वारा भी उतना ही प्रतिक्रियात्मक बल उस व्यक्ति पर लगता है, जिससे व्यक्ति आगे की ओर (किनारे पर ) बढ़ जाता है और नाव पीछे की ओर गतिशील हो जाती है

23. बंदूक से गोली दागने पर पीछे की ओर झटका लगता है।

उत्तर : जब बंदूक से गोली दागी जाती है, तो बंदूक द्वारा गोली पर आगे की ओर बल लगता है। अतः, न्यूटन की गति के तीसरे नियम के अनुसार गोली द्वारा बंदूक पर भी उतना ही बल पीछे की ओर लगता है, जिससे बंदूक चलानेवाले को पीछे की ओर झटका लगता है।

24. हवा से भरे वैलून के मुँह को नीचे की ओर करके उसका मुँह खोल देने पर बैलून ऊपर की ओर क्यों उठता है ?

उत्तर: हवा से भरे बैलून के मुँह को नीचे की ओर करके उसका मुँह खोल देने पर उसमें भरी हवा नीचे ओर गतिमान होती है और इसी को प्रतिक्रया के कारण बैलून पर ऊपर की ओर एक बल लगता है और बैलून ऊपर की दिशा में गतिमान हो जाता है।

25. पृथ्वी की ओर गिरता पत्थर और पृथ्वी दोनों एक-दूसरे पर समान बल लगाते हैं, फिर भी हमलोग पत्थर को पृथ्वी की ओर गिरते देखते हैं, लेकिन पृथ्वी को ऊपर उठते नहीं देखते हैं, क्यों ?

उत्तर : न्यूटन की गति के नियम से हम जानते हैं कि किसी वस्तु में उत्पन्न त्वरण उस वस्तु के द्रव्यमान के व्युत्क्रमानुपाती होता है। चूँकि पत्थर का द्रव्यमान बहुत कम तथा पृथ्वी का मान बहुत अधिक होता है, इसलिए पत्र में अधिक उत्पन्न होता है और पृथ्वी में बहुत कम (लगभग शून्य) रण उत्पन्न होता है अतः हम पृथ्वीको उठते नहीं देखते।

26. गाड़ियों के पहिए वृत्ताकार क्यों बनाये जाते हैं ?

उत्तर: गाड़ियों के पहियों को वृत्ताकार बनाने से पहिए जमीन पर लुड़कते हैं, जिस उनपर लोटनिक घर्षण कार्य करता है हम जानते हैं कि सोनिक घर्षण का मान स से कम होता है, इसीलिए पहिए वृत्ताकार बनाये जाते हैं।

27. स्वचालित वाहनों के टायरों में खाँचें बनी होती हैं।

उत्तर: वाहनों के टायरों और जमीन के बीच घर्षण बढ़ाने के लिए टायरों पर खाँ बनायी जाती हैं; क्योंकि यदि टायर चिकने होंगे, तो घषर्ण वल का मान कम हो जायगा और दुर्घटना की संभावना बढ़ जायगी।

28. भोयरे चाकू की अपेक्षा तेज धारवाले चाकू से काटना आसान होता है, क्यों?

उत्तर :चूँकि किसी बल द्वारा लगनेवाला दाब सतह के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है। तेज धारवाले चाकू के किनारे का क्षेत्रफल कम हो जाता है, जिससे हाथों द्वारा कम बल लगाने पर भी अधिक दाब लगता है, इसीलिए धारवाले चाकू से काटना आसान होता है।

29. सूई या कोटी को नुकीला क्यों बनाया जाता है ?

उत्तर : किसी बल द्वारा आरोपित दाब सतह के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है। अतः, सूई या कोटी को नुकीला बनाने से सुई की नोंक और कपड़े का सम्पर्क क्षेत्रफल बहुत कम हो जाता है, जिससे कम बल लगाने पर भी अधिक दाव आरोपित होता है और सूई आसानी से कपड़े में छेद कर देती है।

30. स्कूल बैग का फीता चौड़ा बनाया जाता है ?

उत्तर: किसी बल द्वारा आरोपित दाब सम्पर्क क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है। “इसीलिए स्कूल बैग का फीता चौड़ा तथा मोटे कपड़े का बनाया जाता है, क्योंकि फीता चौड़ा होने से फीते और कंधे का सम्पर्क क्षेत्रफल बढ़ जाता है, जिससे बैग का भार कचे के अधिक क्षेत्रफल पर पड़ता है और कम दाब आरोपित होता है, जिसके कारण बैग होने में कठिनाई नहीं होती है।

31. चारपाई पर खड़े होने के लिए मना किया जाता है।

उत्तर: जब कोई मनुष्य जमीन पर या किसी चारपाई पर खड़ा होता है, तो उसका भार उसके द्वारा मेरे गए क्षेत्रफल पर पड़ता है, जो कम होता है। अतः इस स्थिति में उ क्षेत्रफल पर अधिक दाब आरोपित होता है, जिससे चारपाई टूट सकती है। इसके विपरीत जय आदमी चारपाई पर लेटता है, तो उसका भार उसके पूरे शरीर द्वारा चारपाई पर औरे गए क्षेत्रफल में वितरित हो जाता है, जिससे किसी एक जगह पर अधिक दान नहीं होता है।

32. कोई आदमी एक जगह खड़े होने की अपेक्षा चलने की स्थिति में जमीन पर अधिक दान आरोपित करता है।

उत्तर : जब आदमी एक जगह पर खड़ा होता है, तो उसका भार उसके दोनों पैरों द्वारा घेरे गए क्षेत्रफल पर वितरित होता है, जिससे दाव अपेक्षाकृत कम हो जाता है। इसके विपरीत जब वह चलता है, तो एक बार में उसका एक पैर जमीन पर होता है और उसका सम्पूर्ण भार बहुत कम क्षेत्रफल पर लगता है, जिससे वह जमीन पर अधिक दाब डालता है।

33. बाँध बनाने में जो दीवार बनायी जाती है, वह नीचे मोटी बनायी जाती है और ऊपर अपेक्षाकृत पतली, क्यों ?

उत्तर : किसी द्रव को किसी पात्र में रखने पर वह द्रव पात्र के अंदर किसी बिंदु पर सभी दिशाओं में दाब डालता है। द्रव द्वारा किसी बिंदु पर डाला गया दाब द्रव की मुक्त सतह से उस बिंदु की गहराई के समानुपाती होता है। अतः, बाँध में पानी एकत्र करने पर पानी द्वारा बाँध की निचली दीवार पर आपेक्षाकृत अधिक दाब लगेगा, जिससे दीवार टूट सकती है, इसीलिए नीचे की दीवार मोटी बनाई जाती है, ताकि वह पानी द्वारा आरोपित दाब को सह सके।

34. अधिक ऊँचाई पर प्रायः पर्वतारोहियों के नाक से खून बहने लगता है।

उत्तर : अधिक ऊँचाई पर वायुमंडलीय दाब काफी कम हो जाता है, जिससे पर्वतारोही के शरीर के अन्दर का दाव उसके शरीर पर पड़नेवाले वायुमंडलीय दाब से बढ़ जाता है और कुछ रक्तनलिकाएँ फट जाती हैं, जिसके कारण नाक से खून बहने लगता है।

35. अंतरिक्षयात्री अंतरिक्ष में जाते समय विशेष प्रकार के सूट पहनते हैं, क्यों ?

उत्तर : बाहरी अंतरिक्ष में वायुमंडलीय दाब लगभग शून्य हो जाता है, जिससे वहाँ अंतरिक्षयात्री को परेशानी होती है, इसीलिए वे विशेष प्रकार के सूट पहनते हैं, जिनमें हवा भरी जाती है, ताकि उनके शरीर का आंतरिक दाब बाह्यदाब से संतुलित हो सके।

36. गर्म भाप से भरे टीन के मुँह को बंदकर उसपर ठंडा पानी छींटने से टीन पिएक जाता है, क्यों ?

उत्तर : टीन के अन्दर भाप भरी होने पर उसके मुँह को ढक्कन से बंद कर उसपर पानी छोंटने से टीन के अंदर का भाप पानी में बदल जाता है, जिससे टीन के अन्दर का दाब कम हो जाता है और टीन पर बाहर से पड़नेवाला वायुदाब अधिक हो जाता है और टीन पिचक जाता है।

37. लोहे की सूई पानी में डूब जाती है, परन्तु लोहे का जहाज पानी पर प्लवन करता है।

उत्तर: कोई वस्तु किसी द्रव की सतह पर तभी प्लवन करती है, जब उसके द्वारा विस्थापित द्रव का भार उसके भार से अधिक होता है। चूँकि लोहे की सूई की बनावट ऐसी होती है कि उसके द्वारा बहुत कम जल विस्थापित होता है, जिसका भार सूई के भार से कम होता है, इसीलिए सूई पानी में डूब जाती है। इसके विपरीत लोहे के जहाज की बनावट ऐसी होती है कि जहाज के द्वारा इतने जल का विस्थापन होता है कि विस्थापितका भार जहाज के भार से अधिक हो जाता है, इसीलिए जहाज पानी पर प्लवन करता है।

38. पानी से भरी बाल्टी पानी के अन्दर हल्की प्रतीत होती है।

उत्तर: जब कोई वस्तु किसी द्रव के अन्दर रहती है, तो द्रव द्वारा उस वस्तु पर ऊपर की ओर उत्प्लावन बल लगता है, जिससे उसके भार में आभासी कमी आ जाती है। पानी से भरी बाल्टी पानी के अन्दर पानी द्वारा आरोपित इसी उल्लावन बल के कारण हल्की प्रतीत होती है।

39. बर्फ की विशाल चट्टानें भी जल में प्लवन करती हैं।

उत्तर :चूँकि बर्फ का घनत्व जल से कम होता है अर्थात् बर्फ जल से हल्की होती हैं, इसीलिए बर्फ की विशाल चट्टानें जल में प्लवन करती हैं।

40. नदी के पानी की अपेक्षा समुद्री पानी में तैरना आसान है।

उत्तर : समुद्र के पानी का घनत्व नदी के पानी के घनत्व से अधिक होता है, जिससे समुद्र के पानी द्वारा आरोपित उत्पलावन बल अपेक्षाकृत अधिक होता है। अतः, समुद्र के पानी में शरीर का अधिकांश भाग पानी से ऊपर रहता है, जिससे नदी को अपेक्षा समुद्र में तैरना आसान होता है।

41. साधारण पानी की अपेक्षा समुद्री पानी में बर्फ कम डूबती है ।

उत्तर : समुद्री पानी का घनत्व साधारण पानी की अपेक्षा अधिक होता है, इसीलिए समुद्री पानी द्वारा आरोपित उत्प्लावन बल का मान साधारण पानी द्वारा आरोपित उत्प्लावन बल के मान से अधिक होता है, इसीलिए साधारण पानी की अपेक्षा समुद्री पानी में बर्फ कम डूबती है। साधारण पानी में बर्फ का 1/12 भाग पानी से बाहर रहता है, जबकि समुद्री पानी में बर्फ का 1/9 भाग पानी से बाहर रहता है।

42. मोड़ से गुजरते समय साइकिलसवार मोड़ के भीतर की ओर झुक जाता है।

उत्तर : वृत्तीय पथ पर गति करते समय आवश्यक त्वरण के लिए एक अभिकेन्द्र बल की आवश्यकता होती है, इसीलिए मोड़ से गुजरते समय साइकिलसवार मोड़ के भीतर की ओर झुक जाता है, ताकि आवश्यक अभिकेन्द्र बल प्राप्त हो सके।

43. चक्की से पीसते समय अनाज के कण चक्की की परिधि से स्पर्शरेखीय दिशा में छिटकते हैं।

उत्तर: जब चक्की में अनाज पीसे जाते हैं, तो चक्की के ऊपरी पाट के घूमने के कारण अनाज के कणों में भी वृत्तीय गति उत्पन्न हो जाती है, जिसके कारण अनाज के कण चक्की के केन्द्र से दूर हटने लगते हैं। जब परिधि से इनका सम्पर्क टूट जाता है, तो ये परिधि से स्पर्शरेखीय दिशा में छिटकते हैं, क्योंकि वृत्तीय गति के वेग की दिशा उस बिंदु पर स्पर्शरेखा की दिशा में होती है।

44. जब मनुष्य पीठ पर बोझ लादकर चलता है, तो वह आगे की ओर झुक जाता है।

उत्तर : कोई वस्तु संतुलन की स्थिति में तभी रहती है, जब उसके गुरुत्व केन्द्र से गुजरनेवाली ऊर्ध्वाधर रेखा उसके आधार के अन्दर पड़े, क्योंकि गुरुत्व केन्द्र की स्थिति वस्तु की आकृति पर निर्भर करती है। इसीलिए, जब कोई मनुष्य अपनी पीठ पर बोझ लादता है, तो वह आगे की ओर झुक जाता है, क्योंकि इस स्थिति में मनुष्य और बोझ के उभयनिष्ट गुरुत्व केन्द्र से गुजरनेवाली ऊर्ध्वाधर रेखा उसके पैरों के बीच में अर्थात् आधार के अन्दर पड़ती है और मनुष्य स्थायी संतुलन में रहता है। यदि वह सीधा रहे, तो यह ऊर्ध्वाधर रेखा आधार से बाहर पड़ेगी और उसके गिरने का डर रहेगा।

45. पहाड़ पर चढ़ते समय मनुष्य आगे की ओर झुक जाता है और पहाड़ से नीचे उतरते समय पीछे की ओर झुक जाता है ?

उत्तर : पहाड़ पर चढ़ते समय मनुष्य आगे की ओर झुक जाता है, क्योंकि ऐसा करने से उसके गुरुत्व केन्द्र से जाती ऊर्ध्वाधर रेखा आधार पर पड़ती है। यदि वह सीधा चढ़ेगा, तो ऊर्ध्वाधर रेखा पीछे की ओर आधार से बाहर पड़ेगी और वह पीछे की ओर लुढ़क जायगा । ठीक इसी प्रकार उतरते समय सीधा उतरने पर ऊर्ध्वाधर रेखा आधार से आगे की ओर पड़ेगी और वह आगे लुढ़क सकता है, इसीलिए वह उतरते समय पीछे की ओर झुक जाता है।

46. एक हाथ में पानी से भरी बाल्टी लेकर चलते समय मनुष्य दूसरे हाथ की ओर झुक जाता है।

उत्तर : एक हाथ में पानी से भरी बाल्टी लेकर चलते समय मनुष्य दूसरे हाथ की ओर झुक जाता है या दूसरा हाथ फैला देता है, क्योंकि ऐसा करने से बाल्टी और मनुष्य के उभयनिष्ठ गुरुत्व केन्द्र से गुजरनेवाली ऊर्ध्वाधर रेखा उसके पैरों के बीच पड़ती है, जिससे संतुलन बना रहता है।

47. पुआल से भरी गाड़ी उसी भार की धातु से भरी गाड़ी की अपेक्षा अधिक आसानी से उलट जाती है।

उत्तर: कोई वस्तु स्थायी संतुलन की स्थिति में तब होती है, जब उसका गुरुत्व- केन्द्र अधिक-से-अधिक नीचे हो अतः, अधिक ऊँचाई तक पुआल से भरी गाड़ी उसी भार की धातु से भरी गाड़ी की अपेक्षा आसानी से उलट जाती है, क्योंकि अधिक ऊँचाई तक पुआल भरा रहने के कारण गुरुत्व केन्द्र ऊपर उठ जाता है, जिससे साधारण झटके से उसके गुरुत्व- केन्द्र से जाती ऊर्ध्वाधर रेखा आधार से बाहर हो जाती है और गाड़ी आसानी से उलट जाती है।

48. अंतरिक्षयात्री भारहीनता का अनुभव क्यों करते हैं ?

उत्तर : कोई भी व्यक्ति अपने भार का अनुभव तब करता है, जब वह आधार, जिस पर वह खड़ा है, उस व्यक्ति पर प्रतिक्रियात्मक बल लगाता है। अंतरिक्षयान में यात्री के ऊपर उसके आधार का प्रतिक्रियात्मक बल शून्य होता है, क्योंकि अंतरिक्ष यान तथा यात्री दोनों समान गुरुत्वीय त्वरण से नीचे गिरते हैं, जिसके कारण वह भारहीनता का अनुभव करता है।

49. चन्द्रमा पर कोई वायुमंडल नहीं है, क्यों ?

उत्तर : चन्द्रमा की सतह पर पलायन वेग का मान बहुत कम यानी लगभग 2-37 km/s होता है और गैसों के अणुओं का वेग चन्द्रमा पर पलायन वेग से अधिक होता है, जिसके कारण गैस के अणु चन्द्रमा की सतह से दूर चले जाते हैं। इसीलिए चन्द्रमा पर वायुमंडल नहीं है।

50. वर्षा की छोटी-छोटी बूँदें गोलाकार क्यों होती हैं ?

उत्तर : पृष्ठतनाव के कारण प्रत्येक द्रव में सिकुड़ने की प्रवृत्ति होती है, फिर भी किसी निश्चित आयतन के लिए गोलाकार सतह का क्षेत्रफल न्यूनतम होता है। साथ ही छोटी- छोटी बूँदों पर गुरुत्व बल का प्रभाव कम होता है और पृष्ठतनाव का प्रभाव अधिक होता है, जिसके कारण वर्षा की छोटी-छोटी बूँदें गोलाकार होती हैं।

51. पानी के पृष्ठ पर कपूर के टुकड़े क्यों नाचने लगते हैं ?

उत्तर : किसी घोल का पृष्ठतनाव शुद्ध पानी के पृष्ठतनाव से कम होता है। अतः, जब कपूर के टुकड़ों को पानी में डाला जाता है, तो कपूर धीरे-धीरे पानी में घुलता जाता है, जिससे कपूर के टुकड़ों के सम्पर्क में जल का पृष्ठतनाव कम हो जाता है। फिर भी, कपूर के टुकड़ों के आकार अनियमित होते हैं, जिसके कारण टुकड़ों के किसी एक ओर का पृष्ठतनाव दूसरी ओर के पृष्ठतनाव से कम हो जाता है और टुकड़े अधिक पृष्ठतनाव वाले क्षेत्र की ओर खिंच जाते हैं। इस प्रकार, कपूर के टुकड़े पानी पर नाचते दिखाई देते हैं।

52. तूफान में तेज हवाओं के चलने पर घरों के टीन शेड-प्रायः उड़ जाते हैं, क्यों ?

उत्तर : तूफान में तेज हवाओं के चलने के कारण टीन शेड के ऊपर हवा का दाव कम हो जाता है, किन्तु टीन शेड के नीचे वायुमंडलीय दाब में कोई परिवर्तन नहीं होता है, जिसके कारण ऊपर की ओर दाब अधिक लगने लगता है और टीन शेड प्रायः उड़ जाते हैं।

53. ऊँचाई पर गाड़ी चढ़ाते समय गाड़ी की चाल बढ़ा दी जाती है, क्यों ?

उत्तर : जब कोई गाड़ी ऊँचाई पर चढ़ रही होती है, तो उस स्थिति में उसकी स्थितिज ऊर्जा बढ़ने लगती है। यह स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा के मूल्य पर बढ़ती है अर्थात् उसकी गतिज ऊर्जा का ही अंश स्थितिज ऊर्जा में रूपान्तरित होता है, जिससे उसकी गतिज ऊर्जा कम होने लगती है । अतः, गाड़ी का चालक गतिज ऊर्जा में इस कमी की पूर्ति के लिए गाड़ी की चाल को बढ़ा देता है।

54. रेल की पटरियाँ जहाँ जुड़ती हैं, वहाँ कुछ रिक्त स्थान छोड़ दिया जाता है।

उत्तर: किसी वस्तु को ऊष्मा प्रदान करने या गर्म करने पर उसमें प्रसार होता है। अतः, रेल की दो पटरियों के बीच थोड़ी जगह छोड़ दी जाती है, ताकि गर्मी के दिनों में गर्मी के कारण पटरियों के बढ़ने पर उनके प्रसार के लिए जगह बनी रहे तथा पटरियाँ तिरछी न हों।

55. टेलीफोन के तार गर्मियों में क्यों लटक जाते हैं ?

उत्तर : गर्मियों में अत्यधिक गर्मी के कारण टेलीफोन के तार में प्रसार होता है, जिससे उसकी लम्बाई बढ़ जाती है और वे लटक जाते हैं। इसके विपरीत जाड़े में ताप कम होने के कारण तार सिकुड़ जाते हैं। इन्हीं कारणों से उन्हें लगाते समय थोड़ा ढीला लगाया जाता है।

56. बैलगाड़ी के चक्के पर हाल चढ़ाने के पहले हाल को गर्म किया जाता है ।

उत्तर : लकड़ी के पहियों पर चढ़ाई जानेवाली हाल (लोहे का टायर) का व्यास पहिये के व्यास से कुछ कम रखा जाता है। अतः, लकड़ी के पहिये पर इसे चढ़ाने के पहले इसे गर्म किया जाता है, जिससे इसमें प्रसार होता है और इसका व्यास कुछ बढ़ जाता है, जो पहिया पर आसानी से चढ़ जाती है, लेकिन ठंडा होने पर यह सिकुड़ जाती है और पहिया को जकड़ लेती है तथा बाहर नहीं निकल पाती।

57. लैंप की चिमनी पर जल की बूँदें छिड़कने पर वह चटक जाती है।

उत्तर : लैंप की चिमनी के गर्म होने पर उसमें प्रसार होता है। जब उसकी बाहरी सतह पर जल की बूँदें छिड़की जाती हैं, तो उसकी बाहरी सतह में प्रसार कम हो जाता है अर्थात् उसकी बाहरी और भीतरी सतह के बीच आपेक्षिक प्रसार असमान हो जाता है, जिससे चिमनी चटक जाती है।

58. अधिक ठंडक पड़ने पर ठंडे प्रदेशों में प्रायः जल के पाइप फट जाते हैं।

उत्तर : जल का घनत्व 4°C पर महत्तम होता है। जब जल बर्फ बनता है, तो इसका आयतन बढ़ जाता है। ठंडे प्रदेशों में प्रायः अधिक ठंड पड़ने पर ताप इतना कम (0° या इससे भी कम हो जाता है कि पाइपों में उपस्थित जल जमकर बर्फ बन जाता है और बर्फ का आयतन जल से अधिक होता है, जिसके कारण प्रायः पाइप फट जाते हैं।

59. ध्रुवीय प्रदेशों में जलीय जीव भीषण ठंड में भी जीवित रहते हैं।

उत्तर : जल के असंगत प्रसार अर्थात् तापमान के 4°C से कम होने पर उसके आयतन के बढ़ने के कारण ठंडे प्रदेशों में भीषण ठंड पड़ने पर भी जलीय जीव जीवित रहते हैं। जब ठंडे प्रदेशों में ताप काफी कम होने लगता है, तो जलाशयों की ऊपरी सतह का जल जमने लगता है। बर्फ का घनत्व जल से कम होता है अर्थात् बर्फ जल से हल्की होती है, इसीलिए वह जल के ऊपर तैरती रहती है, जिससे नीचे के पानी का ताप 4°C पर स्थिर हो जाता है और वह बर्फ नहीं बनता है। यही कारण है कि इस जल में जलीय जीव जिन्दा रहते हैं। यदि बर्फ का घनत्व जल से अधिक होता, तो जलाशय का पूरा पानी बर्फ बन जाता है और जलीय जीव उसमें दबकर मर जाते हैं

60. गर्म द्रव के थैले में अन्य द्रव के बदले जल का ही उपयोग किया जाता है।

उत्तर: सभी द्रवों में जल की विशिष्ट ऊष्मा सबसे अधिक होती है, अतः जल देर से ठंडा होता है। इसीलिए, गर्म द्रव के थैले में जल का ही उपयोग किया जाता

61. ऊंचे स्थानों पर जल 100°C के नीचे ही उबल जाता है।

उत्तर: कोई भी द्रव उसी ताप पर उबलता है, जिसे ताप पर उसके संतृप्त वाष्म का दाब द्रव के पृष्ठ पर पड़ते हुए वायुमंडलीय दाब के बराबर हो जाता है। ऊँचाई पर जाने पर वायुमंडलीय दाब कम हो जाता है, जिसके कारण जल का क्वथनांक कम हो जाता है और वह 100°C से कम ताप पर ही उबलने लगता है।

62. 100°C पर भाप 100°C पर पानी की अपेक्षा अधिक जलन पैदा करती है।

उत्तर : 100°C ताप पर भाप में 100°C पर पानी की अपेक्षा ऊष्मा की अधिक मात्रा होती है (गुप्त ऊष्मा के कारण ) । अतः, जब भाप त्वचां के सम्पर्क में आती है, तो 100°C पर पानी की अपेक्षा अधिक ऊष्मा का त्याग करती है, इसीलिए भाप अधिक जलन ‘पैदा करती है।

63. प्रेशर कूकर में भोजन शीघ्र पक जाता है।

उत्तर: हम जानते हैं कि दाब के बढ़ने से जल का क्वथनांक बढ़ जाता है। प्रेशर- कूकर में जल की सतह के ऊपर दाब बढ़ जाता है, जिससे जल का क्वथनांक बढ़ जाता है अर्थात् कूकर के अन्दर जल 100°C से अधिक ताप पर उबलता है, जिससे उसमें पकाये जानेवाले खाद्य पदार्थ को अधिक ऊष्मा प्राप्त होती है और भोजन जल्दी पक जाता है।

64. पहाड़ों पर भोजन पकाने में कठिनाई होती हैं।

उत्तर : ऊँचाई पर वायुमंडलीय दाब कम होने के कारण जल का क्वथनांक 100°C से कम हो जाता है, जिसके कारण भोज्य पदार्थों को पकाने के लिए आवश्यक ऊर्जा प्राप्त नहीं हो पाती। इसीलिए, पहाड़ों पर भोजन पकाने में कठिनाई होती है।

65. जब बर्फ के दो टुकड़ों को अधिक बल लगाकर एकसाथ दबाया जाता है, तो वे आपस में सट जाते हैं।

उत्तर : दाब बढ़ाने से बर्फ का गलनांक घट जाता है। जब बर्फ के दो टुकड़ों को अधिक बल लगाकर दबाया जाता है, तो गलनांक घट जाने के कारण उतने दूर की बर्फ पिघल जाती है और जब दाब हटा लिया जाता है, तो गलनांक बढ़ जाने के करण जल फिर जम जाता है, जिससे दोनों टुकड़े मिलकर एक हो जाते हैं।

66. गर्मी में सुराही का पानी ठंडा रहता है।

उत्तर : मिट्टी की बनी सुराही सरन्ध्र होती है अतः, सुराही में पानी रखने पर इसके रन्ध्रों से जल का वाष्पन होता है और वाष्पन के लिए आवश्यक ऊष्मा अन्दर के जल से ही प्राप्त होती है, जिसके कारण सुराही का जल ठंडा रहता है।

67. गर्मी में पसीना चलने के बाद पंखे के नीचे ठंडा लगता है।

उत्तर : वाष्पीकरण से ठंडक पैदा होती है के नीचे बैठने पर पसीने का वाष्पन होता है, जिसके कारण ठंडा लगता है। अतः गर्मी में पसीना चलने के बाद पंखे

68. गर्मी में कुत्ते जीभ निकालकर रहते हैं।

उत्तर : वाष्पन से ठंडक पैदा होती है, जिसके कारण गर्मी में कुत्ते जीभ निकालकर रहते हैं, क्योंकि ऐसा करने से वाष्पन होता है और उन्हें ठंडक का अनुभव होता है।

69. तेज बुखार में सिर पर भींगा कपड़ा रखा जाता है।

उत्तर : तेज बुखार में सिर पर भींगा कपड़ा रखने पर कपड़े के जल का वाष्पन होता है, जिसके लिए आवश्यक ऊष्मा उस व्यक्ति के शरीर से प्राप्त होती है और शरीर का ताप कुछ कम हो जाता है

70. प्याले की अपेक्षा तश्तरी में चाय जल्दी ठंडी हो जाती है।

उत्तर: द्रव के पृष्ठ का क्षेत्रफल बढ़ाने पर वाप्यन तेजी से होता है, क्योंकि प्याले की अपेक्षा तश्तरी में चाय के पृष्ठों का क्षेत्रफल बढ़ जाता है, इसीलिए तश्तरी में चाय जल्दी ठंडी हो जाती है।

71. पानी से भरे गिलास में जब बर्फ के टुकड़े डाले जाते हैं, तो कुछ देर के बाद गिलास की बाहरी सतह पर पानी की बूँदें जमा हो जाती हैं।

उत्तर : पानी से भरे गिलास में बर्फ के टुकड़े डालने पर पानी ठंडा हो जाता है, जिससे उसके आस-पास की वायु भी ठंडी हो जाती है और गिलास की दीवारों के सम्पर्क में वायु में उपस्थित जलवाष्प जल में संघनित हो जाते हैं, जिससे गिलास की बाहरी सतह पर पानी की बूँदें जमा हो जाती हैं।

72. जाड़े के समय प्रायः सुबह में मुँह से साँस छोड़ने पर मुँह से भाप निकलती है।

उत्तर: जाड़े के समय प्रायः सुबह में मुँह से साँस छोड़ने पर मुँह के भीतर की गर्म एवं आर्द्र वायु बाहर की ठंडी वायु के सम्पर्क में आकर ठंडी हो जाती है, जिससे कुहासा- जैसा बनने लगता है (अर्थात् वाष्प का द्रवण होने लगता है) और भाप निकलती दिखाई देती है।

73. ठंडे में बर्फ के टुकड़े को वायु में खुला रखने पर धुआँ निकलता दिखाई देता है।

उत्तर : जाड़े के समय में बर्फ के टुकड़े को हवा में रखने पर उसके आस-पास की वायु बर्फ के ठंडे पृष्ठ के सम्पर्क में आकर ठंडी होने लगती है, जिससे उसमें उपस्थित जलवाष्प का संघनन होने लगता है और जलकण वायु में प्लवन करने लगते हैं अर्थात् कुहासा जैसा बनने लगता है अर्थात् धुआँ निकलता दिखाई देता है।

74. स्वच्छ रातें बादलवाली रातों की अपेक्षा अधिक ठंडी होती हैं।

उत्तर : स्वच्छ रातें बादलवाली रातों की अपेक्षा अधिक ठंडी होती हैं, क्योंकि पृथ्वी के पृष्ठ से विकिरित होनेवाली ऊष्मा बादलों को पार नहीं कर पाती और परावर्तित हो जाती है, जिससे पृथ्वी ठंडी नहीं हो पाती।

75. बर्फ की सिल्ली को लकड़ी के बुरादे से ढककर रखा जाता है।

उत्तर: लकड़ी का बुरादा ऊष्मा का कुचालक होता है, इसीलिए बर्फ की सिल्ली को लकड़ी के बुरादे से ढँककर रखा जाता है, क्योंकि लकड़ी के बुरादे से ढँका होने पर बर्फ तक ऊष्मा का संचरण नहीं हो पाता है और बर्फ जल्दी पिघलती नहीं है।

76. गर्मी के दिनों में सफेद कपड़े तथा जाड़े के दिनों में रंगीन कपड़े पहनना आरामदेह होता है, क्यों ?

उत्तर: सफेद वस्तुएँ ऊष्मा का अवशोषण बहुत कम करती हैं, जबकि गहरे रंग की वस्तुएँ ऊष्मा का अधिक अवशोषण करती हैं, इसीलिए गर्मी में सफेद कपड़े तथा जाड़े के दिनों में रंगीन कपड़े पहनना आरामदेह होता है।

77. जाड़े में ऊनी कपड़े पहने जाते हैं।

उत्तर : ऊन ऊष्मा का कुचालक होता है, अतः ऊनी कपड़े पहनने से शरीर से ऊष्मा की हानि नहीं होती है और हमें ठंड नहीं लगती है, इसीलिए जाड़े में ऊनी कपड़े पहने जाते हैं।

78. एक मोटी कमीज की तुलना में दो पतली कमीजों को पहनने पर कम ठंड लगती है।

उत्तर : दो पतली कमीज पहनने पर इनके बीच वायु की परत आ जाती है और वायु ऊष्मा का कुचालक होती है, जिसके कारण कम ठंड लगती है।

79. गर्मी के दिनों में छत में सफेदी कराना लाभदायक होता है।

उत्तर : उजली सतहें ऊष्मा के अच्छे परवर्तक होती हैं और खराब अवशोषक होती हैं, इसीलिए गर्मियों में छत में सफेदी कराने पर छत कम गर्म होती है।

80. छत के समीप वेंटीलेटर (संवातक) बना देने से कमरे में वायु का परिसंचरण अच्छा होता है।

उत्तर: कमरे के अन्दर की वायु जब गर्म होती है, तो ऊपर उठती है। अतः, छत के समीप रौशनदान होने से यह वायु ऊपर उठकर कमरे से बाहर चली जाती है और इस रिक्त स्थान को भरने के लिए खिड़कियों से ठंडी हवा कमरे में प्रवेश करती है। इस प्रकार वायु का परिसंचरण अच्छा होता है।

81. गीले कपड़े बरसात की अपेक्षा जाड़े में जल्दी सूखते हैं।

उत्तर : “बरसात में जाड़े की अपेक्षा वायु की आपेक्षिक आर्द्रता अधिक होती है, जिसके कारण बरसात में जाड़े की अपेक्षा वाष्पन कम होता है और कपड़े जल्दी नहीं सूखते हैं।

82. किसी बड़े सभा भवन में वक्ता के स्थान के ऊपर एक बोर्ड (ध्वनि-बोर्ड) लगा रहता है।

उत्तर : किसी बड़े सभा भवन में वक्ता के स्थान के ऊपर एक बोर्ड (ध्वनि-बोर्ड) लगा रहता है, क्योंकि वक्ता द्वारा बोले गये शब्द (ध्वनि) इस बोर्ड द्वारा परावर्तित होते हैं, जिससे श्रोताओं को ध्वनि सुनने में आसानी होती है।

83. किसी घने जंगल के सामने चिल्लाने पर प्रतिध्वनि नहीं सुनाई देती ।

उत्तर : किसी घने जंगल के सामने चिल्लाने से प्रतिध्वनि नहीं सुनाई पड़ती है, क्योंकि घने जंगल में पत्तियों, टहनियों और शाखाओं के पृष्ठों के झुकाव भिन्न-भिन्न दिशाओं में होते हैं, जिनके कारण ध्वनि उनसे टकराकर विभिन्न दिशाओं में परावर्तित होती है और प्रतिध्वनि बहुत कम सुनाई देती है।

84. कभी-कभी हॉल में श्रोताओं की संख्या कम होने पर भाषण सुनने में कठिनाई होती है।

उत्तर :हॉल में श्रोताओं की संख्या कम होने पर प्रतिध्वनि बढ़ जाती है, क्योंकि ध्वनि का अवशोषण नहीं हो पाता है, जिसके कारण भाषण सुनने में कठिनाई होती है।

85. दूर की ध्वनि सुनने के लिए मनुष्य अपनी हथेली को कान के पीछे प्याले जैसा बनाकर रखते हैं।

उत्तर : दूर की ध्वनि सुनने के लिए प्रायः लोग अपनी हथेली को कान के पीछे प्याले जैसा बनाकर रखते हैं, क्योंकि ऐसा करने से हथेली अवतल पृष्ठ की तरह ध्वनि तरंगों को परावर्तित कर उन्हें कान पर संकेन्द्रित कर देती है, जिससे ध्वनि साफ सुनाई देती है।

86. बिजली की चमक पहले दिखाई पड़ती है और गड़गड़ाहट बाद में सुनाई पड़ती है।

उत्तर: बिजली की चमक प्रकाश के वेग से चलती है, जबकि गड़गड़ाहट की आवाज ध्वनि के वेग से चूँकि वायु में प्रकाश का वेग ध्वनि के वेग से अधिक होता है, इसीलिए बिजली की चमक पहले दिखाई पड़ती है और गड़गड़ाहट बाद में सुनाई पड़ती है।

87. ऊँचे उड़ते पतंग की छाया हमें दिखाई नहीं देती।

उत्तर :यदि विस्तृत क्षेत्र वाला प्रकाश स्रोत वस्तु से बड़ा हो, तो पर्दे पर प्रच्छाया और उपच्छाया दोनों बनते हैं। प्रच्छाया और उपच्छाया का आकार पर्दे से वस्तु की दूरी पर निर्भर करता है। दूरी अधिक होने पर प्रच्छाया बनती ही नहीं है। यही कारण है कि ऊँचे उड़ते पतंग की छाया हमें दिखाई नहीं देती है।

88. मोटरचालक के पास उत्तल दर्पण लगा होता है।

उत्तर : उत्तल दर्पण में सीधा तथा वस्तु से छोटा प्रतिबिंब बनता है। साथ ही उत्तल दर्पण का दृष्टि-विस्तार बहुत अधिक होता है अर्थात् इसमें काफी बड़े क्षेत्र का प्रतिबिम्ब बनता है, इसीलिए मोटरचालक के पास उत्तल दर्पण लगा होता है, ताकि वह पीछे के थोड़े बड़े क्षेत्र को देख सके।

89. दाढ़ी बनाने के लिए अवतल दर्पण का उपयोग किया जाता है।

उत्तर : अवतल दर्पण के निकट किसी वस्तु को रखने पर उसका सीधा और बड़ा प्रतिबिम्ब बनता है, इसीलिए दाढ़ी बनाने के लिए अवतल दर्पण का उपयोग किया जाता

90. ऊपर से देखने पर स्वच्छ झील की गहराई वास्तविक गहराई से कम मालूम पड़ती है।

उत्तर: प्रकाश के अपवर्तन के कारण स्वच्छ झील की गहराई वास्तविक गहराई से कम मालूम पड़ती है। विरल माध्यम से सघन माध्यम में देखने पर आभासी गहराई वास्तविक गहराई से कम प्रतीत होती है, क्योंकि प्रकाश की किरणें सघन माध्यम से विरत माध्यम में आती हैं, तो अभिलम्ब से दूर हटती हैं ।

91. पास में जलाशय नहीं होने पर भी मरुभूमि में पेड़ों के उल्टे प्रतिबिम्ब दिखाई पड़ते हैं ।

उत्तर : भीषण गर्मी के कारण मरुभूमि में पृथ्वी पर ठीक नीचे हवा की परत बहुत हल्की हो जाती है और ऊपर ऊँचाई बढ़ने पर हवा की परतों का घनत्व बढ़ता जाता है। अतः, पेड़ों के ऊपर से चली प्रकाश-किरणें सघन माध्यम से विरल माध्यम में चलती हुई अभिलम्ब से दूर हटती जाती हैं और एक ऐसी स्थिति आती है कि किरणों का पूर्ण आन्तरिक परावर्तन होता है और किरणें हल्की परतों से भारी परतों की ओर चलती हैं। इस प्रकार, दूर से आते हुए यात्री को पेड़ों का उल्टा और हिलता हुआ प्रतिबिम्ब दिखाई पड़ता है, जिससे पास में जलाशय होने का भ्रम हो जाता है। इसे ही मरीचिका कहते हैं।

92. सूर्य वास्तविक सूर्योदय के कुछ पहले तथा वास्तविक सूर्यास्त के कुछ बाद तक दिखता है ।

उत्तर : वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण सूर्य सूर्योदय से कुछ पहले (2 मिनट) तथा सूर्यास्त के कुछ बाद (2 मिनट) तक दिखाई देता है। पृथ्वी के निकट हया की परतें सपन होती हैं। अतः, क्षितिज के नीचे से आनेवाली किरणें जब विरल परतों से सघन परतों में आती हैं, तो प्रत्येक परत पर किरणें अपवर्तित होकर अभिलम्ब की ओर मुड़ती जाती हैं, जिससे किरणें चितिज के ऊपर से आती हुई मालूम पड़ती हैं। इस प्रकार सूर्य के क्षितिज से थोड़ा नीचे रहने पर सूर्य का आभासी प्रतिविम्ब क्षितिज से ऊपर बनता है और दिन की लम्बाई 4 मिनट बढ़ जाती है।

93. तारे क्यों टिमटिमाते हैं ?

उत्तर :तारों के प्रकाश के वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण तारे टिमटिमाते प्रतीत होते हैं। तारे पृथ्वी से बहुत अधिक दूरी पर हैं, अतः ये प्रकाश के बिंदु-स्रोत की तरह व्यवहार करते हैं। जब किसी तारे का प्रकाश पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है, तो वायुमंडल की विभिन्न परतों से प्रकाश का अपवर्तन होता है तारे का प्रकाश विरल से सघन माध्यम की ओर गमन करता है, जिससे वह प्रत्येक परत पर अभिलम्ब की दिशा में झुकते हुए गमन करता है। तारे की आभासी स्थिति वास्तविक स्थिति से ऊपर होती है। साथ ही, यह आभासी स्थिति भी थोड़ी बदलती रहती है, जिसके कारण आँखों में प्रवेश करनेवाले प्रकाश की मात्रा झिलमिलाती रहती है और तारे टिमटिमाते प्रतीत होते हैं 1

94. ग्रह क्यों नहीं टिमटिमाते हैं ?

उत्तर : ग्रह तारों की अपेक्षा पृथ्वी के बहुत पास हैं, अतः वे प्रकाश के वृहत् स्रोत की भाँति व्यवहार करते हैं अर्थात् ये कई बिंदु स्रोतों के संग्रह का कार्य करते हैं। अतः, किसी ग्रह से आनेवाले प्रकाश का अपवर्तन तो होता है, परन्तु हमारी आँखों में प्रवेश करनेवाले प्रकाश की मात्रा में कुल परिवर्तन का औसत मान लगभग शून्य हो जाता है, इसीलिए हमें ग्रह टिमटिमाते प्रतीत नहीं होते।

95. आसमान नीला क्यों दिखाई देता है ?

उत्तर: वायु एक विषमांग मिश्रण है। वायु के कणों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण आसमान नीला दिखाई देता है। दृश्यप्रकाश में विभिन्न तरंगदैयों की किरणें होती हैं, जिनमें नीले वर्ण का तरंगदैर्घ्य लाल वर्ण के तरंगदैर्घ्य की अपेक्षा बहुत कम होता है, जिससे नीले वर्ण की तरंगों का वायु के सूक्ष्मकणों द्वारा अत्यधिक प्रकीर्णन होता है और हमारी आँखों तक मुख्यतः नीला वर्ण ही पहुँच पाता है, इसीलिए आसमान नीला प्रतीत होता है।

96. गहरे समुद्र का जल नीला क्यों दिखाई देता है ?

उत्तर : गहरे समुद्र का जल प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण नीला दिखाई देता है। समुद्र के जल की सतह पर जब दृश्यप्रकाश की विभिन्न तरंगदैयों की किरणें पड़ती हैं, तो छोटे तरंगदैर्ध्य वाले नीले वर्ण का प्रकीर्णन होता है और यही वर्ण विसरित होकर परावर्तित होता है और हमारी आँखों तक पहुँच जाता है। इसीलिए समुद्र का जल नीला दिखाई देता है।

97. किसी अंतरिक्षयात्री को आकाश नीले की अपेक्षा काला क्यों प्रतीत होता है ?

उत्तर: वायु के कणों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण आकाश का रंग नीला दिखाई देता है। चूँकि अंतरिक्षयात्री काफी ऊँचाई पर होता है, जहाँ वायु का अभाव होता है, जिससे दृश्यप्रकाश के किसी भी वर्ण का प्रकीर्णन नहीं होता है, इसीलिए अंतरिक्षयात्री को आसमान नीले की अपेक्षा काला दिखाई देता है।

98. सूर्योदय या सूर्यास्त के समय सूर्य रक्ताभ (लाल) दिखाई देता है, जबकि दोपहर के समय श्वेत, क्यों ?

उत्तर : सूर्योदय या सूर्यास्त के समय सूर्य क्षितिज के पास होता है, अतः प्रकाश की किरणों को लंबी दूरी तय करनी पड़ती है, जिससे छोटे तरंगदैर्घ्य वाले नीले और बैंगनी प्रकाश की किरणें क्षितिज के समीप ही प्रकीर्णित हो जाती हैं, लेकिन लाल वर्ण की किरणों का तरंगदैर्ध्य अधिक होने के कारण इनका वायु के सूक्ष्मकणों द्वारा प्रकीर्णन नहीं होता है। इस प्रकार हमारी आँखों तक मुख्यतः लाल प्रकाश ही पहुँच पाता है और हमें सूर्य लाल दिखाई देता है। इसके विपरीत, दोपहर के समय सूर्य की दूरी अपेक्षाकृत कम होती है और लगभग सभी वर्णों के प्रकाश हमारी आँखों तक पहुँचते हैं और हमें सूर्य श्वेत दिखाई देता है।

99. खतरे का सिग्नल लाल क्यों बनाया जाता है ?

उत्तर : लाल वर्ण के तरंगदैर्घ्यं अधिक होने के कारण इसका वायु के सूक्ष्मकण द्वारा कुहरे या धुएँ में प्रकीर्णन नहीं होता है और ये काफी दूर तक गमन करता है, जिससे काफी दूर से देखने पर यह लाल ही दिखाई देता है। इसीलिए खतरे के सिग्नल को लाल बनाया जाता है।

100. स्थायी चुम्बक इस्पात के क्यों बनाये जाते हैं।

उत्तर : इस्पात की धारणशीलता अधिक होती है अर्थात् इसमें चुम्बकीय गुण को देर तक बनाये रखने की प्रवृत्ति होती है, इसीलिए स्थायी चुम्बक इस्पात के बनाये जाते हैं।

101. ऊँची इमारतों के ऊपर तड़ितचालक लगाये जाते हैं।

उत्तर : ऊँची इमारतों को तड़ित (बिजली गिरने) से नष्ट होने से बचाने के लिए इनके ऊपर तड़ित चालक लगाये जाते हैं जब कोई आवेशित बादल तड़ित चालक की नोकों पर आता है, तो वह इन पर विजातीय आवेश. प्रेरित करता है तथा सजातीय आवेश ताँबे के तार के द्वारा पृथ्वी में चला जाता है। नोकों पर एकत्र विजातीय आवेश के कारण बादल धीरे-धीरे अनावेशित होता जाता है, जिससे तड़ित का विसर्जन नहीं हो पाता है। यदि तड़ित का विसर्जन होता भी है, तो यह तड़ितचालक से होता हुआ पृथ्वी में चला जाता है और इमारतें नष्ट होने से बच जाती है।

102. नाइलॉन के कपड़े उतारने पर चटचटाहट होती है।

उत्तर : नाइलॉन के कपड़े शरीर से घर्षित होने के कारण आवेशित हो जाते हैं और उन्हें उतारते हैं, तो आवेश विसर्जित हो जाते हैं, इसीलिए चटचटाहट होती है और कभी-कभी चिन्गारी जैसी निकलती दिखाई पड़ती है।

103. टीवी स्क्रीन पर धूलकणें जल्दी एकत्रित होते हैं।

उत्तर: टीवी स्क्रीन आवेशित होता है और धूलकण अनावेशित होते हैं। चूँकि आवेशित और अनावेशित वस्तुओं के बीच आकर्षण होता है, जिसके कारण धूलकण भी ‘टीवी स्क्रीन की ओर आकर्षित होते हैं और स्क्रीन पर जल्दी धूलकणें जमा हो जाते हैं।

104. आमीटर को श्रेणीक्रम में तथा वोल्टमीटर को हमेशा समान्तरक्रम में ही जोड़ा जाता है, क्यों ?

उत्तर: आमीटर का प्रयोग परिपथ में विद्युत्-धारा मापने के लिए किया जाता है। श्रेणीक्रम में जुड़े सभी अवयवों से समान धारा प्रवाहित होती है, इसीलिए आमीटर को परिपथ में श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है, ताकि परिपथ में प्रवाहित होनेवाली पूरी धारा इससे गुजरे। इसके विपरीत, वोल्टमीटर द्वारा परिपथ में किन्हीं दो बिंदुओं के बीच का विभवान्तर मापा जाता है, इसीलिए इसे परिपथ में उन बिंदुओं के साथ समान्तरक्रम में जोड़ा जाता है

105. विद्युत् टोस्टरों तथा विद्युत्-इस्तिरियों के तापन अवयव शुद्ध धातु के न बनाकर किसी मिश्रधातु के क्यों बनाये जाते हैं ?

उत्तर: विद्युत् टोस्टरों तथा विद्युत्-इस्तिरियों के तापन अवयव ऊष्मा उत्पन्न करते हैं और विद्युत्-धारा के द्वारा उत्पन्न ऊष्मा चालक के प्रतिरोध के समानुपाती होती है। चूँकि शुद्ध धातुओं की अपेक्षा मिश्रधातुओं की प्रतिरोधकता तथा गलनांक अधिक होते हैं, इसीलिए टोस्टरों या इस्तिरियों के तापन अवयव मिश्रधातु के बनाये जाते हैं, ताकि अधिक ऊष्मा उत्पन्न हो और अधिक ताप पर ये तार गल भी नहीं पाएँ।

106. किसी विद्युत्-हीटर के तापन अवयव अत्यधिक गर्म हो जाते हैं, जबकि संयोजक तार गर्म नहीं होते हैं, क्यों ?

उत्तर : विद्युत्-धारा द्वारा चालक में उत्पन्न ऊष्मा चालक के प्रतिरोध के समानुपाती होती है। चूँकि हीटर के तापन अवयवों के पदार्थों के प्रतिरोध उच्च होते हैं, जिसके कारण वह अत्यधिक गर्म हो जाता है। इसके विपरीत, संयोजक तार का प्रतिरोध अत्यन्त कम होता है, जिससे उतनी ऊष्मा उत्पन्न नहीं होती है और वह गर्म भी नहीं होता है।

107. विद्युत् व के तंतुओं के निर्माण में प्रायः एकमात्र टंगस्टन का ही उपयोग किया जाता है, क्यों ?

उत्तर : विद्युत्-बल्ब के तंतुओं का कार्य होता है— प्रकाश उत्पन्न करना और प्रकाश उत्सर्जित करने के लिए तंतुओं के ताप का अत्यधिक होना। रंगस्टन धातु का प्रतिरोध अधिक होता है। साथ ही, इसका गलनांक भी उच्च (3380 °C) होता है अतः, प्रतिरोध अधिक होने के कारण अधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है, जिससे तंतुओं का ताप अत्यधिक बढ़ जाता है और गलनांक अधिक होने के कारण ये अधिक ताप पर नहीं गलते हैं। इसीलिए, विद्युत् बल्बों के तंतुओं के निर्माण में टंगस्टन का उपयोग किया जाता है।

108.  विद्युत् संचरण के लिए प्राय: कॉपर और ऐलुमिनियम के तारों का ही उपयोग क्यों किया जाता है ?

उत्तर : जब किसी चालक द्वारा विद्युत् का संचरण होता है, तो विद्युत्-धारा के ऊष्मीय प्रभाव के कारण विद्युत् ऊर्जा का कुछ अंश ऊष्मा ऊर्जा में रूपान्तरित हो जाता है, जिससे विद्युत् ऊर्जा की हानि होती है। विद्युत् ऊर्जा का ऊष्मा ऊर्जा में परिवर्तन चालक के प्रतिरोध के समानुपाती होता है। अतः, विद्युत्-संचारण के लिए प्राय: कॉपर और ऐलुमिनियम के तारों का उपयोग किया जाता है, क्योंकि इनकी प्रतिरोधकता अत्यन्त कम होती है और इनके द्वारा विद्युत् ऊर्जा की उतनी ही हानि नहीं होती है।

109. घरेलू विद्युत परिपथों में श्रेणीक्रम संयोजन का उपयोग क्यों नहीं किया जाता है ?

उत्तर : हम जानते हैं कि श्रेणीक्रम संयोजन में प्रत्येक प्रतिरोध से समान धारा प्रवाहित होती है। घरों में उपयोग किये जानेवाले विभिन्न उपकरणों में धारा की आवश्यकताएँ भिन्न-भिन्न होती हैं, इसीलिए उन्हें श्रेणीक्रम में जोड़ना उपयुक्त नहीं होता है। साथ ही, यदि उपकरणों को श्रेणीक्रम में जोड़ा जाय, तो किसी उपकरण के काम न करने पर परिपथ भंग हो जायगा और सभी उपकरण काम करना बंद कर देंगे। इसीलिए घरेलू विद्युत् परिपथों में श्रेणीक्रम संयोजन का उपयोग नहीं किया जाता है।

110. दिकसूचक को चुम्बक के पास लाने पर दिक्सूचक की सूई विक्षेपित क्यों हो जाती है ?

उत्तर : दिक्सूचक की सूई स्वयं एक चुम्बक होती है। चूँकि एक चुम्बक को किसी दूसरे चुम्बक के पास लाने पर आकर्षण या प्रतिकषर्ण होता है, इसीलिए दिक्सूचक को • चुम्बक के पास लाने पर दिक्सूचक की सूई विक्षेपित हो जाती है।

111. दो चुम्बकीय क्षेत्र-रेखाएँ एक-दूसरे को क्यों नहीं प्रतिच्छेद करती हैं ?

उत्तर: चुम्बकीय क्षेत्र-रेखाएँ वे वक्रपथ होती हैं, जिनपर चुम्बक का स्वतंत्र उत्तरी ध्रुव गति करता है। इस वक्रपथ के किसी बिंदु पर गति की दिशा उस बिंदु पर स्पर्शरखा की दिशा में होती है। यदि दो वक्ररेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेद करेंगी, तो उनके प्रतिच्छेद बिंदु पर गति की दो दिशाएँ होंगी, जो असंभव है, इसीलिए चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ एक- दूसरे को प्रतिच्छेद नहीं करती हैं.

112. धातु के आवरण वाले विद्युत्-साधित्रों को भूसंपर्कित करना क्यों आवश्यक है ?

उत्तर : भूसम्पर्क तार (Earth-wire) घर के निकट भूमि के भीतर बहुत गहराई पर स्थित धातु की प्लेट से संयोजित होता है अतः, यदि किसी कारणवश धातु के आवरण में धारा आ जाती है, तो भूसम्पर्क तार उसे भूमि में स्थानान्तरित कर देता है और उपकरण का उपयोग कर रहे व्यक्तियों का तीव्र विद्युत् आघात से बचाव हो जाता है। इसलिए, धातु के आवरण वाले विद्युत्-साधित्रों को भूसम्पर्कित करना आवश्यक होता है।

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