मानव स्वास्थ तथा रोग

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. इनमें से किस रोग हेत एलिसा (ELISA) जाँच करना चाहिए

(A) मलेरिया
(B) मियादीबुखार टायफाइड
(C) एच.आई.वी. एड्स
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (C)

2. इनमें से किसके द्वारा डेंगू का विस्तारण होता है

(A) सी सी मक्खी
(B) मच्छर
(C) प्रदूषित वायु
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (B)

3. वायरस के कोर में इनमें से क्या पाया जाता है ।

(A) DNA
(B) RNA
(C) दोनों में से कोई एक
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (C)

4. इन्फ्लुएंजा इनमें से किसके द्वारा होता है

(A) इन्फो वायरस
(B) मिक्सो वायरस
(C) हर्पिस वायरस
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (B)

5. फिलपाँव/हाथीपाँव रोग का रोगाणु है

(A) वूचेरिया
(B) एस्केरिस
(C) टिनिया
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (A)

6. एण्टीबॉयटिक शब्द के प्रणेता है

(A) फ्लेमिंग
(B) जेनर
(C) वाक्समॉन
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (B)

7. यौन संचारित रोग निम्नांकित में से कौन है ?

(A) एड्स
(B) सिफिलीस
(C) गोनोरी
(D) इनमें से सभी

Answer ⇒ (D)

8. टी० लिम्फोसाईट उत्पन्न होता है :

(A) पेट से
(B) थाईमस से
(C) यकृत से
(D) अस्थि मज्जा से

Answer ⇒ (D)

9.अबुर्दीय विषाणु कारक हैं :

(A) पोलियो
(B) क्षय-रोग
(C) पीलिया
(D) कैंसर

Answer ⇒ (D)

10. निम्नांकित में से कौन विषाणु जनित रोग है ?

(A) हैजा
(B) मलेरिया
(C) पोलियो
(D) इनमें से सभी

Answer ⇒ (C)

11. रूधिर में पाए जाने वाला दयनोग्लोबलीन है

(A) IgA
(B) IgD
(C) IgG
(D) IgM

Answer ⇒ (D)

12. निम्नांकित में से कौन यौन संचारित रोग है :

(A) गोनोरीनीला
(B) मलेरिया मारमा
(C) हैजा
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (A)

13. कैंसर का कारक है:

(A) ऑन्कोजीन्स
(B) अबुर्दीय विषाणु
(C) दोनों (A) तथा (B)
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (C)

14. सुजाक (गोनेरिया) रोग है:

(A) जल जनित रोग
(B) हवा जनित रोग
(C) यौन संचारित रोग
(D) रोग नहीं है

Answer ⇒ (C)

15. हिस्टामिन संबंधित है :

(A) उदासीन
(B) B-लिम्फोसाइट
(C) एंटीबॉडी
(D) एलर्जी

Answer ⇒ (D)

16. डेंगू बुखार किसके कारण होता है ?

(A) जीवाणु
(B) विषाणु
(C) प्रोटोजोआ
(D) कृमि

Answer ⇒ (B)

17. यौन-संचारित रोग है :

(A) क्लैमीडिया
(B) AIDS
(C) हर्पिस
(D) इनमें से सभी

Answer ⇒ (D)

18. “विडाल परीक्षण’ किस बीमारी के लिए किया जाता है ?

(A) मलेरिया
(B) टाइफ्वाएड
(C) डेंगू
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (B)

19. निम्नलिखित में कौन-सा रोग प्रोटोजोआ परजीवी द्वारा संचारित होता है ?

(A) अमीबीएसीस
(B) मलेरिया
(C) कालाजार
(D) सभी

Answer ⇒ (D)

20. विषा जो सामान करते हैं

(A) अबुर्दीय विषाणु
(B) जीवाणु भोजी
(C) टी. एम. वी. (TMV)
(D) कोई नहीं

Answer ⇒ (A)

21. ब्राउन सुगर रासायनिक रूप से क्या है ?

(A) डाइएसिटिल मॉर्फीन हाइड्रोक्लोराइड
(B) थिओफाइलीन
(C) लोराजिपम
(D) मेथीड्रिन

Answer ⇒ (D)

22. एण्टीहिस्टामिन एवं स्टेरॉयड के प्रयोग से शीघ्रता से आराम मिलता है :

(A) एलर्जी से
(B) नॉसिया से
(C) कफ से
(D) सिरदर्द से

Answer ⇒ (A)

23. एड्स में कौन-सी कोशिकाएं सर्वाधिक प्रभावित होती हैं :

(A) B-सेल्स
(B) T-सेल्स
(C) मोनोसाइट्स
(D) न्यूट्रोफिल्स’

Answer ⇒ (B)

24. मनुष्य में सबसे अधिक होने वाला कैंसर है ?

(A) मिलेनोमा
(B) लिम्फोमा
(C) सार्कोमा
(D) कासनोमा

Answer ⇒ (D)

25. टीकाकरण एक व्यक्ति को रोग से बचाता है, क्योंकि वह :

(A) पाचन को अच्छा करने में सहायता करता है
(B) RBC संख्या को बढ़ाता है ।
(C) प्रतिरक्षी पदार्थ उत्पन्न करता है
(D) शरीर के ऊष्मा-तंत्र को सही रखता है।

Answer ⇒ (C)

26. LSD प्राप्त होता है :

(A) कवक से
(B) लाइकेन से
(C) शैवाल से
(D) जीवाणु से

Answer ⇒ (A)

27. PCR से जाँच होती है :

(A) HIV का
(B) कैंसर का
(C) क्षयरोग का
(D) हैजा का

Answer ⇒ (A)

28. विश्व एड्स दिवस होता है :

(A) 1 मई
(B) 20 दिसम्बर
(C) 1 जून
(D) 1 दिसम्बर

Answer ⇒ (D)

29. AIDS का कारक है :

(A) बैक्टीरिया
(B) प्रोटोजोआ
(C) HIV वाइरस
(D) ट्राइकोमोनास

Answer ⇒ (C)

30. AIDS का कारक HIV वाइरस सर्वप्रथम किस कोशिका को नष्ट करता है ?

(A) हेल्पर T-लिम्फोसाइट को
(B) B-लिम्फोसाइट को
(C) ल्यूकोसाइट्स
(D) थ्रोम्बोलाइट

Answer ⇒ (A)

31. ट्यूबरकुलोसिस के लिए कौन-सा टीका प्रयुक्त किया जाता है ?

(A) BCG
(B) DPT
(C) TT
(D) उपरोक्त सभी

Answer ⇒ (A)

32. ओकोजीन, इनमें से किसके लिए उत्तरदायी है ?

(A) कैंसर
(B) एड्स
(C) क्षय-रोग
(D) पोलियो

Answer ⇒ (A)

33. वुचेरेरिया बैंक्रोफ्टी आदमी में फाइलेरिया रोग पैदा करता है। यह किस समूह का है:

(A) प्रोटोजोआ
(C) विषाणु
(B) जीवाणु
(D) हेलमिन्स

Answer ⇒ (D)

34. दीपल एंटीजेन टीका का उपयोग नहीं होता है

(A) डिप्थेरिया के लिए
(B) पर्टयुसिस के लिए
(C) टायफायड के लिए
(D) टेटनस के लिए

Answer ⇒ (A)

35.HIV निम्न में किस कोशिका पर आक्रमण करता है ?

(A) B-कोशिका
(P) T-कोशिका
(C) इपीथिलयल कोशिका
(D) T हेल्पर कोशिका

Answer ⇒ (D)

36. ऐसे पदार्थ जिनके प्रति प्रतिरक्षा अनुक्रिया होती है उसे कहते हैं .

(A) एलर्जन
(B) टीका
(C) एण्टीबॉडी
(D) एन्टीजन

Answer ⇒ (A)

37. एलर्जी में बनने वाली प्रतिरक्षियों है

(A) IgA प्रकार के
(B) IgE प्रकार के
(C) IgM प्रकार के
(D) IgG प्रकार के

Answer ⇒ (B)

38. एलर्जी के कारण निकलने वाले रसायन है

(A) हिस्टामिन
(B) सिरोटोनिन
(C) (A) व (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (C)

39. निम्न में से कौन जीवाणु से होने वाली बीमारी नहीं है ?

(A) टाईफाइड
(B) कुष्ठ
(C) डिफ्थेरिया
(D) इन्फ्लुएंजा

Answer ⇒ (D)

40. एलीफैन्टेसीस का कारक है

(A) एस्केरिस
(B) टीनिया
(C) वुचेरेरिया
(D) एन्टअमीबा

Answer ⇒ (C)

41. तंबाकू का मुख्य अवयव है :

(A) कोकीन
(B) मार्फिन
(C) निकोटीन
(D) थायमीन

Answer ⇒ (C)

42. टी०बी० किससे होता है

(A) गोनोरिया से
(B) माइकोबैक्टीरियम से
(C) ट्रैपोनेमा से
(D) बैसिलस से

Answer ⇒ (B)

43. वायरस जनित रोग क्या है ?

(A) मलेरिया
(B) इंफ्लुएंजा
(C) डिप्थीरिया
(D) सिफिलस

Answer ⇒ (B)

44. चेचक किसके कारण होता है ?

(A) विषाणु
(B) जीवाणु
(C) कवक
(D) मच्छड़

Answer ⇒ (A)

45. चिकेनपॉक्स किसके कारण होता है ?

(A) एडिनो वायरस
(B) वैरिसेला वायरस
(C) जीवाणुभोजी T2
(D) SV 40 वायरस

Answer ⇒ (B)

46. अल्कोहल द्वारा किस अंग पर कुप्रभाव पड़ता है ?

(A) हृदय
(B) यकृत
(C) मस्तिष्क
(D) फेफड़ा

Answer ⇒ (B)

47. गहरी निद्रा को प्रेरित करने वाली औषधि है :

(A) स्टीमुलेंटा
(B) हैलुसिनोजेन
(C) सेडेटिव मालिक
(D) ओपिएट नार्कोटिक

Answer ⇒ (C)

48. निकोटीन है

(A) क्षारीय
(B) अमीनो अम्ल
(C) अमीनो अम्ल
(D) विटामिन

Answer ⇒ (A)

49. AIDS का कारक क्या है ?

(A) ट्राइकोमोनास
(B) HIV
(C) हिपेटाइटिस E
(D) बैसिलस एंथेसिस

Answer ⇒ (B)

50. इनमें से कौन प्रोटोजोआ-जनित रोग है ?

(A) हैजा
(B) क्षयरोगा
(C) मलेरिया
(D) एड्स

Answer ⇒ (C)

51. इनमें से कौन बैक्टीरिया-जनित रोग है ?

(A) सिफलिस
(B) हर्पिस
(C) पैपिलोमा
(D) इनमे सभी

Answer ⇒ (A)

52. T-लिम्फोसाइट कहाँ उत्पन्न होता है ?

(A) थाइमस में
(B) आमाशय में
(C) यकृत में
(D) अस्थि-मज्जा में

Answer ⇒ (D)

53. प्रतिरक्षा-तंत्र को पूर्णरूप से दमन के लिए कौन-सी कोशिकाएँ हैं ?

(A) किलट कोशिकाएँ
(B) सहायक T-कोशिकाएँ
(C) निरोधी T-कोशिका
(D) मेमोरी कोशिकाएँ

Answer ⇒ (C)

54. लिम्फोसाइट के ऊपर क्या रहता है ?

(A) IgG
(B) IgM
(C) IgD
(D) IgE

Answer ⇒ (C)

55. रेबीज का टीका किसने प्रचलित किया ?

(A) जेनर
(B) पाश्चर
(C) डार्विन
(D) लैमार्क

Answer ⇒ (B)

56. डिप्थीरिया, टिटेनस, कुकरखाँसी आदि के लिए कौन टीका लगवाना चाहिए ?

(A) BCG
(B) DTP-Hib
(C) हिपेटाइटिस-बी
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (B)

57. हिस्टामिन संबंधित है :

(A) उदासीनता
(B) B-लिम्फोसाइट से
(C) एंटीबॉडी से
(D) एलर्जी से

Answer ⇒ (D)

58. किसके अध्ययन को ऑनकोलोजी कहते हैं ?

(A) कॉलेरा
(B) कुष्ठ
(C) ट्यूमर
(D) मलेरिया

Answer ⇒ (C)

59. निम्नलिखित में कौन कैंसर से संबंधित है ?

(A) लाइपोना
(B) ल्यूकेमिया
(C) लिम्फोमामा
(D) इनमें सभी

Answer ⇒ (D)

60. कैंसर बीमारी का उपचार है :

(A) शल्य-चिकित्सा
(B) कीमोथिरैपी
(C) रेडियोथिरैपी
(D) इनमें से सभी

Answer ⇒ (D)

61. म्युटाजेन कौन-सा है ?

(A) एक्स-रे
(B) रेडियोऐक्टिव किरण
(C) सरसों गैस
(D) इनमें से सभी

Answer ⇒ (D)

62. निम्नलिखित में संवेदनमंदक पदार्थ है ?

(A) तंबाकू
(B) दारू या अल्कोहल
(C) हशीश या हेरोइन मोर
(D) भांग या ओपियम

Answer ⇒ (A)

63. निम्नलिखित समूहों में कौन संवेदनात्मक/स्वापक (Narcotic) पदार्थ हैं ?

(A) मॉर्फिन, कोकीन और चाय
(B) हेरोइन, कोकीन और तंबाकू
(C) ब्राउन शुगर, हशीश और कॉफी
(D) कोकीन, हेरोइन और हशीश

Answer ⇒ (D)

64. संक्रमित पेयजल से फैलने वाला रोग इनमें से कौन है ?

(A) मियादी बुखार या टाइफाइड
(B) मलेरिया
(C) फाइलेरिया
(D) काला ज्वर

Answer ⇒ (A)

65. निम्नांकित में वायु जनित रोग कौन-सा है ?

(A) क्षय रोग
(B) डिप्थेरिया
(C) न्यूमोनिया
(D) इनमें से सभी

Answer ⇒ (C)

66. पोलियो को चिकित्सीय भाषा में क्या कहते हैं ?

(A) शैशव लकवा
(B) जलांतका
(C) जबड़े का लकवा
(D) इनमें से सभी

Answer ⇒ (A)

67. विडाल परीक्षण द्वारा किसका पता चलता है ?

(A) एड्स
(B) मलेरिया
(C) तपेदिक
(D) टाईफाइड

Answer ⇒ (D)

68. मलेरिया परजीवी के संक्रमण की मख्य अवस्था क्या है ?

(A) द्राकाज्वाइट
(B) स्पोरोज्वाइट
(C) माराज्वाइट
(D) क्रिप्टोज्वाइट

Answer ⇒ (B)

69. मलेरिया परजीवी के रोगवाहक इनमें से कौन है ?

(A) मादा क्यूलेक्स
(B) मादा एनोफिलीज
(C) मादा बालू मक्खी
(D) इनमें से सभी

Answer ⇒ (B)

70. इनमें से फफूंदी द्वारा उत्पन्न रोग कौन-सा है ?

(A) क्षय रोग
(B) चेचक
(C) दाद एवं शल्की विक्षतियाँ
(D) श्लीपद

Answer ⇒ (C)

71. इनमें से कौन कृमि जनित संक्रामक रोग नहीं है ?

(A) एस्केरिस्ता
(B) फाइलेरिया
(C) हेपेटाइटिस
(D) एसाइक्लोस्टोसिसता

Answer ⇒ (C)

72. इनमें से प्रोटोजोआ परजीवी द्वारा संचरित रोग कौन-सा है ?

(A) अमीबता
(B) मलेरिया
(C) काला ज्वर
(D) इनमें से सभी

Answer ⇒ (D)

73. रोगी के शरीर में रोगाणुओं को नष्ट करने वाली औषधियाँ हैं :

(A) प्रतिजैविकी
(B) टीका
(C) ओपीओइड्स
(D) इनमें से सभी

Answer ⇒ (A)

74. मनुष्य में वह प्रतिरक्षा जो जन्म के समय से मौजूद रहती है, कहलाती है

(A) सहज प्रतिरक्षा
(B) उपार्जित प्रतिरक्षा
(C) स्व प्रतिरक्षा
(D) निष्क्रिय प्रतिरक्षा

Answer ⇒ (A)

75. इनमें से कौन एक स्व प्रतिरक्षा का उदाहरण है ?

(A) दमा
(B) रूमेटॉयड अर्थराइटिस
(C) कैंसर का काम कर
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (B)

76. इनमें से पश्च विषाणु कौन है ?

(A) ह्यूमन इम्यूनो डिफिसिएन्सी वाइरस
(B) हेपेटाइटिस वायरस
(C) माइकोवाइरस इंफ्लुएंजि
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (A)

77. इनमें से प्रत्यूर्जता उत्पन्न करने वाली बीमारी कौन है ?

(A) त्वचा कैंसर
(B) हे ज्वर
(C) इंटेरिक ज्वर
(D) गलगंड

Answer ⇒ (B)

78. कैंसर के इलाज के लिए निम्नलिखित में कौन-सा प्रचलित नहीं है ?

(A) कीमोथेरैपी
(B) रेडियोथेरैपी
(C) सर्जरी
(D) फिजियोथेरैपी

Answer ⇒ (D)

79. एड्स के लिए स्क्रीनिंग परीक्षण है :

(A) वैस्टर्न ब्लोट
(B) एलिसा
(C) PCR
(D) सदर्न ब्लोट

Answer ⇒ (B)

80. समूह की एण्टीबॉडीज से एलर्जिक क्रिया प्रारंभ होती है :

(A) IgG
(B) IgE
(C) IgM
(D) IgA

Answer ⇒ (B)

81. भूमि की उर्वरा शक्ति को परिभाषित करने वाला जीव समूह है

(A) माइक्रोब्स
(B) जैविक खाद
(C) यीष्ट म
(D) जैविक कीटाणुनाशक,

Answer ⇒ (B)

82. जैविक खाद का मुख्य स्रोत है

(A) हरा शैवाल
(B) यीष्ट
(C) जीवाणु
(D) लाल शैवाल

Answer ⇒ (A)

83. ऑन्कोलॉजी किसका अध्ययन है ?

(A) कैंसर
(B) ऑन्कोजीन्स
(C) (A) और (B) दोनों
(D) विषाणु

Answer ⇒ (A)

84 यौन संचारित रोग है

(A) खसरा
(B) टी०बी०
(C) गोनोरिया
(D) टायफाएड

Answer ⇒ (C)

85. कैसर किस कारण से होता है ?

(A) जीवाणु द्वारा
(B) ऑन्कोजीन्स के द्वारा
(C) (A) और (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (B)

86. इनमें से कौन जीवाणु जनित रोग है ?

(A) कुष्ठ रोग
(B) क्षय रोग
(C) हैजा
(D) इनमें से सभी

Answer ⇒ (D)

87. इनमें से कौन स्वप्रतिरक्षा रोग का उदाहरण है ?

(A) दमा
(B) रूमेटॉयड अर्थराइटिस
(C) कैंसर
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (B)

88. तम्बाकू के सेवन से शरीर में कौन सा उपापचयी परिवर्तन शीघ्र परिलक्षित होता है :

(A) अधिवृक्क ग्रंथि के उद्दीपन से कैटेकोलेमीन का रक्त में स्राव
(B) व्यक्ति के रक्तचाप तथा हृदय स्पन्दन की दर में एकाएक वृद्धि
(C) इनमें से दोनों (‘A’ एवं ‘B’)
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (C)

89. इनमें से कौन सी बीमारी प्रत्यूर्जक द्वारा उत्पन्न होती है ?

(A) त्वचा कैंसर
(B) हे ज्वर
(C) इंटेरिक ज्वर
(D) गलगंड

Answer ⇒ (B)

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.कौन-से विभिन्न जन स्वास्थ्य उपाय हैं जिन्हें आप संक्रामक रोगों के विरुद्ध रक्षा-उपायों के रूप में सुझायेंगे?
उत्तर :-
संक्रामक रोगों के विरुद्ध हम निम्नलिखित जन-स्वास्थ्य उपायों को सुझायेंगे –

1.अपशिष्ट व उत्सर्जी पदार्थों का समुचित निपटान होना।

2. संक्रमित व्यक्ति व उसके सामान से दूर रहना।

3. नाले-नालियों में कीटनाशकों का छिड़काव करना।

4. आवासीय स्थलों के निकट जल-ठहराव को रोकना, नालियों के गंदे पानी की समुचित निकासी होना।

5. संक्रामक रोगों की रोकथाम हेतु वृहद स्तर पर टीकाकरण कार्यक्रम चलाये जाना।

प्रश्न 2. जीव विज्ञान (जैविकी) के अध्ययन ने संक्रामक रोगों को नियन्त्रित करने में किस प्रकार हमारी सहायता की है?
उत्तर :- जीव विज्ञान (जैविकी) के अध्ययन ने संक्रामक रोगों को नियन्त्रित करने में हमारी सहायता निम्नलिखित प्रकार से की है –

1. जीव विज्ञान रोगजनकों को पहचानने में हमारी सहायता करता है।

2. रोग फैलाने वाले रोगजनकों के जीवन चक्र का अध्ययन किया जाता है।

3. रोगजनक के मनुष्य में स्थानान्तरण की क्रिया-विधि की जानकारी होती है।

प्रश्न 3. निम्नलिखित रोगों का संचरण कैसे होता है?

1.अमीबता

2. मलेरिया

3. ऐस्कैरिसता

4. न्यूमोनिया।

उत्तर :- 
1. अमीबता (Amoebiasis) – अमीबता या अमीबी अतिसार (amoebic dysentery) नामक रोग मानव की वृहद् आंत्र में पाए जाने वाले एण्टअमीबा हिस्टोलिटिका (Entumoeba histobytica) नामक प्रोटोजोआ परजीवी से होता है। इस रोग के लक्षण कोष्ठबद्धता (कब्ज), उदर पीड़ा और ऐंठन, अत्यधिक श्लेष्म और रुधिर के थक्के वाला मल आदि हैं। इस रोग की वाहक घरेलू मक्खियाँ होती हैं जो परजीवी को संक्रमित व्यक्ति के मल से खाद्य और खाद्य पदार्थों तक ले जाकर उन्हें संदूषित (contaminated) कर देती हैं। संदूषित पेयजल और खाद्य पदार्थ संक्रमण के प्रमुख स्रोत हैं। इससे बचने के लिए स्वच्छता के नियमों का पालन करना चाहिए और खाद्य पदार्थों को ढककर रखना चाहिए।

(ख) मलेरिया (Malaria) – इस रोग के लिए प्लाज्मोडियम (Plasmodium) नामक प्रोटोजोआ उत्तरदायी है। मलेरिया के लिए प्लाज्मोडियम की विभिन्न प्रजातियाँ (जैसे–प्ला० वाइवैक्स, प्ला० मैलेरिआई, प्ला० फैल्सीपेरम) तथा प्ला० ओवेल उत्तरदायी हैं। इनमें से प्ला० फैल्सीपेरम (Plasmodium fulsipurum) द्वारा होने वाला दुर्दम (malignant) मलेरिया सबसे गम्भीर और घातक होता है। इसके संक्रमण के कारण रक्त केशिकाओं में थ्रोम्बोसिस हो जाने के कारण ये अवरुद्ध हो जाती हैं और रोगी की मृत्यु हो जाती है।

मादा ऐनोफेलीज रोगवाहक अर्थात् रोग का संचारण करने वाली है। जब मादा ऐनोफेलीज मच्छर किसी. संक्रमित व्यक्ति को काटती है तो परजीवी उसके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और जब संक्रमित मादा मच्छर किसी अन्य स्वस्थ मानव को काटती है तो स्पोरोज्वाइट्स (sporozoites) मादा मच्छर की लार से मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। मलेरिया में ज्वर की पुनरावृत्ति एक निश्चित अवधि (48 या 72 घण्टे) के पश्चात् होती रहती है। इसमें लाल रक्त कणिकाओं की निरन्तर क्षति होती रहती है।

(ग) ऐस्कैरिसता (Ascariasis) – यह रोग आंत्र परजीवी ऐस्कैरिस (Ascaris) से होता है। इस रोग के लक्षण आन्तरिक रुधिरस्राव, पेशीय पीड़ा, ज्वर, अरक्तता, आंत्र का अवरोध आदि है। इस परजीवी के अण्डे संक्रमित व्यक्ति के मल के साथ बाहर निकल आते हैं और मिट्टी, जल, पौधों आदि को संदूषित कर देते हैं। स्वस्थ व्यक्ति में संक्रमण संदूषित पानी, शाक-सब्जियों, फलों, वायु आदि से होता है। इससे रक्ताल्पता (anaemia), दस्त (diarrhoea), उण्डुकपुच्छ शोध (appendicitis) आदि रोग हो जाते हैं। कभी-कभी ऐस्कैरिस के लार्वा पथ भ्रष्ट होकर विभिन्न अंगों में पहुँचकर क्षति पहुँचाते हैं।

(घ) न्यूमोनिया (Pneumonia) – मानव में न्यूमोनिया रोग के लिए स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनी (Streptococcus pneumoniae) और हिमोफिलस इंफ्लुएन्ज़ी (Haemophilus influenzae) जैसे जीवाणु उत्तरदायी हैं। इस रोग में फुफ्फुस अथवा फेफड़ों (lungs) के वायुकोष्ठ संक्रमित हो जाते हैं। इस रोग के संक्रमण से वायुकोष्ठों में तरल भर जाता है जिसके कारण साँस लेने में परेशानी होती है। इस रोग के लक्षण ज्वर, ठिठुरन, खाँसी और सिरदर्द आदि हैं। न्यूमोनिया विषाणुजनित एवं कवक जनित भी होता है।

प्रश्न 4. जलवाहित रोगों की रोकथाम के लिये आप क्या उपाय अपनायेंगे?
उत्तर :- 

1. सभी जल स्रोतों; जैसे- जल कुण्ड, पानी के टैंक इत्यादि की नियमित सफाई करनी चाहिये तथा इन्हें असंक्रमित रखना चाहिये।

2. वाहित मल एवं कूड़ा-करकट आदि को जलीय स्रोतों में बहाने से रोकना चाहिये।

3. भोजन बनाने के लिये, पीने के लिये व अन्य घरेलू कार्यों हेतु परिष्कृत (संक्रमण, निलम्बित व घुले हुए पदार्थों से स्वतन्त्र) जल का उपयोग करना चाहिये।

प्रश्न 5. डी०एन०ए० वैक्सीन के सन्दर्भ में ‘उपयुक्त जीन के अर्थ के बारे में अपने अध्यापक से चर्चा कीजिए।
उत्तर :- 
DNA वैक्सीन में उपयुक्त जीन’ का अर्थ है कि इम्युनोजेनिक प्रोटीन का निर्माण इसे नियन्त्रित करने वाले जीन से हुआ है। ऐसे जीन क्लोन किये जाते हैं तथा फिर वाहक के साथ समेकित करके व्यक्ति में प्रतिरक्षा उत्पन्न करने के लिए उसके शरीर में प्रवेश कराये जाते हैं।

प्रश्न 6. प्राथमिक और द्वितीयक लसिकाओं के अंगों के नाम बताइये।
उत्तर :- 

1.प्राथमिक लसिका अंग- अस्थिमज्जा व थाइमस हैं।

2. द्वितीयक लसिकाएँ- प्लीहा, लसिका नोड्स, टॉन्सिल्स, अपेन्डिक्स व छोटी आँत के पियर्स पैचेज आदि हैं।

प्रश्न 7. इस अध्याय में निम्नलिखित सुप्रसिद्ध संकेताक्षर इस्तेमाल किये गये हैं। इनका पूरा रूप बताइये –

1.एम०ए०एल०टी०

2. सी०एम०आई०

3. एड्स

4. एन०ए०सी०ओ

5. एच०आई०वी०

उत्तर :- 

1.एम०ए०एल०टी० (MALT) – म्यूकोसल एसोसिएटिड लिम्फॉइड टिशू (Mucosal Associated Lymphoid Tissue)

2. सी०एम०आई० (CMI) – सेल मीडिएटिड इम्यूनिटी (Cell Mediated Immunity)।

3. एड्स (AIDS) – एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएन्सी सिन्ड्रोम (Acquired Immuno | Deficiency Syndrome)।

4. एन०ए०सी०ओ० (NACO) – नेशनल एड्स कन्ट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (National AIDS Control Organisation)

5. एच०आई०वी० (HIV) – ह्यमन इम्यूनो डेफिशिएन्सी वायरस (Human Immuno Deficiency Virus)।

प्रश्न 8. निम्नलिखित में भेद कीजिए और प्रत्येक के उदाहरण दीजिए –
(क) सहज (जन्मजात) और उपार्जिल प्रतिरक्षा
(ख) सक्रिय और निष्क्रिय प्रतिरक्षा। 
उत्तर :- 
(क) सहज (जन्मजात) और उपार्जित प्रतिरक्षा में अन्तर
(ख) सक्रिय और निष्क्रिय प्रतिरक्षा में अन्तर

UP Board Solutions for Class 12 Biology Chapter 8 Human Health and Disease Q.8.3

प्रश्न 9. वे कौन-कौन से विभिन्न रास्ते हैं जिनके द्वारा मानव में प्रतिरक्षान्यूनता विषाणु (एच०आई०वी०) का संचारण होता है?
उत्तर :- 
एच०आई०वी० के संचारण के निम्न कारण हैं –

1.संक्रमित रक्त व रक्त उत्पादों के आधान से।

2. संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन सम्बन्ध।

3. इन्ट्रावीनस औषधि के आदी व्यक्तियों में संक्रमित सुइयों का साझा करके।

प्रश्न 10. वह कौन-सी क्रियाविधि है जिससे एड्स विषाणु संत व्यक्ति के प्रतिरक्षा तन्त्र का ह्रास करता है?
उत्तर :- 

1.संक्रमित व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करने के पश्चात् एड्स विषाणु वृहद् भक्षकाणु (macrophage) में प्रवेश करता है।

2. यहाँ इसका RNA जीनोम, विलोम ट्रांसक्रिप्टेज विकर (reverse transcriptase enzyme) की मदद से, रेप्लीकेशन (replication) द्वारा विषाणुवीय DNA (viral DNA) बनाता है जो कोशिका में DNA में प्रविष्ट होकर, संक्रमित कोशिकाओं में विषाणु कण निर्माण का निर्देशन करता है।

3. वृहद् भक्षकाणु विषाणु उत्पादन जारी रखते हैं व HIV की उत्पादन फैक्टरी का कार्य करते हैं।

4. HIV सहायक T-लसीकाणु में प्रविष्ट होकर अपनी प्रतिकृति बनाता है व संतति विषाणु उत्पन्न करता है।

5. रक्त में उपस्थित संतति विषाणु अन्य सहायक T-लसीकाणुओं पर आक्रमण करते हैं।

6. यह प्रक्रिया बार-बार दोहराई जाती है जिसके परिणामस्वरूप संक्रमित व्यक्ति के शरीर में T-लसीकाणुओं की संख्या घटती रहती है।

7. रोगी ज्वर व दस्त से निरन्तर पीड़ित रहता है, वजन घटता जाता है, रोगी की प्रतिरक्षा इतनी कम हो जाती है कि वह इन प्रकार के संक्रमणों से लड़ने में असमर्थ होता है।

प्रश्न 11. प्रसामान्य कोशिका से कैंसर कोशिका किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर :- 

1.एक प्रसामान्य कोशिका में कोशिका वृद्धि व कोशिका विभेदन अत्यन्त नियन्त्रित व नियमित होते हैं।

2. प्रसामान्य कोशिका में संस्पर्श संदमन (contact inhibition) नामक गुण होता है जिसके कारण अन्य कोशिकाओं में इसका स्पर्श अनियन्त्रित वृद्धि का संदमन करता है।

3. इसके विपरीत कैंसर कोशिका में यह गुण समाप्त हो जाता है, अत: इन कोशिकाओं में वृद्धि व विभेदन अनियन्त्रित हो जाते हैं।

4. इसके परिणामस्वरूप कैंसर कोशिकायें निरन्तर वृद्धि करके कोशिकाओं में एक पिण्ड, रसौली (tumour) बना देती हैं।

प्रश्न 12. मेटास्टेसिस का क्या मतलब है? व्याख्या कीजिये।
उत्तर :- 

1.मेटास्टेसिस में कैंसर कोशिकाओं के अन्य ऊतकों व अंगों में स्थानान्तरण से कैंसर फैलता है। परिणामस्वरूप द्वितीयक ट्यूमर का निर्माण होता है।

2. यह प्राथमिक ट्यूमर की अति वृद्धि के परिणामस्वरूप फैलता है।

3. अति वृद्धि करने वाली ट्यूमर कोशिकायें रक्त वाहिनियों में से गुजरती हैं या सीधे द्वितीयक बनाती हैं।

4. दूसरे उपयुक्त ऊतक या अंग पर पहुँचने के बाद, एक नया ट्यूमर बनता है।

5. यह बना ट्यूमर, जो द्वितीयक बना सकते हैं, घातक ट्यूमर कहलाता है।

6. वे कोशिकाएँ जो ट्यूमर से फैलने के योग्य होती हैं, घातक (malignant) कोशिकायें होती हैं।

प्रश्न 13. ऐल्कोहॉल/ड्रग के द्वारा होने वाले कुप्रयोग के हानिकारक प्रभावों की सूची बनाइये।
उत्तर :- 
ऐल्कोहॉल/ड्रग के द्वारा होने वाले कुप्रयोग के हानिकारक प्रभाव निम्नलिखित हैं –

1.अत्यधिक मात्रा में लेने पर इन पदार्थों से श्वसन निष्क्रियता, हृदय- घात, कोमा व मृत्यु भी हो सकती है।

2. मादक पदार्थों के व्यसनी पैसे न मिलने पर चोरी का सहारा ले सकते हैं। अत: परिवार/समाज के लिये मानसिक व आर्थिक कष्ट हो सकता है।

3. ऐल्कोहॉल के चिरकारी प्रयोग से तन्त्रिका तन्त्र व यकृत को क्षति पहुँचती है।

4. रक्त शिरा में इन्जेक्शन द्वारा ड्रग्स लेने पर एड्स व यकृत शोथ-बी जैसे गम्भीर संक्रमण की सम्भावना बढ़ जाती है।

5. गर्भावस्था के दौरान मादक पदार्थों का प्रतिकूल प्रभाव भ्रूण पर पड़ता है।

6. अन्धाधुन्ध व्यवहार, बर्बरता व हिंसा का बढ़ना।

7. महिलाओं में उपापचयी स्टेराइड के सेवन से पुरुष; जैसे- लक्षण, आक्रामकता, भावनात्मकता स्थिति में उतार-चढ़ाव, अवसाद, असामान्य आर्तवचक्र, मुंह व शरीर पर बालों की अतिरिक्त वृद्धि, आवाज का भारी होना आदि दुष्प्रभाव देखे जा सकते हैं।

8. पुरुषों में मुहाँसे, आक्रामकता का बढ़ना, अवसाद, वृषणों के आकार का घटना, शुक्राणु उत्पादन की कमी, समय से पूर्व गंजापन आदि लक्षण ड्रग्स सेवन के कुप्रभाव हैं।

प्रश्न 14. क्या आप ऐसा सोचते हैं कि मित्रगण किसी को ऐल्कोहॉल/डग सेवन के लिये प्रभावित कर सकते हैं? यदि हाँ, तो व्यक्ति ऐसे प्रभावों से कैसे अपने आपको बचा सकते हैं?
उत्तर :- 
मित्रगण किसी को ऐल्कोहॉल/ड्रग लेने के लिये प्रभावित कर सकते हैं। युवा प्रायः ऐसे मित्रों के चंगुल में फंस जाते हैं जो मादक द्रव्यों के आदी हो चुके होते हैं। ऐसे मित्र युवाओं को धीरे-धीरे मादक पदार्थों के सेवन की लत लगा देते हैं तथा युवा इन पदार्थों के चंगुल में बुरी तरह फंस जाते हैं।
स्वयं को इस प्रकार के प्रभाव से बचाने के लिये निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं –

1.प्रथम माता-पिता व अध्यापकों का विशेष उत्तरदायित्व है। ऐसा लालन-पालन जिसमें पालन-पोषण का स्तर ऊँचा हो व सुसंगत अनुशासन हो।

2. ऐसे मित्रों के चंगुल में आने पर तुरन्त अपने माता-पिता व समकक्षियों से मदद व उचित मार्गदर्शन लें।

3. समस्याओं व प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने, निराशाओं व असफलताओं को जीवन का एक हिस्सा समझकर स्वीकार करने की शिक्षा व परामर्श लेना इस प्रकार के प्रभाव से बचने में सहायक होता है।

4. क्षमता से अधिक कार्य करने के दबाव से बचें।

प्रश्न 15. ऐसा क्यों है कि जब कोई व्यक्ति ऐल्कोहॉल या ड्रग लेना शुरू कर देता है तो उस आदत से छुटकारा पाना कठिन होता है? अपने अध्यापक से चर्चा कीजिये।
उत्तर :- 

1. ड्रग/ऐल्कोहॉल लाभकारी है। इसी सोच के कारण व्यक्ति इसे बार-बार लेता है। डुग/ऐल्कोहॉल के प्रति लत मनोवैज्ञानिक आशक्ति है।

2. ड्रग/ऐल्कोहॉल के बार-बार सेवन से शरीर में मौजूद ग्राहियों का सहन स्तर बढ़ जाता है। जिसके कारण अधिकाधिक मात्रा में ड्रग लेने की आदत पड़ जाती है।

3. इस प्रकार ऐल्कोहॉल/डूग व्यसनी शक्ति प्रयोग करने वाले को दोषपूर्ण चक्र में घसीट लेती है। तथा व्यक्ति इनका नियमित सेवन करने लगता है और इस चक्र में फंस जाता है।

प्रश्न 16. आपके विचार से किशोरों को ऐल्कोहॉल या ड्रग के सेवन के लिये क्या प्रेरित करता है और इससे कैसे बचा जा सकता है?
उत्तर :- 

1.जिज्ञासा, जोखिम उठाने व उत्तेजना के प्रति आकर्षण व प्रयोग करने की इच्छा प्रमुख कारण है जो नवयुवकों को ऐल्कोहॉल/ड्रग्स के लिये अभिप्रेरित करते हैं।

2. इन पदार्थों के प्रयोग को फायदे के रूप में देखना भी एक अन्य कारण है।

3. शिक्षा के क्षेत्र या परीक्षा में आगे रहने के दबाव से उत्पन्न तनाव भी नवयुवकों को मादक पदार्थों की ओर खींच सकता है।

4. युवकों में यह भी प्रचलन है कि धूम्रपान, ऐल्कोहॉल, ड्रग्स आदि का प्रयोग व्यक्ति की प्रगति का सूचक है।

5. सामाजिक एकाकीपन, कामवासना में वृद्धि का अनुभव, जीवन के प्रति नीरसता, मानसिक क्षमता में वृद्धि की मिथ्या धारणा, क्षणिक स्वर्गिक आनंद की अभिलाषा व कुसंगति का प्रभाव नवयुवकों को इन पदार्थों के प्रति आकर्षित करता है।

6. इसको नजरअंदाज करने के लिये रोकथाम व नियन्त्रण सम्बन्धी उपाय कारगर हो सकते हैं।

7. पढ़ाई, खेल-कूद, संगीत, योग के साथ-साथ अन्य स्वास्थ्य गतिविधियों में ऊर्जा लगानी चाहिये।

8. युवाओं के व्यसनी होने पर योग्य मनोवैज्ञानिक की सहायता ली जानी चाहिये।

प्रश्न 17. मनुष्य में विषाणु जनित कुछ प्रमुख रोगों के नाम लिखिए। 
उत्तर :- चेचक (small pox), हरपीज (herpes), आर्थराइटिस (arthritis) आदि डी०एन०ए० वाइरस (DNA virus) द्वारा तथा पोलियो (polio), डेंगू ज्वर (dengue fever), कर्णफेर (mumps), खसरा (measles), रेबीज (rabies) आदि आर०एन०ए० वाइरस (RNA virus) द्वारा उत्पन्न होते हैं।

प्रश्न 18. स्वाइन फ्लू के कारक अभिकर्ता का नाम, रोग के लक्षण तथा बचाव के उपाय बताइए। 
उत्तर :- स्वाइन फ्लू एक विषाणु जनित रोग है। इसकी अनेक स्ट्रेन्स पायी जाती हैं जिन्हें H1N1, H1N2, H3N1 आदि नामों से जाना जाता है। इस विषाणु का संक्रमण सुअरों के सम्पर्क में रहने से होता है।

इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं, तीव्र सिरदर्द, बुखार, ठण्ड लगना, शरीर में दर्द, मितली आना, वमन, नाक का बहना, गले में जलन व खराश, साँस लेने में कठिनाई, सुस्ती, थकान एवं भूख का न लगना
आदि।

इस रोग से बचाव के लिए हाथों एवं नाखून की उचित सफाई करनी चाहिए, छींकते एवं खाँसते समय मुंख को ढक लेना चाहिए, रोग ग्रसित व्यक्ति से कम-से-कम एक मीटर की दूरी बनाकर रहना चाहिए।

प्रश्न 19. एस्केरिस के लार्वा में कितने त्वक पतन होते हैं? 
उत्तर :-  एस्केरिस के लार्वा में चार त्वक पतन होते हैं।

प्रश्न 20. विसंक्रमण क्या है? 
उत्तर:- वह कोई भी प्रक्रिया जिसके द्वारा संक्रामक एजेण्टों; जैसे- कवक, जीवाणु, विषाणु, बीजाणु आदि को मार दिया जाता है, विसंक्रमण कहलाती है। यह क्रिया गर्म करके, ठण्डा करके, रासायनिक प्रक्रिया, उच्च दाब आदि द्वारा सम्पादित की जाती है।

प्रश्न 21. स्वास्थ्य के क्षेत्र में अलेक्जेण्डर फ्लेमिंग के योगदान का उल्लेख कीजिए। 
उत्तर:- अलेक्जेण्डर फ्लेमिंग ने पेनिसिलिन नामक सर्वप्रथम प्रतिजैविक का निर्माण किया था।

प्रश्न 22. मानव शरीर की प्राकृतिक विनाशी कोशिकाएँ किन्हें कहते हैं? 
उत्तर :- श्वेत रुधिराणु – लिम्फोसाइट्स को मानव शरीर की प्राकृतिक विनाशी कोशिकाएँ कहते हैं।

प्रश्न 23. यदि मानव शरीर से थाइमस ग्रन्थि निकाल दी जाय तो उसके प्रतिरोधी संस्थान पर क्या प्रभाव पड़ेगा? 
उत्तर :- थाइमस मानव शरीर में प्राथमिक लसीकाभ अंग है, जहाँ अपरिपक्व लसीकाणु, प्रतिजन संवेदनशील लसीकाणुओं में विभेदित होते हैं। यदि शरीर से थाइमस ग्रन्थि को निकाल दिया जाये तो इन लसीकाणुओं का प्रतिजन संवेदनशील लसीकाणुओं में विभेदन नहीं हो पायेगा।

प्रश्न 24. टीकाकरण पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। 
उत्तर :- 
टीकाकरण
वैक्सीन अथवा टीका (vaccine) प्रायः कोशिका निलम्बन (cell suspension) होता है अथवा यह कोशिका द्वारा उत्सर्जित एक उत्पाद होता है, जो प्रतिरक्षण कर्मक (immunizing agent) के रूप में प्रयोग किया जाता है। वास्तव में, वैक्सीन प्रतिजनों (antigens) का तैयार घोल होता है, जो इन्जेक्शन द्वारा शरीर में प्रविष्ट कराने पर विशिष्ट प्रतिरक्षियों (antibodies) के निर्माण को प्रेरित करके शरीर में सक्रिय कृत्रिम प्रतिरोध क्षमता या प्रतिरक्षा उत्पन्न करता है। यह क्रिया ही टीकाकरण (vaccination) कहलाती है। सबसे पहले सन् 1798 में एडवर्ड जेनर (Edward Jenner) ने टीकाकरण की तकनीक में गौशीतला विषाणु (cowpoxvirus) को चेचक (smallpox) के विरुद्ध प्रतिरक्षण कर्मक (immunizing agent) के रूप में प्रयोग किया था। एडवर्ड जेनर को प्रतिरक्षा विज्ञान का जनक (father of immunology) माना जाता है।

टीके या वैक्सीन के प्रकार
सामान्यतः ये निम्नांकित प्रकार के होते हैं –
1. जीवित प्रतिजन से निर्मित वैक्सीन – इसमें जीवित जीवाणुओं या विषाणुओं को क्षीणीकृत (attenuated) करके घोल तैयार किया जाता है, जो प्रतिजनयुक्त होता है। इस प्रकार का वैक्सीन अच्छा माना जाता है, क्योंकि इसकी थोड़ी-सी मात्रा शरीर में प्रविष्ट कराने से जीवाणु या विषाणु गुणन करके बहुत अधिक मात्रा में बढ़ जाते हैं। इसमें सूक्ष्म जीवों के अतिरिक्त उनका विष भी रहता है जिससे कि यह अधिक प्रभावशाली होते हैं तथा इनके प्रभाव से उत्पन्न प्रतिरोध क्षमता अधिक लम्बे समय तक शरीर में बनी रहती है।

2. मृत प्रतिजन से निर्मित वैक्सीन – इसमें सूक्ष्मजीवों को मृत करके उनका घोल इन्जेक्शन द्वारा शरीर में प्रविष्ट कराया जाता है। इसका प्रमुख लाभ यह है कि रोगजनक सूक्ष्मजीव रोग का प्रभाव उत्पन्न नहीं कर पाता है। अतः टीकाकरण के बाद इसके दुष्प्रभाव बहुत कम दिखायी। देते हैं। यह वैक्सीन जीवित प्रतिजन से निर्मित वैक्सीन की अपेक्षा कम प्रभावशाली है।

3. प्रतिजन के आविष से निर्मित वैक्सीन – कुछ रोगजनक जीवाणु जो बहि:आविष (exotoxin) उत्पन्न करते हैं, उन्हें प्रतिजन से अलग करके केवल यह आविष (toxin), आविषाभ (toxoid) के रूप में शरीर में प्रविष्ट कराकर प्रतिरक्षी एवं प्रतिआविष (antitoxin) के निर्माण के लिए उत्प्रेरित किया जा सकता है। इस श्रेणी में टिटेनस (tetanus) एवं टायफॉइड (typhoid) के वैक्सीन आते हैं जो इन रोगों के बचाव हेतु बहुत सरल एवं सुरक्षित साधन होते हैं।

4. मिश्रित वैक्सीन – कभी-कभी दो या अधिक विभिन्न प्रकार के रोगों के रोगजनक सूक्ष्मजीव अथवा प्रतिजनों के मिश्रण से एक वैक्सीन तैयार किया जाता है। इसमें सभी वैक्सीन मिलाकर एक वैक्सीन का निर्माण किया जाता है जिससे कि इसमें सभी वैक्सीन के गुण आ जाते हैं और शीघ्र ही कई रोगों के प्रति प्रतिरोध क्षमता उत्पन्न हो जाती है। उदाहरण – डिफ्थीरिया-कुकुर या काली खाँसी-टिटेनस वैक्सीन 

प्रश्न 25. स्टेम कोशिका के बारे में आप क्या जानते हैं? चिकित्सकीय उपचार में उनकी भूमिका की समीक्षा कीजिए।
उत्तर :- 
बहुकोशिकीय जीवों की ऐसी अभिन्नित कोशिकाएँ (undifferentiated cells) जिनमें विभाजन द्वारा उसी प्रकार की असंख्य कोशिकाएँ उत्पन्न करने की क्षमता हो तथा इन कोशिकाओं के विभिन्नन (differentiation) से अन्य विशिष्ट कोशिकाएँ बन सकें, स्टेम कोशिका कहलाती हैं। एक स्टेम कोशिका अनेक प्रकार की कोशिकाओं एवं ऊतक का निर्माण करने में सक्षम होती है। मानव में विभिन्न रोगों के उपचार हेतु स्टेम कोशिकाओं का अत्यधिक महत्त्व है। इससे सम्बन्धित कुछ उपचार निम्नलिखित हैं –

1.हृदय रोग (Heart Disease) – पेशी हृदय स्तर रोधगलने (myocardial infraction) रोग के उपचार हेतु अस्थिमज्जा स्टेम कोशिकाओं को उपयोग करके हृदय पेशियों तथा हृदय पेशी कोशिकाओं एवं ऊतकों को बनाया जाता है।

2. त्वचा निरोपण (Skin Grafting) – आग या अम्ल से झुलसी त्वचा का निरोपण त्वचा की स्टेम कोशिकाओं से तैयार त्वचा द्वारा किया जाता है।

3. रुधिर कैंसर उपचार (Leukemia Treatment) – रुधिर कैंसर रोगी में कीमोथिरेपी (chemotherapy) से अस्थिमज्जा नष्ट हो जाती है जिसे स्टेम कोशिका प्रत्यारोपण द्वारा सही किया जाता है।

4. कॉर्निया प्रत्यारोपण (Cornea Transplantation) – कॉर्निया के खराब हो जाने पर स्टेम कोशिकाओं द्वारा विकसित कॉर्निया का प्रत्यारोपण करके इसे ठीक किया जाता है। इस विधि को होलोक्लार (holoclar) कहते हैं।

5. बहरापन का इलाज (Treatment of Deafness) – निकट भविष्य में स्टेम कोशिकाओं द्वारा बहरेपन (deafness) का भी इलाज किया जा सकेगा।

6. गर्भनाल रक्त संग्रह (Umblical Cord Blood Storage) – गर्भनाल से रक्त स्टेम कोशिकाओं को प्राप्त करके इसे सुरक्षित किया जाता है। इसका उपयोग रुधिर कणिकाओं एवं प्लेटलेट्स के निर्माण में किया जाता है।

7. नई दवाइयों के परीक्षण हेतु भी स्टेम कोशिकाओं से ऊतक संवर्धन करके इन पर बीमारी की प्रकृति एवं दवाइयों के प्रभाव का अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 26. निम्नलिखित के सेवन से होने वाले हानिकारक प्रभावों का वर्णन कीजिए तथा इनसे बचने के उपायों को लिखिए – 
(i) ऐल्कोहॉल 
(ii) ड्रग (नशीली दवाएँ) 
(iii) तम्बाकू
उत्तर:- 
(i) ऐल्कोहॉल
ऐल्कोहॉल (शराब) का सेवन करने से शरीर पर निम्नलिखित प्रमुख दुष्प्रभाव होते हैं –
1. शराब के प्रभाव से तन्त्रिका तन्त्र; विशेषकर केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र दुर्बल हो जाता है जिससे आत्म-नियन्त्रण समाप्त होना, मस्तिष्क कमजोर होना, स्मरण शक्ति क्षीण होना, विचार शक्ति लुप्त होना, अच्छे-बुरे का ज्ञान समाप्त होना, एकाग्रता की कमी होना आदि लक्षण उत्पन्न होते हैं। बाद में ऐसा व्यक्ति अपना आत्मसंयम तथा आत्मसम्मान खो देता है।

2. शराब में ऐल्कोहॉल होता है जो कोशिकाओं से जल और शरीर की आन्तरिक ग्रन्थियों से होने वाले स्रावों को तेजी से अवशोषित करता है। परिणामस्वरूप पहले तो यकृत (लिवर) सिकुड़कर छोटा हो जाता है और इसके बाद उसका आकार सामान्य से अधिक हो जाता है। जिससे उसकी प्राकृतिक क्रियाशीलता नष्ट हो जाती है। पाचन तन्त्र तथा श्वसन तन्त्र में अनेक विकृतियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। शरीर का पोषणे उचित न होने के कारण दुर्बलताएँ और अधिक बढ़ती हैं।

3. ऐल्कोहॉल आमाशय तथा आँतों की श्लेष्मिका झिल्ली को हानि पहुँचाता है। इसके फलस्वरूप पेप्टिक अल्सर हो जाता है। कभी-कभी पेप्टिक अल्सर के फोड़े कैन्सर भी बन जाते हैं।

4. कोशिकाओं से जल अवशोषित होने के कारण वे नष्ट हो जाती हैं और धीरे-धीरे शरीर; विशेषकर मांसपेशियाँ; दुर्बल होकर, शिथिल (ढीला-ढाला) पड़ जाता है।

5. शरीर में विटामिनों की कमी हो जाती है; विशेषकर विटामिन B श्रेणी के विटामिन (थायमीन आदि); और उनका वितरण अनियमित हो जाता है जो शरीर में अनेक प्रकार की विकृतियाँ और रोग उत्पन्न करता है।

6. रुधिर परिसंचरण प्रमुखतः त्वचा की ओर अधिक होने से त्वचा का रंग लाल हो जाता है। वास्तव में, इन स्थानों की रुधिर केशिकाएँ चौड़ी हो जाती हैं, अत: इस स्थान पर ताप अधिक हो जाता है।

7. भावनात्मकता यद्यपि बढ़ी हुई दिखाई देती है किन्तु शीघ्र ही उसमें आक्रामकता झलकने लगती है जो बाद में घृणास्पद हो जाती है।
ऐल्कोहॉल का आदी व्यक्ति अपने समस्त पारिवारिक सम्बन्धों की ओर से उदासीन अथवा कटु हो जाता है, उसमें सामाजिकता का अभाव होता जाता है तथा धीरे-धीरे वह आत्मकेन्द्रित हो जाता है। अनेक प्रकार की जटिलताएँ आयु के साथ (35-40 वर्ष से आगे) बढ़ती ही जाती हैं। कम-से-कम 5 प्रतिशत व्यक्ति हृदय अथवा वृक्कीय (cardiac or renal) जटिलताओं के कारण मर जाते हैं।

(ii) ड्रग (नशीली दवाएँ)
नशीली औषधियों को शरीर पर प्रभाव के आधार पर निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकृत किया जाता है –
1. शामक व निद्राकारक – ये औषधियाँ केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र के उच्च केन्द्रों पर प्रभाव डालती हैं और कुछ क्षण के लिए चिन्ताओं को दूर करती हैं, तनाव व बेचैनी को कम करती हैं, निद्रा लाती हैं; जैसे-लुमिनल, इक्वेनिल, बार्बिट्यूरिक अम्ल आदि।

2. उत्तेजक या एण्टीडिप्रेसेन्ट्स – ये औषधियाँ केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र को उत्तेजित करती हैं। इनसे कष्ट से राहत तथा ठीक होने की संवेदना प्राप्त होती है। इनके कारण रक्त चाप बढ़ जाता है। इनकी अत्यधिक मात्रा उग्रता उत्पन्न करती है। इसके प्रयोग से चुस्त होने का अहसास एवं आत्मविश्वास उत्पन्न होता है; जैसे-कैसीन, कोकेन, टॉफरेनिल, मेथिलफेनिडेट आदि।

3. विभ्रमक या साइकेडेलिक औषधियाँ – ये पदार्थ श्रवण तथा दृष्टि भ्रम उत्पन्न करते हैं। इनके प्रयोग से रंग न होते हुए भी रंग का आभास होता है। व्यसनी (drug addict) को रंगीन स्वप्निल दुनिया का आभास होता है। इनके कारण प्रसन्नता को झूठा आभास होता है तथा समय, स्थान व दूरी का उचित सामंजस्य नहीं रहता। एल०एस०डी० (लाइसेर्जिक ऐसिड डाइएथिलैमाइंड = LSD), सीलोसाइविन, चरस, गाँजा, हशीश आदि विभ्रमकारी पदार्थ हैं।

4. ओपिएट – ओपिएट नारकोटिक तथा दर्दनाशक दवाइयों का एक वर्ग है जिसमें अफीम तथा इसके स्राव से बने मॉर्फीन, हेरोइन, कोडीन, मीथाडोन तथा पैथिडीन आते हैं। ये दर्द, चिन्ता तथा तनाव को कम करते हैं। इनसे निद्रा व सुस्ती आती है। व्यसनी स्वयं को अच्छा महसूस करते हैं। इनमें से हेरोइन सबसे खतरनाक है।

(iii) तम्बाकू
तम्बाकू का सेवन पान, बीड़ी, सिगरेट, सिगार, पाइप, पान मसाला आदि किसी भी रूप में किया जाए, इसके सेवन के अनेक दुष्प्रभाव होते हैं, जो निम्नलिखित हैं –

1.तम्बाकू में निकोटिन नामक विष होता है जो फेफड़ों में एकत्रित होकर कैन्सर, दमा, तपेदिक आदि भयंकर रोगों को उत्पन्न होने में सहायता करता है।

2. तम्बाकू के सेवन से रुधिर परिसंचरण की गति बढ़ जाती है जिससे उच्च रक्त चाप और हृदय सम्बन्धी अन्य रोग होने की सम्भावना बढ़ जाती है।

3. धूम्रपान द्वारा तम्बाकू का सेवन अपने मार्ग मुंह, गला, फेफड़े इत्यादि की श्लेष्म कला (mucous membrane) पर हानिकारक प्रभाव डालता है। इससे कैन्सर जैसा भयंकर रोग होने की सम्भावना हो जाती है।

4. श्लेष्म कला प्रभावित होकर अत्यधिक मात्रा में श्लेष्मक (mucous) स्रावित करती है, जिससे खाँसी, कफ (cough) और बाद में रोगाणुओं की रोकथाम की शक्ति (रोग अवरोधक क्षमता) कम होने से दमा, तपेदिक जैसे संक्रामक रोग भी शरीर में आसानी से घर कर लेते हैं।

5. तम्बाकू के सेवन से पाचन शक्ति क्षीण होना, आमाशय और आँतों में सूजन आना, गैस अधिक बनना, कब्ज होना, भूख कम लगना, जी मिचलाना (मितली आना), मुँह में छाले होना आदि रोग उत्पन्न होते हैं।

6. तम्बाकू सेवन से मस्तिष्क में खुश्की आने से मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ता है और अनिद्रा की स्थिति पैदा होती है। मानसिक शक्ति, विशेषकर विचार करने की क्षमता तथा तार्किकता क्षीण हो जाती है।

7. धूम्रपान आदि से मांसपेशियों की कार्यक्षमता पर विशेष प्रभाव पड़ता है, उनकी संकुचन शक्ति कम होने से व्यक्ति की कार्यक्षमता भी प्रभावित होती है।

8. धूम्रपान के द्वारा तम्बाकू सेवन का प्रभाव आँखों पर भी पड़ता है।

9. गर्भवती स्त्रियों के लिए धूम्रपान करना विशेष हानिकारक होता है। इससे गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।

10. प्रौढ़ावस्था में धूम्रपान का प्रभाव धीमा होता है किन्तु यौवनावस्था में यह अति तीव्र गति से प्रभावित करता है।

11. धूम्रपान विशेष रूप से प्रदूषणकारी है। कहते हैं, धूम्रपान करने वाले व्यक्ति से अधिक उसका पड़ोसी प्रभावित होता है।

12. धूम्रपान तथा अन्य प्रकार से तम्बाकू सेवन तन्त्रिका तन्त्र पर बुरा प्रभाव डालता है।

धुम्रपान एवं तम्बाकू के सेवन से अनेक हानियाँ होती हैं, इसीलिए विश्व के सभी उन्नत देशों में इसका सेवन न करने की निरन्तर चेतावनी दी जाती है। सिगरेट एवं तम्बाकू के प्रत्येक पैकेट पर इस प्रकार की वैधानिक चेतावनी अनिवार्य रूप से लिखी जाती है।
भारत में वर्तमान समय में तम्बाकू तथा तम्बाकू से बनी सभी वस्तुओं के सार्वजनिक विज्ञापन पर पूर्णतया रोक लगी हुई है।

रोकथाम एवं नियन्त्रण
यौवनावस्था में मानव को नशीले पदार्थ व ऐल्कोहॉल के सेवन से रोका जा सकता है जिसमें ऐसे मानव जो नशीला पदार्थ ले रहे हैं, उन्हें उचित शिक्षा व परामर्श देकर तथा योग्य मनोवैज्ञानिक की सहायता लेकर नशीले पदार्थ एवं ऐल्कोहॉल के अतिप्रयोग की रोकथाम व नियन्त्रण किया जा सकता है।

प्रश्न 27. कैंसर रोग के कारण, रोकथाम एवं बचाव पर प्रकाश डालिए। 
उत्तर :- 
संक्रामक रोग
वे रोग जो एक व्यक्ति से दूसरे में आसानी से संचारित हो सकते हैं, संक्रामक रोग कहलाते हैं।
1. न्यूमोनिया
कारक – यह रोग मुख्यत: शिशुओं व वृद्धजनों में होता है परन्तु अन्य उम्र के लोगों में भी हो सकता है। फेफड़ों में होने वाला यह संक्रामक रोग स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिआई व हीमोफिलस इन्फ्लुएंजी नामक जीवाणुओं से होता है। इनके अतिरिक्त स्टेफाइलोकोकस पाइरोजीन्स, क्लीष्सीला न्यूमोनिआई तथा चेचक व खसरा उत्पन्न करने वाले विषाणु व माइकोप्लाज्मा भी इस रोग के कारक हो सकते हैं। न्यूमोनिया दो प्रकार का होता है –

1.विशिष्ट न्यूमोनिया – यह स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिआई नामक जीवाणु से होता है। यह रोग सामान्य श्वसन तंत्र वाले व्यक्तियों में होता है।

2. द्वितीयक न्यूमोनिया – यह इन्फ्लुएंजा पीड़ित व्यक्ति में स्टेफाइलो कोकाई जीवाणु द्वारा होता है। यह रोग उन व्यक्तियों में होता है जिनके फेफड़े इस रोग से पूर्व प्रभावित होते हैं।

लक्षण 

1.रोगी को श्वास लेने में बाधा उत्पन्न होती है।

2. रोगी को तीव्र सर्दी लगती है।

3. रोगी को तीव्र ज्वर भी होता है।

4. रोगी की भूख मर जाती है।

रोकथाम के उपाय 

1.संक्रमित व्यक्ति से दूर रहना चाहिए।

2. रोगी के द्वारा प्रयोग किये गये गर्म वस्त्र, बर्तन, बिस्तर आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

3. घर तथा पड़ोस में स्वच्छता बनाये रखनी चाहिए।

2. जुकाम या सामान्य ठण्ड
कारक – यह अति संक्रामक रोग पिकोवायरस समूह के रहिनो विषाणु द्वारा होता है। यह विषाणु जल की कणिकाओं तथा नाक के स्राव से एक-दूसरे में फैलता है।
लक्षण – आँखों तथा नाक से पानी आना, खांसी तथा बुखार आना, हाथ-पैर व कमर में दर्द रहना, बेचैनी रहना वे शरीर का कमजोर हो जाना।
रोकथाम के उपाय – इस रोग से बचाव हेतु, संक्रमित व्यक्ति से दूर रहना चाहिए। रोगी को खाँसते या छींकते समय रूमाल से मुंह ढक लेना चाहिए। इस रोग से संक्रमित व्यक्ति की वस्तुओं के उपयोग से बचना चाहिए।

3. टाइफॉइड ज्वर
यह संक्रामक रोग ग्राम नेगेटिव, रॉड की आकृति वाले गतिशील जीवाणु (gram negative, rode shaped motile bacteria) द्वारा होता है। इसे सालमोनेला टायफी (Salmonella typhi) भी कहते हैं। यह जीवाणु छोटी आँत में रहता है व रक्त परिसंचरण द्वारा शरीर के अन्य भागों में फैल जाता है। यह रोग अधिकतर गर्मी में होता है तथा इसका जीवाणु संक्रमित भोजन, जल, मल-मूत्र आदि द्वारा लोगों में पहुँचता है। मक्खियाँ इस रोग को फैलाने में मुख्य भूमिका निभाती हैं। प्राकृतिक आपदाओं; जैसे- बाढ़ आदि के समय भी यह रोग अधिक फैलता है। यह रोग पूरे विश्व में पाया जाता है, प्रायः यह 1-15 वर्ष के बालकों में अधिक होता है।

लक्षण (Symptoms)

1.रोगी को लम्बे समय तक तेज बुखार रहता है।

2. पूरे शरीर में दर्द रहता है।

3. भूख नहीं लगती है तथा आँतों में परेशानियाँ होने लगती हैं।

4. इसके साथ-साथ रोगी की नाड़ी धीमी हो जाती है तथा शरीर पर चमकीले छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं।

5. कभी – कभी रोगी की आँतों से रक्त स्रावित होने लगता है। सही समय पर उपचार न होने पर रोगग्रस्त व्यक्तियों में से 10% की मृत्यु हो जाती है।

बचाव के उपाय (Measures of Prevention)

1.खाद्य पदार्थों को हमेशा ढककर रखना चाहिए, जिससे मक्खियाँ जीवाणुओं को खाने तक न ला सकें।

2. रोगी को हवादार तथा रोशनीयुक्त कमरे में रखना चाहिए।

3. रोगी के मलमूत्र, थूक आदि को जलाकर नष्ट कर देना चाहिए।

4. जल व अन्य पदार्थों को उबालकर प्रयोग में लेना चाहिए।

5. बाजार के खुले खाद्य पदार्थों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

6. वातावरण को स्वच्छ रखना चाहिए तथा कीटनाशकों का नियमित छिड़काव करना चाहिए।

7. TAB के टीके (TAB vaccine) लगवाने चाहिए।

रोग का उपचार (Treatment of Disease)

1.इस रोग की जाँच विडाल टेस्ट (widal test) द्वारा की जाती है।

2. इस रोग में क्लोरोमाइसिटीन, एपिसीलीन (ampicilline) व क्लोरेम्फेनिकोल (chloramphenicol) नामक दवाइयाँ लाभदायक होती हैं।

3. अब रोगी के शरीर से पित्ताशय को निकालकर भी रोग का उपचार किया जाता है।

असंक्रामक रोग
वे रोग जो एक व्यक्ति से दूसरे में संचारित नहीं होते हैं, असंक्रामक रोग कहलाते हैं।
1. एलर्जी
कारक – हममें से कुछ लोग पर्यावरण में मौजूद कुछ कणों; जैसे-पराग, चिंचड़ी, कीट आदि के प्रति संवेदनशील होते हैं। इनके सम्पर्क में आने से ही हमारे शरीर में प्रतिक्रियास्वरूप खुजली आदि प्रारम्भ हो जाती है। यही एलर्जी है।
लक्षण 

1.हमारे शरीर पर लाल दाने या चकते पड़ जाते हैं।

2. शरीर में खुजली होती है।

3. छींक आती है।

4. नाक में से पानी बहता है।

रोकथाम के उपाय – हमें नये स्थान पर जाते समय वहाँ की भौगोलिक दशा के अनुरूप तैयारी करनी चाहिए अर्थात् यदि वहाँ धूल, पराग आदि अधिक होने की संभावना हो तो मुंह पर मास्क लगाकर निकलना चाहिए। शरीर को पूरा ढककर बाहर निकलना चाहिए तथा एलर्जी हो जाने पर प्रति हिस्टैमीन, एड्रीनेलिन और स्टीराइडों जैसी औषधियों का प्रयोग करना चाहिए।

2. कैंसर
कारक – सामान्य कोशिकाओं को कैंसरी कोशिकाओं में रूपान्तरण को प्रेरित करने वाले कारक भौतिक, रासायनिक अथवा जैविक हो सकते हैं। ये कारक कैंसरजन कहलाते हैं। एक्स किरणें, गामा किरणें, पराबैंगनी किरणें, तम्बाकू के धुएँ में मौजूद कैंसरजन आदि कैंसर उत्पन्न करने के प्रमुख कारण हैं।

लक्षण – कैंसर ग्रस्त रोगी के शरीर में गाँठे पड़ जाती हैं जो बढ़ती रहती हैं।
रोकथाम के उपाय – कैंसरों के उपचार के लिए शल्यक्रिया, विकिरण चिकित्सा और प्रतिरक्षा चिकित्सा का प्रयोग किया जाता है। आजकल कीमोथैरेपी का प्रचलन बढ़ गया है क्योंकि इससे रोग के समाप्त होने की संभावना अधिक होती है।

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