तत्त्वों के निष्कर्षण के सामान्य सिद्धांत एवं प्रक्रिया

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. सल्फाइड अयस्कों का सान्द्रण प्रायः निम्नलिखित में किस विधि द्वारा किया जाता है ?

(A) फेन उत्पादन विधि
(B) जारण
(C) गुरुत्व
(D) कार्बन के द्वारा अवकरण

Answer ⇒ (A)

2. क्षयरोग को ठीक करने के लिए निम्नलिखित में कौन-सा ऐंटिबायोटिक का प्रयोग होता है ?

(A) Pencillin
(B) Streptomycin
(C) Tetracycline
(D) Chloromycetin

Answer ⇒ (B)

3. सबसे अधिक विद्युत धनात्मक धातुओं को उसके अयस्कों से निष्कर्षण होता है।

(A) उच्च ताप पर कार्बन के द्वारा अवकरण से
(B) रक्त उबकरण से
(C) तापीय विघटन के द्वारा
(D) विलगित आयनिक लवणों के विद्युत-विच्छेदन के द्वारा

Answer ⇒ (D)

4. निम्नलिखित में कौन-सी धातु उसके अयस्क की अभिक्रिया सोडियम सायनाइड के तनु विलयन से कराकर प्राप्त की जाती है ?

(A) Cu
(B) Zn
(C) Ag
(D) Pt

Answer ⇒ (C)

5. अर्द्धचालक के रूप में उपयोग के लिए जर्मेनियम का शोधन किस विधि द्वारा का किया जाता है ?

(A) प्रक्षेत्र शोधन
(B) क्युपेलीकरण
(C) वाष्प-अवस्था विधि
(D) निस्तापन

Answer ⇒ (A)

6. निम्नलिखित में कौन सल्फाइड अयस्क हैं ?

(A) मैलेकाइट
(B) गैलना
(C) कैलेमाइन
(D) का लाइट

Answer ⇒ (B)

7. डी०एन०ए० संरचना में एडेनीन एवं थायमीन के बीच हाइड्रोजन बंध की संख्या

(A) 1
(B) 2
(C) 3
(D) 4

Answer ⇒ (B)

8. विधुत स्विचों का निर्माण होता है

(A) ग्लिप्टल से
(B) बैकालाइट से
(C) पॉलिस्टाइरीन से
(D) यूरिया फॉर्मेल्डीहाइड रेजिन से

Answer ⇒ (B)

9. कच्चा लोहा (Pig Iron) में कौन-सा तत्त्व अत्यधिक मात्रा में अशुद्धि के रूप में उपस्थित रहता है ?

(A) फास्फोरस
(B) मैंगनीज
(C) कार्बन
(D) सिलिकॉन

Answer ⇒ (C)

10. समीकरण 4M + 8CN + 2H2O + O2 → 4[M(CN)2] + 4OH- में धातु M होगा

(A) Cu
(B) Fe
(C) Au
(D) Zn

Answer ⇒ (C)

11. स्वतः अपचयन विधि से निम्न में से किस धातु का निष्कर्षण किया जाता है ?

(A) Cu तथा Hg
(B) Zn तथा Hg
(C) Cu तथा Al
(D) Fe तथा Pb

Answer ⇒ (A)

12. जब AgCI के साथ KCN की प्रतिक्रिया करायी जाती है

(A) Ag अवक्षेपित हो जाता है
(B) एक जटिल आयन का निर्माण होता है
(C) पोटैसियम का अवकरण हो जाता है
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (B)

13. गुरुत्व पृथक्करण विधि से सान्द्रित किया जाता है

(A) कैलेमाइन को
(B) हेमेटाइट को
(C) कैल्थोपाइराइट को
(D) बॉक्साइट को

Answer ⇒ (B)

14. निम्न में से किस अयस्क का सान्द्रण रासायनिक लिचिंग विधि से किया जाता को है ?

(A) गैलेना
(B) कॉपर पायराइट
(C) सिनेबार
(D) एजेनटाइट

Answer ⇒ (D)

15. स्वतः अपचयन विधि से निम्न में से किस धातु का निष्कर्षण नहीं किया जाता

(A) Hg
(B) Cu
(C) Pb
(D) Fe

Answer ⇒ (D)

16. फेन प्लवन विधि से किस अयस्क का सान्द्रण किया जाता है ?

(A) सिनेवार
(B) बॉक्साइट
(C) मालाकाइट
(D) जिंकाइट

Answer ⇒ (A)

17. मालाकाइट (Malachite) अयस्क का सूत्र है

(A) Fe3o4
(B) Mn3O4
(C) NiAs
(D) Cu(OH)2.Cuco3

Answer ⇒ (D)

18. इस्पात को लाल तप्त कर धीरे-धीरे ठंढा करने की विधि को कहते हैं

(A) हारडेनिंग
(B) एनिलिंग
(C) टेम्परिंग
(D) नाइट्राइडिंग

Answer ⇒ (B)

19. सोना से Cu तथा Ag अशुद्धि को बाहर किया जाता है

(A) अशुद्ध सोना को तनु H2SO4 के साथ उबाल कर
(B) अशुद्ध सोना को सान्द्र H2SO4 के साथ उबाल कर
(C) विद्युतीय विधि से
(D) (B) तथा (C) दोनों से

Answer ⇒ (D)

20. कार्बन-अपचयन विधि से निष्कर्षित किया जाता है

(A) Cu
(B) AI
(C) Fe
(D) Mg

Answer ⇒ (C)

21. निम्न में से किस सल्फाइड अयस्क का फेन प्लवन विधि से सान्द्रण नहीं होता

(A) एर्जेनटाइट
(B) गैलेना
(C) कॉपर पायराइट
(D) सैफैलराइट यान

Answer ⇒ (A)

22. Ag2S से Ag के निष्कर्षण में किस प्रतिकारक का उपयोग किया जाता है ?

(A) NaCN
(B) O2की उपस्थिति में NaCN
(C) NaCl
(D) AgNO3

Answer ⇒ (B)

23. आग बुझाने के उपयोग में आने वाला पदार्थ

(A) CHCl3
(B) CCl4
(C) C2H5OC2H5
(D) C2H5OH

Answer ⇒ (B)

24. सल्फाइड अयस्क से कॉपर के निष्कर्षण में निम्न में से किस यौगिक से Cu2Oका अपचयन होता है ?

(A) FeS
(B) CO
(C) Cu2S
(D) SO2

Answer ⇒ (C)

25. Blast furnace की निम्न में से कौन-सी अभिक्रिया उष्माशोषी है ?

(A) CaCO3 → CaO + CO2
(B) 2C+O2 → CÓ
(C) C+O2 → CÓ2
(D) Fe2O3 + 3CO → 2Fe + 3CO2

Answer ⇒ (A)

26. अयस्क से गन्धक अशुद्धि को हटाने के लिए वायु की उपस्थिति में गर्म करने की विधि को कहते हैं

(A) निस्तापन
(B) जारण
(C) प्रद्रवण
(D) कोई नहीं

Answer ⇒ (B)

27. निम्न में से किस धातु को विद्युत शुद्धिकरण द्वारा शुद्ध किया जाता है ?

(A) AI
(B) Bi
(C) Sn
(D) Pb

Answer ⇒ (A)

28. जिरकोनियम का शुद्धिकरण निम्न प्रकार से किया जाता है

Zr(अशुद्ध ) + 2I2 → 523k → ZrI4 → 1800k → Zr (शुद्ध) + 2I2 इस विधि को कहते है

(A) आसवन विधि
(B) द्रवीकरण विधि
(C) Van-Arkel Fale
(D) मौण्ड विधि (Mond’s)

Answer ⇒ (C)

29. Van-Arkel विधि से शुद्ध किया जाता है।

(A) Ni तथा Fe
(B) Ga तथा Sn
(C) Zr तथा Ti
(D) Ag तथा Au

Answer ⇒ (C)

30. किस विधि से द्रविण सोडियम हाइड्रोक्साइड का विद्युत विच्छेदन कर सोडियम प्राप्त किया जाता है ?

(A) कास्टनर विधि
(B) सायनाइड विधि
(C) डाउन विधि
(D) (B) तथा (C) दोनों

Answer ⇒ (A)

31. जिंक के विद्युत शुद्धिकरण में

(A) ग्रेफाइट का एनोड होता है
(B) अशुद्ध जिंक का कैथोड होता है
(C) धातु आयन एनोड पर अपचयित होता है
(D) अम्लीय जिंक सल्फेट का उपयोग इलेक्ट्रोलाइट के रूप में किया जाता है

Answer ⇒ (D)

32. फफोलेदार कॉपर (Blister copper) है

(A) अशुद्ध कॉपर
(B) Cu मिश्रधातु
(C) शुद्ध कॉपर
(D) कॉपर जिसमें 1% अशुद्धि रहती है

Answer ⇒ (D)

33. किस विधि से अशुद्ध धातु को शुद्ध नहीं किया जाता है?

(A) Mond’s विधि
(B) Van-Arkel विधि
(C) Amalgamation विधि
(D) द्रवीकरण विधि

Answer ⇒ (C)

34. निम्न में कौन धातु विद्युतीय विधि द्वारा निष्कर्षित नहीं किया जाता है ?

(A) Na
(B) Mg
(C) AI
(D) Fe

Answer ⇒ (D)

35. व्यावसायिक लोहा का सबसे शुद्ध रूप है

(A) ढलवाँ लोहा
(B) पिटवा लोहा
(C) इस्पात
(D) कच्चा लोहा

Answer ⇒ (B)

36. Zone refining विधि के द्रवित जोन

(A) में अशुद्धि रहता है
(B) सिर्फ शुद्ध धातु रहता है
(C) धातु की तुलना में अशुद्धि अधिक अधिक रहती है
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (C)

37. निम्न में प्रद्रवण विधि को व्यक्त करता है

(A) ZnCO3 → ZnO + CO2
(B) Fe2O3 + 3C → 2Fe + 3CO
(C) 2Pbs + 3O2 → 2PbO + 2SO2
(D) Al2O3.2H2O → Al2O3 + 2H2O

Answer ⇒ (B)

38. निकेल के शुद्धिकरण की विधि Ni + 4CO 320K → Ni(CO)4420K Ni + 4CO → कहलाता है

(A) जोन शुद्धिकरण
(B) मौण्ड विधि
(C) वान-आरकेल विधि
(D) द्रवीकरण

Answer ⇒ (B)

39. Na[Ag(CN)2] से Ag प्राप्त करने के लिए किस धातु से प्रतिक्रिया करायी जाती है ?

(A) Fe
(B) Na
(C) Zn
(D) Au

Answer ⇒ (C)

40. निम्न में किसमें Ca तथा Mg दोनों उपस्थित हैं ?

(A) चूना पत्थर
(B) चॉक
(C) आइसलैण्ड स्पार
(D) डोलोमाइट

Answer ⇒ (D)

41. का लाइट के विद्युत विच्छेदन से प्राप्त होता है

(A) Al तथा Cl2
(B) Mg तथा Cl2
(C) Ca तथा Cl2
(D) Na 711 CO2

Answer ⇒ (B)

42. किस धातु के धातुकर्म में क्यूपलेशन (Cupellation) विधि का उपयोग किया जाता है 

(A) Fe
(B) AI
(C) Cu
(D) Ag

Answer ⇒ (D)

43. सोना आसानी से घुल जाता है

(A) सान्द्र HCl में
(B) सान्द्र IINO3में
(C) जलीय KCN + O2
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (C)

44. निम्न में कौन सेट सही है ?

(A) जर्मन सिल्वर -Cu+Zn + C
(B) सोल्डर -Pb+Al
(C) गन – मेटल -Cu + Zn + Sn
(D) डूरालूमिन -Al + Cu + Mg + Ag

Answer ⇒ (C)

45. कॉपर के निष्कर्षण में बेसिमर कर्भटर मे होने वाली प्रतिक्रिया है

(A) 2Cu2O + Cu2s → 6Cu + SO2
(B) 2FeS + 3O2 → 2FeO + 25O2
(C) 2CuFeS2 + O2 → Cu2S + 2FeS + SO2
(D) 2Cu2S + 3O2 → 2Cu2O + 2SO2

Answer ⇒ (A)

46. निम्न में किस धातु के निष्कर्षण में AI का उपयोग किया जाता है ?

(A) Ca
(B) Mn
(C) Cr
(D) (B) तथा (C) दोनों

Answer ⇒ (D)

47. फेन प्लावन विधि में सामान्यतः उपयोग नहीं होने वाले Collectors है।

(A) तारपीन का तेल
(B) नारियल तेल
(C) वसा अम्ल
(D) जैनथेट

Answer ⇒ (B)

48. निम्न में कौन झाग स्टेबिलाजर का कार्य करता है?

(A) क्रेसॉल
(B) एनीलीन
(C) (A) तथा (B) दोनों
(D) (A) तथा (B) में से कोई नहीं

Answer ⇒ (C)

49. सिन्नाबार है

(A) Hgs
(B) PbS
(C) SnO2
(D) PbCO3

Answer ⇒ (A)

50. जारण (Roasting) का मुख्य कार्य है

(A) अयस्क की ऑक्साइड में परिवर्तित करना
(B) उड़नशील अशुद्धियों को बाहर निकालना
(C) धातुमल बनाना
(D) (A) तथा (B) दोनों

Answer ⇒ (D)

51. कोई खनिज अयस्क कहलाता है यदि धातु

(A) इससे उत्पन्न न की जा सके
(B) उत्पन्न की जा सके
(C) इससे लाभदायक रूप से प्राप्त की जा सकती है
(D) बहुत महंगी हो

Answer ⇒ (C)

52. निम्न में से कौन धातु लवण के जलीय विलयन के वैद्युत अपघटन से प्राप्त नहीं किया जा सकता है ?

(A) Ag
(B) Mn
(C) Cu
(D) Cr

Answer ⇒ (B)

53. सल्फाइड अयस्क के सान्द्रण की विधि है:

(A) झाग प्लवन
(B) भर्जन
(C) वैद्युत अपघटन
(D) बेसेमरीकरण

Answer ⇒ (A)

54. मण्डल परिष्करण प्रयुक्त होता है।

(A) अयस्क से सान्द्रण हेतु
(B) धातु ऑक्साइड के अपचयन हेतु
(C) धातु शोधन हेतु
(D) अयस्क के शोधन हेतु

Answer ⇒ (C)

55. पाइराइट से कॉपर के निष्कर्षण के दौरान प्राप्त धातुमल मख्यतः बना होता है:

(A) Cu2s
(B) FeSiO3
(C) CuSiO3
(D) Sio2

Answer ⇒ (B)

56. बॉक्साइट के शोधन में प्रयुक्त विधि है:

(A) झाग प्लवन
(B) निक्षालन
(C) द्रवण
(D) चुम्बकीय पृथक्करण

Answer ⇒ (B)

57. धातुकर्म में प्रयुक्त खनिजों की मृदा अशुद्धियाँ कहलाती है।

(A) धातुमल
(B) गालक
(C) आधात्री
(D) अयस्क

Answer ⇒ (C)

58. वैद्युत अपघटन प्रयुक्त होता है।

(A) वैधुत लेपन में
(B) वैधुत शोधन में
(C) (A) और (B) दोनों में
(D) किसी में नहीं

Answer ⇒ (C)

59. मैक आर्थर विधि किसके लिए प्रयुक्त होती है।

(A) Ag
(B) Fe
(C) CI
(D) O2

Answer ⇒ (A)

60. कॉपर के वैद्युत शोधन में गोल्ड की थोड़ी-सी मात्रा किस रूप में जमा होती है ?

(A) एनोड पंक
(B) कैथोड पंक
(C) कैथोड
(D) वैद्युत अपघट्य

Answer ⇒ (A)

61. किसके धातुकर्म में एलुमिनोतापीय विधि प्रयुक्त होती है ?

(A) Pb
(B) Ag
(C) Cr
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (C)

62. अर्द्धचालक में प्रयुक्त सिलिकॉन तत्त्व का शोधन होता है:

(A) मंडल परिष्करण द्वारा
(B) गर्म करके
(C) झाग प्लवन द्वारा
(D) निर्वात् में गर्म करके

Answer ⇒ (A)

63. प्रगलन में एक अतिरिक्त पदार्थ मिलाया जाता है जो अशुद्धियों से संयोजित होकर गलनीय उत्पाद बनाता है, इसे कहते हैं:

(A) धातुमल
(B) पंक
(C) आधात्री
(D) गालक

Answer ⇒ (D)

64. भट्टी में क्षारीय अस्तर दिया जाता है।

(A) निस्तापित डोलोमाइट का
(B) चूने पत्थर का
(C) कैल्शियम का
(D) सोडियम का

Answer ⇒ (A)

65. पृथ्वी की सतह पर सर्वाधिक प्राप्त तत्त्व है।

(A) आयरन
(B) एलुमिनियम
(C) कैल्शियम
(D) सोडियम

Answer ⇒ (B)

66. निम्न में कौन-सा असत्य कथन है?

(A) कैलामीन एवं सिडेराइट कार्बोनेट हैं
(B) अर्जेंटाइट एवं क्यप्राइट ऑक्साइट हैं
(C) जिंक ब्लेंड एवं आयरन पाइराइट सल्फाइड हैं
(D) मैलासाइट एवं एजुराइट कॉपर के अयस्क हैं

Answer ⇒ (B)

67. निम्न में कौन मैगनेसियम का अयस्क नहीं है ?

(A) जिप्सम
(B) डोलोमाइट
(C) मैगनेसाइट
(D) का लाइट

Answer ⇒ (A)

68. धातु की चमक का कारण है।

(A) उसका उच्च घनत्व
(B) उसका उच्च परिष्कृत होना
(C) उसकी रासायनिक निष्क्रियता
(D) मुक्त इलेक्ट्रॉनों की उपस्थिति

Answer ⇒ (D)

69. किसी इमल्शन (पायस) को नष्ट किया जा सकता है

(A) जमाकर (freezing)
(B) इलेक्ट्रोड फोरेसिस (विद्युतकण संचालन
(C) इमल्सीफायर मिलाकर
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (B)

70. साइनाइड विधि से निष्कर्षित धातु है:

(B) कॉपर
(C) आयरन
(C) आयरन
(A) सिल्वर
(D) सोडियम

Answer ⇒ (A)

71. आयरन का महत्त्वपूर्ण अयस्क हैः

(A) सिडेराइट
(B) हेमेटाइट
(C) पाइराइट
(D) बॉक्साइट

Answer ⇒ (B)

72. अर्जेन्टाइट से सिल्वर का निष्कर्षण किस विधि से किया जाता है ?

(A) स्वतः अपचयन
(B) कार्बन अपचयन
(C) संकर लवण बनाकर
(D) विद्युत अपघटन

Answer ⇒ (C)

73. लोहा का खनिज है

(A) मालाकाइट
(B) हेमेटाइट
(C) कॉपर ग्लास
(D) जिंक ब्लैंड

Answer ⇒ (B)

74. आयरन के निष्कर्षण में उत्पन्न धातुमल है:

(A) CO
(B) FeSiO3
(C) MgSiO3
(D) CasiO3

Answer ⇒ (D)

75. सल्फर को दूर करने के लिए पाइराइट का गर्म किया जाना कहलाता है।

(A) प्रगलन
(B) निस्तापन
(C) द्रवण
(D) भर्जन

Answer ⇒ (D)

76. निकिल का शोधन उसके किस यौगिक के ऊष्मीय अपघटन से होता है ?

(A) हाइड्रॉक्साइड
(B) क्लोराइड
(C) एजाइड
(D) कार्बोनिल

Answer ⇒ (D)

77. भूपर्पटी में सर्वाधिक प्राप्त (भारानुसार) तत्त्व हैः

(A) Si
(B) Al
(C) 0
(D) Fe

Answer ⇒ (B)

78. जलीय एलुमिना को निर्जल एलुमिना में बदलने वाली प्रक्रिया कहलाती है।

(A) भर्जन
(B) निस्तापन
(C) सज्जीकरण
(D) प्रगलन

Answer ⇒ (B)

79. कोलेमेनाइट (Colemanite) है।

(A) Na2B4O7.10H2O
(B) Ca2B6O11.5H2O
(C) NaBO2
(D) H3BO

Answer ⇒ (B)

80. थर्माइट विधि में अपचायक होता हैः

(A) निकेल
(B) सिल्वर
(C) कॉपर
(D) सोडियम

Answer ⇒ (D)

81. सदैव मुक्त अवस्था में मिलनेवाली धातु है:

(A) गोल्ड
(B) सिल्वर
(C) कॉपर
(D) सोडियम

Answer ⇒ (A)

82. मैग्नीशियम के निष्कर्षण के धातुकर्म में प्रयुक्त विधि है:

(A) गलित लवण का वैद्युत अपघटन
(B) स्व-अपचयन
(C) जलीय विलयन का वैद्युत अपघटन
(D) थर्माइट अपचयन

Answer ⇒ (A)

83. CN- विलयन का उपयोग किस धातु के निष्कर्षण में होता है ?

(A) Ag
(B) Ti
(C) Zn
(D) Sn

Answer ⇒ (A)

84. निम्न में क्यूप्रस अयस्क है:

(A) मैलासाइट
(B) क्यूप्राइट
(C) एजुराइट
(D) चालको पाइराइट

Answer ⇒ (B)

85. सभी अयस्क खनिज है किन्तु सभी खनिज अयस्क नहीं हैं क्योंकि

(A) सभी खनिजों से धातु का निष्कर्षण मितव्ययिता के साथ (economically) नहीं किया जा सकता है
(B) खनिज जटिल यौगिक होते हैं
(C) खनिज अयस्क से प्राप्त होते हैं ।
(D) सभी सत्य हैं

Answer ⇒ (A)

86. सोडियम निष्कर्षण में प्रयुक्त विधि कहलाती हैः

(A) सर्पक विधि
(B) बेयर विधि
(C) थर्माइट विधि
(D) डाउन विधि

Answer ⇒ (D)

87. ऑक्साइड अयस्क से धातु निष्कर्षण की सामान्य विधि हैः

(A) कार्बन के साथ अपचयन
(B) हाइड्रोजन के साथ अपचयन
(C) एलुमिनियम के साथ अपचयन
(D) वैद्युत अपघटनी विधि

Answer ⇒ (A)

88. निम्न में से कौन-सा आयरन का अयस्क नहीं है ?

(A) लिमोनाइट
(B) मैग्नेटाइट
(C) कैसिटेराइट
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (C)

89. धातु शोधन की मंडल परिष्करण विधि किस सिद्धांत पर आधारित हैं ?

(A) अशुद्धि की अपेक्षा शुद्ध धातु की अधिक गतिशीलता
(B) शुद्ध धातु की अपेक्षा अशुद्ध का उच्च गलनांक
(C) अशुद्ध की अपेक्षा शुद्ध ठोस धातु का अधिक उत्कृष्ट व्यवहार
(D) ठोस की अपेक्षा गलित अवस्था में अशुद्धि की अधिक विलेयता

Answer ⇒ (D)

90. Pb एवं Sn का उनके मुख्य अयस्क से निष्कर्षण होता है।

(A) कार्बन अपचयन तथा स्व-अपचयन द्वारा
(B) स्व-अपचयन तथा कार्बन अपचयन द्वारा
(C) वैद्युत अपघटन तथा स्व अपचयन
(D) स्व अपचयन तथा वैद्युत अपघटन

Answer ⇒ (B)

91. निम्न में से कौन-सा मैग्नेशियम का अयस्क नहीं है ?

(A) काइँलाइट
(B) डोलोमाइट
(C) कैलामीन
(D) समुद्रीजल

Answer ⇒ (C)

92. जिंक ब्लैंड से जिंक का निष्कर्षण होता है।

(A) वैद्युत अपघटनी अपचयन द्वारा
(B) भर्जन के बाद कार्बन के साथ अपचयन द्वारा
(C) भर्जन के बाद हाइड्रोजन के साथ अपचयन द्वारा
(D) भर्जन के बाद स्व-अपचयन द्वारा

Answer ⇒ (B)

93. सल्फाइड अयस्क के अपचयन के पूर्ण भर्जन के लाभ के संदर्भ में, निम्न में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है ?

(A) सल्फाइड का ΔG°, CS2 तथा H2S के ΔƒG° से अधिक होता है
(B) सल्फाइड अयस्क के ऑक्साइड में भर्जन का ΔƒG° ऋणात्मक होता है
(C) सल्फाइड का ऑक्साइड में भर्जन, ऊष्मागतिकीय रूप से सम्भाव्य है
(D) धातु सल्फाइडों हेतु कार्बन तथा हाइड्रोजन उपर्युक्त अपचायक है

Answer ⇒ (D)

94. कॉपर पायराइट का सूत्र है।

(A) Cu2S
(B) CuFeS
(C) CuFeS2
(D) Cu2FeS2

Answer ⇒ (C)

95. निम्न में से कौन-सा एल्युमिनियम का अयस्क नहीं है ?

(A) ऐंग्लेसाइट
(B) माइका
(C) बेरिल
(D) आर्थोक्लास

Answer ⇒ (A)

96. सल्फाइड अयस्क से कॉपर का निष्कर्षण किस विधि द्वारा किया जाता है ?

(A) कार्बन अपचयन
(B) स्वतः अपचयन
(C) संकर संभवन
(D) विधुत-अपघटन

Answer ⇒ (B)

97. ऑक्साइड अयस्कों से आयरन का निष्कर्षण किस विधि द्वारा किया जाता है ?

(A) कार्बन मोनोक्साइड अपचयन
(B) स्वतः अपचयन
(C) कार्बन अपचयन
(D) संकर लवण बनाकर

Answer ⇒ (A)

98. फेन प्लवन विधि द्वारा किस प्रकार के अयस्क का सान्द्रण किया जाता है ?

(A) ऑक्साइड अयस्क
(B) सल्फाइड अयस्क
(C) सिलिकेट अयस्क
(D) फॉस्फेट अयस्क

Answer ⇒ (B)

99. मैग्नेटाइट से किस धातु का निष्कर्षण किया जाता है ?

(A) Mg
(B) Fe
(C) Mn
(D) Ag

Answer ⇒ (B)

100. गैलेना किस धातु का अयस्क है ?

(A) As
(B) Sb
(C) Cu
(D) Fe

Answer ⇒ (B)

101. फूल्स गोल्ड किसे कहते हैं ?

(A) As2S3
(B) Sb2S5
(C) Fes2
(D) Cu-Zn मिश्रधातु

Answer ⇒ (C)

102. मैलेकाइट अयस्क है

(A) Fe
(B) Ag
(C) Al
(D) Cu

Answer ⇒ (D)

103. बेसीमरीकरण का प्रयोग किस धातुकर्म में किया जाता है ?

(A) AI
(B) Cu
(C) Au
(D) Age

Answer ⇒ (B)

104. निम्न में से कौन-सा अयस्क एल्युमिनियम का नहीं है ?

(A) बॉक्साइट
(B) कोरन्डम
(C) डायस्पोर
(D) एगुराइट

Answer ⇒ (D)

105. एल्युमिनियम का अयस्क है

(A) बॉक्साइट
(B) हेमाटाइट
(C) डोलोमाइट
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (A)

106.निम्न में से कौन-सा नाइट्रेट तेज गर्म करने में धातु देगा ?

(A) कॉपर नाइट्रेट
(B) मैंग्नीज नाइट्रेट
(C) सिल्वर नाइट्रेट
(D) फेरिक नाइट्रेट

Answer ⇒ (C)

107. उत्प्लावन विधि में खनिज कणों की उत्प्लावन का कारण

(A) हल्का होना
(B) अघुलनशील होना
(C) उसके सतह आसानी से नहीं भींगें हैं
(D) विद्युतीय आवेश उत्पन्न होने के कारण

Answer ⇒ (C)

108. निम्नलिखित में कौन-सी धातु प्रकृति में मुक्त अवस्था में पाई जाती है

(A) सोडियम
(B) लोहा
(C) जिंक
(D) सोना

Answer ⇒ (D)

109.कैसिटेराइट अयस्क है

(A) Mn का
(B) Ni का
(C) Sb का
(D) Sn का

Answer ⇒ (D)

110. कार्बोजेन किसका मिश्रण है ?

(A) H2+O2
(B) H2 + S
(C) O2 + CO2
(D) SO2 + O

Answer ⇒ (B)

111.स्मेल्टींग में धातु के ऑक्साइड के अपचयन में संयुक्त है

(A) A1
(B) C
(C) Mg
(D) CO

Answer ⇒ (B)

112.डोलोमाइट खनिज में पाये जाते हैं

(A) Al
(B) Mg
(C) K
(D) Ca

Answer ⇒ (B)

113.निम्नलिखित में कौन-सा ऐल्युमिनियम के प्रमुख अयस्क है ?

(A) बॉक्साइड
(B) क्रायोलाइट
(C) फेल्सस्पार
(D) मालाकाइट

Answer ⇒ (A)

114.समुद्री जल में पाये जाने वाला तत्त्व है

(A) मैग्नेशियम
(B) सोडियम
(C) आयोडिन
(D) इनमें से कोई नही

Answer ⇒ (B)

115.कॉपर पायराइट का सूत्र है।

(A) Cu2S
(B) CuFeS
(C) CuFeS2
(D) Cu2FeS2

Answer ⇒ (C)

116.सल्फाइड अयस्कों को सामान्यतः …………. से संकेद्रित करते हैं।

(A) फेन उत्प्लावन विधि
(B) जारण
(C) गुरुत्वाकर्षण
(D) कार्बन के द्वारा अवकरण

Answer ⇒ (A)

117.बिस्मथ की सबसे स्थाई ऑक्सीकरण अवस्था है

(A) +3
(B) +5
(C) +3 और +5 दोनों
(D) कोई नहीं

Answer ⇒ (A)

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. अयस्क किसे कहते हैं? अयस्क तथा खनिज में क्या अन्तर है? 
उत्तर :- खनिज-पृथ्वी में धातु तथा उनके यौगिक जिस रूप में मिलते हैं, वे खनिज कहलाते हैं; जैसे- रॉक साल्ट (rock salt), NaCl आदि।
अयस्क- वे खनिज जिनसे किसी शुद्ध धातु का निष्कर्षण अधिक मात्रा में सुविधापूर्वक व कम व्यय पर किया जा सके, उस धातु के अयस्क कहलाते हैं; जैसे- लोहे का अयस्क हेमेटाइट, Fe2O: 2H2O है। अतः सभी अयस्क खनिज होते हैं, परन्तु सभी खनिज अयस्क नहीं होते हैं।

प्रश्न 2. ऐलुमिनियम के दो प्रमुख अयस्कों के नाम तथा सूत्र लिखिए। 
उत्तर :- ऐलुमिनियम के दो प्रमुख अयस्क इस प्रकार हैं –

1.बॉक्साइट Al2O3 : 2H2O

2.क्रायोलाइट Na3AIF6

प्रश्न 3. ऐलुनाइट अयस्क का संगठन लिखिए। 
उत्तर :- K2SO4 : Al2(SO4)3 : 4 Al(OH)3

प्रश्न 4. कॉपर के दो प्रमुख अयस्कों के नाम तथा सूत्र लिखिए। 
उत्तर :- कॉपर के दो प्रमुख अयस्क क्यूप्राइट (Cu2O) व कॉपर पायराइट (CuFeS2) हैं।

प्रश्न 5. किन्हीं दो सल्फाइड अयस्कों के नाम लिखिए। 
उत्तर :- 

1.अर्जेण्टाइट (Ag2S)

2.कैल्कोपायराइट (CuFeS2)

प्रश्न 6. डायस्पोर तथा केरार्जिराइट किन धातुओं के अयस्क हैं? 
उत्तर :- 

*डायस्पोर- ऐलुमिनियम;

*केरार्जिराइट- सिल्वर

प्रश्न 7. लोहे के प्रमुख अयस्कों के नाम तथा सूत्र लिखिए। 
उत्तर :-
1. ऑक्साइड अयस्क – लाल हेमेटाइट (Fe2O3 . 2H2O), मैग्नेटाइट (Fe3O4)
2. जलीय ऑक्साइड अयस्क – भूरा हेमेटाइट या लिमोनाइट (Fe2O3 : 3H2O)
3. कार्बोनेट अयस्क – सिडेराइट (FeCO3)
4. सल्फाइड अयस्क – आयरन पाइराइट (FeS2), कॉपर आयरन पाइराइट या कैल्को पाइराइट (CuFeS2)

प्रश्न 8. ऐजुराइट तथा सिडेराइट अयस्कों का सूत्र लिखिए। 
उत्तर :- ऐजुराइट- 2CuCO3 . Cu(OH)2, सिडेराइट (FeCO3)

प्रश्न 9. आधात्री की व्याख्या कीजिए। 
उत्तर :- खनिजों में मिट्टी, कंकड़, पत्थर आदि अनावश्यक पदार्थ अशुद्धियों के रूप में मिले रहते हैं। इन पदार्थों को गैंग या आधात्री कहते हैं।

प्रश्न 10. फेन प्लवन विधि द्वारा किन अयस्कों का सान्द्रण किया जाता है। इस विधि का वर्णन कीजिए।

उत्तर :- यह विधि अयस्क तथा आधात्री (gangue) की किसी द्रव से भीगने की प्रवृत्ति पर निर्भर करती है। इस विधि में बारीक पिसे हुए अयस्क को जल तथा तेल के मिश्रण में डालकर वायु प्रवाहित की जाती है। अशुद्ध अयस्क तेल के साथ झाग (फेन) बनाकर ऊपर तैरने लगता है और अपद्रव्य नीचे बैठ जाते हैं। इस विधि में चीड़ का तेल (pine oil) या क्रीओसेट तेल (creosate oil) काम में लाया जाता है। सल्फाइड अयस्कों का सान्द्रण इसी विधि से किया जाता है।

प्रश्न11. अयस्कों का सान्द्रण क्यों आवश्यक है? चुम्बकीय पृथक्करण विधि से क्या तात्पर्य है? 
उत्तर :- खानों से प्राप्त अयस्कों में मिट्टी, कंकड़, पत्थर आदि मिले होते हैं जिन्हें आधात्री कहते हैं। आधात्री के कारण शुद्ध धातु प्राप्त करने में अवरोध उत्पन्न होता है तथा धन व समय का भी अपव्यय होता है। अत: धातु निष्कर्षण के पूर्व अयस्क से इन अशुद्धियों को दूर किया जाता है जिसे अयस्क का सान्द्रण कहते हैं।
चुम्बकीय पृथक्करण – सान्द्रण की यह विधि पदार्थों के चुम्बकीय तथा अचुम्बकीय गुणों पर निर्भर करती है। किसी अयस्क में उपस्थित चुम्बकीय अशुद्धि को इस विधि के द्वारा पृथक् कर सकते हैं। टिन-स्टोन (SnO2) में कुछ चुम्बकीय पदार्थ; जैसे- Fe3O4 आदि मिला होता है। अयस्क के महीन चूर्ण को दो बेलनों पर लगी पट्टी (belt) पर डालते हैं। इनमें से एक बेलन चुम्बकीय होता है। पट्टी को चलाने पर चुम्बकीय तथा अचुम्बकीय पदार्थ अलग-अलग स्थानों पर एकत्रित होते जाते हैं, जैसा कि चित्र में प्रदर्शित किया गया है। इस विधि में महीन चूर्ण को पट्टी पर डालते रहते हैं तथा पट्टी बेलनों की सहायता से चलती रहती है। विद्युत चुम्बकीय ध्रुवों के प्रभावों के कारण चुम्बकीय पदार्थ उससे दूर पृथक्-पृथक् होते जाते हैं। इस प्रकार से सान्द्रित अयस्क एकत्रित कर लिया जाता है।

प्रश्न 12. गालक किसे कहते हैं? उदाहरण सहित समझाइए। 
उत्तर :- 
गालक– गालक उस पदार्थ को कहते हैं जो अयस्क में उपस्थित अगलनीय अशुद्धियों के साथ उच्च ताप पर क्रिया करके इनको आसानी से गलाकर पृथक् होने वाले पदार्थों के रूप में दूर कर देते हैं। अशुद्धियों की गालक से क्रिया के फलस्वरूप बने गलनीय पदार्थ को धातुमल कहा जाता है। धातुमल, धातु से हल्का होने के कारण उसके ऊपर एक अलग पर्त के रूप में तैरने लगता है जिसको अलग कर लेते हैं। गालक दो प्रकार के होते हैं –
1. अम्लीय गालक; जैसे- SiO2। यह क्षारीय अशुद्धियों; जैसे- CaO, FeO आदि को दूर करता है।
2. क्षारीय गालक; जैसे- चूने का पत्थर (CaCO3)। यह अम्लीय अशुद्धियों; जैसे- SiO2, P2O5 को दूर करता है।

प्रश्न 13. अम्लीय गालक क्या है? धातुकर्म में इसकी क्या उपयोगिता है? एक उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर :- वे गालक जो क्षारीय अशुद्धियों से क्रिया करके धातुमल बनाते हैं, अम्लीय गालक कहलाते हैं। सिलिका (SiO2) तथा बोरेक्स प्रमुख अम्लीय गालक हैं।

प्रश्न 14. SiO2 अशुद्धि दूर करने के लिए उपयुक्त गालक लिखिए तथा सम्बन्धित अभिक्रिया लिखिए। 
उत्तर :- SiO2 अशुद्धि दूर करने के लिए उसमें क्षारीय गालक CaCO3 लिया जाता है।

प्रश्न15. धातुमल किसे कहते हैं? एक उदाहरण से समझाइए। 
उत्तर :- अयस्क में कुछ अशुद्धियाँ ऐसी होती हैं जिनका गलनांक बहुत अधिक होता है। गालक इन अशुद्धियों से मिलकर द्रवित पदार्थ बनाते हैं जिसे धातुमल कहते हैं। यह धातु से हल्का होने के कारण ऊपर तैरता रहता है जिसे निथारकर अलग कर दिया जाता है।
अशुद्धि + गालक = धातुमल
उदाहरणार्थ- FeO में SiO2 मिलाने पर FeSiO3 धातुमल प्राप्त होता है।

प्रश्न 16. निस्तापन किसे कहते हैं? उदाहरण देकर समझाइए। 
उत्तर :- वह क्रिया जिसमें अयस्क को इतना गर्म करते हैं कि वह पिघले नहीं तथा अयस्क से गैसीय पदार्थ या वाष्पशील पदार्थ पृथक् हो जाते हैं, निस्तापन कहलाती है। गैस निकलने पर अयस्क सरन्ध्र (porous) हो जाता है; जैसे- कार्बोनेट अयस्क गर्म होकर ऑक्साइड अयस्क तथा COमें बदल जाता है।
ZnCO3 → ZnO + CO2 ↑

प्रश्न 17. भर्जन किसे कहते हैं? उदाहरण देकर समझाइए। 
उत्तर :- वह क्रिया जिसमें अयस्क को वायु की उपस्थिति में उसके गलनांक से नीचे गर्म किया जाता है, भर्जन कहलाती है। इस क्रिया में S, As आदि वाष्पशील अशुद्धियाँ ऑक्साइडों के रूप में पृथक् हो जाती हैं। और सल्फाइड अयस्क ऑक्साइड में बदल जाता है।
S + O2 → SO2 ↑
4 As + 3O2 → 2 As2O3 ↑
2 Zns + 3O2 → 2 ZnO + 2 SO2 ↑

प्रश्न 18. जिंक ब्लैण्ड से जिंक के निष्कर्षण में भर्जन व अपचयन की अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण दीजिए।
उत्तर :- जिंक ब्लैण्ड (ZnS) एक सल्फाइड अयस्क है, अत: इसका निष्कर्षण फेन प्लवन विधि द्वारा सान्द्रित करने के पश्चात् निम्न पदों में किया जाता है –
1. जिंक ब्लैण्ड अयस्क का भर्जन – सान्द्रित जिंक ब्लैण्ड को परावर्तनी भट्ठी में 927°C पर वायु की उपस्थिति में गर्म करने पर यह (ZnS) अपने ऑक्साइड (ZnO) में परिवर्तित हो जाता है। अभिक्रिया निम्न है।
2 ZnS + 3O2 → 2 ZnO + 2 SO2 ↑
Zns + 2O2 → ZnSO4
2 ZnSO4 \underrightarrow { \triangle } 2 ZnO + 2 SO2 ↑ + O2 ↑

2. ऑक्साइड का अपचयन – भर्जन क्रिया से प्राप्त ZnO को कार्बन के साथ गर्म करने पर ZnO का Zn में अपचयन हो जाता है।
ZnO + C \underrightarrow { \triangle } Zn + CO ↑

प्रश्न 19. प्रगलन क्या है? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर :- 
अयस्क में उचित गालक मिलाकर मिश्रण को उच्च ताप पर गलाने की क्रिया को प्रगलन कहते हैं। इस क्रिया में अयस्क का गलित धातु में अपचयन हो जाता है अथवा धातुयुक्त पदार्थ पिघल जाता है। गालक अयस्क में उपस्थित अपद्रव्य से क्रिया करके धातुमल बनाता है जिसे अलग कर लेते हैं। इसमें वात्या भट्ठी का प्रयोग करते हैं।
लोहा तथा ताँबा धातुओं के निष्कर्षण में वात्या भट्ठी का उपयोग होता है।
उदाहरणार्थ– कॉपर पाइराइट से कॉपर का निष्कर्षण वात्या भट्ठी में प्रगलन द्वारा किया जाता है। इसमें निम्नलिखित अभिक्रियाएँ होती हैं –
Cu2O + Fes → Cu2S + FeO
2 Fes + 3O2 → 2 FeO + 2 SO2 ↑
FeO + SiO2 → FeSiO3

प्रश्न 20. प्रगलन में कोक और गालक का प्रयोग क्यों किया जाता है? व्याख्या कीजिए। 
उत्तर :- प्रगलन में कोक तथा गालक के प्रयोग से अयस्क के निस्तापन से प्राप्त ऑक्साइड को कोक अपचयित करता है, जिससे गलित धातु प्राप्त हो जाती है और अपद्रव्य गालक से क्रिया करके धातुमल के रूप में अलग हो जाते हैं। इससे अयस्क का गलनांक भी कम हो जाता है।

प्रश्न 21. ऐलुमिनो-थर्मिक विधि क्या है ? इसके उपयोग लिखिए। 
उत्तर :- धातुओं के ऑक्साइडों को ऐलुमिनियम चूर्ण के साथ उच्च ताप पर गर्म करने से धातुएँ प्राप्त होती हैं। यह क्रिया ऊष्माक्षेपी है तथा इसको एलुमिनोथर्मिक विधि कहते हैं।
3 Co3O4 + 8 Al → 9 Co + 4Al2O5
3 Mn3O4 + 8 Al → 9 Mn + 4 Al2O5
इस विधि का उपयोग CO, Mn और Cr धातुओं के निष्कर्षण और थर्माइट वेल्डिंग में किया जाता है।

प्रश्न 22. लीचिंग क्या है? एक उदाहरण द्वारा समझाइए। 
उत्तर :- यह विधि रासायनिक परिवर्तन पर आधारित है। इसके अन्तर्गत बारीक पिसे अयस्क को उचित अभिकर्मक के साथ क्रिया कराते हैं। जिससे विलयन की अवस्था में परिवर्तन आ जाता है तथा अशुद्धियाँ ठोस अवस्था में रह जाती हैं।
उदाहरण– बॉक्साइट अयस्क को सान्द्रण करने के लिए Al2O5 . 2H2O की क्रिया NaOH से कराने पर NaAlO2 बन जाता है जो जल में विलेय है और अशुद्धियाँ; जैसे- सिलिका, Fe2O3 नीचे ठोस के रूप में अवक्षिप्त हो जाती हैं।
Al2O3 . 2H2O + 2 NaOH → 2 NaAlO2 + 3 H2O
NaAlO2 + 2H2O → Al(OH)3 + NaOH

प्रश्न23. लोहे के निष्कर्षण के दौरान वात्या भट्टी में चूने का पत्थर क्यों डालते हैं? समझाइए। 
उत्तर :- लोहे के निष्कर्षण के दौरान वात्या भट्टी में मिलाया गया चूना पत्थर (CaCO3) गालक का कार्य करता है। यह धातुमल (SiO2) से संयोग करके धातुमल (CaSiO3) कैल्सियम सिलिकेट बनाता है।

प्रश्न 24. इस्पात का ऊष्मा उपचार क्यों आवश्यक है ? यह किस प्रकार किया जाता है? 
उत्तर :- इस्पात के यान्त्रिक गुण उसके ऊष्मा उपचार पर निर्भर करते हैं। ऊष्मा उपचार द्वारा इस्पात को कठोर या नर्म बनाया जा सकता है।
इस्पात का कठोरीकरण – इस्पात को रक्त-तप्त ताप तक गर्म करके ठण्डे जल द्वारा उसे एकाएक ठण्डा करने की क्रिया इस्पात का कठोरीकरण (hardening of steel) कहलाती है। इस क्रिया से इस्पात बहुत कठोर और भंगुर हो जाता है।

इस्पात का टैम्परीकरण – कठोरीकृत (hardened) इस्पात को किसी उच्च ताप तक (पहले से कम ताप पर) पुनः गर्म करके धीरे-धीरे ठण्डा करने की क्रिया इस्पात का टैम्परीकरण (tempering) कहलाती है। इस क्रिया से इस्पात नर्म (soft) हो जाता है और उसकी भंगुरता (brittleness) मिट जाती है। इस्पात को धीरे-धीरे ठण्डा करने पर ऑस्टीनाइट धीरे-धीरे सीमेन्टाइट और आइरन में अपघटित हो जाता है, जिससे इस्पात नर्म हो जाता है।

प्रश्न 25. ढलवाँ लोहा, पिटवाँ लोहा तथा इस्पात में अन्तर लिखिए।
उत्तर :- 

*ढलवाँ लोहा – इसमें लगभग 93 से 94% Fe, 2 से 4% C तथा शेष Si, P तथा Mn की अशुद्धियाँ होती हैं।

*पिटवाँ लोहा – इसमें 98.8% से 99.9% Fe और 0.1 से 0.25% C तथा शेष Si, P और Mn की अशुद्धियाँ होती हैं।

*इस्पात – इसमें 98 से 99.8% Fe और 0.25 से 1.5% C होता है।

प्रश्न 26. स्टेनलेस स्टील का संगठन तथा उपयोग लिखिए।
उत्तर :- Fe – 74%, Ni – 8%, Cr (18%)
उपयोग– बर्तन, मूर्तियाँ, बॉल बेयरिंग तथा शल्य चिकित्सा के औजार बनाने में।

प्रश्न 27. फेरिक क्लोराइड के दो रासायनिक गुण लिखिए।
उत्तर :-
1. जल- अपघटन पर यह HCl उत्पन्न करता है; अत: इसका जलीय विलयन अम्लीय प्रकृति का होता है।
FeCl3 + 3H2O → Fe(OH)3 + 3 HCl
2. पोटैशियम फेरोसायनाइड विलयन के साथ यह नीले रंग का फेरिक फेरोसायनाइड (प्रशियन ब्लू) बनाता है।

प्रश्न 28. कॉपर के किसी एक मिश्र-धातु का संघटन तथा उपयोग लिखिए। 
उत्तर :- 

*पीतल– Cu (80%), Zn (20%)

*उपयोग– इसका उपयोग बर्तन बनाने में किया जाता है।

प्रश्न 29. जिंक ऑक्साइड के दो उपयोग लिखिए। 
उत्तर :- 

1.सफेद वर्णक (pigment) के रूप में तथा

2. क्रीम, पाउडर और टूथपेस्ट बनाने में।

प्रश्न 30. क्रायोलाइट का सूत्र लिखिए। इसका उपयोग किस धातुकर्म में होता है?
उत्तर :- क्रायोलाइट का सूत्र Na3AlF6 है। यह ऐलुमिनियम के धातुकर्म में प्रयुक्त होता है।

प्रश्न 31. फ्लुओरस्पार का सूत्र लिखिए। इसका ऐलुमिनियम के निष्कर्षण में क्या उपयोग है? 
उत्तर :- फ्लुओरस्पार का सूत्र CaF2 है। ऐलुमिनियम के निष्कर्षण में इसका उपयोग तरलता बढ़ाने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 32. ऐलुमिना के वैद्युत-अपघटन में क्रायोलाइट का उपयोग समझाइए। 
उत्तर :- क्रायोलाइट ऐलुमिना का गलनांक कम करता है तथा ऐलुमिना के वेद्युत-अपघटन में सहायता करता है क्योंकि शुद्ध ऐलुमिना विद्युत कुचालक है परन्तु क्रायोलाइट की सहायता से यह वैद्युत सुचालक हो जाता है।

प्रश्न 33. Al(OH)3 उभयधर्मी है, समझाइए। 
उत्तर Al(OH)3 उभयधर्मी है क्योंकि यह अम्लों व अपने से प्रबल क्षारों के साथ क्रिया करके लवण व जल बनाता है।
 प्रश्न 34. अमलगम तथा मिश्रधातु में क्या अन्तर है?
उत्तर :- दो या दो से अधिक धातुओं या धातु व अधातु के समांग मिश्रण को धातु संकर या मिश्रधातु कहते हैं। ये प्राय: ठोस होती हैं। यदि मिश्रधातु में एक धातु मर्करी हो तो इसे अमलगम कहते हैं। ये प्राय: द्रव होती हैं।

प्रश्न 35. परावर्तनी भट्टी का नामांकित चित्र बनाइए। 
उत्तर :- भर्जन क्रिया परावर्तनी भट्ठी में करायी जाती है। इस भट्ठी में ईंधन अलग स्थान पर जलाया जाता है। तथा गर्म किये जाने वाले अयस्क को सीधे ज्वाला के सम्पर्क में नहीं आने देते हैं। यह केवल गर्म गैसों के सम्पर्क में आकर गर्म होता है। इस प्रक्रम में गर्म किये जाने वाला पदार्थ भट्टी तल (hearth) पर रखा जाता है और ईंधन अग्नि स्थान (fire place) में जलाया जाता है। इसका उपयोग ऑक्सीकरण तथा अपचयन दोनों प्रकार के प्रक्रमों में करते हैं। इस भट्टी का प्रयोग ताँबा, लेड, टिन आदि धातुओं के धातुकर्म में किया जाता है।

प्रश्न 36.  लोहे का उदाहरण देते हुए प्रगलन की प्रक्रिया की भट्टी का चित्र एवं रासायनिक समीकरण द्वारा समझाइए। 
उत्तर :- ढलवाँ लोहे का निष्कर्षण वात्या भट्टी द्वारा किया जाता है। यह निष्कर्षण हेमेटाइट अयस्क से निम्नलिखित पदों में किया जाता है –
1. धावन– लोहे के अयस्कों में 20 – 55% के बीच लोहा होता है इसीलिए इसका सान्द्रण करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। हल्की अशुद्धियाँ; जैसे- रेत, मिट्टी आदि घनत्व पृथक्करण विधि द्वारा पृथक् कर ली जाती हैं। अयस्क के महीन चूर्ण पर जल की धारा प्रवाहित करने से अशुद्धियाँ जल के साथ बह जाती हैं तथा लोहे का भारी अयस्क नीचे बैठ जाता है।

2. चुम्बकीय सान्द्रण – इस विधि में मैग्नेटाइट अयस्क का सान्द्रण चुम्बकीय विधि द्वारा किया जाता है।

3. प्रारम्भिक भर्जन अथवा निस्तापन – अयस्क को बारीक टुकड़ों में करके, उसमें कोयला मिलाया जाता है, फिर इस मिश्रण को कम गहरी भट्ठियों में तथा वायु की अधिकता में गर्म किया जाता है। इस प्रकार निस्तापने करने से निम्नलिखित परिवर्तन होते हैं –

1.नमी भाप बनकर निकल जाती है

2.अयस्क में उपस्थित कार्बनिक पदार्थ CO2 के रूप में निकल जाते हैं।

3.गन्धक तथा आर्सेनिक क्रमशः SO2 व As2O3 के रूप में निकल जाते हैं।

4.कार्बोनेट अयस्क अपघटित होकर फेरस ऑक्साइड बनाता है, जो फेरिक ऑक्साइड में ऑक्सीकृत हो जाता है, जिससे गलनीय फेरस सिलिकेट (FeSiO3) नहीं बनता है।
FeCO3 → FeO + CO2 ↑
4 FeO + O2 → 2Fe2O3

5.अयस्क सरन्ध्र (porous) हो जाता है जिससे इसका अपचयन सरलतापूर्वक हो जाता है।

4. प्रगलन – निस्तापित अयस्क में कोक तथा चूने का पत्थर मिलाकर उसे कप तथा कोन व्यवस्था की सहायता से धीरे-धीरे एक बड़ी वात्या भट्ठी में प्रगलित किया जाता है। नीचे से शुष्क तथा गर्म वायु ईंधन को गर्म करने के लिए प्रवाहित की जाती है। भट्टी से निकलने वाली गर्म गैसों को एक धूल कक्ष तथा काउपर स्टोव में से प्रवाहित किया जाता है। इस व्यवस्था से काफी ईंधन बच जाता है। जैसे-जैसे चार्ज नीचे खिसकता है, वह अधिक ताप के कटिबन्धों (zones) में से गुजरता है। नीचे पहुँचकर लोहा पिघल जाता है। इसके ऊपर धातुमल की परत तैरने लगती है। धातुमल को ऊपर के छेद से तथा पिघली धातु को नीचे के छेद से निकाल लेते हैं। पिघली धातु को साँचों में ढाल लेते हैं। इस प्रकार ढलवाँ लोहा प्राप्त होता है।
[संकेत– वात्या भट्टी के लिए पृष्ठ 165 पर चित्र देखें]

वात्या भट्ठी में होने वाली अभिक्रियाएँ – विभिन्न कटिबन्धों में निम्नलिखित अभिक्रियाएँ होती हैं –
(i) प्रारम्भिक ताप का कटिबन्ध – यह भट्ठी का सबसे ऊपर का क्षेत्र है। यहाँ ताप 250°C रहता है। यहाँ चार्ज की सारी नमी दूर हो जाती है।

(ii) अपचयन का ऊपरी कटिबन्ध – यहाँ ताप लगभग 300°C – 900°C रहता है। यहाँ नीचे से आने वाली गर्म वायु, कोक से क्रिया करके CO बनाती है।
2C + O2 → 2 CO ↑
यह गैस नीचे से ऊपर उठती है और लोहे के ऑक्साइडों को स्पंजी लोहे में अपचयित कर देती है।

1.3Fe2O3 + CO \underrightarrow { { 300 }^{ 0 }C } 2 Fe3O4 + CO2 ↑

2.Fe3O4 + CO \underrightarrow { { 500 }^{ 0 }C } 3 FeO + CO2 ↑

3.FeO + CO \underrightarrow { { 700 }^{ 0 }C } Fe + CO2 ↑

700°C पर चूने का पत्थर भी अपघटित हो जाता है।

1.CaCO3 \rightleftharpoons CaO + CO2 ↑

2.CaCO3 + C → CaO + 2CÓ ↑

अतः ऊपर उठने वाली गैसे CO तथा CO2 का मिश्रण होती हैं।

(iii) अपचयन का निचला कटिबन्ध – यहाँ ताप 900°C – 1200°C रहता है। इस कटिबन्ध में स्पंजी लोहे की उपस्थिति में CO की नियोजन क्रिया (2 CO → CO2 + C) उत्प्रेरित होकर कार्बन देती है। यह कार्बन निचले कटिबन्ध के लोहे से संयोग करता है। कार्बन के साथ Mn, P, S, Si आदि अशुद्धियाँ भी लोहे से संयोग कर लेती हैं। इस कारण लोहा 1200°C पर ही पिघल जाता है,
जबकि इसका गलनांक 1580°C है।

(iv) गलन कटिबन्ध – यहाँ ताप 1200°C – 1500°C रहता है। इसमें स्पंजी लोहा पूर्णतया पिघल । जाता है। इसमें C, Mn, P, Si आदि अशुद्धियाँ घुल जाती हैं तथा चूना, सिलिका व ऐलुमिना के साथ धातुमल बनाती हैं जो पिघले लोहे पर तैरने लगता है।
धातुमल के कारण लोहा वायु की ऑक्सीजन के सम्पर्क में आकर ऑक्सीकृत नहीं होने पाता।

प्रश्न 37. कॉपर पायराइट से ताँबे के निष्कर्षण की विधि का वर्णन कीजिए। सम्बन्धित रासायनिक समीकरण लिखिए। प्राप्त धातु को किस प्रकार शुद्ध करेंगे? 
उत्तर :- कॉपर को मुख्य अयस्क कॉपर पायराइट (CuFeS2) है जो कि सल्फाइड अयस्क है। कॉपर पायराइट से ताँबा निष्कर्षित करने के लिए निम्नलिखित प्रक्रम करने होते हैं –
1. सान्द्रण – अयस्क को बारीक पीसकर चूर्ण बना लिया जाता है तत्पश्चात् फेन प्लवन विधि (Froth Floatation Process) द्वारा सान्द्रण कर लेते हैं।

2. भर्जन – सान्द्रित अयस्क को हवा की अधिकता और न्यून ताप पर गर्म किया जाता है जिसे भर्जन कहा जाता है। यह क्रिया परावर्तनी भट्ठी (Reverberatory furnace) में होती है। इस भट्ठी में गैस की ज्वालाएँ अयस्क पर प्रतिबिम्बित होती हैं। भट्ठी में हवा के लिए विशेष छेद बने होते हैं। भर्जन क्रिया में अयस्क में निम्नलिखित परिवर्तन होते हैं –

1.अयस्क में उपस्थित मुक्त सल्फर SO2 में ऑक्सीकृत होकर बाहर निकल जाता है।
S + O2 → SO2

2.आर्सेनियस की अशुद्धि वाष्पशील (volatile) आर्सेनियस ऑक्साइड के रूप में बाहर निकल जाती है।
4As + 3O2 → 2As2O3 ↑

3.कॉपर पायराइट, क्यूप्रस सल्फाइड और फेरस सल्फाइड में बदल जाता है।
2CuFeS2 + O2 → Cu2S + 2 Fes + SO2 ↑

4.अधिकांश फेरस सल्फाइड, फेरस ऑक्साइड में बदल जाता है।
2Fes + 3O2 → 2FeO + 2SO2 ↑

5.क्यूप्रस सल्फाइड आंशिक रूप से क्यूप्रस ऑक्साइड में बदल जाती है।
2 Cu2S + 3O2 → 2Cu2O + 2SO2 ↑

भर्जन के बाद कॉपर व आयरन के ऑक्साइड और सल्फाइड का मिश्रण प्राप्त होता है, जिसे भर्जित अयस्क कहते हैं।

3. प्रगलन – भर्जित अयस्क में सिलिका और कोक मिलाकर मिश्रण को वाया भट्ठी में प्रगलित किया जाता है। यह भट्ठी स्टील की प्लेटों की बनी होती है जिसके अन्दर अग्निसह ईंटों का अस्तर तथा बाहर वॉटर जैकेट लगा होता है। भट्ठी के निचले भाग में ट्वीयर (tuyers) लगे होते हैं जिनसे गर्म वायु का झोंका भट्ठी में भेजा जाता है। गलित पदार्थ भट्ठी के तल में एकत्रित होते हैं तथा अवशिष्ट गैसें भट्ठी के ऊपरी भाग से बाहर निकलती हैं। प्रगलन में निम्नलिखित परिवर्तन होते हैं –

1.क्यूप्रस ऑक्साइड फेरस सल्फाइड से क्रिया करके क्यूप्रस सल्फाईड में बदल जाता है।
Cu2O + FeS → Cu2S + FeO

2.फेरस सल्फाइड की काफी मात्रा फेरस ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाती है।
2Fes + 3O2 → 2FeO + 2SO2 ↑

3.फेरस ऑक्साइड सिलिका (SiO2) से संयोग करके गलित फेरस सिलिकेट बनाता है जिसे धातुमल (slag) कहते हैं। सिलिको गालक का कार्य करता है।
FeO + SiO2 → FeSiO3 ↓

क्यूप्रस सल्फाइड और फेरस सल्फाइड का गलित मिश्रण जिसे मैट (matte) कहते हैं, भट्ठी के पेंदे में एकत्रित हो जाता है और मैट के ऊपर गलित धातुमल की परत जमा हो जाती है। मैट को निकास द्वार से बाहर निकाल दिया जाता है। इसमें लगभग 50% ताँबा होता है।

4. बेसेमरीकरण – गलित मैट में थोड़ी सिलिका मिलाकर एक बेसेमर परिवर्तक में भर देते हैं और उसमें गर्म वायु का झोंका प्रवाहित किया जाता है। बेसेमर परिवर्तक में नाशपाती की आकृति का स्टील का पात्र होता है जिसके भीतर अग्निसह ईंटों तथा लाइम का अस्तर लगा रहता है। इसकी बगल में, काफी ऊँचाई पर ट्वीयर लगा होता है जिसके द्वारा गर्म वायु का झोंका परिवर्तक में भेजा जाता है। गलित मैट और सिलिका के मिश्रण में गर्म वायु का झोंका प्रवाहित करने पर निम्नलिखित अभिक्रियाएँ होती हैं –

1.मैट में उपस्थित फेरस सल्फाइड फेरस ऑक्साइड में बदल जाता है।
2FeS + 3O2 → 2FeO + 2SO2 ↑

2.फेरस ऑक्साइड सिलिका से संयोग करके गलित फेरस सिलिकेट (धातुमल) बनाता है।
FeO + SiO2 → FeSiO3 ↓

3.क्यूप्रस सल्फाइड का कुछ भाग क्यूप्रस ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है जो बचे हुए क्यूप्रस सल्फाइड से क्रिया करके कॉपर बनाता है।
2 Cu2S + 3O2 → 2 Cu2O + 2SO2 ↑
Cu2S + 2 Cu2O → 6 Cu + SO2 ↑

गलित कॉपर के ऊपर से धातुमल की परत को हटाने के उपरान्त परिवर्तक को उलटकर गलित कॉपर को बाहर निकाल लेते हैं। इसे ठण्डा करने पर SO2 बुलबुलों के रूप में बाहर निकलती है। जिससे कॉपर की सतह पर फफोले पड़ जाते हैं। इस कॉपर को फफोलेदार कॉपर (blister copper) कहते हैं। इसमें लगभग 98% कॉपर तथा 2% अशुद्धियाँ (सल्फर, आर्सेनिक, आयरन, सिल्वर, गोल्ड आदि) होती हैं। इनको शोधन द्वारा पृथक् कर लेते हैं।

5. शोधन – अशुद्ध कॉपर को मुख्यत: वैद्युत-अपघटनी विधि द्वारा शुद्ध किया जा सकता है। इस प्रक्रम में एक टैंक में अशुद्ध ताँबे के पट लटका दिये जाते हैं। ये ऐनोड का कार्य करते हैं। शुद्ध ताँबे की पतली पत्तियाँ कैथोड का काम करती हैं। कॉपर सल्फेट का अम्लीय विलयन वैद्युत-अपघट्य के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। वैद्युत धारा प्रवाहित करने पर कैथोड पर शुद्ध ताँबा जमा होता है तथा अशुद्धियाँ (लोहा, निकिल और जिंक) विलयन में रह जाती हैं। सोना या चाँदी अवक्षेप के रूप में ऐनोड के नीचे जमा हो जाते हैं, इनको ऐनोड पंक (Anode mud) कहा जाता है। इस प्रकार कैथोड पर शुद्ध (99.98%) ताँबा प्राप्त होता है।

प्रश्न 38. ऐलुमिनियम के दो मुख्य अयस्कों के नाम तथा सूत्र लिखिए। बॉक्साइट के शुद्धिकरण की किसी एक विधि को संक्षेप में वर्णन कीजिए। ऐलुमिना से धातु कैसे प्राप्त की जाती है? 
उत्तर :- ऐलुमिनियम के दो मुख्य अयस्क-

1.बॉक्साइट [Al2O5 . 2H2O]

2.क्रायोलाइट [Na3AlF6]

बॉक्साइट के शुद्धिकरण को बेयर प्रक्रम – जब बॉक्साइट में Fe,05 की अधिक मात्रा होती है तो यह प्रक्रम प्रयुक्त होता है। इस प्रक्रम में बारीक पिसे बॉक्साइट को कॉस्टिक सोडा विलयन के साथ ऑटोक्लेव में 150°C तथा 80 वायुमण्डलीय दाब पर गर्म करते हैं। इस प्रकार Al2O3, सोडियम मेटाऐलुमिनेट में परिवर्तित हो जाता है, जो जल में घुलनशील है। अविलेय अशुद्धियों को विलयन से छानकर पृथक् कर लेते हैं। निस्यन्द में थोड़ा-सा नव-अवक्षेपित Al(OH)3 डालकर जल के साथ उबालते हैं। इससे सोडियम मेटाऐलुमिनेट जल-अपघटित होकर Al(OH)3 का अवक्षेप देता है। इस अवक्षेप को छानकर, धोकर सुखा , लेते हैं। इस सूखे अवक्षेप को गर्म करने से शुद्ध ऐलुमिना प्राप्त हो जाता है।

ऐलुमिना से धातु का निष्कर्षण – शुद्ध ऐलुमिना के वैद्युत अपघटने, जिसे इलेक्ट्रो अपचयन विधि भी कहते हैं, से ऐलुमिनियम धातु प्राप्त की जाती है। शुद्ध ऐलुमिना (Al2O3) का गलनांक 2050° C होता है। इसमें Na3AlF6 तथा CaF2 मिलाकर गर्म करने पर यह 875°C से 900°C के मध्य ही पिघल जाता है। Al2O3, Na3AlF6 तथा CaF2 के मिश्रण के गलित को कार्बन अस्तर लगे एक लोहे के पात्र में डालकर उसमें ग्रेफाइट की छड़े लटकायी जाती हैं। कार्बन अस्तर कैथोड तथा ग्रेफाइट छड़ ऐनोड का कार्य करती है। वैद्युत चक्र में समानान्तर क्रम में एक बल्ब लगाकर वैद्युत धारा प्रवाहित की जाती है जिससे ऐनोड पर ऑक्सीजन मुक्त होती है, जो ग्रेफाइट से क्रिया करके CO2 गैस के रूप में निकल जाती है। कैथोड (कार्बन अस्तर) पर ऐलुमिनियम धातु मुक्त होती है जिसे समय-समय पर एक छिद्र से बाहर निकाल लिया जाता है। ग्रेफाइट के ऐनोड के ऑक्सीकरण के कारण ग्रेफाइट समाप्त होती जाती है जिससे कुछ समय बाद नया ऐनोड लगाना पड़ता है। वैद्युत-अपघटन की क्रिया का रासायनिक समीकरण इस प्रकार है –
पहले क्रायोलाइट आयनित होता है।
Na3AIF6 \rightleftharpoons 3 Na+ + Al3+ + 6F
Al3+ + 3e → Al (कैथोड पर) (अपचयन)
2F  – 2e → F2 (ऐनोड पर) (ऑक्सीकरण)
फ्लोरीन ऐलुमिना से क्रिया करके ऐनोड पर 02 मुक्त करती है।
2Al2O3 + 6F2 → 4AlF3 + 3O2 ↑
2C + O2 → 2CO
C + O2 → CO2
क्रायोलाइट की उपस्थिति में गलित ऐलुमिना के वैद्युत-अपघटन से लगभग 99.8% शुद्ध ऐलुमिनियम प्राप्त होता है।

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