वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1.सर्वाधिक प्राचीन स्मृति ग्रंथ है ?
(A) नारद स्मृति
(B) याज्ञवल्क्य स्मृति
(C) मनुस्मृति
(D) गौतम स्मृति
Ans. (C)
2. महाभारत का समालोचनात्मक संस्करण किसने तैयार किया ?
(A) आर.डी. बनर्जी ने
(B) के.पी. जायसवाल ने
(C) वी.एस. सुकथांकर ने
(D) पी.वी. काणे ने
Ans. (C)
3. महाभारत के किस पर्व में महाभारत युद्ध के कारणों का उल्लेख किया गया है ?
(A) शांति पर्व में
(B) आदि पर्व में
(C) अनुशासन पर्व में
(D) सभा पर्व में
Ans. (B)
4. ‘कुंती ओ निषादी’ लघु कथा की रचना किसने की ?
(A) महादेवी वर्मा ने
(B) महाश्वेता देवी ने
(C) प्रेमचन्द ने
(D) वी.एस. सुकथांकर ने
Ans. (B)
5. माता के नाम से पुत्रों के नामकरण की परम्परा किस राजवंश में प्रचलित थी ?
(A) मौर्य में
(B) कुषाण में
(C) वाकाटक में
(D) सातवाहन में
Ans. (D)
6. द्विज के अन्तर्गत किस वर्ण को रखा जाता है ?
(A) प्रथम वर्ण को
(B) द्वितीय वर्ण को
(C) प्रथम तीन वर्णों को
(D) सभी वर्णों को
Ans. (C)
7. पुराणों की संख्या कितनी है ?
(A) 16
(B) 18
(C) 19
(D)20
Ans. (B)
8. अभिमन्यु किसका पुत्र था ?
(A) अर्जुन
(B) भीम
(C) नकुल
(D) सहदेव
Ans. (A)
9. कर्ण की माँ कौन थी ?
(A) कुन्ती
(B) गान्धारी
(C) माद्री
(D) सत्यवती
Ans. (A)
10. अर्जुन किसके शिष्य थे ?
(A) भीष्म
(B) विदुर
(C) द्रोणाचार्य
(D) कृपाचार्य
Ans. (C)
11. मनुस्मृति के रचयिता कौन थे ?
(A) वेदव्यास
(B) वाल्मीकि
(C) मनु
(D) याज्ञवलक्य
Ans. (C)
12. किस वंश के राजा बहुपत्नी प्रथा को मानने वाले थे ?
(A) मौर्य वंश
(B) सातवाहन वंश
(C) गुप्त वंश
(D) इनमें कोई नहीं
Ans. (B)
13. ‘पुरुष सूक्त’ का उल्लेख किस ग्रंथ में किया गया है ?
(A) ऋग्वेद में
(B) यजुर्वेद में
(C) रामायण में
(D) महाभारत में
Ans. (A)
14. आश्रम व्यवस्था में कितने प्रकार के आश्रमों का उल्लेख है ?
(A) 2
(B) 4
(C) 6
(D) 8
Ans. (B)
15. अश्वमेघ यज्ञ का आयोजन क्यों किया जाता था ?
(A) शाही संप्रभुता के लिए
(B) व्यापार के लिए
(C) दोनों के लिए
(D) इनमें से कोई नहीं
Ans. (A)
16. कुरुक्षेत्र का युद्ध किसने जीता ?
(A) पांडव
(B) कौरव
(C) संथाल
(D) मंगोल
Ans. (A)
17. गंगापुत्र किसे कहा जाता था ?
(A) अर्जुन
(B) विदुर
(C) भीष्म
(D) पाण्डु
Ans. (C)
18. महाभारत युद्ध कितने दिनों तक चला ?
(A) 15 दिन
(B) 16 दिन
(C) 17 दिन
(D) 18 दिन
Ans. (D)
19. महाभारत की रचना किस भाषा में हुई ?
(A) संस्कृत
(B) पाली
(C) प्राकृत
(D) हिन्दी
Ans. (A)
20. महाभारत किसने लिखा ?
(A) वाल्मीकि
(B) मनु
(C) कौटिल्य
(D) महर्षि वेदव्यास
Ans. (D)
21. जाति का लक्षण नहीं है-
(A) अंतर्विवाह
(B) श्रम विभाजन
(C) साम्या
(D) आनुवंशिकता
Ans. (C)
22. भवन शब्द का प्रयोग अपने मूल शब्द में भारतीय यूनानियों के लिए किया जाता था, किंतु प्रथम सदी ईसवी के आस-पास इस शब्द का प्रयोग बिना किसी भेदभाव के किया जाने लगा-
(A) ब्राह्मणों के लिए
(B) बौद्धों के लिए
(C) जैनियों के लिए
(D) विदेशियों के लिए
Ans. (D)
23. किस काल में वर्ण व्यवस्था वंशानुगत जाति में परिवर्तित हो गई ?
(A) उत्तर वैदिक काल में
(B) गुप्तकाल में
(C) गुप्तोत्तर काल में
(D) पूर्व-मध्यकाल में
Ans. (A)
24. गोत्र किसका सूचक था ?
(A) प्रत्येक उपजाति के सामान्यपूर्वज
(B) व्यावसायिक उपजातियाँ
(C) उपजातियों का सामान्य निवास स्थान
(D) एक जाति विशेष का निवास क्षेत्र
Ans. (A)
25. निम्न में से दक्कन में रहने वाले किस कबीलाई जातियों का वर्णन प्रारंभिक संस्कृत साहित्य विशेषकर महाकाव्यों एवं पुराणों में हुआ है ?
(A) आन्ध्र
(B) पुलिंद
(C) सवर
(D) सभी
Ans. (D)
26. वर्णालंकार की संकल्पना सबसे पहली बार मिलती है-
(A) ब्राह्मणों में
(B) उपनिषदों में
(C) धर्म सूत्रों में
(D) स्मृतियों में
Ans. (D)
27. महाभारत का समालोचनात्मक संस्करण कितने वर्षों में तैयार हुआ ?
(A) 37 वर्षों में
(B) 36 वर्षों में
(C) 35 वर्षों में
(D) 34 वर्षों में
Ans. (A)
28. गोत्र के अन्दर विवाह करना कौन-सा विवाह है ?
(A) अंतर्विवाह
(B) बहिर्विवाह
(C) ब्रह्म विवाह
(D) राक्षस विवाह
Ans. (A)
29. क्या ब्राह्मणों का सार्वभौमिक प्रभाव था ?
(A) हाँ
(B) नहीं
(C) हाँ, नहीं दोनों
(D) कोई गणना नहीं थी
Ans. (A)
30. सातवाहन राजाओं और रानियों की आकृतियाँ प्राप्त कहाँ उत्कीर्ण हैं
(A) राजमहलों में
(B) मंदिरों में
(C) गुफा की दीवारों पर
(D) स्तम्भ अभिलेखों पर
Ans. (C)
31. द्रोण अद्वितीय तीरंदाज किसको बनाना चाहते थे ?
(A) अर्जुन को
(B) एकलव्य को
(C) नकुल को
(D) सहदेव को
Ans. (A)
32. मनुस्मृति में कितने प्रकार के विवाह का उल्लेख किया गया है ?
(A) चार
(B) छ:
(C) आठ
(D) नौ
Ans. (C)
33. महाभारत में ‘गंगापुत्र’ के नाम से किसे जाना जाता है ?
(A) शांतनु
(B) भीष्म
(C) दुर्योधन
(D) शकुनी
Ans. (B)
34. महाभारत के आदिपर्व के किस अध्याय में भीष्म द्वारा 8 प्रकार के विवाहों का वर्णन किया गया है ?
(A) प्रथम
(B) 52वें
(C) 102 वें
(D) 100वें
Ans. (C)
35. अम्बा, अम्बालिका किसकी पलियाँ थीं ?
(A) चित्रांगद
(B) विचित्रवीर्य
(C) पाण्डु
(D) दुर्योधन
Ans. (B)
36. महर्षि व्यास द्वारा उत्पन्न संतान थी-
(A) पाण्डु
(B) धृतराष्ट्र
(C) विदुर
(D) ये सभी
Ans. (D)
37. घटोत्कच किसका पुत्र था ?
(A) युधिष्ठिर
(B) अर्जुन
(C) दुर्योधन
(D) भीम
Ans. (D)
38. भीम ने हिडिम्बा के साथ कौन-सा विवाह सम्पन्न किया था ?
(A) आर्ष
(B) गन्धर्व
(C) राक्षस
(D) देव
Ans. (B)
39. द्रौपदी किसकी पत्नी थी ?
(A) अर्जुन
(B) नकुल
(C) सहदेव
(D) इन सभी की
Ans. (D)
40. ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषुकदाचन’ श्रीमद्भागवतगीता के किस अध्याय में वर्णित है ?
(A) प्रथम
(B) द्वितीय
(C) तृतीय
(D) चतुर्थ
Ans. (B)
41. श्रीमद्भागवद्गीता के महत्व पर किसने विचार व्यक्त किये हैं ?
(A) महात्मा गाँधी
(B) विवेकानन्द
(C) बालगंगाधर तिलक
(D) इन सभी ने
Ans. (D)
42. ब्राह्मणवंशीय सातवाहन नरेश वशिष्ठ पुत्र शातकर्णी ने विवाह संबंध किस वंश के साथ जोड़े ?
(A) शक
(B) पहलव
(C) कुषाण
(D) हूण
Ans. (A)
43. महाभारत के किस पर्व में वर्ण व्यवस्था का उल्लेख मिलता है ?
(A) आदिपर्व
(B) भीष्मपर्व
(C) शान्तिपर्व
(D) इनमें से सभी में
Ans. (C)
44. ऋग्वेद के पुरुष सुक्त में सर्वप्रथम किस वर्ण का उल्लेख मिलता है
(A) ब्राह्मण
(B) क्षत्रिय
(C) वैश्य
(D) शूद्र
Ans. (D)
45. चण्डाल अस्पृश्य माने जाते थे, जब भी वे नगर में आते थे तो उन्हें लकड़ी की आवाज करके आना पड़ता था। ताकि लोग उन्हें देखने के दोष से बच सकें। यह कथन किसका है ?
(A) फाह्यान
(B) मैगस्थनीज
(C) कौटिल्य
(D) ह्वेनसांग
Ans. (A)
46. दुर्योधन की माँ कौन थी ?
(A) गान्धारी
(B) कुन्ती
(C) माद्री
(D) सत्यवती
Ans. (A)
47. निम्न में से किस प्रसिद्ध संत ने गीता की भक्ति टीका मराठी में लिखी ?
(A) एकनाथ
(B) नामदेव
(C) तुकाराम
(D) मानेश्वर
Ans. (D)
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. किन्हीं दो स्मृतियों के नाम लिखिए।
Ans. दो स्मृतियों के नाम क्रमशः मनुस्मृति और अत्रि स्मृति है।
2 . श्रीमद्भगवद्गीता पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
Ans. कुरूक्षेत्र की युद्ध भूमि में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया था वह श्रीमद्भागवत् गीता के नाम से प्रसिद्ध है। यह महाभारत के भीष्म पर्व का अंग है। गीता के 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं। जैसा गीता के शंकर भाष्य में कहा है। तंधर्म भवता यथोपदिष्ट वेद व्यास सर्वज्ञो भगवान् गीतारम्यै सप्तामि श्लोकशतैस पनिबंधा ज्ञात होता है कि लगभग 8वीं सदी के अंत में शंकराचार्य (788–820) के सामने गीता का वही पाठ था जो आज हमें उपलब्ध है।
3. प्राचीन भारतीय समाज की जाति व्यवस्था को संक्षेप में समझाइए ।
Ans. संभवत: आप ‘जाति’ शब्द से परिचित होंगे जो एक सोपानात्मक सामाजिक वर्गीकरण को दर्शाती है। धर्मसूत्रों और धर्मशास्त्रों में एक आदर्श व्यवस्था का उल्लेख किया गया था। ब्राह्मणों का यह मानना था कि यह व्यवस्था, जिसमें स्वयं उन्हें पहला दर्जा प्राप्त है, एक दैवीय व्यवस्था है। शूद्रों और ‘अस्पृश्यों’ का सबसे निचले स्तर पर रखा जाता था इस व्यवस्था में दर्जा संभवतः जन्म के अनुसार निर्धारित माना जाता था ।
अपनी मान्यता को प्रमाणित करने के लिए ब्राह्मण बहुधा ऋग्वेद के पुरुषसूक्त मंत्र को उद्धृत करते थे जो आदि मानव पुरुष की बलि का चित्रण करता है। जगत के सभी तत्व जिनमें चारों वर्ण शामिल हैं, इसी पुरुष के शरीर से उपजे थे।
ब्राह्मण उसका मुँह था, उसकी भुजाओं से क्षत्रिय निर्मित हुआ ।
वैश्य उसकी जंघा थी, उसके पैर से शूद्र की उत्पत्ति हुई ।
4. श्रेणी अथवा गिल्ड की व्याख्या कीजिए। गिल्ड के सदस्यों द्वारा कौन-कौन से कार्य किये जाते थे ?
Ans. प्राचीन काल में जो लोग एक ही प्रकार का व्यवसाय करते थे अथवा व्यवहार संबंधी ( आंतरिक या बाह्य या दोनों प्रकार के) में व्यस्त रहते थे वे कभी-कभी स्वयं को गिल्ड अथवा श्रेणियों में संगठित कर लेते थे।
गिल्ड या श्रेणियों के कार्य-
(i) श्रेणियों के सदस्य अपने साधनों को इकट्ठा कर लेते थे। जो भी धन अपनी शिल्प कलाओं या व्यापार के द्वारा अर्जित करते थे। वह अपने प्रमुख शहर में सूर्य देवता के मंदिर निर्माण पर खर्च करते थे।
(ii) श्रेणियों को सदस्य अपनी अतिरिक्त पूँजी धन आदि को मंदिरों के पास रख देते थे जो समय-समय पर उन्हें व्यवसाय और व्यापार जारी रखने या उनके विकास या विस्तार के लिए निवेश करने के लिए धनराशि देने की व्यवस्था करते थे।
(iii) यह अभिलेख जटिल सामाजिक प्रक्रियाओं की झलक देता है तथा श्रेणियों के स्वरूप के विषय में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। हालाँकि श्रेणी की सदस्यता शिल्प में विशेषज्ञता पर निर्भर थी। कुछ सदस्य अन्य जीविका भी अपना लेते थे। इस अभिलेख से यह भी ज्ञात होता है कि सदस्य एक व्यवसाय के अतिरिक्त और चीजों में भी सहभागी होते थे।
(iv) श्रेणियाँ या गिल्ड समुदायों के इतिहास का लेखा-जोखा हमें कम ही प्राप्त होता है किन्तु कुछ अपवाद होते हैं जैसे मंदसौरा (मध्य प्रदेश) से मिला अभिलेख (लगभग पाँचवीं शताब्दी ईस्वी) । इसमें रेशम के बुनकरों की एक श्रेणी का वर्णन मिलता है जो मूलतः लाट (गुजरात) प्रदेश के निवासी थे और वहाँ से मंदसौर चले गये थे, जिसे उस समय दशपुर के नाम से जाना जाता था। यह कठिन यात्रा उन्होंने अपने बच्चों और बांधवों के साथ सम्पन्न की। उन्होंने वहाँ के राजा की महानता के बारे में सुना था। अतः वे उसके राज्य में बसना चाहते थे ।
5. महाभारत के महत्त्व पर एक आलोचनात्मक टिप्पणी लिखिए।
Ans. महाभारत का महत्त्व (Importance of the Mahabharata) – महाभारत केवल कौरव- पाण्डवों के संघर्ष की कथा ही नहीं किंतु भारतीय संस्कृति और हिन्दू धर्म के विकास का प्रदर्शक एक विशाल कोष है। इसमें उस समय के राजनैतिक, धार्मिक, दार्शनिक और ऐतिहासिक आदर्शों का अमूल्य संग्रह है।
महाभारत की इस सूक्ति में लेशमात्र भी संदेह नहीं है कि वह सर्व प्रधान काव्य, सब दर्शनों का सार, स्मृति, इतिहास और चरित्र चित्रण की खान तथा पंचम वेद है। मानव जीवन का कोई ऐसा भाग या समस्या नहीं जिस पर इसमें विस्तार से विचार नहीं किया गया हो। शांति पर्व और अनुशासन पर्व तो इस दृष्टि से लिखे गए हैं। इसलिए महाभारत का यह दावा सर्वथा सत्य है कि धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के विषय में जो इनमें कहा गया है कि वह ठीक है। जो इनमें नहीं है, वह कहीं नहीं।
इसके अतिरिक्त ऋग्वेद के पश्चात् यह संस्कृत साहित्य का चमकता ग्रंथ है। विस्तार में कोई काव्य इनकी समता नहीं कर सकता। यूनानियों का इलियड (Iliad) और औडेसी (Odessey) मिलाकर इसका आठवाँ भाग है। इसका सांस्कृतिक महत्त्व इसी तथ्य में स्पष्ट है कि हिन्दू धर्म का सबसे प्रसिद्ध ग्रंथ भगवद्गीता इसी का अंश है।
आलोचना (Criticism)- इस कथा के अतिरिक्त महाभारत में और भी कहानियाँ मिलती हैं। जो काल्पनिक सी होती है। यद्यपि महाभारत भी रामायण की भाँति पूर्णतया सत्यता पर आधारित नहीं है तथापि हम इसे अनैतिहासिक नहीं कह सकते। हस्तिनापुर इन्द्रप्रस्थ आदि ऐतिहासिक नगर है। वैदिक साहित्य में कौरवों का नाम तो कई बार आता है परन्तु पांडवों का कोई उल्लेख नहीं मिलता है।
इससे अनुमान लगाया जाता है कि पांडव कौरवों के संबंधी न होकर बाहर से आने वाली आक्रमणकारी रहे होंगे।
6. महाभारत कालीन भारतीय स्त्रियों की स्थिति पर टिप्पणी लिखिए।
Ans. महाभारतकालीन स्त्रियाँ (Women of Mahabharat age) –
(a) महाभारत काल में घरेलू तथा संन्यासिनियों दोनों तरह की स्त्रियों का विवरण प्राप्त है। रामायण में अत्रि मुनि की पत्नी अनुसूइया का उल्लेख प्राप्त है। इसी ग्रंथ में ‘शबरी’ एक अन्य चर्चित साध्वी है। शबरी महान ऋषि मातंग की शिष्या थी तथा पंपा झील के किनारे उसकी कुटिया होती थी। घरेलू स्त्रियों में कौशल्या, सुमित्रा, कैकेयी तथा सीता एवं दासी के रूप में मंथरा का उल्लेख मिलता है।
(b) महाभारत में अनेक महिलाओं का उल्लेख प्राप्त होता है। उदाहरणार्थ सुलभा एक महान विदुषी थी। उपयुक्त वर पाने के लिए उसने संन्यास ले लिया तथा ज्ञान आदान-प्रदान के लिए वह सर्वत्र घूमती रही। गांधारी, कुंती एवं द्रौपदी आदि घरेलू महिलाओं के सुविदित उदाहरण हैं।
(c) राजा ऋतध्वज की सहचरी ‘मंदालसा’ पुराणों की चर्चित नारियों में एक हैं। वह एक ही साथ विदुशी, संत, नारी तथा कर्त्तव्यशील पत्नी थी। पुराणों की एक और संत नारी महान ऋषि प्रजापति कर्दम की पत्नी और भारतीय दर्शन की संख्या पद्धति के प्रजेता कपिल मुनि की माँ ‘ देवहुति’ है। एक घरेलू जीवन व्यतीत करने वाली नारी होने के बावजूद भी अपने ज्ञानी पति एवं पुत्र साथ शास्त्रार्थ एवं आध्यात्मिक विषयों पर विचारों का आदान-प्रदान इस क्षेत्र में अद्वितीय प्राप्तियों का प्रतीक है।
7. कौरव और पांडव कौन थे ? उनके बंधुत्व संबंध कैसे बदल गये थे ?
Ans. कौरव और पांडव दोनों एक ही परिवार के सदस्य और दो चचेरे भाइयों के समूह थे। वे एक राज्य परिवार अथवा राजवंश से संबंधित थे जो कुरु वंश कहलाता था ।
महाभारत हमें सूचना देता है कि इन दोनों समूहों में बंधुत्व का संबंध बड़ा भारी परिवर्तित हो गया। महाभारत दोनों समूह के मध्य भूमि के एक भू-भाग के एक टुकड़े पर संघर्ष का उल्लेख करता है और उसके लिए दोनों समूहों में परस्पर युद्ध हुआ।
8. द्रोण कौन था ?
Ans. द्रोणा (द्रोणाचार्य) कुरु शहजादों का गुरु था। वह एक ब्राह्मण था उसने सभी कौरव और पांडव राजकुमारों को धनुर विद्या सिखलाई। कहा जाता है कि इस महान गुरु ने अर्जुन को यह वायदा किया था कि दुनिया में कोई भी उसके समान कुशल धनुर्धारी नहीं होगा।
9. एकलव्य कौन था ?
Ans. एकलव्यं एक वन में रहने वाला निषाद नामक जनजाति से संबंधित युवक था। महाभारत में उसका नाम द्रोणाचार्य से उसके संबंधों के कारण प्रसिद्धि प्राप्त कर सका। कहा जाता है कि एकलव्य को धनुष बाण चलाने की शिक्षा पाने का बड़ा चाव था। वह गुरु द्रोणाचार्य के पास गया लेकिन उन्होंने स्वयं को कुरुशाही परिवार के प्रति समर्पित बताकर उसे धनुष बाण चलाने की शिक्षा देने से मना कर दिया। एकलव्य दिल
से द्रोणाचार्य को अपना गुरु मान चुका था। वह उनकी मृद प्रतिभा के समक्ष प्रतिदिन आदर करने के उपरांत रोजाना अभ्यास करने लगा। उसने एक दिन पांडव के एक कुत्ते के भौंकने को बंद करने के लिए ठीक उसके मुँह में उस जगह कई तीर मारे जहाँ से वह स्वान बोल रहा था। उसके मुँह में लगे बाणों को देखकर अर्जुन को आश्चर्य हुआ, वह द्रोण को एकलव्य के पास ले गये। एकलव्य ने स्वयं को उन्हीं का शिष्य बताया और उनके कहने पर सहर्ष दाहिने हाथ का अंगूठा दे दिया। द्रोणाचार्य को भी यह विश्वास नहीं था कि एकलव्य इतना अधिक गुरुभक्त हो चुका था कि वह अपनी धनुष बाण की प्राप्त कुशलता को दाहिने हाथ का अँगूठा देकर त्याग देगा। जो भी हो इस घटना के बाद एकलव्यं उतनी कुशलता से बाण नहीं छोड़ सका जिनता कि वह पहले छोड़ता था ।
10. घटोत्कच कौन था ?
Ans. घटोत्कच दूसरे पांडव भीम और एक राक्षसी महिला हिडिंबा की संतान था। हिडिंबा एक मानव भक्षी राक्षस की बहन थी। वह भीम के प्रति आसक्त हो गई। उसने युधिष्ठिर से प्रार्थना की वह भी उसे विवाह करना चाहती है और उसने वायदा किया कि वह स्वेच्छा से पांडवों को
छोड़कर चली जायेगी। घटोत्कच की माँ बनने के बाद उसने पुत्र सहित अपने वायदे के अनुसार पांडवों को छोड़ दिया। घटोत्कच ने अपने पिता भीम तथा अन्य पांडवों को यह बताया कि वे जब कभी भी उसे बुलाएँगे वह उनके पास आ जायेगी।
11. अश्वमेघ का क्या अर्थ है ?
Ans. ‘अश्वमेघ’ का शाब्दिक अर्थ है-अश्व घोड़ा, व मेघ बादल अर्थात् बादल रूपी घोड़ा। जिस प्रकार बादल वायुमंडल में स्वेच्छा से विचरण करता रहता है, उसी प्रकार ‘अश्वमेघ’ यज्ञ का घोड़ा अपनी इच्छा से कहीं भी घूमता (दौड़ता ) रहता है।
‘अश्वमेघ’ प्राचीन काल में एक यज्ञ विशेष का नाम था, जिसमें घोड़े के माथे पर एक जयपत्र बाँधा जाता था और उसे स्वच्छन्द रूप से छोड़ दिया जाता था (शक्तिशाली व प्रतापी राजाओं द्वारा यह कार्य किया जाता था) घोड़े का अपने यहाँ दौड़कर वापस आने का अर्थ था- राजा का निर्विरोध शासक स्थापित होना। यदि कोई घोड़े को पकड़ लेता था तो उसे घोड़े के स्वामी (राजा) से युद्ध करना पड़ता था।