वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. अलवार संत किसकी पूजा करते थे ?
[ A ] शिव
[ B ] लक्ष्मी
[ C ] विष्णु
[ D ] कार्तिकेय
Answer ⇒ (C)
2. निजामुद्दीन औलिया किस सूफी सिलसिले से संबंधित है ?
[ A ] चिश्ती
[ B ] सुहरावदी
[ C ] कादिरी
[ D ] इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (A)
3. रामानंद के शिष्य कौन थे ?
[ A ] रैदास
[ B ] कबीर
[ C ] धन्ना एवं पीपा
[ D ] इनमें से सभी
Answer ⇒ (D)
4. ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह कहाँ है ?
[ A ] दिल्ली
[ B ] आगरा
[ C ] जयपुर
[ D ] अजमेर
Answer ⇒ (D)
5. गुरु नानक का जन्म कहाँ हआ था ?
[ A ] अमृतसर
[ B ] चंडीगढ़
[ C ] तलवंडी
[ D ] लाहौर
Answer ⇒ (C)
6. कबीर के उपदेशों का संग्रह किस ग्रन्थ में मिलता है ?
[ A ] गुरुग्रन्थ साहिब
[ B ] बीजक
[ C ] गीत गोविंद
[ D ] इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (B)
7. ‘कबीर, अरबी भाषा का शब्द है, इसका अर्थ क्या होता है ?
[ A ] संत
[ B ] सिद्ध पुरुष
[ C ] महान
[ D ] मसीहा
Answer ⇒ (C)
8. कबीर शिष्य थे ?
[ A ] रामानुज के
[ B ] नानक के
[ C ] रामानन्द के
[ D ] शंकराचार्य के
Answer ⇒ (A)
9. सूफी संतों की गतिविधियों के केंद्र को क्या कहा जाता है ?
[ A ] मजार
[ B ] दरगाह
[ C ] खानकाह
[ D ] वसदी
Answer ⇒ (C)
10. सिलसिला क्या है ?
[ A ] मकबरा
[ B ] धार्मिक स्थल
[ C ] सूफी व्यवस्था
[ D ] मुंसाफिरखाना
Answer ⇒ (C)
11. सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती किसके साथ भारत आये ?
[ A ] ऐबक
[ B ] गजनी
[ C ] मुहम्मद गोरी
[ D ] इल्तुतमिश
Answer ⇒ (C)
12. सूफी सन्त की फिरदौसी शाखा निम्न में से कहाँ सबसे अधिक पनपी ?
[ A ] बंगाल
[ B ] उड़ीसा
[ C ] दिल्ली
[ D ] बिहार
Answer ⇒ (D)
13. भारत में चिश्ती सिलसिला के संस्थापक कौन थे ?
[ A ] निजामुद्दीन औलिया
[ B ] ख्वाजा मुइनुद्दीन
[ C ] बाबा फरीद
[ D ] नासिरूद्दीन-चिराग-ए-दिल्ली
Answer ⇒ (B)
14. निजामुद्दीन औलिया दिल्ली. के किस सुल्तान के समकालीन थे ?
[ A ] अलाउद्दीन खिलजी
[ B ] जल्लाउद्दीन फिरोज खिलजी
[ C ] गयासुद्दीन तुगलक
[ D ] मुहम्मद-बिन-तुलक
Answer ⇒ (D)
15. ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती साहब की अजमेर स्थित दरगाह पर सर्वप्रथम कौन सा सुल्तान गया ?
[ A ] बलवन
[ B ] मुहम्मद-बिन-तुगलक
[ C ] अल्लाउद्दीन खिलजी
[ D ] अकबर
Answer ⇒ (B)
16. वीर शैव ( लिंगायत आंदोलन ) के जनक कौन थे ?
[ A ] कबीर
[ B ] गुरुनानक
[ C ] बासबन्ना
[ D ] कराइकल
Answer ⇒ (C)
17. किसने कहा था-‘न मैं काबा में हूँ न कैलास में …… भगवान हरेक सांस की सांस में हैं।’
[ A ] कबीर
[ B ] नानक
[ C ] चैतन्य
[ D ] सूरदास
Answer ⇒ (A)
18. सूरदास, बैजु बाबर तथा रामदास प्रसिद्ध गायक किसके काल में थे ?
[ A ] अकबर
[ B ] जहाँगीर
[ C ] शाहजहाँ
[ D ] औरंगजेब
Answer ⇒ (A)
19. रोशनिया संप्रदाय का संस्थापक था ?
[ A ] अकबर
[ B ] बायजिद
[ C ] युसुफजयी
[ D ] शेखफरीद
Answer ⇒ (B)
20. किस सिख गुरु का जन्म पटना सिटी में हुआ था ?
[ A ] गुरु अर्जुन
[ B ] गुरु तेगबहादूर
[ C ] गुरु गोविंद सिंह
[ D ] गुरु अमरदास
Answer ⇒ (C)
21. निम्न में से महिला रहस्यवादी सन्त थी।
[ A ] अंडाल
[ B ] कराइकल
[ C ] रबिया
[ D ] मीराबाई
Answer ⇒ (C)
22. मीराबाई किस वंश की रानी थी ?
[ A ] सिसोदिया
[ B ] चौहान
[ C ] राठौर
[ D ] कछवाहा
Answer ⇒ (B)
23. उत्तर भारत में भक्ति आंदोलन लाने का श्रेय किसे हैं ?
[ A ] रामानन्द
[ B ] कबीर
[ C ] नानक
[ D ] बल्लभाचार्य
Answer ⇒ (A)
24. पुष्टि मार्ग का जहाज किसे कहा जाता हैं ?
[ A ] रामानन्द
[ B ] बल्लभाचार्य
[ C ] कबीर
[ D ] चैतन्य
Answer ⇒ (B)
25. पाहन पूजे हरि मिले ………. किसकी काव्य पंक्ति है ?
[ A ] रहीम
[ B ] कबीर
[ C ] सूरदास
[ D ] तुलसीदास
Answer ⇒ (B)
26. सल्तनत कालीन प्रथम मस्जिद कौन-सी बनी ?
[ A ] कुव्बत ऊल इस्लाम
[ B ] ढाई दिन का झोपड़ा
[ C ] वदायूँ का जामा मस्जिद
[ D ] मोठ मस्जिद
Answer ⇒ (A)
27. खानकाह क्या है ?
[ A ] सूफी संतों पर घर
[ B ] मुसलमानों का प्राथमिक विद्यालय
[ C ] वैष्णवों का केंद्र
[ D ] शिल्पकारों का कार्यस्थल
Answer ⇒ (A)
28. औरंगजेब का संबंध किस सूफी सिलसिले से था ?
[ A ] चिश्ती
[ B ] सुहरावर्दी
[ C ] कादिरी
[ D ] नक्शबन्द
Answer ⇒ (D)
29. बंगाल के प्रसिद्ध संत कौन थे ?
[ A ] चैतन्य महाप्रभु
[ B ] गुरुनानक
[ C ] कबीर
[ D ] बाबा फरीद
Answer ⇒ (A)
30. ‘बीजक’ में किसका उपदेश संग्रहीत है ?
[ A ] कबीर
[ B ] गुरुनानक
[ C ] चैतन्य
[ D ] रामानन्द
Answer ⇒ (A)
31. विष्णु को अपना पति कौन मानती थी ?
[ A ] मीरा
[ B ] अंडाला
[ C ] कराइकल
[ D ] इनमें सभी
Answer ⇒ (B)
32. पल्लव राजाओं ने किस मत को अपना राजधर्म घोषित किया ?
[ A ] जैन
[ B ] बौद्ध
[ C ] शैव
[ D ] वैष्णव
Answer ⇒ (D)
33. रामानुज ने किस दार्शनिक मत का प्रतिपादन किया था ?
[ A ] अद्वैतवाद
[ B ] विशिष्टद्वैतवाद
[ C ] शुद्धाद्वैतवाद
[ D ] अचिंत्मभेदाभेद
Answer ⇒ (B)
34. बंगाल में कृष्णभक्ति के सबसे बड़े संत कौन हुए ?
[ A ] बल्लभाचार्य
[ B ] माधवाचार्य
[ C ] चैतन्य महाप्रभु
[ D ] संत ज्ञानेश्वर
Answer ⇒ (C)
35. सिखों के अंतिम गुरु कौन थे ?
[ A ] गुरुहराय
[ B ] गुरु किशन
[ C ] गुरु तेगबहादुर
[ D ] गुरु गोविन्द सिंह
Answer ⇒ (D)
36. निजामुद्दीन औलिया की दरगाह कहाँ है ?
[ A ] दिल्ली
[ B ] अजमेर
[ C ] पंजाब
[ D ] बंगाल
Answer ⇒ (A)
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. अकबर की धार्मिक नीति की समीक्षा करें।
Ans. अकबर की धार्मिक नीति की विवेचना निम्नलिखित हैं-
(i) आरम्भ में अकबर एक कट्टरपंथी मुसलमान था परंतु बैरम खाँ, अब्दुल रहीम खानखाना, फैजी, अबुल फजल, बीरबल जैसे उदार विचारों वाले लोगों के सम्पर्क से उसका दृष्टिकोण बदल गया। हिंदू रानियों का भी उस पर प्रभाव पड़ा। अब वह अन्य धर्मों के प्रति उदार हो गया था।
(ii) 1575 ई० में उसने इबादतखाना बनवाया, जिसमें विभिन्न धर्मों के विद्वानों को अपने-अपने विचार प्रकट करने की पूर्ण स्वतंत्रता थी । अक्सर बहस करते समय मौलवी गाली-गलौच पर उतर जाते थे। अतः अकबर को इस्लाम धर्म में रुचि कम हो गई।
(iii) वह स्वयं तिलक लगाने लगा और गौ की पूजा करने लगा। अतः कट्टरपंथी मुसलमान उसे काफिर कहने लगे थे।
(iv) 1579 ई० में उसने अपने नाम का खुतवा पढ़वा कर अपने आप को धर्म का प्रमुख घोषित कर दिया। इससे उलेमाओं का प्रभाव कम हो गया।
(v) अंत में उसने सभी धर्मों का सार लेकर नया धर्म चलाया, जिसे दीन-ए-इलाही के नाम से जाना जाता है। अपने धर्म को उसने किसी पर थोपने का प्रयास नहीं किया।
(vi) उसने रामायण, महाभारत आदि कई हिन्दु ग्रंथों का भी फारसी में अनुवाद करवाया। वह धर्म को राजनीतिक से दूर रखता था ।
(vii) फतेहपुर सीकरी में एक महल, जोधाबाई का महल में भारतीय संस्कृति की स्पष्ट झलक देखते हैं।
2. अकबर को ‘राष्ट्रीय शासक’ क्यों कहा जाता है ?
Ans. अनेक विद्वान और व्यक्ति जलालुद्दीन अकबर (1556-1605) को मुगल बादशाहों में महानतम मानते हैं क्योंकि उसने न केवल अपने साम्राज्य का विस्तार ही किया बल्कि इसे अपने समय का विशालतम दृढ़तम और सबसे समृद्ध राज्य बनाकर सुदृढ़ भी किया। अकबर हिंदुकुश पर्वत तक अपने साम्राज्य की सीमाओं के विस्तार में सफल हुआ और इसने ईरान के सफानियों और तूरान (मध्य एशिया) के उजबेकों की विस्तारवादी योजनाओं पर लगाम लगाए रखी। अकबर के बाद जहाँगीर (1605-27) शाहजहाँ (1628-58) और औरंगजेब (1658-1707) के रूप में भिन्न-भिन्न व्यक्तित्व वाले तीन बहुत योग्य उत्तराधिकारी हुए। इनके अधीन क्षेत्रीय विस्तार जारी रहा यद्यपि इसकी गति काफी धीमी रही। तीन शासकों ने शासन के विविध यंत्रों को बनाए रखा और उन्हें सुदृढ़ किया। अतः अकबर राष्ट्रीय शासक था।
3. अकबर के व्यक्तित्व पर टिप्पणी दें।
Ans. अकबर इतिहास में महान् की उपाधि से विभूषित हैं और इसकी महानता का मुख्य कारण है इसका विराट् व्यक्तित्व । साम्राज्य की सुदृढता, साम्राज्य में शांति स्थापना तथा मानवीय भावनाओं से उत्प्रेरित अकबर ने न सिर्फ गैर मुसलमानों को राहत दिया, राजपूतों के साथ वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित किया बल्कि एक कुशल प्रशासनिक व्यवस्था भी प्रदान किया। धार्मिक सामंजस्य के प्रतीक के रूप में उसका दीन-ए-इलाही प्रशंसनीय है।
4. अबुल फजल कौन था ? उस पर टिप्पणी लिखिए।
Ans. अबुल फजल – वह अकबरकालीन महान कवि, निबन्धकार, इतिहासकार, राजनीतिज्ञ सेनापति तथा आलोचक था। उसका जन्म 1557 ई० में आगरा के प्रसिद्ध सूफी शेख मुबारक के यहाँ हुआ था। उसने 1574 ई० में अकबर के दरबारियों के रूप में अपना जीवन शुरू किया। उसने कोषाध्यक्ष से लेकर प्रधानमंत्री तक के पद पर कार्य किया। यह भारतीय इतिहास में एक महान इतिहासकार के रूप में प्रसिद्ध है। उसने दो प्रसिद्ध ऐतिहासिक पुस्तकों की रचनाएँ कीं। वे थीं- ‘अकबरनामा’ तथा ‘आइने अकबरी’ ये दोनों ग्रंथ फारसी भाषा में लिखे गये और अकबर कालीन इतिहास जानने के मूल स्रोत हैं। अकबरनामा अकबर की जीवनी, विजयों, शासन प्रबन्ध के साथ-साथ तत्कालीन भारतीय राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक तथा आर्थिक परिस्थितियों को समझने में भी सहायक हैं। उसने ‘पंचतंत्र’ का अनुवाद फारसी में किया और उसका नाम ‘अनघरे साहिली’ रखा। उसे अकबर के नौ रत्नों में स्थान प्राप्त था। उसने अनेक सैनिक अभियानों का नेतृत्व भी किया। वह पर्याप्त समय तक अकबर का प्रधानमंत्री और परामर्शदाता रहा। उसके विचार सूफी सन्तों से मिलते थे। धार्मिक दृष्टि से उसका दृष्टिकोण बहुत उदार था। कहा जाता है कि उसी ने अकबर को दीन-ए-इलाही नामक धर्म चलाने की प्रेरणा दी थी। इबादतखाने में वह सूफी मत के लोगों का प्रतिनिधित्व किया करता था। अकबर के नौ रत्नों में दीन-ए-इलाही को अपनाने वाला वह पहला व्यक्ति था। उसे सलीम ने ओरछा नरेश वीरसिंह बुन्देला के साथ सांठ-गांठ करके मरवा डाला था। कहते हैं अबुल फजल की मृत्यु के शोक में अकबर ने तीन दिनों तक दरबार नहीं गया। अकबर ने भावुक होकर कहा था कि “अगर सलीम राज्य चाहता था तो वह मेरी हत्या करवा देता लेकिन अबुल फजल को छोड़ देता।” जब तक भारतीय इतिहास में अकबर का नाम रहेगा तब तक अबुल फजल को अवश्य याद किया जायेगा।
5. मुगलकाल में महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डालें।
Ans. मुगलकाल में आम महिलाओं में पर्दा प्रथा का रिवाज था। शिक्षा और सम्पत्ति उनके अधिकार भी सीमित थे । बहु पत्नी प्रथा सती प्रथा भी समाज में प्रचलित थी। मुगल राजपरिवार की महिलाएँ प्रभावी भी थीं। जहाँआरा व्यापार, निर्माण कार्य में रूचि लेती थी तो हुमायूँ की बहन गुलबदन बेगम ने हुमायूँनामा की रचना की। नूरजहाँ का मुगल दरबार में प्रभाव तो जगजाहिर ही था ।
6. मनसबदारी व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें।
Ans. अकबर ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मनसबदारी व्यवस्था का प्रवर्तन किया। यह दशमलव प्रणाली पर आधारित था। मनसबदार को दो पद जात एवं सवार प्रदान किए जाते थे। व्लाकमैन के अनुसार, एक मनसबदार को अपने जितने सैनिक रखने पड़ते थे वह जात का सूचक था। वह जितने घुड़सवार रखता था वह सवार का सूचक था।
40 से 500 तक का मनसबदार ‘मनसबदार’ कहलाता था। 500 से 2500 का मनसबदार अमीर कहलाता था । 2500 से अधिक का मनसबदार अमीर एक उम्दा कहलाता था ।
मनसबदारों को वेतन में नकद रकम मिलता था। कभी-कभी वेतन में जागीर भी दी जाती थी। इस प्रकार मनसबदारी व्यवस्था मुगल सेना का प्रमुख आधार बन गयी। उसने मुगल साम्राज्य का विस्तार एवं सुव्यवस्था की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
7. आइन-ए-अकबरी के विषय में आप क्या जानते हैं ?
Ans. अबुल फजल अकबर के नौ रत्नों में से एक था। वह फारसी भाषा का उच्च कोटि का विद्वान था। उसने अकबर के समय में अकबरनामा तथा आइन-ए-अकबरी नामक दो प्रसिद्ध ग्रंथ लिखे । आइन-ए-अकबरी आज भी अकबर पर एक विश्वसनीय तथा प्रामाणिक ग्रंथ माना जाता है। यह एक विशद् ग्रंथ है, जिसमें अकबर की विजयों उसके राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक तथा राजस्व संबंधी विवरणों का विस्तृत विवरण दिया गया है। आइन-ए-अकबरी में फारसी भाषा के उन 59 सर्वश्रेष्ठ कवियों के नाम दिए गए हैं, जिन्हें अकबर के दरबार में संरक्षण प्राप्त था। इनके अतिरिक्त 15 ऐसे कवि भी थे, जो मौलिक साहित्य की रचना किया करते थे। इस ग्रंथ का न केवल राजनीति तथा ऐतिहासिक महत्त्व है, वरन् यह एक उच्च कोटि की साहित्यिक रचना भी है।
8. अकबर की सुलह-ए-कुल की नीति क्या थी ?
Ans. अकबर ने सुलह-ए-कुल की नीति अपनायी। इसका अर्थ होता है सबसे शान्ति रखने का सिद्धान्त । अबुल फजल सुलह-ए-कुल के आदर्श को प्रबुद्ध शासन की आधारशिला मानता था। सभी अधिकारियों को प्रशासन में सुलह-ए-कुल की नीति अपनाने के निर्देश दिये गये। सभी तरह की शांति और स्थायित्व के स्रोत रूप में बादशाह अपनी सभी धार्मिक और नृजातीय समूहों से ऊपर होता था, इनके बीच मध्यस्थता करता था तथा यह सुनिश्चित करता था कि न्याय और शांति बनी रहे। सुलह-ए-कुल में यूँ तो सभी धर्मों और मतों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता थी किंतु उसकी एक शर्त थी कि वे राज्य सत्ता को क्षति नहीं पहुँचाएँगे अथवा आपस में नहीं लड़ेंगे।
9. अकबर के शासन काल में भूमि का वर्गीकरण किस प्रकार किया गया था ?
Ans. आइन-ए-अकबरी से पता चलता है कि अकबर के शासनकाल में भूमि को चार वर्गों में वर्गीकृत किया गया था-
(i) पोलज – यह प्रथम श्रेणी की भूमि थी जिस पर प्रत्येक समय खेती होती थी। वर्ष में दो फसलें प्राप्त की जाती थीं। इस भूमि से प्रतिवर्ष सरकार को भूमि कर प्राप्त होता
(ii) परती- वह भूमि थी जिस पर लगातार 2-3 वर्ष खेती करने के पश्चात् पुनः उर्वरा शक्ति प्राप्त करने हेतु एक वर्ष के लिये परती (बिना खेती की) छोड़ दी जाती थी।
(iii) छच्छर भूमि – यह वह भूमि होती थी जो कृषि योग्य होने या उर्वरा शक्ति प्राप्त करने हेतु 3 या 4 वर्ष परती छोड़ दी जाती थी।
(iv) बंजर भूमि-यह सबसे निम्न कोटि की भूमि थी जो 5 वर्ष के लिये खाली छोड़ दी जाती थी।
10. अकबर के शासनकाल में कर निर्धारण की क्या प्रणाली थी ?
Ans. अकबर ने टोडरमल की सहायता से समस्त भूमि की नाप ईलाही गज से करवाई। समस्त जमीन को पोलज, परौती, चचर और बंजर में विभक्त कर उपज के अनुसार लगान की राशि तय की गई। 1580 में लगान वसूली के लिए दहसाला प्रबंध या जाब्ती व्यवस्था लागू की गई। उपज बढ़ाने के लिए किसानों को सहायता दी जाती थी । आवश्यकतानुसार लगान में कमी की जाती थी या माफी दी जाती थी।
11. अकबर ने यात्रा कर क्यों समाप्त किया ? दो कारण लिखें।
Ans. अकबर ने यात्रा कर निम्नलिखित दो कारणों की वजह से समाप्त किया था-
(i) अकबर एक राष्ट्रीय शासक था। वह अपने साम्राज्य के सभी लोगों को सामान दृष्टिकोण से देखता था। इसलिए मुसलमानों के साथ-साथ हिन्दुओं से लिया जाने वाला यात्रा कर समाप्त किया था ताकि सभी लोग सभी जगहों पर यात्रा आसानी से कर सके।
(ii) सम्राट अकबर हिन्दुओं से लिया जाने वाला जजिया कर भी समाप्त कर दिया था। साथ ही लोगों से लिया जाने वाला यात्रा कर समाप्त कर दिया था। जिससे कि सम्राज्य के सभी लोगों के साथ भेद-भाव नहीं रहे तथा एकता स्थापित हो। सभी लोगों को कहीं भी आने-जाने की छूट अकबर ने दी थी।