जीवो में विविधता
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1.कूटपाद से गति करता है
(a) अमीबा
(b) कॉकरोच
(c) केचुआ
(d) पैरामीशियम
Ans :-a
2. श्रम विभाजन पाया जाता है
(a) मनुष्य में
(b) हाइड्रा में
(c) मेंढक में
(d) पक्षियों में
Ans :-b
3. अमीबा निम्न वर्ग का प्राणी है।
(a) पोरीफेरा
(b) सीलेन्टरेटा
(c) प्रोटोजोआ
(d) प्लेटीहेल्मिन्थीस
Ans :-c
4. ऑर्थोपोडा संघ का जन्तु है
(a) बिच्छू
(b) हाईड्रा
(c) ऑक्टोपस
(d) केंचुआ
Ans :-a
5. स्टारफिश में चलन होता है।
(a) कूटपाद से
(b) सीलिया से
(c) टाँगों से
(d) नाल पादों से
Ans :-d
6. सीलेण्टेरेटा फाइलम का जन्तु है
(a) सी एनीमोन
(b) स्पांज
(c) यूग्लीना
(d) टेपवर्म
Ans :-a
7. अमीबा और पैरामीशियम हैं
(a) एनीलिड
(b) आर्थोपोड
(c) सीलेन्टरेट
(d) प्रोटिस्टा
Ans :-d
8. फाइलम प्लेटीहेलमिन्थीज का जन्तु है।
(a) सी एनीमोन
(b) स्पॉन्ज
(c) यूग्लीना
(d) टेपवर्म
Ans :-d
9. पोरीफेरा फाइलम का जन्तु है
(a) सी एनीमोन
(b) स्पॉन्ज
(c) यूग्लीना
(d) टेपवर्म
Ans :-b
10. एस्केहेलमिन्थीज फाइलम का जन्तु है
(a) पिन वर्म
(b) टेपवर्म
(c) फ्लेट वर्म
(d) फ्लूक
Ans :-a
11. आर्थोपोडा का उदाहरण है।
(a) केचुआ
(b) जोंक
(c) मकड़ी।
(d) एस्केरिस
Ans :-c
12. कौन मोलस्क फाइलम का जन्तु है
(a) केंचुआ
(b) ऑक्टोपस
(c) कॉकरोच
(d) घरेलू मक्खी
Ans :-b
13. उपफाइलम वर्टीब्रेटा का उदाहरण है।
(a) डोलियोलम
(b) मेंढक
(c) ब्रान्कियोस्टोमा
(d) पायरोसोमा
Ans :-b
14. गिल्स के द्वारा श्वसन किसमें नहीं होता
(a) टोरपीडो में
(b) डॉगफिश में
(c) छिपकली में
(d) सी हॉर्स में
Ans :-c
15. गर्म रुधिर वाला जन्तु है
(a) गौरेया
(b) साँप
(c) मेंढक
(d) डॉग फिश
Ans :-a
16. शीत रुधिर वाला जन्तु है
(a) कबूतर
(b) मेंढक
(C) कौआ
(d) बकरी
Ans :-b
17. तीन प्रकोष्ठों वाला हृदय पाया जाता है
(a) फ्लाइंग लिजार्ड में
(b) एनावास में
(c) डॉग फिश में
(d) उपर्युक्त सभी में
Ans :-a
18. चार प्रकोष्ठों वाला हृदयं पाया जाता है
(a) उल्लू में
(b) चिम्पैंजी में
(c) कुत्ते में
(d) उपरोक्त सभी में
Ans :-d
19. स्तनधारी वर्ग का जन्तु है
(a) उल्लू
(b) चिम्पैंजी
(c) कौआ
(d) इनमें में से कोई भी नहीं
Ans :-b
20. मनुष्य का वैज्ञानिक नाम है
(a) एबेना
(b) होमोसेपियन्स
(c) पेन्थरालियो
(d) इनमें से कोई नहीं
Ans :-b
21. द्विपदीय नाम पद्धति को शुरू किया
(a) ई. एच. हीकल ने
(b) रॉबर्ट व्हिटेकर ने
(c) केरोलस लीनियस ने
(d) डार्विन ने
Ans :-c
22. जुड़े हुए पैर पाए जाते हैं
(a) एनीलिडा में
(b) आर्थोपोडा में
(c) सीलेण्टरेटा. में
(d) इनमें से कोई नहीं
Ans :-b
23. अप्रत्यक्ष जननांगे पाये जाते हैं।
(a) जिम्नोस्पर्म में
(b) एंजियोस्पर्म में
(c) टेरिडोफाइट में
(d) इनमें से कोई नहीं
Ans :-c
24. किसमें थैलस नहीं पाया जाता
(a) शैवाल
(b) मॉस
(c) कवक
(d) लाइकेन
Ans :-b
25. शैवाल है
(a) एस्परजीलस
(b) पेनीसिलियम
(c) एगारीकस
(d) यूलोथ्रिक्स
Ans :-d
26. यूलोथिक्स है
(a) एल्गी
(b) कवक
(c) टेरिडोफाइट
(d) ब्रायोफाइटा
Ans :-a
27. ब्रायोफाइटा का उदाहरण है
(a) नील हरित शैवाल
(b) जीवाणु
(c) लिवर वर्ट
(d) फर्न
Ans :-c
28. टेरिडोफाइटा का उदाहरण है।
(a) यूलोथिरेक्स
(b) जीवाणु
(c) लिवर वर्ट
(d) फर्न
Ans :-d
29. जिम्नोस्पर्म है
(a) हॉर्नवर्ट
(b) फर्न
(c) लिवरवर्ट
(d) साइकस
Ans :-d
30. एन्जियोस्पर्म है
(a) मटर
(b) हॉर्नवर्ट
(C) फर्न
(d) मॉस
Ans :-a
31. पेनिसीलियम सदस्य है
(a) शैवाल का
(b) कवक का
(c) टेरियोफाइट का
(d) फेनरोगेम का
Ans :-b
32. प्रोटोजोआ है-
(a) सी एनीमोन
(b) स्पांज
(c) यूग्लीना
(d) टेपवर्म
Ans :-c
33. नग्न बीज पाये जाते हैं
(a) जिम्नोस्पर्म में
(b) एंजियोस्पर्म में
(c) टेरिडोफाइट में
(d) इन सभी में
Ans :-a
34. बीज फल के अन्दर पाये जाते हैं
(a) जिम्नोस्पर्म में
(b) एंजियोस्पर्म में
(c) टेरिडोफाइट में
(d) इन सभी में
Ans :-b
35. द्विकोष्ठकीय हृदय पाया जाता है
(a) मछली में
(b) साँप में
(c) मेंढक में
(d) छिपकली में
Ans :-a
36. त्रिकोष्ठीय हृदय पाया जाता है।
(a) साँप में
(b) मेंढक में
(c) छिपकली में
(d) इन सभी में
Ans :-d
37. चार कोष्ठकीय हृदय पाया जाता है।
(a) मेंढक में
(b) छिपकली में
(c) मगरमच्छ में
(d) उपर्युक्त में से किसी में नहीं
Ans :-c
38. चार कोष्ठकीय हृदय पाया जाता है।
(a) मगरमच्छ में
(b) मनुष्य में
(c) कुत्ते में
(d) उपर्युक्त सभी में
Ans :-d
39. पक्षी वर्ग को जन्तु नहीं है
(a) मोर
(b) चमगादड़
(c) कबूतर
(d) गौरैया
Ans :-b
40. अंडज है
(a) मछली
(b) मेंढक
(c) साँप
(d) ये सभी
Ans :-d
41. शिशु को जन्म देते हैं
(a) स्तनपायी
(b) सरीसृप
(c) पक्षी
(d) ये सभी
Ans :-a
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1.जीव विज्ञान की वह शाखा जिसके अन्तर्गत जीवों का वर्गीकरण तथा जैविक नामकरण एवं उससे संबंधित सिद्धांतों का अध्ययन किया जाता है, क्या कहलाता है?
उत्तर- वर्णकी अथवा वर्गीकरण विज्ञान
2. पृथ्वी पर जीवों की उत्पत्ति सर्वप्रथम लगभग कितने वर्ष पूर्व हुई थी ?
उत्तर- 3.5 बिलियन वर्ष पूर्व हुआ था।
3. क्लोरोफिल वर्णकविहीन पौधों को किस जगत में रखा गया है?
उत्तर – कवक की जगत में रखा गया है।
4. जावों के पाँच जगत वर्गीकरण किस वैज्ञानिक के द्वारा स्थापित किया गया है ?
उत्तर- आर. व्हिटेकर (R. Whittaker)
5. वैसे सूक्ष्मजीव जिनके कोशिकांग झिल्ली से घिरे नहीं होते हैं, क्या कहलाते हैं?
उत्तर- प्रोटिस्टा ।
6. बीज रहित पौधों को पादप जगत के किस उपजगत में रखा गया है?
उत्तर- क्रिप्टोगैम्स ।
7. पादप जगत का वह उपजगत जिसमें बीजयुक्त पौधे सम्मिलित किए गए हैं, क्या कहलाता है?
उत्तर- फैनरोगैम्स ।
8. थैलोफाइट, ब्रायोफाइटा एवं टेरिडोफाइटा पादप जगत के किस उपजगत में सम्मिलित है?
उत्तर- क्रिप्टोगैम्स ।
9. बीजयुक्त पौधों का पादप जगत के किस उपजगत में रखा गया है?
उत्तर- स्पर्मेटोफाइटा ।
10. वैसे पौधे को जिनका शरीर जड़ तना एवं पत्तियों में विभाजित नहीं होता है, उपजगत क्रिप्टोगैम्स के किस विभाग में सम्मिलित किए गए हैं?
उत्तर- थैलोफाइटा ।
11. ऐगार का उत्पादन किस प्रकार के शैवालों से किया जाता है?
उत्तर- लाल शैवाल ।
12. शैवालों के वैसे जातियों के नाम बताएँ जो विशेष प्रकार के कवकों के साथ स्थायी अंतसंबंध बनाती है?
उत्तर- सहजीविता ।
13. वैसे पौधे जिनके बीज फलों के भीतर नहीं बनते है, को उपजगत फैनरोगैम्स के किस विभाग में रखा गया है?
उत्तर- जिम्नोस्पर्म।
14. एकबीज पत्री पौधों के पत्तियों में किस प्रकार का शिरा – विन्यास होता है?
उत्तर- समांतर
15. वैसे जन्तु जिनके शरीर दो जनन स्तरों का बना होता है क्या कहलाते हैं?
उत्तर- द्विस्तरीय जन्तु ।
16. वैसा जंतु जिसके शरीर को एक काट के द्वारा दो हू-बहू समान भागों में बाँटा जा सकता है, क्या कहलाता है?
उत्तर- द्विपार्श्व समभित ।
17. स्पंजों को जंतु जगत के किस संघ में सम्मिलित किया गया है?
उत्तर- पॉरिफेरा।
18. संघ पॉरिफेरा के जंतुओं में अलैंगिक विधि से होने वाला प्रजनन विधि क्या कहलाता है?
उत्तर- मुकुलन या जेम्यूल
19. संघ सीलेटरेटा या नाइडेरिया के शरीर में पाए जानेवाली वैसी कोशिकाएँ जो शरीर की रक्षा तथा शिकार को पकड़ने में सहायक होती है, क्या कहलाती है?
उत्तर- दंश कोशिकाएँ।
20. वैसी कोशिकाएँ जो संघ सीलेंटरेटा के जन्तुओं के अतिरिक्त जंतु जगत में अन्यत्र नहीं पायी जाती है, क्या कहलाती है?
उत्तर- दंश कोशिकाएँ।
21. वैसे जंतु जिनके शरीर में देहगुहा नहीं होती है, क्या कहलाते हैं?
उत्तर – प्लेटीहेल्मिन्थीज
22. संघ प्लेटीहेल्मिन्थीज के एक ऐसे जंतु का नाम बताएँ जो स्वतंत्रयांची होता है?
उत्तर – प्लेनेरिया ।
23. कूटसीलोम की उपस्थिति किस संघ के जंतुओं का लक्षण है?
उत्तर- एस्केल्मिन्थीज ।
24. संघ एनीलिडा के जंतुओं में प्रचलन के लिए पाई जानेवाली काँटेनुमा रचनाएँ क्या कहलाती है।
उत्तर- शूक
25. जंतु जगत का सबसे बड़ा संघ कौन-सा है ?
उत्तर- आर्थोपोडा।
26. उत्सजी अंग मैलपीगियन नलिकाओं की उपस्थिति संघ के जंतुओं के लक्षण है?
उत्तर- आर्थोपोडा।
27. घोंघा का शरीर जिस कोमल झिल्ली के द्वारा घिरा होता है। वह क्या कहलाता है?
उत्तर- प्रावार या मेंटल
28. संघ इकाइनोडयेटा के जंतुओं के शरीर में स्थित वह तंत्र जो प्रचलल एवं श्वसन में सहायक होता है, क्या कहलाता है?
उत्तर- जल परिवहन तंत्र
29. उपपय वर्टिनेटा का दूसरा नाम क्या है?
उत्तर-क्रेनियेटा।
30. मछलियों के श्वसन अंग क्या कहलाते हैं?
उत्तर- क्लोम या गिल्स।
31. वैसे वर्टिब्रेटा जो जल एवं स्थल दोनोवास स्थानों में रह सकते हैं, क्या कहलाते हैं?
उत्तर- जल-स्थलचर या उभयचर
32. वर्ग रेप्टीलिया के जंतुओं में निषेचन किस प्रकार का होता है।
उत्तर- अंत: निषेचन ।
33. किस वर्ग के जंतुओं का अंतः कंकाल हल्की तथा स्पंजी हड्डियों का बना होता है?
उत्तर- एवीज
34. रेप्टीलिया, एवीज, तथा मैमेलिया में कौन नियततापी जंतु होता है?
उत्तर- एवीज ।
35. नम मिट्टी में पाये जानेवाले एक एनीलिडा का नाम लिखें।
उत्तर- केंचुआ।
36. एक स्वतंत्रजीवी प्लेटीहेल्मिन्थीज का नाम लिखें।
उत्तर – प्लेनेरिया ।
लघु उत्तरीय प्रश्न
1.बर्गिकी से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – विज्ञान की वह शाखा जो वर्गीकरण के अध्ययन से संबंधित है जिसमें जीवों का सुव्यवस्थित और क्रमानुसार विभिन्न समूहों में विभाजन उनका जैविक नामकरण तथा उससे संबंधित सिद्धान्त का अध्ययन किया जाता है उसे वर्गिकी या वर्गीकरण विज्ञान कहते हैं।
2. वर्गीकरण की इकाइयों के नाम लिखें।
उत्तर – वर्गीकरण की निम्नलिखित इकाइयाँ हैं-
(i) जगत या किंगडम (Kingdom)
(ii) उपजगत या सबकिंगडम (Sub-kingdom)
(iii) फाइलम (Phylum ) या डिवीजन (Division)
(iv) वर्ग या क्लास (Class)
(v) गण या ऑर्डर (Order)
(vi) कुल या फैमिली (Family)
(vii) वंश या जेनेरा ( Genera)
(viii) जाति या स्पीशीज (Species)
3. पाँच जगत वर्गीकरण का आधार क्या है?
उत्तर- (i) जीव प्रोकैरियोटिक है या यूकैरियोटिक ।
(ii) जीव एककोशिकीय या बहुकोशिकीय है या नहीं।
(iii) कोशिका में कोशिकाभित्ति है या नहीं।
(iv) वे अपना भोजन स्वयं बनाते हैं या नहीं।
4. कवकों को अलग जगत फंजाई में क्यों रखा गया ?
उत्तर- जगत मोनेरा के बाद भी कुछ कठिनाइयाँ रह गयीं। जीवाणु जैसा कवक (Fungi) यूकैरियोटिक जीव है लेकिन प्रकाश- संश्लेषण में असमर्थ है। इन्हें न तो मोनेरा में न तो प्रोटिस्टा में रखा जा सकता है जिसके अन्तर्गत अब प्रकाश-संश्लेषण में सक्षम शैवाल है। इसीलिये कवक के लिये एक नया जगत बनाया गया जिसे जगत फंजाई (Kingdom Fungi) कहा जाता है ।
5. जीवाणुओं के विभिन्न रूपों के नाम लिखें।
उत्तर- जीवाणु के अनेक रूप होते हैं, जैसे कोकाई (Cocci) गोल होते हैं, बैसीलस (Bacillus ), दण्डाकार (Rod-Shaped) तथा स्पाइरिला (Spirilla) कॉमा की तरह दिखते हैं।
6. पादप जगत के प्रमुख वर्ग कौन हैं ? इस वर्गीकरण का क्या आधार है?
उत्तर- पादप जगत के पाँच प्रमुख समूह हैं—
(i) थैलोफाइटा
(ii) ब्रायोफाइटा
(iii) टैरीडोफाइटा
(iv) जिम्नोस्पर्म
(v) एंजियोस्पर्म
वर्गीकरण का आधार-
(i) क्या पौधे में स्पष्ट अवयव हैं या नहीं ।
(ii) क्या पौधे में स्पष्ट व अलग ऊतक है जो व भोजन का स्थानान्तरण करते हैं।
(iii) क्या पौधे में बीज है।
(iv) क्या बीज फल से ढंके होते हैं।
7. प्रोटिस्टा में किस प्रकार के जीवों को सम्मिलित किया गया है ?
उत्तर- जगत में मुख्यतः विभिन्न प्रकार के जलीय, एककोशिकीय, सरल यूकैरियोटिक सूक्ष्मजीवों को सम्मिलित किया गया है।
8. थैलोफाइटा के दो मुख्य लक्षणों को लिखें।
उत्तर- थैलोफाइटा के दो मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं-
(i) इनका शरीर जड़, तना एवं पत्तियों में विभाजित नहीं रहता है, लेकिन यह एक थैलस ( thallus ) के रूप में रहता है। इसलिये इन्हें थैलोफाइटा कहते हैं।
(ii) इनमें संवहनीय तंत्र नहीं पाया जाता है।
9. बायोफाइटा एवं टेरिडोफाइटा के बीच दो मुख्य अंतरों को स्पष्ट करें।
उत्तर-
ब्रायोफाइटा
(i) इनमें संवहन ऊतक अनुपस्थित होते हैं।
(ii) इनमें वास्तविक जड़ नहीं पाया जाता है।
टेरिडोफाइटा
(i) इनमें समान ऊतक मौजूद होते हैं।
(ii) इनमें जड़ पाये जाते हैं।
10. किस आधार पर फैनरोगैम्स को दो भागों में विभाजित किया गया है?
उत्तर- बीज की संरचना इस प्रकार रहती है कि भ्रूण के साथ संचित खाद्य पदार्थ भी रहता है। जब भ्रूण का विकास होता है य भ्रूण के अंकुरण के समय संचित खाद्य पदार्थ उसकी वृद्धि में सहायक होता है। बीज की अवस्था के आधार पर फैनरोगैम्स को दो भागों में विभाजित किया जाता है।
11. संघ एस्केल्पिन्थीज या निमेटोडा के तीन विशेषताओं का उल्लेख करें।
उत्तर-संघ एस्केल्मिन्थीज या निमेटोडा के तीन विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
(i) इनका शरीर अखण्डित तथा द्विपार्श्व सममित होता है।
(ii) ये लम्बे और बेलनाकार (Cylindrical) कृमि हैं, अत: ये गोलकृमि (Roundworm) कहलाते हैं।
(iii) शरीर में मिथ्या देहगुहा ( False coelom) पाया जाता है, जो कूटसीलोम (Pseudocoelom) कहलाता है।
12. संघ आर्थोपोडा के तीन प्रमुख लक्षणों का उल्लेख करें।
उत्तर-संघ आर्थोपोडा के तीन प्रमुख लक्षण या विशेषतायें हैं-
(i) ये जल (मृदुजलीय एवं समुदी) तथा स्थल के सभी प्रकार के वासस्थानों में पाये जाते हैं। ये स्वतंत्रजीवी तथा परजीवी दोनों होते हैं।
(ii) इनका शरीर द्विपार्श्व सममित, ट्रिप्लोब्लास्टिक तथा खण्डित होता है।
(iii) इनमें मजबूत संधित उपांग ( Jointed Appendages ) होते हैं।
13. मछलियों की विशेषताओं का उल्लेख करें।
उत्तर- मछलियों की विशेषतायें निम्नलिखित हैं-
(i) इनका शरीर धारारेखीय ( Streamline) होता है। शरीर के इस आकार के कारण मछलियों को तैरते समय जल अवरोध कम-से- कम लगता है।
(ii) इनकी त्वचा शल्कों (Scales ) से ढंकी होती है।
(ii) इनमें तैरने के लिए पंख (Fins) तथा मांसल पूँछ होते हैं।
(iv) अन्तःकंकाल उपास्थि (जैसे स्कोलिओडोन, इलेक्ट्रिक रे) या अस्थि (जैसे रेहू, कतला, ट्यूना आदि) के बने होते हैं।
(v) इनमें श्वसन क्लोम या गिल्स (Gills) की सहायता से होता है। गिल्स की मदद से ये जल में घुली ऑक्सीजन का उपयोग श्वसन के लिये करते हैं।
(vi) इनके हृदय में दो वेश्म या कक्ष (Chambers) होते हैं।
(vii) ये अनियततापी या असमतापी या शीतरक्तीय (Cold blooded) होते हैं। अर्थात् वातावरण के
तापक्रम के अनुसार इनके शरीर का तापक्रम बदलता रहता है।
(viii) ये जल में अण्डे देनेवाले वर्टिब्रेट हैं।
14. संघ कॉर्डेटा की तीन प्रमुख लक्षणों का उल्लेख करें।
उत्तर – संघ कॉर्डेटा की तीन प्रमुख लक्षण या विशेषतायें ये हैं-
(i) ये जल और स्थल में पाये जानेवाले ट्रिप्लोब्लास्टिक, सीलोमेटा (त्रिस्तरीय, सीलोमेट)
(ii) इनमें नोटोकॉर्ड या पृष्ठरज्जु उपस्थित होता है। अधिकांश कॉर्डेटों में यह उपास्थि या अस्थि के बने एक अन्त: कंकाल कशेरूक दंड या रीढ़ की हड्डी में परिवर्तित हो जाता है। ( ग्रसनी क्लोम या ग्रसनी गिल छिद्र उपस्थित होते हैं, ये जिन कॉर्डेटा के प्रौढ अवस्था में नहीं होते हैं, उनकी भ्रूणीय अवस्था में अवश्य मिलते हैं।
(iii) पृष्ठीय नलाकार या खोखला तंत्रिका रज्जु उपस्थित होता है।
(iv) रुधिर परिसंचरण तंत्र बंद होता है अर्थात् रक्त का प्रवाह बंद रक्त नलिकाओं में होता है। हृदय औदरिक सतह पर स्थित होता है।
(v) पुच्छ गुदा के पीछे स्थित होता है।
15. वर्ग मैमेलिया की चार विशिष्ट लक्षणों का उल्लेख करें।
उत्तर – वर्ग मैमेलिया के चार लक्षण इस प्रकार हैं-
(i) ये नियततापी होते हैं।
(ii) त्वचा बाल या रोम से ढंका रहता है।
(iii) बाह्य कर्ण उपस्थित होता है।
(iv) इनमें स्तन पाये जाते हैं। स्तन में नवजात के पोषण के लिये दुग्ध ग्रंथियाँ पायी जाती हैं।
16. द्विपार्श्व सममित जन्तु से क्या समझते हैं ?
उत्तर- द्विपार्श्व सममित जन्तु के शरीर को एक काट द्वारा दो समान भागों में बाँट सकते हैं। बायें और दाहिने भाग में एक ही प्रकार की रचनायें पायी जाती हैं, जैसे मेढक, मछली आदि में।
17. जीवों का वर्गीकरण क्यों आवश्यक है ?
उत्तर – पृथ्वी पर अनेक प्रकार के जीव पाये जाते हैं, बैक्टीरिया से लेकर हवेल तक । कैलिफोर्निया के रेड वुडवृक्ष 100 मीटर तक लंबे होते हैं। वर्गीकरण जीवों के अध्ययन को आसान करता है। हम सभी प्रकार के जीवन को एक बार में जान सकते हैं। इससे जीवों के पारस्परिक संबंधों का पता चलता है।
18. वर्गिकी का जनक किसे कहते हैं ?
उत्तर – कैरोलस लिन्नियस (Caroles Linnaeus) ने अठारहवीं शताब्दी में सर्वप्रथम वर्गिको या टैक्सोनॉमी (taxonomy) की स्थापना की, अतः उन्हें वर्गिकी का जनक कहते हैं।
19. किन आधारों पर जीवों को विभिन्न समूहों में रखा जाता है ?
उत्तर – जीवों के आपसी समानताओं एवं विषमताओं के आधार पर उन्हें विभिन्न समूहों में रखा जाता है।
20. आदिम जीव किसे कहते हैं ?
उत्तर- ऐसे जीवों को जिनके शरीर प्राचीन बनावट के हैं तथा जिनमें कोई खास परिवर्तन नहीं आया उन्हें आदिम या प्रमिटिव जीव कहते हैं।
21. अपेक्षाकृत उन्नत जीव को क्या कहते हैं ?
उत्तर – विकास के क्रम में जो नये जीव उत्पन्न हुये वे उन्नत, विकसित एवं अपेक्षाकृत जटिल थे।
22. मोनेरा को किस आधार पर अलग किया गया है?
उत्तर – प्रोकैरियोटा में एक ही जगह मोनेरा है जिसमें जीवाणु तथा साइनोबैक्टीरिया या नीलहरित शैवाल को रखा गया। जगत मोनेरा के बाद भी कुछ कठिनाइयाँ रह गयीं। जीवाणु जैसा यूकैरियोटिक जीव है लेकिन प्रकाश-संश्लेषण में असमर्थ है। इन्हें न तो मोनेरा में न तो इसीलिये कवक के लिये एक नया जगत बनाया गया जिसे जगत फंजाई नाम दिया गया।
23. प्रोटिस्टा के दो उदाहरण लिखें।
उत्तर – प्रोटिस्टा के दो उदाहरण ये हैं-
(i) एककोशिकीय सूक्ष्मजीव तथा
(ii) सरल सूक्ष्मजीव।
24. शैवाल को किस विभाग में रखा गया है ?
उत्तर – शैवाल को थैलोफाइटा विभाग में रखा गया है।
25. शैवाल तथा कवक के बीच सहजीवी संबंध का एक उदाहरण दें।
उत्तर – लाइकेन शैवाल तथा कवक बीच सहजीवी संबंध का एक उदाहरण है।
26. बायोफाइटा की एक विशेषता को लिखें।
उत्तर- ब्रायोफाइटा की एक विशेषता है – इसके अधिकांश पौधे हरे एवं छोटे होते हैं।
27. संघ पोरीफेरा के दो उदाहरण दें।
उत्तर- संघ पोरीफेरा के दो उदाहरण इस प्रकार हैं-
(i) साइकन (Sycom) तथा
(ii) हायलोनेमा
28. दो समुद्री जन्तुओं (एक वर्ग मत्स्य तथा एक संघ इकाइनोडर्मेटा से) के नाम लिखें।
उत्तर- दो समुद्री जन्तुओं (एक वर्ग मत्स्य तथा एक संघ इकाइनोडर्मेटा से) के नाम ये हैं- (i) मेढक तथा (ii) तारा मछली
29. उपसंच वर्टिजेटा की एक प्रमुख विशेषता नवाएं।
उत्तर-सिर में विशेष प्रकार के जोड़े संवेदी अंग (Sense organ ) होते हैं, जिनसे वर्टिब्रेटा जन्तु देखने, सुनने तथा सूंघने जैसे कार्य करते हैं। ये विशेषता उपसंघ वर्टिब्रेटा में पायी जाती है।
30. संघ कॉर्डेटा की एक विशेषता का उल्लेख करें।
उत्तर- इनमें नोटोकॉर्ड या पृष्ठरज्जु (dorsal notochord) उपस्थित होता है। अधिकांश कॉर्बेटों में यह उपास्थि या अस्थि के बने एक अन्त: कंकाल कशेरूक दण्ड ( vertebral colum) या रीढ़ की हड्डी में परिवर्तित हो जाता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1.मोनेरा की विशेषताओं को लिखें।
उत्तर – मोनेरा की विशेषतायें या लक्षण निम्नलिखित हैं।
(i) इनमें केंद्रककाय (Nucleoid) पाया जाता है।
(ii) सुस्पष्ट केंद्रक नहीं होता है। कुछ में कोशिकाभित्ति होती है।
(iii) ये स्वयंपोषी/परपोषी होते हैं। कुछ विषमपोषी भी ।
(iv) उदाहरण-नीले-हरे शैवाल (Blue-Green Algae), सायनोबैक्टीरिया तथा माइकोप्लाज्मा आदि ।
2. शैवाल कवक से किस प्रकार भिन्न हैं ? दोनों का एक-एक उदाहरण दें।
उत्तर-
कवक :-
(i) कवक यूकैरियोटिक जीव है लेकिन प्रकाश-संश्लेषण में असमर्थ है।
(ii) कवक बहुकोशिकीय होते हैं।
(iii) उदाहरण – मशरूम
शैवाल :-
(i) शैवाल पादप जगत का सबसे सरल जलीय जीव है जो प्रकाश-संश्लेषण द्वारा भोजन का निर्माण करता है।
(ii) कुछ शैवाल एककोशिकीय होते हैं,
जैसे – क्लेमाइडोमोनस जबकि अन्य बहुकोशिकीय धागे की तरह संरचना वाले होते हैं।
जैसे-स्पाइरोगाइरा ।
(iii) उदाहरण – ऐगारे ।
3. क्रिप्टोगैम्स एवं फैनरोगैम्स के विभेदों को स्पष्ट करें।
उत्तर-
क्रिप्टोगैम्स :-
(i) क्रिप्टोगैम्स के पौधे बीजरहित होते हैं।
(ii) इसमें वास्तविक जड़, तना तथा पत्ती नहीं होती है।
(iii) इनमें सामान्यतः संवहन तंत्र नहीं रहता है, लेकिन उच्च कोटि के क्रिप्टोगैम्स में संवहन तंत्र उपस्थित
(iv) इनको तीन विभागों में बाँटा गया है-
(a) थैलोफाइटा
(b) ब्रायोफाइटा
(c) टेरिडोफाइटा
फैनरोगेम्स :-
(i) इसमें उच्च कोटि की बीजयुक्त पौधों को सम्मिलित किया गया है।
(ii) इनमें वास्तविक जड़, तना और पत्ती होते हैं।
(iii) इनमें संवहन तंत्र उपस्थित रहता है। रहता है।
(iv) इनको दो विभागों में बाँटा गया है-
(a) जिम्नोस्पर्म या अनावृत बीजी (नग्नबीजी)
(b) एंजियोस्पर्मया आवृतबीजी ।
4. जिम्नोस्पर्म के मुख्य लक्षणों को लिखें।
उत्तर- जिम्नोस्पर्म के प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं-
(i) इनमें फूल का अभाव होता है।
(ii) ये पौधे बहुवर्षी, सदाबहार (Evergreen) एवं काष्ठीय (woody) होते हैं।
(iii) इन पौधों में जड़ें, तना एवं पत्तियाँ विकसित होती हैं।
(iv) इनका मुख्य उदाहरण साइकस (Cycas) एवं पाइनस (Pinus ) के पौधे हैं। इनकी मूसला जड़ों में शैवाल सहजीवी की तरह रहते हैं।
(v) साइकस ताड़ जैसा (Palm-like) मरुद्भिदी पौधा है जिसमें तना लंबा, मोटा तथा अशाखित होता है। इसके सिरे पर अनेक ह पत्तियाँ गोलाकार ढंग से एक मुकुट जैसा रचना बनाती हैं। इसमें नर एवं मादा पौधे अलग-अलग होते हैं।
(vi) इन पौधों के बीज फूलों के भीतर नहीं बनते इसलिये बीजों के बाहर फल का कोई आवरण भी नहीं होता है । यही कारण है कि ऐसे बीजों को नग्नबीजी भी कहा जाता है। बीज आवरण से ढंका नहीं होता, इसलिये इन्हें अनावृतबीजी भी कहते हैं।
5. द्विबीजपत्री तथा एकबीजपत्री पौधों को किन आधारों पर विभाजित किया जाता है ?
उत्तर- बीजों में बीजपत्र की संख्या के आधार पर इसे दो भागों में बाँटा गया है-
एकबीजपत्री या मोनोकॉटिलीडन्स – बीजों में केवल एक ही बीजपत्र मौजूद रहता है। इसीलिये इन्हें एकबीजपत्री कहते हैं। इसमें पतली पत्ती पर शिराविन्यास समानान्तर होता है। इनके संवहन बंडल ( जाइलम एवं फ्लोएम) फैले हुये रहते हैं। इनमें रेशेदार जड़तंत्र होता है। उदाहरण- धान, बाँस, घास, गेहूँ, नारियल, ईख, तार इत्यादि ।
द्विबीजपत्री या डाइकॉटिलीडन्स – द्विबीजपत्री बीजों में दो बीजपत्र मौजूद होते हैं। इसलिये इन्हें द्विबीजपत्री भी कहते हैं । इनकी पत्तियों में जालिकावत शिराविन्यास रहता है। इनमें पाया जानेवाला संवहन बण्डल वलयाकार रूप में रहता है। इनका जड़तंत्र अधिमूल एवं इसकी शाखाओं के साथ फैला रहता है। उदाहरण – आम, बरगद, कटहल, लीची आदि के वृक्ष ।
6. जंतु जगत के प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें
उत्तर- जन्तु जगत की प्रमुख विशेषतायें निम्नलिखित हैं-
(i) ये बहुकोशिकीय (Multicellular) तथा यूकैरियोटी (Eukaryote) होते हैं।
(ii) जन्तु परपोषी या विषमपोषी होते हैं अर्थात् क्लोरोफिल अनुपस्थित रहने के कारण जन्तु अपने भोजन का संश्लेषण स्वयं नहीं करते हैं। बल्कि भोजन के लिये ये अन्य जीवों (पौधों एवं जन्तुओं) पर निर्भर होते हैं। आवश्यकता से अधिक मात्रा में ग्रहण किये गये भोज्य पदार्थ जैसे कार्बोहाइड्रेट का संचय ये ग्लाइकोजन के रूप में करते हैं।
(iii) इनका शरीर द्विस्तरीय या डिप्लोब्लास्टिक अथवा त्रिस्तरीय या ट्रिप्लोब्लास्टिक होता है । जन्तुओं का शरीर जब दो जनन- स्तरों एक्टोडर्म तथा एंडोडर्म का बना होता है तब वे द्विस्तरीय परन्तु वैसे जन्तु जिनके शरीर के निर्माण में इन दो जनन स्तरों अतिरिक्त तीसरा जनन-स्तर मिसोडर्म भी सम्मिलित होता है, ट्रिप्लोब्लास्टिक कहलाते हैं।
(iv) जन्तु प्राय: चलायमान होते हैं।
(v) शरीर का आकार निम्नलिखित प्रकार का हो सकता है-
(a) द्विपार्श्व सममित (b) अरीय सममित (c) असममित ।
(vi) वास्तविक देहगुहा या सीलोम मौजूद हो भी सकता है या नहीं भी । शरीर की दीवार और आहारनाल के बीच की जगह को देहगुहा कहते हैं। जब इस देहगुहा के चारों ओर भ्रूण के मेसोडर्म की एक परत होती है तब देहगुहा को सीलोम कहते हैं।
(vii) बाह्यकंकाल अथवा अंत: कंकाल का होना या नहीं होना ।
(viii) उपांगों का पाया जाना या नहीं पाया जाना । उपांग संधित अथवा असधित हो सकते हैं।
(ix) नोटोकॉर्ड एवं आहारनाल का पाया जाना अथवा नहीं पाया जाना ।
(x) उच्च कोटि के जन्तुओं में तंत्रिका तंत्र तथा पेशीतंत्र पाये जाते हैं। जन्तु कहलाते हैं।
7. वर्ग एंफिबिया के विशेषताओं का उदाहरण सहित वर्णन करें। ये उभयचर क्यों कहलाते हैं?
उत्तर – वर्ग एंफिबिया की विशेषतायें ये हैं-
(i) यह अनियततापी या शीतरक्तीय जन्तु है।
(ii) इनकी त्वचा ग्रंथिमय होती है। त्वचा पर शल्क नहीं होते हैं।
(iii) श्वसन त्वचा गिल्स और फेफड़े द्वारा होता है।
(iv) अंत: कंकाल अस्थि का बना होता है।
(v) हृदय में तीन कक्ष या वेश्म दो अलिंद एवं एक निलय होते हैं। लाल रुधिरकण केंद्रकयुक्त होता है।
(vi) मूलाशय और मूत्रजननवाहिनी क्लोएका में खुलते हैं।
(vii) बाह्य निषेचन होता है।
(vii) परिवर्धन के समय टैडपोल लार्वा बनता है जो कायांतरण के पश्चात शिशु बनता है। उदाहरण- मेढ़क, टोड, धात्री दादुर, हायला, नेक्ट्यूरस, सैलामेंडर इत्यादि ।
ये उभयचर इसलिये कहलाते हैं कि ये जल और स्थल दोनों पर निवास करने में सक्षम होते हैं।
8. वर्ग मैमेलिया के लक्षणों का वर्णन करें। इस वर्ग के कुछ जन्तुओं के नाम लिखें।
उत्तर- वर्ग मैमेलिया के लक्षण निम्नलिखित हैं-
(i) ये नियततापी होते हैं।
(ii) त्वचा बाल या रोम से ढंका रहता है।
(iii) बाह्य कर्ण उपस्थित है।
(iv) इनमें स्तन पाये जाते हैं। स्तन में नवजात के पोषण के लिये दुग्ध ग्रंथियाँ पायी जाती हैं।
(v) श्वसन फेफड़े द्वारा होता है।
(vi) हृदय में चार कोष्ठ होते हैं। लाल रुधिरकण केंद्रकहीन होता है।
(vii) इनमें अन्त:निषेचन होता है। मादा शिशुओं को जन्म देती है। हालाँकि स्तनी का एक वर्ग अण्डे भी देते हैं (जैसे इकिइना) तथा एक वर्ग अविकसित शिशु को जन्म देते हैं (जैसे कंगारू ) । कंगारू में अविकसित शिशु प्रारंभ में उदर के नीचे स्थित मासूपिया नामक थैली में रहते हैं जहाँ ये दुग्ध ग्रंथि से पोषण प्राप्त करते हैं। इस वर्ग के कुछ जन्तु इस प्रकार हैं- बतखचोंचा, कंगारू, चमगादड़, गिलहरी, खरहा, चूहा, कुत्ता, मैकाक, शेर, हाथी, मनुष्य इत्यादि ।
9. वर्ग एवी विशेषताओं का उल्लेख करें। इनके शरीर के कौन से अंग पंखों में रूपांतरित होते हैं।
उत्तर- एवीज की विशेषतायें इस प्रकार हैं-
(i) इस वर्ग के अन्तर्गत पक्षी आते हैं।
(ii) ये नियततापी जन्तु हैं अर्थात इनके शरीर के तापक्रम में वातावरण के तापक्रम के अनुसार परिवर्तन नहीं होता है। ये उड्डयनशील जन्तु हैं।
(iii) शरीर परों से ढंका रहता है।
(iv) जबड़ों में दाँत नहीं होते हैं।
(v) श्वसन फेफड़ों द्वारा होता है।
(vi) हृदय चार वेश्मों में बँटा होता है।
(vii) कंकाल स्पंजी तथा हल्का होता है।
(viii) ये अण्डज होते हैं अर्थात् अण्डे देनेवाले जन्तु हैं। इनके अण्डे कठोर कवच से घिरे होते हैं । एवीज के अग्रपाद पंखों में रूपान्तरित हो जाते हैं। जो जुड़ने में मदद करते हैं।