वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. वाहक (रेडियो) तरंगों पर किसी सूचना के अध्यारोपण की प्रक्रिया का नाम है
(A) प्रेषण
(B) मॉड्यूलेशन
(C) डिमॉड्यूलेशन
(D) ग्रहण
Answer ⇒ (B)
2. उपग्रह संचारण में विद्युत चुम्बकीय तरंग का कौन सा भाग प्रयुक्त होता है:
(A) प्रकाश तरंगें
(B) रेडियो तरंगे
(C) गामा किरणें
(D) सूक्ष्म तरंगें
Answer ⇒ (D)
3. रेडियो एवं टेलिविजन प्रसारण में सूचना संकेत का रूप होता हैः
(A) डिजिटल सिग्नल
(B) डिजिटल सिग्नल एवं एनालॉग सिग्नल
(C) एनालॉग सिग्नल
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (C)
4. ‘h‘ऊंचाई के एंटीना से टी०वी० संकेत अधिकतम दूरी तक प्राप्त किये जा सकते हैं वह है:
(A) √2 hR
(B) h√2 R
(C) R√2h
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (A)
5. टेलीविजन संचारण में आमतौर से उपयुक्त आवृत्ति परास है:
(A) 30-300 MHz
(B) 30-300 GHz
(C) 30-300 KHz
(D) 30-300 Hz
Answer ⇒ (A)
6. दूर तक रेडियो प्रसारण में शार्टवेव बैण्ड का उपयोग होता है क्योंकि :
(A) आयन मंडल द्वारा शार्टवेव बैण्ड परावर्तित हो जाता है।
(B) आयन मंडल द्वारा शार्टवेव बैण्ड संचारित हो जाता है।
(C) आयन मंडल द्वारा शार्टवेव बैण्ड अवशोषित हो जाता है।
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (A)
7. आयाम माडुलेसन में माडुलेसन सूचकांक –
(A) हमेशा शून्य होता है
(B) 1 और ∞ के बीच होता है
(C) 0 और 1 के बीच होता है
(D) 0.5 से अधिक नहीं हो सकता है
Answer ⇒ (C)
8. वाहक तरंगों पर किसी सूचना के अध्यारोपन की प्रक्रिया को कहते हैं –
(A) प्रेषण
(B) मॉडुलन
(C) विमॉडुलन
(D) ग्रहण
Answer ⇒ (B)
9. जिस मॉडुलन में वाही तरंग की आवृत्ति को मॉडुलन किए जाने वाले संकेत के तात्क्षणिक मान के साथ परिवर्तित कराया जाता है उसे कहते हैं –
(A) आवृत्ति मॉडुलन
(B) आयाम मॉडुलन
(C) कला मॉडुलन
(D) स्पंद मॉडुलन
Answer ⇒ (A)
10. मॉडुलन के विपरीत प्रक्रिया को कहते हैं –
(A) विमॉडुलन
(B) प्रेषण
(C) रीमोट रेसिंग
(D) फैक्स
Answer ⇒ (A)
11. लंबी दूरी तक रेडियो प्रसारण के लिए निम्नलिखित में से मुख्यतः किसका उपयोग किया जाता है ?
(A) भू-तरंगों का
(B) दृष्टि तरंगों का
(C) आयन मंडलीय तरंगों का
(D) उपग्रह संचार का
Answer ⇒ (C)
12. पृथ्वी के किसी स्थान पर एक TV प्रेषण टॉवर की ऊँचाई 245 मीटर है। जितनी अधिकतम दूरी तक इस टॉवर का प्रसारण पहुँचेगा, वह है –
(A) 245 मीटर
(B) 245 कि०मी०
(C) 56 कि०मी०
(D) 112 कि०मी०
Answer ⇒ (C)
13. TV प्रसारण के लिए जिस आवृत्ति-परास का उपयोग होता है, वह है –
(A) 30 – 300 Hz
(B) 30-300 KHz
(C) 30-300 MHz
(D) 30-300 GHz
Answer ⇒ (C)
14. समाक्ष केबल का अभिलाक्षणिक प्रतिबाधा लगभग होता है –
(A) 50 Ω
(B) 200Ω
(C) 270Ω
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (C)
15. नियत आयाम का रेडियो तरंग निम्न में किससे उत्पादित होता है ?
(A) फिल्टर
(B) दिष्टकारी
(C) FET
(D) दोलित्र
Answer ⇒ (D)
16. प्रकाशीक तंतु का सिद्धांत है –
(A) विवर्तन
(B) व्यतिकरण
(C) पूर्ण आंतरिक परावर्तन
(D) अपवर्तन
Answer ⇒ (C)
17. आयन मंडल के लिए क्रांतिक आवृत्ति ƒcहोता है –
(A) 10(Nmax)1/2
(B) 9N2max
(C) 9N4Max
(D) 18N4max
Answer ⇒ (B)
18. 20 MHz से अधिक आवृत्तियों का संचार उपयोग होता है –
(A) आयन मंडल
(B) उपग्रह
(C) भू-तरंग
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (B)
19. वाक् सिग्नलों का आवृत्ति परास होता है –
(A) 300 हर्ट्स से 3100 हर्ट्ज
(B) 100 हर्ट्ज से 1000 हर्ट्ज
(C) 300 हर्ट्ज से 31 x 103 हर्ट्ज
(D) 30 हर्ट्ज से 300 हर्ट्स
Answer ⇒ (A)
20. संगीत के प्रेषण के लिए वाद्य यंत्रों द्वारा उच्च आवृत्तियों के स्वर उत्पन्न करने के लिए बैण्ड-चौड़ाई होती है –
(A) 20 हर्ट्ज
(B) 20 किलो हर्ट्ज
(C) 20 x 104 हर्ट्ज
(D) 200 हर्ट्ज
Answer ⇒ (B)
21. दृश्यों के प्रसारण के लिए विडियो सिग्नलों की बैण्ड-चौड़ाई होती है –
(A) 5.2 मेगा हर्ट्ज
(B) 52 हर्ट्ज
(C) 4.2 मेगा हल
(D) 42 हर्ट्ज
Answer ⇒ (C)
22. वैसी व्यवस्था जिसके अन्तर्गत किसी विशाल एवं जटिल नेटवर्क से संयोजित दो या अधिक कम्प्यूटरों के बीच हर प्रकार की सूचना का आदान-प्रदान एवं संचार होता है, उसे कहते हैं –
(A) ई-मेल
(B) इंटरनेट
(C) फैक्स
(D) कोरियर
Answer ⇒ (B)
23. इलेक्ट्रॉनिक साधनों का उपयोग करके इंटरनेट के उपयोग द्वारा व्यापार को प्रोन्नत करना कहलाता है-
(A) कम्प्यूटर ऑपरेटर
(B) ई-कॉमर्स
(C) ई-मेल
(D) चैटिंग
Answer ⇒ (B)
24. बादलों के द्वारा परावर्तन होता है –
(A) सूक्ष्म तरंगों का
(B) रेडियो तरंगों
(C) अवरक्त किरणों का
(D) पराबैंगनी किरणों का
Answer ⇒ (C)
25. लघु तरंगों की परास है –
(A) 30 MHz से 30 MHz
(B) 300 kHz से 3 MHz
(C) 30 kHz 300 kHz
(D) 30 MHz से 300 MHz
Answer ⇒ (A)
26. तनुकरण (Attenuation) का मापन किया जाता है –
(A) डेसीबल
(B) ओम
(C) साइमन
(D) म्हो
Answer ⇒ (A)
27. किसी डिस्क में 2 प्लेटे हैं। प्रत्येक सैक्टर में 256 बाइट्स हैं, प्रत्येक पृष्ठ में 256 सेक्टर तथा 2560 ट्रेक्स हैं। डिस्क पैक की क्षमता है –
(A) 2560 यूनिट
(B) 2560 x 256 यूनिट
(C) 2560 x 256 x 256 x 2 यूनिट
(D) 2560 x 2 x 256 / 256 यूनिट 256
Answer ⇒ (C)
28. UHF की परास है :
(A) 300 MHz से 3000 MHz
(B) 3000 से 300000 MHz
(C) 3 MHz से 30 MHz
(D) 300 KHz से 3 MHz
Answer ⇒ (A)
29. BER का क्या अर्थ है ?
(A) बीट इफिसिएंसी अनुपात
(B) बीट त्रुटि अनुपात
(C) बैंड इफिसिएंसी अनुपात
(D) बीट त्रुटि दर
Answer ⇒ (B)
30. भू तरंग संचरण की प्रमाणिक आवृत्ति परास है
(A) ≤ 5 MHz
(B) ≤ 3 MHz
(C) ≤ 1 MHz
(D) ≤ 1.5 KHz
Answer ⇒ (C)
31. मॉडुलन का सही जोड़ा चुनें –
(a) आयाम मॉडुलन | (i) आयाम : मॉडुलक संकेत |
(b) आवृत्ति मॉडुलन | (ii) आरंभिक कला : मॉडुलक संकेत |
(c) कला मॉडुलन | (iii) आवृत्ति मॉडुलक संकेत |
(d) पल्स मॉडुलन | (iv) पल्स स्थिति : मॉडुलक संकेत |
(A) (a)→ (i), (b)→ (ii), (d)→ (iii), (c)→ (iv)
(B) (a)→ (i), (b) → (iii), (c) → (ii), (d) → (iv)
(C) (d) → (i), (c)→ (ii), (b)→ (iii), (a)→ (iv)
(D) (b)→ (i), (a)→ (ii), (d)→ (iii), (c)→ (iv)
Answer ⇒ (B)
32. स्काई वेब संचार आधारित है –
(A) आयनमंडल द्वारा परावर्तन पर
(B) आयनमंडल द्वारा अवशोषण पर
(C) आयनमंडल में संचरण पर
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (C)
33. रेडियो तरंगों का परावर्तन होता है –
(A) आयनोस्फियर से
(B) स्ट्रेटोस्फियर से
(C) ट्रोपोस्फियर से
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (A)
34. मॉडुलन कितने प्रकार का होता है ?
(A) 2 प्रकार
(B) 3 प्रकार
(C) 4 प्रकार
(D) 5 प्रकार
Answer ⇒ (D)
35. संचार उपग्रह का आवर्तकाल है –
(A) 1 वर्ष
(B) 24 घंटे
(C) 27.3 घंटे
(D) कोई निश्चित नहीं
Answer ⇒ (B)
36. डिजिटल संकेत में सम्भव है –
(A) 0 तथा 1
(B) सभी मान
(C) 0 तथा 1 के बीच का सभी मान
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (A)
37. आंकिक द्वारक (NA) का सही सूत्र है-
( जहाँ, μ1 प्रकाशीय तंतु के कोर का अपवर्तनांक तथा μ2 क्लैडिंग का अपवर्तनांक है )
(A) NA =
(B) NA =
(C) NA =
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (A)
38. राडार तथा दूर संचार में किस विद्युत्-चुम्बकीय तरंग का उपयोग होता है ?
(A) माइक्रो तरंगें
(B) रेडियो तरंगें
(C) अवरक्त विकिरण
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (A)
39. किस स्थिति में प्रकाशीय तंतु संचरण में प्रकाश की किरणों का बार-बार पूर्ण आन्तरिक परावर्तन होता है –
(A) आपतन कोण > क्रान्तिक कोण
(B) आपतन कोण = क्रान्तिक कोण
(C) आपतन कोण < क्रान्तिक कोण
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (A)
40. पृथ्वी तल पर dदूरी तक टेलीविजन सिगनल प्रसारित करने के लिए प्रेषित एण्टीना की आवश्यक ऊँचाई होती है :
(A) h = d/2R
(B) h = d2/R
(C) h = d2/2R
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (C)
41. आयाम मॉडुलन सूचकांक का मान होता है
(A) हमेशा 0
(B) 1 तथा ∞ के बीच
(C) 0 तथा 1 के बीच
(D) हमेशा ∞
Answer ⇒ (C)
42. 500 Hz के श्रव्य-आवृत्ति के आयाम मॉडुलित तरंग के लिए उपयुक्त वाहक आवृत्ति होगी
(A) 50 Hz
(B) 100 Hz
(C) 500 Hz
(D) 50,000 Hz
Answer ⇒ (D)
43. मॉडुलन वह युक्ति है जिससे –
(A) एक रेडियो वाहक आवृत्ति पर जानकारी अंकित होती है
(B) दो आवृत्तियों को अलग किया जाता है
(C) वाहक से जानकारी अलग निकाली जाती है
(D) ध्वनि आवृत्ति सिंग्नल का प्रवर्धन किया जाता है
Answer ⇒ (A)
44. रेडियो तरंग का वेग होता है –
(A) 100 मी०/से०
(B) 3 x 108 मी०/से०
(C) 180 मील/घंटा
(D) 400 मील/मिनट
Answer ⇒ (B)
45. विरूपण विहीन, मॉडुलित का सर्वाधिक प्रतिशत है –
(A) 100%
(B) 75%
(C) 110%
(D) 50%
Answer ⇒ (A)
46. आयाम मॉडुलित में वाहक तरंग –
(A) का आयाम स्थिर रखा जाता है
(B) की आवृत्ति मॉडुलित वोल्टेज के अनुसार बदलती है
(C) का आयाम मॉडुलित वोल्टेज के अनुसार बदलता है
(D) का आयाम मॉडुलित आवृत्ति के अनुसार बदलता है
Answer ⇒ (C)
47. एक एकल पार्श्व बैण्ड जिसमें वाहक तरंग निरुद्ध कर आयाम मॉडुलित किया गया है, द्वि-पार्श्व बैण्ड पद्धति की तुलना में ज्यादा पसन्द की जाती है क्योंकि इसमें –
(A) कम बैण्ड-चौड़ाई की आवश्यकता है
(B) कम उपकरण का उपयोग होता है
(C) उच्च आवृत्ति बैण्ड पास फिल्टर का उपयोग
(D) ज्यादा शोर उत्पन्न होता है
Answer ⇒ (A)
48. एक सिग्नल जिसकी बैण्ड-चौड़ाई 300-3400 हर्ट्स है, 108 किलोहर्ट्स की वाहक तरंग को आयाम मॉडुलित करता है, तो आयाम मॉडुलित तरंग की बैण्ड-चौड़ाई होगी –
(A) 600 हर्ट्ज
(B) 6800 हर्ट्स
(C) 3400 हर्ट्स
(D) 108 किलो हल
Answer ⇒ (B)
49. आयाम मॉडुलित तरंग में सूचना निहित होती है –
(A) केवल वाहक तरंगों में
(B) वाहक तरंगों तथा दोनों पार्श्व बैण्डों में
(C) केवल पार्श्व बैण्डों में
(D) केवल उच्च पार्श्व बैण्डों में
Answer ⇒ (C)
50. दृश्य सिग्नल, टेलीविजन व्यवस्था में होता है –
(A) आवृत्ती मॉडुलित
(B) आयाम मॉडुलित
(C) पल्स मॉडुलित
(D) कला मॉडुलित
Answer ⇒ (B)
51. वैसी युक्ति जो मॉडुलन तथा विमॉडुलन दोनों का कार्य करता है, उसे कहते है –
(A) लेसर
(B) रडार
(C) मोडेम
(D) फैक्स
Answer ⇒ (C)
52. एक 200 किलोहर्ट्ज वाहक तरंग को 5 किलो हर्ट्स ज्या तरंग से आयाम मॉडुलित किया जाता है तो मॉडुलित तरंग में आवृत्तियाँ होंगी –
(A) 5 किलो हर्ट्ज और 200 किलो हर्ट्ज
(B) 195 किलो हर्ट्ज तथा 205 किलो हर्ट्ज
(C) 5 किलो हर्ट्ज और 195 किलो हर्ट्ज
(D) 195 किलो हर्ट्ज और 200 किलो हर्ट्ज
Answer ⇒ (D)
53. वैसी युक्ति जिसकी संक्षिप्ती बोधन “विकिरण के उद्दीपित उत्सर्जन द्वारा माइक्रो-तरंगों का प्रवर्धन” है, जिसमें समाविष्ट प्रतिलोमन की क्रिया होती है, कहा जाता है –
(A) कम्प्यूटर
(B) रडार
(C) लेसर
(D) मेसर
Answer ⇒ (D)
54. एक सिनोसाइडल आयाम मॉडुलित तरंग का मॉडुलन घटक का मान होता है
(A) ƒc/ƒm
(B) ƒm/ƒc
(C) Em/Ec
(D) Ec/Em
Answer ⇒ (D)
55. वैसी युक्ति जिससे एक तीव्र, एक वर्णी, समान्तर तथा उच्च कला-सम्बद्ध प्रकाश पुंज प्राप्त किया जाता है, उसे कहते हैं –
(A) लेसर
(B) रडार
(C) टेलीविजन
(D) कम्प्यूटर
Answer ⇒ (A)
56. आयनमंडल में उपस्थित आयन है केवल –
(A) धन आयन
(B) मुक्त पॉजिस्ट्रॉन
(C) ऋणायन
(D) मुक्त इलेक्ट्रॉन
Answer ⇒ (A)
57. आयनमंडल का व्यवहार रेडियो तरंगों हेतु होता है –
(A) विरल माध्यम
(B) संघन माध्यम
(C) मुक्त आकाश
(D) परावैद्युत माध्यम
Answer ⇒ (A)
58. संचार में संचरण केवल उन आकाशीय तरंग सिग्नल द्वारा संभव है –
(A) जिनकी लघु तरंगदैर्घ्य हो
(B) जिनकी दीर्घतरंगदैर्घ्य हो
(C) जिनकी मध्य तरंगदैर्घ्य हो
(D) जिनकी कोई भी तरंगदैर्घ्य हो
Answer ⇒ (A)
59. माइक्रो-तरंगों की आवृत्ति होती है –
(A) रेडियो आवृत्ति से अधिक
(B) रेडियो आवृत्ति से कम
(C) प्रकाश आवृत्ति से अधिक
(D) श्रव्य आवृत्ति से कम
Answer ⇒ (A)
60. भू-तरंगों का ध्रुवण होता है पृथ्वी तल के –
(A) किसी भी दिशा में
(B) 60° के कोण पर
(C) लम्बवत्
(D) समान्तर
Answer ⇒ (C)
61. प्रकाशीय संचार में प्रयुक्त तन्तुओं को कोर का अपर्वतनांक, उसको घेरने वाली परत से होता है –
(A) अधिक
(B) कम
(C) बराबर
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (A)
62. संचार तंत्र का भाग नहीं है –
(A) प्रेषण
(B) संचरण
(C) अभिग्रहण
(D) ऊर्जा
Answer ⇒ (D)
63. एनालॉग संचार तंत्र का उदाहरण नहीं है –
(A) फैक्स
(B) टेलीग्राफी
(C) राडार
(D) टेलेक्स
Answer ⇒ (A)
64. निम्नलिखित में सही अंकीय संचार की उदाहरण कौन नहीं है ?
(A) ई-मेल
(B) सेलूलर फोन
(C) टेलीविजन नेटवर्क
(D) संचार उपग्रह
Answer ⇒ (C)
65. आयाम मॉडुलन का दोष नहीं है –
(A) शोर
(B) श्रव्य गुणता में कमी
(C) दक्षता में कमी
(D) निर्गत सिग्नल चैनेल की अधिक चौड़ाई
Answer ⇒ (D)
66. अंकीय सिग्नल बनाये जाते हैं –
(A) एक-बीट शब्दों से
(B) चार-बीट शब्दों या उसके गुणज से
(C) दो-बीट शब्दों या उसके गुणज से
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (B)
67. 250 कि०मी० से 400 कि०मी० की दूरी के परत को कहते हैं –
(A) F–परत
(B) E-परत
(C) A-परत
(D) B–परत
Answer ⇒ (A)
68. भू-स्थिर उपग्रह की ऊँचाई पृथ्वी तल से है –
(A) 65930 कि०मी०
(B) 35930 कि०मी०
(C) 25930 कि०मी०
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (B)
69. प्रकाशीय तंतु संचरण में प्रकाश स्रोत के रूप में होता है –
(A) जेनर डायोड
(B) लेसर या प्रकाश उत्सर्जक डायोड
(C) फोटो डायोड
(D) सोडियम प्रकाश
Answer ⇒ (B)
70. माइक्रोफोन द्वारा होता है –
(A) विद्युत् वोल्टता का ध्वनि तरंग में परिवर्तन
(B) ध्वनि दाब का विद्युत् वोल्टता या धारा में परिवर्तन
(C) किसी वस्तु की आवर्धित चित्र की प्राप्ति
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (B)
71. ‘फैक्स’ का अर्थ है –
(A) फुल एक्सेस ट्रान्समिशन
(B) फैक्सीमाइल टेलीग्राफी
(C) फेक्च्यूअल ऑटो एक्सेस
(D) फीड ऑटो एक्सचेंज
Answer ⇒ (B)
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है ? इसकी क्या उपयोगिताएँ हैं ?
Ans⇒ ग्रीन हाउस प्रभाव सूर्य से आने वाले विद्युत् चुम्बकीय विकिरणों में से दृश्य प्रकाश के साथ केवल लघु तरंगदैर्ध्य के बहुत कम अवरक्त विकिरण ही वायुमंडल से होकर पृथ्वी तक पहुँच पाते हैं जिससे पृथ्वी गर्म हो जाती है। प्रत्येक गर्म वस्तु के अवरक्त्त विकिरण के उत्सर्जित करने के कारण पृथ्वी भी अपनी सतह से अवरक्त्त उत्सर्जित करने के कारण पृथ्वी भी अपनी सतह से अवरक्त्त विकिरण उत्सर्जित करती है। किन्तु, पृथ्वी से उत्सर्जित ये अवरक्त्त विकिरण वायुमण्डल की परतों को पार नहीं कर पाते हैं, बल्कि वायुमंडल के नीचे की परतों से ही परावर्तित होकर पृथ्वी पर वापस आ जाते हैं।
इस प्रकार, पृथ्वी तल के समीप अवरक्त विकिरण बढ़ जाते हैं तथा इस पर की वस्तुएँ इन विकिरणों को अवशोषित करके गर्म हो जाती है। इसे ग्रीन हाउस प्रभाव कहते हैं। इसी प्रकार के कारण पृथ्वी का तल गर्म बना रहता है।
2. पृथ्वी के वायुमण्डल में ओजोन परत का क्या महत्त्व है ?
Ans⇒ सूर्य से उत्सर्जित विकिरणों में पराबैंगनी विकिरण तथा एक्स-किरणें मनुष्यों एवं अन्य जीव-जन्तुओं के साथ-साथ पौधों के लिए हानिकारक होती है। पृथ्वी के वायुमण्डल की ओजोन परत इन विकिरणों को अवशोषित कर लेती है तथा उन्हें पृथ्वी पर नहीं पहँचने देती है। ।
3. आयन मंडल क्या है ? रेडियो तरंगों के प्रसारण में इसकी क्या भूमिका है ?
Ans⇒ आयन मंडल – पृथ्वी तल से लगभग 80 किलोमीटर से 300 किमी. ऊँचाई तक फैले क्षेत्र को आयन मंडल कहते हैं। जैसे-जैसे इस क्षेत्र में ऊँचाई पर जाते हैं, इसका ताप बढ़ता जाता है। इस क्षेत्र में वायुमंडल का दाब बहुत कम होता है। सूर्य से आने वाली एक्स-किरणें तथा पराबैगनी विकिरण इस क्षेत्र में अवशोषित हो जाते हैं, जिससे उपस्थित वायु का आयनीकरण हो जाता है। अतः इस क्षेत्र में मुक्त इलेक्ट्रॉन तथा धनावेशित आयन पाये जाते हैं। पृथ्वी तल से लगभग 110 किमी. ऊँचाई पर इलेक्ट्रॉन घनत्व सर्वाधिक होता है और फिर ऊँचाई बढ़ने पर इलेक्ट्रॉन घनत्व घटता जाता है।
रेडियो तरंगों के प्रसारण में आयन मंडल की भूमिका – जब पृथ्वी तल से प्रेषित रेडियो तरंगें आयन मण्डल में प्रवेश करती हैं जो इसमें उपस्थित इलेक्ट्रॉनों तथा आयनों के कारण धाराएँ उत्पन्न हो जाती हैं, फलस्वरूप माध्यम अपेक्षाकृत विरल माध्यम की तरह व्यवहार करता है। इसलिए रेडियो तरंग जब नीचे के बिना आयनित माध्यम से आयनित माध्यम में प्रवेश करती है तो अपने मार्ग से विचलित होकर आयन मंडल में आपतन बिन्दु पर खींचे गये अभिलम्ब से दूर हट जाती है। जैसे-जैसे आयन मंडल में तरंग प्रवेश करती है, माध्यम का अपवर्त्तनांक घटता है, जिससे तरंग का विचलन बढ़ता जाता है। इस प्रकार, चित्रानुसार आयन मंडल पर आपतित रेडियो तरंगों का आपतन कोण किसी विशेष कोण से अधिक होने पर तरंगें आयन मंडल की परतों द्वारा पूर्ण आन्तरिक परावर्तित हो जाती हैं।
4. पृथ्वी तल पर टेलीविजन सिगनल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक किस विधि से भेजा जाता है तथा टेलीविजन कार्यक्रम प्रसारण की आवृत्ति परास क्या है ?
Ans⇒ चित्रानुसार माना कि AB टेलीविजन सिगनल का प्रेषित एण्टीना है, जिसकी पृथ्वी तल से ऊँचाई h है। स्पष्ट है कि पृथ्वी की वक्रता त्रिज्या के कारण प्रेषित एण्टीना B से भेजे गये सिगनल पृथ्वी तल पर अधिक-से-अधिक दूर स्थित P तथा ए बिन्दुओं पर पहुंचते हैं।
माना कि पृथ्वी की त्रिज्या OP = OA = R है तथा दूरी BP = BQ = d है, तो समकोण △ OPB से हम पाते हैं कि OB2 = OP2 + PB2
या, (R+ h)2 = R2 + d2 या, R2 + d2 = 2Rh = R2 + d2
या, d2 = h2 + 2hR चूंकि h < < R, अत: d = 2hR के
5. पृथ्वी पर रेडियो तरंगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजने की कौन-कौन-सी विधियाँ हैं ? समझाएँ। प्रत्येक विधि की आवृत्ति परास लिखें।
Ans⇒ रेडियो तरंगों को पृथ्वी पर एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजने की अग्रलिखित तीन विधियाँ हैं –
1. भू-तरंग द्वारा- इस विधि में रेडियो तरंगों सीधे एक स्थान से दूसरे स्थान तक पृथ्वी के तल के अनुदिश भेजी जाती हैं। अतः यह तरंग पृथ्वी की वक्रता के कारण मुड़ सकती है। चित्रानुसार तरंग-1, भू-तरंग है। इस विधि द्वारा 1500 किलो-हर्टज से कम आवृत्ति वाली रेडियो तरंगें ही संचरित की जा सकती हैं। इसे मीडियम तरंग बैण्ड कहते हैं।
2. आकाश तरंग द्वारा – इस विधि में प्रेषित एण्टीना से रेडियो तरंगों को पृथ्वी तल से अल्प कोण बनाते हुए भेजा जाता है, जो क्षोभ मण्डल से परावर्तित होकर अभिग्राही एण्टीना पर पहुँच जाती है। इसे तरंग-2 द्वारा दिखाया गया है। इस विधि द्वारा लगभग 2000 किलो-हर्टज तक की आवृत्ति की रेडियो तरंगों को संचरित किया जा सकता है।
3. व्योम तरंग द्वारा – इस विधि में प्रेषित एण्टीना से लगभग ऊर्ध्वाधर प्रेषित तरंगें आयन मण्डल से परावर्तित होकर अभिग्राही एण्टीना पर पहुँचती हैं। इसे तरंग 3 द्वारा दर्शाया गया है। इस विधि द्वारा 1500 किलो-हर्टज से 40 मेगा हर्टज आवृत्ति वाली रेडियो तरंगें प्रसारित की जाती हैं। इसे लघु तरंग बैण्ड कहते हैं।
6. माइक्रो तरंग क्या है ? इसके प्रमुख उपयोग लिखें।
Ans⇒ माइक्रो तरंग – वे विद्युत-चुम्बकीय तरंगें जिनकी तरंगदैर्घ्य मि० मी० की कोटि के तथा आवृत्ति परास 3 x 1011 – 3 x 108 हर्टज होती हैं, माइक्रो तरंगें कहलाती हैं। इसका संसूचन क्रिस्टल संसूचक या अर्द्धचालक डायोड द्वारा होता है। इसका एक स्थान से दूसरे स्थान तक प्रसारण भू-स्थायी उपग्रह या संचार उपग्रह द्वारा किया जाता है।
उपयोग – माइक्रो तरंगों का मुख्य उपयोग रडार में दुश्मन के हवाई जहाज की स्थिति का पता लगाने के लिए किया जाता है। रडार द्वारा एक निश्चित दिशा में माइक्रो तरंगें प्रेषित की जाती हैं। ये तरंगें हवाई जहाज से परावर्तित होकर वापस उसी दिशा में लौट जाती हैं। इस प्रकर प्रेषित तथा अभिग्रहीत तरंगों का समय अन्तर ज्ञान होने पर हवाई जहाज की दूरी की गणना की जा सकती है।
7. संचार तंत्र क्या है ? समझाएँ।
Ans⇒ संचार तंत्र – सूचना प्रौद्योगिकी के विकास में संचार साधनों की भूमिका महत्त्वपूर्ण है। आज अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिक युक्तियों, संचार उपग्रहों एवं कम्प्यूटर नेटवर्क ने संचार माध्यम को इतना प्रभावी कर दिया कि विश्व के किसी भी स्थान में घटने वाली घटनाओं की क्षण-प्रतिक्षण जानकारी घर बैठे प्राप्त की जा रही है। चित्रानुसार संचार तंत्र को सामान्यतः तीन भागों में बाँटा गया है –
(a) प्रेषण (b) संचरण तथा (c) अभिग्रहण।
प्रेषित्र से ग्राही में मध्य रेडियो तथा माइक्रो (सूक्ष्म) तरंगों के संचरण द्वारा प्रकाशीय तन्तुओं द्वारा प्रकाश का संचरण होता है। इसमें आयन मण्डल की भूमिका भी महत्त्वपूर्ण है।
संचार साधनों, जैसे-टेलीफोन, रेडियो, टेलीविजन, कम्प्यूटर नेटवर्क आदि द्वारा मुख्यतः ध्वनि, संगीत, भाषण तथा दृश्य प्रसारण किया जाता है। रेडियो तरंगों द्वारा उसके सफलतापूर्वक प्रसारण हेतु मॉडुलन तथा संसूचन अभिक्रियाएँ की जाती हैं। मॉडुलन में निम्न आवृत्ति की श्रव्य तरंगों को उच्च आवृत्ति की वाहक या रेडियो तरंगों के साथ मिश्रित कर उच्च आवृत्ति की परिणामी तरंग प्रेषी केन्द्र पर किया जाता है। संसूचन में मॉडुलित तरंगों में से श्रव्य तरंगों को ग्राही केन्द्र में वाहक तरंगों से अलग किया जाता हैं।
8. मॉडुलन क्या है ? इसकी क्या आवश्यकताएँ हैं ?
Ans⇒ मॉडुलन – यह वह प्रक्रिया है जिसमें निम्न आवृत्ति की श्रव्य तरंगों को उच्च आवृत्ति की वाहक या रेडियो तरंगों के साथ मिश्रित किया जाता है। इससे प्राप्त उच्च आवृत्ति की परिणामी तरंग को मॉडुलित तरंग कहते हैं। इसका कार्य प्रेषी केन्द्र पर किया जाता है।
आवश्यकताएँ – लम्बी दूरियों तक प्रसारण के लिए माइक्रोफोन द्वारा रूपान्तरित श्रव्य आवृत्ति विद्युत चुम्बकीय तरंगों पर उच्च आवृत्ति की वाहक तरंगों का अध्यारोपण कर मॉडुलित तरंग प्राप्त करना अर्थात् मॉडुलन की प्रक्रिया आवश्यक होती है।
मॉडुलन की आवश्यकताओं के निम्नलिखित कारण हैं –
(a) श्रव्य तरंगों की आवृत्ति बहुत कम होती है, अतः इसमें बहुत कम ऊर्जा होती है। वायुमंडल में ऊर्जा ह्रास के कारण आयाम घटता जाता है तथा कुछ दूरी के बाद आयाम के शून्य हो जाने पर तरंगें समाप्त हो जाती हैं।
(b) श्रव्य आवृत्ति की विद्युत चुम्बकीय तरंगों को सीधे ट्रान्समीटर से प्रसारित करने पर अध्यारोपण से वे निष्प्रभावी होते हैं।
(c) श्रव्य आवृत्ति की विद्युत चुम्बकीय तरंगों को प्रसारित करने के लिए ऐण्टीना की लम्बाई 1.5 x 107 मी. से 1.5 x 104 मीटर की कोटि की होनी चाहिए जो कि असंभव है।
इसलिए श्रव्य आवृत्ति तरंगों में उच्च आवृत्ति की वाहक तरंगों का अध्यारोपण करने से प्राप्त मॉडुलित तरंगों के प्रेषण के लिए आवश्यक ऐण्टीना की लम्बाई भी कम होती है, जिसे व्यावहारिक रूप में प्राप्त किया जा सकता है। फलस्वरूप ये तरंगें ज्यादा दूरियों तक प्रसारित की जा सकती हैं।
9. संचार व्यवस्था में सिगनलों की बैंड चौड़ाई का वर्णन करें।
Ans⇒ सिगनल की संचार प्रक्रिया को जिस प्रकार की संचार व्यवस्था चाहिए वह उस आवृत्ति बैंड पर निर्भर करती है जो उसके लिए आवश्यक माना जाता है।
वाक् सिगनलों के लिए 300 Hz से 3100 Hz का आवृत्ति परास उपयुक्त माना जाता है अतः वाक सिगनलों को व्यापारिक टेलीफोन संचार के लिए 2800 Hz (3100 Hz – 300 Hz) बैंड चौड़ाई चाहिए। संगीत के प्रेषण के लिए वाद्य यंत्रों द्वारा उच्च आवृत्तियों के स्वर उत्पन्न करने के कारण, लगभग 20 KHz की बैंड चौड़ाई की आवश्यकता होती है।
दृश्यों के प्रसारण (प्रेषण) के लिए वीडियो सिगनलों को 4.2 MHz बैंड चौड़ाई की आवश्यकता होती है। TV सिगनलों में दृश्य तथा श्रव्य दोनों अवयव होते हैं तथा उनके प्रेषण के लिए प्रायः 6 MHz बैड चौड़ाई आवंटित की जाती है।
10. ऐंटीना अथवा ऐरियल के साइज से क्या समझते हैं ?
Ans⇒ किसी सिगनल को प्रेषित करने के लिए हमें किसी ऐंटीना या एरियल की आवश्यकता होती है। कोई ऐंटीना उस सिगनल में समय के साथ होने वाले परिवर्तन उचित रूप से संवेदन कर सके, इसके लिए यह आवश्यक है कि उस ऐंटीना का साइज उस सिगनल से संबद्ध तरंगदैर्घ्य (λ) के तुलनीय हो। 20 KHz आवृत्ति की किसी वैद्युत चुम्बकीय तरंग की तरंगदैर्घ्य λ = 15 km होती है। इस लंबाई के तुलनीय साइज का ऐंटीना निर्मित करना तथा प्रचलित करना संभव नहीं है। अतः ऐसे आधार बैंड सिगनलों का सीधा प्रेषण व्यावहारिक नहीं है। यदि प्रेषण आवृत्ति उच्च (v = 1 MHz, λ = 300 m) हो, तो उपयुक्त लंबाई के ऐंटीना द्वारा प्रेषण संभव हो सकता है। अतः हमारे न्यून आवृत्ति आधार बैंड सिगनल में निहित सूचना को किसी उच्च रेडियो आवृत्तियों में प्रेषण से पूर्व रूपान्तरित करने की आवश्यकता होती है।
11. किसी ऐंटीना द्वारा प्रभावी शक्ति विकिरण से क्या समझते हैं ?
Ans⇒ किसी रेखीय ऐंटीना (लंबाई 1) द्वारा विकिरित शक्ति 1/λ2 के अनुक्रमानुपाती होती है। ऐंटीना की समान लंबाई के लिए, तरंगदैर्घ्य 2 के घटने पर विकरित शक्ति में वृद्धि हो जाती है। अतः किसी अच्छे प्रेषण के लिए हमें उच्च शक्ति चाहिए।
12. आकाश तरंग से क्या समझते हैं ? इसका वर्णन करें।
Ans⇒ आकाश तरंगों द्वारा प्रसारण रेडियो तरंगों के प्रसारण का एक अन्य ढंग है। आकाश तरंग, प्रेषण-ऐंटीना से अभिग्राही-ऐंटीना तक सरल रेखीय पथ पर गमन करती है। आकाश तरंगों का उपयोग दृष्टिरेखीय रेडियो संचरण (Line of Sight-LOS) के साथ-ही-साथ उपग्रह संचार में भी किया जाता है। 40 MHz से अधिक आवृत्तियों पर संचार केवल दृष्टिरेखीय (LOS) रेडियो संचरण द्वारा ही संभव है। इन आवृत्तियों पर ऐंटीना का साइज अपेक्षाकत छोटा होता है तथा इसे पृथ्वी के पृष्ठ से कई तरंगदैर्घ्य की ऊँचाई पर स्थापित किया जाता है। पृथ्वी की वक्रता के कारण सीधी तरंगें किसी बिन्दु पर अवरोधित हो जाती हैं।
यदि प्रेषक एंटीना hr ऊँचाई पर है तो क्षितिज की दूरी r का मान dT = होगा, जहाँ R पृथ्वी की त्रिज्या है | dT को प्रेषक ऐंटीना का रेडियो क्षितिज भी कहते हैं। पृथ्वी के पृष्ठ से hT तथा hg ऊँचाई वाले दो ऐंटीना के बीच की अधिकतम दृष्टिरेखीय दूरी
dM =
जहाँ hR अभिग्राही ऐंटीना की ऊँचाई है।
13. लेजर किरणों की चार प्रमुख विशेषताएँ लिखें।
Ans⇒ लेजर किरणों के चार मुख्य विशेषताएँ निम्न हैं –
(i) प्रत्येक लेजर का विकिरण अत्यधिक तीक्ष्ण एवं दैशिक होता है।
(ii) प्रत्येक लेजर में एक एक्टिव पदार्थ का उपयोग होता है जो ऊर्जा को प्रकाश ऊर्जा में बदल देता है।
(iii) प्रत्येक लेजर में एक पम्पिंग स्रोत होता है जो ऊर्जा को पावर देता है।
(iv) प्रत्येक लेजर अम्पलीफाई होनेवाले प्रकाश बीम को एक्टिव मैटेरियल से होकर भेजते हैं।
14. मॉडुलन को परिभाषित करें। इसके प्रकारों को लिखें।
Ans⇒ निम्न आवृत्ति के मूल सिग्नलों को अधिक दूरियों तक प्रेषित नहीं किया जा सकता। इसलिए प्रेषित पर, निम्न आवृत्ति के संदेश सिग्नलों की सूचनाओं को किसी उच्च आवृत्ति की तरंग पर अध्यारोपित किया जाता है जो सूचना के वाहक (corrier) की भाँति व्यवहार करती है। इस प्रक्रिया को मॉडुलन कहते हैं। इसके तीन प्रकार हैं- (i) आयाम मॉडुलन (ii) कला मॉडुलन (iii) आवृत्ति मॉडुलन।
15. संचार प्रणाली में संचरण के लिए प्रयुक्त तीन विभिन्न विधाओं का उल्लेख कीजिए।
Ans⇒ संचार प्रणाली में संचरण के लिए प्रयुक्त तीन विधाएँ निम्न हैं –
(i) Transmitter : इसके द्वारा विभिन्न प्रकार के Message को अलग-अलग आवृत्ति पर universal में छोड़ा जाता है तथा ये निश्चित Channel के द्वारा प्रसारित किया जाता है।
(ii) Communication channel : अलग-अलग Communication channel को एक निश्चित आवृत्ति के range को दिया जाता है, जिसके सहारे वे किसी message को प्रसारित करने का काम करता है।
(iii) Receiver : यह आकाश में छोड़े गए message को signal के रूप पकड़कर हमलोगों को message देने का काम करता है।
16. टी०वी० संकेत के प्रेषण सीमा को बढ़ाने के लिए किन्हीं दो बिन्दुओं को व्यक्त करें।
Ans⇒ अत्यधिक उच्च आवृत्ति के वाहक तरंगें एवं मॉडुलेशन की सहायता से।
17. एनालॉग तथा डिजिटल सिग्नल से आप क्या समझते हैं ?
Ans⇒ ऐसा current या voltage सिग्नल जो सतत् तथा समय के साथ परिवर्तनशील हो analog signal कहा जाता है। ऐसा Signal प्रस्तुत करने वाले परिपथ को analog electronic circuit कहा जाता है।
ऐसे signal जिनके दो level of current voltage (0 and 1) को digital signal कहा जाता है। इस इलेक्ट्रॉनिक परिपथ में जिससे धारा तथा वोल्टेज के दो ही signal (on या off) होता है। इस परिपथ द्विआधारी संख्याओं के प्रयोग से सम्पन्न होता है। 0 या 5 V को क्रमशः O तथा 1 से सचित किया जाता है। अतः इस परिपथ में input या output में ही मान संभव है या तो O या 1.
18. निम्न की व्याख्या करें – (i) www (ii) Fax
Ans⇒ (i) www – वर्ल्ड वाइड वेभ।।
(ii) Fax – टेलीफोन लाइन के माध्यम से दूरस्थ स्थान पर डॉक्युमेन्ट का इलेक्ट्रॉनिक प्रेषण Fax कहलाता है।