वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. जब किसी कुंडली के निकट किसी चुम्बक का दक्षिणी ध्रुव दूर ले जाया जाता है तब उसमें उत्पन्न प्रेरित विद्यत धारा की दिशा होती है :
(A) वामावर्त्त
(B) दक्षिणावर्त
(C) कभी वामावर्त्त कभी दक्षिणावर्त्त
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (A)
2. एक चुम्बक एक बंद चालक के निकट स्थित है। चालक में धारा उत्पन्न की जा सकती है। यदि :
(A) केवल चुम्बक गतिशील हो
(B) केवल चालक गतिशील हो ।
(C) चुम्बक और चालक दोनों गतिशील हों
(D) चालक और चुम्बक के बीच आपेक्षिक गति हो
Answer ⇒ (D)
3. प्रेरण कुंडली से प्राप्त होता है :
(A) उच्च धारा, प्रबल विद्युत वाहक बल
(B) निम्न धारा, प्रबल विद्युत वाहक बल
(C) प्रबल धारा, निम्न विद्युत वाहक बल
(D) निम्न धारा, निम्न विद्युत वाहक बल
Answer ⇒ (B)
4. छड़ में प्रेरित विद्युत वाहक बल का मान होगा :
(A) BLV
(B) B2L2V
(C) शून्य
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (A)
5. चौक कण्डली प्रेरकत्व 5H है। इसमें बहती धारा 2AS-1 की दर से बढ़ रही है। प्रेरित विद्युत वाहक बल होगा :
(A) 10 V
(B) -10 V
(C) 2.5 V
(D) 5 V
Answer ⇒ (B)
6. अन्योन्य प्रेरण (mutual induction) का S.I. मात्रक है –
(A) हेनरी
(B) ओम
(C) टेसला
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (A)
7. निम्न में से कौन-सा नियम ऊर्जा संरक्षण के नियम पर आधारित है ?
(A) लेंज नियम
(B) फैराडे का विद्युत विच्छेदन नियम
(C) एम्पियर का नियम
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (A)
8. चुम्बकीय फ्लक्स का SI मात्रक नहीं है
(A) Tm2
(B) Wb
(C) volts
(D) H
Answer ⇒ (D)
9. चम्बकीय प्रेरण के समय के साथ बदलने से किसी बिन्दु पर उत्पन्न होता है
(A) गुरुत्वीय क्षेत्र
(B) चुम्बकीय क्षेत्र
(C) वैद्युत क्षेत्र
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (C)
10. ट्रांसफॉर्मर कार्य करता है
(A) केवल d.c.
(B) केवल a.c.
(C) a.c. और d.c. दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (A)
11. ट्रांसफॉर्मर का क्रोड बनाने के लिए सबसे उपयुक्त पदार्थ निम्नलिखित में से कौन है ?
(A) मुलाइम इस्पात
(B) ताँबा
(C) स्टेनलेस स्टील
(D) अलनीको
Answer ⇒ (A)
12. तप्त तार ऐमीटर मापता है प्रत्यावर्ती धारा का
(A) उच्चतम मान
(B) औसत मान
(C) मूल औसत वर्ग धारा
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (B)
13. किसी उच्चायी (step-up) ट्रांसफॉर्मर के प्राइमरी और सेकंडरी में क्रमश: N1 और N2 लपेट हैं, तब
(A) N1 > N2
(B) N2 > N1
(C) N1 = N2
(D) N1 = 0
Answer ⇒ (B)
14. उदग्र तल में चालक तार की वृत्ताकार कुंडली रखी हुई है। इसकी ओर एक छड़ चुम्बक लाया जा रहा है। चुम्बक का उत्तरी ध्रुव कुंडली की ओर है। चुम्बक की तरफ से देखने पर कंडली में प्रवाहित विद्युत धारा की दिशा होगी –
(A) वामावर्त
(B) दक्षिणावर्त
(C) पहले वामावर्त पुनः दक्षिणावर्त
(D) पहले दक्षिणावर्त पुनः वामावर्त
Answer ⇒ (A)
15. एक सीधा चालक छड़ पूर्व-पश्चिम की ओर क्षैतिज स्थिर रखा गया है। इसे गिरने को के लिए छोड़ दिया जाता है। इसके सिरों के बीच विभवान्तर
(A) शून्य रहेगा
(B) बढ़ता जायेगा
(C) घटता जायेगा
(D) की दिशा बदलती रहेगी
Answer ⇒ (B)
16. यदि डेनियल सेल को प्राथमिक कुण्डली के सिरों के बीच जोड़ दें तो फ्लक्स में परिवर्तन होगा –
(A) 10 वेबर
(B) 20 वेबर
(C) शून्य
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (C)
17. किसी परिपथ में 0.1s में धारा 5.0A से शुन्य तक गिरती है। यदि औसत विद्युतवाहक बल 200V प्रेरित हो तो परिपथ का स्वप्रेरकत्व होगा-
(A) 4 H
(B) 3 H
(C) 4 mH
(D) 3 mH
Answer ⇒ (A)
18. पास-पास रखी कुण्डलियों के एक युग्म का अन्योन्य प्रेरकत्व 1.5 H है। इनमें एक कुण्डली में वैद्युत धारा शून्य से बढ़ते हुए 0.5s में 20A हो जाती है तो दूसरी कुण्डली से चुम्बकीय फ्लक्स बंधता में परिवर्तन है –
(A) 4 H
(B) 30 Wb
(C) 3.125V
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (B)
19. चित्र में सीधी तार में प्रवाहित धारा I = 50A है तथा लूप का वेग v = 10ms-1 दायीं ओर है। जब x = 0.2m है तो लूप में प्रेरित विद्युतवाहक बल का परिमाण है
(A) 1.7 x 10-5V
(B) 6.5 V
(C) 2.2 v
(D) शून्य
Answer ⇒ (A)
20. जब एक चुंबकीय क्षेत्र में धातु का गोला गतिमान कराया जाता है, तब यह गर्म हो जाता है, क्योंकि
(A) प्रत्यावर्ती धारा उत्पन्न होती है
(B) दिष्ट धारा उत्पन्न होती है।
(C) भँवर-धारा उत्पन्न होती है
(D) अतिरिक्त धारा उत्पन्न होती है
Answer ⇒ (C)
21. क्या प्रेरित धारा और प्रेरित आवेश कण्डली के प्रतिरोध पर निर्भर करते हैं –
(A) हाँ
(B) नहीं
(C) दोनों में एक
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (A)
22. प्रेरण कुण्डली जनित्र (Induction coil generator) होती है
(A) प्रबल धारा
(B) उच्च वोल्टता
(C) अल्प-धारा
(D) अल्प वोल्टता
Answer ⇒ (B)
23. यदि dA क्षेत्र पर डाला गया लम्ब चुम्बकीय क्षेत्र के साथ θ कोण बनाता हो तब dA क्षेत्र पर चुम्बकीय फ्लक्स होगा –
(A) BdA cos θ
(B) B.dA.cosθ
(C) B . dA
(D) शून्य
Answer ⇒ (A)
24. यदि dA क्षेत्रफल सदिश पर चुम्बकीय क्षेत्र B लम्बवत् हो, तब dA क्षेत्र पर चुम्बकीय फ्लक्स होगा –
(A) BdA cosθ
(B) B.dA.cosθ
(C) B.dA
(D) शून्य
Answer ⇒ (D)
25. चुम्बकीय फ्लक्स का S.I. मात्रक है –
(A) वेबर
(B) वेबर x मीटर
(C) वेबर/मीटर2
(D) टेसला
Answer ⇒ (A)
26. विद्युत्-चुम्बकीय प्रेरण की घटना खोजी गई थी –
(A) फैराडे द्वारा
(B) फ्लेमिंग द्वारा
(C) लेंज द्वारा
(D) रूमकॉर्फ द्वारा
Answer ⇒ (A)
27. एक चुम्बक, एक बन्द चालक के निकट स्थित है। चालक में धारा उत्पन्न की जा सकती है यदि-
(A) केवल चुम्बक गतिशील हो
(B) केवल चालक गतिशील हो
(C) चुम्बक और चालक दोनों गतिशील हों
(D) चालक और चुम्बक के बीच आपेक्षिक गति हो
Answer ⇒ (D)
28. किसी बन्द परिपथ का प्रतिरोध 10 ओम है। इस परिपथ से t समय (सेकेण्ड) में, चुम्बकीय फ्लक्स (वेबर में) Φ = 6t2 – 5t+1 से परिवर्तित होता है। t= 0.25 सेकेण्ड पर परिपथ में प्रवाहित धारा (एम्पियर में) होगी –
(A) 0.4
(B) 0.2
(C) 2.0
(D) 4.0
Answer ⇒ (B)
29. लेंज का नियम सम्बद्ध है
(A) आवेश से
(B) द्रव्यमान से
(D) संवेग के संरक्षण सिद्धान्त से
Answer ⇒ (C)
30. स्व प्रेरकत्व का S.I. मात्रक है –
(A) कूलम्ब (C)
(B) वोल्ट (V)
(C) ओम (Ω)
(D) हेनरी (H)
Answer ⇒ (D)
31. एक कुण्डली का स्व प्रेरण गुणांक 5 mH है। यदि इस कुण्डली से 2A की धारा प्रवाहित की जाय तब उस कुण्डली से चुम्बकीय फ्लक्स होगा –
(A) 1 Wb
(B) 0.1 Wb
(C) 0.01 Wb
(D) 0.001 Wb
Answer ⇒ (C)
32. प्रेरण कुण्डली से प्राप्त होता है
(A) उच्च धारा पर प्रबल वि०वा० बल
(B) निम्न धारा पर प्रबल वि०वा० बल
(C) प्रबल धारा पर निम्न वि०वा० बल
(D) निम्न धारा पर निम्न वि०वा० बल
Answer ⇒ (B)
33. प्रेरण कुण्डली का व्यवहार किया जाता है
(A) प्रतिरोध मापने के लिए
(B) विभवांतर मापने के लिए
(C) धारा मापने के लिए
(D) विसर्जन नलियों को चलाने के लिए
Answer ⇒ (D)
34. प्रेरण कुण्डली में संधारित्र के व्यवहार से द्वितीयक का वि०वा० बल –
(A) बढ़ जाता है
(B) घट जाता है
(C) अपरिवर्तित रहता है
(D) शून्य हो जाता है
Answer ⇒ (A)
35. लेंज का नियम पालन करता है –
(A) बॉयो-सावर्त नियम का सिद्धान्त
(B) संवेग संरक्षणता का सिद्धान्त
(C) ऊर्जा संरक्षणता का सिद्धान्त
(D) आवेश संरक्षणता का सिद्धान्त
Answer ⇒ (C)
36. चुम्बकीय क्षेत्र के फ्लक्स की S.I. इकाई होती है –
(A) टेसला
(B) हेनरी
(C) वेबर
(D) जूल-सेकेण्ड
Answer ⇒ (C)
37. एक सुचालक छड़ को नियत वेग () से किसी चुम्बकीय क्षेत्र (
) में घुमाया जाता है। छड़ के दोनों सिरों के बीच विभवान्तर पैदा होगा जब-
(A) ||
(B) ||
(C) ||
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (D)
38. किसी उच्चायी ट्रांसफॉर्मर के प्राइमरी तथा सेकेण्डरी में क्रमश: N1 तथा N2 लपेटे हों तो –
(A) N1 > N2
(B) N2 > N1
(C) N1 = N2
(D) N1 = 0
Answer ⇒ (B)
39. डायनेमो के कार्य का सिद्धांत आधारित है –
(A) धारा के ऊष्मीय प्रभाव पर
(B) विद्युत-चुम्बकीय प्रेरण
(C) प्रेरित चुम्बकत्व पर
(D) प्रेरित विद्युत पर
Answer ⇒ (B)
40. यदि L प्रेरकत्व, R प्रतिरोध तथा C संधारित्र की धारिता हो, तो L/R एवं RC का विमीय सूत्र है –
(A) M°LT-1, ML°T°
(B) M°L°T, MLT°
(C) M°L°T, 1
(D) M°L°T, M°L°T
Answer ⇒ (D)
41. एक वृत्ताकार लूप की त्रिज्या R है, जिसमें I धारा प्रवाहित हो रही है तथा जिसके केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र B है। वृत्त के अक्ष पर उसके केन्द्र से कितनी दूरी पर चुम्बकीय क्षेत्र का मान B/8 होगा –
(A)
(B) 2R
(C)
(D) 3R
Answer ⇒ (C)
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. विद्युत-चुम्बकीय प्रेरण से आप क्या समझते हैं ?
Ans ⇒ विद्यत-चम्बकीय प्रेरण – फैराडे द्वारा 1831 ई. में जाना गया कि जब किसी बंद कुंडली के सापेक्ष किसी चुम्बक में गति उत्पन्न की जाती है तो बंद कुण्डली में लगे गैलवेनोमापी में विक्षेप होता है, जो उस समय तक रहता है जबतक कि चुम्बक एवं कुण्डली के बीच सापेक्षिक गति वर्तमान होती है। इसके फलस्वरूप कुण्डली में विद्युत वाहक बल तथा विद्युत धारा प्रेरित होती है। अतः किसी बंद कुण्डली और चुम्बक के बीच सापेक्षिक गति के कारण कुण्डली में वि. वा. बल के प्रेरित होने की घटना को विद्युत्-चुम्बकीय प्रेरण कहा जाता है। कुण्डली में उत्पन्न वि. वा. बल को प्रेरित वि. वा. बल तथा उत्पन्न धारा को प्रेरित धारा कहा जाता है।
2. फैराडे के विद्युत-चुम्बकीय प्रेरण के नियमों को लिखें।
Ans ⇒ फैराडे के विद्युत – चुम्बकीय प्रेरण के नियम – फैराडे के विद्युत चम्बकीय प्रेरण के निम्नलिखित तीन नियम हैं
प्रथम नियम – किसी कुण्डली या परिपथ से संबद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में जब भी परिवर्तन होता है तो कुण्डली या परिपथ में प्रेरित वि. वा. बल उत्पन्न होता है जो कुण्डली या परिपथ में उतने ही समय तक रहता है जितने समय तक चुम्बकीय पलक्स में परिवर्तन होता रहता है।
द्वितीय नियम – किसी कुण्डली या परिपथ में उत्पन्न प्रेरित वि. वा. बल कुण्डली या परिपथ से संबद्ध चुम्बकीय फ्लक्स के परिवर्तन की दर से समानुपाती होती है।
तृतीय नियम – किसी कुण्डली या परिपथ से संबद्ध चुम्बकीय फ्लक्स के बढ़ जाने से सीधी धारा प्रेरित होती है।
3. लेंज के नियम से आप क्या समझते हैं ?
Ans ⇒ लेंज का नियम – विद्यत चम्बकीय प्रेरण में सभी अवस्थाओं में किसी परिपथ में प्रेरित धारा की दिशा इस प्रकार की होती है कि वह उस कारण का विरोध करती है जिसके कारण वह स्वयं उत्पन्न होती है। इस प्रकार विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण की घटना में प्रेरित विद्युत वाहक बल तथा प्रेरित धारा की दिशा लेन्ज के नियम से ज्ञात की जाती है।
4. किस प्रकार लेन्ज के नियम ऊर्जा-संरक्षण सिद्धान्त का पोषण करता है ?
Ans ⇒ विद्युत्-चुम्बकीय प्रेरण में ऊर्जा संरक्षण सिद्धान्त का पोषण – विद्युत्-चुम्बकीय प्रेरण की घटना में लेन्ज के नियम से प्रेरित धारा की दिशा जानी जाती है तथा यह जाना जाता है कि प्रेरित विद्युत-ऊर्जा का स्रोत क्या है ? लेन्ज के नियमानुसार प्रेरित धारा के कारण कुण्डली के किनारे पर जो चुम्बकीय ध्रुव बनता है वह चम्बक के ध्रव पर चम्बक की गति की विपरीत दिशा में बल उत्पन्न करता है। अन्ततः प्रेरित धारा के उत्पादन के लिए जब चुम्बक को गतिमान किया जाता है तब बल के विरुद्ध कार्य होता है। इस प्रकार यांत्रिक ऊर्जा खर्च करने पर विद्युत ऊर्जा प्राप्त की जाती है। अतः ऊर्जा स्वयं उत्पन्न नहीं होकर केवल इसका एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तन होता है। इस प्रकार लेंज के नियम से ऊर्जा संरक्षण के सिद्धान्त का पोषण होता है।
5. प्रेरित विद्युत वाहक बल की गणना करें।
Ans ⇒ प्रेरित विद्युत वाहक बल – माना कि एक अल्प समयान्तराल dt में परिपथ से गुजरने वाले चुम्बकीय फ्लक्स में dθ परिवर्तन होता है तो फैराडे के विद्युत-चुम्बकीय प्रेरण के द्वितीय नियम से परिपथ में प्रेरित वि. वा. बल,
e = ∝ (चुम्बकीय फ्लक्स-परिवर्तन की समय-दर)
या, e = K जहाँ K एक नियतांक है।
विद्युत चुम्बकीय मात्रक में K का मान एकांक है। अतः
चुम्बकीय फ्लक्स के मान को घटाने पर dφ का मान ऋणात्मक होता है तथा परिपथ में सरल वि. वा. बल प्रेरित होता है, जिसका चिह्न धनात्मक लिया जाता है। अतः जब परिपथ में चुम्बकीय फ्लक्स के घटने पर प्रेरित विद्युत वाहक बल
= -e = या, e = –
है।
चुम्बकीय फ्लक्स के मान घटने पर dφ धनात्मक होता है तथा परिपथ में प्रतिलोमी वि. वा. बल प्रेरित होता है, जिसका चिह्न ऋणात्मक लिया जाता है।
अतः जब परिपथ से चुम्बकीय फ्लक्स के बढ़ने पर प्रेरित विद्युत् वाहक बल
= -e = + या, e = –
होता है ।
इस प्रकार हम पाते हैं कि परिपथ का चुम्बकीय फ्लक्स घटे या बढ़े, प्रेरित वि. वा. बल का मान चुम्बकीय फ्लक्स के परिवर्तन के समय दर के समानपाती होता है और चिह्न (दिशा) में फ्लक्स परिवर्तन के चिह्न के विपरीत होता है।
माना कि कुण्डली में कुल लपेटों की संख्या n है तो कुण्डली में कुल प्रेरित वि. वा. बल,
e = -n विधुत चुम्बुकिये मात्रक = -n
6. स्वप्रेरकत्व या स्वप्रेरित गुणांक क्या है ? समझाएँ ।
Ans ⇒ स्वप्रेरकत्व या स्वप्रेरित गुणांक – माना कि किसी क्षण एक कुण्डली में 1 धारा प्रवाहित है तो चुम्बकीय फ्लक्स φ प्रवाहित धारा के सीधा समानुपाती होती है अर्थात् φ ∝ I
या, φ = LI,
जहाँ L को कुण्डली का स्वप्रेरकत्व या स्वप्रेरण गुणांक कहा जाता है। यह कुण्डली के लपेटों की संख्या, अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल तथा क्रोड के पदार्थ की चुम्बकशीलता पर निर्भर करती है, जिस पर कि कुण्डली लिपटी होती है।
जब I = I, φ = L x I या, L = φ
इस प्रकार कुण्डली का स्वप्रेरकत्व कुण्डली से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स के बराबर होती है जबकि उससे इकाई धारा प्रवाहित होती हो। चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन के कारण प्रेरित वि. वा. बल जो कि कुण्डली में उत्पन्न होती है,
जहाँ कुण्डली में धारा परिवर्तन की दर है। ऋणात्मक चिह्न प्रेरित वि. वा. बल के विपरीत प्रकृति को प्रदर्शित करता है। केवल परिमाण में, e = L
होता है।
जब e = -n = –
(LI) या, e = -L
,
अतः कुण्डली की स्वप्रेरकत्व, कुण्डली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत् वाहक बल के बराबर होता है जबकि कुण्डली में धारा के परिवर्तन की दर इकाई है। स्वप्रेकत्व का S.I मात्रक हेनरी है तथा विमा सूत्र [ML3I-2T-2] है।
7. स्वप्रेरण से आप क्या समझते हैं ?
Ans ⇒ स्वप्रेरण – किसी कुण्डली या परिपथ में प्रवाहित धारा की प्रबलता के बदलने से उसके भीतर का चुम्बकीय क्षेत्र भी बदलता है जिससे कुण्डली में एक अतिरिक्त विद्युत वाहक बल प्रेरित होता है, जिसे स्वप्रेरण कहा जाता है । दूसरे शब्दों में, अपने ही धारा के कारण कुण्डली में वि. वा. बल का उत्पन्न होना स्वप्रेरण कहलाता है।माना कि एक कुण्डली एक बैटरी तथा एक टेपिंग कुन्जी K से जुड़ी है। कन्जी K को दबाने पर धारा कण्डली द्वारा प्रवाहित होना शुरू होती है तथा उसमें चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है । लपेटों में, जो कुण्डली में प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न करते हैं, की दिशा परिपथ में धारा की वृद्धि के विपरीत होती है। दूसरी तरफ जब कुन्जी को छोड़ने पर परिपथ में धारा का अपक्षय होना शुरू हो जाता है तथा घटते हुए चुम्बकीय क्षेत्र कुण्डली में उत्पन्न हो जाता है तथा उत्पन्न वि. वा. बल परिपथ में धारा के अपक्षय का विरोध करती है। इस प्रकार धारा की वृद्धि तथा अपक्षय, दोनों समय कुण्डली में हैं। स्वप्रेरण को विद्युत चुम्बकीय जड़त्व भी कहा जाता है।
8. अन्योन्य प्रेरण गुणांक या अन्योन्य प्रेरकत्व क्या है ? समझाएँ।
Ans ⇒ अन्योन्य प्रेरण गणांक या अन्योन्य प्रेरकत्व – माना कि प्राथमिक P तथा द्वितीयक S दो कुण्डलियाँ हैं। किसी क्षण प्राथमिक कुण्डली से I धारा प्रवाहित होता है तो द्वितीयक कुण्डली S से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स उस समय प्राथमिक कुण्डली से प्रवाहित धारा के सीधा समानुपाती होता है।
अर्थात् φ ∝ I
या, φ = MI, जहाँ M को अन्योन्य प्रेरण गुणांक या अन्योन्य प्रेरकत्व कहते हैं।
जब I = 1 तो φ = M x I या, M = e
इस प्रकार, पड़ोसी कुण्डली में इकाई धारा के प्रवाहित होने से दो कुण्डलियों के अन्योन्य प्रेरकत्व पहली कुण्डली से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स के बराबर होता है। चुम्बकीय फ्लक्स के परिवर्तन के कारण कुण्डली में उत्पन्न प्रेरित वि. वा. बल,
या प्राथमिक कुण्डली में धारा के परिवर्तन की दर तथा e = द्वितीयक कुण्डली में अन्योन्य प्रेरण के कारण उत्पन्न प्रेरित वि. वा. बल है। ऋणात्मक चिह्न प्रेरित विद्युत वाहक बल के विरोधी प्रकृति को प्रदर्शित करता है।
अतः दूसरे कुण्डली में धारा के परिवर्तन की दर के इकाई होने पर दो कुण्डलियों के अन्योन्य प्रेरकत्व पहले कुण्डली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत् वाहक बल के बराबर होता है। S. I में अन्योन्य प्रेरकत्व का भी मात्रक हेनरी ही है तथा विमा सूत्र [ML2I-2T-2] है।
9. किसी कुंडली में संचित ऊर्जा के लिए, जिसका स्वप्रेरण गुणांक L है, व्यंजक प्राप्त करें।
Ans ⇒ किसी वि. वा. बल वाले स्रोत को कुंडली से जोड़ा जाता है जिसका स्वप्रेरण L है। यदि कुंडली में प्रेरित वि. वा. बल का मान e हो, तो
10. चित्र (a) से (c) में वर्णित स्थितियों के लिए प्रेरित धारा की दिशा की प्रागुक्ति (predict) कीजिए।
Ans ⇒ (a) लेंज के नियम के अनुसार कुंडली का सिरा q चुम्बक के S- ध्रुव प्रेरित होता है। इसलिए कुंडली में धारा की दिशा चुम्बक की ओर से देखने पर घड़ी की दिशा में होते हैं। अतः धारा q से b की ओर घड़ी की दिशा में।
(b) लेंज के नियम के अनुसार, दोनों कुंडली का सिरा जो चुम्बक के समीप है, पर S-ध्रुव प्रेरित में होता है। अतः बायीं कुंडली में धारा की दिशा q से p और दायीं कुंडली में धारा x और y की की ओर घड़ी की दिशा में बहती है।
(c) धारा प्रेरित नहीं होता है क्योंकि लूप के तल में चुम्बकीय बल रेखाएँ होती है।