वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1.रोजगार गुणक सिद्धांत के जनक कौन थे ?
(A) कीन्स
(B) काहन
(C) हेन्सेन
(D) मार्शल
Ans. (B)
2. बचत और आय के संबंध को क्या कहते हैं ?
(A) उपभोग फलन
(B) निवेश फलन
(C) बचत फलन
(D) इनमें से सभी
Ans. (C)
3. कुल आय और कुल उपभोग के अनुपात को क्या कहते हैं ?
(A) औसत निवेश प्रवृत्ति
(B) औसत बचत प्रवृत्ति
(C) औसत उपभोग प्रवृत्ति
(D) सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति
Ans. (C)
4. किसने सबसे पहले स्फीतिक अंतराल की अवधारणा प्रस्तुत की ?
(A) राबर्टसन
(B) कीन्स
(C) हाल्म
(D) माल्थस
Ans. (B)
5. आय एवं सामान्य वस्तु की माँग किस दिशा में गति करती है ?
(A) समान दिशा में
(B) विपरीत दिशा में
(C) (A) एवं (B) दोनों
(D) इनमें कोई संबंध नहीं है
Ans. (A)
6. न्यूनतम निर्धारित मूल्य किस वस्तु/सेवा के लिए दिया जाता है ?
(A) चाय पत्ती
(B) गेहूँ
(C) मजदूरी
(D) (B) एवं (C) दोनों
Ans. (D)
7. उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ लागत एवं कुल स्थिर लागत का अन्तर-
(A) बढ़ता है
(B) स्थिर रहता है
(C) घटता है
(D) घटता बढ़ता रहता है
Ans. (A)
8. ‘द जनरल थ्योरी ऑफ इम्प्लायमेन्ट इन्टरस्ट एण्ड मनी’ पुस्तक किसने लिखी ?
(A) अल्फ्रेड मार्शल
(B) एडम स्मिथ
(C) जे०एम० केंस
(D) जे०बी० से
Ans. (C)
9. कौन-सा कथन सत्य है ?
(A) MPC + MPS = 0
(B) MPC + MPS = 1
(C) MPC + MPS < 1
(D) MPC + MPS > 1
Ans. (B)
10. कीन्सीयन विचारधारा के अंतर्गत आय के संतुलन का निर्धारक निम्न में से कौन है ?
(A) सामूहिक माँग
(B) सामूहिक पूर्ति
(C) (A) और (B) दोनों
(D) इनमें कोई नहीं
Ans. (C)
11. गुणक को निम्न में से किस सूत्र द्वारा व्यक्त किया जाता है ?
Ans. (A)
12. जे०बी०से० का बाजार नियम लागू होता है-
(A) वस्तु विनिमय पर
(B) मुद्रा विनिमय पर
(C) उपर्युक्त दोनों पर
(D) किसी पर नहीं
Ans. (A)
13. यदि MPC = 0.5 तो गुणक (K) होगा-
(A) 12/2
(B) 0
(C) 1
(D) 2
Ans. (D)
14. राष्ट्रीय आय की गणना में निम्न में से किससे बचना चाहिए ?
(A) बहुल गणना
(B) एकल गणना
(C) दोहरी गणना
(D) इनमें से कोई नहीं
Ans. (C)
15. स्फीतिक अंतराल माप है-
(A) अतिरेक माँग की
(B) अतिरेक पूर्ति की
(C) अल्प माँग की
(D) इनमें से कोई नहीं
Ans. (A)
16. एक निश्चित समयावधि में अर्थव्यवस्था में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य को कहते हैं-
(A) समग्र माँग
(B) समग्र पूर्ति
(C) समग्र निवेश
(D) समग्र ब्याज
Ans. (B)
17. कीन्स के अनुसार अति उत्पादन और बेरोजगारी का मुख्य कारण है-
(A) बचत में कमी
(B) विनियोग में कमी
(C) कुल माँग में कमी
(D) कुल माँग में वृद्धि
Ans. (C)
18. बाजार का नियम प्रस्तुत किया—
(A) जे०बी० क्लार्क ने
(B) जे०बी० से० ने
(C) जे०एम० कीन्स ने
(D) ए०सी० पीगू ने
Ans. (B)
19. कीन्स का रोजगार सिद्धांत लागू होता है-
(A) विकसित देशों पर
(B) अर्द्धविकसित देशों पर
(C) उपर्युक्त दोनों पर
(D) दोनों में से किसी पर नहीं
Ans. (A)
20. MPC (सीमांत उपभोग प्रवृत्ति) का मान होता है-
(A) 1
(B) 0 से अधिक किंतु 1 से कम
(C) 0
(D) अनन्त
Ans. (B)
21. अर्थव्यवस्था में उस समय संतुलन अवस्था होगी जब कुल माँग और कुल-
(A) पूर्ति के बराबर होगी
(B) पूर्ति से अधिक होगी
(C) पूर्ति से कम होगी
(D) पूर्ति से कोई संबंध नहीं होगा
Ans. (A)
22. प्राचीन विचारधारा निम्न में से किन तथ्यों पर आधारित है ?
(A) कीन्स का रोजगार सिद्धांत
(B) पीगू का मजदूरी सिद्धांत
(C) से का बाजार नियम
(D) इनमें से सभी
Ans. (C)
23. आय के संतुलन स्तर पर-
(A) बचत और निवेश बराबर होते हैं
(B) बचत निवेश से कम होती है
(C) बचत निवेश से अधिक होती है
(D) बचत का निवेश से कोई संबंध नहीं है
Ans. (A)
24. किसी अर्थव्यवस्था में एक वर्ष के अंतर्गत उत्पादित अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं के बाजार मूल्य को कहते हैं-
(A) कुल राष्ट्रीय उत्पादन
(B) राष्ट्रीय आय
(C) कुल घरेलू उत्पादन
(D) विशुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन
Ans. (C)
25. व्यापार शेष के अंतर्गत निम्न में से कौन-सी मदें सम्मिलित होती हैं ?
(A) अदृश्य मदें
(B) दृश्य मदें
(C) पूँजी अन्तरण
(D) इनमें से सभी
Ans. (B)
26. लाभ का निम्न में कौन-सा घटक है ?
(A) लाभांश
(B) अवितरित लाभ
(C) निगम लाभ कर
(D) इनमें से सभी
Ans. (D)
27. औसत आय है-
Ans. (A)
28. केंद्र से निकली सीधी पूर्ति रेखा की लोच (ES) –
(A) इकाई से कम (E < 1) होती है
(B) इकाई से अधिक (E > 1) होती है
(C) इकाई के बराबर (E = 1) होती है
(D) अनंत के बराबर (E=> ) होती है
Ans. (C)
29. कीन्स के अनुसार अर्थव्यवस्था में आय एवं रोजगार का संतुलित स्तर स्थापित होता है जहाँ-
(A) AD > AS
(B) AS > AD
(C) AD = AS
(D) इनमें से कोई नहीं
Ans. (C)
30. अवस्फीतिक अंतराल माप बताता है-
(A) न्यून माँग की
(B) आधिक्य माँग की
(C) पूर्ण रोजगार की
(D) इनमें से कोई नहीं
Ans. (A)
31. अवस्फीतिक अंतराल की दशायें-
(A) माँग में तेजी से वृद्धि होती है
(B) पूर्ति में तेजी से वृद्धि होती है।
(C) पूर्ति और माँग दोनों बराबर होते है
(D) इनमें से कोई नहीं
Ans. (D)
32. न्यून माँग को ठीक करने के लिए निम्नलिखित में कौनसे मौद्रिक उपाय किए जा सकते है ?
(A) बैंक दर में कमी
(B) खुले बाजार से प्रतिभूतियाँ खरीदना
(C) नकद कोष अनुपात को कम करना
(D) उपर्युक्त सभी
Ans. (D)
33. अदृश्य मदों के अंतर्गत निम्नलिखित में किसे सम्मिलित किया जाता है ?
(A) बैकिंग
(B) जहाजरानी
(C) सूचना
(D) उपर्युक्त सभी
Ans. (D)
34. चालू खाते की निम्नलिखित में कौन सी मदें है ?
(A) दृश्य मदों का आयात
(B) पर्यटकों का खर्च
(C) दृश्य मदों का निर्यात
(D) उपर्युक्त सभी
Ans. (D)
35. पूँजी खाते के अंतर्गत निम्नलिखित में किसे शामिल किया जाता है ?
(A) सरकारी सौदे
(B) निजी सौदे
(C) विदेशी प्रत्यक्ष विनियोग
(D) उपर्युक्त सभी
Ans. (D)
36. व्यापार संतुलन का अर्थ होता है-
(A) पूँजी के लेन-देन से
(B) वस्तुओं के आयात एवं निर्यात से
(C) कुल क्रेडिट तथा डेबिट से
(D) इनमें से सभी
Ans. (B)
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. वैयक्तिक प्रयोज्य आय क्या है ?
Ans. वैयक्तिक प्रयोज्य आय वैयक्तिक आय का वह भाग है जो परिवारों को इच्छानुसार खर्च करने के लिए उपलब्ध होता है। वैयक्तिक प्रयोज्य आय की गणना करने के लिए हम वैयक्तिक वैयक्तिक कर विभिन्न सरकारी प्राप्तियाँ। आय से आय कर, सम्पत्ति कर, जुर्माने, फीस आदि को घटाते हैं। समीकरण के रूप में,
वैयक्तिक प्रयोज्य आय = वैयक्तिक आय – वैयक्तिक कर – विभिन्न सरकारी प्राप्तियाँ
2. निवेश गुणक क्या है ?
Ans. निवेश में की गई वृद्धि के परिणामस्वरूप आय में होने वाली वृद्धि अनुपात को निवेश गुणक कहा जाता है।
3. रोजगार गुणक क्या है ?
Ans. रोजगार गुणक सार्वजनिक कार्यों पर प्राथमिक रोजगार की वृद्धि से सम्बन्धित एक गुणांक है जिसके फलस्वरूप कुल रोजगार, प्राथमिक और माध्यमिक संयुक्त वृद्धि होती है।
4. निर्गत गुणक क्या है ?
Ans. निर्गत गुण का अर्थ उस स्थिति से लगाया जाता है जब क्रेता तथा विक्रेता अपनी सामानों को बाहर के बाजारों में कई गुणा अधिक दामों पर क्रय या विक्रय करते हैं।
5. गुणक की अनुकूल और प्रतिकूल प्रक्रिया क्या है ?
Ans. गुणक की अनुकूल प्रक्रिया के अन्तर्गत निवेश में होने वाली वृद्धि के कारण आय में कई गुणा वृद्धि होती है, जबकि गुणक की प्रतिकूल प्रक्रिया के अन्तर्गत निवेश में प्रारम्भिक कमी के कारण आय में कई गुणा अधिक कमी होती है।
6. ‘प्रभावी माँग’ क्या है ?
Ans. प्रभावी अथवा प्रभावपूर्ण माँग किसी अर्थव्यवस्था की संपूर्ण माँग होती है। संपूर्ण अथवा प्रभावी माँग में दो तत्त्व शामिल होते हैं- उपभोग की माँग तथा विनियोग की माँग केन्स के अनुसार रोजगार को निर्धारित करनेवाला सबसे महत्वपूर्ण तत्त्व प्रभावपूर्ण माँग है।
7. उपभोक्ता की बचत से आप क्या समझते हैं ? “
Ans. उपभोक्ता की बचत की धारणा का श्रेय प्रो० ड्यूपिट को दिया गया है । परन्तु इसका वैज्ञानिक वर्णन प्रो० मार्शल ने किया है। इनके अनुसार, “देने को तैयार मूल्य में से वास्तव में दिये गये मूल्य को घटा देने पर जो शेष बचता है, वही उपभोक्ता की बचत कही जाती है।
8. उपभोक्ता की बचत की मान्यताओं का उल्लेख करें।
Ans. उपभोक्ता की बचत निम्न मान्यताओं पर आधारित है-
1.उपयोगिता मापनीय है।
2. वस्तु विशेष को स्वतंत्र महत्व होता है।
3. मुद्रा की सीमान्त उपयोगिता स्थिर रहती है।
4. पूर्ण प्रतियोगिता एवं उपयोगिता ह्रास नियम का लागू होना ।
5. स्थानापन्न वस्तुओं का अभाव पाया जाना ।
9. आन्तरिक तथा बाह्य बचतों में अन्तर स्पष्ट करें।
Ans. आन्तरिक तथा बाह्य बचतों में निम्नलिखित अन्तर हैं-
आन्तरिक बचतें
1.ये वे लाभ हैं जो किसी फर्म को अपने निजी प्रयत्नों के फलस्वरूप प्राप्त होते हैं।
2.आन्तरिक बचतों से प्राप्त होने वाले लाभ एक व्यक्तिगत फर्म तक ही सीमित होते हैं।
3.आन्तरिक बचतें केवल बड़े पैमाने की फर्मों को प्राप्त होती हैं।
4.आन्तरिक बचतों के उदाहरण हैं- तकनीकी बचतें, प्रबन्धकीय बचतें, विपणन बचतें आदि ।
बाह्य बचतें
1.ये वे लाभ हैं जो समस्त उद्योग के विकसित होने पर सभी फर्मों को प्राप्त होते हैं।
2.बाह्य बचतों से प्राप्त होने वाले लाभ उद्योगों की फर्मों को प्राप्त होते हैं।
3. बाह्य बचतें छोटे प्रकार पैमाने की फर्मों को प्राप्त होती हैं।
4. बाह्य बचतों के उदाहरण हैं-उत्तम परिवहन एवं संचार सुविधाओं की उपलब्धि, सहायक उद्योगों की स्थापना, कच्चे माल का सुगमता से प्राप्त होना आदि।
10. औसत बचत प्रकृति से क्या अभिप्राय है ?
Ans. औसत बचत प्रवृत्ति एक अर्थव्यवस्था के आय तथा रोजगार के एक दिए हुए स्तर पर कुल बचत और कुल आय का अनुपात है। फ्रीजर के अनुसार, “औसत बचत प्रवृत्ति, बचत और आय का अनुपात है।”
इस प्रकार, औसत बचत प्रवृत्ति = बचत / आय ; APS = S/Y
11. सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति क्या है ?
Ans. सीमान्त उपभोग की अवधारणा से यह ज्ञात होता है कि लोग अपनी बढ़ी हुई आय का कितना भाग उपभोग पर व्यय करते हैं। यह कुल उपभोग में परिवर्तन तथा कुल आय में परिवर्तन का अनुपात है। इसे निम्न सूत्र से ज्ञात किया जा सकता है-
ΔΕ / Δy यहाँ AC = उपभोग में परिवर्तन, Δy= आय में परिवर्तन
12. उपभोग एवं आय में क्या सम्बन्ध है ?
Ans. आय और उपभोग में प्रत्यक्ष सम्बन्ध है, आय बढ़ने से उपभोग व्यय में होता है साथ ही आय के कम होने से उपभोग व्यय में कमी होता है।
13. ऐच्छिक एवं अनैच्छिक बेरोजगारी में अंतर स्पष्ट कीजिए ।
Ans. बेरोजगारी की वह दशा, जब प्रचलित वेतन दर पर कार्य करने को व्यक्ति तैयार नहीं होते, ऐच्छिक बेरोजगारी कहलाती है।
बेरोजगारी की वह दशा, जब प्रचलित दर पर कार्य करने के लिए तैयार व्यक्तियों को कार्य नहीं मिलता, अनैच्छिक बेरोजगारी कहलाती है।
14. संक्षेप में अनैच्छिक बेरोजगार को समझाइए ।
Ans. यदि दी गई मजदूरी दर या प्रचलित मजदूरी दर पर काम करने के लिए इच्छुक व्यक्ति को आसानी से कार्य नहीं मिल पाता है तो इस समस्या को अनैच्छिक बेरोजगारी कहते हैं। एक अर्थव्यवस्था में अनैच्छिक बेरोजगारी के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं-
1.अर्थव्यवस्था में जनसंख्या विस्फोट की स्थिति हो सकती है।
2. प्राकृतिक संसाधनों की कमी।
3. पिछड़ी हुई उत्पादन तकनीक।
4. आधारित संरचना की कमी आदि।
15. रोजगार का परंपरावादी सिद्धान्त समझाइए ।
Ans. रोजगार के परंपरावादी सिद्धान्त का प्रतिपादन परंपरावादी अर्थशास्त्रियों ने किया था। इस सिद्धान्त के अनुसार एक पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में प्रत्येक इच्छुक व्यक्ति को प्रचलित मजदूरी पर उसकी योग्यता एवं क्षमता के अनुसार आसानी से काम मिल जाता है। दूसरे शब्दों में प्रचलित मजदूरी दर पर अर्थव्यवस्था में सदैव पूर्ण रोजगार की स्थिति होती है। काम करने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए दी गई मजदूरी दर पर बेरोजगारी की कोई समस्या उत्पन्न नहीं होती है। रोजगार के परंपरावादी सिद्धान्त को बनाने में डेविड रिकार्डो, पीगू, मार्शल आदि व्यष्टि अर्थशास्त्रियों ने योगदान दिया है। रोजगार के परंपरावादी सिद्धान्त में जे० बी० से का रोजगार सिद्धान्त बहुत प्रसिद्ध है।
16. बचत एवं निवेश हमेशा बराबर होते हैं। व्याख्या करें।
Ans. कीन्स के अनुसार आय रोजगार संतुलन निर्धारण उस बिन्दु पर होता है जहाँ बचत एवं निवेश आपस में बराबर होते हैं अर्थात् बचत = निवेश ( S = I)
एक अर्थव्यवस्था में विनियोग दो प्रकार के होते हैं-नियोजित विनियोग तथा गैर-नियोजित विनियोग। वस्तुतः नियोजित और गैर नियोजित विनियोग का जोड़ ही वास्तविक विनियोग या कुल विनियोग कहलाता है। संक्षेप में, IR = IP + IU
जहाँ IR = वास्तविक विनियोग
IP = नियोजित विनियोग तथा
IU = गैर नियोजित विनियोग
उपर्युक्त समीकरण से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि वास्तविक विनियोग केवल उस स्थिति में ही नियोजित विनियोग के बराबर हो सकता है जबकि गैर नियोजित विनियोग शून्य हो। इसका तात्पर्य यह है कि यह आवश्यक सदैव नियोजित विनियोग के बराबर हो।
उपर्युक्त विवेचन के आधार पर हम कह सकते हैं कि
Y = C + I
तो हमारा वास्तव में अभिप्राय यह होता है कि
तथा y = C+IR
Y = C+S
दोनों समीकरणों को एक साथ प्रस्तुत करने पर
या C + S=C + IR
S = IR
अतः बचतें सदैव वास्तविक निवेश के समान होती है।
17. प्रेरित निवेश क्या है ?
Ans. प्रेरित निवेश वह निवेश है जो आय तथा लाभ की मात्रा पर निर्भर करता है। आय तथा लाभ के बढ़ने की सम्भावना से यह बढ़ता है तथा इनमें होने वाली कमी की सम्भावना से यह कम हो जाता है। आय में वृद्धि होने पर निवेश में वृद्धि होती है।
18. एक रेखाचित्र की सहायता से अर्थव्यवस्था में न्यून माँग की स्थिति की व्याख्या कीजिए ।
Ans. यदि अर्थव्यवस्था में आय का संतुलन स्तर पूर्ण रोजगार के स्तर से पहले निर्धारित हो जाता है तब उसे न्यून माँग की दशा कहते हैं।
AD < AS
बगल के रेखाचित्र की सहायता से इसे देखा जा सकता है-
चित्र में AS सामूहिक पूर्ति वक्र है तथा AD न्यूनमाँग स्तर पर सामूहिक माँग और AD पूर्ण रोजगार स्तर पर सामूहिक माँग को प्रदर्शित कर रहे हैं। AD पूर्ण रोजगार स्तर पर आवश्यक वांछनीय सामूहिक माँग AN है जबकि उपस्थित सामूहिक माँग CN है।
अतः न्यून माँग = AN – CN = AC
19. पूर्ण रोजगार संतुलन और अपूर्ण रोजगार संतुलन में भेद करें।
Ans. 1. पूर्ण रोजगार संतुलन की अवस्था में संसाधनों का अपनी अन्तिम सीमा तक प्रयोग होता है जबकि अपूर्ण रोजगार में संसाधनों का अंतिम सीमा तक प्रयोग नहीं होता है।
2. पूर्ण रोजगार संतुलन समग्र आपूर्ति की प्रतिष्ठित संकल्पना पर आधारित है। अपूर्ण रोजगार सन्तुलन समग्र आपूर्ति के केंजियन सकल्पना पर आधारित है।
3. पूर्ण रोजगार संतुलन के दो आधार हैं-‘से’ का बाजार नियम तथा मजदूरी कीमत नम्यता हैं जबकि अपूर्ण रोजगार संतुलन के दो आधार हैं-मजदूरी कीमत अनम्यता तथा श्रम की स्थिर सीमांत उत्पादिता ।
4. चित्र के माध्यम से भी दोनों अवस्थाओं को दर्शाया जा सकता है।
20. वास्तविक मजदूरी का आशय स्पष्ट कीजिए।
Ans. श्रमिक अपनी शारीरिक एवं मानसिक सेवाओं के प्रतिफल के रूप में कुल जितनी उपयोगिता प्राप्त कर सकते हैं उसे वास्तविक मजदूरी कहते हैं। दूसरे शब्दों में श्रमिक की अपनी आमदनी से वस्तुओं एवं सेवाओं को खरीदने की क्षमता को वास्तविक मजदूरी कहते हैं। वास्तविक मजदूरी का निर्धारण श्रमिक की मौद्रिक मजदूरी एवं कीमत स्तर से होता है। वास्तविक मजदूरी एवं मौद्रिक मजदूरी में सीधा संबंध होता है अर्थात् ऊँची मौद्रिक मजदूरी दर पर वास्तविक मजदूरी अधिक होने की संभावना होती है। वास्तविक मजदूरी व कीमत स्तर में विपरीत संबंध होता है। कीमत स्तर अधिक होने पर मुद्रा की क्रय शक्ति कम हो जाती है अर्थात् वस्तुओं एवं सेवाओं को खरीदने की क्षमता कम हो जाती है।
21. मजदूरी कीमत नम्यता की अवधारणा समझाइए ।
Ans. मजदूरी कीमत नम्यता का आशय है कि मजदूरी व कीमत में लचीलापन । वस्तु- श्रम की माँग व पूर्ति की शक्तियों में परिवर्तन होने पर मजदूरी दर व कीमत में स्वतंत्र रूप से परिवर्तन को मजदूरी-कीमत नम्यता कहा जाता है। श्रम बाजार में श्रम की माँग बढ़ने से मजदूरी दर बढ़ जाती है तथा श्रम की माँग कम होने से श्रम की मजदूरी दर कम हो जाती है। इसी प्रकार वस्तु बाजार में वस्तु की माँग बढ़ने पर वस्तु की कीमत बढ़ जाती है तथा इसके विपरीत माँग कम होने से कीमत घट जाती है। मजदूरी कीमत नम्यता के कारण श्रम एवं वस्तु बाजार में सदैव सन्तुलन बना रहता है।
22. अतिरेक माँग के दो प्रमुख कारण क्या है ?
Ans. अतिरेक माँग के दो प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
1.सार्वजनिक व्यय में वृद्धि के कारण सरकार द्वारा की जाने वाली वस्तुओं व सेवाओं की माँग में वृद्धि !
2. करों में कमी के परिणामस्वरूप व्यय योग्य आय एवं उपभोग माँग में वृद्धि !