विधुत रसायन

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. अपने विधुत रासायनिक समतुल्यांक के बराबर मात्रा जमा करने के लिए कितनी विधुत धारा 0.25 सेकेण्ड तक प्रवाहित करनी होगी ?

(A) 1 A
(B) 4 A
(C) 5 A
(D) 100 A

Answer ⇒ (B)

2. विशिष्ट चालकता की इकाई होती है

(A) Ohm cm-1
(B) Ohm cm-2
(C) Ohm-1cm-1
(D) Ohm-1cm-2

Answer ⇒ (C)

3. किसी पदार्थ की अभिक्रिया की दर निम्नलिखित में किस पर निर्भर करता है।

(A) परमाणु द्रव्यमान
(B) समतुल्य द्रव्यमान
(C) अणु द्रव्यमान
(D) सक्रिय मात्रामा

Answer ⇒ (D)

4. डेनियल सेल में होनेवाली सेल अभिक्रिया है।

(A) Zn + Cu→ Zn2+ + Cu2+
(B) Zn2+ + Cu2+ → Zn + Cu2+
(C) Zn + Cu2+→ Zn2+ + Cu
(D) Zn2+ + Cu2+ → Zn + Cu

Answer ⇒ (C)

5. सिल्वर नाइट्रेट के घोल से 108 ग्राम सिल्वर मुक्त करने के लिए विधुत धारा की जो मात्रा की आवश्यकता होती है, वह है

(A) 1 ऐम्पीयर
(B) 1 कूलम्ब
(C) 1 फैराडे
(D) 2 ऐम्पीयर

Answer ⇒ (C)

6. वैधूत अपघटन की क्रिया में कैथोड पर होता है ?

(A) आक्सांकरण
(B) अवकरण
(C) विघटन
(D) जल अपघटन

Answer ⇒ (B)

7. प्रथम कोटि की कोई अभिक्रिया 32 मिनट में 75 प्रतिशत पूरी हो जाती है। उसके 50 प्रतिशत पूरा होने में कितना समय लगेगा ?

(A) 16 मिनट
(B) 24 मिनट
(C) 10 मिनट
(D) 20 मिनट

Answer ⇒ (A)

8. A,B,C और D धातुओं के मानक इलेक्ट्रोड क्रमश:-3.05,-1.66,-0.40 और +0.8 बोल्ट है। इनमें किस धातु की अपकरण क्षमता सबसे अधिक होगी ?

(A) A
(B) B
(C) C
(D) D

Answer ⇒ (A)

9. निम्नलिखित में कौन-सा सेल हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन के रासायनिक ऊर्जा को विधुत ऊर्जा में बदलता है ?

(A) पारा सेल
(B) डेनियल सेल
(C) ईंधन सेल
(D) लेड संचय सेल

Answer ⇒ (C)

10. निम्न में कौन सर्वाधिक ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित कर सकता है ?

(A) Sc
(B) Fe
(C) Zn
(D) Mn

Answer ⇒ (D)

11. प्लैटिनम इलेक्ट्रोड का इस्तेमाल करके तनु H,SO, का वैद्युत अपघटन करने पर ऐनोड पर कौन-सी गैस मुक्त होती है ?

(A) H2S
(B) 02
(C) so2
(D) H2

Answer ⇒ (B)

12. सेल Zn|AnSO4|| CuSO4|Cu का विधुत वाहक बल 1.10 वोल्ट है। उसका कैथोड

(A) Zn
(B) Cu
(C) ZnSO4
(D) CuSO4

Answer ⇒ (B)

13. निम्नलिखित में कौन द्वितीयक सेल है ?

(A) लेकलांचे सेल
(B) लेड स्टोरेज बैटरी
(C) सान्द्रण सेल
(D) इनमें से सभी

Answer ⇒ (B)

14. एक फैराडे का विधुत Cuso4 के घोल से कितना ग्राम ताँबा मुक्त करता है ?

(A) 63.5
(B) 31.75
(C) 96500
(D) 100

Answer ⇒ (B)

15. किस धातु की आयनन ऊर्जा सबसे कम है ?

(A) Li
(B) K
(C) Na

Answer ⇒ (D)

16. निम्न में कौन लैन्थेनॉयड अनुचुम्बकीय है ?

(A) Ce4+
(B) Yb2+
(C) Eu2+
(D) Lu2+

Answer ⇒ (C)

17. प्लैटिनम इलेक्ट्रोड पर आयन पहले अपचयित होता है। जिला

(A) Zn ++ से
(B) Cu ++ से ए
(C) Ag ++ से
(D) I2 से

Answer ⇒ (A)

18. निम्नलिखित में से कौन-सी प्रतिक्रिया सम्भव नहीं है। कारक 7.

(A) Cu + 2AgNO3 → Cu(NO3)2 + 2Ag
(B) CaO + H2 + Ca + H2O
(C) Cu0+ H2 →Cu+H2O
(D) Fe+H2SO4 → FeSO4 +H20

Answer ⇒ (B)

19. विधुत रासायनिक श्रेणी के आधार पर तनु अम्लों से प्रतिक्रिया कर हाइड्रोजन नहीं प्रदान करने वाली धातुएँ हैं

(A) Ca, Sr, Ba
(B) Cu, Ag, Au
(C) Zn, Fe, Pb
(D) Na, Zn, AI, Cu

Answer ⇒ (B)

20. निम्नलिखित में किस धातु के लवण के जलीय विलयन के विधुत विच्छेदन से धातु प्राप्त किया जा सकता है।

(A) Na
(B) Al
(C) Ca
(D) Ag

Answer ⇒ (D)

21. तनु H2SO4 के विधुत अपघटन द्वारा NTP पर 5600 cm3 ऑक्सीजन गैस बनाने के लिए कितनी विधुत प्रयुक्त होगी

(A) 0.50 F
(B) 1.00 F
(C) 1.50 F
(D) 2.0 F

Answer ⇒ (B)

22. निम्न आयनों में सबसे प्रबल अपचायक कौन है ?

(A) F
(B) Cl
(C) Br
(D) I

Answer ⇒ (D)

23. चार तत्त्वों A, B, C तथा D के मानक अपचयन विभव क्रमशः -2.90, +1.50, -0.74 तथा +0.34 वोल्ट हैं। इनमें सर्वाधिक प्रबल अपचायक है।

(A) A
(B) B
(C) C
(D) D

Answer ⇒ (A)

24. Mg, K, Fe और Zn धातुओं की अपचायक क्षमता का बढ़ता क्रम है ।

(A) K<Mg < Fe<Zn
(B) K<Mg < Zn< Fe
(C) Fe< Zn < Mg < K
(D) Zn < Fe < Mg <K

Answer ⇒ (C)

25. सेल स्थिरांक की इकाई है ।

(A) Ω
(B) Ω cm-1
(C) cm-1
(D) Ω cm

Answer ⇒ (C)

26. सर्वाधिक चालकता है

(A) सिलकॉन
(B) लोहार
(C) चाँदी
(D) टेफलॉन

Answer ⇒ (C)

27. विशिष्ट चालकता का मान चालकता के मान के बराबर होगा जब

(A) सेल स्थिरांक का मान शून्य हां
(B) संल स्थिरांक का मान एक हो
(C) जब इलक्ट्रांड ताबा का बना हो
(D) जब सेल का आकार बहुत बड़ा हो

Answer ⇒ (B)

28. 0.5 एम्पियर की विधुत धारा 30 मिनट तक कॉपर सल्फेट (Cuso4) के विलयन से प्रवाहित करने पर कितना कॉपर निक्षेपित होगा ?

(A) 0.582 ग्राम
(B) 0.296 ग्राम
(C) 0.184 ग्राम
(D) 0.635 ग्राम

Answer ⇒ (B)

29. किसी विलयन की चालकता, समानुपाती होता है।

(A) तनुता (dilution)
(B) आयन की संख्या
(C) विधुत धारा का घनत्व
(D) विलयन का आयतन

Answer ⇒ (B)

30. किसी इलेक्ट्रोड पर किसी पदार्थ का एक ग्राम समतुल्यांक एकत्रित करने के लिए विधुत आवेश की आवश्यकता है

(A) एक सेकेण्ड के लिए एक एम्पियर
(B) 96500 कूलम्ब प्रति सेकेण्ड
(C) एक मोल इलेक्ट्रॉन का आवेश
(D) एक एम्पियर की विधुत धारा एक घंटा तक

Answer ⇒ (C)

31. AICI3 के घोल से एक मोल ऐल्युमिनियम को इलेक्ट्रोड पर जमा होने में विधुत की आवश्यकता होगी

(A) 1 F
(B) 3 F
(C) 0.33 F
(D) 1 Amp

Answer ⇒ (B)

32. 298 k पर निम्नलिखित अर्द्धसेल प्रतिक्रिया के लिए परम अवकरण इलेक्ट्रोड विभव का मान दिया गया है

Znt++(aq) + 2e→ Zn(s), -0.762

Cr3+(aq) + 3e →Cr(s),-0.740

2H+(aq) + 2e →H2(g), 0.000

Fe3+(aq) + e→ Fe++(aq), -0.770

इनमें से सबसे प्रबल अवकारक कौन है ?

(A) Zn(s)
(B) Cr(s)
(C) H2(g)
(D) Fe2+

Answer ⇒ (A)

33. किसी Mercury सेल में कौन-सा पदार्थ नहीं होता है

(A) Hgo
(B) KOH
(C) Zn
(D) HgCl2

Answer ⇒ (D)

34. एक कूलम्ब बराबर होता है

(A) 96500 फैराडे
(B) 6.24 x 1018 इलेक्ट्रॉन का आवेश
(C) एक इलेक्ट्रॉन का आवेश
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (B)

35. जब सेल प्रतिक्रिया साम्यावस्था को प्राप्त कर लेता है उस समय सेल का EMF होता है

(A) शून्य
(B) धनात्मक
(C) ऋणात्मक
(D) निश्चित नहीं

Answer ⇒ (A)

36. किसी अर्द्धसेल का इलेक्ट्रोड विभव निर्भर करता है

(A) धातु की प्रकृति पर
(B) सेल में धातु आयन की सान्द्रता पर
(C) तापक्रम
(D) उपरोक्त सभी

Answer ⇒ (D)

37. कॉपर सल्फेट (CuSO4) को एल्यूमिनियम के बर्तन में नहीं रखा जा सकता है क्योंकि

(A) Cu++ ऑक्सीकृत हो जाता है
(B) Cu++ अवकृत हो जाता है ।
(C) A1 अवकृत हो जाता है
(D) CuSO4 विघटित हो जाता है

Answer ⇒ (B)

38. निम्नलिखित में से किस पदार्थ के घोल को कॉपर के बर्तन में सुरक्षित रखा जा सकता है

(A) ZnSO4
(B) AgNO3
(C) AuCI3
(D) इनमें से सभी को

Answer ⇒ (A)

39. निम्नलिखित में से कौन धातु कॉपर सल्फेट (CuSO4) के साथ प्रतिक्रिया नहीं करता है ?

(A) Fe
(B) Zn
(C) Mg
(D) Ag

Answer ⇒ (D)

40. यदि किसी सेल से अचानक साल्ट ब्रिज को हटा लिया जाय तो सेल का (6 वोल्टेज

(A) बढ़ता है
(B) घटता है
(C) शून्य हो जाता है
(D) बढ़ भी सकता है और घट भी सकता है यह सेल प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है

Answer ⇒ (C)

41. साल्ट ब्रिज में KCI का उपयोग किया जाता है क्योंकि

(A) K+तथा Cl– इसोइलेक्टिॉनिक है
(B) K+तथा Cl– का समान ट्रान्सपोर्ट संख्या है की कामना कर
(C) KCl एक प्रबल इलेक्ट्रोलाइट है
(D) KCI एक अच्छा जेली बनता है अगर-अगर के साथ

Answer ⇒ (B)

42. Zn-CuSO4 सेल के लिए कौन-सा कथन सत्य है

(A) इलेक्ट्रॉन का प्रवाह कॉपर से जिंक की तरफ होता है
(B) कॉपर के E०Red का मान जिंक के E०Red के मान से कम होता है
(C) इसमें जिंक एनोड तथा कॉपर कैथोड का काम करता है
(D) उपरोक्त सभी कथन सत्य है

Answer ⇒ (C)

43. 96500 कूलॉम CuSO4के विलयन से मुक्त करता है ।

(A) 63.5 ग्राम ताँबा
(B) 31.76 ग्राम ताँबा
(C) 96500 ग्राम ताँबा
(D) 100 ग्राम ताँबा

Answer ⇒ (B)

44. विधुत की वह मात्रा जो AgNO3 के घोल में से 108 ग्राम Ag जमा करा सकता हैं।

(A) 1 फैराडे
(B) 1 एम्पीयर
(C) 1 कूलॉम
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (A)

45. निम्नलिखित में से कौन द्वितीयक (secondary) सेल हैं।

(A) लेकलॉच सेल
(B) लेड स्टोरेज बैटरी
(C) सान्द्रण सेल
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (B)

46. निम्न में से कौन सा सबसे शक्तिशाली ऑक्सीकारक है

(A) F2
(B) Cl2
(C) Br2
(D) I2

Answer ⇒ (A)

47. द्रवित सोडियम क्लोराइड के विधुत अपघटन से कैथोड पर मुक्त होता है

(A) क्लोरीन
(B) सोडियम
(C) सोडियम-अमलगम
(D) हाइड्रोजन

Answer ⇒ (B)

48. एक सामान्य हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड का इलेक्ट्रोड विभव शून्य है क्योंकि पानी में

(A) हाइड्रोजन आसानी से ऑक्सीजन होता है
(B) इलेक्ट्रोड का विभव शून्य माना गया है
(C) हाइड्रोजन परमाणु का केवल एक इलेक्ट्रॉन है
(D) हाइड्रोजन सबसे हल्का तत्त्व है

Answer ⇒ (B)

49. KNO3 का संतृप्त विलयन ‘लवण सेतू’ बनाने के लिए उपयोग किया जाता है क्योंकि

(A) K+ की गति NO3 से अधिक है
(B) NO3 की गति K+ से अधिक है
(C) दोनों K+ और NO3 की गतियाँ लगभग समान है
(D) KNO3 जल में अधिक घुलनशील है

Answer ⇒ (C)

50. यदि इलेक्ट्रॉनिक विलयन को नौ गुणा तक तनु कर दिया जाय तो उसकी चालकता

(A) नौ गुणा बढ़ जायेगी
(B) नौ गुणा घट जायेगा
(C) अपरिवर्तित रहेगा
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (A)

51. पोटैशियम इलेक्ट्रॉड को प्रयुक्त करते हुए तनु सल्फ्यूरिक अम्ल का वैद्युत् अपघटन करने पर ऐनोड पर प्राप्त उत्पाद होगा

(A) हाइड्रोजन
(B) ऑक्सीजन
(C) हाइड्रोजन सल्फाइड
(D) सल्फर डाइऑक्साइड

Answer ⇒ (B)

52. निम्न में से कौन एक अवरोधक है?

(A) ग्रेफाइट
(B) एल्यूमीनियम
(C) डायमण्ड
(D) सिलिकॉन

Answer ⇒ (C)

53. लोहे पर प्लेटिंग के लिए सबसे अधिक उपयुक्त धातु जो संक्षारण के विरुद्ध सुरक्षा करती है

(A) निकेल प्लेटिंग
(B) कॉपर प्लेटिंग
(C) टिन प्लेनिंग
(D) जिंक प्लेटिंग

Answer ⇒ (D)

54. तनु H2SO4 के वैधूत् अपघटन में, ऐनोड पर क्या प्राप्त होता है ?

(A) H2
(B) SO2-4
(C) SO2
(D) O2

Answer ⇒ (D)

55. Na3SO4 का विलयन कुछ अक्रिय इलेक्ट्रोड के प्रयोग द्वारा वैद्युत् अपघटित होता है। इलेक्ट्रोड पर बने उत्पाद हैं

(A) O2H2
(B) O2.Na
(C) O2.SO2
(D) O2S2O8

Answer ⇒ (A)

56. स्मगलर सोने की चोरी सोने के ऊपर आयरन की पर्त लगाकर नहीं कर सकते क्योंकि

(A) सोना अधिक घनत्व वाला होता है
(B) आयरन में जंग लगती है।
(C) सोना आयरन की तुलना में ज्यादा अपचयन विभव वाला होता है,
(D) सोना आयरन की तुलना में कम अपचयन विभव वाला होता है

Answer ⇒ (C)

57. Al+3विलयन से (AI का परमाणु भार =27.0 g)Al3+ के 9 ग्राम को जमा करने में आवश्यक आवेश है

(A) 32166.3 C
(B) 96500.0 C
(C) 9650.0 C
(D) 3216.33 C

Answer ⇒ (B)

58. एल्यूमीनियम के जलीय विलयन से 9.65 ऐम्पियर धारा गुजारने पर एल्युमीनियम के एक मिलीमोल को जमा करने में आवश्यक समय है

(A) 30S
(B) 10S
(C) 30,000S
(D) 10,000S

Answer ⇒ (A)

59. एक वैधूत् अपघटनी सेल में, इलेक्ट्रॉन का प्रवाह होता है

(A) विलयन में कैथोड से ऐनोड की ओर
(B) बाह्य आपूर्ति द्वारा कैथोड से ऐनोड
(C) अन्तः आपूर्ति द्वारा कैथोड से ऐनोड
(D) अन्तः आपूर्ति द्वारा एनोड से कैथोड

Answer ⇒ (C)

60. जलीय विलयन में क्षारीय धातु आयनों की गमनशीलता का सही क्रम है

(A) K+> Rb+ > Na+> Li+
(B) Rb+ > K+ > Na+> Li+
(C) Li+ > Na+ > K+ > Rb+
(D) Na+> K+ > Na+ > Li+

Answer ⇒ (B)

61. N/10 विलयन का प्रतिरोध 2.5 x 103 ओम प्राप्त हुआ। विलयन की तुल्यांकी चालकता है

(A) 2.5 ओम-1 cm2 तुल्यांक-1
(B) 0.5 ओम-1 cm2 तुल्यांक-1
(C) 12.5 ओम-1 cm2 तुल्यांकन-1
(D) 5.0 ओम-1 cm2 तुल्यांक-1

Answer ⇒ (B)

62. प्रबल वैधूत् अपघट्य की चालकता

(A) तनुता पर धीरे से बढ़ती है
(B) तनुता पर घटती है
(C) तनुता पर परिवर्तन नहीं होता है
(D) विलयन के घनत्व पर निर्भर करती है

Answer ⇒ (A)

63. NaCl, KBr व KCl के लिए सीमित मोलर चालकताएं क्रमशः 126, 152 व 150 S cm2 mol-1 होती है। NaBr के लिए ∧° है।

(A) 278 S cm-1mol-1
(B) 175 S cm-2mol-1
(C) 128 S cm-2mol-1
(D) 302 S cm-2mol-1

Answer ⇒ (C)

64. दिया है, l/a = 0.5 cm-1, R=50 ohm, N = 1.0 वैधूत् अपघटनी सेल की तुल्यांक चालकता है

(A) 100 hm-1 cm2 (ग्राम तु०-1)
(B) 20 ohm-1 cm2 (ग्राम तु०-1)
(C) 300 hm-1 cm2 (ग्राम तु०-1)
(D) 100 ohm-1 cm2 (ग्राम तु०-1)

Answer ⇒ (A)

65. निम्न विलयनों में से किसकी सबसे उच्च वैधूत् चालकता है ?

(A) 0.1 M एसीटिक अम्लर
(B) 0.1 M क्लोरो एसीटिक अम्ल
(C) 0.1 M फ्लोरों एसीटिक अम्ल
(D) 0.1 M डाइ फ्लोरो एसीटिक अम्ल

Answer ⇒ (D)

66. कौन पदार्थ निम्न अभिक्रिया में अपचायक की तरह कार्य करता है ?

H+ + Cr2O2+7+3Ni → 2Cr3+ + 7H2O +3Ni2+

(A) H20
(B) Ni
(C) H+
(D) Cr2O2+7

Answer ⇒ (B)

67. निम्न में से कौन-सा हैलोजन अम्ल सबसे प्रबल अपचायक होता है ?

(A) HCI
(B) HBI
(C) HI
(D) HF

Answer ⇒ (C)

68. सान्द्रता को बिना खोये, ZnCI2 विलयन किसके साथ सम्पर्क में नहीं रखा जा सकता

(A) AU
(B) AI
(C) Pb
(D) Ag

Answer ⇒ (B)

69. एक फराडे विधुत धारा प्रवाहित करने पर प्राप्त मात्रा बराबर होगी

(A) एक ग्राम समतुल्य
(B) एक ग्राम मोल
(C) विधुत रासायनिक तुल्यांक
(D) आधा ग्राम समतुल्यांक

Answer ⇒ (A)

70. सेल अभिक्रिया स्वतः होती है जब

(A) E०सेल  धनात्मक है
(B) AG ऋणात्मक है
(C) AG धनात्मक है
(D) E०सेल ऋणात्मक है

Answer ⇒ (B)

71. लोहे का संरक्षण रोकने का सबसे अच्छा तरीका है

(A) आयरन कैथोड बनाकर
(B) खारे जल में इसे रखकर
(C) इनमें से दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (A)

72. जब सीसा संचय बैटरी आवेशित होती है तब

(A) लेड डाइऑक्साइड घुल जाती है
(B) सल्फ्यूरिक अम्ल पुनः बन जाता है
(C) लेड धातु लेड सल्फेट के साथ स्तरित कर दी जाती है
(D) सल्फ्यूरिक अम्ल की सान्द्रता घटती है

Answer ⇒ (B)

73. जब कॉपर के तार का एक टुकड़ा जलीय सिल्वर लवण (सल्फेट) के विलयन में डुबोया जाता है, विलयन नीले रंग का बन जाता है। यह होता है

(A) सिल्वर का ऑक्सीकरण
(B) कॉपर का ऑक्सीकरण
(C) कॉपर जटिल का निर्माण
(D) कॉपर का अपचयन

Answer ⇒ (B)

74. ईंधन सेल में निम्न में से कौन-सी अभिक्रियाएँ प्रयुक्त होती है?

(A) Cd(s) + 2Ni(OH)3(s) → CdO(s) + 2Ni(OH)2(s) + H2O
(B) Pb(s) + PbO2(s) + 2H2SO4(aq.) → 2PbSO4(s) + 2H2O
(C) 2H2(g) + O2(g)O → 2H2O(¡)
(D) 2Fe(s) + O2(g) + 4H(aq.) → 2Fe2+(aq.) + 2H2O

Answer ⇒ (C)

75. अगर E० Fe3+/Fe = -0.441 V व E° Fe2+/Fe= 0.771 v हो तब Fe+ 2Fe3+ → 3Fe2+ + अभिक्रिया का मानक EMF होगा।

(A) 1.653 v
(B) 1.212 v
(C) 0.111 V
(D) 0.330 v

Answer ⇒ (B)

76. अर्द्धसेल अभिक्रिया A+ + e– → A– बड़े ऋणात्मक आयनन विभव वाली होती है यह बताती है कि

(A) A आसानी से ऑक्सीकृत हो जाता है
(B) A आसानी से अपचयित हो जाता है।
(C) A-आसानी से ऑक्सीकृत हो जाता है
(D) A-आसानी से अपचयित हो जाता है

Answer ⇒ (C)

77. Zn(s) → Zn2+(aq.) +2e-E° = +0.76 v Ag(s) → Ag+ (aq.)+ e– E° =-0.80 v निम्न में से कौन-सी अभिक्रिया प्रारंभ में होगी ?

(A) Zn2+ (aq.) + Ag+(aq.) → Zn(s) + Ag(s)
(B) Zn(s) + 2Ag+ (s) → 2Zn2+ (aq.) + Ag+(aq.)
(C) Zn(g) + 2Ag+(aq.) → Zn2+ (aq.)+2Ag(s)
(D) Zn2+(aq.) + 2Ag(s) → 2Ag+(aq.) + Zn(s)

Answer ⇒ (C)

78. निम्न अभिक्रिया देखिए Zn + Cu2+ → Zn2++Cu उपर्युक्त निष्कर्ष के आधार पर कौन-सा तथ्य सही है ?

(A) Zn, Zn2+ आयनों में अपचयित हो जाता है
(B) Zn, Zn2+ आयनों में ऑक्सीकृत होता है
(C) Zn2+ आयनों Zn में ऑक्सीकृत हो जाती है
(D) Cu2+ आयन Cu में ऑक्सीकृत हो जाती है

Answer ⇒ (B)

79. A,B व C के मानक इलेक्ट्रोड (अपचयन) विभव क्रमशः +0.68,-2.50 व -0.50 v होती है। उनकी अपचयन शक्ति के सही क्रम है।

(A) A > B > C
(B) A > C > B
(C) C > B > A
(D) B > C > A

Answer ⇒ (D)

80. फैराडे का विधूत्-अपघटन नियम निम्न में से किससे संबंधित है ?

(A) धनायन के परमाणु भार से
(B) धनायन की गति से
(C) ऋणायन की गति से
(D) इलेक्ट्रोलाइट के समतुल्य भार से

Answer ⇒ (D)

81. एक मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड, शून्य इलेक्ट्रॉड विभव वाला होता है क्योंकि

(A) हाइड्रोजन को ऑक्सीकृत करना आसान होता है
(B) इलेक्ट्रॉड 5 विभव को शून्य माना जाता है
(C) हाइड्रोजन परमाणु केवल एक इलेक्ट्रॉन वाला होता है
(D) हाइड्रोजन सबसे हल्का तत्त्व होता है

Answer ⇒ (B)

82. A व B का ऑक्सीकृत विभव क्रमशः +2.37 व 1.66 वोल्ट होता है। एक रासायनिक अभिक्रिया में

(A) A, B द्वारा प्रतिस्थापित होगा
(B) A, B को प्रतिस्थापित करेगा
(C) A, B को प्रतिस्थापित नहीं करेगा
(D) A व B एक-दूसरे को प्रतिस्थापित नहीं करेंगे

Answer ⇒ (B)

83. एक सेल का विवा०ब० अपचयन विभव के शब्दों में अपने वायें व बारे इलेक्ट्रोडों के लिए होता है।

(A) E = E बांया -E दांया
(B) E = E बांया + E दांया
(C) E = E दांया – E बांया
(D) E = E दांया + E बांया

Answer ⇒ (C)

84. Zn(s) | Zn 2+ (aq.)||Cu2+(aq.)|Cu(s) है।

ऐनोड  कैथोडा

(A) वेस्टन सेल
(B) डैनियल सेल
(C) केलोमेल सेल
(D) मानक सेल

Answer ⇒ (B)

85. Cd2+, Ag+ व Fe2+ का मानक अपचयन विभव क्रमशः 0.40, + 0.80 तथा – 0.40 होता है। निम्न में से सबसे प्रबल अपचायक है ?

(A) Cd2+
(B) Ag2+
(C) Fe2+
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ (C)

86. सेल अभिक्रिया में Cu(s) + 2Ag+(aq.) → Cu2+(aq.) + 2Ag(s)
E०सेल = +0.46 V Cu+2 आयनों की सान्द्रता को दोगुना करके E०सेल हो जाता है

(A) दोगुना
(B) आधा
(C) दोगुने से थोड़ा कम बढ़ जाता है
(D) अपरिवर्तित

Answer ⇒ (D)

87. दो इलेक्ट्रॉन आवेशों को प्रयुक्त करनेवाली सेल अभिक्रिया के लिए सेल का मानक वि०वा०ब० 25°C पर 0.295 V पाया गया। 25°C पर अभिक्रिया का साम्य स्थिरांक होगा ?

(A) 29.5 x 10-2
(B) 10
(C) 1 x 1010
(D) 1 x 10-10

Answer ⇒ (C)

88. हाइड्रोजन ऑक्सीजन ईंधन सेल में, हाइड्रोजन का दहन होता है जो

(A) अत्यधिक शुद्ध जल उत्पन्न करता है
(B) दो इलेक्ट्रोडों के बीच विभवान्तर उत्पन्न करता है
(C) ऊष्मा उत्पन्न करता है
(D) इलेक्ट्रॉन सतह से अवशोषित ऑक्सीजन निकालता है

Answer ⇒ (B)

89. स्वतः अभिक्रिया के लिए AG, साम्य स्थिरांक K व E सेल क्रमशः होगा

(A) –ve > 1 + ve
(B) +ve > 1 >-ve
(C) –ve > 1 <-ve
(D) -ve > 1 >-ve

Answer ⇒A

90. तापमान में वृद्धि के साथ धातु की चालकता

(A) बढ़ती है
(B) घटती है
(C) अपरिवर्तित रहती है स
(D) दुगुनी होती है

Answer ⇒ (B)

91. चालक की चालकता एवं प्रतिरोध निम्नांकित से किस प्रकार संबंधित है ?

(A) c α R
(B) c = R
(C) c = 1/R
(D) c= iR

Answer ⇒ (C)

92. विधुत अपघट्य की विशिष्ट एवं तुल्यांकी चालकता दोनों के बीच का संबंध है

(A) ∧v  =Kv
(B) ∧v = Kv/ν
(C) ∧v = 2Kv
(D) ∧v = Kvv

Answer ⇒ (D)

93. सेल-स्थिरांक ज्ञात करने के लिए निम्नांकित में से किस सम्बन्ध का उपयोग करते है ?

(A) x = Kv + c
(B) x = Kv – c
(C) x = kv/c
(D) x = c/kv

Answer ⇒ (C)

94. घोल की तुल्यांकी चालकता, विशिष्ट चालकता एवं सामान्यता में सम्बन्ध है

(A) Av = Kv+ c
(B) Kv = Av/c
(C) Av = Kv + c
(D) Av = 1000/c kv

Answer ⇒ (D)

95. वह उपकरण जिसमें ईंधन जैसे हाइड्रोजन और मिथेन के दहन ऊर्जा का सीधे विधुत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है, कहते हैं।

(A) डायनेमो
(B) Ni-cd सेल
(C) ईंधन सेलामा
(D) इलेक्ट्रोलाइटिक सेल

Answer ⇒ (C)

96. फैराडे का विधुत विच्छेदन का द्वितीय नियम सम्बन्धित है

(A) धनायन के परमाणु संख्या से
(B) विधुत के समतुल्य भार से
(C) ऋणायन के परमाणु संख्या से
(D) धनायन के वंग से

Answer ⇒ (B)

97. अर्द्ध सेल अभिक्रिया के लिए स्टैण्डर्ड (मानक) इलेक्ट्रोड विभव है:
Zn → Zn++  + 2e-
E° = + 0.76 V
Fe → Fe++ + 2eE° = + 0.41 V

सेल अभिक्रिया का विधुत वाहक बल Zn + Fe++ →Zn++ Fe हैं

(A) -0.35 v
(B) + 0.35v (C) –1.17v
(D) +1.17v

Answer ⇒ (B)

98. निम्नलिखित में एक आयनिक यौगिक है

(A) अल्कोहल
(B) हाइड्रोजन क्लोराइड
(C) शक्कर
(D) सोडियम नाइट्रेट

Answer ⇒ (D)

99. सोडियम फ्लोराइड के जलीय घोल का विधुत विच्छेदन कराने पर धनोद एवं ऋणोद पर प्राप्त प्रतिफल है

(A) F2, Na
(B) F2, H2
(C) 02, Na
(D) 02, H2

Answer ⇒ (D)

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. रेडॉक्स विभव किसे कहते हैं? 
उत्तर :- जब सेल में ऑक्सीकरण तथा अपचयन अभिक्रिया होती है तो धातु और विलयन के मध्य स्थापित विभवान्तर को रेडॉक्स विभव कहते हैं; जैसे
यदि इस प्रकार के सेल का विभव E हो तो ऑक्सीकारक की सान्द्रता [Ox] तथा अपचायक की सान्द्रता [Red] में 25°C पर निम्नलिखित सम्बन्ध होता है –
जहाँ, E° रेडॉक्स विभव है और n ऑक्सीकारक (Ox) द्वारा ग्रहण किये गये इलेक्ट्रॉनों की संख्या है। जिन्हें ऑक्सीकारक ग्रहण करके अपने संगत अपचायक में बदल देता है।

प्रश्न 2. किसी सेल के विद्युत वाहक बल से क्या तात्पर्य है? 
उत्तर :- किसी सेल के इलेक्ट्रोडों के इलेक्ट्रोड विभवों में वह अन्तर, जब सेल से परिपथ में कोई विद्युत धारा नहीं बहती है, सेल को विद्युत वाहक बल कहलाता है।

प्रश्न 3. निम्नलिखित सम्भव अभिक्रियाओं की सहायता से Mg, Zn, Cu और Ag को उनके घटते हुए इलेक्ट्रोड विभव के क्रम में लिखिए –

1.Cu + 2Ag+ → Cu2+ + 2Ag

2.Mg + Zn2+ → Mg2+ + Zn

3.Zn + Cu2+ → Zn2+ + Cu

उत्तर

1.Cu + 2Ag+ → Cu2+ + 2Ag
Cu > E°Ag

2. Mg + Zn2+ → Mg2+ + Zn
Mg  > E°Zn

3.Zn + Cu2+ → Zn2+ + Cu
Zn > E°Cu

अतः E° का घटता हुआ क्रम इस प्रकार होगा –
प्रश्न 4. Mg, Zn, Cu, Ag में से किस तत्त्व की अम्ल से अभिक्रिया होने पर हाइड्रोजन गैस विमुक्त होती है?
उत्तर :- Mg तथा Zn अम्ल से अभिक्रिया करके H, गैस विमुक्त करते हैं क्योंकि विद्युत रासायनिक श्रेणी में Mg तथा Zn का स्थान हाइड्रोजन से ऊपर है अर्थात् Mg तथा Zn की अपचायक क्षमता हाइड्रोजन से अधिक है।

प्रश्न 5. कॉपर सल्फेट के विलयन में लोहे की कील डालने पर क्या होगा?
उत्तर :- कॉपर सल्फेट के विलयन में लोहे की कील डालने पर लोहे की कील के ऊपर कॉपर की परत चढ़ जायेगी, क्योंकि कॉपर की सक्रियता लोहे से कम होती है।

प्रश्न 6. जिंक तथा ताँबे में से एक अम्लों से हाइड्रोजन गैस विस्थापित नहीं करता है। क्यों? 
उत्तर :- वैद्युत रासायनिक श्रेणी में जिंक हाइड्रोजन से ऊपर तथा ताँबा हाइड्रोजन से नीचे स्थित है जिसके कारण जिंक हाइड्रोजन से अधिक अपचायक है और ताँबा कम अपचायक है। इसीलिए जिंक अम्लों से हाइड्रोजन को विस्थाप्रित करता है परन्तु, ताँबा नहीं करता है।

प्रश्न 7. यद्यपि विद्युत रासायनिक श्रेणी में ऐलुमिनियम हाइड्रोजन से ऊपर है किन्तु यह वायु और जल में स्थायी है। क्यों?
उत्तर :- यद्यपि विद्युत रासायनिक श्रेणी में ऐलुमिनियम हाइड्रोजन से ऊपर है किन्तु यह वायु और जल में स्थायी है क्योंकि यह गर्म जल या जलवायु के साथ उच्च ताप पर क्रिया करता है और साधारण ताप पर जल के साथ इसकी क्रिया मन्द होती है।

प्रश्न 8. Zn तथा Fe, कॉपर सल्फेट (CuSO4) में Cu को विस्थापित कर सकते हैं, परन्तु Pt और Ag नहीं करते। कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :- कम इलेक्ट्रोड विभव वाली धातु अधिक इलेक्ट्रोड विभव वाली धातु को उसके लवण के विलयन में से प्रतिस्थापित कर देती है। विद्युत रासायनिक श्रेणी में नीचे की ओर चलने पर इलेक्ट्रोड विभव कम होता जाता है। चूंकि विद्युत रासायनिक श्रेणी में Zn तथा Fe धातुएँ Cu से नीचे स्थित हैं अत: इनका इलेक्ट्रोड विभव Cu से कम होता है और ये Cu को उसके लवण विलयन CuSO4 में से विस्थापित कर देती हैं, जबकि Pt और Ag का स्थान विद्युत रासायनिक श्रेणी में Cu से ऊपर होता है जिसके कारण इनका इलेक्ट्रोड विभव Cu से अधिक होता है। इसी कारण से ये Cu को इसके लवण विलयन में से विस्थापित नहीं कर पाती हैं।

प्रश्न 9. सिल्वर नाइट्रेट के घोल में कॉपर की छड़ डालने पर घोल नीला क्यों हो जाता है? 
उत्तर :- वैद्युत रासायनिक श्रेणी का प्रत्येक तत्त्व अपने से नीचे स्थित तत्त्वों को उसके विलयन से विस्थापित कर सकता है। श्रेणी में Cu का स्थान Ag से ऊपर है. अत: यह AgNO3 से निम्नलिखित क्रिया देगा –
Cu + 2AgNO3 → Cu2+ + 2NO3 + 2Ag
इस प्रकार विलयन में क्यूप्रिंक आयन (Cu2+) विद्यमान होने से विलयन का रंग नीला हो जायेगा।

प्रश्न 10. विशिष्ट चालकता से क्या तात्पर्य है? इसका मात्रक क्या है?
उत्तर :- किसी चालक के विशिष्ट प्रतिरोध के व्युत्क्रम को उस चालक की विशिष्ट चालकता (या केवल चालकता) कहते हैं। इसे ग्रीक अक्षर K (कप्पा, kappa) से निरूपित किया जाता है।
k = \frac { 1 }{ p }
विशिष्ट चालकता के मात्रक ओम-1 सेमी-1 या Ω-1 सेमी-1 या S सेमी-1 हैं।

प्रश्न11. एक विद्युत अपघट्य विलयन की मोलर चालकता को परिभाषित कीजिए तथा उसके मात्रक लिखिए।
उत्तर :- किसी विलयन के एक निश्चित आयतन में उपस्थित एक विद्युत अपघट्य पदार्थ के एक मोल द्वारा उपलब्ध कराये गये आयनों की चालकता को मोलर चालकता कहते हैं। इसे A से प्रदर्शित करते हैं। मोलर चालकता के मात्रक ओम-1 सेमी2 मोल-1 या S सेमी2 मोल-1 हैं।

प्रश्न 12. कोलराउश का नियम क्या है?
उत्तर :- इस नियम के अनुसार, “किसी विद्युत अपघट्य की अनन्त तनुता पर चालकता इसके धनायनों तथा ऋणायनों की मोलर चालकताओं के योग के बराबर होती है, यदि प्रत्येक चालकता पद को विद्युत अपघट्य सूत्र में उपस्थित संगत आयनों की संख्या से गुणा किया जाये।”

प्रश्न13. विद्युत अपघटन की क्रियाविधि उपयुक्त उदाहरण सहित समझाइए। 
उत्तर :- किसी विद्युत अपघट्य का विद्युत धारा द्वारा अपघटन विद्युत अपघटन कहलाता है। उदाहरणार्थ- गलित सोडियम क्लोराइड में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर यह सोडियम और क्लोरीन में अपघटित हो जाता है।
प्रश्न14. फैराडे का विद्युत अपघटन का प्रथम नियम लिखिए। 
उत्तर :- इस नियम के अनुसार, “विद्युत अपघटन की प्रक्रिया में किसी इलेक्ट्रोड विशेष पर मुक्त (अथवा एकत्रित) पदार्थ का द्रव्यमान विलयन में प्रवाहित की गई विद्युत की मात्रा (कुल आवेश) के समानुपाती होता है।”

प्रश्न15. फैराडे का विद्युत अपघटन का द्वितीय नियम लिखिए। 
उत्तर :- इस नियम के अनुसार, “जब श्रेणीक्रम में जुड़े विभिन्न विद्युत अपघट्यों के विलयनों में समान मात्रा में विद्युत प्रवाहित की जाती है, तो इलेक्ट्रोडों पर मुक्त (या एकत्रित) पदार्थों के द्रव्यमान उनके तुल्यांक भारों के समानुपाती होते हैं।’
अर्थात्  W1 ∝ E1 W2 ∝ E2, \frac { { W }_{ 1 } }{ { E }_{ 1 } } \frac { { W }_{ 2 } }{ { E }_{ 1=2 } } \frac { { W }_{ 3 } }{ { E }_{ 3 } }

प्रश्न16. विद्युत लेपन को उदाहरण द्वारा संक्षेप में समझाइए। 
उत्तर :- विद्युत अपघटन द्वारा कम सक्रिय धातु की कलई अधिक सक्रिय धातु पर चढ़ाई जाती है। इस प्रक्रिया को विद्युत लेपन कहते हैं। धातुओं की होने वाली अवांछनीय संक्षारण क्रिया को विद्युत लेपन द्वारा रोका जाता है।
उदाहरणार्थ– लोहे की चादर पर जिंक या टिन का लेप किया जाता है। क्योंकि जिंक या टिन की सक्रियता लोहे से कम है।

प्रश्न 17. इलेक्ट्रोड विभव किसे कहते हैं? इसका मान किन-किन कारकों पर निर्भर करता है? (2012, 15)
उत्तर :- जब किसी धातु (इलेक्ट्रोड) को उसी धातु के किसी लवण विलयन में रखा जाता है तो धातु तथा विलयन के सम्पर्क स्थल पर वैद्युत द्विक-स्तर (electrical double layer) उत्पन्न हो जाता है जिसके फलस्वरूप धातु तथा विलयन के मध्य विभवान्तर उत्पन्न हो जाता है जिसे इलेक्ट्रोड विभव (electrode potential) कहते हैं। इसे E° से प्रकट करते हैं और इसे वोल्ट में मापा जाता है। उदाहरणार्थ-जब कॉपर की छड़, कॉपर सल्फेट के विलयन में डुबोई जाती है तो कॉपर की छड़, विलयन के सापेक्ष ऋणावेशित हो जाती है जिससे कॉपर धातु और कॉपर आयनों के मध्य विभवान्तर उत्पन्न हो जाता है।
Cu (s) \rightleftharpoons Cu2+ + 2e
इस विभवान्तर को कॉपर इलेक्ट्रोड का विभव कहते हैं।

इलेक्ट्रोड विभव निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है –

1.चालक की प्रकृति – जिस इलेक्ट्रोड की चालकता अधिक होगी वह उतना ही अधिक इलेक्ट्रोड विभवे उत्पन्न करता है।

2.धात्विक आयन की विलयन में सान्द्रता – सान्द्रता बढ़ाने पर इलेक्ट्रोड विभव को मान घटता है, क्योंकि सान्द्रता बढ़ाने पर आयनन घट जाता है, फलस्वरूप चालकता कम हो जाती है।

3.तापक्रम – इलेक्ट्रोड विभव का मान ताप पर भी निर्भर करता है जो ताप बढ़ाने पर आयनन बढ़ जाने के कारण बढ़ता है।

प्रश्न 18. मानक इलेक्ट्रोड विभव क्या है? इलेक्ट्रोड विभव (E) और मानक इलेक्ट्रोड विभव (E°) में सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर :- 
मानकं इलेक्ट्रोड विभव – किसी धातु की छड़ को 25°C पर एक मोलर धातु आयन सान्द्रता के विलयन में डुबोने पर धातु और विलयन के मध्य जो विभवान्तर उत्पन्न होता है उसे धातु का मानक इलेक्ट्रोड विभव (E°) कहते हैं।
इलेक्ट्रोड विभव (E) और मानक इलेक्ट्रोड विभव (E°) में सम्बन्ध
माना एक इलेक्ट्रोड अभिक्रिया इस प्रकार है –
नेर्नस्ट के अनुसार, किसी ताप T पर धातु इलेक्ट्रोड M| Mn+ के विभव E और विलयन में धातु आयनों की सान्द्रता [Mn+] में निम्नलिखित सम्बन्ध होता है,
इसे नेर्नस्ट समीकरण भी कहते हैं।
जहाँ E° धातु का मानक इलेक्ट्रोड विभव (वोल्ट में), R गैस नियतांक (R= 8.312 JK-1 mol-1), T परम ताप (केल्विन में), F फैराडे नियतांक (F = 96,485 C mol-1), n इलेक्ट्रोड अभिक्रिया में भाग लेने वाले इलेक्ट्रॉनों के मोलों की संख्या तथा [Mn+] विलयन में धातु आयनों की सक्रियता (activity) अथवा मोल प्रति लीटर में व्यक्त सान्द्रता है।

प्रश्न 19. वैद्युत रासायनिक श्रेणी किसे कहते हैं? इसके प्रमुख लक्षण तथा दो प्रमुख उपयोग लिखिए।
उत्तर :- 
वैद्युत रासायनिक श्रेणी–विभिन्न धातुओं तथा अधातुओं के मानक इलेक्ट्रोड विभवों (अपचयन विभव) को बढ़ते हुए क्रम में रखने पर जो श्रेणी प्राप्त होती है, उसे वैद्युत रासायनिक श्रेणी कहते हैं।
वैद्युत रासायनिक श्रेणी के लक्षण

1.श्रेणी में ऊपर से नीचे की ओर जाने पर तत्त्वों की अपचयन क्षमता घटती है, जबकि नीचे से ऊपर जाने पर अपचयन क्षमता बढ़ती है।

2.हाइड्रोजन से ऊपर के सभी तत्त्व अम्लों से अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस मुक्त करते हैं, जबकि नीचे वाले तत्त्व अम्लों से अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस मुक्त नहीं करते।

3.हाइड्रोजन से ऊपर के सभी तत्त्व जल या भाप के साथ क्रिया करके H, गैस देते हैं।

4.जिस तत्त्व का अपचयन विभव जितना अधिक होता है, वह उतना ही प्रबल ऑक्सीकारक होता है।

5.जिस तत्त्व का अपचयन विभव जितना कम होता है, वह उतना ही प्रबल अपचायक होता है।

6.श्रेणी का ऊपर वाला तत्त्व नीचे वाले तत्त्व को उसके विलयन से विस्थापित कर देता है।

उपयोग – वैद्युत रासायनिक श्रेणी के दो उपयोग निम्नवत् हैं –

1.किसी सेल के मानक वैद्युत वाहक बल का निर्धारण करने में,

2.धातुओं की क्रियाशीलता की तुलना करने में।

प्रश्न 20. गरम करने पर HgO अपघटित हो जाता है परन्तु MgO नहीं। क्यों? 
उत्तर :- जो धातु विद्युत रासायनिक श्रेणी में Cu से नीचे हैं उनके ऑक्साइड कम स्थायी होते हैं और वे गर्म करने पर आसानी से अपघटित हो जाते हैं।
2HgO \underrightarrow { \triangle } 2Hg + O2
MgO \underrightarrow { \triangle } कोई विघटन नहीं

प्रश्न 21. निम्नलिखित को कारण सहित समझाइए –

1.क्लोरीन KI विलयन से I2 को विस्थापित कर देती है परन्तु I2, KBr विलयन से ब्रोमीन को विस्थापित नहीं करती है। क्यों ? (2017)

2.Hg+ H2SO4 → HgSO4 + H2

उपर्युक्त अभिक्रिया सम्भव नहीं है।
उत्तर :- 
1. Cl2 की ऑक्सीकारक क्षमता आयोडीन से अधिक है इसलिए Cl2 KI विलयन से आयोडीन को विस्थापित कर देती है।
2KI + Cl2 → 2KCl + I2
I2 की ऑक्सीकारक क्षमता ब्रोमीन से कम है इसलिए I2, KBr विलयन से ब्रोमीन को विस्थापित नहीं कर पाती है।
2KBr + I2 → कोई अभिक्रिया नहीं

2. Hg विद्युत रासायनिक श्रेणी में हाइड्रोजन से नीचे है इसलिए Hg, H2SO4 से हाइड्रोजन को विस्थापित नहीं कर पाती है।
Hg+ H2SO4 → कोई अभिक्रिया नहीं

प्रश्न 22. कोलराउश के नियम की सहायता से आप ऐसीटिक अम्ल की अनन्त तनुता पर मोलर चालकता किस प्रकार ज्ञात करेंगे?
उत्तर :- 
कोलराउश के नियम की सहायता से किसी दुर्बल विद्युत अपघट्य की अनन्त तनुता पर मोलर चालकता का निर्धारण आसानी से किया जा सकता है। जैसे- CH3COOH के लिए Δm का मान निम्न प्रकार से प्राप्त किया जा सकता है –
कोलराउश के नियम के अनुसार,
यदि H+ आयन तथा CH3COO आयन के लिए अनन्त तनुता पर मोलर चालकताओं के मान ज्ञात हैं। तो उपर्युक्त समीकरण की सहायता से CH3COOH के लिए Δm का मान आसानी से ज्ञात किया जा सकता है। यदि आयनिक चालकताएँ ज्ञात नहीं हैं तो निम्न परोक्ष विधि का प्रयोग किया जाता हैपरोक्ष विधि में तीन (या अधिक) ऐसे प्रबल विद्युत अपघट्यों का चुनाव किया जाता है जिनके Δm के मानों के योग/अन्तर से विचाराधीन दुर्बल विद्युत अपघट्य के Δm का मान प्राप्त किया जा सके जैसे- CH3COOH के Δm के मान को निर्धारित करने के लिए HCl, CH3COONa तथा NaCl का चुनाव किया जाता है और इनके Δm के मानों को बहिर्वेशन विधि द्वारा ज्ञात कर लिया जाता है। कोलराउश के नियम के अनुसार,
प्रश्न 23. क्या कारण है कि गलित कैल्शियम हाइड्राइड का विद्युत अपघटन करने पर हाइड्रोजन ऐनोड पर मुक्त होती है? समझाइए।
उत्तर :- गलित CaH2 में हाइड्रोजन हाइड्राइड आयन H के रूप में रहता है और विद्युत अपघटन करने पर H को ऑक्सीकरण होता है।
CaH2 → Ca2+ + 2H
2H → H2 +2e (ऐनोड)

प्रश्न 24. निम्न सेलों की संरचना तथा कार्य प्रणाली का वर्णन कीजिए

1.शुष्क सेल तथा

2.मर्करी सेल

उत्तर :- 
1. शुष्क सेल – यह सबसे अधिक प्रयोग किए जाने वाला प्राथमिक व्यापारिक सेल है। एक सामान्य शुष्क सेल को संलग्न चित्र में दर्शाया गया है। इसमें जिंक धातु से बना एक पात्र होता है जो ऐनोड का कार्य करता है। MnO2 + C चूर्ण से घिरी एक ग्रेफाइट छड़ कैथोड का कार्य करती है। जिंक पात्र तथा ग्रेफाइट छड़ के मध्य के रिक्त स्थान में NH4Cl तथा ZnCl2 का एक नम पेस्ट भरा रहता है। जिंक पात्र के चारों ओर गत्ते का आवरण चढ़ा रहता है। सेल के ऊपरी सिरे को मोम अथवा पिच (pitch) से सील कर दिया जाता है।
इस सेल में जटिल रासायनिक अभिक्रियाएँ होती हैं।
इन अभिक्रियाओं को सरल रूप में निम्न प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है-
ऐनोड पर–  Zn(s) → Zn2+ + 2e
कैथोड पर– MnO2 + NH+4 +e → MnO(OH) + NH3

ऐनोड पर जिंक ऑक्सीकृत होकर Zn2+ आयनों में परिवर्तित होता है। कैथोड पर मैंगनीज +4 अवस्था से +3 ऑक्सीकरण अवस्था में अपचयित होता है। कैथोड अभिक्रिया में उत्पन्न अमोनिया ऐनोडिक अभिक्रिया में उत्पन्न Zn2+ आयनों से संयोग कर Zn(NH3)+4 आयनों का निर्माण करती है। Zn2+ आयनों के NH3 अणुओं द्वारा जटिलीकरण के कारण मुक्त Zn2+ आयनों की सान्द्रता घट जाती है। जिससे सेल की वोल्टता (voltage) में वृद्धि होती है।

शुष्क सेल का विभव लगभग 1.25 – 1.5 V होता है। इन सेलों की आयु अधिक नहीं होती है क्योंकि सेल में प्रयुक्त NH4Cl अम्लीय प्रकृति का होता है और प्रयोग में न लेने की अवस्था में भी जिंक पात्र का संक्षारण (corrosion) करता रहता है। यह एक प्राथमिक सेल है तथा इसे पुनः आवेशित करना सम्भव नहीं है।

(ii) मर्करी सेल – मर्करी सेल एक विशेष प्रकार का शुष्क सेल है जिसका उपयोग प्राय: घड़ी, कैमरा आदि छोटे यन्त्रों में ऊर्जा स्रोत के रूप में किया जाता है।
मर्करी सेल में जिंक-मर्करी अमलगम ऐनोड के रूप में कार्य करता है। मरक्यूरिक ऑक्साइड (HgO) तथा कार्बन का एक पेस्ट कैथोड का कार्य करता है। पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड (KOH) तथा जिंक ऑक्साइड (ZnO) के एक पेस्ट को विद्युत अपघट्य के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। सेल में निम्न अभिक्रियाएँ होती हैं –
ऐनोड पर – Zn (amalgam) + 2OH → ZnO(s) + H20+ 2e
कैथोड पर – HgO(s) + H2O+ 2e → Hg(l) + 2OH
नेट सेल अभिक्रिया –
Zn(amalgam) + HgO(s) → ZnO(s) + Hg(l)

इस सेल की सेल अभिक्रिया में विलयन में उपस्थित कोई ऐसा आयन निहित नहीं है जिसकी सान्द्रता में परिवर्तन हो सकता हो। इस कारण इस सेल का सेल विभव केवल प्रयोग की अवधि में ही नहीं अपितु इसके सम्पूर्ण कार्यकाल में स्थिर रहता है। इसका सेल विभव लगभग 1.35 V है।

प्रश्न 25. किसी व्यापारिक सेल का वर्णन कीजिए। 
उत्तर :- 
लेड संचायक बैटरी – यह सबसे अधिक प्रयोग की जाने वाली संचायक बैटरी है। इसका उपयोग सभी स्वचालित वाहनों, जैसे-कार, बस आदि में तथा घरेलू ऊर्जा स्रोतों (power inverters) में किया जाता है। इसमें अनेक लेड संचायक सेल (lead storage cells) श्रेणीक्रम में व्यवस्थित होते हैं।
एक लेड संचायक सेल वास्तव में एक गैल्वेनिक सेल है जिसमें ऐनोड सूक्ष्म वितरित स्पंजी लेड (finely divided spongy lead) से पैक की गई लेड (या लेड-ऐन्टीमनी मिश्र धातु) की एक जाली का बना होता है, जबकि कैथोड लेड डाइऑक्साइड (PbO2) की एक परत युक्त एक लेड की जाली का बना होता है। विद्युत अपघट्य के रूप में सल्फ्यूरिक अम्ल के एक तनु विलयन (लगभग 38% द्रव्यमानानुसार) का प्रयोग किया जाता है जिसका विशिष्ट घनत्व (specific gravity) 1.3 g cm होता है। एक संचायक सेल का सेल विभव 2 वोल्ट होता है।

लेड संचायक बैटरी बनाने के लिए अनेक लेड संचायक सेलों को श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है। सेल विभव (emf) 12 V प्राप्त करने के लिए 6 सेलों को तथा सेल विभव 24 V प्राप्त करने के लिए 12 सेलों को श्रेणीक्रम में जोड़ने की आवश्यकता होती है। एक लेड संचायक बैटरी में ऐनोड तथा कैथोड़ प्लेटें (जिन्हें ग्रिड (grids) कहा जाता है। एकान्तर रूप में व्यवस्थित होती हैं तथा सल्फ्यूरिक अम्ल के 38% विलयन में डूबी रहती हैं। ऐनोडों तथा कैथोडों को एक-दूसरे से पृथक् करने के लिए कुचालक पदार्थ से बने पृथक्कारकों (separators) को प्रयोग किया जाता है। ऐलोड तथा कैथोड प्लेटें पृथक् रूप से एक-दूसरे से जोड़ दी जाती हैं। इससे इलेक्ट्रोडों के पृष्ठ क्षेत्रफल में वृद्धि होती है तथा बैटरी की विद्युत उत्पादन क्षमता में वृद्धि हो जाती है।

बैटरी में स्थित प्रत्येक सेल में निम्न इलेक्ट्रोड अभिक्रियाएँ होती हैं –
ऐनोड पर : Pb(s) + SO2-4(aq) → PbSO4 (5) + 2e
कैथोड पर : PbO2 (s) + SO2-4 (aq) + 4H+ (aq) + 2e → PbSO4 (s) + 2H2O
शुद्ध सेल अभिक्रिया :
Pb (s) + PbO2 (s) + 4H+ (aq) + 2SO2-4 (aq) → 2PbSO4 (s) + 2H2O
उपर्युक्त अभिक्रियाओं से स्पष्ट है कि सेल (बैटरी) से विद्युत-धारा ग्रहण करने की प्रक्रिया (discharging of the cell) में सल्फ्यूरिक अम्ल का उपभोग होता है और इस कारण सेल में उपस्थित सल्फ्यूरिक अम्ल तनु हो जाता है एवं इसका विशिष्ट घनत्व कम हो जाता है। दोनों प्रकार के इलेक्ट्रोडों पर PbSO4 का सफेद अवक्षेप जमा हो जाता है। जब सल्फ्यूरिक अम्ल का विशिष्ट घनत्व
1.2 g cm-3 से कम हो जाता है तथा दोनों प्रकार के इलेक्ट्रोड PbSO4 से आच्छादित हो जाते हैं तो सेल अभिक्रिया रुक जाती है। ऐसे सेल (बैटरी) को निरावेशित (discharged) कहा जाता है। इस स्थिति में सेल (बैटरी) को पुनः आवेशित करने की आवश्यकता होती है।

पुनः आवेशन—निरावेशित लेड संचायक सेल (बैटरी) को विपरीत दिशा में किसी बाह्य स्रोत से दिष्ट धारा (D.C.) प्रवाहित कर पुनः आवेशित किया जा सकता है। इसके लिए संचायक सेल (बैटरी) के ऋणात्मक इलेक्ट्रोड टर्मिनल को एक दिष्ट धारा स्रोत के ऋणात्मक से तथा सेल (बैटरी) के धनात्मक इलेक्ट्रोड को स्रोत के धनात्मक टर्मिनल से जोड़ा जाता है। विद्युत धारा प्रवाहित करने पर इलेक्ट्रोड
अभिक्रियाएँ उत्क्रमित हो जाती हैं जिससे PbSO4 ऋणात्मक इलेक्ट्रोड पर Pb में तथा धनात्मक इलेक्ट्रोड पर PbO2 में परिवर्तित हो जाता है। पुनः आवेशन के समय निम्न अभिक्रियाएँ होती हैं –

ऐनोड पर – PbSO4 (5) + 2e → Pb(s) + SO2-4 (aq)
कैथोड पर – PbSO4 (s) + 2H2O → PbO2(s) + 4H+ (aq) + SO4 (aq) + 2e
शुद्ध आवेशन अभिक्रिया –
2PbSO4 (s) + 2H2\underrightarrow { Charging } Pb(s) + PbO2(s) + 4H+ (aq) + 2SO2-4 (aq)
उपर्युक्त अभिक्रियाओं से स्पष्ट है कि सेल (बैटरी) की पुन: आवेशन प्रक्रिया में इलेक्ट्रोड पदार्थ अपने मूल रूप में पुनः प्राप्त हो जाते हैं तथा H+ एवं SO2-4 आयनों के निर्माण के कारण H2SO4 के विशिष्ट घनत्व में वृद्धि होती है और यह बढ़कर पुनः 1.3 g cm-3 हो जाता है। इस प्रकार सेल (बैटरी) पुनः विद्युत धारा को उत्पन्न करने में सक्षम हो जाती है और इसे पुन: उपयोग में लाया जा सकता है।

प्रश्न 26. लोहे को जंग लगने से बचाने के लिए प्रयुक्त कुछ प्रमुख विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :- 
संक्षारण – जब एक धातु को किसी विशिष्ट वातावरण में रखा जाता है तो वह वातावरण से क्रिया कर सकती है जिसके फलस्वरूप उसकी सतह कलुषित (deteriorate) हो सकती है। इस घटना को संक्षारण (corrosion) कहते हैं।

अधिकांश धातुएँ वायुमण्डल में रखे जाने पर किसी न किसी रूप में प्रभावित होती हैं। वायुमण्डल में उपस्थित गैसें धातु से मन्द गति से क्रिया कर उसकी सतह को कलुषित कर देती हैं। इससे धातुएँ अपनी विशिष्ट चमक खो देती हैं। कुछ धातुओं की शक्ति कम हो जाती है और वे दुर्बल तथा भंगुर (brittle) । हो जाती हैं। चाँदी की चमक का कम होना (tarnishing of silver), लोहे पर जंग लगना (rusting on iron), ताँबे या कॉसे पर हरी परत का जमा होना आदि संक्षारण के कुछ सामान्य उदाहरण हैं। संक्षारण को निम्न प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है –
किसी निश्चित वातावरण की मन्द किन्तु स्वतः प्रवर्तित क्रिया द्वारा धातुओं की सतह के कलुषित (deteriorate) होने की प्रक्रिया को संक्षारण कहा जाता है।

संक्षारण को प्रभावित करने वाले कारक
धातुओं का संक्षारण अनेक कारकों पर निर्भर करता है। इनमें से कुछ प्रमुख कारक निम्न हैं –
1. धातु की क्रियाशीलता – अधिक क्रियाशील धातु के संक्षारण की सम्भावना किसी अन्य कम क्रियाशील धातु की तुलना में अधिक होती है। उदाहरणार्थ- लोहा अपने से कम क्रियाशील धातु चाँदी की तुलना में अधिक तेजी से संक्षारित होता है। किसी धातु की क्रियाशीलता उसकी विद्युत धनात्मक प्रकृति पर निर्भर करती है। धातु की विद्युत धनात्मक प्रकृति जितनी अधिक होगी, वह उतनी ही अधिक क्रियाशील होगी। इस प्रकार धातुएँ जैसे-Na, Ca, Mg, Al, Zn आदि शीघ्रता से संक्षारित होती हैं।

2. धातु में अशुद्धियों की उपस्थिति – शुद्ध धातुएँ प्राय: अधिक संक्षारित नहीं होती हैं। एक धातु में अन्य अशुद्ध धातुओं की उपस्थिति उस धातु में संक्षारण को प्रेरित करती है। इसका कारण यह है कि कम विद्युत धनात्मक अशुद्ध धातुएँ ग्राही धातु के साथ गैल्वेनिक सेलों का निर्माण करती हैं जिससे ग्राही धातु संक्षारित हो जाती है।

3. जल में विद्युत अपघट्यों की उपस्थिति – जल में विद्युत अपघट्य पदार्थों की उपस्थिति संक्षारण की दर में वृद्धि करती है। उदाहरणार्थ-लोहे का संक्षारण आसुत जल की तुलना में समुद्री जल में अधिक सीमा तक होता है, क्योंकि समुद्री जल में अनेक विद्युत अपघट्य जैसे NaCl, KCl आदि घुले रहते हैं।

4. वायु में क्रियाशील गैसों की उपस्थिति – वायु में उपस्थित क्रियाशील गैसें; जैसे- CO2 , SO2, NO2 आदि जल में घुलकर अम्लों का निर्माण करती हैं, जो विद्युत-अपघट्यों का कार्य करते हैं एवं संक्षारण प्रक्रिया को त्वरित करते हैं।

लोहे पर जंग लगना – जब लोहे के एक टुकड़े को नम वायु में खुला रखा जाता है, तो उसकी सतह पर एक लाल-भूरी (reddish brown) परत बन जाती है। इस परत को आसानी से खुरचा जा सकता है। नम वायु की क्रिया द्वारा लोहे की सतह पर एक लाल-भूरी परत के जमा होने की प्रक्रिया को जंग लगना कहते हैं तथा लाल-भूरी परत को जंग कहा जाता है।

लोहे पर जंग लगना वास्तव में वायु, जल तथा कार्बन डाइऑक्साइड की लोहे से संयुक्त अभिक्रिया के कारण होता है। पूर्णरूप से शुष्क वायु या वायु मुक्त शुद्ध जल में लोहे पर जंग नहीं लगती है। जंग की सही संरचना वायुमण्डलीय परिस्थितियों तथा जंग को प्रेरित करने वाले कारकों के सापेक्ष योगदान पर निर्भर करती है। यह मुख्य रूप से जलयोजित फैरिक ऑक्साइड Fe2O3.xH2O है। इसके निर्माण को सरल रूप में निम्न समीकरण द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है –
जंग लगने की प्रक्रिया में नम वायु की उपस्थिति में सर्वप्रथम लोहे की बाहरी सतह जंग ग्रस्त होती है। और सतह पर जलयोजित फेरिक ऑक्साइड (जंग) की एक परत जमा हो जाती है। यह परत मुलायम तथा सरन्ध्र होती है और मोटाई बढ़ने पर स्वयं नीचे गिर सकती है। परत के नीचे गिरने से लोहे की आन्तरिक परत वायुमण्डल के सम्पर्क में आ जाती है और उस पर भी जंग लग जाती है। इस प्रकार यह प्रक्रम चलता रहता है और धीरे-धीरे लोहा अपनी शक्ति खोता रहता है।
लोहे पर जंग लगने की प्रक्रिया निम्नलिखित कारकों से प्रेरित तथा अधिशासित होती है –

1.वायु की उपस्थिति

2.नमी की उपस्थिति

3.कार्बन डाइऑक्साइड की उपस्थिति

4.जल में विद्युत अपघट्यों की उपस्थिति

5.लोहे में कम विद्युत धनात्मक धातुओं की अशुद्धि के रूप में उपस्थिति

संक्षारण की क्रियाविधि – संक्षारण की क्रियाविधि की व्याख्या करने के लिए समय-समय पर अनेक सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया गया है। इन सिद्धान्तों में विद्युत रासायनिक सिद्धान्त (electrochemical theory) सर्वाधिक मान्य है।

विद्युत रासायनिक सिद्धान्त के अनुसार, संक्षारण मूल रूप से एक विद्युत रासायनिक घटना है। यह मुख्य रूप से धातु सतह के विभिन्न भागों के विद्युत रासायनिक व्यवहारों में भिन्नता के कारण सम्पन्न होती है। लोहे पर जंग लगना संक्षारण का एक विशिष्ट रूप है। विद्युत रासायनिक सिद्धान्त के आधार पर संक्षारण की क्रियाविधि को लोहे पर जंग लगने के उदाहरण से निम्न प्रकार से आसानी से समझा जा सकता है। लोहे पर जंग लगने की क्रियाविधि-लोहे का संक्षारण उस समय होता है जब इसे जल, घुलित ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड युक्त वातावरण में रखा जाता है। विद्युत रासायनिक सिद्धान्त के अनुसार, लोहे की सतह के रासायनिक रूप से भिन्न भाग घुलित ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड युक्त जल की उपस्थिति में लघु गैल्वेनिक सेलों (miniature galvanic cells) की भाँति व्यवहार करते हैं। सतह का एक भाग ऐनोड की भाँति तथा कोई अन्य भाग कैथोड की भाँति कार्य करता है। इसके फलस्वरूप ऐनोडिक क्षेत्र (anodic area) में ऑक्सीकरण की क्रिया सम्पन्न होती है और आयरन परमाणु Fe2+ आयनों में ऑक्सीकृत हो जाते हैं।
ऐनोडिक क्षेत्र में –
इस प्रकार मुक्त इलेक्ट्रॉन धातु माध्यम में गति कर कैथोडिक क्षेत्र में पहुँच जाते हैं। कैथोडिक क्षेत्र में इलेक्ट्रॉन H+ आयनों की उपस्थिति में ऑक्सीजन को अपचयित करते हैं। H’ आयनों का निर्माण जल परत में H2CO3 के वियोजन के कारण होता है जो CO2 के जल में घुलने से प्राप्त होता है।
जल परत में– H2O(l) + CO2 (g) → H2CO3 (aq)
H2CO3 (aq) \rightleftharpoons H+ (aq) + HCO3 (aq)

कैथोडिक क्षेत्र में – O2 (g) + 4H+ (aq) + 4e → 2H2O (l); E° = 1.23 V
इस प्रकार लोहे की सतह पर स्थित एक लघु गैल्वेनिक सेल में सम्पन्न होने वाली नेट अभिक्रिया को निम्न प्रकार से प्राप्त किया जा सकता है –

ऐनोड पर – [Fe(s) → Fe2+ (aq) + 2e ] x 2
कैथोड पर – O2 (g) + 4H+ (aq) +4e → 2H2O(l)
नेट अभिक्रिया –
2Fe(s) + O2(g) + 4H+ (aq) → 2Fe2+ (aq) + 2H2O(l); E° cell = 1.67 V

उपर्युक्त अभिक्रिया में निर्मित Fe2+ आयन लोहे की सतह पर स्थित जल परत में गति करने लगते हैं। यदि जल परत में NaCl, MgCl2 आदि विद्युत अपघट्य उपस्थित हैं तो लघु सेल में अधिक विद्युत धारा का संचालन होता है तथा जंग लगने की प्रक्रिया तीव्र हो जाती है।
एक लघु गैल्वेनिक सेल में निर्मित Fe2+ आयन वायुमण्डलीय ऑक्सीजन द्वारा Fe3+ आयनों में ऑक्सीकृत हो जाते हैं तथा वायुमण्डलीय ऑक्सीजन एवं नमी से संयोग कर जलयोजित आयरन (III) ऑक्साइड (Fe2O3 . xH2O) का निर्माण करते हैं जो लोहे की सतह पर जंग के रूप में जमा हो जाता है।
4Fe2+ (aq) + O2 (g) + 4H2O(l)-→ 2Fe2O3 (s) + 8H+
उपर्युक्त अभिक्रिया में उत्पन्न हुए H+ ओयन जंग लगने की प्रक्रिया में पुन: उपभोगित हो जाते हैं। यदि लोहे में कम विद्युत धनात्मक धातुएँ अशुद्धि के रूप में उपस्थित हैं तो जंग लगने की प्रक्रिया त्वरित हो जाती है क्योकि अशुद्धियाँ लोहे की सतह पर अनेक लघु गैल्वेनिक सेलों का निर्माण करती हैं। अत्यन्त शुद्ध लोहे पर शीघ्रता से जंग नहीं लगती है। जल में विद्युत अपघट्यों की उपस्थिति जंग प्रक्रिया को त्वरित करती है क्योंकि अपघट्य लोहे की सतह पर उपस्थित जल परत की विद्युत चालकता में वृद्धि करते हैं। यही कारण है कि आसुत जल की तुलना में समुद्री जल में लोहे पर अधिक तेजी से जंग लगती है।

संक्षारण से बचाव – संक्षारण से बचाव की कुछ प्रमुख विधियाँ निम्न हैं –
1. अवरोध रक्षण – लोहे को जंग लगने से बचाने के लिए इस विधि का काफी उपयोग किया जाता है। इस विधि में धातु सतह तथा वायुमण्डलीय वायु के मध्य एक उपयुक्त अवरोध का निर्माण किया जाता है! इससे धातु सतह वायु, जल तथा कार्बन डाइऑक्साइड की क्रिया से बची रहती है और संक्षारित नहीं होती है। अवरोध रक्षण निम्न में से किसी भी विधि द्वारा किया जा सकता है –

1.धातु की सतह पर तेल या ग्रीस के लेपन द्वारा – लोहे की सतह पर तेल या ग्रीस (grease) की एक पतली फिल्म बनाकर उसे जंग लगने से बचाया जा सकता है। लोहे के औजारों तथा मशीनी भागों (machinery parts) को इसी प्रकार जंग लगने से बचाया जाता है।

2.धातु सतह पर पेंट के लेपन द्वारा – धातु सतह पर किसी पेंट (paint), एनामिल (enamel) आदि का एक पतली परत के रूप में लेपन करने से धातु संक्षारित होने से बच जाती है।

3.धातु पर कुछ विशिष्ट रसायनों के लेपन द्वारा – लोहे की सतह पर FePO4 या अन्य किसी उपयुक्त रसायन का लेप कर उसे जंग लगने से बचाया जा सकता है। रसायन की पतली अविलेय परत लोहे को वायु तथा नमी के सम्पर्क से बचाकर इस पर जंग नहीं लगने देती है।

4.धातु पर असंक्षारणीय धातुओं की परत द्वारा – किसी असंक्षारणीय धातु; जैसे- निकिल, क्रोमियम आदि की एक पतली परत को किसी धातु पर चढ़ाकर भी उसकी संक्षारण से रक्षा की जा सकती है। जैसे, लोहे पर निकिल या क्रोमियम की एक पतली परत द्वारा लोहे को जंग लगने से बचाया जा सकता है।

2. बलिदानी रक्षण – इस विधि में धातु का रक्षण उसकी सतह पर लेपित एक अन्य अधिक सक्रिय धातु के बलिदान द्वारा किया जाता है। जब एक धातु की सतह को एक अधिक सक्रिय धातु से आवृत कर दिया जाता है, तो अधिक सक्रिय धातु प्रथम धातु की तुलना में वरीयता से इलेक्ट्रॉन त्याग कर आयनिक अवस्था में परिवर्तित होती रहती है। इससे अधिक सक्रिय धातु धीरे-धीरे उपभोगित होती रहती है और प्रथम धातु की संक्षारण से रक्षा करती है। जब तक अधिक सक्रिय धातु संक्षारणीय धातु की सतह पर स्थित होती है तब तक प्रथम धातु-संक्षारण से बची रहती है।

लोहे का गैल्वेनीकरण – जिंक लोहे से अधिक क्रियाशील (अधिक विद्युत धनात्मक) है, अत: जिंक का उपयोग प्राय: लोहे की सतह को आवृत करने के लिए किया जाता है। लोहे की सतह पर जिंक की एक पतली परत को जमा करने की प्रक्रिया को गैल्वेनीकरण कहा जाता है। गैल्वेनीकरण को निम्न दो प्रकार से सम्पन्न किया जा सकता है –

1.लोहे को पिघले जिंक में डुबोकर – इस विधि में लोहे की चादरों को पिघले जिंक में डुबोया जाता है और इसके पश्चात् उन्हें गर्म रॉलरों (rollers) के मध्य से गुजारा जाता है, जिससे लोहे की चादर से चिपका अतिरिक्त जिंक हट जाता है और उस पर जिंक की एक समान पतली परत शेष रह जाती है।

2.शेरार्डीकरण द्वारा – इस विधि में जिंक चूर्ण को उच्च ताप पर गर्म किया जाता है और प्राप्त जिंक वाष्प को लोहे की चादरों की सतह पर संघनित होने दिया जाता है, जिससे उन पर जिंक की एक
पतली तथा एक समान परत जमा हो जाती है।

लोहे की सतह पर स्थित जिंक की परत के कारण लोहे की सतह वायु तथा नमी के सम्पर्क में नहीं आने पाती है। जिंक की परत में खरोंच अथवा दरारें उत्पन्न होने पर भी लोहे पर जंग नहीं लगती है। इसका कारण यह है कि जिंक का मानक अपचयन विभव लोहे के मानक अपचयन विभव से कम है। स्पष्ट है कि लोहे की तुलना में जिंक में ऑक्सीकृत होने की प्रवृत्ति अधिक होती है। जिंक परत में दरार पड़ने पर जिंक परत ऐनोड की भाँति तथा लोहे की खुली सतह कैथोड की भाँति कार्य करने लगती है। ऐनोड पर जिंक के ऑक्सीकरण में उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन आयरन कैथोड पर जाकर वायुमण्डलीय ऑक्सीजन को जल में अपचयित कर देते हैं। ऑक्सीकरण के कारण जिंक परत वायुमण्डलीय O2, CO2 तथा नमी की उपस्थिति में भास्मिक जिंक कार्बोनेट, ZnCO3, Zn(OH)2 में परिवर्तित हो जाती है। यह परत लोहे की खुली सतह को जंग लगने से बचाती है।

टिन द्वारा लोहे की रक्षण – लोहे की सतह पर टिन की एक पतली परत जमाकर भी उसकी जंग लगने से रक्षा की जा सकती है। लोहे की सतह को टिन की एक पतली परत से आवृत करने की प्रक्रिया को टिनिंग (tinning) कहा जाता है। टिनिंग द्वारा लोहा (आयरन) उस समय तक रक्षित रहता है जब तक कि टिन परत अक्षुण (intact) रहती है। यदि टिन परत में खरोंच या दरारें उत्पन्न हो जाती हैं तो लोहा आरक्षित हो जाता है और उस पर जंग लगना प्रारम्भ हो जाता है। इसका कारण यह है कि आयरन का मानक अपचयन विभव टिन से कम है।

इससे स्पष्ट है कि टिन की तुलना में आयरन में ऑक्सीकृत होने की प्रवृत्ति अधिक होती है। अत: यदि टिन परत में दरार उत्पन्न हो जाती है तो सतह के खुले भाग में उपस्थित आयरन एक ऐनोड का तथा टिन परत एक कैथोड का कार्य करने लगती है। इसके फलस्वरूप आयरन वरीयता से ऑक्सीकृत होकर जंग ग्रस्त हो जाता है।

3. जंग-रोधी विलयनों द्वारा रक्षण – लोहे के संक्षारण को जंग-रोधी विलयनों द्वारा भी रोका जा सकता है। इस प्रकार के विलयन प्रायः क्षारीय फॉस्फेट या क्रोमेट विलयन होते हैं। विलयन का क्षारीय माध्यम H+ आयनों की उपलब्धता को कम करता है। चूंकि H+ आयन जंग लगने के लिए अपरिहार्य हैं, अतः उनके कम होने से जंग लगने की प्रक्रिया मन्द हो जाती है। इसके अतिरिक्त फॉस्फेटों में धातु पर आयरन फॉस्फेट की एक परत का आवरण चढ़ाने की प्रवृत्ति होती है। यह परत धातु की जंग लगने से रक्षा करती है। इस प्रकार के विलयनों का प्रयोग स्वचालित वाहनों के इंजनों के भागों को तथा कार रेडियेटरों की जंग लगने से रक्षा करने के लिए किया जाता है।

4. कैथोडिक रक्षण या विद्युत रक्षण – इस विधि का उपयोग धरातल के नीचे दबे पाइपों तथा टैंकों के रक्षण के लिए किया जाता है। इस विधि में रक्षित की जाने वाली धातु को एक अधिक सक्रिय (अधिक विद्युत धनात्मक) धातु से जोड़ा जाता है।

धरातल के नीचे स्थित जिस लोहे के पाइप या टैंक की जंग लगने से रक्षा करनी होती है उसके निकट एक सक्रिय धातु जैसे Zn या Mg की एक प्लेट या ब्लॉक को रखा जाता है और दोनों को एक तार से जोड़ दिया जाता है। चूंकि अधिक सक्रिय धातु में ऑक्सीकृत होने की प्रवृत्ति अधिक होती है। अत: यह लोहे की तुलना में वरीयती से ऑक्सीकृत होती रहती है। इस प्रकार अधिक सक्रिय धातु एक ऐनोड का कार्य करती है। उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन कैथोड की भाँति कार्य कर रहे लोहे के पाइप पर जाकर O, को OH आयनों में अपचयित कर देते हैं।
O2 + 2H2O + 4e → 4OH
सक्रिय धातु के ऑक्सीकरण के कारण ऐनोड धीरे-धीरे लुप्त होता रहता है। इस प्रकार लोहे का पाइप या अन्य वस्तु जंग लगने से रक्षित रहती है और सक्रिय धातु ऐनोड व्यतित होता रहता है। जब तक सक्रिय धातु उपस्थित होती है, लोहे के पाइप पर जंग नहीं लगती है। इस विधि में समय-समय पर सक्रिय धातु के पुराने ऐनोड के स्थान पर नया ऐनोड स्थापित करना आवश्यक होता है।

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