Magnetic Effects of Electric Current, BSEB Class 10th Notes Science , Objective and Subjective in hindi

विधुत धारा के चुम्बकीय प्रभाव

महत्वपूर्ण तथ्य—

*चुम्बक के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा दक्षिण ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर होती है।

*चुम्बकिय बल रेखा काल्पनिक होती है। क्योंकि ये सदिश राशि है। चुम्बकिय क्षेत्र को पुरा-पुरा व्यक्त करने के लिए मान के साथ दिशा की भी जरूरत होती है।

*किसी विद्युत धारावाही सीधी लम्बी परिनालिका के भितर चुम्बकिय क्षेत्र परिनालिका के सभी बिन्दुओं पर समान होगा।

*यदि नरम लोहे को धारावाही कुण्डली के गर्म में रख दिया जाता है तो यह विद्युत चुम्बक बन जाता है।

*फ्लेमिंग के वाम हस्त नियम में अंगूठा बल के दिशा को संकेत करता है।

*फ्लेमिंग के वाम हस्त नियम में बायें हाथ की तर्जनी चुम्बकिय क्षेत्र की दिशा को संकेत करती है।

*जब कोई धनावेशित कण ( -कण) पश्चिम की ओर प्रक्षेपित हो रही है और चुम्बकिय क्षेत्र द्वारा उत्तर की ओर प्रक्षेपित हो तो चुम्बकिय क्षेत्र की दिशा अवश्य ही उपरिमुखी होगी। दक्षिण हस्त अंगूष्ठ नियम से।

*विद्युत धार के चुम्बकिय प्रभाव की खोज आस्टेंड ने किया था। आस्टेंड ने 1820 ई० में अकस्मात यह खोजा कि किसी धातु के तार में विद्युत धारा प्रभावित करने पर पास में रखी दिक् सूची में विक्षेप उत्पन्न होता है। इन्हीं प्रक्षेणो के आधार पर ऑस्टेंड ने यह प्रमाणित किया कि विद्युत और चुम्बकत्व परस्पर संबंधित परिघटनाएँ है।

*विभक्त वलयों का उपयोग विद्युत मोटर में किया जाता है।

*विद्युत मोटर द्वारा परिवर्तित किया जाता है विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक, ऊर्जा में। जब विद्युत जनित्र द्वारा यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है।

*जेनेरेटर यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है। जबकि विद्युत मोटर विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलता है।

*विद्युत धारा उत्पन्न करने की युक्ति को जनित्र कहते है।

*एक तांबे की तार की आयताकार कुंडली किसी चुम्बकिय क्षेत्र में घूर्णन करती है। इस कुण्डली में प्रेरित विद्युत धारा की दिशा आधे परिभ्रमण के बाद परिवर्तित हो जाता है।

*अतिभारण के समय विद्युत परिपथ में विद्युत धारा का मान बहुत अधिक बढ़ जाता है।

*एक ac जनित्र और dc जनित्र में मूलभूत अंतर यह है कि वह जनित्र में सर्पी वलय होते है। जबकि dc जनित्र में दिक्- परिवर्तक होते हैं।

*घरों में दुर्घटना शॉर्ट-सर्किट से होती है। जब उदासीन तार और जीवित तार का सिधा संबंध हो जाए तो इसके बिच कोई प्रतिरोध नही रह जाता है। तब परिपथ में उच्च मान की धारा बहने लगती है। इसे ही जघुपथन या शॉर्ट-सर्किट कहा जाता है। उच्च धारा के कारण फ्यूज गल जाता है और सांधित्र तथा परिपथ होने से बचता है। साथ ही परिपथ में आग लगने का भी भय रहता है।

*विद्युत फ्यूज विद्युत धारा के ऊष्मीय प्रभाव पर कार्य करता है।

*विद्युत उर्जा का व्यापारिक मात्रक यूनिट है।

*हमारे घरों में जा विद्युत आपूर्ति की जाती है वह 220V पर प्रत्यावर्ती धारा होती है। विद्युत परिपथ 5A विद्युत धारा अनुमतांक के होते हैं। इस परिपथ में घर के अंदर बल्ब, पंखे, टीवी आदि चलाए जाते हैं।

*घरेलू विद्युत परिपथ में स्वीच गर्म तार में लगाए जाते हैं। क्योंकि मुख्य विद्युत धारा का प्रवेश गर्म मार्ग द्वारा ही घरों में प्रवेश पाता है।

चुबंक– चुंबक एक ऐसा पदार्थ है जो कि लोहा और चुंबकीय पदार्थों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

चुबंक में दो ध्रुव होता है- उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव

चुंबकीय पदार्थ– वैसे पदार्थ जिन्हें चुंबक आकर्षित करता है अथवा जिनसे कृत्रिम चुंबक बनाए जा सकते हैं, चुंबकीय पदार्थ कहलाते हैं। जैसे- लोहा, कोबाल्ट, निकेल और कुछ अन्य मिश्र धातु।

अचुंबकीय पदार्थ– वैसे पदार्थ जिन्हें चुंबक आकर्षित नहीं करता है, अचुंबकीय पदार्थ कहलाते हैं। जैसे- काँच, कागज, प्लैस्टिक, पीतल आदि।

1820 में ओर्स्टेड नामक वैज्ञानिक ने यह पता लगाया कि जब किसी चालक से विद्युत-धारा प्रवाहित की जाती है तब चालक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है।

मैक्सवेल का दक्षिण–हस्त नियम– यदि धारावाही तार को दाएँ हाथ की मुट्ठी में इस प्रकार पकड़ा जाए कि अँगूठा धारा की दिशा की ओर संकेत करता हो, तो हाथ की अन्य अँगुलियाँ चुंबकीय क्षेत्र की दिशा व्यक्त करेंगी।

विद्युत–चुंबक: विद्युत-चुंबक वैसा चुंबक जिसमें चुंबकत्व उतने ही समय तक विद्यमान रहता है जितने समय तक परिनालिका में विद्युत-धारा प्रवाहित होती रहती है।

चुंबक के चुंबकत्व की तिव्रता निम्नलिखित बातों पर निर्भर करती है।
1. परिनालिका के फेरों की संख्या पर
2. विद्युत-धारा का परिणाम
3. क्रोड के पदार्थ की प्रकृति

*नर्म लोहे का उपयोग विद्युत चुंबक तथा इस्पात का उपयोग स्थायी चुंबक बनाने में किया जाता है।

फ्लेमिंग का वाम–हस्त नियम : यदि हम अपने बांए हाथ की तीन अंगुलियाँ मध्यमा, तर्जनी तथा अँगुठे को परस्पर लंबवत फैलाएँ और यदि तर्जनी चुबंकिय क्षेत्र की दिशा तथा मध्यमा धारा की दिशा को दर्शाते हैं, तो अंगुठा धारावाही चालक पर लगे बल की दिशा को व्यक्त करता है।

विद्युत मोटर– विद्युत मोटर एक ऐसा यंत्र है जिसके द्वारा विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। विद्युत मोटर में एक शक्तिशाली चुंबक होता है जिसके अवतल ध्रुव-खंडों के बीच ताँबे के तार की कुंडली होती है जिसे मोटर का आर्मेचर (armature) कहते हैं। आर्मेचर के दोनों छोर पीतल के खंडित वलयों R1 तथा R2 से जुड़े होते हैं। वलयों को कार्बन के ब्रशों B1 तथा B2 हलके से स्पर्श करते हैं

जब आर्मेचर से धारा प्रवाहित की जाती है तब चुंबक के चुंबकीय क्षेत्र के कारण कुंडली के AB तथा CD भुजाओं पर समान मान के, किंतु विपरीत दिशाओं में बल लगते हैं, क्योंकि इन भुजाओं में प्रवाहित होनेवाली धारा के प्राबल्य (strength) समान हैं, परंतु उनकी दिशाएँ विपरीत हैं। इनसे एक बलयुग्म बनता है जिस कारण आर्मेचर घूर्णन करने लगता है।

आधे घूर्णन के बाद जब CD भुजा ऊपर चली जाती है और AB भुजा नीचे आ जाती है तब वलयों के स्थान भी बदल जाते हैं। इस तरह ऊपर और नीचे वाली भुजाओं में धारा की दिशाएँ वही बनी रहती हैं। अतः, आर्मेचर पर लगा बलयुग्म आर्मेचर को लगातार एक ही तरह से घुमाता रहता है।

विद्युत मोटर के आर्मेचर की धुरी पर यदि ब्लेड (blade) लगा दिए जाएँ तो मोटर विद्युत पंखा बन जाता है। धुरी में पट्टी लगाकर मोटर द्वारा मशीनों (जैसे-लेथ मशीन) को चलाया जा सकता है। टेपरेकॉर्डर भी विद्युत मोटर का उपयोग करता है।

विद्युत्–चुम्बकीय प्रेरण– किसी चालक को किसी परिवर्ती चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर उस चालक के सिरों के बीच विद्युतवाहक बल उत्पन्न होने को विद्युत-चुम्बकीय प्रेरण (Electromagnetic induction) कहते हैं।

विद्युत चुम्बकीय प्रेरण का सिद्धांत फैराडे ने दिया था।

विद्युत जनित्र– विद्युत जनित्र एक ऐसा यंत्र है जिसके द्वारा यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है।

दिष्ट धारा– जब किसी धारा का मान तथा दिशा समय के साथ परिवर्तित न हो, तो ऐसी धारा को दिष्ट धारा कहते है। दिष्ट धारा का मान समय के साथ नियत बना रहता है तथा दिशा भी समान रहती है।

प्रत्यावर्ती धारा– प्रत्यावर्ती धारा वह धारा है जो किसी विद्युत परिपथ में अपनी दिशा बदलती रहती हैं।

अतिभारण– जब किसी परिपथ में अत्यधिक विद्युत धारा प्रवाहित हो रही होती है, तो इसका कारण हो सकता है कि एक ही सॉकेट से कई युक्तियों को संयोजित किया गया हो। इसको उस परिपथ में ‘अतिभारण’ (Over loading) कहते हैं। अतिभारण की स्थिति में अत्यधिक विद्युत धारा प्रवाहित होने के कारण विद्युत उपकरण अत्याधिक गर्म होकर जल सकते हैं।

लघुपथन– जब किसी कारण से फेज व न्यूट्रल आपस में सीधे ही जुड़ जाए तो इसे परिपथ का लघुपथन कहते हैं। लघुपथन (short-circuting) होने पर परिपथ में अत्यधिक विद्युत धारा बहती है जिससे घर के उपकरण गर्म होकर आग पकड़ सकते हैं और जल सकते हैं।

फ्यूज– फ्यूज ऐसे तार का टुकड़ा होता है जिसके पदार्थ की प्रतिरोधकता बहुत अधिक होती है और उसका गलनांक बहुत कम होता है।

विद्युत के उपयोग में सावधानियां–

1.स्विचों, प्लगों, सॉकेटों तथा जोड़ों पर सभी संबंधन अच्छी तरह कसे हुए होने चाहिए। प्रत्येक तार अच्छे क्वालिटी और उपयुक्त मोटाई का होना चाहिए और उत्तम किस्म के विद्युतरोधी पदार्थ की परत से ढँका होना चाहिए।

2.परिपथ में लगे फ्यूज उपयुक्त क्षमता तथा पदार्थ के बने होने चाहिए।

3.परिपथों में फ्यूज तथा स्विच को हमेशा विद्युन्मय तार में श्रेणीक्रम में लगाना चाहिए।

4.अधिक शक्ति के उपकरणों, जैसे- हीटर, इस्तरी, टोस्टर, रेफ्रीजरेटर आदि को भू-तार से अवश्य संपर्कित करना चाहिए।

5.मानव शरीर विद्युत का सुचालक है। इसलिए यदि किसी विद्युत-परिपथ में कहीं कोई मरम्मत करनी हो या कोई अन्य कार्य करना हो तो विद्युतरोधी पदार्थ, जैसे-रबर के बने दस्ताने तथा जूतों का इस्तेमाल करना चाहिए।

6.परिपथ में आग लगने या अन्य किसी दुर्घटना के होने पर परिपथ का स्विच तुरंत बंद कर देना चाहिए।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. विधुत फ्यूज विधुत धारा के किस सिद्धांत पर कार्य करता है ?

(a) उष्मीय                     

(b) चुंबकीय

(c) रासायनिक                 

(d) इनमें कोई नहीं

Ans :- (a) उष्मीय

2. एक किलोवाट-घंटा किसके बराबर होता है ?

(a) 0.36 × 10¹⁰ जूल       

(b) 1.6 × 10⁻¹⁹ जूल

(c) 3.6 × 10⁶ जूल           

(d) इनमें कोई नहीं

Ans :- (c) 3.6 × 10⁶ जूल

3. विधुत घंटी किस प्रभाव पर कार्य करती है ?

(a) उष्मीय प्रभाव             

(b) रासायनिक प्रभाव

(c) चुंबकीय प्रभाव             

(d) इनमें कोई नहीं

Ans :- (c) चुंबकीय प्रभाव

4. लघुपथन के समय परिपथ में विधुत धारा का मान होता है –

(a) बहुत कम हो जाता है         

(b) परिवर्तित नहीं होता।

(c) बहुत अधिक बढ़ जाता है     

(d) निरंतर परिवर्तित होता है

Ans :- (c) बहुत अधिक बढ़ जाता है

5. डायनेमो का सिद्धान्त आधारित है ?

(a) विद्युत चुम्बकीय प्रेरण पर   

(b) प्रेरित विद्युत पर

(c) धारा के ऊष्मीय प्रभाव पर   

(d) इनमें से कोई नहीं

Ans :- (a) विद्युत चुम्बकीय प्रेरण पर

6. डायनेमो से किस प्रकार की धारा प्राप्त होती है ?

(a) दिष्ट धारा               

(b) प्रत्यावर्ती धारा

(c) दोनों धाराएँ               

(d) इनमें से कोई नहीं

Ans :- (c) दोनों धाराएँ

7. विधुत बल्ब में कौन सी गैस भरी रहती है –

(a) निर्वात रहता है                 

(b) वायु भरी रहती है।

(c) निष्क्रिय गैस भरी रहती है     

(d) हाइड्रोजन भरी रहती है

Ans :- (c) निष्क्रिय गैस भरी रहती है

8. भारत में उत्पादित प्रत्यावर्ती विधुत धारा की आवृत्ति होती है –

(a) 50 Hz               

(b) 60 Hz

(c) 70 Hz               

(d) 80 Hz

Ans :- (a) 50 Hz

9. हमारे देश में विद्युन्मय तार एवं उदासीन तार के बीच कितना विभवांतर होता है ?

(a) 100 V             

(b) 200 V

(c) 220 V             

(d) 240 V

Ans : – (c) 220 V

10.  विधुन्मय तार किस रंग का होता है ?

(a) हरा                   

(b) लाल

(c) काला                 

(d) नीला

Ans :- (b) लाल

11. घरेलू विधुत परिपथ में उदासीन तार का रंग होता है 

(a) लाल                     

(b) हरा

(c) काला                   

(d) पीला

Ans :- (c) काला

12. चुम्बकीय क्षेत्र का SI मात्रक है –

(a) बेबर                

(b) टेसला 

(c) फैराडे               

(d) इनमे से कोई नहीं

Ans :- (b) टेसला

13. विधुत – चुंबकीय प्रेरण की खोज किसने की थी ?

(a) फैराडे ने           

(b) मैक्सवेल

(c) फ्लेमिंग ने           

(d) एम्पियर ने

Ans :- (a) फैराडे ने

14. दी गई वोल्टता के स्रोत से जुड़े किसी चालक में प्रति सेकंड उत्पन्न ऊष्मा होती है

(a) धारा के समानुपाती         

(b) धारा के वर्ग के समानुपाती

(C) धारा के व्युत्क्रमानुपाती   

(d) धारा के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती

Ans :- (b) धारा के वर्ग के समानुपाती

15. निम्नलिखित पदार्थों में कौन चुम्बकीय पदार्थ नहीं है 

(a) लोहा                   

(b) निकेल

(C) पीतल                 

(d) कोबाल्ट

Ans :- (C) पीतल

16. पृथ्वी का विभव होता है :

(a) ऋणात्मक             

(b) धनात्मक

(c) शून्य                     

(d) अनंत

Ans :- (c) शून्य

17. चुम्बकीय बल क्षेत्र का S.I. मात्रक है :

(a) न्यूटन प्रति मीटर 

(b) न्यूटन प्रति एम्पियर

(c) न्यूटन

(d) न्यूटन प्रति एम्पियर मीटर

Ans :- (d) न्यूटन प्रति एम्पियर मीटर

18. चुम्बकीय क्षेत्र के प्रभाव में विधुत-धारा :

(a) ऊष्मा उत्पन्न करती है।

(b) आकर्षण बल उत्पन्न करती है

(c) चालक पर बल उत्पन्न होता है

(d) इनमें से कोई घटना नहीं घटती है

Ans :- (c) चालक पर बल उत्पन्न होता है

19. चुम्बक द्वारा धारावाही चालक पर लगाए गए बल की दिशा  ज्ञात की जाती है –

(a) फ्लेमिंग के वाम-हस्त नियम से

(b) ओम के नियम से

(c) मैक्सवेल के दक्षिण-हस्त नियम से

(d) इनमें से किसी नियम से नहीं

Ans :- (a) फ्लेमिंग के वाम-हस्त नियम से

20. विधुत मोटर को चलाया जा सकता है –

(a) प्रत्यावर्ती धारा पर

(b) दिष्ट धारा पर

(c) प्रत्यावर्ती और दिष्ट दोनों धाराओं पर

(d) इनमें से कोई नहीं

Ans :- (c) प्रत्यावर्ती और दिष्ट दोनों धाराओं पर

21. विधुत मोटर की क्रिया आधारित है –

(a) विधुत-धारा और चुंबकीय प्रभाव पर

(b) चुंबक और विधुत-धारा के प्रभाव पर

(c) आर्मेचर के घूर्णन पर

(d) इनमें से किसी पर नहीं

Ans :- (a) विधुत-धारा और चुंबकीय प्रभाव पर

22.  डायनेमो के द्वारा बदला जाता है –

(a) यांत्रिक ऊर्जा को विधुत ऊर्जा में

(b) चुम्बकीय ऊर्जा को विधुत ऊर्जा में

(c) गतिज ऊर्जा को विधुत ऊर्जा में

(d) स्थितिज ऊर्जा को विधुत ऊर्जा में

Ans :- (a) यांत्रिक ऊर्जा को विधुत ऊर्जा में

23.  विधुत मोटर के द्वारा बदला जाता है –

(a) विधुत को यांत्रिक ऊर्जा में

(b) चुम्बकीय ऊर्जा को विधुत ऊर्जा में

(c) गतिज ऊर्जा को विधुत ऊर्जा में

(d) स्थितिज ऊर्जा कोविधुत ऊर्जा में

Ans :- (a) विधुत को यांत्रिक ऊर्जा में

24.  विधुत-धारा के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात की जाती है ?

(a) मैक्सवेल के दक्षिण-हस्त नियम से

(b) फ्लेमिंग के वाम-हस्त नियम से

(c) ओम के नियम से

(d) ओटैंड के नियम से

Ans :- (b) फ्लेमिंग के वाम-हस्त नियम से

25.  चुंबकीय क्षेत्र एक ऐसी राशि है जिसमें होते हैं

(a) परिमाण               

(b) दिशा

(c) ‘a’ और ‘b’ दोनों     

(d) इनमें से कोई नहीं

Ans :- (c) ‘a’ और ‘b’ दोनों

26.  किसी कुंडली में प्रेरित विद्युत वाहक बल का मान उसके सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स के परिवर्तन की दर का

(a) समानुपाती होता है

(b) व्युत्क्रमानुपाती होता है

(c) दोनों होते हैं

(d) इनमें से कोई नहीं

Ans :- (a) समानुपाती होता है

27.  किसी छड चुम्बक के अंदर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा क्या होती है ?

(a) उत्तर ध्रुव से दक्षिण ध्रुव

(b) दक्षिण ध्रुव से उत्तर ध्रुव

(c) उत्तर ध्रुव से पश्चिमी ध्रुव

(d) दक्षिण ध्रुव से पश्चिमी ध्रुव

Ans :- (b) दक्षिण ध्रुव से उत्तर ध्रुव

28.  जल विधुत संयंत्र किस ऊर्जा को विधुत ऊर्जा में रूपांतरित करता है ?

(a) तापीय ऊर्जा     

(b) नाभिकीय ऊर्जा

(c) सौर ऊर्जा           

(d) स्थितिज ऊर्जा

Ans :- (d) स्थितिज ऊर्जा

29.  वह उपकरण जो किसी परिपथ में विद्युत धारा की उपस्थिति संसूचित करता है, उस कहते हैं

(a) वोल्टमीटर           

(b) आमीटर

(c) गैल्वनोमीटर       

(d) इनमें से कोई नहीं

Ans :- (b) आमीटर

30.  माइकल फैराडे थे, एक प्रसिद्ध

(a) खगोलशास्त्री             

(b) भौतिकशास्त्री

(c) रसायनशास्त्री           

(d) भू-वैज्ञानिक

Ans :- (b) भौतिकशास्त्री

31.  विद्युत परिपथों की लघुपथन अथवा अतिभारण के कारण होने वाली हानि से सुरक्षा की सबसे महत्वपूर्ण युक्ति है :

(a) आमीटर             

(b) फ्यूज

(c) मेंस                 

(d) प्लेट

Ans :- (b) फ्यूज

32.  चुम्बकों के सजातीय ध्रुवों के बीच परस्पर –

(a) आकर्षण होता है

(b) प्रतिकर्षण होता है

(c) कभी आकर्षण कभी प्रतिकर्षण

(d) इनमें से कोई नहीं  

Ans :- (b) प्रतिकर्षण होता है

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. विधुत चुंबकीय प्रेरण से क्या समझते हैं ?

उत्तर ⇒ वह प्रक्रम जिसके द्वारा किसी चालंक के परिवर्ती चुंबकीय क्षेत्र के कारण अन्य चालक में विद्युत धारा प्रेरित होती है, विद्युत चुंबकीय प्रेरण कहलाता है।

2. विधुत मोटर के कुछ उपयोगों को लिखें।

उत्तर ⇒ विधुत मोटर के उपयोग निम्नांकित हैं –

(i) विधुत पंखों में
(ii) रेफ्रिजरेटरों में
(iii) विधुत मिश्रकों में
(iv) वाशिंग मशीनों में
(v) MP3 प्लेयरों में

3. चुंबकत्व की असली पहचान क्या है ?

उत्तर ⇒ चुम्बक में सजातीय ध्रुवों के बीच प्रतिकर्षण और विजातीय ध्रुवों के बीच आकर्षण उत्पन्न होता है।
दो लोहे के टुकड़े लिए जाएं और इनके एक छोर दूसरे के दूसरे छोर से सटाने पर अगर प्रतिकर्षण होता है तो दोनों लोहे के टुकड़े चुम्बक होंगे।

4. विधुत फ्यूज क्या है, यह किस मिश्र धातु का बना होता है ?

उत्तर ⇒ विधुत परिपथों के लिए फ्यूज तार का उपयोग होता है। यह अतिभारण अथवा लघुपथन के कारण उत्पन्न उच्च विद्युत धारा के बहने पर यह गल जाता है तथा सुरक्षा प्रदान करता है। फ्यूज तार ताँबे तथा टिन के मिश्रधातु से बना होता है।

5. विधुत चुम्बक के चुम्बकत्त्व की तीव्रता किन-किन बातों पर – निर्भर करता है ?

उत्तर ⇒ विधुत चुम्बक के चुम्बकत्त्व की तीव्रता निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है –

(i) परिनालिका के फेरों की संख्या – फेरों की संख्या (N) बढ़ने से चुम्बकत्त्व की तीव्रता (B) समानुपाती ढंग से बढ़ती है।

अर्थात् B ∝ N

(ii) धारा का मान – धारा का मान (I) बढ़ने पर चुम्बकत्व की तीव्रता (B) समानुपाती ढंग से बढ़ती है।

अर्थात् B ∝ I

(iii) क्रोड की प्रकृति पर-परिनालिका के अंदर नरम लोहे का व्यवहार करने पर अधिक शक्तिशाली चुम्बक बनता है। लेकिन इस्पात के व्यवहार करने पर कम शक्तिशाली चुम्बक बनता है।

6. विधुत धारा के चुंबकीय प्रभाव से संबंधित दक्षिण-हस्त अंगूठा का नियम लिखें।

उत्तर ⇒ दक्षिण-हस्त अंगूठा का नियम – जब दाहिने हाथ तर्जनी अंगुली मध्यमिका अंगुली और अंगूठा इस प्रकार फैलाकर रखा जाता है कि तीन अंगुलियाँ एक दूसरे के साथ लम्बवत् हो, अगर तर्जनी अंगुली चुम्बकीय बल की दिशा की ओर, अंगूठा चुम्बक की गति की दिशा की ओर इंगित करे तो मध्यमिका अंगुली प्रेरित धारा की दिशा को इंगित करेगा।

7. फ्लेमिंग के वामहस्त नियम को लिखें।

उत्तर ⇒ फ्लेमिंग के वाम हस्त नियम अपने बायें हाथ की तर्जनी, मध्यमा व अंगूठे को परस्पर लंबवत् फैलाइये। यदि तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा तथा मध्यमा धारा की दिशा प्रदर्शित करे, तो चालक की गति की दिशा अंगूठे की दिशा में होगी।

फ्लेमिंग के वाम हस्त नियम का प्रदर्शन

8. विधुत धारा की प्रबलता की परिभाषा दें।

उत्तर ⇒ किसी चालक तार से प्रति सेकेण्ड बहने वाली आवेश को विद्युत धारा की प्रबलता कही जाती है।

I =Q/t

9. चुंबक किसे कहते हैं ?

उत्तर ⇒ वे पदार्थ चुंबक कहे जाते हैं जो चुंबकीय पदार्थ को अपनी ओर आकर्षित करता है। इसे स्वतंत्रतापूर्वक वायु में लटकाने पर उत्तर-दक्षिण दिशा को ईंगित करता है। इसमें उत्तर और दक्षिण दो ध्रुव होते हैं।

10. दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को परिच्छेद क्यों नहीं करती है ?

उत्तर ⇒ अगर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को परिच्छेद करती हैं तो क्षेत्र के किसी बिंदु विशेष पर दिक् सूची दो दिशाओं को इंगित करेगा जो असंभव है। यही कारण है कि दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को परिच्छेद नहीं करती हैं।

11. दिष्ट धारा के कुछ स्रोतों के नाम लिखें।

उत्तर ⇒ बैटरी और विधुत मोटर।

12. विधुत जनित्र के सिद्धांत क्या हैं ?

उत्तर ⇒ विधुत जनित्र में यांत्रिक ऊर्जा का उपयोग चुंबकीय क्षेत्र में रखे किसी चालक को घूर्णी गति प्रदान करने में किया जाता है। इसी कारण विधुत धारा उत्पन्न होती है। अतः विधुत जनित्र में यांत्रिक ऊर्जा को विधुत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है।

13. प्रत्यावर्ती धारा से कौन दो हानियाँ होती हैं ?

उत्तर ⇒ प्रत्यावर्ती धारा से निम्नलिखित हानियाँ हैं

(i) प्रत्यावर्ती धारा से विधुत लेपन तथा बैटरियों का आवेशन नहीं किया जा सकता है।

(ii) इस धारा से विधुत विच्छेदन नहीं किया जा सकता है।

14. लघुपथन से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर ⇒ किसी कारण से जब जीवित तार और उदासीन तार एक दूसरे से सट जाते. हैं तो लघुपथन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इस परिस्थिति में प्रतिरोध शून्य हो जाता है और परिपथ में तीव्र धारा बहने लगती है। धारा के उच्च होने पर काफी ताप उत्पन्न होता है जिससे अग्नि की उत्पत्ति होने लगती है तथा परिपथ में आग लगने का भय रहता है।

15. विधुत बल्ब में निष्क्रिय गैस क्यों भरी जाती है ?

उत्तर ⇒ बल्ब के अंदर टंगस्टन का तार रहता है। इस तार का बना कुंडली बल्ब के अन्दर उत्पन्न ताप के कारण प्रकाश देता है। अगर बल्ब में ऑक्सीजन की उपस्थिति होगी तो कुण्डली आक्सीकृत होकर जल जायेगा और बल्ब फ्यूज कर जायेगा। यही कारण है कि बल्ब के अन्दर निष्क्रिय गैसें (N2, Ar) आदि भरी जाती हैं ताकि बल्ब फ्यूज नहीं हो सके।

16. विद्युत चुम्बक और. स्थायी चुम्बक में अंतर बतावें।

उत्तर ⇒ नरम लोहे के क्रोड पर धारावाही कुंडली लपेट कर धारा प्रवाहित की जाये तो यह विद्युत चुम्बक बन जाता है। इसका चुम्बकत्त्व तभी तक रहता है जब तक कुंडली में विद्युत धारा प्रवाहित होती रहती है।
कार्बन स्टील के छड़ को धारावाही कुंडली के गर्भ में रख दिया जाये तो कुछ देर बाद यह चुम्बक बन जाता है। अब धारा का बहना बंद कर दिया जाता है तब भी यह छड़ अपने चुम्बकत्त्व का त्याग नहीं करता है। यह स्थायी चुम्बक कहलाता है।

17.परिनालिका की सहायता से स्थायी चुंबक कैसे बनता है ?

परिनालिका की सहायता से स्थायी चुंबक कैसे बनता है ?

उत्तर ⇒ जब एक स्टील के छड़ को कुंडली के गर्भ में रख दी जाती है और विधुत धारा प्रवाहित किया जाता है, तो स्टील का छड़ स्थायी चुंबक बन जाता है। इसे विधुत चुंबक कहा जाता है।

18. 2 kW शक्ति अनुमतांक एक विद्युत तंदूर किसी घरेलू विधुतपरिपथ (220 V) में प्रचालित किया जाता है जिसका विधुत धारा अनुमतांक 5 A है। इससे आप किस परिणाम की अपेक्षा करते हैं ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर ⇒ P = 2kW = 2000 W, V = 220 V, I = P/V = 2000/220 = 9.09 A विधुत धारा का प्रवाह 5 A से अधिक है अतः फ्यूज गल जायेगा और विद्युत तंदुर नष्ट होने से बच जायेगा।

19. 1.0 किलोवाट अंकित एक विधुत हीटर जो 250 वोल्ट स्रोत से सम्बद्ध है, कितनी विधुत धारा अवशोषित करेगी ?

1.0 किलोवाट अंकित एक विधुत हीटर जो 250 वोल्ट स्रोत से सम्बद्ध है, कितनी विधुत धारा अवशोषित करेगी ?

उत्तर ⇒ P = VI

1 = 4 Ampere
अतः हीटर 4 amp धारा अवशोषित करेगी।

20. विधुत चुंबक की विशेषताओं को लिखें।

उत्तर ⇒ 

(i) विधुत चुंबक का चुंबकत्व स्थायी नहीं होता है। जबतक धारा बहती है चुंबकत्व कायम रहता है और धारा के बंद होने पर चुंबकत्व समाप्त हो जाता है।

(ii) विधुत चुंबक के एक छोर पर उत्तरी ध्रुव और दूसरे छोर पर दक्षिणी ध्रुव पैदा हो जाते हैं। धारा की दिशा उलटने पर ध्रुवों की स्थिति बदल जाती है।

(iii) विधुत चुंबक के चुंबकत्व की तीव्रता परिनालिका में फेरों की संख्या, धारा के मान तथा क्रोड की प्रकृति पर निर्भर करता है।

21. चुंबकीय क्षेत्र को उत्पन्न करने वाले तीन तरीकों की सूची बनाइए:

उत्तर ⇒ 

(i) प्राकृतिक एवं कृत्रिम चुंबक .
(ii)  विधुत चुंबक
(iii) एक चालक, एक कुण्डली एवं एक परिनालिका जिससे विधुत धारा प्रवाहित होती है।

22. फ्यूज के तार की तीन प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं ?

उत्तर ⇒ फ्यूज के तार की तीन प्रमुख विशेषताएँ निम्नांकित हैं –

(i) इसका प्रतिरोध उच्च होता है।
(ii) इसका गलनांक न्यूनतम होता है।
(iii) घरों में 220V पर 5A अनुमतांक का फ्यूज व्यवहार होता है।

23. ताँबे के तार की कुंडली, धारामापी के साथ संबद्ध है । क्या होगा यदि दण्ड चुंबक को

(i) कुंडली के अंदर चुंबक के उत्तर ध्रुव को पहले प्रविष्ट किया जाय?

(ii) कुंडली से चुंबक को बाहर निकाला जाय ?

(iii) कुंडली के अंदर चुंबक को स्थिर रखा जाय ?

उत्तर ⇒  (i) जब कुंडली के उत्तरी ध्रुव को तेजी से कुंडली के गर्भ में प्रवेश कराया जाता है, तो कुंडली से सम्बद्ध गैलवेनोमीटर की सूई में विचलन उत्पन्न होता . है। कुंडली में धारा की दिशा, घड़ी की विपरीत दिशा में होती है।

(ii) जब चुंबक को कुंडली से बाहर तेजी से निकाला जाय तो गैलवेनोमीटर की सूई में विचलन विपरीत दिशा में होगी।

(iii) अगर चुंबक कुंडली के अन्दर स्थिर हो, तो गैलेवोनोमीटर की सूई में कोई विचलन उत्पन्न नहीं होता है। अर्थात् कुंडली से होकर कोई धारा नहीं बहती है।

24. किसी छड़ चुंबक के चारों ओर चुंबकीय बल रेखा दिखावें।

उत्तर ⇒ 

किसी छड़ चुंबक के चारों ओर चुंबकीय बल रेखा दिखावें।

चित्र में चुंबकीय बल रेखाओं को दिखाया गया है।

25. चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के गुणों की सूची बनाइए।

उत्तर ⇒ 
(i) ये बल रेखाएँ बंद वक्र होती हैं।
(ii) जहाँ पर क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे के निकट रहती हैं वहाँ चुंबकीय क्षेत्र अधिक प्रबल होता है।
(iii) दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेद नहीं करती हैं।

26. चुंबक के निकट लाने पर दिक् सूचक की सूई विक्षेपित क्यों हो जाती है ?

उत्तर ⇒ दिक् सूचक सूई भी एक छोटा चुम्बक है जिसमें N ध्रुव और S ध्रुव मौजूद है। जब चुंबक के समीप इसे लाया जाता है तो इनके ध्रुवों के बीच आकर्षण अथवा प्रतिकर्षण के कारण चुंबकीय सूई विक्षेपित हो जाती है।

27. पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के संबंध में क्या जानते हैं ?

उत्तर ⇒ पृथ्वी एक शिाल चुंबक की भाँति कार्य करता है। इसका उत्तरी ध्रुव भौगोलिक दक्षिण की ओर दक्षिण ध्रुव भौगोलिक उत्तर की ओर स्थित है। पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का अक्ष और भौगोलिक अक्ष के बीच का कोण 19° होता है।

28. परिनालिका में विद्युत धारा प्रवाहित होने पर इसका कौन सिरा उत्तरी ध्रुव और कौन सिरा दक्षिणी ध्रुव जैसा बर्ताव करती है ? समझावें।

उत्तर ⇒ परिनालिका के जिस सिरे को देखने पर विद्युत धारा सूई के घूमने की दिशा में हो वह सिरा दक्षिणी ध्रुव और धारा वामावर्त हो तो वह सिरा उत्तरी ध्रुव जैसा व्यवहार करता है।

परिनालिका में विद्युत धारा प्रवाहित होने पर इसका कौन सिरा उत्तरी ध्रुव और कौन सिरा दक्षिणी ध्रुव जैसा बर्ताव करती है ? समझावें।

29. परिनालिका चुंबक की भाँति कैसे व्यवहार करती है ? क्या आप किसी छड़ चुंबक की सहायता से किसी विधुत धारावाही परिनालिका केउत्तर ध्रुव तथा दक्षिण ध्रुव का निर्धारण कर सकते हैं ?

उत्तर ⇒ जब परिनालिका से विद्युत धारा प्रवाहित किया जाता है तो यह चुंबक की भाँति व्यवहार करता है। परिनालिका के ध्रुव का निर्धारण करने के लिए एक पीतल की हुक की सहायता से इसे स्वतंत्रपूर्वक लटकाया जाता है। एक छड़ चुंबक के उत्तरी ध्रुव को परिनालिका के एक सिरे के पास ले जाया जाता है। अगर आकर्षण होता है तो स्पष्टतः परिनालिका का यह सिरा दक्षिण ध्रुव है। अगर प्रतिकर्षण होता है तो यह सिरा उत्तर ध्रुव होगा। जब एक सिरे के ध्रुव की जानकारी हो जाती है, तो दूसरा ध्रुव आसानी से ज्ञात हो जायेगा।

30. किसी सीधे तार से बहने वाली धारा के कारण उत्पन्न चुंबकीय बल-रेखा की दिशा को बताने वाले नियम को लिखें।

किसी सीधे तार से बहने वाली धारा के कारण उत्पन्न चुंबकीय बल-रेखा की दिशा को बताने वाले नियम को लिखें।

उत्तर ⇒ दक्षिण हस्त अंगूष्ठ नियम – यदि किसी धारावाही तार को अपने हाथ में इस प्रकार पकड़ें कि अंगूठा धारा की दिशा में तना रहे, तो उँगलियाँ चालक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र-रेखाओं की दिशा में लिपटी होगी।
जैसा कि चित्र में दिया गया

31. यदि ताम्बे के तार में प्रवाहित विद्युत धारा पूर्ववत् है, परन्तु दिक् . सूचक तांबे के तार से दूर चला जाता है तब दिक् सूची के विक्षेप पर क्या प्रभाव पड़ता है ?

उत्तर ⇒ चुंबकीय बल दूरी के सीधा समानुपाती होता है। चालक तार से दिक् सूची की दूरी जैसे-जैसे बढ़ती है इसके सूई में विक्षेप वैसे-वैसे घटता जाता है। इसका अर्थ है कि दूर जाने पर विद्युत धारा के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की प्रबलता घटती है। विद्युत धारावाही सीधे चालक तार दूर हटते जाते हैं तो उसके चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र को निरूपित करने वाले सकेंद्री वृत्तों का साइज भी बड़ा हो जाता है।

32. चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ क्या होती हैं ? किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा कैसे निर्धारित की जाती है ? चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के दो प्रमुख गुणधर्म लिखें।

उत्तर ⇒ चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ, चुंबकीय क्षेत्र में चुंबकीय क्षेत्र की दिशा और परिमाण को दर्शाता है। किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा एक चुंबक के उत्तरी ध्रुव को उस बिंदु पर रखने पर उसकी दिशा के समकक्ष होती है। चुंबकीय बल रेखाओं के निम्नांकित गुणधर्म हैं :

(i) चुंबकीय बल रेखाएँ एक दूसरे को नहीं काटती हैं।
(ii) बल रेखाओं की संख्या अधिक होने पर चुंबकीय क्षेत्र की शक्ति काफी बढ़ जाती है।

33. औषध में चुंबकत्व का क्या महत्त्व है ?

उत्तर ⇒ हमारे शरीर के तंत्रिका कोशिकाओं के अनुदिश दुर्बल आयन धाराएँ चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करती हैं। जब हम किसी वस्तु को स्पर्श करते हैं तो तंत्रिकाएँ एक विद्युत आवेश को पेशी तक भेजती हैं। यह आवेश एक अस्थायी चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है। यह चुंबकीय क्षेत्र हृदय और मस्तिष्क में उत्पन्न हो जाते हैं और यह क्षेत्र शरीर के विभिन्न भागों के प्रतिबिंब प्राप्त करते हैं। यह तकनीक चुंबकीय अनुनाद प्रतिबिंब कहा जाता है। चिकित्सा निदान में इन प्रतिबिंबों का उपयोग किया जाता है। अतः चिकित्सा विज्ञान में चुंबकत्व के महत्त्वपूर्ण उपयोग हैं।

34. बी०ओ०टी० क्या है? इसे जूल में परिवर्तित करें।

उत्तर ⇒ 
B.O.T Board of Trade Unit (बोर्ड ऑफ ट्रेड यूनिट)

B.O.T = 01 Kilo Watt – hr = 3.6 x 106 joule = 1000 js -1 x 3600 s  3.6 x 106 joule.

35. किसी चालक के दोनों सिरों पर V विभवांतर के अधीन यदि । ‘धारा प्रवाहित हो तो चालक में ताप की उत्पत्ति की दर क्या होगी ?

उत्तर ⇒ जूल के नियम से हम जानते हैं कि

H = lRt

H/t= lR Rate of Heat Produced = l.(IR) = VI

अतः उत्सर्जित ताप = V. I

36. चुंबकीय बल रेखाओं को देखकर क्या निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं ?

उत्तर ⇒ चुंबकीय बल रेखाओं के देखने पर पता चलता है कि चुंबक के दोनों ध्रुवों के पास बल रेखाएँ काफी समीप (सघन) हैं अर्थात् ध्रुवों पर चुंबकीय बल अधिक है। बल रेखाओं के अन्य भागों पर बल रेखाएँ दूरस्थ हैं अतः इन क्षेत्रों में चंबकीय बल अपेक्षाकृत कम है। बल रेखाएँ एक दूसरे को प्रतिच्छेद नहीं करती हैं। अगर दो क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को काटेंगी तो वहाँ क्षेत्र की दो दिशाएँ होंगी जो असंभव है।

37. कोई विधुतरोधी ताँबे की तार की कुंडली किसी गैल्वेनोमीटर से संयोजितं है। क्या होगा यदि कोई छड़ चुंबक (i) कुंडली में ढकेला जाता है ? (ii) कुंडली के भीतर से बाहर खींचा जाता है ? (iii) कुंडली के भीतर स्थिर रखा जाता है।

उत्तर ⇒ (i) गैल्वेनोमीटर के सूई में विक्षेप होता है।
(ii) सूई में विक्षेप (i) की अपेक्षा विपरीत दिशा में होता है।
(iii) सूई में कोई विक्षेप नहीं होता है।

38. दो वृत्ताकार कुंडली A तथा B एक दूसरे के निकट स्थित है। यदि कुंडली A में विद्युत धारा में कोई परिवर्तन करे तो क्या कुंडली B में कोई विद्युत धारा प्रेरित होगी ? कारण लिखिए।

उत्तर ⇒ जब कुंडली A में विधुत धारा में परिवर्तन किया जाता है तो कुंडली B में विधुत धारा प्रेरित हो जाती है। इसका कारण यह है कि चुंबकीय बल रेखाओं में परिवर्तन हो जाता है। कुंडली A के समीप कुंडली B के होने के कारण परस्पर प्रेरण की घटना होती है। इसी घटना के कारण B में विद्युत धारा प्रेरित होती है।

39. किसी क्षैतिज शक्ति संचरण लाइन (पावर लाइन) में पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर विधुत धारा प्रवाहित हो रही है। इसके ठीक नीचे के किसी बिंदु पर तथा इसके ठीक ऊपर के किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्या होगी ?

उत्तर ⇒ विधुत धारा पूर्व से पश्चिम की ओर प्रवाहित हो रही है। दक्षिण हस्त अंगूष्ठ नियम को लागू करने पर हमें तार के नीचे किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा उत्तर से दक्षिण की ओर प्राप्त होती हैं। तार से ठीक ऊपर के किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा दक्षिण से उत्तर की ओर होगी।

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