महत्वपूर्ण तथ्य
1. लेखक- वीरेन डंगवाल
2. जन्म- 5 अगस्त, 1947 ई०, टिहरी गढ़वाल जिला के कीर्तिनगर में (उत्तरांचल)
3. मृत्यु- 28 सितम्बर, 2015 ई०
4. इन्होंने मुजफ़्फरनगर, सहारनपुर, कानपुर, बरेली, नैनीताल में शुरुआती शिक्षा प्राप्त करने के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम० ए० किया।
5. प्रमुख रचनाएँ- विरेन डंगवाल का पहला कविता संग्रह ‘इसी दुनिया में‘ प्रकाशित हुआ। इसके बाद ‘दुष्चक्र में स्रष्टा‘। इन्होंने विभिन्न कवियों की कविताओं तथा आदिवासी लोक कविताओं का विशाल मात्रा में अनुवाद किया है।
हमारी नींद
मेरी निंद के दौरान
कुछ इंच बढ़ गये पेड़
कुछ सुत पौधे
अंकुर ने अपने नाम मात्र
कोमल सिंगो सें
धकेलना शुरू की
बीज की फुली हुई
छत, भीतर से।
एक मक्खी का जीवन-क्रम पुरा हुआ
कई शिशु पैदा हुए, और उनमें से
कई तो मारे गए
दंगे, आगजनी और बमबारी में ।
अर्थ :- कवि एक मक्खी के माध्यम से दीन-हीन लोगों के जीवन के दशा के विषय में कहता है कि उसके बच्चे दीनता के कारण या तो मर गये अथवा अत्याचारियों के कोप के शिकार हो गये, जो दंगे आगजनी और बमबारी में मारे गये।
गरीब बस्तीयों में भी
धमाके से हुआ देवी जागरण
लाउडस्पीकर पर।
अर्थ :- पुनः कवि कहते हैं कि जहाँ झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले गरीब लोग हैं जो केवल किसी तरह से अपने पेट की आग शांत करने के अपेक्षा कुछ नहीं जानते हैं वहाँ भी विलासी लोग देवी जागरण तथा अन्य ढ़ोंगी कार्यक्रम की आड़ में लाउडस्पीकर बजवाकर ठगने का कार्य करते हैं।
याने साधन तो सभी जुटा लिए हैं अत्याचारियों ने
मगर जीवन हठिला फिर भी
बढ़ता ही जाता आगे
हमारी निंद के बावजूद
अर्थ :- कवि कहते हैं कि अत्याचारी सूख-भोग के सारे साधन जमा करने के बावजूद अपने हठी स्वभाव के कारण अन्याय बंद करना नहीं चाहते। उनका जुल्म बढ़ता ही जा रहा है।
और लोग भी है, कई लोग हैं
अभी भी
जो भूले नहीं करना
साफ और मजबुत
इनकार।
अर्थ :- कवि कहते हैं कि आज भी वैसे अनेक लोग हैं जो अपनी सुविधा का त्याग करना नहीं चाहते तो जनता अत्याचारियों के जुल्म का विरोध करने से इनकार करना नहीं भूलती।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1.‘हमारी नींद’ कविता कहाँ से ली गयी है ?
【A】 इसी दुनिया में से
【B】 पहल पुस्तिका से
【C】 दुष्चक्र में स्रष्टा से
【D】 असादीवार से
Ans :- C
2. ‘हमारी नींद’ कविता में किसका जीवन–क्रम पूरा होने की बात कही गयी है ?
【A】 मच्छर
【B】 तितली
【C】 चींटी
【D】 मक्खी
Ans :- C
3. ‘झगड़ा-फसाद’ कौन-सा समास है?
(A) दिगु
(B) अव्ययीभाव
(C) द्वन्द्व
(D) तत्पुरुष
Ans :- C
4. गरीब बस्तियों में क्या हुआ ?
【A】 कई शिशु पैदा हुए
【B】 दंगे, आगजनी और बमबारी
【C】 धमाके से देवी जागरण
【D】 इनमें से कोई नहीं
Ans :- C
5. वीरेन डंगवाल को किस कृति के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला है ?
【A】 इसी दुनिया में
【B】 दुष्चक्र में सृष्टा
【C】 पहल पुस्तिका
【D】 कवि ने कहा
Ans :- A
6.’मेरी नींद के दौरान कुछ …. बढ़ गए पेड़ ।
【A】 अधिक
【B】 इंच
【C】 मीटर
【D】 सेंटीमीटर
Ans :- B
7. नींद के दरम्यान कुछ इंच कौन बढ़ गए ?
【A】 लघु जीव
【B】 पुष्प वृन्द
【C】 पेड़
【D】 लता जुल्म
Ans :- C
8. किसने अपने कोमल सींगों से ढकेलना शुरू किया ?
【A】 बैल ने
【B】 हिरण ने
【C】 बछड़े ने
【D】 अंकुर ने
Ans :- D
9. हमारी नींद के दरम्यान पौधे कितने वृद्धि कर गए ?
【A】 कुछ ईंच
【B】 कुछ सेमी
【C】 कुछ सूत
【D】 कोई नहीं
Ans :- C
10. वीरेन डंगवाल का जन्म कब हुआ ?
【A】 5 अगस्त, 1947 को
【B】 15 अगस्त, 1948 को
【C】 5 अगस्त, 1949 को
【D】 15 अगस्त, 1950 को
Ans :- A
11. वीरेन डंगवाल का जन्म–स्थान है –
【A】 कीर्तिनगर
【B】 भावनगर
【C】 जाादनगर
【D】 आहानगर
Ans :- A
12. वीरेन डंगवाल की रचना है –
【A】 हिरोशिमा
【B】 हमारी नींद
【C】 जनतंत्र का जन्म
【D】 अक्षर–ज्ञान
Ans :- B
13. हम जब नींद में होते हैं, तब किसका जीवन–क्रम पूरा हो जाता है ?
【A】 मकड़ी का
【B】 मछली का
【C】 मक्खी का
【D】 मच्छड़ का
Ans :- C
14. कवि हमें क्या सलाह देता है ?
【A】 नींद से सोने की
【B】 नींद से जगने की
【C】 पैर पसारकर सोने की
【D】 इनमें से कोई
Ans :- B
15. वीरेन डंगवाल की प्रारंभिक शिक्षा कहाँ से हुई ?
【A】 मुजफ्फरनगर से
【B】 सहारनपुर से
【C】 कानपुर से
【D】 इनमें सभी से
Ans :- D
16. डंगवालजी ने एम० ए० कहाँ से किया ?
【A】 दिल्ली विश्वविद्यालय
【B】 पटना विश्वविद्यालय
【C】 लखनऊ विश्वविद्यालय
【D】 इलाहाबाद विश्वविद्यालय
Ans :- D
17. डंगवालजी ने कॉलेज में अध्यापन कब से प्रारंभ किये ?
【A】 1969 ई. से
【B】 1970 ई. से
【C】 1971 ई. से
【D】 1972 ई. से
Ans :- C
18. हमारी नींद कविता में हठीला किसे कहा गया है ?
【A】 बालक को
【B】 श्रमिक को
【C】 प्रकृति को
【D】 जीवन को
Ans :- D
19. कविता में देवी जागरण कहाँ हुआ ?
【A】 बाजार में
【B】 गरीब बस्तियों में
【C】 शहर में
【D】 कस्बे में
Ans :- B
20. ‘टिहरी–गढ़वाल’ कहाँ अवस्थित है ?
【A】 असम में
【B】 पश्चिम बंगाल में
【C】 बिहार में
【D】 उत्तराखण्ड में
Ans :- D
21. डंगवालजी ने किस पत्रिका में स्तम्भ लेखन किया ?
【A】 पीयूष
【B】 अमृत प्रभात
【C】 प्रभात
【D】 अमृत सागर
Ans :- B
22. किसने सभी साधन जुटा लिए हैं ?
【A】 धनवानों ने
【B】 शिक्षित लोगों ने
【C】 अत्याचारियों ने
【D】 समाजसेवियों ने
Ans :- C
23. कवि के अनुसार कई लोग ऐसे जो नहीं भूले हैं –
【A】 पढ़ाई करना
【B】 परिश्रम करना
【C】 आदर करना
【D】 इनकार करना
Ans :- D
24. वीरेन डंगवाल को उपाधि दी गई –
【A】 डी. लिट्
【B】 पद्मभूषण
【C】 भारत रत्न
【D】 इनमें से कोई नहीं
Ans :- A
25. इसी दुनिया में किसकी कृति है ?
【A】 रघुवीर सहाय
【B】 मुक्तिबोध
【C】 केदारनाथ अग्रवाल
【D】 वीरेन डंगवाल
Ans :- D
26. ‘हमारी नींद’ कविता में कवि ने किसका उल्लेख किया है ?
【A】 गरीब बस्तियों का
【B】 शहर में चैन से सोने वालों का
【C】 गरीब किसानों का
【D】 इनमें से कोई नहीं
Ans :- A
27. वीरेन डंगवाल किस दैनिक पत्र के सम्पादकीय सलाहकार हैं ?
【A】 दैनिक जागरण
【B】 जनसत्ता
【C】 अमर उजाला
【D】 दैनिक भास्कर
Ans :- C
28. डंगवालजी को साहित्य अकादमी पुरस्कार किस रचना पर मिला ?
【A】 इसी दुनिया में
【B】 दुष्चक्र में स्रष्टा
【C】 पहल पुस्तिका
【D】 इनमें से कोई नहीं
Ans :- A
29. डंगवालजी ने किस पत्रिका में स्तम्भ लेखन किया ?
(A) पीयूष
(B) अमृत प्रभात
(C) प्रभात
(D) अमृत सागर
Ans :- B
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. ‘हमारी नींद’ कविता किस प्रकार के जीवन का चित्रण करती है ?
उत्तर ⇒ हमारी नींद कविता सुविधाभोगी, आरामपसंद जीवन अथवा हमारी बेपरवाहियों के बाहर विपरीत परिस्थितियों से लगातार लड़ते हुए बढ़ते जाने वाले जीवन का चित्रण करती है।
प्रश्न 2. ‘हमारी नींद’ शीर्षक कविता में कवि ने किन अत्याचारियों का जिक्र किया है, और क्यों ?
उत्तर ⇒ कवि यहाँ उन अत्याचारियों का जिक्र करता है जो हमारे सुविधाभोगी, आरामपसंद जीवन से लाभ उठाते हैं। हमारी बेपरवाहियों के बाहर विपरीत परिस्थितियों से लगातार लड़ते हुए बढ़ते जाने वाले जीवित नहीं रह पाते हैं और इस अवस्था में अत्याचारी अत्याचार करने के बाह्य और आंतरिक सभी साधन जुटा लेते हैं।
प्रश्न 3. ‘हमारी नींद’ कविता के शीर्षक की सार्थकता पर प्रकाश डालें।
अथवा, कविता के शीर्षक की सार्थकता पर विचार कीजिए।
उत्तर ⇒ यहाँ शीर्षक विषय–वस्तु प्रधान हैं। शीर्षक छोटा है और आकर्षक भी है। इसका शीर्षक पूर्णरूप से केन्द्र में चक्कर लगाता है, जहाँ शीर्षक सुनकर ही जानने की इच्छा प्रकट हो जाती है। अतः सब मिलाकर शीर्षक सार्थक है।
प्रश्न 4. कवि गरीब बस्तियों का क्यों उल्लेख करता है?
उत्तर ⇒ कवि गरीब बस्तियों के उल्लेख के माध्यम से कहना चाहता है कि जहाँ के लोग दो जून रोटी के लिए काफी मसक्कत करने के बाद भी तरसते हैं वहाँ पूजा–पाठ, देवी जागरण जैसा महोत्सव के बहाने कुछ स्वार्थी लोग अपना उल्लू सीधा करने के लिए गरीब लोगों का उपयोग करते हैं।
प्रश्न 5. मक्खी के जीवन–क्रम का कवि द्वारा उल्लेख किये जाने का क्या आशय है ?
उत्तर ⇒ मक्खी के जीवन–क्रम का कवि द्वारा उल्लेख किये जाने का आशय है निम्न स्तरीय जीवन की संकीर्णता को दर्शाना । सृष्टि में अनेक जीवन–क्रम चलता रहता है। वह जीवन–क्रम की व्यापकता को लेकर कर्मठता और अकर्मठता का बोध . कराता है लेकिन मक्खी का जीवन–क्रम केवल सुविधाभोगी एवं परजीवी जीवन का बोध कराता है।
प्रश्न 6. इनकार करना न भूलने वाले कौन हैं ? कवि का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर ⇒ आज भी हमारे समाज में कुछ ऐसे हठधर्मी हैं जो संवैधानिक और वैधानिक स्तर पर कई गलतियाँ कर जाते हैं लेकिन अपनी भूलें या गलतियों को स्वीकार नहीं करते हैं। वे साफ तौर पर अपनी भूल को इनकार कर देते हैं। जैसे लगता है कि उनकी दलील काफी साफ और मजबूत है।
प्रश्न 7. कविता में एक शब्द भी ऐसा नहीं है जिसका अर्थ जानने की कोशिश करनी पड़े। यह कविता की भाषा की शक्ति है या सीमा ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर ⇒ प्रश्न के आलोक में यह स्पष्ट जाहिर होता है कि यह भाषा की शक्ति र है क्योंकि भाषा को किसी सीमा में बाँधकर रखना भाषा के विकास पर पहरा देना । है। भाषा के उन्मुक्त रहने से ही भाषा की व्यापकता संभव हो सकती है। अतः, यह कविता भाषा की सीमा नहीं होकर उसकी शक्ति है।
प्रश्न 8. ‘हमारी नींद’ कविता के प्रथम अनुच्छेद में कवि एक बिम्ब की रचना करता है। उसे स्पष्ट कीजिए।
उत्तर ⇒ कविता के प्रथम अनुच्छेद में कवि वीरेन डंगवाल ने मानव जीवन का एक बिंब उपस्थित किया है। सुविधाभोगी–आरामपसंद जीवन नींदरूपी अकर्मण्यता की चादर से अपने–आपको ढंककर जब सो जाता है तब भी प्रकृति के वातावरण में एक छोटा बीज अपनी कर्मठतारूपी सींगों से धरती के सतह रूपी संकटों को तोड़ते हुए आगे बढ़ जाता है। यहाँ नींद, अंकुर, कोमल सींग, फूली हुई. बीज, छत ये सभी बिम्ब रूप में उपस्थित हैं।
प्रश्न 9. वीरेन डंगवाल रचित ‘हमारी नींद’ शीर्षक कविता का सारांश अपने शब्दों में प्रस्तुत करें।
उत्तर ⇒ हम नींद में सोते हैं, इसका यह अर्थ कतई नहीं होता कि सृष्टि का विकास क्रम रुक गया है। हमारी नींद में भी प्रकृति का विकासक्रम अग्रसर होता है। हमारे सोने और जागने के बीच पेड़ कुछ इंच बढ़ जाते हैं; पौधों में कुछ सूतों की वृद्धि हो जाती है तथा अंकुर अपने कोमल और लघु–लघु सींगों से बीज की छत (छिलके को) को भीतर से धकेलना शुरू कर देते हैं। हमारी नींद जितने घंटे की होती है, उसमें मक्खी का जीवन–क्रम पूरा हो जाता है। मक्खी के अनेक शिशु पैदा होते हैं और उनमें से अनेक मृत्यु को भी प्राप्त हो जाते हैं। हमारी नींद में ही गरीब बस्तियों में धमाके के साथ लाउडस्पीकर पर देवी जागरण हो जाता है। हम जगकर भले ही सोचें कि हमारे सोने में प्रकृति का सारा विकास रुका हुआ था, पर यह सोचना एकदम सही नहीं होता।
जीवन को घेरने, बाँधने, रोकने के अनेक प्रयास होते हैं, पर हमारा हठीला जीवन इनके बावजूद अपनी प्रकृति से कोई समझौता नहीं करता, वह बढ़ता ही जाता है आगे।
हम में अधिसंख्य ऐसे हैं जो बाधाओं का सामना नहीं कर पाते, उनके सामने झुक जाते हैं। पर, कुछ ऐसे भी हैं जो भीतर से बहुत मजबूत होते हैं, वे झुकना नहीं जानते। वे अस्वीकार का दुष्परिणाम जानते हुए भी बड़े साहस के साथ साफ–साफ इनकार करने का आदी होते हैं।
प्रस्तुत कविता जीवन की जय की कविता है। जीवन अवरोधों को नहीं जानता। वह हर अवरोध को हँसता हुआ पार करता है। उसकी प्रकृति सतत विकास की होती है। वह रुकना नहीं जानता, वह झुकना नहीं जानता।
प्रश्न 10. “हमारी नींद के बावजूद’ की व्याख्या कीजिए।
उत्तर ⇒ प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी पाठ्य–पुस्तक के ‘हमारी नींद’ नामक शीर्षक से उद्धृत है। इस अंश में हिन्दी काव्यधारा के समसामयिक कवि वीरेन डंगवाल ने वैसे लोगों का चित्रण किया है जो आरामतलबी जीवन पसंद करते हैं। . प्रस्तुत अंश में कवि कहते हैं कि जीवनक्रम कभी रुकता नहीं है। समय का चक्र के समान बिना किसी की प्रतीक्षा किये हुए अनवरत आगे ही बढ़ता जाता है। यदि हमारे समाज का कोई व्यक्ति सुविधाभोगी आराम का जीवन पसंद करता है तो कहीं एक पक्ष जरूर ऐसा भी होता है जिसका सिलसिला हमेशा आगे बढ़ते जाता है जो कर्मवाद का संदेश देता है।
प्रश्न 11. व्याख्या करें –
गरीब बस्तियों में भी
धमाके से हुआ देवी जागरण
लाउडस्पीकर पर।
उत्तर ⇒ प्रस्तुत पद्यांश हिन्दी साहित्य के सुप्रसिद्ध कवि वीरेन डंगवाल के द्वारा लिखित ‘हमारी नींद’ से ली गई है। इस अंश में कवि ने उन लोगों का चित्र खींचा है जो गरीब बस्तियों में जाकर अपनी स्वार्थसिद्धि के लिए देवी जागरण जैसे महोत्सव का आयोजन करते हैं। कवि कहते हैं कि आज भी हमारे समाज में कुछ ऐसे स्वार्थपरक लोग हैं जिनके हृदय में गरीबों के प्रति हमदर्दी नहीं है। केवल उनसे । समय–समय पर झूठे वादे करते हैं। नेता, पूँजीपति एवं अत्याचारी ये सभी गरीबों । की आंतरिक व्यथा से खिलवाड़ कर उनकी विवशता से लाभ उठाते हैं।