महत्वपूर्ण तथ्य
1. लेखक- रसखान
2. पूरा नाम- सैय्यद इब्राहिम खान
3. इनका जन्म 1548 ई० में एक पठान परिवार में दिल्ली में हुआ था।
4. यह जहाँगीर के समकालीन थे।
5. इनकी मृत्यु 1628 ई० में हो गई थी।
6. यह दिल्ली में पठान राजवंश में उत्पन्न हुए थे। दिल्ली पर जब मुगलों का अधिकार हो गया, तो यह दिल्ली भाग खड़े हुए और ब्रजभूमि में आकर कृष्णभक्ति में मग्न हो गए। रसखान मूल रूप से मुसलमान थे, फिर भी इन्होंने जीवन भर कृष्णभक्ति का गान किया।
7. रसखान सूफियों का हृदय लेकर कृष्ण की लीला पर काव्य रचते हैं। इनकी रचनाओं को भारतेन्दु हरिश्चंद्र भी प्रशंसा किए हैं।
8. गोस्वामी विट्ठलनाथ जी ने कृष्ण के प्रति इनकी भक्ति देखकर अपना शिष्य बना लिया। बचपन से ही यह प्रेमी स्वभाव के थे। बाद में यहीं प्रेम ईश्वरीय (अलौकिक) प्रेम में बदल गया। कृष्ण भक्ति से उत्प्रेरित हो कर ब्रजभूमि में रहने लगे और मृत्यु तक वहीं रहे।
9. रसखान कृष्ण का लीला पदों में नहीं, बल्कि सवैयों (हिंदी का एक वार्णिक छंद जिसमें चार पंक्तियाँ होती हैं।) में किया है।
10. प्रमुख रचनाएँ- सुजान रसखान तथा प्रेमवाटिका
पद:-
प्रेम-अयनि श्री राधिका, प्रेम-बरन नँदनंद।
प्रेम-बाटिका के दोऊ, माली-मालिन-द्वन्द्व।।
मोहन छबि रसखानि लखि अब दृग अपने नाहिं।
अँचे आवत धनुस से छूटे सर से जाहिं।।
अर्थ— रसखान कवि कहते हैं कि राधिका प्रेम का खजाना और श्रीकृष्ण (नंद के बेटा) प्रेम का रूप है। प्रेम रूपी बाग में दोनों माली-मालीन के जैसे हैं। एक बार श्रीकृष्ण का रूप देख लेने के बाद दूसरा रूप देखने का मन नहीं करता है। अर्थात आँखें इन्हीं दोनों को देखती रहती है। रसखान ने जब से कृष्ण के छवि को देखा है। उसका नयन अपना नहीं है। क्षण भर के लिए आते हैं और जैसे धनुष से बाण छूटता है, उसी प्रकार आते-जाते रहते हैं।
अब बे मन मैं का करूँ परी फेर के फंद।।
प्रीतम नन्दकिशोर, जा दिन तै नैननि लग्यौ।
मन पावन चितचोर, पलक ओट नहिं करि सकौं।
अर्थ— मेने मन को श्रीकृष्ण ने चूरा लिया है। जिसके कारण अब मैं बेमन हो गया हूँ। मेरा मन इच्छा रहित हो गया है। मैं श्रीकृष्ण के प्रेम की जाल में बुरी तरह फंस गया हूँ। लेखक अपनी अपनी विवशता प्रकट करते हुए कहते हैं कि जिस दिन सें मैंने प्रेमी श्रीकृष्ण को देखा हूँ, उसने मेरा मन चुरा लिया है। हर पल कृष्ण एवं राधा की सुदंरता को बिना पलक झपकाए देखते रहते हैं।
या लकुटी अरु कामरिया पर राज तिहूँ पुर की तजि डारौं।
आठहुँ सिद्धि नवोनिधि को सुख नन्द की गाइ चराई बिसारौं।।
अर्थ— कवि रसखान अपने दिल की अभिलाषा प्रकट करते हुए कहते हैं कि अगर श्रीकृष्ण की लाठी और कंबल मिल जाए तो मैं तीनों लोक के राज्य का त्याग कर दूँगा। अगर केवल नंद बाबा की गाय चराने को मिल जाए, जिसे कृष्ण चराते थे तो आठों सिध्दियाँ और नौ निधियों के सुख को भी भूला दूँगा।
रसखानी कबौं इन आँखिन सौं ब्रज के बनबाग तड़ाग निहारौं।
कोटिक रौ कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौं।।
अर्थ— कवि का कहना है कि जब से मेरी आँखों ने ब्रज के जंगलों, निकुंजों (वन-वाटिका या फुलवारी या उपवन), तालाबों तथा करील (एक प्रकार की काँटेदार झाड़ी), के सघन कुँजों (झाड़ियों, लताओं आदि से घिरा स्थान; वह जगह जहाँ लताएँ छाई हों) को देखा है, तब से यही इच्छा होती है कि ऐसे मनोहर उपवनों की सुन्दरता के सामने करोड़ों महल बहुत नीच प्रतीत होते हैं। अर्थात ऐसे कीमती महल को छोड़कर कृष्ण जहाँ रासलीला करते थे, वहीं निवास करूँ
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. रसखान दिल्ली से कहाँ चले गए ?
【A】 हरियाणा
【B】 पंजाब
【C】 ब्रजभूमि
【D】 वाराणसी
Ans : C
2. रसखान किस विषय में सिद्ध थे ?
【A】 सवैया–छन्द में
【B】 कवित्त में
【C】 मुक्तक में
【D】 रीतिमुक्त काव्यधारा में
Ans : A
3. ‘सुजान रसखान’ किनकी रचना है ?
【A】 सुजान की
【B】 रसखान की
【C】 मियाँजान की
【D】 नसीर की
Ans : B
4. रसखान ने चोर किसे कहा है ?
【A】 कृष्ण
【B】 राधा
【C】 नंद
【D】 स्वयं को
Ans : A
5. रसखान को ‘पुष्टिमार्ग’ की दीक्षा किसने दी ?
【A】 सूरदास
【B】 कृष्णदास
【C】 रामानंद
【D】 गोस्वामी विट्ठलनाथ
Ans : D
6. कवि ने माली–मालिन किसे कहा है ?
【A】 शंकर–पार्वती
【B】 गणेश–लक्ष्मी
【C】 कृष्ण–राधा
【D】 राम–सीता
Ans : C
7. रसखान के रचनाकाल के समय किसका राज्यकाल था ?
【A】 अकबर
【B】 हुमायूँ
【C】 जहाँगीर
【D】 औरंगजेब
Ans : C
8.“इन मुसलमानन हरिजनन पै, कोटिन हिन्दू वारिये”-यह किस कवि के लिए कहा गया है ?
【A】 कबीरदास
【B】 मलिक मुहम्मद जायसी
【C】 रहीम
【D】 रसखान
Ans : D
9. ‘प्रेम अयनि श्री राधिका’ में कितने दोहे संकलित हैं ?
【A】 दो
【B】 तीन
【C】 चार
【D】 पाँच
Ans : C
10. ‘करील के कुंजन ऊपर वारौं’ के अन्तर्गत कितने सवैया संकलित हैं ?
【A】 एक
【B】 दो
【C】 तीन
【D】 चार
Ans : A
11. ‘सुजान रसखान’ के रचनाकार हैं–
【A】 घनानंद
【B】 रसखान
【C】 प्रेमघन
【D】 अज्ञेय
Ans : B
12. रसखान किस प्रकार की रचना में सिद्ध थे ?
【A】 दोहा
【B】 सोरठा
【C】 कवित्त
【D】 सवैया छंद
Ans : D
13. रसखान ने श्रीकृष्ण का लीलागान किसमें किया है ?
【A】 सवैयों में
【B】 सोरठों में
【C】 पदों में
【D】 इन सभी में
Ans : A
14. रसखान हिन्दी के लोकप्रिय कवि हैं –
【A】 सामाजिक
【B】 धार्मिक
【C】 व्यंग्यात्मक
【D】 जातीय
Ans : D
15. स्वामी विट्ठनाथ ने रसखान को कहाँ दीक्षा दी ?
【A】 वाटिका में
【B】 झोपड़ी में
【C】 ब्रजभमि में
【D】 गफा में
Ans : C
16. कवि रसखान ने प्रेम–बरन किसे कहा है ?
【A】 नंद बाबा को
【B】 यशोदा मैया को
【C】 गोपियों को
【D】 श्रीकृष्ण को
Ans : D
17. ‘नंदनंद’ किसे कहा गया है ?
【A】 नंद बाबा को
【B】 बलराम को
【C】 श्रीकृष्ण को
【D】 ग्वाल–बालकों को
Ans : C
18. ‘प्रेमवाटिका’ किस प्रकार की रचना है ?
【A】 भक्ति संबंधी
【B】 प्रेम–निरूपण संबंधी
【C】 आत्मज्ञान संबंधी
【D】 निराकार–ब्रह्म संबंधी
Ans : B
19. ‘सुजान रसखान’ किस प्रकार की रचना है ?
【A】 सुजान संबंधी
【B】 प्रेम–निरूपण संबंधी
【C】 सगुण–भक्ति संबंधी
【D】 कृष्ण की भक्ति संबंधी
Ans : D
20. रसखान के इष्ट थे –
【A】 भगवान श्रीराम
【B】 भगवान शिव
【C】 भगवान श्रीकृष्ण
【D】 भगवान विष्णु
Ans : C
21. कवि रसखान ने अपने दोहे में ‘बेमन’ किसे कहा है ?
【A】 श्रीकृष्ण को
【B】 ग्वाल बालों को
【C】 यशोदा को
【D】 भक्त के रूप में स्वयं को
Ans : D
22. रसखान द्वारा रचित ग्रंथ है –
【A】 वाटिका
【B】 प्रेमवाटिका
【C】 आनंद वाटिका
【D】 रस वाटिका
Ans : B
23. रसखान का रचनाकाल था –
【A】 जहाँगीर का राज्यकाल
【B】 अकबर का राज्यकाल
【C】 बाबर का राज्यकाल
【D】 औरंगजेब का राज्यकाल
Ans : A
24. आधुनिक काल के साहित्यकार हैं –
【A】 रसखान
【B】 रैदास
【C】 विट्ठलनाथं
【D】 भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
Ans : A
25. कौन–सी कृति रसखान की है ?
【A】 प्रेम–फुलवारी
【B】 प्रेमवाटिका
【C】 अष्टधाम
【D】 वाटिका
Ans : B
26. किसने कहा, ‘इन मुसलमानन हरिजनन पै कोटिन हिन्दू वारिये’ ?
【A】 निराला
【B】 भारतेन्दु. हरिश्चन्द्र
【C】 रामविलास शर्मा
【D】 रामचन्द्र शुक्ल
Ans : B
27. रसखान को गोस्वामी विट्ठलनाथ ने किस मार्ग में दीक्षा दी ?
【A】 प्रेम मार्ग में
【B】 भक्ति मार्ग में
【C】 पुष्टि मार्ग में
【D】 संतमार्ग में
Ans : C
28. ‘रसखान’ ने अपनी रचना में माली–मालिन किन्हें कहा है ?
【A】 भक्तों को
【B】 वाटिका की रक्षा करनेवालों को
【C】 गोप–गोपियों को
【D】 श्रीकृष्ण एवं राधा को
Ans : D
29. ‘रसखान’ को किसने दीक्षा दी ?
【A】 वल्लभाचार्य
【B】 गोकुलनाथ
【C】 गोस्वामी विट्ठलनाथ
【D】 गोरखनाथ
Ans : C
30. ‘रसखान’ किस काल के कवि हैं ?
【A】 आदिकाल
【B】 रीतिकाल
【C】 आधुनिककाल
【D】 भक्तिकाल
Ans : D
31. सवैये में रसखान की कैसी आकांक्षा प्रकट है ?
【A】 मुक्ति की
【B】 भगवत्–प्राप्ति की
【C】 ब्रजभूमि निवास की
【D】 स्वर्ग–प्राप्ति की
Ans : C
32. रसखान ने चितचोर किसे कहा है ?
【A】 गोपियों को
【B】 कृष्णभक्तों को
【C】 ग्वाल–बाल को
【D】 श्रीकृष्ण को
Ans : D
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. कवि ने स्वयं को बेमन का क्यों कहा है ?
उत्तर ⇒कवि रसखान का मन मोहन की छवि में डूब गया है। उस नंद के चहेते ने रसखान के मन का मणि यानी चित हर लिया है, इसलिए कवि अब बिना मन का यानी बेमन हो गया है।
प्रश्न 2. रसखान रचित सवैये का भावार्थ अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर ⇒रसखान रचित सवैये में ब्रजभूमि के प्रति उनका हार्दिक प्रेम प्रकट होता है। सवैये में उन्होंने कहा है कि ब्रजभूमि की एक–एक वस्तु, स्थान, सरोवर, कँटीली झाड़ियाँ सुखदायक हैं क्योंकि यहाँ ब्रह्म के अवतार श्रीकृष्ण अवतरित हुए।
प्रश्न 3. कवि ने माली–मालिन किन्हें और क्यों कहा है ?
अथवा, रसखान ने माली–मलिन किन्हें और क्यों कहा है ?
उत्तर ⇒कवि ने माली–मालिन कृष्ण और राधा को कहा है। क्योंकि, कवि राधा–कृष्ण के प्रेममय युगल को प्रेम–भरे नेत्र से देखा है । यहाँ प्रेम को वाटिका मानते हैं और उस प्रेम–वाटिका के माली–मालिन कृष्ण–राधा को मानते हैं।
प्रश्न 4. कृष्ण को चोर क्यों कहा गया है ? कवि का अभिप्राय स्पष्ट करें ?
उत्तर ⇒ कवि कृष्ण और राधा के प्रेम में मनमुग्ध हो गये हैं। उनकी मनमोहक छवि को देखकर मन पूर्णतः उस युगल में रम जाता है। इसलिए इन्हें लगता है कि इस देह से मनरूपी मणि को कृष्ण ने चुरा लिया है।
प्रश्न 5. रसखान के द्वितीय दोहे का काव्य–सौंदर्य स्पष्ट करें ?
उत्तर ⇒ प्रस्तुत दोहे में सवैया छन्द में भाव के अनुसार भाषा का प्रयोग अत्यन्त मार्मिक है । सम्पूर्ण छन्द में ब्रजभाषा की सरलता, सहजता और मोहकता देखी जा सकती है। कहीं–कहीं तद्भव और तत्सम के सामासिक रूप भी मिल रहे हैं।
प्रश्न 6. सवैये में कवि की कैसी आकांक्षा प्रकट होती है ? भावार्थ बताते हुए स्पष्ट करें ?
उत्तर ⇒ प्रेम–रसिक कवि रसखान द्वारा रचित सवैये में कवि की आकांक्षा प्रकट हुई है। इसके माध्यम से कवि कहते हैं कि कृष्णलीला की छवि के सामने अन्यान्य दृश्य बेकार हैं। कवि कृष्ण की लकुटी और कामरिया पर तीनों लोकों का राज न्योछावर कर देने की इच्छा प्रकट करते हैं। नन्द की गाय चराने की कृष्णलीला का स्मरण करते हुए कहते हैं कि उनके चराने में आठों सिद्धियों और नवों निधियों का सुख भुला जाना स्वाभाविक है । ब्रज के वनों के ऊपर करोड़ों इन्द्र के धाम को न्योछावर कर देने की आकांक्षा कवि प्रकट करते हैं।
प्रश्न 7. ‘प्रेम–अयनि श्री राधिका, करील के कुंजन ऊपर वारौं’ कविता का सारांश लिखें।
उत्तर ⇒ पाठयपुस्तक में ‘प्रेम–अयनि श्री राधिका’ शीर्षक के अंतर्गत चार दोहे संकलित हैं तथा ‘करील के कुंजन ऊपर वारौं’ शीर्षक कविता के अंतर्गत एक सवैया संकलित है। रसखान कवि कहते हैं कि श्री राधिका प्रेम की खान हैं और श्रीकृष्ण का सारा व्यक्तित्व प्रेम के रंग में सराबोर है। प्रेम रूपी वाटिका (प्रेमोद्यान) के ये दोनों मालिन–माली हैं।प्रस्तुत पंक्ति में कवि कहते हैं कि नन्दकिशोर में जिस दिन से चित्त लग गया है उन्हें छोड़कर कहीं नहीं भटकता । कृष्ण को अपना प्रीतम बताते हुए कहते हैं कि मन को पवित्र करने वाले चित्तचोर को आठों पहर देखते रहने की कामना समाप्त नहीं होती । कृष्ण मन को हरने वाले हैं। चित्त को चुराने वाले हैं। उनकी मोहनी मरत अपलक देखते रहने की आकांक्षा कवि व्यक्त करते हैं।
पाठयपुस्तक में संकलित रसखान के सवैये में कवि की श्रीकृष्ण और ब्रज के प्रति अनन्य भक्ति अभिव्यक्त हुई है। कवि के लिए श्रीकृष्ण की छोटी लाठी (लकुटी) और कंबली (कमरिया) इतनी महत्त्वपूर्ण है कि तीनों लोकों का राज्य भी उनके सामने तुच्छ है। कवि कहता है कि मुझे यदि तीनों लोकों का राज्य भी प्राप्त हो जाए तो मैं कृष्ण की लाठी और कंबली की महत्ता के समक्ष उसे तुच्छ समशृंगा और उसका त्याग कर दूंगा। मुझे तो नंद की गाएँ चराते समय अपार सुख मिलता र है। उसके आगे तो आठों सिद्धियों और नवों निधियों का सुख भी कुछ नहीं है। है रसखान कवि के भीतर ब्रज के वन, बाग और तड़ाग को देखने की लालसा तीव्र व हो उठी है। वे कहते हैं कि सोने–चाँदी के करोड़ों महल भी ब्रज के करील कुंजों र की समता नहीं कर सकते। मुझे यदि कोई सोने–चाँदी के करोड़ों महल दे तब भी ि मैं उन्हें अस्वीकार कर दूंगा और ब्रज के करील–कुंजों के वैभवं से प्राप्त आनंदानुभूति हे को अपने जीवन की महत्त्वपूर्ण पूँजी मानूँगा।
प्रश्न 8. निम्नांकित पंक्तियों का अर्थ लिखें –
या लकुटी अरु कामरिया पर राज तिहूँ पुर की तजि डारौं।
आठहुँ सिद्धि नवोनिधि को सुख नन्द की गाय चराई विसारौं।।
रसखानि कबौं इन आँखिन सौ ब्रज के बनबाग तडाग निहारौं।
कोटिक रौं कलधौत के परम करील के कुंजन ऊपर वारौं।।
उत्तर ⇒ प्रस्तुत पंक्तियाँ करील के कुंजन ऊपर वारौं कविता से ली गई है। इसमें कवि ‘रसखान’ अपनी हार्दिक अभिलाषा प्रकट करते हुए कहते हैं कि श्रीकृष्ण की लाठी एवं कम्बल पर तीनों लोक के राज्य का त्याग कर दूँ। नन्द बाबा की गाय चराने का अवसर मिल जाय, तो आठों प्रकार की सिद्धियों तथा नव–निधियों के सुखों का त्याग करने में मुझे कष्ट नहीं होगा। वह सोने के चमचमाते महल में रहने की अपेक्षा वृन्दावन के निकुंजों में वास करना बेहतर समझते हैं, क्योंकि वहाँ श्रीकृष्ण अपने सखागणों के साथ क्रीड़ा करते हैं । अतः, कवि ने कृष्ण के प्रति अपने उत्कट प्रेम का परिचय दिया है।
प्रश्न 9. ‘मन पावन चितचोर, पलक ओट नहिं करि सकौं’ की व्याख्या करें।
उत्तर ⇒ प्रस्तुत पंक्ति कृष्णभक्त कवि रसखान द्वारा रचित हिंदी पाठ्य–पुस्तक के ‘प्रेम–अयनि श्रीराधिका’ पाठ से उद्धृत है। इसमें कवि ने कृष्ण की मनोहर छवि के प्रति अपने हृदय की रीझ को व्यक्त किया है।प्रस्तुत पंक्ति में कवि कहते हैं कि नन्दकिशोर में जिस दिन से चित्त लग गया है उन्हें छोड़कर कहीं नहीं भटकता। कृष्ण को अपना प्रीतम बताते हुए कहते हैं कि मन को पवित्र करने वाले चित्तचोर को आठों पहर देखते रहने की कामना समाप्त नहीं होती। कृष्ण मन को हरने वाले हैं। चित्त को चुराने वाले हैं। उनकी मोहनी मूरत अपलक देखते रहने की आकांक्षा कवि व्यक्त करते हैं।
प्रश्न 10. ‘रसखानि कबौं इन आँखिन सौं ब्रज के बनबाग तड़ाग निहारौं’ की व्याख्या करें।
उत्तर ⇒ प्रस्तुत पंक्ति हिन्दी साहित्य की पाठ्य–पुस्तक के रसखान–रचित ‘करील के कुंजन ऊपर वारों’ पाठ से उद्धृत है। प्रस्तुत पंक्ति में कवि ब्रज पर अपना जीवन सर्वस्व न्योछावर कर देने की भावमयी विदग्धता मुखरित करते हैं। प्रस्तुत व्याख्येय पंक्ति के माध्यम से कवि कहते हैं कि ब्रज के बागीचे एवं तालाब अति सुशोभित एवं अनुपम हैं। इन आँखों से उनकी शोभा देखते बनती है। कवि कहते हैं कि ब्रज के वनों के ऊपर, अति रमनीय, सुशोभित, मनोहारी मधुवन के ऊपर इन्द्रलोक को भी न्योछावर कर दूं तो कम है। ब्रज के मनमोहक तालाब एवं बाग की शोभा देखते हुए कवि की आँखें नहीं थकतीं, इनकी शोभा निरंतर निहारते रहने की भावना को कवि ने इस पंक्ति के द्वारा बड़े ही सहजशैली में अभिव्यक्त किया है।