स्वामी दयानंद

महत्वपूर्ण तथ्य

1.स्वामी दयानंद आधुनिक भारत में समाज, शिक्षा आदि के महान सुधारक थे।

2. स्वामी दयानन्द का जन्म गुजरात प्रांत के टंकारा नामक ग्राम में 1824 ई. में हुआ था ।

3. उनका परिवार शिवोपासक थे, उनके बचपन का नाम मूलशंकर था ।

4. इनकी प्रारम्भिक शिक्षा संस्कृत में हुई तथा इनके गुरु का नाम विरजानन्द था ।

5. ‘सत्यार्थप्रकाश’ नामक पुस्तक इनकी प्रमुख रचना है ।

6. इन्होंने स्त्री शिक्षा, विधवा विवाह का समर्थन किया तथा मूर्तिपूजा, छुआछूत, बाल-विवाह का विरोध किया ।

7. 1875 ई० में मुम्बई नगर में ‘आर्यसमाज’ नामक संस्था की स्थापना की।

8. इनकी मृत्यु 1883 ई० में हुई ।

9. इनकी मृत्यु के पश्चात् इनके अनुयायियों के द्वारा डी.ए.वी. (दयानन्द एंग्लो वैदिक) नामक गुरुकुल की स्थापना की गई।

10. वर्तमान शिक्षा पद्धति एवं समाज के परिवर्तन में आर्यसमाज का योगदान स्मरणीय है ।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1.स्वामी दयानन्द कौन थे ?

A शिक्षाविद्                         

B समाजोद्धारक                    

C धर्मोपदेशक                      

D राजनीतिज्ञ

Ans :-B

2. गुजरातप्रदेश स्थित टंकाराग्राम किसका जन्मस्थल है ?

A स्वामी विवेकानन्दः            

B स्वामी विरजानन्दः             

C स्वामी दयानंदः                 

D इनमें से कोई नहीं

Ans :- C

3. स्वामी दयानन्द के बचपन का नाम क्या था ?

A शंकर                              

B शिवशंकर                        

C मूलशंकर                         

D उमाशंकर

Ans :- C

4. स्वामी दयानन्द का जन्म किस गाँव में हुआ ?

A कंटारा                             

B टंकापुर                            

C टंकारा                             

D भीखनटोला

Ans :- A

5. स्वामी दयानंद की शिक्षा की शुरुआत किस भाषा के माध्यम से हुई ?

A संस्कृत                           

B हिन्दी                             

C उर्दू                                 

D कोई नहीं

Ans :- A

6. आर्य समाज संस्था के संस्थापक कौन थे ?

A विवेकानन्द                      

B दयानन्द                         

C रामकृष्ण परमहंस              

D राजा राममोहन राय

Ans :- B

7. स्वामी दयानन्द का निधन कब हुआ था ?

A 1875                            

B 1883                            

C 1945                            

D 1983

Ans :- D

8. ‘आर्यशब्द का क्या अर्थ है ?

A आर्यावर्तवासी                    

B सभ्य                              

C श्रेष्ठ                               

D सम्मान्य

Ans :- A

9. स्वामी दयानन्द का जन्म कब हुआ था ?

A 1844 ई० में                    

B 1824 ई० में        

C 1842 ई० में                    

D 1924 ई० में

Ans :- B

10. स्वामी दयानन्द ने किस नगर में आर्य समाज की स्थापना की ?

A कोलकाता                        

B मुम्बई                            

C पटना                             

D चेन्नई

Ans :- B

11. स्वामी दयानन्द के मातापिता किसके उपासक थे ?

A शिव                               

B विष्णु                             

C गणेश                             

D इन्द्र

Ans :- A

12. आर्य समाज की स्थापना कब हुई ?

A 1985                            

B 1875                            

C 1705                            

D 1930

Ans :- B

13. स्वामी दयानन्द घर छोड़कर कहाँ गये ?

A काशी                              

B आगरा                            

C मथुरा                             

D दिल्ली

Ans :- C

14. मूल शंकर किनका नाम था ?

A स्वामी दयानन्द                

B राधामोहन ओझा                

C पंडित रामस्वरूप शुक्ल       

D गणेश ओझा

Ans :- A

15. निम्न में कौन मूर्ति पूजा के विरोधी थे ?

A राधामोहन ओझा                

B स्वामी दयानन्द                

C पंडित रामस्वरूप शुक्ल       

D गणेश ओझा

Ans :- B

16. सत्यार्थ प्रकाश किसकी रचना है ?

A स्वामी दयानन्द                

B राधामोहन ओझा                

C पंडित रामस्वरूप शुक्ल       

D गणेश ओझा

Ans :- A

17. किसके कहने पर स्वामी दयानंद ने वैदिक ग्रंथ का प्रचार किया ?

A गिरिजानन्द                     

B अमृतानन्द                      

C विरजानन्द                       

D उपर्युक्त कोई नहीं

Ans :- C

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. समाज के उन्नयन में स्वमी दयानंद के योगदानों पर प्रकाश डालें।

उत्तर  स्वामी दयानन्द ने समाज के उद्धार के लिए स्त्री शिक्षा पर बल दिया और विधवा विवाह हेतु समाज को प्रोत्साहित किया। उन्होंने बाल विवाह समाप्त करवाने, मूर्तिपूजा का विरोध और छुआछूत समाप्त कराने का प्रयत्न किया।

2. स्वामी दयानन्द ने अपने सिद्धान्तों के संकलन के लिए क्या किया ?

उत्तर  स्वामी दयानन्द ने अपने सिद्धांतों के संकलन के लिए वैदिक धर्म, सत्यार्थ, प्रकाश नामक ग्रंथ की रचना की।

3. मध्यकाल में भारतीय समाज क्यों दूषित हो गया था ?

उत्तर  मध्यकाल में भारतीय समाज जातिवादी वैषम्यता, अस्पृश्यता, धार्मिक आडम्बर, स्त्रियों की अशिक्षा, दलितों का तिरस्कार आदि कारणों से दूषित हो गया था।

4. मध्यकाल में भारतीय समाज में वर्तमान कुरीतियों पर प्रकाश डालें।

उत्तर  मध्यकाल में अनेक गलत रीतिरिवाजों से भारतीय समाज दूषित हो गया था। जातिवाद, छूआछूत, अशिक्षा, विधवाओं की दुर्गति आदि अनेकों उदाहरण थे जो भारतीय समाज को अंधकूप की ओर ले जा रहे थे। दलित हिन्दु समाज को तिरस्कार कर धर्मपरिवर्तन शुरू कर दिया था।

5. स्वामी दयानंद की शिक्षा-व्यवस्था का वर्णन करें।

उत्तर  स्वामी दयानन्द सरस्वती की प्राथमिक शिक्षा संस्कृत शिक्षा के रूप में प्रारम्भ हुई। अपनी शिक्षा से अभिप्रेरित स्वामी दयानन्द समाज में नई शिक्षा पद्धति को प्रोत्साहित किया। वे वैदिक साहित्य भारतीय संस्कार के साथ पाश्चात्य वैज्ञानिक शिक्षा को भी आवश्यक मानते हुए नई व्यवस्था प्रारम्भकी। उन्होंने अपनी शिक्षा में स्त्री शिक्षा, अस्पृश्यता उन्मूलन, बालविवाह का 1 निवारण और कर्मकाण्ड का निषेध पर बल दिया। उन्होंने शिक्षा को ही समाज : सुधार का प्रमुख अस्त्र माना। उनके विचारों पर आधारित शिक्षण संस्थानों की स्थापना उनके अनुयायियों ने की है। गुरूकुल शिक्षा पद्धति आधारित अनेक डी. . वी. (दयानन्द एंग्लो वैदिक) विद्यालय संचालित हैं।

6. महाशिवरात्रि पर्व स्वामी दयानन्द के जीवन का उद्बोधक कैसे बना ?

उत्तर  एक बार महाशिवरात्रि के दिन शिवउपासना के समय इन्होंने देखा कि एक चूहा भगवान शंकर की मूर्ति के ऊपर चढ़कर उनपर चढ़ाए हुए प्रसाद को खा रहा है। इससे उन्हें विश्वास हो गया कि मूर्ति में भगवान नहीं होते। इस प्रकार वे मूर्तिपूजा के विरोधी हो गए और वेदों का अध्ययन कर सत्य का प्रचार करने लगे। इस प्रकार शिवरात्रि पर्व उनके जीवन का उद्बोधक बना।

7. स्वामी दयानन्द ने अपने सिद्धान्तों के कार्यान्वयन हेतु क्या किया ?

उत्तर  आधुनिक भारत के समाज और शिक्षा के महान उद्धारक स्वामी दयानंद भारतीय समाज में व्याप्त अस्पृश्यता, धर्मकार्यों में आडम्बर आदि अनेक विषमताओं को दूर करने का प्रयास किया। भारतवर्ष में इन्होंने राष्ट्रीयता को लक्ष्य बनाकर भारतवासियों के लिए पथप्रदर्शक का काम किया। दूषित प्रथा को खत्म कर शुद्ध तत्वज्ञान का प्रचारप्रसार किया वैदिक धर्म एवं सत्यार्थ प्रकाश नामक ग्रंथ की रचना कर भारतवासियों को एक नई शिक्षा नीति की ओर अभिप्रेत किया।

8. स्वामी दयानन्द को मूर्तिपूजा के प्रति अनास्था कैसे हुई ?

उत्तर  स्वामी दयानन्द के मातापिता भगवान शिव के उपासक थे। महाशिवरात्रि के दिन शिवपार्वती की पूजा इनके परिवार में विशेष रूप में मनाई जाती थी। एक बार महाशिवरात्रि के दिन इन्होंने देखा कि एक चूहा भगवान शंकर की मूर्ति के ऊपर चढ़कर उनपर चढ़ाए हुए प्रसाद को खा रहा है। इससे उन्हें विश्वास हो गया कि मूर्ति में भगवान नहीं होते इस प्रकार वे मूर्तिपूजा के विरोधी हो गए।

9. मध्यकाल में भारतीय समाज में फैली कुरीतियों का वर्णन अपने शब्दों में करें।

उत्तर  मध्यकाल में अनेक गलत रीतिरिवाजों से भारतीय समाज दूषित हो गया था। जातिवाद, छूआछूत, अशिक्षा, विधवाओं की दुर्गति आदि अनेक उदाहरण थे जो भारतीय समाज को अंधकूप की ओर ले जा रहे थे। दलित हिन्दुओं ने समाज का तिरस्कार कर धर्मपरिवर्तन शुरू कर दिये थे।

10. स्वामी दयानन्द ने समाज के उद्धार के लिए क्या किया ?

उत्तर  स्वामी दयानन्द ने समाज के उद्धार के लिए स्त्री शिक्षा पर बल दिया और विधवा विवाह हेतु समाज को प्रोत्साहित किया। उन्होंने बाल विवाह समाप्त करवाने, मूर्तिपूजा का विरोध और छुआछूत समाप्त कराने का प्रयत्न किया।

11. आर्यसमाज की स्थापना किसने की और कब की ? आर्य समाज के बारे में लिखें।

उत्तर  आर्यसमाज की स्थापना स्वामी दयानन्द सरस्वती ने 1885 में मुंबई नगर में की। आर्यसमाज वैदिक धर्म और सत्य के प्रचार पर बल देता है यह संस्था मूर्तिपूजा का विरोध करती है आर्यसमाज ने नवीन शिक्षापद्धति को अपनाया। . डी० ए० वी० नामक विद्यालयों के समूह की स्थापना की। आज इस संस्था की। शाखाएँप्रशाखाएँ देशविदेश के प्रायः हरेक प्रमुख नगर में अवस्थित हैं।

12. स्वामी दयानन्द कौन थे ? समाज सुधार के लिए उन्होंने क्या किया?

उत्तर  स्वामी दयानन्द समाजसुधारक थे। उन्होंने समाज की कुत्सित रीतियों को लोगों के साथ मिलकर दूर करने का प्रयास किया तथा डीएवी शिक्षण संस्था स्थापित की।

13. स्वामी दयानन्द का जन्म कहाँ हुआ था? समाज सुधार के लिए उन्होंने क्या किया ?उत्तर स्वामी दयानन्द सरस्वती का जन्म गुजरात प्रांत के टंकारा नाम के गाँव में एक ब्राह्मण कुल में हुआ था। 19वीं शताब्दी ईस्वी में आविर्भूत समाजसुध रकों में स्वामी दयानन्द अतीव प्रसिद्ध हैं। इन्होंने रूढ़िग्रस्त समाज और विकृत धार्मिक व्यवस्था पर कठोर प्रहार करके आर्य समाज की स्थापना की जिसकी शाखाएँ देशविदेश में शिक्षा सुधार के लिए भी प्रयत्नशील रही हैं। शिक्षा व्यवस्था में गुरुकुल पद्धति का पुनरुद्धार करते हुए इन्होंने आधुनिक शिक्षा के लिए डी० ए० वी० विद्यालय जैसी संस्थाओं की स्थापना को प्रेरित किया।

14. ‘स्वामिनः दयानन्दस्य विषये द्वे वाक्ये लिखत हिन्दी में उत्तर दें।

उत्तर  स्वामी दयानन्द 19वीं शताब्दी के समाजसुधारकों में अग्रणी हैं। उन्होंने रूढ़िग्रस्त समाज और विकृत धार्मिक व्यवस्था पर कठोर प्रहार करके आर्य समाज की स्थापना की। ये मूर्ति पूजा के विरोधी थे।

15. वैदिक धर्म के प्रचार के लिए स्वामी दयानन्द ने क्या किया ?

उत्तर  वैदिक धर्म और सत्य के प्रचार के लिए स्वामी दयानन्द ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया वेदों के प्रति सभी अनुयायियों का ध्यान आकर्षित करने के लिए उन्होंने वेदों के उपदेशों को संस्कृत एवं हिंदी में लिखा।

16. कौनसी घटना ने स्वामी दयानंद की जीवन दिशा को निर्धारित कर दिया ?

उत्तर  स्वामी दयानंद सरस्वती का जन्म एक ब्राह्मण कुल में हुआ था। परिवार में कर्मकाण्ड के प्रति आस्था थी। एक दिन शिवरात्रि के शुभ अवसर पर रात्रि जागरण का महोत्सव हुआ शिव की मूर्ति पर इन्होंने एक चूहे को चहलकदमी करते हुए देखा इनके मन में तरहतरह के प्रश्न उठने लगे। उसी समय इनके मन में मूर्ति पूजा के प्रति अनास्था उत्पन्न हो गई। कुछ दिनों के बाद उनकी प्रिय बहन का निधन हो गया इन घटनाओं ने ही उनकी जीवन दिशा को बदल दिया। उनमें वैराग्य भाव उत्पन्न हो गया।

17. आधुनिक भारत को स्वामी दयानंद का क्या योगदान है ?

उत्तर  आधुनिक भारत के समाज और शिक्षा के महान उद्धारक स्वामी दयानंद हैं। उन्होंने भारतीय समाज में व्याप्त रूढ़िवादिता को दूर कर एक नये समाज की स्थापना की है। जातिवाद, अस्पृश्यता, धर्मकार्यों में आडम्बर आदि अनेक विषमताएँ थीं जिनसे समाज ग्रसित था। विरजानन्द का सान्निध्य पाकर वैदिक धर्मप्रचार एवं सत्य के प्रसार में उन्होंने अपने जीवन को अर्पित कर दिया। भारतवर्ष में इन्होंने राष्ट्रीयता को लक्ष्य बनाकर भारतवासियों के लिए पथप्रदर्शक का काम किया। दूषित प्रथा को खत्म कर शुद्ध तत्वज्ञान का प्रचारप्रसार किया वैदिक धर्म एवं सत्यार्थ प्रकाश नामक ग्रंथ की रचना कर भारतवासियों को एक नई शिक्षा नीति की ओर अभिप्रेत किया

                                          

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