महत्वपूर्ण तथ्य
1.लेखक- सच्चिदानंद हीरानंद वात्सयायन ‘अज्ञेय‘
2. जन्म- 7 मार्च 1911 ई॰, कुशीनगर (उत्तर प्रदेश)
3. मृत्यु- 4 अप्रैल 1987 ई॰
4. पिता- डॉ॰ हिरानन्द शास्त्री
5. माता- व्यंती देवी
6. अज्ञेय का प्रारंभिक शिक्षा लखनऊ में घर पर हुई।
7. उन्होंने मैट्रिक 1925 ई॰ में पंजाब विश्वविद्यालय से
8. इंटर 1927 ई॰ में मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से
9. बी॰ एससी॰ 1929 ई॰ में फोरमन कॉलेज, लाहौर से और एम॰ ए॰ (अंग्रेजी) लाहौर से किया।
एक दिन सहसा
सुरज निकला
अरे क्षितिज पर नहीं,
नगर के चौकः
धूप बरसी
पर अंतरिक्ष से नहीं,
फटी मिट्टी से
छायाएँ मानव-जन की
दिशाहीन
सब ओर पड़ी-वह सुरज
नहीं उगा था पूरब में, वह
बरसा सहसा
बीचो-बीच नगर के :
काल-सूर्य के रथ के
पहियों के ज्यों अरे टुटकर
बिखर गये हो
दशों दिशा में।
अर्थ :- कवि कहता है कि मनुष्य की छायाएँ दिशाहिन हो गई। प्रकाश छिटने लगा, लेकिन यह प्रकाश सूर्य का नहीं, बल्कि मानव के नृशंसता का था, जिसमें मानवता झुलस रही थी। कवि कहता है कि यह नगर के मध्य में मृत्यु रूपी सूर्य के टुटे हुए अरे का प्रकाश था। अतः बम फटते हि विध्वंसक पदार्थ मौत बनकर दशों दिशाओं में नाचने लगे।
कुछ छन का वह उदय-अस्त
केवल एक प्रज्वलित छन की
दृश्य सोख लेने वाली दो पहरी
फिर ?
छायाएँ मानव-जन की
नहीं मिटी लंबी हो-हो कर :
मानव ही सब भाप हो गये।
छायाएँ तो अभी लिखी हैं।
झुलसे हुए पत्थरों पर
उजड़ी सड़कों की गच पर।
अर्थ :- कवि कहता है कि बम गिरने के बाद कुछ छन में ही विनाशलीला का दृश्य मन्द पड़ने लगा। दोपहर तक सारी लीला खत्म हो गई तथा मानव शरीर भाप बनकर वातावरण में मिल गया, परन्तु यह दुर्घटना आज भी झुलसे हुए पत्थरों और उजड़ी हुई सडकों पर के रूप में निशानी है।
मानव का रचा हुआ सुरज
मानव को भाप बनाकर सोख गया।
पत्थर पर लिखी हुई यह
जली हुई छाया
मानव की साखी है।
अर्थ :- मानव के द्वारा बनाया गया बम मानव को ही भाप में बदलकर मिटा दिया। पत्थर पर लिखी हुई वह जलती छाया अर्थात् विकृत रूप मानव के नृशंसता का गवाह है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1.हिरोशिमा किस देश में है ?
【A】 चीन
【B】 फ्रांस
【C】 जापान
【D】 जर्मनी
Ans : C
2. द्वितीय विश्वयुद्ध में परमाणु बम …………….. पर गिराया गया ।
【A】 जापान
【B】 फ्रांस
【C】 रूस
【D】 चीन
Ans : A
3. ‘अज्ञेय’ का पूरा नाम है –
【A】 कुमार ‘अज्ञेय’
【B】 सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’
【C】 डॉ॰ हीरानंद ‘अज्ञेय’
【D】 वात्सयायन कुमार ‘अज्ञेय’
Ans : B
4. अज्ञेय ने सूत्रपात किया –
【A】 मानवतावाद
【B】 अतिवाद
【C】 प्रयोगवाद
【D】 समाजवाद
Ans : A
5. ‘तार-सप्तक’ का संपादन किया –
【A】 जयशंकर प्रसाद ने
【B】 राम इकबाल सिंह ‘राकेश’ ने
【C】 महादेवी वर्मा ने
【D】 ‘अज्ञेय’ ने
Ans : D
6. दुर्दान्त मानवीय विभीषिका का चित्रण करने वाली कविता है –
【A】 एक वृक्ष की हत्या
【B】 अक्षर ज्ञान
【C】 हिरोशिमा
【D】 जनतंत्र का जन्म
Ans : C
7. ‘हिरोशिमा’ पाठ में नगर के चौक पर निकलने वाला सूरज क्या है ?
【A】 आग का गोला
【B】 परमाणु बम
【C】 मिसाइल
【D】 रॉकेट
Ans : B
8. अज्ञेय का जन्म कब हुआ ?
【A】 1910 ई०
【B】 1911 ई०
【C】 1912 ई०
【D】 1913 ई०
Ans : B
9.’हिरोशिमा’ कविता किसका चित्रण करती है ?
【A】 प्राचीन सभ्यता की खुशहाली का
【B】 आधुनिक सभ्यता के विकास का
【C】 प्राचीन सभ्यता की मानवीय विभीषिका का
【D】 आधुनिक सभ्यता की दुर्दात मानवीय विभीषिका का
Ans : C
10. ‘अज्ञेय’ का मूल निवास कहाँ था?
【A】 कर्तारपुर
【B】 मिर्जापुर
【C】 प्रतापपुर
【D】 राजापुर
Ans : A
11. हिरोशिमा कहाँ अवस्थित है ?
【A】 चीन में
【B】 जर्मनी में
【C】 नेपाल में
【D】 जापान में
Ans : D
12. जापान के ‘हिरोशिमा’ नामक नगर पर अणुबम किसने गिराई ?
【A】 अमेरिका
【B】 रूस
【C】 चीन
【D】 इंग्लैण्ड
Ans : A
13. ‘अज्ञेय’ की निबंध कृति है –
【A】 भवंती
【B】 अंतरा
【C】 त्रिशंकु
【D】 इनमें सभी
Ans : D
14. ‘अज्ञेयजी’ की प्रारंभिक शिक्षा कहाँ हुई थी ?
【A】 बनारस
【B】 लखनऊ
【C】 मुम्बई
【D】 पटना
Ans : B
15. ‘चिंता’ अज्ञेय की किस प्रकार की रचना है ?
【A】 काव्य
【B】 कहानी
【C】 निबंध
【D】 नाटक
Ans : A
16. अज्ञेय के नाम से हिन्दी साहित्य के इतिहास में कौन-सा वाद जुड़ा हुआ है ?
【A】 प्रगतिवाद
【B】 छायावाद
【C】 प्रयोगवाद
【D】 हालावाद
Ans : C
17. ‘अज्ञेय’ का जन्म कहाँ हुआ था ?
【A】 कुशीनगर, उत्तरप्रदेश
【B】 भोपाल, मध्यप्रदेश
【C】 जयपुर, राजस्थान
【D】 राजगृह, बिहार
Ans : A
18. हिरोशिमा कविता के कवि हैं
【A】 रामधारी सिंह ‘दिनकर’
【B】 सच्चिदानंद हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’
【C】 गोपाल सिंह ‘नेपाली’
【D】 इनमें से कोई नहीं
Ans : B
19. ‘अज्ञेय’ ने सम्पादन किया –
【A】 रूपांबरा
【B】 पुष्करिणी
【C】 तार सप्तक
【D】 इनमें सभी
Ans : D
20. ‘उत्तर प्रियदर्शी’ किस विधा की रचना है ?
【A】 नाटक
【B】 उपन्यास
【C】 प्रबंधकाव्य
【D】 कहानी
Ans : A
21. ‘अज्ञेय’ की माता थी –
【A】 दमयंती देवी
【B】 व्यंती देवी
【C】 धनवंती देवी
【D】 कांती देवी
Ans : B
22. ‘अज्ञेय’ के पिता का नाम है –
【A】 डॉ. कृत्यानन्द शास्त्री
【B】 वात्सयायन शास्त्री
【C】 सच्चिदानन्द शास्त्री
【D】 डॉ॰ हीरानन्द शास्त्री
Ans : D
23. ‘हरी घास पर क्षणभर’ के रचनाकार हैं –
【A】 वीरेन डंगवाल
【B】 अज्ञेय
【C】 अनामिका
【D】 जीवनानंद दास
Ans : B
24. ‘हिरोशिमा’ पाठ में वर्णित सूरज कहाँ से निकलता है ?
【A】 अंतरिक्ष से
【B】 जल से
【C】 फटी मिट्टी से
【D】 बादल से
Ans : C
25. कवि अज्ञेय का माना हुआ सूरज किस दिशा से निकलता है ?
【A】 पूरब से
【B】 दक्षिण से
【C】 आकाश से
【D】 नगर के बीचों बीच से
Ans : D
26. अज्ञेय ने अपनी शिक्षा कहाँ तक ग्रहण की थी ?
【A】 इंटरमिडियट
【B】 बी० ए० ऑनर्स
【C】 एम० ए० .
【D】 पी-एच. डी.
Ans : C
27. ‘अज्ञेय’ का काव्य-संग्रह है –
【A】 हरी घास पर क्षण भर
【B】 कितनी नावों में कितनी बार
【C】 आँगन के पार द्वार
【D】 इनमें सभी
Ans : D
28. ‘हिरोशिमा’ अज्ञेय की किस कविता संग्रह से लिया गया है ?
【A】 सदानीरा से
【B】 कितनी नावों में कितनी बार से
【C】 आँगन के पार द्वार से
【D】 छोड़ा हुआ रास्ता से
Ans : A
29. इनमें बहुभाषाविद् कौन थे ?
【A】 पंतजी
【B】 अज्ञेय
【C】 यतीन्द्र मिश्र
【D】 इनमें से कोई नहीं
Ans : B
30. कौन-सी कृति अज्ञेय की है ?
(A) बावरा अहेरी
(B) आँगन के पार द्वार
(C) एक बूंद सहसा उछली
(D) मिलनयामिनी
Ans : D
31. कुछ क्षण का वह उदय-अस्त ! इसमें कौन-सा अलंकार है ?
【A】 उपमा
【B】 रूपक
【C】 संदेह
【D】 विरोधाभास एवं विभावना
Ans : D
32. ‘शेखर : एक जीवनी’ अज्ञेय का प्रसिद्ध है –
【A】 निबंध
【B】 उपन्यास
【C】 कहानी संग्रह
【D】 नाटक
Ans : B
33. कवि अज्ञेय ने सूरज किसे कहा है ?
【A】 सूर्य को
【B】 बिजली को
【C】 परमाणु बम को
【D】 इनमें से किसी को नहीं
Ans : C
34. ‘हिरोशिमा’ शीर्षक कविता में वर्णित सूरज कहाँ निकला ?
【A】 पूर्वी क्षितिज पर
【B】 नगर के चौक पर
【C】 पूर्वी दिशा में
【D】 इनमें से कहीं नहीं
Ans : B
35. ‘हिरोशिमा’ शीर्षक कविता में ‘सूरज’ का प्रतीक अर्थ क्या है ?
【A】 खगोलीय पिण्ड
【B】 प्रशसित व्यक्ति
【C】 प्रचण्ड क्रोध
【D】 परमाणु बम
Ans : D
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. हिरोशिमा में मनुष्य की साखी के रूप में क्या है ?
उत्तर ⇒ आज भी हिरोशिमा में साक्षी के रूप में अर्थात् प्रमाण के रूप में जहाँ-तहाँ जले हए पत्थर, दीवारें पड़ी हुई हैं। यहाँ तक कि पत्थरों पर, टूटी-फूटी सड़कों पर, घर की दीवारों पर लाश के निशान छाया के रूप में साक्षी हैं।
प्रश्न 2. ‘हिरोशिमा’ कविता से हमें क्या सीख मिलती है ?
उत्तर ⇒ हिरोशिमा कविता मानवीय संवेदना स्थापित करते हुए चेतावनी के रूप में प्रस्तुत है। इस कविता में आधुनिक सभ्यता की दुर्दीत मानवीय विभीषिका का चित्रण है जिससे हमें संदेश मिलता है कि हम विकास-क्रम में मानवता को नहीं भूलें एवं हिंसक प्रवृत्ति पर नियंत्रण करें अन्यथा मानवोत्थान की जगह विनाश-लीला से धरती तिलमिला उठेगी।
प्रश्न 3. छायाएँ दिशाहीन सब ओर क्यों पड़ती हैं ? स्पष्ट करें।
अथवा, छायाएँ दिशाहीन सब ओर क्यों पड़ती है ? ‘हिरोशिमा’ शीर्षक कविता के आधार पर स्पष्ट करें।
उत्तर ⇒ सूर्य के उगने से जो भी बिम्ब-प्रतिबिम्ब या छाया का निर्माण होता है वे सभी निश्चित दिशा में लेकिन बम-विस्फोट से निकले हुए प्रकाश से जो छायाएँ बनती हैं वे दिशाहीन होती हैं । क्योंकि, आण्विक शक्ति से निकले हुए प्रकाश सम्पूर्ण दिशाओं में पड़ता है। उसका कोई निश्चित दिशा नहीं है। बम के प्रहार से मरने वालों की क्षत-विक्षत लाशें विभिन्न दिशाओं में जहाँ-तहाँ पड़ी हुई हैं। ये लाशें छाया-स्वरूप हैं, परन्तु चतुर्दिक फैली होने के कारण दिशाहीन छाया कही गयी है।
प्रश्न 4. कविता के प्रथम अनुच्छेद में निकलने वाला सूरज क्या है ? वह कैसे निकलता है ?
उत्तर ⇒ कविता के प्रथम अनुच्छेद में निकलने वाला सूरज आण्विक बम का प्रचण्ड गोला है। ऐसा प्रतीत होता है कि वह क्षितिज से न निकलकर धरती फाड़कर निकलता है।
प्रश्न 5. मनुष्य की छायाएँ कहाँ और क्यों पड़ी हुई हैं ?
उत्तर ⇒ मनुष्य की छायाएँ हिरोशिमा की धरती पर सब ओर दिशाहीन होकर पड़ी हुई हैं। जहाँ-तहाँ घर की दीवारों पर मनुष्य छायाएँ मिलती हैं। टूटी-फूटी सड़कों से लेकर पत्थरों पर छायाएँ प्राप्त होती हैं।
प्रश्न 6. प्रज्वलित क्षण की दोपहरी से कवि का आशय क्या है ?
उत्तर ⇒ हिरोशिमा में जब बम का प्रहार हआ तो प्रचण्ड गोलों से तेज प्रकाश निकला और वह चतुर्दिक फैल गया। इस अप्रत्याशित प्रहार से हिरोशिमा के लोग हतप्रभ रह गये। उन्हें ऐसा लगा कि धीरे-धीरे आनेवाला दोपहर आज एक क्षण में ही उपस्थित हो गया।
प्रश्न 7. आज के युग में इस कविता की प्रासंगिकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर ⇒ ‘अज्ञेय’ प्रयोगवादी कविता का महान प्रवर्तक हैं । इनकी कविता यथार्थ की धरातल पर एक ऐसा अमिट चित्र छोड़ता है जो मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देता है । ‘हिरोशिमा’ नामक कविता वर्तमान की प्रासंगिकता पर पूर्ण रूप से आधारित है। यह कविता आधुनिक सभ्यता की दुर्दान्त मानवीय विभीषिका का चित्रण करने वाली एक अनिवार्य प्रासंगिक चेतावनी भी है। यदि मानव प्रकृति से खिलवाड़ करना बाज नहीं आया तो प्रकृति ऐसी विनाशलीला खड़ा करेगा, जहाँ मानवीय बुद्धि की परिपक्वता छिन्न-भिन्न होकर बिखर जायेगी। हिरोशिमा में बम विस्फोट का परिणाम इतना भयावह होगा इसकी कल्पना शायद उस दुर्दान्त मानव को भी नहीं होगा जिसने इसका प्रयोग किया । अतः यह कविता केवल अतीत की भीषणतम मानवीय दुर्घटना का ही साक्ष्य नहीं हैं बल्कि आण्विक आयुधों की होड़ में फंसी आज की वैश्विक राजनीति से उपजते संकट की आशंकाओं से भी जुड़ी हुई है।
प्रश्न 8. अज्ञेय रचित ‘हिरोशिमा’ शीर्षक कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखें। ।
उत्तर ⇒ द्वितीय विश्वयुद्ध में 6 अगस्त, 1945 को अमेरिका के एक बमवर्षक विमान से जापान के हिरोशिमा नगर पर अणुबम गिराया गया। इससे जान-माल की अपार क्षति हुई। ‘हिरोशिमा’ शीर्षक कविता की पृष्ठभूमि यही है।
कवि कहता है कि नगर के चौक पर एक दिन सहसा सूरज निकला। यह सूरज प्रकृति का सूरज नहीं था, मानव निर्मित अणुबम के विस्फोट से उत्पन्न सूरज था। इस सूरज की धूप आकाश से नहीं, अपितु मिट्टी के फटने से चारों ओर बरसी। प्रकृति का सूरज तो पूरब में उगता है, पर मानव निर्मित यह सूरज नगर के बीच सहसा उदित हुआ। इस अणुबम रूपी सूरज के उदित होने से मानव-जन की छायाएँ दिशाहीन सब ओर पड़ीं। काल सूर्य के रथ के पहियों के अरे जैसे टूटकर चारों ओर बिखर गए हों। यह मानव निर्मित सूर्य कुछ ही क्षणों के अपने उदय-अस्त से सारी मानवता को विध्वस्त कर गया। इस सूर्य का उदित होना, दोपहरी की प्रचंड गर्मी का आक्रमण और फिर सूर्य का अस्त हो जाना-ये सारी स्थितियाँ कुछ ही क्षणों में घटित हो गईं। उस सूर्य के उदित होते ही सारे मानव-जन वाष्प बनकर इस दुनिया से दूर चले गए। आज भी उनकी छायाएँ झुलसे हुए पत्थरों और उजड़ी हुई सड़कों की गच पर पड़ी हुई हैं।
प्रश्न 9. ‘मानव का रचा हुआ सूरज/मानव को भाप बनाकर सोख गया’ की व्याख्या कीजिए।
उत्तर ⇒ प्रस्तुत पद्यांश हिन्दी साहित्य के प्रयोगवादी कवि तथा बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न कवि ‘अज्ञेय’ के द्वारा लिखित ‘हिरोशिमा’ नामक शीर्षक से उद्धृत है । प्रस्तुत अंश में हिरोशिमा पर आण्विक अस्त्र का प्रयोग कितना भयानक रहा, इसी का चित्रण यहाँ किया गया है। प्रस्तुत व्याख्येय अंश में कहा जा रहा है कि मानव जो अपने-आपको प्रबुद्ध वर्ग की संज्ञा देता है वही कभी-कभी अपने बनाये गये जाल में स्वयं उलझकर रह जाता है। प्रकृति पर नियंत्रण करने का होड़ मानव की बचपना स्पष्ट दिखाई पड़ने लगती है। यही स्थिति हिरोशिमा पर बम विस्फोट के बाद देखने को मिली। प्रश्न
10. “काल-सूर्य के रथ के / पहियों के ज्यों अरे टूट कर / बिखर गये हों / दसों दिशा में’ की व्याख्या कीजिए।
उत्तर ⇒ प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक हिन्दी साहित्य के महान प्रयोगवादी कवि अज्ञेय के द्वारा लिखित ‘हिरोशिमा’ नामक शीर्षक से उद्धृत है। प्रस्तुत अंश में यह कहा जा रहा है कि हिरोशिमा में बम का विस्फोट होना एक नहीं अनेक सूर्य की शक्ति के बराबर ज्वाला उगला था।
इस व्याख्येय अंश में कहा जा रहा है कि हिरोशिमा में आण्विक आयुध का प्रयोग इतिहास का अमिट काला कलंक है । आण्विक विस्फोट की स्थिति ठीक उसी प्रकार लग रही थी जैसे महाकालरूपी सूर्य के रथ का पहिया टूटकर दसों दिशाओं में बिखर गया है। जहाँ-तहाँ पड़ी हुई लाशें सूर्यरूपी महाकाल की टूटी हुई पहियों के रूप में मानवीय संवेदनाओं को झकझोर दिया था।