महत्त्वपूर्ण तथ्य :
1.’परम्परा का मूल्यांकन’ शीर्षक पाठ साहित्य की निबंध-विधा के अन्तर्गत आता है।
2. प्रस्तुत निबंध के लेखक हिन्दी आलोचना के महत्त्वपूर्ण हस्ताक्षर डॉ० रामविलास शर्मा हैं।
3. ‘लेखक का जन्म 10 अक्टूबर, 1912 ई० में उन्नाव (उ० प्र०) के एक छोटे से गाँव ऊँचगाँव सानी में हुआ था।
4. उन्हें निराला की साहित्य साधना पुस्तक पर साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हो चुका है।
5. प्रस्तुत निबंध समाज, साहित्य और परम्परा के पारस्परिक संबंधों की सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक मीमांसा एक साथ करते हुए रूपाकार ग्रहण करता है।
6. लेखक का निधन 30 मई, 2000 ई० को दिल्ली में हुआ था ।
7. इनके प्रमुख रचनाएँ- ‘आचार्य रामचन्द्र शुक्ल और हिन्दी आलोचना’, ‘भारतेन्दु हरिशचन्द्र’, ‘प्रेमचंद और उनका युग’, ‘महावीर प्रसाद द्विवेदी’ और ‘हिन्दी नवजागरण’, ‘नयी कविता और अस्तित्ववाद’, ‘बड़े भाई’, ‘विराम चिह्न’ आदि।
8. जो महत्त्व ऐतिहासिक भौतिकवाद के लिए इतिहास का है, वही आलोचना के लिए साहित्य की परम्परा का है।
9. प्रगतिशील आलोचना किन्हीं अमूर्त सिद्धांतों का संकलन नहीं है, वह साहित्य की परम्परा का मूर्त ज्ञान है।
10. साहित्य की परम्परा का मूल्यांकन करते हुए सबसे पहले हम उस साहित्य का मूल्य निर्धारित करते हैं, जो शोषक वर्गों के विरुद्ध श्रमिक जनता के हितों को प्रतिबिम्बित करता है।
11. साहित्य का हर स्तर वर्गयुद्ध नहीं होता। इसी तरह साहित्य का हर स्तर सम्पत्तिशाली वर्गों के हितों से बँधा हुआ नहीं रहता ।
12. साहित्य मनुष्य के सम्पूर्ण जीवन से संबद्ध है।
13. जो तमाम कवि अपने पूर्ववर्ती कवियों की रचनाओं का मनन करते. हैं, वे उनका अनुकरण नहीं करते, उनसे सीखते हैं, और स्वयं न परम्पराओं को जन्म देते हैं।
14. जो साहित्य दूसरों की नकल करके लिखा जाए, वह अधम कोटि का होता है और सांस्कृतिक असमर्थता का सूचक होता है।
15. द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद मनुष्य की चेतना को आर्थिक सम्बन्धों से प्रभावित मानते हुए उसकी सापेक्ष स्वाधीनता स्वीकार करता है।
16. यदि मनुष्य परिस्थितियों का नियामक नहीं है, तो परिस्थितियाँ भी मनुष्य की नियामक नहीं है।.
17. कला का पूर्णतः निर्दोष होना भी एक दोष है।
18. साहित्य के विकास में प्रतिभाशाली मनुष्यों की तरह जनसमुदायों और जातियों की विशेष भूमिका होती है।
19. जिस समय राष्ट्र के सभी तत्त्वों पर मुसीबत आती है, तब उन्हें अपनी राष्ट्रीय अस्मिता का ज्ञान बहुत अच्छी तरह हो जाता है।
20. जिस समय हिटलर ने सोवियत संघ पर आक्रमण किया, उस समय यह राष्ट्रीय अस्मिता जनता से स्वाधीनता संग्राम की समर्थ प्रेरक शक्ति बनी।
21. सोवियत समाज जारशाही रूस के समाज से भिन्न है।
22. किसी भी बहुजातीय राष्ट्र के सामाजिक विकास में कवियों की ऐसी निर्णायक भूमिका नहीं रही, जैसी इस देश में व्यास और वाल्मीकि की है।
23. भारत की राष्ट्रीय क्षमता का पूर्ण विकासे समाजवादी व्यवस्था में ही सम्भव है।
24. साहित्य की परम्परा का पूर्ण ज्ञान समाजवादी व्यवस्था में ही सम्भव है।
25. समाजवादी संस्कृति पुरानी संस्कृति से नाता नहीं तोड़ती, वह उसे आत्मसात करके आगे बढ़ती है।
26. यहाँ की विभिन्न भाषाओं में लिखा हुआ साहित्य जातीय सीमाएँ लाँघकर सारे देश की सम्पत्ति बनेगा।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. ‘परम्परा का मूल्यांकन’ किसकी कृति है ?
(A) रामविलास शर्मा
(B) रामधारी सिंह दिनकर
(C) अशोक वाजपेयी
(D) यतीन्द्र मिश्र
Ans :- (A) रामविलास शर्मा
2. प्रगतिशील आलोचना का विकास होता है-
(A) धर्म के ज्ञान से
(B) साहित्य की परम्परा के ज्ञान से
(C) कला के ज्ञान से
(D) इतिहास के ज्ञान से
Ans :- (B) साहित्य की परम्परा के ज्ञान से
3. ‘परम्परा का मूल्यांकन’ पाठ के रचनाकार हैं-
(A) यतीन्द्र मिश्र
(B) रवीन्द्रनाथ टैगोर
(C) रामविलास शर्मा
(D) गुणाकर मूले
Ans :- (C) रामविलास शर्मा
4.तारसप्तक में कितने कवियों की कविताएँ संगृहीत हैं ?
(A) चार
(B) पाँच
(C) छह
(D) सात
Ans :- (D) सात
5. रामविलास शर्मा का जन्म कब हुआ था ?
(A) 10 अक्टूबर, 1912
(B) 20 सितम्बर, 1913
(C) 25 नवम्बर, 1914
(D) 10 अक्टूबर, 1911
Ans :- (A) 10 अक्टूबर, 1912
6. साहित्य की परंपरा का पूर्ण ज्ञान किस व्यवस्था में संभव है ?
(A) पूँजीवादी व्यवस्था में
(B) जातिवादी व्यवस्था में
(C) समाजवादी व्यवस्था में
(D) भौतिकवादी व्यवस्था में
Ans :- (C) समाजवादी व्यवस्था में
7. रामविलास शर्मा ने बीए कब किया?
(A) 1932 ई. में
(B) 1934 ई. में
(C) 1933 ई० में
(D) 1931 ई. में
Ans :- (A) 1932 ई. में
8. साहित्य सापेक्ष रूप में क्या होता है?
(A) पराधीन
(B) जड़
(C) परतंत्र
(D) स्वाधीन
Ans :- (D) स्वाधीन
9. ‘वायरन’ किस भाषा के कवि हैं?
(A) हिन्दी
(B) संस्कृत
(C) अंग्रेजी
(D) फ्रेंच
Ans :- (C) अंग्रेजी
10. साहित्य में विकास प्रक्रिया किस तरह सम्पन्न होती है ?
(A) समाज की तरह
(B) जंगल की तरह
(C) शहर की तरह
(D) परिवार की तरह
Ans :- (A) समाज की तरह
11. ‘निराला की साहित्य साधना’ किनकी कृति है ?
(A) दूधनाथ सिंह की
(B) रघुवीर सहाय की
(C) रामविलास शर्मा की
(D) मुक्तिबोध की
Ans :- (C) रामविलास शर्मा की
12. ‘परंपरा का मूल्यांकन’ किस विधा की रचना है?
(A) कहानी
(B) निबंध
(C) संस्मरण
(D) लघु कथा
Ans :- (B) निबंध
13. ‘निराला की साहित्य साधना’ कितने खण्डों में रचित है ?
(A) 2 खण्डों में
(B) 3 खण्डों में
(C) 4 खण्डों में
(D) 5 खण्डों में
Ans :- (B) 3 खण्डों में
14. रामविलास शर्मा किस संस्थान के निदेशक बने?
(A) के० एम० हिन्दी संस्थान
(B) जे. एम. हिन्दी संस्थान
(C) हिन्दी साहित्य अकादमी
(D) राष्ट्रभाषा परिषद
Ans :- (A) के० एम० हिन्दी संस्थान
15. ‘प्रेमचन्द और उनका युग’ किनकी रचना है?
(A) प्रेमचन्द की
(B) डॉ. मुरली मनोहर जोशी की
(C) दिनकर की
(D) डॉ. रामविलास शर्मा की
Ans :- (D) डॉ. रामविलास शर्मा की
16. ‘एथेस’ किस महादेश में है?
(A) यूरोप
(B) एशिया
(C) अमेरिका
(D) ऑस्ट्रेलिया
Ans :- (A) यूरोप
17. लैटिन कवि कौन हैं?
(A) वर्जिल
(B) वायरन
(C) शेक्सपियर
(D) रेनर मारिया रिल्के
Ans :- (A) वर्जिल
18. अज्ञेय ने ‘तारसप्तक’ कब सम्पादित किया ?
(A) 1941 ई. में
(B) 1943 ई. में
(C) 1945 ई. में
(D) 1947 ई. में
Ans :- (B) 1943 ई. में
19. रामविलास शर्मा ने बी. ए. किस विश्वविद्यालय से किया ?
(A) दिल्ली विश्वविद्यालय से
(B) लखनऊ विश्वविद्यालय से
(C) प्रयाग विश्वविद्यालय से
(D) पटना विश्वविद्यालय से
Ans :- (B) लखनऊ विश्वविद्यालय से
20. रामविलास शर्मा ने लखनऊ विश्वविद्यालय के किस विभाग में अध्यापन कार्य किया था ?
(A) संस्कृत
(B) हिन्दी
(C) इतिहास
(D) अंग्रेजी
Ans :- (D) अंग्रेजी
21. ‘निराला की साहित्य साधना’ के रचनाकार हैं-
(A) रमाधारी सिंह ‘दिनकर’
(B) शिवपूजन सहाय
(C) अशोक वाजपेयी
(D) रामविलास शर्मा
Ans :- (D) रामविलास शर्मा
22. किन लोगों के लिए साहित्य की परम्परा का ज्ञान सबसे आवश्यक है ?
(A) जो लकीर के फकीर हैं।
(B) जो रूढ़िवादी हैं।
(C) जो साहित्य में युग परिवर्तन करना चाहते हैं।
(D) जो साहित्यकार बनना चाहते हैं।
Ans :- (C) जो साहित्य में युग परिवर्तन करना चाहते हैं।
23. साहित्य सापेक्ष रूप में होता है-
(A) पराधीन
(B) स्वाधीन
(C) कालाधीन
(D) राज्याधीन
Ans :- (B) स्वाधीन
24. साहित्य के निर्माण में किनकी भमिका निर्णायक है?
(A) प्रतिभाशाली मनुष्यों की
(B) भाग्यवादी मनुष्यों की
(C) परिश्रमी मनुष्यों की
(D) पूँजीपति मनुष्यों की
Ans :- (A) प्रतिभाशाली मनुष्यों की
25. अविच्छिन्न का शाब्दिक अर्थ है-
(A) खण्डित
(B) अटूट
(C) प्रवाहित
(D) ठहराव
Ans :- (B) अटूट
26. कौन-सा ऐसा गुलाम देश था जिसकी सभ्यता ने सारे यूरोप को प्रभावित किया?
(A) भारत
(B) अमेरिका
(C) दक्षिण अफ्रीका
(D) एथेन्स
Ans :- (D) एथेन्स
27. आदिम का अर्थ है-
(A) आदमी
(B) अति प्राचीन
(C) अर्वाचीन
(D) वनमानुष
Ans :- (B) अति प्राचीन
28. किस वर्ष की क्रांति के बाद रूसी और गैर-रूसी जातियों के आपसी में बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ?
(A) 1915 की क्रांति
(B) 1916 की क्रांति
(C) 1917 की क्रांति
(D) 1918 की क्रांति
Ans :- (C) 1917 की क्रांति
29. सभ्यता का हर स्तर क्या नहीं होता ?
(A) धर्मयुद्ध
(B) कर्मयुद्ध
(C) वर्गयुद्ध
(D) द्वंद्वयुद्ध
Ans :- (C) वर्गयुद्ध
30. ‘शर्माजी’ जे पुरस्कार की राशि किसे दानस्वरूप दिया ?
(A) गरीबों को
(B) बेरोजगारों को
(C) भारत सरकार को
(D) राज्य सरकार को
Ans :- (C) भारत सरकार को
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. परंपरा का ज्ञान किनके लिए सबसे ज्यादा आवश्यक है और क्यों ?
उत्तर :- जो लोग साहित्य में युग-परिवर्तन करना चाहते हैं, क्रांतिकारी साहित्य रचना चाहते हैं, उनके लिए साहित्य की परंपरा का ज्ञान आवश्यक है। क्योंकि साहित्य की परंपरा से प्रगतिशील आलोचना का ज्ञान होता है जिससे साहित्य की धारा को मोड़कर नए प्रगतिशील साहित्य का निर्माण किया जा सकता है।
उत्तर :- साहित्य के विकास में जातियों की भूमिका विशेष होती है। जन समुदाय जब एक व्यवस्था से दूसरी व्यवस्था में प्रवेश करते हैं, तब उनकी अस्मिता नष्ट नहीं हो जाती । मानव समाज बदलता है और अपनी पुरानी अस्मिता कायम रखता है । जो तत्व मानव समुदाय को एक जाति के रूप में संगठित करते हैं, उनमें इतिहास और सांस्कृतिक परम्परा के आधार पर निर्मित यह अस्मिता का ज्ञान अत्यन्त ‘महत्वपूर्ण है। जातीय अस्मिता साहित्यिक परम्परा के ज्ञान का वाहक है।
3. किस तरह समाजवाद हमारी राष्ट्रीय आवश्यकता है ? इस प्रसंग में लेखक के विचारों पर प्रकाश डालें।
उत्तर :- लेखक के अनुसार पूँजीवादी व्यवस्था में शक्ति का अपव्यय होता है । देश के साधनों का सबसे अच्छा उपयोग समाजवादी व्यवस्था में ही सम्भव है। अनेक छोटे-बड़े राष्ट्र समाजवादी व्यवस्था कायम करने के बाद पहले की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली हो गए । भारत की राष्ट्रीय क्षमता का पूर्ण विकास समाजवादी व्यवस्था में ही संभव है। वास्तव में समाजवाद हमारी राष्ट्रीय आवश्यकता है।
4. परंपरा के मूल्यांकन में साहित्य के वर्गीय आधार का विवेक लेखक क्यों महत्वपूर्ण मानता है ?
उत्तर :- लेखक के अनुसार परंपरा के मूल्यांकन में साहित्य के वर्गीय आधार का ज्ञान महत्वपूर्ण है । इसका मूल्यांकन करते हुए सबसे पहले हम उस साहित्य का मूल्य निर्धारित करते हैं जो शोषक वर्गों के विरुद्ध जनता के हितों को प्रतिबिम्बित करता है। इसके साथ हम उस साहित्य पर ध्यान देते हैं जिसकी रचना का आधार शोषित जनता का श्रम है।
5. साहित्य के निर्माण में प्रतिभा की भूमिका स्वीकार करते हुए लेखक किन खतरों से आगाह करता है ?
उत्तर :- लखक साहित्य के निर्माण में प्रतिभाशाली मनुष्यों की भूमिका निर्णायक मानत हैं। लेकिन उन्होंने इस संबंध में सावधान किया है कि ये मनुष्य जो करते ह वह स्व अच्छा ही होता है, यह आवश्यक नहीं। उनके श्रेष्ठ रचना में दोष नहीं हो सकते ऐसी कोई बात नहीं। उनके कृतित्व को दोषमुक्त मान लेना साहित्य के विकास में खतरनाक सिद्ध हो सकता है। प्रतिभाशाली मनुष्यों की अद्वितीय उपलव्धियों के बाद कुछ नया और उल्लेखनीय करने की गुंजाइश बनी रहती है।
6. साहित्य का कौन-सा पक्ष अपेक्षाकृत स्थायी होता है ? इस संबंध में लेखक की राय स्पष्ट करें।
उत्तर :- साहित्य मनुष्य के सम्पूर्ण जीवन से संबद्ध है। आर्थिक जीवन के अलावा मनुष्य एक प्राणी के रूप में भी अपना जीवन बिताता है । साहित्य में उसकी बहुत-सी आदिम भावनाएँ प्रतिफलित होती हैं जो उसे प्राणी मात्र से जोड़ती हैं । इस बात को बार-बार कहने में कोई हानि नहीं है कि साहित्य विचारधारा मात्र नहीं है । ठसमें मनुष्य का इन्द्रिय बोध, उसकी भावनाएँ भी व्यजित होती हैं। साहित्य का यह पक्ष अपेक्षाकृत स्थायी होता है।
7. बहुजातीय राष्ट्र की हैसियत से कोई भी देश भारत का मुकाबला क्यों नहीं कर सकता ?
उत्तर :- संसार का कोई भी देश, बहुजातीय राष्ट्र की हैसियत से, इतिहास को ध्यान में रखें, तो भारत का मुकाबला नहीं कर सकता । यहाँ राष्ट्रीयता एक जाति द्वारा दूसरी जातियों पर राजनीतिक प्रभुत्व कायम करके स्थापित नहीं हुई। वह. मुख्यत: संस्कृति और इतिहास की देन है । इस देश की तरह अन्यत्र साहित्य परंपरा
का मूल्यांकन महत्वपूर्ण नहीं है। अन्य देश की तुलना में इस राष्ट्र के सामाजिक विकास में कवियों की विशिष्ट भूमिका है।
8. राजनीतिक मूल्यों से साहित्य के मूल्य अधिक स्थायी कैसे होते हैं ?
उत्तर :- लेखक कहते हैं कि साहित्य के मूल्य राजनीतिक मूल्यों की अपेक्षा अधिक स्थायी हैं। इसकी पुष्टि में अंग्रेज कवि टेनिसन द्वारा लैटिन कवि वर्जिल पर रचित उस कविता की चर्चा करते हैं जिसमें कहा गया है कि रोमन साम्राज्य का वैभव समाप्त हो गया पर वर्जिल के काव्य सागर की ध्वनि तरंगें हमें आज भी सुनाई देती हैं और हृदय को आनन्द-विह्वल कर देती है।
9. भारत की बहुजातीयता मुख्यतः संस्कृति और इतिहास की देन है। कैसे ?
उत्तर :- भारतीय सामाजिक विकास में व्यास और वाल्मीकि जैसे कवियों की विशेष भूनिका रही है। महाभारत और रामायण भारतीय साहित्य की एकता स्थापित करती है। इस देश के कवियों ने अनेक जाति की अस्मिता के सहारे यहाँ की संस्कति का निर्माण किया है। भारत में विभिन्न जातियों का मिला-जुला इतिहास रहा है । समरसता स्थापित करना सिखाया है। यही भाव राष्ट्रीयता की जड़ को मजबत किया है।
10. “परम्परा का मूल्यांकन’ पाठ का सारांश लिखिए।
अथवा, साहित्य और समाज में युग-परिवर्तन के लिए साहित्य की परम्परा का ज्ञान और विवेक दृष्टि आवश्यक है। कैसे ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :- जो लोग साहित्य में युग-परिवर्तन चाहते हैं, रूढ़ियाँ तोड़कर साहित्य-रचना करना चाहते हैं, उनके लिए साहित्य की परम्परा का ज्ञान जरूरी है। साहितय की परम्परा का मूल्यांकन करते हुए, सबसे पहले उस साहित्य का मूल्य निर्धारित किया जाता है जो जनहित को प्रतिबिम्बित करता है। नकल करके लिखा जानेवाला साहितय अधम कोटि का होता है। महान् रचनाकार किसी का अनुसरण नहीं करते, पूर्ववर्ती कवियों की रचनाओं का मनन कर, स्वयं सीखते और नयी पराम्पराओं को जन्म देते हैं। उनकी आवृत्ति नहीं होती। शेक्सपियर के नाटक दुबारा नहीं लिखे गए।
साहित्य के निर्माण में प्रतिभाशाली मनुष्यों की भूमिका निर्णायक होती है। किन्त सब श्रेष्ठतम हो यह जरूरी नहीं है। पूर्णत: निर्दोष होना भी कला का दोष है। यही कारण है कि अद्वितीय उपलब्धियों के बाद भी कुछ नये संभावना बनी रहती है। यही कारण है कि राजनीतिक मूल्यों की अपेक्षा साहित्यिक मूल्य अधिक स्थायी हैं।
साहित्य के विकास में जन-समुदायों और जातियों की विशेष भूमिका होती है। यूरोप के सांस्कृतिक विकास में यूनानियों की भूमिका कौन नहीं जानता? दरअसल, इतिहास का प्रवाह विच्छिन्न है और अविच्छिन्न भी। मानव ज्ञान अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। जिस समय राष्ट्र पर मुसीबत आती है, यह अस्मिता प्रकट हो जाती हैं यह प्रेरक शक्ति का काम करती है। हिटलर के आक्रमण के समय रूस में इसी अस्मिता का ज्ञान अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। जिस समय राष्ट्र पर मुसीबत आती है, यह अस्तिमता प्रकट हो जाती है। यह प्रेरक शक्ति का काम करती है। हिटलर के आक्रमण के समय रूस में इसी अस्मिता ने काम किया। इसी प्रकार, भारत में राष्ट्रीयत राजनीति की नहीं, इसके इतिहास और संस्कृति की देन है और इसका श्रेय व्यास और वाल्मीकि को है। कोई भी देश, बहुजातीय राष्ट्र के रूप में भारत का मुकाबला नहीं कर सकता।
साहित्य की परम्परा का पूर्ण ज्ञान समाजवादी व्यवस्था में ही संभव है। समाजवादी संस्कृति पुरानी संस्कृति को आत्मसात कर आगे बढ़ती है। हमारे देश की जनता जब साक्षार हो जाएगी तो व्यास और वाल्मीकि के करोडों पाठक होंगे। सब्रहमण्यम भारती और रवीन्द्रनाथ ठाकुर को सारी जनता पढ़ेगी। तब मानव संस्कृति में भारतीय साहित्य का गौरवशाली नवीन योगदान हो
11. लेखक मानव चेतना को आर्थिक संबंधों से प्रभावित मानते हुए भी उसकी सापेक्ष स्वाधीनता किन दष्टांतों द्वारा प्रमाणित करता है ?
उत्तर :- लेखक के अनसार आर्थिक सम्बन्धों से प्रभावित हाना एक उनके द्वारा चेतना का निर्धारित होना और बात है। अमरीका और एथेन्स दोनों में गुलामी थी किन्तु एथेन्स की सभ्यता से यूरोप प्रभावित हुआ और गुलामों के अमरीका मालिकों ने मानव संस्कृति को कंछ भी नहीं दिया । सामान्तवाद दुनिया भर में कायम रहा पर इस सामन्ती दुनिया में महान कविता के दो ही केन्द्र थे—भारत और ईरान । पूँजीवादी विकास यूरोप के तमाम देशों में हआ पर रैफेल, लेओनार्दो दा विंची और माइकल एजोलो इटली की देन हैं। इन दृष्टांतों के माध्यम से कहा गया है कि सामाजिक परिस्थितियों में कला का विकास सम्भव होता है साथ ही यह भी देखा जाता है कि समान सामाजिक परिस्थितियाँ होने पर भी कला का समान विकास नहीं होता।
12. साहित्य सापेक्ष रूप में स्वाधीन होता है। इस मत को प्रमाणित करने के लिए लेखक ने कौन-से तर्क और प्रमाण उपस्थित किए हैं ?
उत्तर :- साहित्य सापेक्ष रूप में स्वाधीन होता है इसे प्रमाणित करने हेतु लेखक ने कहा है कि गुलामी अमरीका और एथेन्स दोनों में थी किन्तु एथेन्स की सभ्यता ने सारे यूरोप को प्रभावित किया और गुलामों के अमरीकी मालिकों ने मानव संस्कृति को कुछ भी नहीं दिया। पूँजीवादी विकास यूरोप के तमाम देशों में हुआ पर रैफेल, लेओनार्दो दा विंची और माइकेल एंजेलो इटली की देन है। अंततः यहाँ प्रतिभाशाली मनुष्यों की भूमिका देखी जा सकती है। जब हम विचार करें तो पाते हैं कि साहित्य के निर्माण में प्रतिभाशाली मनुष्यों की भूमिका होते हुए भी साहित्य वहीं तक सीमित नहीं है । साहित्य के क्षेत्र में हमेशा कुछ नया करने की गुंजाइश बनी रहती है । अतः साहित्य सापेक्ष रूप में स्वाधीन होता है।
13. “साहित्य में विकास प्रक्रिया उसी तरह सम्पन्न नहीं होती’, जैसे समाज में’ लेखक का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :- लेखक कहते हैं कि साहित्य में विकास प्रक्रिया सामाजिक विकास-क्रम की तरह नहीं होती है। सामाजिक विकास-क्रम में पूँजीवादी सभ्यता और समाजवादी सभ्यता में तुलना की सकती है और एक-दूसरे को श्रेष्ठ एवं अधिक प्रगतिशील कहा जा सकता है। लेकिन, साहित्य के विकास में इस तरह की बात नहीं है। यह आवश्यक नहीं है कि सामन्ती समाज के कवि की अपेक्षा पूँजीवादी समाज का कवि श्रेष्ठ है। कवि अपने-अपने पूर्ववर्ती कवियों की रचनाओं का मनन करते हैं लेकिन अनुकरण नहीं करके स्वयं नई परम्पराओं को जन्म देते हैं। औद्योगिक उत्पादन और कलात्मक सौंदर्य ज्यों-का-त्यों नहीं बना रहता । अमेरिका ने एटम बम बनाया, रूस ने भी बनाया पर शेक्सपीयर के नाटकों जैसे चीज का उत्पादन दुबारा इंग्लैंड में भी नहीं हुआ। अतः साहित्य और समाज के विकास-क्रम में समानता नहीं हो सकती है।
14. जातीय और राष्ट्रीय अस्मिताओं के स्वरूप का अंतर करते हुए लेखक दोनों में क्या समानता बताता है ?
उत्तर :- लेखक ने जातीय अस्मिता एवं राष्ट्रीय अस्मिता के स्वरूप का अन्तर करते हुए दोनों में कुछ समानता की चर्चा की है। जिस समय राष्ट्र के सभी तत्वों पर मसीबत आती है, तब राष्ट्रीय अस्मिता का ज्ञान अच्छा हो जाता है। उस समय साहित्य परम्परा का ज्ञान भी राष्ट्रीय भाव जागृत. करता है। जिस समय हिटलर ने सोवियत संघ पर आक्रमण किया, उस समय यह राष्ट्रीय अस्मिता जनता के स्वाधीनता संग्राम की समर्थ. प्रेरक शक्ति बनी । इस युद्ध के दौरान खासतौर से रूसी जाति ने बार-बार अपनी साहित्य परम्परा का स्मरण किया। समाजवादी व्यवस्था कायम होने पर जातीय अस्मिता खण्डितं नहीं होती वरन् और पुष्ट होती है।