महत्वपूर्ण तथ्य
1.सुमिनानंदन पंत का जन्म 1900 ई० में कौसानी (अल्मोड़ा) उत्तरांचल हुआ था।
2. सुमित्रानंदन पंत किस छायावाद युग के कवि हैं
3. पंत को चिदम्बरा रचना पर ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ है
4. ‘भारतमाता’ शीर्षक प्रगीत पंत के ग्राम्या काव्य संकलन से लिया गया है
5. पंत को प्रकृति का सुकमार कवि’ कहा जाता है
6. ‘शरविंदुहासिनी’ भारतमाता है
7. गीता प्रकाशिनी’ भारतमाता लिए प्रयुक्त है
8. ‘वंदन’ का अर्थ रोना है
9. पंत’ का जन्म 1903 ई. में हुआ था
10. पंत’ की मृत्यु 29 दिसम्बर, 1977 को हुई
11. ‘पंत’ का जन्म कौसानी, अल्मोड़ा हुआ था?
12. पंत’ ने लोकायतन महाकाव्य लिखा
13. ‘पत’ के पिताजी का नाम गंगादत्त पंत था
14. पंत’ के माताजी का नाम सरस्वती देवी था
15. पंत ने 1916 में गिरजे का घंटा शीर्षक कविता लिखी
16. कवि के अनुसार भारत माता की आँखें गंगा-यमुना है।
पद :-
भारतमाता ग्रामवासिनी
खेतों में फैला है श्यामल
धूल-भरा मैला-सा आँचल
गंगा-यमुना में आँसू-जल
मिट्टी की प्रतिमा
उदासिनी।
अर्थ:- कवि पंत जी भारतीय ग्रामीणों की दुर्दशा का चित्र प्रस्तुत करते हुए कहते हैं कि भारत की आत्मा गाँवों में निवास करती है। जहाँ खेत सदा हरे-भरे रहते हैं किंतु यहाँ के निवासी शोषण की चक्की में पिसकर मजबूर दिखाई देते हैं। गंगा-यमुना के जल उनकी व्यथा के प्रतिक हैं। सीधे-साधे किसान अपनी दयनीय दशा के कारण अपने दुर्भाग्य पर आँसु बहा रहे हैं और उदास हैं।
दैन्य जड़ित अपलक नत चितवन,
अधरों में चिर नीरव रोदन,
युग-युग के तम से विषण्ण मन
वह अपने घर मेंप्रवासिनी।
अर्थ:- पंतजी भारतमाता के उन कर्मठ सपूत किसानों की दयनीय दशा एवं दुःखपूर्ण जीवन की करूण-कहानी प्रस्तुत करते हुए कहते हैं कि जमींदारों एवं सूदखोर साहूकारों के शोषण ने इन्हें अति गरीब, चेतनाशून्य बना दिया है। अपने मजबूरी के कारण अपने ऊपर हो रहे अन्याय को सिर झुकाए अपलक देखने को मजबूर हैं। वे अपनी अंदर की पीड़ा अन्दर-ही-अन्दर सहने को मजबूर हैं। सदियों की त्रासदी ने उनके जीवन को निराश बना दिया है। वे अपने घर में अपने अधिकारों से वंचित है।
तीस कोटि संतान नग्न तन,
अर्ध क्षुधित, शोषित, निरस्त्रजन,
मूढ़, असभ्य, अशिक्षित, निर्धन,
नत मस्तक
तरु-तल निवासिनी।
अर्थ:- अंग्रेजी शासन की क्रुरता के कारण भारतमाता की तीस करोड़ संतान अर्द्धनग्न तथा अर्द्धपेट खाकर जीवन व्यतित करने को विवश हैं। इनमें प्रतिकार और विरोध करने की शक्ति नहीं है। वे मूर्ख, असभ्य, अशिक्षित, गरीब, पेड़ के नीचे गर्मी, वर्षा तथा जाड़ा का कष्ट सहन करते हैं।
स्वर्ण शस्य पर-पद-तल लंठित,
धरती-सा सहिष्णु मन कुंठित,
क्रंदन कंपित अधर मौन स्मित,
राहु ग्रसित
शरदेन्दु हासिनी।
अर्थ:- कवि पंत जी कहते हैं कि जिनकी पकी फसल सोने के समान दिखाई पड़ती है, पराधीनता के कारण वे शोषण के शिकार हैं। वे उनके हर अपमान, शोषण, अत्याचार आदि को सहन करते हुए धरती के समान सहनशील बने हुए हैं। अर्थात् वे अपने जुल्मों का विरोध न करके चुपचाप सहन कर लेते हैं। वे क्रुर शासन से इतने भयभीत हैं कि खुलकर रो भी नहीं सकते। देशवासियों की ऐसी दुर्दशा और विवशता देखकर कवि दुःख से भर जाता है कि जिस देश के वीरों की गाथा संसार में शरदपूर्णिमा की चाँदनी के समान चमकती थी, आपसी शत्रुता के कारण आज ग्रहण लगा अंधकारमय है।
चिंतित भृकुटि क्षितिज तिमिरांकित,
नमित नयन नभ वाष्पाच्छादित,
आनन श्री छाया-शशि उपमित,
ज्ञान-मूढ़
गीता प्रकाशिनी।
अर्थ:- कवि पंतजी कहते हैं कि अंग्रेजों के अत्याचार एवं शोषण से लोग उदास, निराश और हताश हैं, यानी वातावरण में घोर निराशा छायी हुई है। देशवासियों की ऐसी मन की स्थिति पर कवि आश्चर्य प्रकट करते हुए कहते हैं कि जिसके मुख की शोभा की उपमा चन्द्रमा से दी जाती थी, या फिर जहाँ गीता जैसे प्ररणादायी ग्रंथ की रचना हुई थी, उस देश के लोग अज्ञानता और मूर्खता के कारण गुलाम हैं।
सफल आज उसका तप संयम
पिला अहिंसा स्तन्य सुधोपम,
हरती जन-मन-भय, भव-तम-भ्रम,
जग-जननी
जीवन-विकासिनी।
अर्थ:- कवि सफलता पर आशा प्रकट करते हुए कहते हैं कि अहिंसा जैसे महान मंत्र का संदेश देकर लेगों के मन का भय, अज्ञान एवं भ्रम का हरण कर भारतमाता की स्वतंत्रता की प्राप्ति का संदेश दिया।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1.भारतमाता कहाँ निवास करती हैं ?
【A】 शहर
【B】 पहाड़
【C】 गाँव
【D】 नदी
Ans : C
2.पंत को किस कृति के लिए भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला ?
【A】 युगपथ
【B】 ग्राम्या
【C】 चिदंबरा
【D】 युगांत
Ans : C
3. ‘भारतमाता’ कविता में भारत का कैसा चित्र प्रस्तुत किया गया है ?
【A】 आदर्श
【B】 काल्पनिक
【C】 यथातथ्य
【D इनमें से कोई नहीं
Ans : C
4. भारत माँ के श्रेष्ठ मुख की तुलना कवि ने किससे की है ?
【A】 सूर्य
【B】 कंचन
【C】 पुष्प
【D】 छाया युक्त चंद्र
Ans : D
5. सुमित्रानंदन पंत ने ‘मिट्टी की प्रतिमा उदासिनी’ किसे कहा है ?
【A】 मूर्ति
【B】 माता
【C】 विमाता
【D】 भारतमाता
Ans : D
6. ‘भारतमाता’ शीर्षक प्रगीत पंत के किस काव्य संकलन से लिया गया है ?
【A】 गुंजन
【B】 ग्राम्या
【C】 युगवाणी
【D】 युगान्त
Ans : B
7. पंतजी का निधन कब हुआ था ?
【A】 29 दिसंबर, 1977 को
【B】 30 दिसंबर, 1977 को
【C】 31 दिसंबर, 1977 को
【D】 1 जनवरी, 1978 को
Ans : A
8. ‘पंत’ ने अंतिम काव्य लिखा था – .
【A】 उच्छ्वास
【B】 बादल
【C】 युगवाणी
【D】 लोकायतन
Ans : D
9. पंतजी के पिताजी का नाम है –
【A】 गंगादत्त
【B】 गंगाधर
【C】 श्रीधर
【D】 शिवदत्त
Ans : A
10. ‘गीता प्रकाशिनी’ किसके लिए प्रयुक्त है ?
【A】 धरतीमाता
【B】 पृथ्वीमाता
【C】 सीतामाता
【D】 भारतमाता
Ans : D
11. ‘तप–संयम’ कौन–सा समास है ?
【A】 दिगु
【B】 तत्पुरुष
【C】 द्वन्द्व
【D】 कर्मधारय
Ans : C
12. ‘शरदेंदुहासिनी’ कौन है ?
【A】 जनता
【B】 प्रजा
【C】 माता
【D】 भारतमाता
Ans : D
13. पंतजी का जन्म कब हुआ था ?
【A】 1899 ई. में
【B】 1900 ई. में
【C】 1901 ई. में
【D】 1902 ई. में
Ans : B
14. ‘पंत’ का जन्म कहाँ हुआ था ?
【A】 पटना साहिब, पटना
【B】 सारण, वैशाली
【C】 कौसानी, अल्मोड़ा
【D】 बुटाटी, राजस्थान
Ans : A
15. सुमित्रानंदन पंत की माता का नाम क्या है ?
【A】 सरस्वती देवी
【B】 लक्ष्मी देवी
【C】 बुधिया देवी
【D】 सुमित्रा देवी .
Ans : A
16. पंतजी ने हाईस्कूल की शिक्षा कहाँ पाई ?
【A】 मुगलसराय में
【B】 बनारस में
【C】 हरिद्वार में
【D】 पाटलिपुत्र में
Ans : B
17. सुमित्रानंदन पंत किस युग के कवि माने जाते हैं ?
【A】 भारतेंदु युग के
【B】 द्विवेदी युग के
【C】 छायावाद युग के
【D】 इनमें से कोई नहीं
Ans : C
18. ‘भारतमाता’ कविता के रचनाकार हैं –
【A】 सुमित्रानंदन पंत
【B】 सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’
【C】 रामधारी सिंह ‘दिनकर’
【D】 प्रेमघन
Ans : A
19. ‘युगवाणी’ किनकी रचना है ?
【A】 महादेवी वर्मा की
【B】 सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ की
【C】 सुमित्रानंदन पंत की
【D】 इनमें से कोई नहीं
Ans : C
20. ‘पंतजी’ ने प्रवासिनी किसे कहा है ?
【A】 भारतीय जनता को
【B】 भारतमाता को
【C】 भारत माँ के संतान को
【D】 इनमें से कोई नहीं
Ans : B
21. कवि पंतजी को किसका हास भी राहुग्रसित दिखाई पड़ता है ?
【A】 अंग्रेजों का
【B】 भारतीयों का
【C】 भारत माता का
【D】 इनमें से कोई नहीं
Ans : C
22. ‘ग्राम्या’ काव्य–संकलन की कविताओं पर किसका प्रभाव है ?
【A】 यथार्थवाद का
【B】 अरविन्द का
【C】 गाँधी का
【D】 अध्यात्मवाद का
Ans : A
23. ‘गंगा–यमुना’ को कवि ने किसके रूपक के रूप में प्रस्तुत किया है ?
【A】 भारतमाता के दो हाथों
【B】 भारतमाता के दो पैरों
【C】 भारतमाता की दो आँखें
【D】 इनमें सभी
Ans : C
24. ‘प्रकृति का सुकुमार कवि’ किसे कहा जाता है ?
【A】 निराला को
【B】 भारतेन्दु को
【C】 जयशंकर प्रसाद को
【D】 पंत को
Ans : D
25. भारतमाता के सम्बन्ध में क्या सही है ?
【A】 शैलवासिनी
【B】 नगरवासिनी
【C】 ग्रामवासिनी
【D】 विंध्यवासिनी
Ans : C
26. ‘शरतेन्दु’ का शाब्दिक अर्थ है –
【A】 शरद् ऋतु की वर्षा
【B】 शरद् ऋतु का सूर्योदय
【C】 शरद् ऋतु का सूर्यास्त
【D】 शरद् ऋतु का चन्द्रमा
Ans : D
27. ‘क्रंदन’ का अर्थ है-
(A) रोना
(B) हँसना
(C) गाना
(D) कन्द-मूल खाना
Ans : A
28. पंतजी विरोधी थे–
(A) मनवतावाद का
(B) अतिवादिता का
(C) समाजवादिता का
(D) इनमें से कोई नहीं
Ans : B
29. सुमित्रानंदन पंत का जन्म कहाँ हुआ था ?
(A) कौसानी
(B) श्यामली
(C) चम्पारण
(D) मेरठ
Ans : A
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. भारतमाता अपने ही घर में प्रवासिनी क्यों बनी हुई है ?
उत्तर ⇒ भारत को अंग्रेजों ने गुलामी की जंजीर में जकड़ रखा था। परतंत्रता की बेड़ी में जकड़ी, काल के कुचक्र में फँसी विवश, भारतमाता चुपचाप अपने पुत्रों पर किये गये अत्याचार को देख रही थी। इसलिए कवि ने परतंत्रता को दर्शाते हुए मुखरित किया है कि भारतमाता अपने ही घर में प्रवासिनी बनी है।
प्रश्न 2. भारतमाता का हास भी राहुग्रसित क्यों दिखाई पड़ता है ?
उत्तर ⇒ भारतमाता के स्वरूप में ग्राम्य शोभा की झलक है। मुखमंडल पर चंद्रमा के समान दिव्य प्रकाशस्वरूप हँसी है, मुस्कुराहट है। लेकिन, परतंत्र होने के कारण वह हँसी फीकी पड़ गई है। ऐसा प्रतीत होता है कि चन्द्रमा को राहु ने ग्रस लिया है।
प्रश्न 3. ‘भारतमाता’ शीर्षक कविता में पंत जी ने भारतीयों का कैसा चित्र खींचा है ?
उत्तर ⇒ प्रस्तुत कविता में कवि ने दर्शाया है कि परतंत्र भारत की स्थिति दयनीय हो गई थी। परतंत्र भारतवासियों को नंगे वदन, भखे रहना पड़ता था। यहाँ की तीस करोड़ जनता शोषित–पीड़ित, मूढ, असभ्य, अशिक्षित, निर्धन एवं वृक्षों के नीचे निवास करने वाली थी।
प्रश्न 4. सुमित्रानन्दन पंत का जन्म कब और कहाँ हुआ था ?
उत्तर ⇒ सुमिनानंदन पंत का जन्म 1900 ई. में कौसानी (अल्मोड़ा) उत्तरांचल में हुआ था।
प्रश्न 5. कवि भारतमाता को गीता–प्रकाशिनी मानकर भी ज्ञानमूढ़ क्यों कहता है ?
उत्तर ⇒ परतंत्र भारत की ऐसी दुर्दशा हुई कि यहाँ के लोग खुद दिशाविहीन हो गये, दासता में बँधकर अपने अस्मिता को खो दिये । आत्म–निर्भरता समाप्त हो गई। इसलिए कवि कहता है कि भारतमाता गीता–प्रकाशिनी है, फिर भी आज ज्ञानमूढ़ बनी हुई है।
प्रश्न 6. भारतमाता कहाँ निवास करती है ?
उत्तर ⇒ कविता के प्रथम अनुच्छेद में भारतमाता को ग्रामवासिनी मानते हुए तत्कालीन भारत का यथार्थ चित्रण किया गया है कि भारतमाता का फसलरूपी श्यामल शरीर है, धूल–धूसरित मैला–सा आँचल है। गंगा–यमुना के जल अश्रुस्वरूप हैं। ग्राम्य छवि को दर्शाती हुई भारत माँ की प्रतिमा उदासीन है।
प्रश्न 7. कवि की दृष्टि में आज भारतमाता का तप–संयम क्यों सफल है ?
उत्तर ⇒ किन्तु भारतमाता ने गाँधी जैसे पूत को जन्त दिया और अहिंसा का स्तन्यपान अपने पुत्रों को कराई है । अतः विश्व को अंधकारमुक्त करनेवाली, संपूर्ण संसार को अभय का वरदान देनेवाली भारत माता का तप–संयम आज सफल है।
प्रश्न 8. भावार्थ लिखें :
भारतमाता ग्रामवासिनी
खेतों में फैला है श्यामल
धूल भरा मैला–सा आँचल
उत्तर ⇒ प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि सुमित्रानंदन पंत रचित कविता ‘भारतमाता’ से उद्धृत हैं। ये कविता की शुरुआती पंक्तियाँ हैं। इनके माध्यम से कवि कहता है कि भारत की आत्मा गाँवों में बसती है। गाँवों में बसनेवाली भारतमाता आज धूल–धूसरित, उसका आँचल मैला हो गया है। वह अपनी दीन–दशा पर उदास है, मलिन है।
प्रश्न 9. पंत रचित ‘भारतमाता’ कविता का सारांश लिखें।
उत्तर ⇒ ‘भारतमाता’ शीर्षक कविता पंत का श्रेष्ठ प्रगीत है। इसमें उन्होंने तत्कालीन भारत (परतंत्र भारत) का यथार्थ चित्र प्रस्तुत किया है। यह प्रगीत भावात्मक कम विचारात्मक ज्यादा है।
कवि कहता है कि भारतमाता गाँवों में निवास करती है। ग्रामवासिनी भारतमाता का धूल से भरा हुआ, मैला–सा श्यामल आँचल खेतों में फैला हुआ है। गंगा–यमुना मानो ग्रामवासिनी भारतामाता की दो आँखें हैं जिनमें उसकी परतंत्रता जनित वेदना से निस्सृत (निकला हुआ) आँसू का जल भरा हुआ है। वह मिट्टी की प्रतिमा–सी उदास दिखाई पड़ती है। गरीबी ने उसे चेतनाहीन बना दिया है। वह झुकी हुई चितवन से न जाने किसे एकटक निहार रही है। उसके आधारों पर चिरकाल से नि:शब्द रोदन का दाग है। युग–युग के अंधकार से उसका मन विषादग्रस्त है। वह अपने ही घर में प्रवासिनी बनी हुई है।
पंत ने प्रस्तुत प्रगीत में भारतवासियों का यथार्थ चित्र प्रस्तुत किया है। भारतवासियों के तन पर पर्याप्त वस्त्र नहीं है। वे अधनंगे हैं। उन्हें कभी भरपेट भोजन नहीं मिलता। वे शोषित और निहत्थे हैं। वे मूर्ख, असभ्य, अशिक्षित और निर्धन हैं। वे विवश और असहाय हैं। ग्लानि और क्षोभ से उनके मस्तक झुके हुए हैं। रोना उनकी नियति बन चुका है। उनमें अपूर्व सहनशीलता है। भारत की सारी समृद्धि विदेशियों के पैरों पर पड़ी हुई है। भारतमाता धरती–सी सहिष्णु है। उसका मन कुंठित है। उसके अधर क्रंदन–कंपित हैं। शरदेंदुहासिनी भारतमाता का हास राहुग्रसित है। अर्थात, अब उसके जीवन में हास के लिए कोई स्थान नहीं है। उसकी भृकुटि पर चिंता की रेखाएँ साफ देखी जा सकती हैं। वाष्पाच्छादित आकाश की तरह उसकी आँखें झुकी हुई हैं। उसका आनन कलंक से पूर्ण चंद्रमा से उपमित किया जा सकता है। गीता प्रकाशिनी भारतमाता ज्ञानमूढ़ है। आज उसका तप और संयम सफल हो गया है। उसने अहिंसा रूपी अमृत के समान अपना दूध पिलाकर भारत के लोगों के मन के भीतर के अंधकार और भय को दूर कर दिया है। भारतमाता जगज्जननी और जीतन को नई दिशा देनेवाली है।
सप्रसंग व्याख्या
प्रश्न 10. स्वर्ण शस्य परं–पद–तल लुंठित
धरती–सा सहिष्णु मन कुंठित
क्रन्दन कंपित अधर मौन स्मित,
राहु ग्रसित शरदेन्दु हासिनी !
उत्तर ⇒ प्रस्तुत पद्यांश गोधूलि पाठ्य पुस्तक के ‘भारतमाता’ पाठ से उद्धृत है। न पंक्तियों के माध्यम से कवि सुमित्रानंदन पंत ने पराधीन भारत का यथार्थ चित्रण किया है। उन्होंने चित्रित किया है कि खेतों में चमकीले सोने के समान लहलहाती हई फसल किसी दूसरे के पैरों के नीचे रौंदी जा रही है और हमारी भारत माता धरती के समान सहनशील होकर हृदय में घुटन और कुंठन का वातावरण लेकर जीवन जी रही है। मन ही मन रोने के कारण भारत माता के अधर काँप रहे हैं। उसकी मौन मुस्कान भी समाप्त हो गयी है। साथ ही शरद ऋतु में चाँदनी के समान मुस्कुराती हई भारतमाता अचानक राहु के द्वारा ग्रसित हो गई है। इस प्रकार परतंत्र भारत का मानवीकरण करते हुए कवि ने चित्रण किया है।
प्रश्न 11. ‘चिंतित भृकुटि क्षितिज तिमिरांकित, नमित नयन नभ वाष्पाच्छादित’ की व्याख्या करें।
उत्तर ⇒ प्रस्तुत पंक्ति हिन्दी साहित्य के ‘भारतमाता’ पाठ से उद्धत है जो सुमित्रानंदन पंत द्वारा रचित है। इसमें कवि ने भारत का मानवीकरण करते हए पराधीनता से प्रभावित भारतमाता के उदासीन, दुःखी एवं चिंतित रूप को दर्शाया है।
प्रस्तुत व्याख्येय पंक्ति में कवि ने चित्रित किया है कि गुलामी में जकडी भारतमाता चिंतित है, उनकी भृकुटि से चिंता प्रकट हो रही है, क्षितिज पर गुलामीरूपी अंधकार की छाया पड़ रही है, माता की आँखें अश्रुपूर्ण हैं और आँसू वाष्प बनकर आकाश को आच्छादित कर रहे हैं। इसके माध्यम से परतंत्रता की दु:खद स्थिति का दर्शन कराया गया है।