नाखून क्यों बढ़ते हैं

महत्वपूर्ण तथ्य

1.’नाखून क्यों बढ़ते हैं ?’ शीर्षक पाठ के लेखक आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी हैं।

2.आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्म 1907 ई० में आरत दुबे का छपरा, बलिया (उत्तर प्रदेश) में हुआ था।

3.प्रस्तुत पाठ साहित्य की निबंध-विधा के अन्तर्गत आता है।

4.यह निबंध हजारी प्रसाद द्विवेदी ग्रंथावली से लिया गया है। इसमें लेखक और निबंधकार का मानवीय दृष्टिकोण प्रकट होता है।

5.इस ललित निबंध में लेखक ने बार-बार काटे जाने पर भी बढ़ जानेवाले नाखूनों के बहाने अत्यंत सहज शैली में सभ्यता और संस्कृति की विकास यात्रा उद्घाटित कर दिखाई है।

6.एक ओर नाखूनों का बढ़ना मनुष्य की आदिम पाशविक वृत्ति और संघर्षगाथा का प्रमाण है, तो दूसरी ओर उन्हें बार-बार काटते रहना और अलंकृत करते रहना मनुष्य के सौन्दर्य-बोध और सांस्कृतिक चेतना को भी निरूपित करता है।

7.लेखक ने नाखूनों के बहाने मनोरंजक शैली में मानव-सत्य का दिग्दर्शन कराने का सफल प्रयत्न किया है।

8.यह निबंध नयी पीढ़ी में सौन्दर्य बोध , इतिहास चेतना और सांस्कृतिक आत्मगौरव का भाव जगाता है।

9.लेखक का निधन 1979 ई० में दिल्ली में हुआ।

10.लेखक की प्रमुख रचनाएँ- ‘अशोक के फूल’, ‘कल्पलता’, ‘विचार और वितर्क’, ‘कुटज’, ‘विचार-प्रवाह’, ‘आलोक पर्व’ ‘प्राचीन भारत के कलात्मक विनोद’, ‘बाणभट्ट की आत्मकथा ‘ ‘चारुचंद्रलेख्’, ‘पुनर्नवा’ ‘अनामदास का पोथा’, ‘सूर साहित्य’, ‘कबीर’, ‘मध्यकालीन बोध का स्वरूप’, ‘हिन्दी साहित्य का आदिकाल ‘हिन्दी साहित्य की भूमिका’, ‘संदेशरासक’, ‘पृथ्वीराजरासो’ आदि ।’

11.हर तीसरे दिन नाखून बढ़ जाते हैं, बच्चे कुछ दिन अगर उन्हें बढ़ने दें, तो माँ-बाप अक्सर उन्हें डाँटा करते हैं।

12.कुछ लाख वर्षों की ही बात है, जब मनुष्य जंगली था; वनमानुष जैसा, उसे नाखून की जरूरत थी।

13.असल में वही उसके अस्त्र थे।

14.मनुष्य ने हड्डियों के भी हथियार बनाए। इन हड्डियों के हथियारों में सबसे मजबूत और ऐतिहासिक था देवताओं के राजा का वज्र, जो दधीचि ऋषि की हड्डियों से बना था।

15.नखधर मनुष्य अब एटम बम पर भरोसा करके आगे की ओर चल रहा है।

16.अब भी प्रकृति मनुष्य को उसके भीतर वाले अस्त्र से वंचित नहीं कर रही है, अब भी वह याद दिला देती है कि तुम्हारे नाखून को भुलाया नहीं जा सकता।

17.प्रकृति अब भी नाखून को जिलाए जा रही है और मनुष्य अब भी उसे काटे जा रहा है।

18.कुछ हजार साल पहले मनुष्य ने नाखून को सुकुमार विनोदों के लिए उपयोग में लाना शुरू किया था।

19.वात्स्यायन के कामसूत्र से पता चलता है कि आज से दो हजार वर्ष पहले का भारतवासी नाखूनों को जमके सँवारता था।

20.गौतम ने ठीक ही कहा था कि “मनुष्य की मनुष्यता यही है कि वह अपने दुख-सुख की सहानुभूति के साथ देखता है। “

21.असल में सहजात वृत्तियाँ अनजान स्मृतियों को ही कहते हैं।

22.’इण्डिपेण्डेन्स’ का अर्थ है- अनधीनता या किसी की अधीनता का अभाव, पर ‘स्वाधीनता’ शब्द का अर्थ है- अपने ही अधीन रहना ।

23.भारतीय चित्र जो आज भी ‘अनधीनता’ के रूप में न सोचकर ‘स्वाधीनता’ के रूप में सोचता है, वह हमारे दीर्घकालीन संस्कारों का फल है।

24.अपने आप पर अपने-आप के द्वारा लगाया हुआ बंधन हमारी संस्कृति की बड़ी भारी विशेषता है।

25.मरे बच्चे को गोद में दवाए रहनेवाली ‘बंदरिया’ मनुष्य का आदर्श नहीं बन सकती।

26.कालिदास ने कहा था कि “सब पुराने अच्छे नहीं होते, सब नये द खराब ही नहीं होते। “

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. नाखून क्यों बढ़ते हैं के निबंधकार कौन हैं?

(a) गुलाब राय

(b) शांति प्रिय द्विवेदी

(c) प्रतापनारायण मिश्र

(d) अचर्य हजारी प्रसाद द्विवेद

Ans :- (d) अचर्य हजारी प्रसाद द्विवेद

2. द्विवेदीजी ने निर्लज्ज अपराधी’ किसे कहा है?

(a) नाखून के

(b) चोर को

(c) डाकू के

(d) बदमाश को

Ans :- (a) नाखून के

3. कामसूत्र’ किसकी रचना है?

(a) हजारी प्रसाद द्विवेदी को

(b) पतंजलि को

(c) वात्स्यायन की

(d) रामानुजाचार्य की

Ans :- (c) वात्स्यायन की

4. ‘सिक्थक’ का अर्थ होता है-

(a) साबुन

(b) मुहावर

(c) दर्पण

(d) मोम

Ans :- (d) मोम

5. महाभारत’ क्या है?

(a) उपन्यास

(b) कहानी

(c) शास्त्र

(d) पुराण

Ans :- (d) पुराण

6. किस देश के लोग बड़े-बड़े नख पसंद करते थे ?

(a) गौड़ देश

(b) कैकय

(c) वाहीक

(d) गांधार

Ans :- (a) गौड़ देश

7. कौन छोटे नखों को पसंद करते थे ?

(a) दाक्षिणात्य

(b) पौर्वात्य

(c) मालव

(d) मध्यदेशीय

Ans :- (a) दाक्षिणात्य

8. हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्म कब हुआ ?

(a) 1905 ई० में

(b) 1907 ई० में

(c) 1909 ई० में

(d) 1911 ई. में

Ans :- (b) 1907 ई० में

9. हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्म कहाँ हुआ ?

(a) समस्तीपुर, बिहार

(b) बलिया, बिहार

(c) बलिया, उत्तरप्रदेश

(D) इलाहाबाद, उत्तरप्रदेश

Ans :- (c) बलिया, उत्तरप्रदेश

10. कौन मनुष्य का आदर्श नहीं बन सकती ?

(a) शेर

(b) बदरियाँ

(c) भालू

(d) हाथी

Ans :- (b) बदरियाँ

11. ‘देवताओं का राजा’ से किन्हें सम्बोधित किया जाता है ?

(a) महादेव

(b) विष्णु

(c) इन्द्र

(d) ब्रह्मा

Ans :- (c) इन्द्र

12. “नख’ किसका प्रतीक है ?

(a) मानवता का

(b) पशुता का

(c) (A) और (B) दोनों

(d) इनमें कोई नहीं

Ans :- (b) पशुता का

13. ‘पृथ्वीराज रासो’ किनका संपादन है ?

(a) हजारी प्रसाद द्विवेदी

(b) मैक्समूलर

(c) सुमित्रानन्दन पंत

(d) नलिन विलोचन शर्मा

Ans :- (a) हजारी प्रसाद द्विवेदी

14. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से हजारी प्रसाद द्विवेदी को कौन-सी उपाधि दी गई ?

(a) पद्मभूषण

(b) अशोक चक्र

(c) विजय चक्र

(d) ज्योतिषाचार्य

Ans :- (d) ज्योतिषाचार्य

15. हजारी प्रसाद द्विवेदी कब ‘पद्मभूषण’ की उपाधि से सम्मानित किया गया ?

(a) 1953 ई० में

(b) 1957 ई० में

(c) 1959 ई. में

(d) 1961 ई. में

Ans :- (b) 1957 ई० में

16. ‘अशोक के फूल’ की रचना है ?

(a) दिनकर

(b) सुमित्रानन्दन पंत

(c) हजारी प्रसाद द्विवेदी

(d) गुणाकर मूले

Ans :- (c) हजारी प्रसाद द्विवेदी

17. हजारी प्रसाद द्विवेदी की मृत्यु कब और कहाँ हुई ?

(a) 1979, दिल्ली

(b) 1984, अजमेर

(c) 1989, उत्तरप्रदेश

(d) 1994, कानपुर

Ans :- (a) 1979 दिल्ली

18. नाखून का इतिहास किस पुस्तक में मिलता है ?

(a) कामसूत्र में

(b) मेघदूत में

(c) महाभाष्य में

(d) इनमें से कोई नहीं

Ans :- (a) कामसूत्र में

19. हजारी प्रसाद द्विवेदी ने डी० लिट की उपाधि किस विश्वविद्यालय से प्राप्त की ?

(a) मगध विवि से

(b) लखनऊ विवि से

(c) चण्डीगढ़ विवि से

(d) काशी हिन्दू विवि से

Ans :- (b) लखनऊ विवि से

20. कहानी में चन्द्रकार, त्रिकोण, दंतुल वर्तुलाकार आकृतियों का संबंध मानव के किस अंग से है ?

(a) नख से

(b) मुख से

(c) नाक से

(d) आँख से

Ans :- (a) नख से

21. अलक्तक का अर्थ है।

(a) तेल

(b) आलता

(c) हल्दी

(d) साबुन

Ans :- (b) आलता

22. द्विवेदीजी को साहित्य अकादमी पुरस्कार किस रचना पर मिला था ?

(a) अशोक के फूल पर

(b) आलोक पर्व पर

(c) अनामदास का पोथा पर

(d) कल्पलता

Ans :- (b) आलोक पर्व पर

23. प्राचीन मानव का प्रमुख अस्त्र-शस्त्र था ?

(a) दाँत

(b) नाखून

(c) पैर

(d) पत्थर के औजार

Ans :- (b) नाखून

24. आर्यों के पास था ?

(a) लोहे का अस्त्र

(b) घोड़े

(c) मिट्टी (कच्ची) का घर

(d) इनमें से सभी

Ans :- (d) इनमें से सभी

25. ‘सब पुराने अच्छे नहीं होते और सब नए खराब नहीं होते’ ऐसा किसने कहा ?

(a) पंतजलि ने

(b) कालिदास ने

(c) वात्स्यायन ने

(d) कबीर ने

Ans :- (b) कालिदास ने

26. नखधर मनुष्य आज किस पर भरोसा कर रहा है ?

(a) बन्दूक पर

(b) लाठी पर

(C) एटम बम पर

(d) लोहे के विभिन्न हथियार पर

Ans :- (C) एटम बम पर

27. मनुष्य की मनुष्यता यही है कि वह सबके दुख-सुख को सहानुभूति के साथ देखता है। यह तथ्य किसका है ?

(a) महावीर स्वामी का

(b) गौतम बुद्ध का

(c) कालिदास का

(d) वात्स्यायन का

Ans :- (b) गौतम बुद्ध का

28. ‘नाखून क्यों बढ़ते हैं’ के निंबधकार कौन हैं ?

(a) गुलाब राय

(b) शांति प्रिय द्विवेदी

(b) प्रतापनारायण मिश्र

(d) आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी

Ans :- (d) आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी

29. आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने साहित्य की किस विधा में लेखन नहीं है ?

(a) आलोचना

(b) उपन्यास

(c) कहानी

(d) निबंध

Ans :- (c) कहानी

30.  कौन-सी रचना हजारी प्रसाद द्विवेदी की नहीं है ?

(a) अशोक के फूल

(b) माटी की मूरतें

(c) वाणभट्ट की आत्मकथा

(d) हिंदी साहित्य का आदिकाल

Ans :- (b) माटी की मूरतें

31. हिरोशिमा कहाँ है ?

(a) चीन में

(b) जर्मनी में

(c) नेपाल में

(d) जापान में

Ans :- (d) जापान में

32. कौन छोटे नखों को पसंद करते थे ?

(a) दक्षिणात्य

(b) पौर्वात्य

(c) मालव

(d) मध्यदेशीय

Ans :- (a) दक्षिणात्य

33. नाखून क्यों बढ़ते हैं किस प्रकार का निबंध है?

(a) ललित

(b) भावात्मक

(c) विवेचनात्मक

(d) विवरणात्मक

Ans :- (a) ललित

34. दधीचि की हड्डी से क्या बना था ?

(a) तलवार

(b) त्रिशूल

(c) इन्द्र का वज्र

(d) कुछ भी नहीं

Ans :- (c) इन्द्र का वज्र

35. लेखक के अनुसार मनुष्य के नाखून किसके जीवंत प्रतीक हैं ?

(a) मनुष्यता के

(b) सभ्यता के

(c) पाशवी वृत्ति के

(d) सौन्दर्य के

Ans :- (c) पाशवी वृत्ति के

36. सहजात वृत्तियाँ किसे कहते हैं ?

(a) अस्त्रों के संचयन को

(b) अनजान स्मृतियों को

(c) ‘स्व’ के बंधन को

(d) उपर्युक्त सभी

Ans :- (b) अनजान स्मृतियों को

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. मनुष्य बार-बार नाखूनों को क्यों काटता है ?

उत्तर-मनुष्य निरंतर सभ्य हीने के लिए प्रयासरत रहा है। प्रारंभिक काल में मानव एवं पशु एकसमान थे। नाखून अस्त्र थे। लेकिन जैसे-जैसे मानवीय विकास की धारा अग्रसर होती गई मनुष्य पशु से भिन्न होता गया। उसके अस्त्र-शस्त्र, — आहार-विहार, सभ्यता-संस्कृति में निरंतर नवीनता आती गयी । वह पुरानी जीवन-शैली को परिवर्तित करता गया । जो नाखून अस्त्र थे उसे अब सौंदर्य का रूप देने लगा। । इसमें नयापन लाने, इसे सँवारने एवं पशु से भिन्न दिखने हेतु नाखूनों को मनुष्य काट देता है।

2. नाखून क्यों बढ़ते हैं ? यह प्रश्न लेखक के आगे कैसे उपस्थित हुआ ?

उत्तर-– नाखून क्यों बढ़ते हैं ? यह प्रश्न एक दिन लेखक की छोटी लड़की ने उनसे पूछ दिया । उस दिन से यह प्रश्न लेखक के सोचने का विषय बन गया ।

3.लेखक द्वारा नाखूनों को अस्त्र के रूप में देखना कहाँ तक संगत है ?

उत्तर- कुछ लाख वर्षों पहले मनुष्य जब जंगली थो, उसे नाखून की जरूरत थी। वनमानुष के समान मनुष्य के लिए नाखून अस्त्र था क्योंकि आत्मरक्षा एवं भोजन हेतु नख की महत्ता अधिक थी। उन दिनों प्रतिद्वंदियों को पछाड़ने के लिए नाखून आवश्यक था । असल में वही उसके अस्त्र थे। उस समय उसके पास लोहे या कारतूस वाले अस्त्र नहीं थे, इसलिए नाखून को अस्त्र कहा जाना उपयुक्त है, तर्कसंगत है।

4. “स्वाधीनता’ शब्द की सार्थकता लेखक क्या बताता है ?

उत्तर- लेखक कहते हैं कि स्वाधीनता शब्द का अर्थ है अपने ही अधीन रहना। क्योंकि यहाँ के लोगों ने अपनी आजादी के जितने भी नामकरण किये उनमें हैं. स्वतंत्रता, स्वराज, स्वाधीनता। उनमें स्व का बंधन अवश्य है।

5. नख बढ़ाना और उन्हें काटना कैसे मनुष्य की सहजात वृत्तियाँ हैं ? इनका क्या अभिप्राय है?

उत्तर- मानव शरीर में बहुत-सी अभ्यास-जन्य सहज वृत्तियाँ अंतर्निहित हैं। दीर्घकालीन आवश्यकता बनकर मानव शरीर में विद्यमान रही सहज वृत्तियाँ ऐसे गुण हैं जो अनायास ही अनजाने में अपने आप काम करती हैं। नाखून का बढ़ना उनमें से एक है । वास्तव में सहजात वृत्तियाँ अनजान स्मृतियों को कहा जाता है। नख बढ़ाने की सहजात वृत्ति मनुष्य में निहित पशुत्व का प्रमाण है। उन्हें काटने की जो प्रवृति है वह मनुष्यता की निशानी है। मनुष्य के भीतर पशुत्व है लेकिन वह उसे बढ़ाना नहीं चाहता है। मानव पशुता को छोड़ चुका है क्योंकि पशु बनकर वह आगे नहीं बढ़ सकता। इसलिए पशुता की पहचान नाखून को मनुष्य काट देता है।

6.निबंध में लेखक ने किस बूढ़े का जिक्र किया है ? लेखक की दृष्टि में बूढ़े के कथनों की सार्थकता क्या है ?

उत्तर- लेखक ने महात्मा गाँधी को बूढ़े के प्रतीक रूप में जिक्र किया है। लेखक की दृष्टि से महात्मा गाँधी के कथनों की सार्थकता उभरकर इस प्रकार आती है-आज मनुष्य में जो पाशविक प्रवृत्ति है उसमें सत्यता, सौंदर्यबोध एवं विश्वसनीयता का लेशमात्र भी स्थान नहीं है । महात्मा गाँधी ने समस्त जनसमुदाय को हिंसा, क्रोध, मोह और लोभ से दूर रहने की सलाह दी। उच्छृखलता से दूर रहकर गंभीरता को धारण करने की सलाह दी लेकिन इनके सारे उपदेश बुद्धिजीवी वर्ग के लिए उपेक्षित रहा।

7. लेखक की दृष्टि में हमारी संस्कृति की बड़ी भारी विशेषता क्या है ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- लेखक की दृष्टि में हमारी संस्कृति की बड़ी भारी विशेषता है अपने आप पर अपने आपके द्वारा लगाया हुआ बंधन । भारतीय चित्त जो आज का अनधीनता के रूप में न सोचकर स्वाधीनता के रूप में सोचता है। यह भारतीय संस्कृति की विशेषता का ही फल है। यह विशेषता हमारे दीर्घकालीन संस्कारों से आयी है, इसलिए स्व के बंधन को आसानी से नहीं छोड़ा जा सकता है ।

8. बढ़ते नाखूनों द्वारा प्रकृति मनुष्य को क्या याद दिलाती है ?

उत्तर- प्राचीन काल में मनुष्य जंगली था । वह वनमानुष की तरह था । उस समय वह अपने नाखून की सहायता से जीवन की रक्षा करता था। आज नखधर मनुष्य अत्याधुनिक हथियार पर भरोसा करके आगे की ओर चल पड़ा है। पर उसके नाखून अब भी बढ़ रहे हैं । बढ़ते नाखूनों द्वारा प्रकृति मनुष्य को याद दिलाती है कि तुम भीतर वाले अस्त्र से अब भी वंचित नहीं हो। तुम्हारे नाखून को भुलाया नहीं जा सकता । तुम वही प्राचीनतम नख एवं दंत पर आश्रित रहने वाला जीव हो । पशु की समानता तुममें अब भी विद्यमान है।

9. लेखक ने किस प्रसंग में कहा है कि बंदरिया मनुष्य का आदर्श नहीं बन सकती ? लेखक का अभिप्राय स्पष्ट करें।

उत्तर- लेखक ने रूढ़िवादी विचारधारा और प्राचीन संवेदनाओं से हटकर जीवनयापन करने के प्रसंग में कहा है कि बंदरिया मनुष्य का आदर्श नहीं बन सकती। लेखक के कहने का अभिप्राय है कि मरे बच्चे को गोद में दबाये रहनेवाली बंदरियाँ मनुष्य का. आदर्श कभी नहीं बन सकती। यानी केवल प्राचीन विचारधारा या रूढ़िवादी विचारधारा विकासवाद के लिए उपयुक्त नहीं हो सकती। मनुष्य को एक बुद्धिजीवी होने के नाते परिस्थिति के अनुसार साधन का प्रयोग करना चाहिए।

10. मनुष्य की पूँछ की तरह उसके नाखून भी एक दिन झड़ जाएँगे। प्राणिशास्त्रियों के इस अनुमान से लेखक के मन में कैसी आशा जगती है?

उत्तर-प्राणीशास्त्रियों का ऐसा अनुमान है कि एक दिन मनुष्य की पूँछ की तरह उसके नाखून भी झड़ जायेंगे । इस तथ्य के आधार पर ही लेखक के मन में यह आशा जगती है कि भविष्य में मनुष्य के नाखूनों का बढ़ना बंद हो जायेगा और मनुष्य का अनावश्यक अंग उसी प्रकार झड़ जायेगा जिस प्रकार उसकी पूँछ झड़. गयी है अर्थात् मनुष्य पशुता को पूर्णतः त्याग कर पूर्णरूपेण मानवता को प्राप्त कर लेगा।

11. “सफलता और चरितार्थता शब्दों में लेखक अर्थ की भिन्नता किस प्रकार प्रतिपादित करता है ?

उत्तर- सफलता और चरितार्थता में इस प्रकार की भिन्नता प्रतिपादित होती है कि मनुष्य मारणास्त्रों के संचयन से तथा बाह्य उपकरणों के बाहुल्य से उस वस्तु को पा भी सकता है जिसे वह बड़े आडम्बर के साथ सफलता नाम दे सकता है। परंतु मनुष्य की चरितार्थता प्रेम में है, मैत्री में है, त्याग में है, अपने को सबके मंगल के लिए नि:शेष भाव से दे देने में है। नाखून का बढ़ना मनुष्य की उस अंध सहजात वृत्ति का परिणाम है जो उसके जीवन में सफलता ले आना चाहती है, उसको काट देना आत्मबंधन का फल है जो उसे चरितार्थता की ओर ले जाती है।

12. लेखक क्यों पूछता है कि मनुष्य किस ओर बढ़ रहा है, पशुता की ओर या मनुष्यता की ओर? स्पष्ट करें।

उत्तर- लेखक के प्रश्न में अंतर्द्वन्द्व की भावना उभर रही है कि मनुष्य इस समय पशुता की ओर या मनुष्यता की ओर बढ़ रहा है। अतः इसी जिज्ञासा को शांत करने के लिए स्पष्ट रूप से इसे प्रश्न के रूप में लोगों के सामने रखता है।
लेखक के अनुसार, इस विचारात्मक प्रश्न पर अध्ययन करने से पता चलता है कि मनुष्य पशुता की ओर बढ़ रहा है। मनुष्य में बंदूक, पिस्तौल, बम से लेकर नये-नये महाविनाश के अस्त्र-शस्त्रों को रखने की प्रवृत्ति जो बढ़ रही है वह स्पष्ट रूप से पशुता की निशानी है। पशु प्रवृत्ति वाले ही इस प्रकार के अस्त्रों के होड़ में आगे बढ़ते हैं।

13. काट दीजिए, वे चुपचाप दंड स्वीकार कर लेंगे; पर निर्लज्ज अपराधी की भाँति फिर छूटते ही सेंध पर हाजिर । व्याख्या करें।

उत्तर- प्रस्तत व्याख्येय पंक्ति हिंदी पाठ्य पुस्तक के नाखून क्यों बढ़ते हैं शीर्षक से उद्धत है। यहाँ हिन्दी गद्य साहित्य के महान लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी ने मानवतावादी दृष्टिकोण प्रकट किया है। निबंधकार प्रस्तुत अंश में नाखून के बढ़ने-बढ़ाने और कटने-काटने को लाक्षणिक शब्द शक्ति में बाँधने का पूरा प्रयत्न किया है। इनका कहना है कि नाखून काट दीजिए तो फिर तीसरे दिन, चौथे दिन बढ़ जाते हैं। ये चुपचाप दंड स्वीकार कर लेते हैं जैसे कोई निर्लज्ज अपराधी हो लेकिन जिस प्रकार दंड से छूटने के बाद वह अपराधी फिर अपराध कर बैठता है उसी प्रकार ये नाखून फिर अपने स्थान पर जम जाते हैं। लेखक यहाँ एक ओर नाखूनों का बढ़ना मनुष्य की आदिम पाश्विक वृत्ति और संघर्ष चेतना का प्रमाण मानता है तो दूसरी ओर उन्हें बार-बार काटते रहना और अलंकृत करते रहना मनुष्य के सौंदर्य बोध और सांस्कृतिक चेतना को भी निरूपित करता है।

14. ‘कमबख्त नाखून बढ़ते हैं तो बढ़े, मनुष्य उन्हें बढ़ने नहीं देगा’ की व्याख्या करें।

उत्तर- प्रस्तुत व्याख्येय पंक्ति हिंदी पाठ्य-पुस्तक के ललित निबंध ‘नाखून क्यों बढ़ते हैं’ पाठ से ली गई है । इस पंक्ति के माध्यम से निबंधकार हजारी प्रसाद द्विवेदी ने नाखून बढ़ाना पाश्विक प्रवृत्ति और काटना मानवीय प्रवृत्ति का अत्यन्त लाक्षणिक और स्वाभाविक रूप में वर्णन किया है। निबंधकार यहाँ मनोवैज्ञानिक रूप का अंश भी प्रस्तुत करते हैं। यह स्पष्ट है कि मनुष्य वर्तमान परिवेश में बौद्धिकता का महानतम स्वरूप है। सभ्यता और संस्कृति के सोपान पर हमेशा अग्रसर है। दिनों-दिन पाशविक प्रवृत्ति को समाप्त करने में अपनी ईमानदारी का परिचय दे रहा है । इस आधार पर लेखक को विश्वास है कि यदि नाखून बढ़ते हैं तो मनुष्य उन्हें निश्चित रूप से बढ़ने नहीं देगा । अर्थात् पाशविक प्रवृत्ति का लक्षण ज्यों ही दिखाई पड़ता है मनुष्य उसे काट देता है। यह आशावादी विचारधारा लेखक को एक सुसंस्कृत और सभ्य समाज स्थापित होने में सहायक होता है।

15. मैं मनुष्य के नाखून की ओर देखता हूँ तो कभी-कभी निराश हो जाता हूँ। व्याख्या करें। 

उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति हमारी पाठ्यपुस्तक हिंदी साहित्य के ललित निबंध नाखून क्यों बढ़ते हैं शीर्षक से उद्धृत है । इस अंश में प्रख्यात निबंधकार हजारी प्रसाद द्विवेदी बार-बार काटे जाने पर भी बढ़ जानेवाले नाखूनों के बहाने अत्यन्त सहज शैली में सभ्यता और संस्कृति की विकास गाथा उद्घाटित करते हैं।
प्रस्तुत व्याख्येय अंश पूर्ण रूप से लाक्षणिक वृत्ति पर आधारित है। लाक्षणिक धारा में ही निबंध का यह अंश प्रवाहित हो रहा है लेखक अपने वैचारिक बिन्दु को सार्वजनिक करते हैं। मनुष्य नाखून को अब नहीं चाहता। उसके भीतर प्राचीन बर्बरता का यह अंश है जिसे भी मनुष्य समाप्त कर देना चाहता है लेकिन अगर नाखून काटना मानवीय प्रवृत्ति और नाखून बढ़ाना पाश्विक प्रवृति है तो मनुष्य पाश्विक प्रवृत्ति को अभी भी अंग लगाये हुए है। लेखक यही सोचकर कभी-कभी निराश हो जाते हैं कि इस विकासवादी सभ्य युग में भी मनुष्य का बर्बरता नहीं घटी है। वह तो बढ़ती ही जा रही है। हिरोशिमा जैसा हत्याकांड. पाश्विक प्रवृत्ति का महानतम उदाहरण है। साथ ही लेखक की उदासीनता इस पर है कि मनुष्य की पशुता को जितनी बार काट दो वह मरना नहीं जानती।

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