संस्कृतसाहित्ये लेखिका:

महत्वपूर्ण तथ्य

1.वैदिक युग में मंत्रों के दर्शक ऋषि ऋषिका कहलाते थे।

2.ऋग्वेद में 24 ऋषिकाओं का वर्णन है ।

3.अथर्ववेद में 5 ऋषिकाओं का नाम यमी, अपाला, उर्वशी, इन्द्राणी तथा वागाम्भृगी आया है ।

4.वृहदारण्यक उपनिषद् में याज्ञवलक्य की पत्नी मैत्रेयी का वर्णन है।

5.लौकिक संस्कृत साहित्य में 40 कवयित्रियों का वर्णन मिलता है।

6.कवि दण्डी के द्वारा सरस्वती को सर्वशुक्ला कहा गया है। 

7.चालुक्यवंशीय राजा चन्द्रादित्य की पत्नी विजयांका थी । 

8.कम्पनराय (14वीं शदी) की पत्नी गङ्गादेवी की रचना ‘मधुराविजयम’ है।

9.अच्युतराय की पत्नी तिरूमलाम्बा वरदाम्बिकापरिणय नामक चम्पूकाव्य की रचना की ।

10.पण्डिता क्षमाराव (1890-1953 ई०) अपने पिता शंकर पण्डुरंगपण्डित के जीवन चरित पर आधारित पुस्तक ‘शङ्करचरितम्’ की रचना की ।

11.वर्तमान काल की लेखिकाएँ वनमाला भवालकर, मिथिलेश कुमारी मिश्र आदि का नाम आता है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

 1. क्षमाराव किस काल के लेखक हैं ?

(A) आधुनिक काल

(B) मध्यकाल

(C) प्राचीनकाल

(D) उपर्युक्त कोई नहीं

Ans:- (A) आधुनिक काल

2. पुरुषों और नारियों के सहयोग से किसकी गाड़ी चलती है ?

(A) देश का

(B) नगर का

(C) प्रांत का

(D) समाज की

Ans:- (D) समाज की

3. कंपनराय की रानी कौन थी ?

(A) पुष्पादीक्षित

(B) तिरुमलाम्बा

(C) गंगादेवी

(D) पं० क्षमाराव

Ans:- (C) गंगादेवी

4. इन्द्राणी का वर्णन किस वेद में है ?

(A) अथर्ववेद

(B) ऋग्वेद

(C) सामवेद

(D) कोई नहीं

Ans:- (C) सामवेद

5. मीरा लहरी की लेखिका कौन है ?

(A) पुष्पादीक्षित

(B) तिरुमलाम्बा

(C) गंगादेवी

(D) पं० क्षमाराव

Ans:- (D) पं० क्षमाराव

6. “संस्कृतसाहित्ये लेखिका:’ पाठ में किसके महत्व का वर्णन किया गया है ?

(A) पुरुष

(B) दुर्जन

(C) सज्जन

(D) औरत

Ans:- (D) औरत

7. आधुनिक संस्कृत साहित्यलेखिका में कौन प्रसिद्ध है ?

(A) क्षमाराव

(B) उर्मीला देवी

(C) शांति देवी

(D) गंगा देवी

Ans:- (A) क्षमाराव

8. शंकर-चरित्रम् की रचना किसने की ?

(A) पुष्पादीक्षित

(B) तिरुमलाम्बा

(C) गंगादेवी

(D) पं० क्षमाराव

Ans:- (D) पं० क्षमाराव

9. लौकिक संस्कृत साहित्य में चालीस कवयित्रियों में प्रथम कल्पा कौन थी ?

(A) सरस्वती

(B) विजयांका

(C) गार्गी

(D) मैत्रेयी

Ans:- (B) विजयांका

10. ऋग्वेद में कितनी महिलाओं का वर्णन है ?

(A) 24

(B) 20

(C) 18

(D) 16

Ans:- (A) 24

11. अथर्ववेद में कितनी महिलाओं का वर्णन है ?

(A) 7

(B) 5

(C) 6

(D) 8

Ans:- (B) 5

12. अच्युतराय की रानी कौन थी ?

(A) इन्द्राणी

(B) गंगादेवी

(C) उर्वशी

(D) तिरुमलाम्बा

Ans:- (D) तिरुमलाम्बा

13. किस युग में मन्त्रों की दर्शिका ने केवल ऋषि बल्कि ऋषिका भी थी ?

(A) सामन्त युग

(B) कलियुग

(C) वैदिक युग

(D) सतयुग

Ans:- (C) वैदिक युग

14. याज्ञवल्क्य ने अपनी पत्नी को क्या शिक्षा दी ?

(A) नीति की

(B) धर्म की

(C) अर्थ की

(D) आत्मतत्त्व की

Ans:- (D) आत्मतत्त्व की

15. मधुराविजयम् महाकाव्य की रचना किसने की ?

(A) पुष्पादीक्षित

(B) तिरुमलाम्बा

(C) गंगादेवी

(D) पं० क्षमाराव

Ans:- (C) गंगादेवी

16. वदराम्बिकापरिणय संहाकाव्य की रचना किसने की ?

(A) पुष्पादीक्षित

(B) तिरुमलाम्बा

(C) गंगादेवी

(D) पं० क्षमाराव

Ans:- (B) तिरुमलाम्बा

17. जनक की सभा में शास्त्रार्थकुशली कौन विदुषी रहती थी ?

(A) पुष्पादीक्षित

(B) गार्गी

(C) गंगादेवी

(D) पं० क्षमाराव

Ans:- (B) गार्गी

 लघु उत्तरीय प्रश्न

 1.’सर्व शुक्ला सरस्वती किसे कहा गया है’, और क्यों ?

उत्तर– सर्वशक्ला सरस्वती, विजयाड़ा को कहा गया है । लौकिक संस्कृत में विजयाना की भूमिका सराहनीय है। उसके पदों की सौष्ठवता देखने में बनती है । एक असाधारण लेखिका की पराकाष्ठता से प्रभावित होकर ही दण्डी ने उसे सर्वशक्ला सरस्वती कहा है। विजयाना श्याम वर्ण की थी किन्तु उसका कृत्तिया ज्योतिर्मय थीं। नीलकमल की पंखुड़ियों की तरह विजयादा अपनी रचना में अद्भुत लेखन कला की आभा बिखेरती है।

2. इस पाठ से हमें क्या संदेश मिलता है ?

उत्तर– इस पाठ के द्वारा संस्कृत साहित्य के विकास में महिलाओं के योगदान के बारे में ज्ञात होता है। वैदिक युग से आधुनिक समय तक ऋषिकाएँ, कवयित्री, लेखिकाएँ संस्कृतसाहित्य के संवर्धन में अतुलनीय सहभागिता प्रदान करती रही हैं । संस्कृत लेखिकाओं की सुदीर्घ परम्परा है। संस्कृत भाषा के उन्नयन एवं पल्लवन में पुरुषों के समतुल्य महिलाएँ भी चलती रही हैं।

3. संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।

उत्तर– संस्कृत की सेवा जिस प्रकार पुरुषों ने की है उसी प्रकार महिलाओं ने भी वैदिक युग से आज तक इसमें भाग लिया है। प्रायः इस विषय की उपेक्षा हुई है। प्रस्तुत पाठ में संक्षिप्त रूप से संस्कृत की प्रमुख लेखिकाओं का उल्लेख किया गया है। उनके योगदान संस्कृत साहित्य के इतिहास में अमर है।

4. शास्त्र-लेखन एवं रचना-संरक्षण में वैदिककालीन महिलाओं के योगदानों की चर्चा करें।

उत्तर– वैदिककाल में शास्त्र-लेखन एवं रचना-संरक्षण में पुरुषों की तरह महिलाओं ने भी काफी योगदान दिया है । ऋग्वेद में चौबीस और अथर्ववेद में पाँच महिलाओं का योगदान है। यमी, अपाला, उर्वशी, इन्द्राणी और वागाम्भृणी वैदिककालीन ऋषिकाएँ भी मंत्रों की दर्शिकाएँ थी।

5. संस्कृतसाहित्य में दक्षिण भारतीय महिलाओं के योगदानों का वर्णन करें।

उत्तर– चालुक्य वंश की महारानी विजयभट्टारिका ने विजयाङ्गा की रचना कर लौकिक संस्कृत साहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। लगभग चालीस दक्षिण भरतीय महिलाओं ने एक सौ पचास संस्कृत-काव्यों की रचना की है। इन महिलाओं में गंगादेवी, तिरुमलाम्बा, शीलाभट्टारिका, देवकुमारिका, राम भद्राम्बा आदि प्रमुख हैं। इनकी रचनाएँ पद्य में हैं।

6.संस्कृतसाहित्य में आधुनिक समय के लेखिकाओं के योगदानों की चर्चा करें।

उत्तर– संस्कृतसाहित्य में आधुनिक समय की लेखिकाओं में पण्डिता क्षमाराव अति प्रसिद्ध हैं। उन्होंने शंकरचरितम्, सत्याग्रहगीता, मीरालहरी, कथामुक्तावली, विचित्र-परिषदयात्रा, ग्रामज्योति इत्यादि अनेक गद्य-पद्य ग्रन्थों की रचना की। वर्तमानकाल में लेखनरत कवियित्रों में पुष्पा दीक्षित, वनमाला भवालकर, मिथिलेश कुमारी मिश्र आदि प्रतिदिन. संस्कृतसाहित्य को समृद्ध कर रही है।

7.संस्कृतसाहित्य में विजयनगर राज्य के योगदानों का वर्णन करें।

उत्तर– विजयनगर राज्य के राजाओं ने संस्कृतसाहित्य के संरक्षण के लिए जो प्रयास किए थे वे सर्वविदित है । उनके अंत:पुर में भी संस्कृत-रचना में कुशल रानियाँ हई। इनमें कम्पणराय की रानी गंगादेवी तथा अच्युताराय की रानी तिरुमलाम्बा प्रसिद्ध हैं। इन दोनों रानियों की रचनाओं में समस्त पदावली और ललित पद-विन्यास के कारण संस्कृत-गद्य शोभित होता है।

8.‘संस्कृत साहित्ये लेखिका: पाठ में लेखक ने क्या विचार व्यक्त किए हैं ?

उत्तर– ‘संस्कृतसाहित्ये’ लेखिका पाठ में लेखक का विचार है कि प्राचीन काल से लेकर आज तक महिलाओं ने संस्कृत साहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। दक्षिण भारत की महान साहित्यकार महिलाओं ने भी संस्कृत साहित्य को समृद्ध बनाया।

9.‘संस्कृतसाहित्ये’ लेखिका: पाठ के आधार पर लेखक के संदेश को स्पष्ट करें।

उत्तर– संस्कृतसाहित्ये लेखिका पाठ में लेखक का स्पष्ट संदेश है कि महिला और पुरुष दोनों के योगदान से ही समाज की गाड़ी चलती है। साहित्य में भी दोनों का समान महत्त्व है। इस पाठ में अति प्रसिद्ध लेखिकाओं की चर्चा है, जिन्होंने साहित्यरूपी खजाने को भरने में अपना योगदान दिया है।

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