महत्वपूर्ण तथ्य
1.अलसकथा विद्यापति की रचना पुरूषपरीक्षा से ली गई है।
2.वीरेश्वर नाम का मंत्री मिथिला में रहता था ।
3.विद्यापति ‘मैथिली भाषा’ के लोकप्रिय कवि थे।
4.अलसकथा से मनुष्य के आलस्य नामक दोष का वर्णन किया गया है ।
5.आलसियों की परीक्षा लेने के लिए घर में आग लगाई गई।
6.घर में आग लगा हुआ देखकर धूर्त लोग भाग गये ।
7.स्त्रियों की गति पति से होती है।
8.बच्चों की गति माता से होती है।
9.लेकिन आलसियों की गति कारूणिक के बिना नहीं हो सकती।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. मैथिल कोकिल’ के नाम से कौन प्रसिद्ध था ?
(A) विद्यापति
(B) नारायण पंडित
(C) कालीदास
(D) वेदव्यास
Ans :- (A) विद्यापति
2. अलसकथा पाठ कहाँ से संकलित है ?
(A) अग्निपुराण
(B) पुरुषपरीक्षा
(C) रामायण
(D) महाभारत
Ans :- (B) पुरुषपरीक्षा
3. मिथिला का मंत्री कौन था ?
(A) बुद्धिवीर
(B) कर्मवीर
(C) धर्मवीर
(D) वीरेश्वर
Ans :- (D) वीरेश्वर
4. मनुष्य को कौन नष्ट कर देता है ?
(A) धन
(B) धर्म
(C) आलस
(D) कोई नहीं
Ans :- (C) आलस
5. भीषण भूख लगने पर भी कौन कुछ नहीं कर सकता ?
(A) आलसी
(B) निर्बल
(C) सच्चरित्र
(D) निर्धन
Ans :- (A) आलसी
6. वीरेश्वर नाम का मंत्री कहाँ रहता था ?
(A) पाटलिपुत्र में
(B) मिथिला में
(C) जनकपुर में
(D) अयोध्या में
Ans :- (B) मिथिला में
7. आलसियों को कौन अन्न और वस्त्र देते थे ?
(A) बुद्धिवीर
(B) कर्मवीर
(C) धर्मवीर
(D) वीरेश्वर
Ans – (D) वीरेश्वर
8. आलसी पुरुष कितने थे ?
(A) दो
(B) तीन
(C) चार
(D) चार
Ans – (D) चार
9. अलसकथा’ पाठ में किस दोष का वर्णन किया गया है ?
(A) अर्थ
(B) धर्म
(C) आलस
(D) कोई नहीं
Ans :- ( C ) आलस
10. ‘मैथिल’ कवि कौन था ?
(A) भास
(B) कालिदास
(C) विद्यापति
(D) नारायण पंडित
Ans :- (C) विद्यापति
11. अलसकथा’ किस प्रकार की कथा है ?
(A) व्यंग्यात्मक
(B) हासात्मक
(C) कारूणिक कथा
(D) उपर्युक्त कोई नहीं
Ans :- (A) व्यंग्यात्मक
12. अलसकथा’ पाठ के लेखक कौन है ?
(A) विद्यापति
(B) नारायण पंडित
(C) कालीदास
(D) वेदव्यास
Ans:- (A) विद्यापति
13. अलसशाला में आगे क्यों लगाई गई ?
(A) जाड़े के कारण
(B) आलसियों की परीक्षा के लिए
(C) मच्छर के कारण
(D) बिना किसी कारण के
Ans :- (B) आलसियों की परीक्षा के लिए
14. अलसकथा’ पाठ में किस महत्व का वर्णन किया गया है ?
(A) मानव गुण
(B) पशु गुण
(C) देवता गुण
(D) उपर्युक्त कोई नहीं
Ans :- (A) मानव गुण
15. गरीबों और अनाथों को प्रतिदिन कौन भोजन कराते थे ?
(A) बुद्धिवीर
(B) कर्मवीर
(C) धर्मवी
(D) वीरेश्वर
Ans :- (D) वीरेश्वर
16. कारुणिक के बिना किसकी गति नहीं है ?
(A) धूतों की
(B) पतितों की
(C) वाचालों की
(D) आलसियों की
Ans : – (D) आलसियों की
17. अलसशाला में लगी आग को देखकर कौन भाग गए ?
(A) आलसी
(B) धूर्त
(C) अधिकारी
(D) नौकर
Ans :- (B) धूर्त
लघु उत्तरीय प्रश्न
1.अलसकथा का वर्णय विषय क्या है ?
उत्तर- विद्यापति द्वारा रचित कथाग्रंथ ‘पुरुष परीक्षा’ नामक पुस्तक से लिया गया ‘अलसकथा’ मानव महत्व एवं दोषों के निराकरण की शिक्षा देता है। आलसियों को दान देने की इच्छा रखनेवाले बीरेश्वर ने यह जानने की उत्कंठा प्रकट की थी कि आलसी जीवन जीने की कला का कैसे निर्वहन करते हैं। इष्ट लाभ के लिए मेहनती भी आलसी का रूप लेकर पहुँचने लगते हैं। उनकी परीक्षा के लिए दानगृह में अग्नि प्रज्वलित की जाती है। आलसी भागने के क्रम में गीले कपड़े से ढकने, घर में आग लगी है, यहाँ कोई धार्मिक नहीं है आदि की चर्चा करते हैं। आलसी केवल करूणा के पात्र होते हैं।
2. किनकी क्या-क्या गतियाँ हैं ? पठित पाठ के आधार पर स्पष्ट करें ।
उत्तर- गति को यहाँ विशेष रूप से विश्लेषित किया गया है । स्त्री, पुरुष एवं बच्चों की गतियाँ अलग-अलग हैं। स्त्रियों की गति पति हैं, बच्चों की गति माँ है तथा आलसियों की गति कारुणिकता (दयालुता) है। अर्थात् स्त्रियों की जीवनभंगिमा उसके पति पर निर्भर करती है। बच्चों की जीवनवृत्ति उसकी माँ ही होती है। आलसियों की जीवनवृत्ति दयालुओं पर ही निर्भर होती है।
3.अलसकथा पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।
उत्तर- यह पाठ विद्यापति द्वारा रचित पुरुषपरीक्षा नामक कथाग्रन्थ से संकलित एक उपदेशात्मक लघु कथा है। विद्यापति ने मैथिली, अवहट्ट तथा संस्कृत तीनों भाषाओं में ग्रन्थ-रचना की थी। पुरुषपरीक्षा में धर्म, अर्थ, काम इत्यादि विषयों से सम्बद्ध अनेक मनोरंजक कथाएँ दी गयी हैं। अलसकथा में आलस्य के निवारण की प्रेरणा दी गयी है। इस पाठ से संसार की विचित्र गतिविधि का भी परिचय मिलता है।
4.“अलसकथा’ से क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर- मैथिली कवि विद्यापति रचित “अलसकथा” में आलसियों के माध्यम से शिक्षा दी गयी है कि उनका भरण-पोषण करुणाशीलों के बिना संभव नहीं है। आलसी काम नहीं करते, ऐसी स्थिति में कोई दयावान् ही उनकी व्यवस्था कर सकता है। अतएव आत्मनिर्भर न होकर दूसरे पर वे निर्भर हो जाते हैं।
5. “अलसकथा’ का क्या संदेश है ?
उत्तर- अलसकथा का संदेश है कि आलस्य एक महान् रोग है। आलसी का सहायक प्रायः कोई भी नहीं होता । जीवन में विकास के लिए व्यक्ति का कर्मठ होना अत्यावश्यक है। आलस्य शरीर में रहनेवाला महान् शत्रु है जिससे अपना, परिवार का और समाज का विनाश अवश्य ही होता है। यदि जीवन में विकास की इच्छा. रखते हैं तब आलस्य त्यागकर उद्यम को प्रेरित हों।
6. आलसी पुरुषों को आग से किसने निकाला ?
उत्तर- जब चार आलसी परुष आग लगने पर भी घर से नहीं भागे तब एक योगी पुरुष ने आकर उनके केशों को पकड़कर उन्हें ढकेलते हुए बाहर किया। इस प्रकार आलसी पुरुष आग से बचे।
7. चारों आलसी पुरुष आग से किस प्रकार बचना चाहते थे ?
उत्तर- चारों आलसी पुरुष आग लगने पर भी घर से नहीं भागे। शोरगुल सुनकर वे जान गए थे कि घर में आग लगी हुई है। वे चाहते थे कि कोई धार्मिक एवं दयालु व्यक्ति आकर आग पर जल, वस्त्र या कंबल डाल दे, जिससे आग बुझ जाए और वे लोग बच जाएँ।
8. ‘अलसकथा’ पाठ के आधार पर लेखक के विचार स्पष्ट करें।
उत्तर- ‘अलसकथा’ पाठ में लेखक विद्यापति ने अपने विचार को स्पष्ट करते हुए कहते हैं कि आलसी व्यक्ति बिना परिश्रम किए हुए जीवन व्यतीत करना चाहता है । कारूणिक व्यक्ति के बिना वह अपने को मौत से भी नहीं बचा पाता है । आलस्य शत्र के समान है।
9. अलस कथा का सारांश लिखें।
उत्तर- मिथिला में वीरेश्वर नामक मंत्री था। वह स्वभाव से दानशील और दयावान था। वह अनाथों और निर्धनों को प्रतिदिन भोजन देता था। इससे आलसी भी लाभान्वित होते थे। आलसियों को इच्छित लाभ की प्राप्ति को जानकर बहुत से लोक बिना परिश्रम तोन्द बढ़ानेवाले वहाँ इकट्ठे हो गये। इसके पश्चात् आलसियों को ऐसा सुख देखकर धूर्त लोक भी बनावटी आलस्य दिखाकर भोजन प्राप्त करने लगे। इसके बाद अत्यधिक धन-व्यय देखकर शाला चलाने वाले लोग विचार किये कि छल से कपटी आलसी भी भोजन प्राप्त करते हैं यह हमलोगों की गलती है। अतः उन आलसियों की परीक्षण करने हेतु उन्होंने आलसीशाला में आग लगाकर हल्ला कर दिया। इसके बाद घर में लगी आग को बढ़ती हुई देखकर सभी धूर्त भाग गये। लेकिन चार पुरुष अग्नि का आभास पाकर भी अपने स्थान पर यथावत बने रहकर बात करने लगे कि उन्हें कोई इस अग्नि से निकाल देता। अंततः व्यवस्थापक इस संबंध में उनकी आपस की वार्तालाप को सुनकर बढ़ी हुई अग्नि की ज्वाला से रक्षण हेतु उन्हें निकाल दिया। असली आलसियों की पहचान करते हुए उन्होंने पाया कि आलसी स्वयं अपना पोषण नहीं कर सकते। वे देव या दयावान लोगों की दया पर ही जीवित रह सकते हैं। अतः उन्हें मदद की पूर्ण जरूरत है। इसके बाद उन चारों आलसियों को पहन से अधिक चीजें मंत्री देने लगे।