महत्वपूर्ण तथ्य
1.भारतवर्ष में शास्त्रों की बड़ी परम्परा रही है ।
2. ‘शास्त्र’ ज्ञानं का शासक होता है । मनुष्य के कर्तव्य और अकर्तव्य का बोध कराता है।
3. वेदाङ्ग छह हैं- शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरूक्त, छन्द और ज्योतिष ।
4. पाणिनि का व्याकरण- अष्टाध्यायी यास्क का निरूक्त पिङ्गल का छन्दशास्त्र आदि प्रसिद्ध है।
5. भारतीय दर्शन छ: हैं-सांख्य के प्रवर्तक- कपिल, योग- पतञ्जलि, न्याय – गौतम, वैशेषिक- कणाद, मीमांसा- जैमिनी, वेदान्त – बादरायण।
6. प्राचीन भारत में विज्ञान के विभिन्न शाखाएँ हैं- आयुर्वेद, चरकसंहिता, सुश्रुतसंहिता, आर्यभटीयनाम् इत्यादि ।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1.भारतवर्ष में किसकी महती परम्परा सुनी जाती है ?
(A) पुस्तक
(B) ग्रंथ
(C) शास्त्र
(D) कोई नहीं
Ans ⇒ (C) शास्त्र
2. वर्ग में कौन प्रवेश करता है ?
(A) शिक्षक
(B) छात्र
(C) प्राचार्य
(D) लिपिक
Ans ⇒ (A) शिक्षक
3. किसके छः अंग हैं ?
(A) रामायण
(B) महाभारत
(C) पुराण
(D) वेद
Ans ⇒ (D) वेद
4. छात्र किसका अभिवादन करते हैं
(A) शिक्षक
(B) बालक
(C) राजा
(D) छात्र
Ans ⇒ (A) शिक्षक
5. शास्त्रकारा पाठ किस शैली में है ?
(A) प्रश्न-शैली
(B) उत्तर-शैली
(C) प्रश्नोतर-शैली
(D) वार्तालाप शैली
Ans ⇒ (C) प्रश्नोतर-शैली
6. किसका व्याकरण प्रसिद्ध है ?
(A) व्यास
(B) पाणिनी
(C) चाणक्य
(D) आर्यभट्ट
Ans ⇒ (B) पाणिनी
7. ज्ञान का शासक कौन होता है ?
(A) शास्त्र
(B) विवेक
(C) ज्ञान
(D) धन
Ans ⇒ (A) शास्त्र
8. मनुष्य को कर्तव्य और अकर्तव्य का बोध कौन कराता है।
(A) शास्त्र
(B) विवेक
(C) ज्ञान
(D) धन
Ans ⇒ (A) शास्त्र
9. वेदांग कितने हैं ?
(A) तीन
(B) छ:
(C) पाँच
(D) चार
Ans ⇒ (B) छ:
10. उच्चारण क्रिया का कौन बोध कराता है ?
(A) शिक्षा
(B) कल्प
(C) छंद
(D) ज्योतिष
Ans ⇒ (A) शिक्षा
11. निरूक्त के रचयिता कौन हैं ?
(A) व्यास
(B) पाणिनी
(C) चाणक्य
(D) यास्क
Ans ⇒ (D) यास्क
12. छंद के रचयिता कौन हैं ?
(A) व्यास
(B) पाणिनी
(C) पिङ्गल
(D) यास्क
Ans ⇒ (C) पिङ्गल
13. ज्योतिष के रचयिता कौन हैं ?
(A) व्यास
(B) पाणिनी
(C) लगधर
(D) यास्क
Ans ⇒ (C) लगधर
14. कर्मकांड के रचनाकार कौन हैं ?
(A) व्यास
(B) गौतम
(C) चाणक्य
(D) यास्क
Ans ⇒ (B) गौतम
15. सांख्य दर्शन के संस्थापक कौन हैं ?
(A) कपिल
(B) पतंजलि
(C) गौतम
(D) कणाद
Ans ⇒ (A) कपिल
16. योग दर्शन के संस्थापक कौन हैं ?
(A) कपिल
(B) पतंजलि
(C) गौतम
(D) कणाद
Ans ⇒ (B) पतंजलि
17. न्याय दर्शन के संस्थापक कौन हैं ?
(A) कपिल
(B) पतंजलि
(C) गौतम
(D) कणाद
Ans ⇒ (C) गौतम
18. वैशेषिक दर्शन के संस्थापक कौन हैं ?
(A) कपिल
(B) पतंजलि
(C) गौतम
(D) कणाद
Ans ⇒ (D) कणाद
19. मीमांसादर्शन के संस्थापक कौन हैं ?
(A) कपिल
(B) पतंजलि
(C) गौतम
(D) जैमिनी
Ans ⇒ (D) जैमिनी
20. वेदान्त दर्शन के संस्थापक कौन हैं ?
(A) कपिल
(B) पतंजलिं
(C) गौतम
(D) बदरायण
Ans ⇒ (D) बदरायण
21. कृषि विज्ञान को किसने लिखा ?
(A) कपिल
(B) पराशर
(C) गौतम
(D) बादरायण
Ans ⇒ (B) पराशर
22. आर्यभटीयनामा के रचनाकार कौन हैं?
(A) कपिल
(B) पतंजलि
(C) गौतम
(D) आर्यभट्ट
Ans ⇒ (D) आर्यभट्ट
23. वृहत्संहिता के रचनाकार कौन हैं?
(A) कपिल
(B) पतंजलि
(C) आर्यभट्ट
(D) वराहमिहिर
Ans ⇒ (D) वराहमिहिर
24. मनुष्यों को सासांरिक विषयों की आसक्ति या विरक्ति का उपदेश देता है| उसे कहते हैं-
(A) शास्त्र
(B) विवेक
(C) ज्ञान
(D) धन
Ans ⇒ (A) शास्त्र
25. चरकसंहिता क्या है ?
(A) आयुर्वेदशास्त्र
(B) धनर्वेदशास्त्र
(C) वास्तुशास्त्र
(D) गणितशास्त्र
Ans ⇒ (A) आयुर्वेदशास्त्र
लघु उत्तरीय प्रश्न
1.शास्त्र क्या है ? पठित पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।
उत्तर- शास्त्र का अर्थ ज्ञान का शासक या निर्देशक तन्त्र है। मनुष्यों के कर्तव्य और अकर्तव्य विषयों की वह शिक्षा देता है। शास्त्र को ही आजकल अध्ययन । विषय कहते हैं। पश्चिमी देशों में शास्त्र को अनुशासन कहा जाता है। सांसारिक । विषयों में अनुरक्ति अथवा विरक्ति, नित्य मानव रचित, कृतियों के द्वारा मानव को जो उपदेश दिया जाता है उसे शास्त्र कहा जाता है। शास्त्र नित्य वेदरूप या मानव रचित ऋषियों आदि द्वारा प्रणीत होता है।
2.वेदांङ्गशास्त्र कितने और कौन-कौन हैं ? इनके क्या उद्देश्य हैं।
उत्तर-वेदांङ्गशास्त्र छः हैं। वे शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरूक्त, छन्द और ज्योतिष हैं। शिक्षा उच्चारण प्रक्रिया का ज्ञान कराती है। कल्प सूत्रात्मक कर्मकाण्ड ग्रंथ है। व्याकरण वर्ण, शब्द, वाक्य आदि का अध्ययन कराता है। निरूक्त का कार्य वेद के अर्थ का बोध कराना है। छन्द सूत्र ग्रंथ है। ज्योतिष वेदांग ज्योतिष ग्रंथ है।
3. शास्त्रकाराः पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।
उत्तर- यह नवनिर्मित संवादात्मक पाठ है जिसमें प्राचीन भारतीय शास्त्रों तथा उनके प्रमुख रचयिताओं का परिचय दिया गया है। इससे भारतीय सांस्कृतिक निधि के प्रति जिज्ञासा उत्पन्न होगी- यही इस पाठ का उद्देश्य है। इस वार्तालाप का उपयोग कक्षा में हो सकता है।
4. ‘शास्त्रकाराः’ पाठ के आधार पर शास्त्र की परिभाषा दें।
उत्तर-सांसारिक विषयों से आसक्ति या विरक्ति, स्थायी, अस्थायी या कृत्रिम उपदेश जो लोगों को देता है उसे शास्त्र कहते हैं । यह मानवों के कर्तव्य और अकर्तव्य का बोध कराता है । यह ज्ञान का शासक है। आजकल अध्ययन विषय को भी शास्त्र कहा जा सकता है। पाश्चात्य देशों में अनुशासन को ही शास्त्र कहते हैं।
5. वेदरूप शास्त्र और कृत्रिम शास्त्र में क्या अंतर है ?
उत्तर-जो शास्त्र ईश्वरप्रदत्त है, नित्य है, उस शास्त्र को वेदरूप शास्त्र कहते हैं। कृत्रिम शास्त्र उस शास्त्र को कहते हैं, जो ऋषियों द्वारा लिखे गए हैं, अथवा विद्वानों द्वारा रचे गए हैं । ‘वेद’ वेदरूप शास्त्र का उदाहरण है तथा ‘रामायण’ कृत्रिम शास्त्र का उदाहरण है।
6. वेद के अङ्गों तथा उसके प्रवर्तकों के नाम लिखें।
उत्तर-वेद के छ: अङ्ग हैं-(i) शिक्षा (ii) कल्प (iii) व्याकरण (iv) निरुक्त (v) छन्द और (vi) ज्योतिष । शिक्षा अङ्ग उच्चारण-प्रक्रिया का बोध कराता है। इसके प्रवर्तक पाणिनी हैं। कल्प अङ्ग में सूत्रात्मक कर्मकांड ग्रंथ है जिसके प्रवर्तक बौधायन, भारद्वाज, गौतम, वशिष्ठ आदि ऋषि हैं । व्याकरण अङ्ग के प्रवर्तक पाणिनी हैं । निरुक्त वेद अर्थ का बोध कराता है। इसके प्रवर्तक यास्क हैं। छन्द अङ्ग सूत्रग्रंथ है, जिसके प्रवर्तक पिङ्गल हैं तथा ज्योतिष अङ्ग के प्रवर्तक लगधर ऋषि हैं
7. भारतीय दर्शनशास्त्रों तथा उनके प्रवर्तकों की चर्चा करें।
उत्तर–भारत दर्शनशास्त्र छः हैं । सांख्य-दर्शन के प्रवर्तक कपिल, योग-दर्शन के प्रवर्तक पतञ्चलि. न्याय-दर्शन के प्रवर्तक गौतम. वैशेषिक दर्शन के प्रवर्तक कणाद मीमांसा-दर्शन के प्रवर्तक जैमिनी तथा वेदांत-दर्शन के प्रवर्तक बदरायण ऋषि हैं।
8. प्राचीन भारतीय वैज्ञानिकों एवं उनके द्वारा रचित पुस्तकों का वर्णन करें।
उत्तर—प्राचीन भारत में अनेक वैज्ञानिक ऋषि थे, जिन्होंने विज्ञान-संबंधी रचनाएँ लिखीं। आयुर्वेदशास्त्र में चरक-रचित चरक-संहिता एवं सुश्रुत-रचित सुश्रुतसंहिता अति प्रसिद्ध है। इनमें रसायनविज्ञान और भौतिकविज्ञान का भी वर्णन है। आर्यभट्ट का ग्रंथ ‘आर्यभट्टीयम्’ अति प्रसिद्ध है जिसमें खगोलविज्ञान एवं गणितशास्त्र की विस्तृत व्याख्या है। वराहमिहिर रचित वृहदसंहिता एक विशाल ग्रंथ है। जिसमें अनेक विषयों का वर्णन है। कृषिविज्ञान के रचयिता महर्षि पराशर हैं। इसमें वैज्ञानिक कृषि का वर्णन है
9. ‘शास्त्राकाराः’ पाठ में प्रश्नोत्तर शैली क्यों अपनाई गई है ?
उत्तर-भारतवर्ष में शास्त्रों की बहुत बड़ी परंपरा है। मनोरंजन के लिए शास्त्रकाराः पाठ में प्रश्नोत्तर शैली अपनाई गई है।
10. ‘शास्त्रकाराः’ पाठ में शास्त्रों में प्रवर्तकों का वर्णन क्यों है ?
उत्तर-भारत प्राचीन काल में ज्ञान के क्षेत्र में आगे था। विज्ञान दर्शन के क्षेत्र में यह विश्व को ज्ञान देता था। प्राचीन शास्त्र मात्र पूजा एवं कर्मकांड तक ही सीमित नहीं था। इसलिए शास्त्रकाराः पाठ में प्राचीन शास्त्रों एवं उनके प्रवर्तकों का वर्णन है।
11. ‘शास्त्रकाराः’ पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर-प्रस्तुत पाठ में लेखक ने बताया है कि भारतवर्ष में शास्त्रों की महती परंपरा प्राचीनकाल से ही चली आ रही है। समस्त ज्ञान के स्रोत शास्त्र ही हैं। शास्त्र के प्रवर्तक शास्त्रों के माध्यम से सद्गुणों को ग्रहण करने के लिए हमें प्रेरित करते हैं। इससे हम अच्छे संस्कार और यश प्राप्त करते हैं। प्रश्नोत्तर शैली के कारण हमारा मनोरंजन भी होता है।