महत्वपूर्ण तथ्य
1.कवि- रेनर मारिया रिल्के
2. जन्म- 4 दिसम्बर, 1875 ई॰, प्राग, ऑस्ट्रिया (अब जर्मनी)
3. मृत्यु- 29 दिसम्बर, 1936 ई॰
4. पिता- जोसेफ रिल्के
5. माता- सोफिया
6. इनकी शिक्षा-दीक्षा अनेक बाधाओं को पार करते हुए हुई।
मेरे बिना तुम प्रभु
जब मेरा अस्तित्व न रहेगा, प्रभु, तब तुम क्या करोगे ?
जब मैं – तुम्हारा जलपात्र, टूटकर बिखर जाऊँगा ?
जब मैं तुम्हारी मदिरा सूख जाऊँगा या स्वादहिन हो जाऊँगा ?
मैं तुम्हारा वेश हुँ, तुम्हारी वृति हुँ
मुझे खो कर तुम अपना अर्थ खो बैठोगे ?
मेरे बिना तुम गृहहीन निर्वासित होगे, स्वागत-विहीन
मैं तुम्हारी पादुका हूँ, मेरे बिना तुम्हारे
चरणों में छाले पड़ जाएँगे, वे भटकेंगे लहूलुहान !
अर्थ :- मेरे प्रभु, मैं नहीं रहा तो तुम गृहविहीन हो जाओगे। कौन करेगा तुम्हारी पूजा-अर्चना ? वास्तव में, मैं ही तुम्हारी पादुका हुँ जिसके सहारे जहाँ जाता हुँ तुम जाते हो अन्यथा तुम भटकोगे।
तुम्हारा शान्दार लबादा गिर जाएगा
तुम्हारी कृपा दृष्टि जो कभी मेरे कपोलों की
नर्म शय्या पर विश्राम करती थी
निराश होकर वह सुख खोजेगी
जो मैं उसे देता था-
अर्थ :- कवि कहता है कि मुझसे ही तुम्हारी शोभा है। मेरे बिना किस पर कृपा करोगे ? कृपा करने का सुख कौन देगा ? मेरे बिना तुम्हार सुख-साधन विलुप्त हो जाऐंगे, जो मैं तुम्हें देता था।
दूर की चट्टानों की ठंढी गोद में
सूर्यास्त के रंगों में घुलने का सुख
प्रभू, प्रभू मुझे आशंका होती है
मेरे बिना तुम क्या करोगे ?
अर्थ :- कवि कहता है कि जब मैं नहीं रहुँगा तो संध्याकालीन अस्त होते सूर्य की सुन्दर लालिमा का वर्णन आखिर कौन करेगा ? क्योंकि उस समय सारा वन प्रांत सूर्य की विखर रही लाल किरणों के संयोग से अद्भुत प्रतीत होता है। इसलिए कवि को आशंका होती है कि मैं नहीं रहा तो तुम क्या करोगे।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. रेनर मारिया रिल्के द्वारा रचित कविता है-
(A) मेरे बिना तुम प्रभु
(B) लौटकर आऊँगा फिर
(C) अक्षर-ज्ञान
(D) हमारी नींद
Ans ⇒ A |
2. रैनर मारिया रिल्के का जन्म किस देश में हुआ था ?
(A) जर्मनी
(B) इंगलैंड
(C) फ्रांस
(D) स्वीटजरलैंड
Ans ⇒ A |
3. रैनर मारिया रिल्के के पिता का नाम था ?
(A) जॉनी रिल्के
(B) जोसेफ रिल्के
(C) रिल्के जॉन
(D) इनमें से कोई नहीं
Ans ⇒ B |
4. नर मारिया रिल्के ने शिक्षा पाई-
(A) लंदन विश्वविद्यालय में
(B) प्राग विश्वविद्यालय में
(C) कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में
(D) इनमें से कोई नहीं
Ans ⇒ B |
5. ‘द नोट बुक ऑफ माल्टे लॉरिड्स ब्रिज’ किस प्रकार की रचना है ?
(A) कविता-संग्रह
(B) कहानी-संग्रह
(C) उपन्यास
(D) निबन्ध
Ans ⇒ B |
6. ‘मेरे बिन तुम प्रभु’ कविता किनके द्वारा हिन्दी में रूपांतरित है-
(A) दिनकर
(B) निराला
(C) धर्मवीर भारती
(D) प्रयाग शुक्ल
Ans ⇒ C |
7. कविता में किसके अस्तित्व होने की बात कही गयी है ?
(A) भगवान के
(B) भक्त के
(C) गृहस्थ के
(D) इनमें से कोई नहीं
Ans ⇒ B |
8. कवि ने जलपात्र किसे कहा है ?
(A) पानी रखने के बर्तन को
(B) भक्त को
(C) भगवान को
(D) इनमें से कोई नहीं
Ans ⇒ B |
9. कवि क्या सूखने की बात कहता है ?
(A) पानी
(B) नदी
(C) कपड़ा
(D) मदिरा
Ans ⇒ D |
10. कौन अपना अर्थ खो बैठेगा ?
(A) भगवान
(B) भक्त
(C) मानव
(D) दानव
Ans ⇒ A |
11. किसके बिना प्रभु गृहहीन होंगे ?
(A) पूजा के बिना
(B) मंत्रोच्चारण के बिना
(C) दास के बिना
(D) अवतार के बिना
Ans ⇒ C |
12. ‘प्रभु के पादुका’ की संज्ञा किसे दी गई है ?
(A) खड़ाऊँ को
(B) पद-चिह्न को
(C) दास को
(D) इनमें से कोई नहीं
Ans ⇒ C |
13. लहुलुहान कौन भटकेंगे?
(A) भक्त
(B) भगवान
(C) दानव
(D) भगवान के पैर
Ans ⇒ D |
14. किसका शानदार लबादा गिर जाएगा ?
(A) प्रभु का
(B) राजा का
(C) देवता का
(D) भक्त का
Ans ⇒ A |
15. केपोल का अर्थ है-
(A) सिर
(B) ललाट
(C) गाल
(D) चेहरा
Ans ⇒ C |
16. निर्वासित का अर्थ है-
(A) प्रवास
(B) आवास
(C) बेघर
(D) घर
Ans ⇒ C |
17. रेनर मारिया रिल्के किस भाषा के कवि हैं ?
(A) जर्मन
(B) फ्रेंच
(C) स्पेनिश
(D) ग्रीक
Ans ⇒ A |
18. पाठ्यपुस्तक में संकलित रिल्के की कविता का हिन्दी अनुवाद (रूपांतर) किसने किया है ?
(A) रघुवीर सहाय
(B) धर्मवीर भारती
(C) प्रेमचन्द
(D) डॉ सम्पूर्णानन्द
Ans ⇒ B |
19. पाठ्यपुस्तक में संकलित रिल्के की कविता किस भाव की है ?
(A) शृंगार
(B) वीर
(C) भक्ति
(D) अद्भुत
Ans ⇒ C |
20. भगवान की कृपादृष्टि कहाँ विश्राम करती थीं ?
(A) कवि के भाल पर
(B) कवि के ओठों पर
(C) कवि के नयनों पर
(D) कवि के कपोलों पर
Ans ⇒ D |
21. कवि किसके स्वादहीन होने की बात करता है ?
(A) फल
(B) दूध
(C) मिठाई
(D) मदिरा
Ans ⇒ D |
22. ‘मेरे बिना तुम प्रभु’ के लेखक कौन है ?
(A) रेनर मारिया रिल्के
(B) सुमित्रानन्दन पंत
(C) दिनकर
(D) अज्ञेय
Ans ⇒ A |
23. रेनर मारिया रिल्के का जन्म कब हुआ ?
(A) 4 नवम्बर , 1873 को
(B) 4 जनवरी , 1874 को
(C) 4 दिसम्बर , 1875 को
(D)4 फरवरी , 1876 को
Ans ⇒ C |
24. रेनर मारिया रिल्क का जन्म कहाँ हुआ था
(A) जापान
(B) जर्मनी
(C) इंग्लैंड
(D) कम्बोडिया
Ans ⇒ B |
25. रेनर के पिताजी का क्या नाम था ?
(A) पीटर रिल्के
(B) जॉनसन रिल्के
(C) विलियम्स रिल्के
(D) जोसेफ रिल्के
Ans ⇒ D |
26. रेनर के माताजी का क्या नाम था ?
(A) मरीयम
(B) मैरी
(C) सोफिया
(D) मारिया
Ans ⇒ C |
27. भक्त रिल्के प्रभु (ईश्वर) से क्या कहता है ?
(A) प्रश्न
(B) सजदा
(C) प्रार्थना
(D) इनमें सभी
Ans ⇒ A |
28. रिल्के की कहानी-संग्रह’ है-
(A) लाइफ एण्ड सोंग्स
(B) टेल्स ऑफ आलमाइटी
(C) लॉरेंस सेक्रिफाइस
(D) एडवेंट
Ans ⇒ B |
29. रिल्के की कविता ‘मेरे बिना तुम प्रभु’ है-
(A) भावात्मक रहस्यवाद
(B) भक्ति भावात्मक
(C) हास्यात्मक
(D) इनमें सभी
Ans ⇒ A |
30. भक्त कवि अपने को भगवान का क्या मानता है ?
(A) जलपात्र
(B) सेवक
(C) भक्त
(D) अनुयायी
Ans ⇒ A |
31. रिल्के का ‘काव्य-संग्रह’ है-
(A) लॉरेंस सक्रिफाइस
(B) लाइफ एण्ड सौंग्स
(C) एडवेंट
(D) इनमें सभी
Ans ⇒ D |
32. रिल्के का मुख्य उपन्यास है-
(A) लाइफ एण्ड सौंग्स
(B) द नोटबुक ऑफ माल्टे लॉरिड्स ब्रिज
(C) लॉरेंस सेक्रिफाइस
(D) एडवेंट
Ans ⇒ B |
33. शानदार लबादा किसका गिर जाएगा ?
(A) कवि का
(B) सेवक का
(C) प्रभु का
(D) पुतला का
Ans ⇒ C |
34. ‘लबादा’ का शाब्दिक अर्थ है-
(A) चोंगा
(B) पुतला
(C) मूरत
(D) खाल
Ans ⇒ A |
35. रेनर मारिया रिल्के का निधन कब हुआ था ?
(A) 29 दिसम्बर , 1926 को
(B) 29 दिसम्बर , 1936 को
(C) 9 जनवरी , 1928 को
(D) 9 जनवरी , 1938 को
Ans ⇒ A |
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. ‘मेरे बिना तुम प्रभु’ कविता का केन्द्रीय भाव क्या है ?
उत्तर ⇒ ‘मेरे बिना तुम प्रभु’ कविता का केन्द्रीय भाव है कि जीव और ईश्वर का संबंध अन्योन्य है। एक के बिना दूसरे का अस्तित्व नहीं रह सकता। जीव में ईश्वर का वास है। भक्त के बिना भगवान का भी अस्तित्व नहीं है।
प्रश्न 2. कवि रेनर मारिया रिल्के ने अपने को जलपात्र और मदिरा क्यों कहा है ?
उत्तर ⇒ कवि अपने को भगवान का भक्त मानता है । भक्त की महत्ता को स्पष्ट करते हुए कवि ने भक्त को जलपात्र और मदिरा कहा है क्योंकि जलपात्र में संग्रहित होकर भगवान अपनी अस्मिता प्राप्त करता है । इसी तरह भक्ति-रस के निकट आकर भगवान इससे आह्लादित हो जाते हैं।
प्रश्न 3. कवि को किस बात की आशंका है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर ⇒ कवि को आशंका है कि जब ईश्वरीय सत्ता की अनुभूति करानेवाला प्रतीक आधार या भक्त नहीं होगा तब ईश्वर की पहचान किस रूप में
होगी ? प्राकृतिक छवि, मानव की हृदय का प्रेम, दया, भगवद्स्वरूप हैं। ये सब नहीं होंगे, तब उस परमात्मा का आश्रय क्या होगा, मानव किस रूप में ईश्वर को जान सकेगा इस प्रश्न को लेकर कवि आशंकित है।
प्रश्न 4. शानदार लबादा किसका गिर जाएगा, और क्यों ?
उत्तर ⇒ कवि के अनुसार भगवत्-महिमा भक्त की आस्था में निहित होता है। भक्त भगवान का दृढाधार होता है लेकिन जब भक्तरूपी. आधार नहीं होगा तो स्वाभाविक है कि भगवान की पहचान भी मिट जाएगी। भगवान का लबादा अथवा चोगा गिर जाएगा।
प्रश्न 5. कविता के आधार पर भक्त और भगवान के बीच के संबंध पर प्रकाश डालिए।
उत्तर ⇒ प्रस्तुत कविता में कहा गया है कि बिना भक्त के भगवान भी एकाकी और निरुपाय हैं। उनकी भगवत्ता भी भक्त की सत्ता पर ही निर्भर करती है। व्यक्ति और विराट सत्य एक-दूसरे पर निर्भर हैं।
प्रश्न 6. कवि किसको कैसा सुख देता था ?
उत्तर ⇒ कवि भगवान की कृपादृष्टि की शय्या है। कवि के नरम कपोलों पर जब भगवान की कृपादृष्टि विश्राम लेती है, तब भगवान को सुख मिलता है, आनंद मिलता है । अर्थात् भक्त भगवान का कृपापात्र होता है और भक्तरूपी पात्र से भगवान भी सुखी होते हैं।
प्रश्न 7. मनुष्य के नश्वर जीवन की महिमा और गौरव का यह कविता कैसे बखान करती है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर ⇒ इस कविता में कहा गया है कि मानव के अस्तित्व में ही ईश्वर का अस्तित्व है। मानवीय जीवन में ईश्वरीय अंश होता है। परमात्मा की अदृश्यता को जीवात्मा दृश्य करता है। ईश्वर की झलक जीव के माध्यम से देखी जाती है।
प्रश्न 8. कविता किसके द्वारा किसे संबोधित है ? आप क्या सोचते हैं ?
उत्तर ⇒ कविता में कवि भक्त के रूप में भगवान को सम्बोधित करता है । इसमें भक्त अपने को भगवान का आश्रयगह स्वीकारता है। अपने में भगवान की छवि को देखता है और कहता है कि हे भगवान ! मैं भी तुम्हारे लिए उतना ही महत्त्वपूर्ण हूँ जितना तुम मेरे लिए। कवि के इस विचार की हम पुष्टि करते हैं।
प्रश्न 9. कविता के आधार पर भक्त और भगवान के बीच के संबंध पर प्रकाश डालिए।
उत्तर ⇒ प्रस्तुत कविता में कहा गया है कि बिना भक्त के भगवान भी एकाकी और निरुपाय हैं। उनकी भगवत्ता भी भक्त की सत्ता पर ही निर्भर करती है। व्यक्ति और विराट सत्य एक-दूसरे पर निर्भर हैं। भगवान जल हैं तो भक्त जलपात्र है। भगवान के लिए भक्त मदिरा है। बिना भक्त के भगवान रह ही नहीं सकते । भक्त ही भगवान का सबकुछ हैं और भक्त के लिए भगवान सबकुछ हैं । ब्रह्म को साकार करनेवाला जीव होता है और जीव जब ब्रह्ममय हो जाता है तब वह परमानंद में डूब जाता है। भक्त की भक्ति को पाकर परमात्मा आनंदित होता है और परमात्मा को प्राप्त करके भक्त परमानंद को प्राप्त करता है। यही अन्योन्याश्रय संबंध भक्त और भगवान में है।
प्रश्न 10. कवि रेनर मारिया रिल्के रचित कविता “मेरे बिना तुम प्रभु’ का सारांश अपने शब्दों में प्रस्तुत करें।
उत्तर ⇒ भक्त कवि रिल्के अपने प्रभु से प्रश्न करता है-प्रभु, जब मेरा अस्तित्व ही नहीं रहेगा, तब तुम क्या करोगे ? मैं ही तुम्हारा जलपात्र हूँ, मैं ही तुम्हारी मदिरा हूँ। जब जलपात्र टूटकर बिखर जाएगा और मदिरा सूख जाएगी या स्वादहीन हो जाएगी तब प्रभु तुम क्या करोगे ?
कवि अपने प्रभु से कहता है कि मैं तुम्हारा वेश हूँ, तुम्हारी वृत्ति हूँ। मैं ही तुम्हारे होने का कारण हूँ। तुम मुझे खोकर अपना अर्थ खो बैठोगे। मेरे अभाव में तुम गृहविहीन हो जाओगे। तब तुम निर्वासित-सा अपना जीवन बिताओगे। तब तुम्हारा स्वागत कौन करेगा? प्रभु मैं तुम्हारे चरणों की पादुका हूँ। मेरे बिना तुम्हारे चरणों में छाले पड़ जाएँगे; तुम्हारे पैर लहूलुहान हो जाएँगे; तुम्हारे पैर मेरे बिना कहीं भ्रांत दिशा में भटक जाएँगे।
कवि अपने आराध्य से कहता कि जब मेरा अस्तित्व ही नहीं रहेगा, तब तुम्हारा शानदार लबादा गिर जाएगा। तुम्हारी सारी शान मेरे होने पर ही निर्भर है। मैं नहीं रहूँगा तो तुम्हारी कृपादृष्टि को सुख कहाँ से नसीब होगा? दूर की चट्टानों की ठंढी गोद में सूर्यास्त के रंगों में घुलने का सुख तुम्हें मेरे नहीं रहने पर कैसे प्राप्त होगा? कवि अपनी आशंका व्यक्त करता हुआ कहता है कि मेरे बिना प्रभु शायद ही कुछ रह सकें।
प्रश्न 11. आशय स्पष्ट कीजिए :
“मैं तुम्हारा वेश हूँ, तुम्हारी वृत्ति हूँ।
मुझे खोकर तुम अपना अर्थ खो बैठोगे ?”
उत्तर ⇒ प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने भक्त को भगवान की अस्मिता माना है। भगवान का वास्तविक स्वरूप भक्त में है। भक्त भगवान का सबकुछ है। भगवान का रूप, वेश, रंग, कार्य सब भक्त में निहित है। भक्त के माध्यम से ही भगवान को जाना जा सकता है, उनके अस्तित्व की अनुभूति की जा सकती है। कवि कहता है कि हे भगवन, मेरा अस्तित्व ही तुम्हारी पहचान है । मैं नहीं रहूँगा तो तुम्हारी पहचान भी नहीं होगी, अर्थात् भक्त से अलग रहकर, भक्त को खोकर भगवान भी अपना अर्थ, अपना मतलब, अपनी पहचान खो देंगे । भक्त के बिना भगवान की कल्पना नहीं ही की जा सकती।