राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा’

महत्वपूर्ण तथ्य

1. प्रस्तुत पद के कवि गुरु नानक हैं.

2. गुरु नानक का जन्म 1469 ईस्वी में ग्राम तलवंडी , जिला लाहौर में हुआ था .

3. इनका जन्म स्थान ‘नानकाना साहिब’ कहलाता है जो अब पाकिस्तान में है .

4. इन्होंने हिंदू मुसलमान दोनों की समान धार्मिक उपासना पर बल दिया .

5. वर्णाश्रम व्यवस्था और कर्मकांड का विरोध करके निर्गुण ब्रह्म की भक्ति का प्रचार किया .

6. गुरु नानक ने ‘सिख धर्म’ का प्रवर्तन किया .

7. इन्होंने पंजाबी के साथ हिंदी में भी कविताएं की .

8. इसके भक्ति और विनय के पद बहुत मार्मिक हैं .

9. उनके उपदेशों के अंतर्गत गुरु की महत्ता संसार की झणलंगुरता , ब्रह्म की सर्वशक्तिमाता ,नाम जाप की महिमा ,ईश्वर की सर्वव्यापक आदि बातें मिलती है.

10. उनकी रचनाओं का संग्रह है सिखों के पांचवे गुरु अर्जन देव ने 1604 ईस्वी में किया जो ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ .

11. प्रथम पद बाहरी वेश-भूषा ,पूजा- पाठ और कर्मकांड के स्थान पर सरल सच्चे हृदय से राम नाम के कीर्तन पर बल देता है.

12. इसकी रचनाएं – जपुजी , आसादीवार , रहिरास और सोहिला .

13. कवि गुरु नानक ने बाहाडम्बर की आलोचना करते हुए रामनाम के महत्व पर प्रकाश डाला है. 

14. कवि गुरु नानक कहते हैं कि जो राम का नाम का स्मरण नहीं करता है उसका मानव -शरीर पाना व्यर्थ चला जाता है. 

15. भगवान का भजन किए बिना व्यक्ति को संसार से मुक्ति नहीं मिल सकती तथा सांसारिक मायाजाल में उलझकर रह जाना पड़ता है .

16. प्राणी प्राणी बाहरी दिखावा के लिए डंडा , कमंडल , शिखा , जनेऊ तथा गेरुआ वस्त्र धारण कर तीर्थ यात्रा करते रहते हैं, लेकिन राम-नाम का भजन किए बिना जीवन में शांति नहीं मिलती है .

17. अपने को संत कहलाने के लिए जटा का मुकुट बनाकर , शरीर में राख लगाकर , वस्त्रों को त्यागकर नग्न हो जाते हैं .

18. फलत: संसार में जितने सारे जीव जंतु हैं उन जीवों में जन्म लेते रहते हैं .

19. भगवान की कृपा को ध्यान में रखकर नानक ने राम का नाम रूपी रस का घोल पी लिया, ताकि संसार से मुक्ति मिल जाए .

20. दूसरे पद में सुख-दुख में एक समान उदासीन रहते हुए मानसिक दुर्गुणों से ऊपर उठकर अंत:करण की निर्मलता हासिल करने पर जोड़ दिया गया है .

21. संत कवि गुरु के कृपा प्राप्त कर इस पद में गोविंद से एक एकाकर होने की प्रेरणा देते हैं .

22. कवि का मानना है कि श्रेष्ठ पुरुष सांसारिक विषय वस्तुओं से दूर रहता है. 

23. उसे किसी वस्तु के प्रतिकोई आकर्षण नहीं होता .

24. वह सुख-दुख ,मान -अपमान , निंदा – स्तुति तथा हर्ष -विषाद सब में समान रहता है . 

25. वह न तो दु:ख से विचलित होता है और न ही सुख से अहंकारी .

26. आशा तृष्णा से मुक्ति होकर सांसारिक विषय वासनाओं से अनासक्त रहता है , काम क्रोध को बस में कर लिया है , वैसे मनुष्य के हृदय में ब्रह्म का निवास होता है.

27. जिस मनुष्य पर ईश्वर की कृपा होती है वह सांसारिक विषय वस्तुओं से स्वत :मुक्ति पा जाता है .

28. गुरु नानक कहते हैं कि ‘मैं गोविंद के साथ इस तरह से मिल गया है , जैसा पानी के साथ पानी’

 पद :- 

राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा।

बिखु खावै बिखु बोलै बिनु नावै निहफलु मटि भ्रमना ।।

पुसतक पाठ व्याकरण बखाणै संधिया करम निकाल करै।

बिनु गुरुसबद मुकति कहा प्राणी राम नाम बिनु अरुझि मरै।।

अर्थ— गुरु नानक कहते हैं कि जो राम के नाम का जप नहीं करता है, उसका संसार में आना और मानव शरीर पाना बेकार चला जाता है। बिना कुछ बोले बिष का पान करता है तथा मोहमाया में भटकता हुआ मर जाता है अर्थात् राम का गुणगान न करके माया के जाल में फँसा रहता है। शास्त्र-पुराण की चर्चा करता है, सुबह, शाम एवं दोपहर तीनों समय संध्या बंदना करता है। नानक लोगों से कहता है कि गुरु (भगवान) का भजन किए बिना व्यक्ति को संसार से मुक्ति नहीं मिल सकती तथा सांसारिक मायाजाल में उलझकर रह जाना पड़ता है।  अर्थात नानक का कहना कि संसार असत्‍य है। सत्‍य केवल ईश्‍वर है।

डंड कमंडल सिखा सूत धोती तीरथ गबनु अति भ्रमनु करै।

राम नाम बिनु सांति न आवै जपि हरि-हरि नाम सु पारि परै।।

जटा मुकुट तन भसम लगाई वसन छोड़ि तन मगन भया।।

जेते  जिअ जंत जल थल महिअल जत्र तत्र तू सरब जिआ।

गुरु परसादि राखिले जन कोउ हरिरस नामक झोलि पीया।

अर्थ— नानक आगे कहते हैं कि कमंडल, डंडा, शिखा, जनेउ तथा गेरूआ वस्‍त्र धारण करके तीर्थयात्रा पर जाता है लेकिन राम नाम का नाम लिए बिना जीवन में शांति नहीं मिलती है। भगवान का नाम ले लेकर पैर पुजाते हैं। वे अपने को संत कहलाने के लिए जटा को मुकुट बनाकर, शरीर में राख लगाकर, वस्त्रों को त्यागकर नग्न हो जाते हैं। संसार में जितने जीव-जन्तु हैं, उन जीवों में जन्म लेते रहते हैं। इसलिए लेखक कहते हैं कि भगवान की कृपा को ध्यान में रखकर नानक ने राम का घोल पी लिया, ताकि मायारूपी संसार से मुक्ति मिल जाए।

जो नर दुख में दुख नहीं मानै।

सुख सनेह अरु भय नहिं जाके, कंचन माटी जानै।।

नहिं निंदा नहिं अस्तुति जाके, लोभ मोह अभिमाना।

हरष सोक तें रहै नियारो, नाहि मान अपमाना।।

आसा मनसा सकल त्यागि कै जग तें रहै निरासा।

अर्थ— गुरु नानक कहते हैं कि जो मनुष्य दुख को दुख नहीं मानता है, जिसे सुख-सुविधा के प्रति कोई मोह नहीं है और न ही किसी प्रकार का डर है, जो सोना को मिट्टी जैसा मानता है। जो किसी की निंदा से न तो घबराता है और न ही प्रशंसा सुनकर गौरवान्वित होता है। जो लाचल, प्रेम एवं घमंड से दूर है। जो खुशी और दूख दोनों में एक जैसा रहता है, जिसके लिए मान-अपमान दोनों बराबर हैं। जो जो अपने सभी अभिलाषा को त्‍यागकर सांसारिक चमक-दमक से दूर रहता है

काम क्रोध जेहि परसे नाहिन तेहि घट ब्रह्म निवासा।।

गुरु कृपा जेहि नर पै कीन्हीं तिन्ह यह जुगति पिछानी।

नानक लीन भयो गोबिन्द सो ज्यों पानी संग पानी।।

अर्थ— जिसने काम-क्रोध को वश में कर लिया है, वैसे मनुष्य के हृदय में ईश्‍वर का निवास होता है। अर्थात् जो मनुष्य प्रेम-जलन, मान-अपमान, सुख-दुख, निंदा-बड़ाई हर स्थिति में एक जैसा रहता है, वैसे मनुष्य के हृदय में ईश्‍वर निवास करते हैं।

गुरु नानक का कहना है कि जिस मनुष्य पर ईश्वर की कृपा होती है, वह सांसारिक चमक-दमक से अपने आप मुक्ति पा जाता है। इसीलिए नानक ईश्वर के चिंतन में लीन होकर उस प्रभु के साथ एकाकार हो गये। यानी आत्मा परमात्मा से मिल गई, जैसे पानी के साथ पानी मिलकर एकाकार हो जाता है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. गुरु नानक का जन्म लाहौर के किस ग्राम में हुआ था ?

A तलबंडी                           

B अमृतसर                         

C जालंधर               

D लुधियाना

Ans : A

2. गुरु नानक किस भक्ति धारा के कवि हैं ?

A सगुण भक्ति धारा के                       

B निर्गुण भक्त धारा के                  

C सूफी धारा के         

D कृष्ण भक्ति धारा के

Ans : B

3. ‘राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमापद में किसकी आलोचना की गई है ?

A बाह्याडंबर की                   

B रामनाम की                     

C गुरुज्ञान की         

D इनमें से कोई नहीं

Ans : A

4. ‘राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा।यह पंक्ति …………….. की है।

A गुरु नानक                                   

B रसखान                           

C घनानंद               

D प्रेमघन

Ans : A

5. किसके बिना प्राणी को मुक्ति नहीं मिलती ?

A कर्मकांड के बिना                

B चारों धाम की यात्रा के बिना   

C मूर्तिपूजन के बिना

D गुरुज्ञान के बिना

Ans : D

6. ‘हरिरासकिसकी रचना है ?

A गुरु गोविन्द सिंह                      

B गुरु नानक                                   

C नानक                 

D घनानंद

Ans : B

7. वाणी कब विष के समान हो जाती है ?

A रामनाम के बिना              

B तीर्थयात्रा के बिना              

C ज्ञान के बिना        

D इनमें से कोई नहीं

Ans : A

8. ‘सिख धर्मका प्रवर्तन किसने किया ?

A गुरु नानक                                   

B गुरु गोविंद सिंह                 

C गुरु तेगबहादुर       

D गुरु अर्जुनदेव

Ans : A

9. गुरु नानक का कथन किस कवि के कथन से मिलती है ?

A रविदास                           

B कालिदास                        

C सूरदास               

D कबीरदास

Ans : D

10. गुरु नानक देव ने क्या कहते हुए प्राण त्याग किया ?

A हे गुरु                             

B वाह गुरु                           

C हे ईश्वर               

D सत् गुरु

Ans : B

11. ब्रह्म का निवास स्थान है

A मंदिर                             

B जंगल                             

C तीर्थ                   

D हृदय

Ans : D

12. गुरु नानक की माताजी का नाम क्या था ?

A सुशीला                           

B तृप्ता                              

C सुलक्षणौ              

D तृप्ति

Ans : B

13. किस मुगल सम्राट से गुरु नानक की भेंट हुई थी ?

A अकबर                            

B शाहजहाँ                          

C औरंगजेब             

D बाबर

Ans : D

14. गुरु नानक का जन्म कब हुआ था ?

A 1467 . में                     

B 1468 . में                     

C 1469 . में         

D 1470 . में

Ans : C

15. गुरु नानक का जन्मस्थान है

A नन्द ग्राम, द्वारिका                       

B तलबंडी ग्राम, लाहौर                       

C गुरु ग्राम, गुरदासपुर

D बेलसन्डी ग्राम, बेलौर

Ans : B

16. गुरु नानक के पिता थे

A दीनबन्धु खन्नी                 

B मूलचंद खन्नी                   

C कालूचंद खत्री        

D दयालचंद खन्नी

Ans : C

17. गुरु नानक की रचना है

A सोहिला                           

B जपुजी                             

C आसादीवार                       

D इनमें सभी

Ans : D

18. “जो नर दुख में दुख नहिं मानैकिस लेखक की कृति है ?

A कबीरदास की                    

B गुरु नानक की                   

C कालिदास की        

D सूरदास की

Ans : B

19. गुरु नानक का जन्मस्थान कहा जाता है

A गुरु ग्राम                          

B गुरु साहेब                        

C नानक ग्राम          

D नानकाना साहब

Ans : D

20. ‘नानकाना साहबकहाँ अवस्थित है ?

A भारत में                          

B पाकिस्तान में                   

C श्रीलंका में            

D नेपाल में

Ans : B

21. गुरु नानक किस भक्तिधारा के कवि हैं ?

A निर्गुण भक्तिधारा              

B सगुण भक्ति धारा              

C सरस भक्तिधारा  

D ब्रह्मानंद भक्तिधारा

Ans : A

 22. गुरु नानक ने प्रचार किया

A कर्मकांड का                      

B निर्गुण ब्रह्म की भक्ति का  

C पूजापाठ का         

D सगुण ब्रह्म की भक्ति का

Ans : B

23. ‘आसादीवारकिसकी रचना है ?

A गुरु गोविन्द सिंह की                       

B अर्जुनदेव की                     

C तेगबहादुर सिंह की

D गुरुनानक की

Ans : D

24. ‘सुलक्षणीकौन थी ?

A गुरु नानक की बहन            

B गुरु नानक की माँ               

C गुरु नानक की मौसी

D गुरु नानक की पत्नी

Ans : D

25. गुरु नानक केपदकिस भाषा में रचित है ?

A हिन्दीमिश्रित ब्रजभाषा    

B अरबीमिश्रित ब्रजभाषा         

C पंजाबीमिश्रित ब्रजभाषा

D तमिलमिश्रित ब्रजभाषा

Ans : C

26. ‘सिखधर्म के प्रवर्तक थे

A बंदा वैरागी                                   

B गुरुनानक                        

C अर्जुनदेव             

D गरुगोविंद सिंह

Ans : B

27. गुरु नानक देव की रचनाओं का संग्रह किस नाम से प्रसिद्ध हुआ ?

A साहिब ग्रंथ                                   

B गुरु साहिब ग्रंथ                  

C गुरु ग्रंथ साहिब      

D गुरु ग्रंथावली

Ans : C

28. गुरु नानक की रचनाओं का संग्रह किस वर्ष किया गया ?

A 1603 . में                     

B 1604 . में                     

C 1605 . में         

D 1606 . में

Ans : B

29. गुरु नानक की रचनाओं का संग्रह किनके द्वारा किया गया ?

A गुरु गोविंद सिंह                 

B बंदा वैरागी                                   

C गुरु अर्जुनदेव        

D ज्ञानदेव

Ans : C

30. नानकदेव ने जगत् का सार किसे कहा है ?

A धनार्जन                          

B सांसारिक सुख                   

C पूजापाठ             

D हरि कीर्तन

Ans : D

31. ‘रहिरासकिसे कहा गया है ?

A वनस्पति रस को                

B सांसारिक आनंद को            

C ब्रह्मानंद को         

D मधुर रस को

Ans : C

32. गुरु नानक की रचनाओं के संग्रह का क्या नाम है ?

A वाहे गुरु                           

B गुरु ग्रंथसाहिब                   

C नानकाना साहब     

D फतह साहब

Ans : B

33. किसके बिना संसार में जन्म लेना व्यर्थ है ?

A यश के बिना         

B दान पुण्य के बिना              

C तीर्थाटन के बिना  

D भगवत् नाम के बिना

Ans : D

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. गुरु की कृपा से किस युक्ति की पहचान हो पाती है ? 

उत्तर  कवि कहते हैं कि ब्रह्म से साक्षात्कार करने हेतु लोभ, मोह, ईर्ष्या, द्वेष, निंदा आदि से दूर होना आवश्यक है। ब्रह्म की सान्निध्य के लिए सांसारिक विषयों से रहित होना अत्यन्त जरूरी है। ब्रह्मप्राप्ति की इसी युक्ति की पहचान गुरुकृपा से हो पाती है। 

प्रश्न 2. वाणी कब विष के समान हो जाती है ? 

उत्तर  जिस वाणी से राम नाम का उच्चारण नहीं होता है, अर्थात् भगवत् नाम के बिना वाणी विष के समान हो जाती है। 

प्रश्न 3. हरि रस से कवि का अभिप्राय क्या है ?

उत्तर  कवि राम नाम की महिमा का बखान करते हुए कहते हैं कि भगवान के नाम से बढ़कर अन्य कोई धर्मसाधना नहीं है भगवत् कीर्तन से प्राप्त परमानंद को हरि रस कहा गया है। 

प्रश्न 4. ‘राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमापद का मुख्य भाव क्या है ? 

उत्तर  गुरुनानक ने इस पद में पूजापाठ, कर्मकांड और बाह्य वेशभूषा की निरर्थकता सिद्ध करते हुए सच्चे हृदय से रामनाम  के  स्मरण  और  कीर्तन का महत्त्व प्रतिपादित किया है क्योंकि नाम कीर्तन से ही व्यक्ति को सच्ची शांति मिलती है और वह इस दुखमय जीवन के पार पहुँच पाता है। 

प्रश्न 5. गुरुनानक की दृष्टि में ब्रह्म का निवास कहाँ है ? 

उत्तर  जो प्राणी सांसारिक विषयों की आसक्ति से रहित है, जो मानअपमान से परे है, हर्षशोक दोनों से जो दूर है , उन प्राणियों में ही ब्रह्म का निवास बताया गया है। काम, क्रोध, लोभ, मोह जिसे नहीं छूते वैसे प्राणियों में निश्चित ही ब्रह्म का निवास है।

प्रश्न 6. कवि किसके बिना जगत् में यह जन्म व्यर्थ मानता है ? 

उत्तर  कवि राम नाम के बिना जगत् में यह जन्म व्यर्थ मानता है।

प्रश्न 7. नामकीर्तन के आगे कवि किन कर्मों की व्यर्थता सिद्ध करता है ? 

उत्तर  पुस्तकपाठ, व्याकरण के ज्ञान का बखान, दंडकमण्डल धारण करना, शिखा बढ़ाना, तीर्थभ्रमण, जटा बढ़ाना, तन  में  भस्म  लगाना, वसनहीन होकर नग्नरूप में घूमना इत्यादि कर्म कवि के अनुसार नामकीर्तन के आगे व्यर्थ हैं। 

प्रश्न 8. प्रथम पद के आधार पर बताएँ कि कवि ने अपने युग में धर्म साधना के कैसेकैसे रूप देखे थे ? 

उत्तर  प्रथम पद में कवि के अनुसार शिखा बढ़ाना, ग्रंथों का पाठ करना, व्याकरण बाँचना, भस्म रमाकर साधुवेश धारण करना, तीर्थ करना, दंड कमण्डलधारी होना, वस्त्र त्याग करके नग्नरूप में घूमना कवि के युग में धर्मसाधना के रूप  रहे हैं। 

प्रश्न 9. आधुनिक जीवन में उपासना के प्रचलित रूपों को देखते हुए नानक के इन पदों की क्या प्रासंगिकता हैं ? अपने शब्दों में विचार करें।

उत्तर  नानक के पद में वर्णित रामनाम की महिमा आधुनिक जीवन में प्रासंगिक है। हरिकीर्तन सरल मार्ग है जिसमें अत्यधिक  धन  की आवश्यकता है, ही कोई बाह्याडम्बर की। आज भगवत् नामरूपी रस का पान किया जाये तो जीवन में उल्लास, शांति, परमानन्द, सुख तथा ईश्वरीय अनुभूति को सरलता से प्राप्त किया जा सकता है।

प्रश्न 10. ‘जो नर दुख में दुख नहिं मानैपद का भावार्थ लिखें।
अथवा, ‘जो नर दुख में दुख नहिं मानैकविता का भावार्थ लिखें।

उत्तर  प्रस्तुत कविता में कवि ईश्वर की निर्गुणवादी सत्ता को स्वीकार करते हुए कहते हैं कि जो मनुष्य  दुख को दुख नहीं समझता है अर्थात् दुःखमय जीवन में भी समानरूप में रहता है उसी का जीवन सार्थक होता है जिसके जीवन में सुख, प्यार, भय  नहीं  आता  है अर्थात् इस परिस्थिति में भी तटस्थ रहकर मानसिक दुर्गुणों को दूर करता है, लोभ से रहित सोने को भी माटी के समान समझता है वही प्रभु की कृपा प्राप्त कर सकता है जो मनुष्य किसी की निंदा करता है, किसी की स्तुति करता है, लोभ ,

प्रश्न 11. ‘राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमाऔरजो नर दुख में दुख नहिं मान।कविता का सारांश लिखें।

उत्तर  पाठयपुस्तक में गुरु नानक के दो पद संगृहित हैं : ‘रामनाम बिनु बिरथे जगि जनमाऔरजो नर दुख में दुख नहिं माने।प्रथम पद में गुरु नानक ने बाहरी वेशभूषा, पूजापाठ और कर्मकांड के स्थान पर निश्छलनिर्मल हृदय से रामनाम के कीर्तन पर जोर दिया है।  गुरु नानक  ऐसा  मानते हैं कि रामनाम कीर्तन से ही व्यक्ति को स्थायी शांति मिल सकती है और उसके सारे सांसारिक दु:दर्द मिट सकते हैं।  दूसरे  पद  में  गुरु  नानक  ने  कहा  है कि सुखदुःख, हर्षविषाद आदि में एक समान उदासीन रहते हुए  हमें  अपने  मानसिक  दुर्गुणों  से  ऊपर उठकर अंत:करण को विशुद्ध और निर्मल रखना चाहिए, क्योंकि इसी स्थिति में गोविंद से एकाकार होने की संभावना रहती है।
प्रश्न 12. निम्नलिखित पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या करें :
आसा मनसा सकल त्यागि के जग ते रहै निरासा।
काम क्रोध जेहि परसे नाहिन तेहि घट ब्रह्म निवासा।।

उत्तर  प्रस्तुत पद्यांश कवि गुरुनानक देव द्वारा रचितराम नाम बिनु बिरथे जगि जनमापाठ से उद्धत है।
उपर्युक्त पंक्तियों में संत कवि नानक कहते हैं कि जिसने आशाआकांक्षा और सांसारिक मोहमाया का त्याग कर दिया है, जिसके जीवन में कामक्रोध के लिए कोई स्थान नहीं है, अर्थात् जो विगत काम और क्रोधरहित है, उसकी अंतरात्मा में, ब्रह्म का निवास होता है।

प्रश्न 13. “राम नाम बिनु अरूझि मरैकी व्याख्या करें।

उत्तर  प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक हिंदी साहित्य के महान संत कवि गुरुनानक के द्वारा लिखितराम नाम बिनु बिरथे  जगि  जनमाशीर्षक  से  उद्धृत है। गुरुनानक निर्गुण, निराकार ईश्वर के उपासक तथा हिंदी की निर्गुण भक्तिधारा के प्रमुख कवि हैं। यहाँ राम नाम की महत्ता पर प्रकाश डालते हैं।
प्रस्तुत व्याख्येय पंक्ति में निर्गुणवादी विचारधारा के कवि गुरुनानक रामनाम  की गरिमा मानवीय जीवन में कितनी है इसका उजागर सच्चे हृदय से किये हैं। कवि कहते हैं कि रामनाम के बिना, संध्यावंदन, तीर्थाटन, रंगीन वस्त्रधारण, यहाँ तक कि जटाजूट बढ़ाकर इधरउधर घूमना, ये सभी भक्तिभाव के बाह्याडम्बर है। इससे जीवन सार्थक कभी भी नहीं हो सकता है। रामनाम की सत्ता को स्वीकार नहीं करते हैं तब तक मानवीय मूल चेतना उजागर नहीं हो सकती है। रामनाम के बिना बहुतसे सांसारिक कार्यों में उलझकर व्यक्ति जीवनलीला समाप्त कर लेता है।

 

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